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इस बार गर्मियों के मौसम में आप किसी हेल्दी ड्रिंक की तलाश कर रहे हैं, तो अमरूद मोइतो ट्राई कर सकते हैं। अमरूद मोइतो को आप आसानी से घर पर ही बना सकते हैं और गर्मी को बॉय-बॉय कर सकते हैं। तो देर किस बात की आइए जानते हैं अमरूद से कैसे मसालेदार मोइतो बनाया जा सकता है और इसके फायदे क्या हैं।
अमरूद का मसालेदार मोइतो बनाने की रेसिपीशेफ कुणाल कपूर ने अपने इंस्टाग्राम पर अमरूद की मलालेदार मोइतो बनाने की रेसिपी शेयर की है। शेफ का कहना है कि इस रेसिपी को बनाने के लिए आपको किचन में ही मौजूद कुछ बेसिक चीजों की जरूरत पड़ेगी। आइए जानते हैं।सामग्री की लिस्टअमरूद - 2 बड़े पीसचीनी/शहद - 1½ बड़ा चम्मचकाला नमक - ½ छोटा चम्मचभुना जीरा पाउडर - ½ छोटा चम्मचकाली मिर्च पाउडर - ½ छोटा चम्मचनमक - एक चुटकीनींबू का रस - 3 बड़े चम्मचपुदीने की पत्तियां- मुट्ठी भरबर्फ का पानी - ¼ कपबर्फ के टुकड़े - ठंडा करने के लिएबनाने का तरीका-अमरूद का मसालेदार मोइतो बनाने के लिए सबसे पहले पके हुए अमरूद के छोटे-छोटे टुकड़े काट लें। फिर एक ब्लेंडर जार में कटे हुए अमरूद डाल दें। इसी में शहद और 1 कप पानी डालकर अच्छे से ब्लेंड करें। जब पेस्ट बन जाए तो एक प्लेट में लाल मिर्च पाउडर और नमक लें और अच्छी तरह से मिलाएं।अब गिलास में 2-3 कटे हुए नींबू डालकर, मिंट स्प्रिंग, आइस क्यूब्स और अमरूद का मिश्रण डालकर अच्छे से ड्रिंक को तैयार कर लें।अब इस ड्रिंक में ऊपर से नमक, पुदीने की पत्तियां और अमरूद डालकर गार्निश करें।अमरूद का मसालेदार मोइतो पीने के फायदे- गर्मी के मौसम में अमरूद का मसालेदार मोइतो पीने से डिहाइड्रेशन की समस्या से बचा जा सकता है। इसमे प्रचुर मात्रा में पानी पाया जाता है, जो शरीर को अंदर से हाइड्रेट रखता है।- अमरूद के पोषक तत्व गट हेल्थ की प्रॉब्लम को भी ठीक करने में मदद करते हैं। दिल्ली के भाग्य आयुर्वेदा की न्यूट्रिशनिस्ट और डाइटिशियन पूजा सिंह का कहना है कि अमरूद का मोइतो मल को मुलायम बनाकर इसे त्यागने में आसान करता है, जिससे कब्ज और पेट दर्द की समस्या नहीं होती है।- अमरूद में विटामिन सी, लाइकोपीन जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह पोषक तत्व इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाने में मदद करते हैं। गर्मियों में हीट वेव और पसीने की वजह से जो लोग बार-बार बीमार पड़ते हैं, उनके लिए यह ड्रिंक काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।- डायबिटीज के मरीजों के लिए भी अमरूद मोइतो काफी फायदेमंद होता है। अमरूद मोइतो में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है। इसके अलावा इस मोइतो में एंटीऑक्सीडेंट्स, इंसुलिन सेल्स के कामकाज को बढ़ावा देते हैं और शुगर लेवल कंट्रोल करने में मदद करते हैं।नोट : शेफ कुणाल कपूर ने इस मोइतो को बनाने के लिए सोडा का इस्तेमाल किया है। सोडा सेहत के लिए हानिकारक होता है। सोडा में पाया जाने वाला फॉस्फोरिक एसिड शरीर में मौजूद कैल्शियम को खत्म कर देता है, जिसकी वजह से हड्डियों और दांतों से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा सोडे में मौजूद आर्टिफिशियल स्वीटनर मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट प्रॉब्लम का कारण भी बन सकता है। - गर्मियों के मौसम में जब स्किन टैनिंग होती है तो त्वचा काली नजर आने लगती है। टैनिंग हटाने के लिए लोग कई तरह के कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करते हैं, जिनका त्वचा पर बुरा असर हो सकता है। ऐसे में जौ का उबटन लाभकारी हो सकता है। जौ के उबटन से स्किन एक्सफोलिएट होती है और डेड स्किन की समस्या दूर हो सकती है। इसके साथ-साथ जौ का उबटन नियमित इस्तेमाल करने से त्वचा के दाग-धब्बे भी कम हो सकते हैं। वहीं चेहरे पर होने वाले एक्ने, पिंपल्स और ब्लैकहेड्स हटाने में भी जौ के उबटन का इस्तेमाल कारगर साबित हो सकता है। नियमित रूप से जौ के उबटन का इस्तेमाल करने से स्किन न सिर्फ स्किन की टैनिंग दूर हो सकती है बल्कि इससे स्किन सॉफ्ट और शाइनी भी नजर आती है। यहां जानिए जौ का उपयोग कैसे करें?1. ऑयली स्किन वालों को जौ का उबटन बनाने के लिए 3 चम्मच जौ के आटे में एक चौथाई छोटी चम्मच मुलेठी पाउडर, चुटकीभर हल्दी और जरूरत अनुसार दूध मिलाना होगा। सभी सामग्री को मिक्स करके उबटन का पेस्ट तैयार करें और फिर इस पेस्ट को 15 मिनट के लिए रख दें। 15 मिनट के बाद जौ के इस उबटन का इस्तेमाल आप अपने हाथों, पैरों और चेहरे पर कर सकते हैं। सभी जगहों पर उबटन लगाने के बाद हाथों से त्वचा की मसाज करें और अगर आपको लगे कि स्किन ड्राई हो रही है तो बीच-बीच में हथेली पर दूध लगाकर उबटनकरें। 5 से 10 मिनट उबटन करने के बाद स्किन से हल्के हाथों से रगड़ते हुए उबटन को साफ करें। जब आप इस तरह से जौ के उबटन का इस्तेमाल करेंगें तो धूप के कारण हुई टैनिंग से भी छुटकारा मिल सकता है।2. ड्राई स्किन वालों को जौ का उबटन बनाने के लिए 3 चम्मच जौ के आटे के साथ बादाम के तेल की 4 बूंदें, चुटकीभर हल्दी और कच्चा दूध चाहिए होगा। सभी चीजों को मिक्स करके उबटन का पेस्ट तैयार करें और फिर जौ के इस उबटन को 15 मिनट के लिए रख दें। समय पूरा होने पर इस उबटन को स्किन पर लगाएं और फिर हल्के हाथों से मसाज करें। जौ का उबटन शरीर पर मौजूद अनचाहे बालों को हटाने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा जौ का उबटन टैनिंग के कारण खराब हुई स्किन टोन को भी सही करने में सहायक हो सकता है। इस उबटन के इस्तेमाल से न सिर्फ त्वचा पर निखार आता है बल्कि अनचाहे बाल भी कम हो सकते हैं।जौ का उबटन आपकी स्किन को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपको स्किन से जुड़ी समस्याएं रहती हैं तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस उबटन का इस्तेमाल करें।
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शरीर को ताकत देने और सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न विटामिन्स और मिनरल्स की आवश्कता होती है। अक्सर लोग पोषक तत्वों में कमी और खराब लाइफस्टाइल के कारण शरीर में कई तरह के लक्षण नजर आते हैं जैसे शरीर में दर्द, नींद में कमी और पाचन से जुड़ी समस्याएं। बहुत से लोग इन समस्याओं को लंबे समय तक इग्नोर कर देते हैं, जिस कारण आगे चलकर ये समस्या बढ़ती चली जाती है। ऐसे में अगर आपके शरीर में लगातार कई समस्याएं रहती है, तो इसका कारण हो सकता हैं कि शरीर में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी हो सकती हैं।
1. मसल्स क्रैंप
शरीर में कई बार लंबे समय तक मसल्स क्रैंप, नींद न आना और पीरियड्स के समय ज्यादा दर्द होना शरीर में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण हो सकते हैं। मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में साबुत अनाज, हरी सब्जियां और नट्स का सेवन किया जा सकता है। साथ ही इसकी पूर्ति के लिए डॉक्टर से पूछकर सप्लिमेंट का सेवन भी कर सकते हैं।2. नाखूनों पर सफेद दागनाखूनों पर लंबे समय दाग और जल्दी-जल्दी बीमार होना शरीर में जिंक की कमी के लक्षण हो सकते हैं। जिंक की कमी होने पर आप जल्दी बीमार पड़ते है और शरीर की इम्यूनिटी भी कमजोर हो जाती हैं। शरीर में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए इसका सप्लिमेंट के साथ सीड्स और डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें।3. बालों का झड़नाबहुत से लोग बालों को झड़ना काफी आम समझते है। लेकिन लंबे समय तकहेयरफॉल के साथ चक्कर आना और मिट्टी खाने की इच्छा होना शरीर में आयरन की कमी के लक्षण हो सकते हैं। इस प्रकार की समस्या होने पर जल्दी से डॉक्टर को दिखाकर जांच करवाएं और खजूर, अंजीर, किशमिश और काले तिल का सेवन किया जा सकता हैं।4. थकानशरीर में हरदम थकान और कमजोरी रहना भी विटामिन्स की कमी के कारण हो सकता है। अगर आप भी सुबह सोकर उठने के बाद ही थकान महसूस करते हैं और इसके साथ मूड स्विंग्स भी होते रहते हैं, तो ये लक्षण शरीर में विटामिन बी की कमी के कारण हो सकते हैं। इस विटामिन की पूर्ति के लिए अंडे, मछली, नट्स और साबुत अनाज का सेवन किया जा सकता हैं।शरीर में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी होने पर इस तरह के लक्षण नजर आते हैं। हालांकि, शरीर में लक्षण आने पर एक बार डॉक्टर को अवश्य दिखाएं। -
भारत में डायबिटीज की बीमारी तेजी से फैल रही है। लगभग हर उम्र के लोग इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। मधुमेह, जिसे आम भाषा में डायबिटीज कहा जाता है, एक ऐसा रोग है जो खराब खानपान और बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण हो सकता है।डायबिटीज के मरीज अगर अपने खानपान में सुधार नहीं करते हैं तो इससे उनके शरीर में ब्लड शुगर लेवल बिगड़ सकता है, जिससे कई और समस्याएं हो सकती हैं। डायबिटीज का अब तक कोई परमानेंट इलाज नहीं है लेकिन इस गंभीर बीमारी को लाइफस्टाइल में बदलाव करके और सही खानपान के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है। इस लेख में आईए जानते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को कौन-से आटे की रोटियां खानी चाहिए?
राजगिरा आटा - Rajgira/Amaranth Flourराजगिरा का इस्तेमाल कई घरों में व्रत के दौरान किया जाता है। राजगिरा को रामदाना (Ramdana) और अमरंथ (Amaranth) भी कहा जाता है। राजगिरा का आटा डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले राजगिरा के आटे में कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा होती है, ऐसे में यह आटा शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। राजगिरा के आटे से रोटी, चीला आदि बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा इससे बने दलिया और लड्डू भी हेल्दी और स्वादिष्ट होते हैं।रागी आटा -रागी को मंडुआ भी कहा जाता है, इसके आटे (mandua ka atta) की रोटी डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। पहाड़ों पर रागी का इस्तेमाल खाने में कई अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। रागी में कैल्शियम और आयरन के साथ फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है। इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और भूख कम लगती है। रागी के आटे से रोटी के अलावा डोसा, चीला और लड्डू भी बनाए जा सकते हैं। डायबिटीज के मरीज शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए रागी के आटे को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं, इससे उन्हें अनेक फायदे मिल सकते हैं।जौ आटा -डायबिटीज के रोगियों को ब्लड शुगर लेवल के साथ अपने वजन को भी कंट्रोल में रखना होता है, ऐसे में जौ का आटा उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, आयरन, मैग्नीशियम के साथ कैल्शियन और प्रोटीन से भरपूर जौ का आटा डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। जौ में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जिससे लंबे समय तक पेट भरा रहता है। वजन कंट्रोल करने के लिए भी जौ का आटा फायदा कर सकता है। -
सुबह का नाश्ता हमारा पहला मील होता है। इसलिए यह हैवी और हेल्दी दोनों होना जरूरी है। अगर आप नाश्ते में तला-भूना या मसालेदार खाते हैं, तो इस कारण आपका पाचन तंत्र खराब हो सकता है। साथ ही, इससे आपको एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। कुछ लोग नाश्ते में दही या छाछ का सेवन करते हैं। इससे खाना अच्छे से पचता है साथ ही पेट के गुड बैक्टीरिया को फायदा मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं सुबह के समय इनमें से क्या ज्यादा फायदेमंद हैं?
एक्सपर्ट के मुताबिक सेहत के लिए दही और छाछ दोनों ही फायदेमंद हैं। लेकिन स्वास्थ्य लाभों के लिए आपको इन चीजों पर ध्यान देना चाहिए।वजन घटाने के लिए-अगर आप वेट लॉस डाइट पर हैं, तो आपको छाछ का सेवन करना चाहिए। क्योंकि पतला होने के कारण इसमें फैट्स और कैलोरी कम होती है। इसके सेवन से आपको जल्द वजन घटाने में भी मदद मिलती है। इसलिए आप अपने किसी भी मील के साथ छाछ शामिल कर सकते हैं। इसके सेवन से आपको जल्दी भूख भी नहीं लगती है।पोषक तत्वों के लिए-पोषक तत्वों की बात की जाए, तो दही में छाछ से ज्यादा न्यूट्रिएंट्स होते हैं। इसमें एंटी-बैक्टीरियल, कैल्शियम और प्रोबायोटिक्स भी होते हैं। साथ ही इसके सेवन से शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व भी मिल पाते हैं।पाचन तंत्र स्वस्थ रखने के लिए-अगर आपकोपाचन सम्बन्धित समस्याएं रहती हैं, तो दही आपके लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। इसमें माइक्रोन्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।हाइड्रेशन मेंटेन रखने के लिए-अगर आपको बॉडी में हाइड्रेशन मेंटेन करनी है, तो आप छाछ का सेवन कर सकते हैं। इसमें हाइड्रेटिंग गुण होने के साथ इलेक्ट्रोलाइट्स भी मौजूद होते हैं। ये बॉडी को हाइड्रेट करने और एक्टिव रखने में भी मदद करते हैं।कब्ज की समस्या में-अगर आपको कब्ज या एसिडिटी की समस्या रहती हैं, तो आप दही में अलसी पाउडर डालकर ले सकते हैं। इसके अलावा, छाछ में आप भूना जीरा और छाछ मिलाकर भी ले सकते हैं। ये दोनों चीजें ही पाचन को स्वस्थ रखने में मदद करती हैं।इन बातों का रखें ध्यानअगर आप रोज इनका सेवन करते हैं, तो ध्यान रखें कि आप ताजा ही दही और छाछ का विकल्प ही चुनें।अगर आपको इनके सेवन से कोई भी परेशानी होती है, तो तुरंत इनका सेवन करना रोक दें।अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या के लिए दवा लेते हैं, तो आपको इनके सेवन से पहले डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। -
50 साल के बाद धीरे-धीरे शरीर के जोडों मे से लुब्रीकेन्ट्स एवं केल्शियम बनना कम हो जाता है। जिसके कारण जोडों का दर्द ,गैप, केल्शियम की कमी, वगैरा प्रोब्लेम्स सामने आते है, जिसके चलते आधुनिक चिकित्सा आपको जोइन्ट्स रिप्लेस करने की सलाह देते हैं, तो कई आर्थिक रुप से सधन लोग यह मानते है कि हमारे पास तो बहुत पैसे हैं तो घुटनां चेंज करवा लेते है। किंतु क्या आपको पता है जो चीज कुदरत ने हमे दी है वो आधुनिक विज्ञान या तो कोई भी साइंस नही बनां सकती। आप कृत्रिम जॉइन्ट फिट करवा कर थोडे समय २-४ साल तक ठीक हो सकते हैं। लेकिन बाद मे आपको बहुत ही तकलीफ होगी।
जॉइन्ट रिप्लेसमेंट का सटीक इलाज आज में आपको बता रहा हूँ । वो आप नोट कर लीजिये और हां ऐसे हजारों जरुरतमंद लोगो तक पहुचाये जो रिप्लेसमेंट के लाखो रुपये खर्च करने मे असमर्थ हैं।*बबूल* नामके वृक्ष को आपने जरुर देखा होगा। यह भारत मे हर जगह बिना लगाये ही अपने आप खडा़ हो जाता है । अगर यह बबूल नाम का वृक्ष अमेरिका या तो विदेशाें मे इतनी मात्रा मे होता तो आज वही लोग इनकी दवाई बनाकर हमसे हजारों रुपये लूटते । लेकिन भारत के लोगों को जो चीज मुफ्त मे मिलती है उनकी कोइ कदर नही है।प्रयोग इस प्रकार करना है★ *बबूल* के पेड़ पर जो फली ( फल) आती है उसको तोड़कर लाये । अथवा तो आपको शहर मे नही मिल रहे तो किसी गांव जाये वहा जितने चाहिये उतने मिल जायेगें, उसको सुखाकर पाउडर बना लें। और *सुबह १ चम्मच* की मात्रा में गुनगुने पानी से खाने के बाद, केवल 2-3 महिने सेवन करने से आपके घुटने का दर्द बिल्कुल ठीक हो जायेगा। आपको घुटने बदलने की जरुरत नही पड़ेगी। - ओट्स में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे सोडियम, पोटेशियम, आयरन, फाइबर और कैल्शियम। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है। ऐसे में इसके सेवन से वजन कम करने में मदद मिलती है। ओट्स स्वादिष्ट लगने के साथ झटपट बन भी जाता है। इसमें मौजूद फाइबर कब्ज और गैस की समस्या से राहत देता है। वहीं यह हड्डियों को मजबूत बनाने के साथ शरीर की कमजोरी को दूर करता हैं। अक्सर लोग ओट्स को प्लेन ही खाते हैं। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे फूड्स के बारे में बताने जा रहे, जिनको ओट्स में एड करने से ओट्स की पौष्टिकता बढ़ जाएगी और इनके सेवन से आप ओवरइटिंग से भी बचेंगे। आइए जानते हैं ओट्स को हेल्दी बनाने के लिए उसमें क्या मिक्स करें......चिया सीड्सओट्स को बनाने के लिए ओट्स के साछ चिया सीड्स को भी शामिल किया जा सकता है। चिया सीड्स में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और आयरन पाया जाता है। ओट्स में इसको मिलाकर खाने से ओवर इटिंग से राहत मिलती है और कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।योगर्टओट्स को योगर्ट के साथ भी मिलाकर खाया जा सकता है। योगर्ट के सेवन से पाचन-तंत्र हेल्दी रहने के साथ कब्ज, गैस और एसिडिटी से राहत मिलती है। ओट्स में योगर्ट को मिलाकर ब्रेकफास्ट में खाने से शरीर को एनर्जी मिलने के साथ बैली फैट भी कम होता है।फ्लैक्स सीड्सपोषक तत्वों से भरपूर फ्लैक्स सीड्स शरीर के लिए फायदेमंद होता है। फ्लैक्स सीड्स में सोडियम, पोटेशियम, आयरन, प्रोटीन और विटामिन सी पाया जाता हैं। इसके सेवन से शरीर की कमजोरी दूर होने के साथ हार्ट संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं। ब्रेकफास्ट में ओट्स में फ्लैक्स सीड्स का पाउडर मिलाकर खाने से वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती हैं।बेरीजओट्स को हेल्दी और टेस्टी बनाने के लिए ओट्स में बैरीज को एड करना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। बेरीज पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। इसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन और विटामिन सी पाया जाता हैं। ओट्स में क्रैनबेरी और ब्लूबेरी को शामिल किया जा सकता हैं। डायबिटीज के मरीज भी ओट्स में इसको मिलाकर खा सकते हैं। बेरीज के सेवन से त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याएं भी कम होती हैं।ओट्स को हेल्दी बनाने के लिए इन चीजों को मिक्स करके खाया जा सकता है। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से पूछकर ही इन चीजों का सेवन करें।
- स्प्राउट्स और कच्चा आम सेहत का खजाना होते है। इन दोनों में ही कई तरह के विटामिन, मिनरल्स, फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। गर्मियों में जब बात हेल्दी और लाइट नाश्ते की आए, तो सलाद को बेस्ट ऑप्शन माना जाता है। नाश्ते में सलाद का सेवन करना दिन की शुरुआत करने का स्वादिष्ट और बेहतरीन तरीका हो सकता है। चने, मूंग, गेहूं, मेथी और हरी सब्जियों को मिलाकर बनाए जाने वाले कई सलाह अब तक आपने खाएं होंगे। लेकिन आज हम आपको स्प्राउट्स और कच्चे आम के सलाद की रेसिपी बताने जा रहे हैं। गर्मियों में आने वाला कच्चा आम स्वाद में लाजवाब होता है और जब इसका सलाद (Sprouts बनता है, तो बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक झट से इसे खत्म कर देते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।स्प्राउट्स और कच्चे आम का सलाद खाने के फायदेवजन घटाने में करता है मददवेटलॉस कोच निधि की मानें तो स्प्राउट्स और कच्चे आम का सलाद खाने से वजन घटाने में मदद मिलती है। इस सलाद में लो कैलोरी और हाई फाइबर होता है। फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करवाता है, जिससे आप छोटे-छोटे स्नैक्स खाने से बचते हैं और वजन घटाने में मदद मिलती है। 100 ग्राम स्प्राउट्स और कच्चे आम के सलाद में लगभग 300 कैलोरी होती है। जिसकी वजह से भी यह वेट लॉस में मददगार है।डायबिटीज में है फायदेमंदस्प्राउट्स और कच्चे आम का सलाह डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि इस सलाद के एंटी-इंफ्लेमेटरी और विटामिन सी गुण शरीर में इंसुलिन को मैनेज करने में मदद करते हैं। जिन लोगों का अचानक से ब्लड शुगर कम हो जाता है, उन्हें रोजाना स्प्राउट्स और कच्चे आम का सलाद खाना चाहिए।शरीर को रखता है एनर्जेटिकइस स्प्राउट्स में विभिन्न प्रकार के विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक माने जाते हैं। इसमें विटामिन ए, बी, सी और ई जैसे पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जिसकी वजह से इसका सेवन करने से शरीर को एनर्जी मिलती है। गर्मी में जो लोग अक्सर ही थकावट महसूस करते हैं, उनके लिए यह सलाद काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।डिहाइड्रेशन को रोकने में मददगारगर्मियों में कम पानी पीने की वजह से लोगों को डिहाइड्रेशन की प्रॉब्लम होने लगती है। डिहाइड्रेशन से बचाने में भी यह सलाद काफी मददगार साबित होते हैं। इसमें पर्याप्त मात्रा में पानी, विटामिन सी और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो शरीर में पानी की कमी का पूरा करते हैं।स्प्राउट्स और कच्चे आम का सलाद की रेसिपीसामग्री की लिस्टमूंग, चना के स्प्राउट्स - 1 बड़ा बाउलकच्चा आम- 1 बड़ा पीसकटे हुए टमाटर - 2 चम्मचकटा हुआ खीरा - 2 चम्मचकटा हुआ प्याज - 1 चम्मचऑलिव ऑयल- 1 चम्मचनींबू और नमक - स्वादानुसारबनाने का तरीकासबसे पहले मूंग और चने के स्प्राउट्स को एक बड़े बाउल में निकाल लीजिए। इसके बाद कच्चे आम को छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लीजिए।कच्चे आम के टुकड़े, कटा हुआ खीरा, प्याज और टमाटर स्प्राउट्स में मिलाएं। जब सभी चीजें मिक्स हो जाए, तो सलाद ही ड्रेसिंग के लिए ऑलिव ऑयल, नमक और नींबू डालें।आपका स्प्राउट्स और कच्चे आम का सलाद तैयार हो चुका है। एक्सपर्ट का कहना है कि आप इस सलाद को सुबह नाश्ते या इवनिंग स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं।गर्मियों में स्प्राउट और कच्चे आम के सलाद को आसानी से खाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।
- खानपान में गड़बड़ी और लाइफस्टाइल से जुड़ी गलत आदतों की वजह से दुनियाभर में हार्ट के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। दिल को स्वस्थ और बीमारियों से मुक्त रखने के लिए डाइट में हेल्दी चीजों को शामिल करना चाहिए। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं 5 ऐसे सीड्स के बारे में, जो हार्ट को हेल्दी रखने और बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।हार्ट को हेल्दी और बीमारियों से बचाने के लिए खाएं ये सीड्स-1. चिया सीड्स-चिया सीड्स का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इनमें मौजूद गुण और पोषक तत्व दिल को हेल्दी रखने और बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। चिया सीड्स में फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट और ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा होती है, जो हार्ट के लिए बहुत जरूरी होते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से हार्ट को हेल्दी रखने में मदद मिलती है।2. अलसी के बीजअलसी के बीज या फ्लैक्स सीड्स हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और अल्फा लिनोलेनिक एसिड की अच्छी मात्रा पायी जाती है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करने में मदद मिलती है। यही नहीं अलसी के बीज का सेवन करने से धमनियों में सूजन से भी बचाव होता है।3. सूरजमुखी के बीजसूरजमुखी के बीज अनेकों पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा सूरजमुखी के बीज में पॉलीसैचुरेटेड फैटी एसिड, विटामिन और फ्लेवोनॉइड जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं, जो दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने और हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करते हैं।4. तिल के बीजतिल के बीज का सेवन करने शरीर को स्वस्थ रखने के साथ हार्ट को बीमारियों से बचाने में भी मदद मिलती है। इसमें ओलिक एसिड की पर्याप्त मात्रा होती है, जो कोलेस्ट्रॉल को बढऩे से रोकने में मदद करते हैं और शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिलती है।5. कलौंजी के बीजकलौंजी के बीज में आयरन, सोडियम, फाइबर, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से हार्ट को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, कलौंजी के बीज में प्रोटीन और अमीनो एसिड भी पाया जाता है, जो हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करता है।इसके अलावा नियमित रूप से ताजे फल, हरी सब्जियों का भी सेवन करना चाहिए। स्मोकिंग और शराब का सेवन न करने से हार्ट की बीमारियों का खतरा काफी कम होता है। हार्ट को हेल्दी रखने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज जरूर करें।
- यूरिक एसिड हमारे खून में मौजूद एक केमिकल है जो खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद निर्मित होता है। शरीर में इसका निर्माण प्यूरीन मटर, पालक, मशरूम, सेम, चिकन आदि खाने से होता है। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण जोड़ों में दर्द, हड्डियों से जुड़ी परेशानी और जोड़ों में सूजन का खतरा रहता है। शरीर में बढ़े यूरिक एसिड को कम करने के लिए लोग तमाम तरह के उपाय अपनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, नींबू और शहद का सेवन शरीर में बढ़े यूरिक एसिड को कम करने में मदद करते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, शरीर में बढ़े यूरिक एसिड को कम करने के लिए नींबू और शहद के फायदे।हाई यूरिक एसिड में नींबू और शहद खाने के फायदेशरीर में जब प्यूरीन की मात्रा बढ़ जाती है तो किडनी से यूरिक एसिड सही ढंग से फिल्टर नहीं हो पाता है जिसकी वजह से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "शरीर में बढ़े यूरिक एसिड को कम करने के लिए नींबू और शहद का एक साथ सेवन बहुत फायदेमंद होता है। नींबू में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, साइट्रिक एसिड, विटामिन सी शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इसके अलावा शहद में भी एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने और यूरिक एसिड को फिल्टर करने में मदद करते हैं।"यूरिक एसिड में नींबू और शहद के फायदे इस तरह से हैं--यूरिक एसिड की मात्रा कम करना- नींबू और शहद में मौजूद विटामिन सी, साइट्रिक एसिड यूरिक एसिड की मात्रा को कम कम करने में मदद करते हैं।-एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण- शहद के एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी यूरिक एसिड को कम करने में मदद कर सकते हैं और यूरिक एसिड के निर्माण को रोक सकते हैं।कैसे करें नींबू और शहद का सेवन?1. नींबू पानी- रोजाना सुबह गर्म पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीने से यूरिक एसिड की मात्रा को कम किया जा सकता है।2. नींबू और शहद की चाय- नींबू का रस और शहद को चाय के रूप में पिया जा सकता है। यह एक स्वादिष्ट और स्वस्थ विकल्प हो सकता है जो यूरिक एसिड को कम करने में मदद कर सकता है।3. नींबू का रस और शहद का मिश्रण- एक चमच नींबू का रस और दो चमच शहद को गर्म पानी में मिलाकर पीने से भी यूरिक एसिड की मात्रा को कम किया जा सकता है।शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर आपको खानपान और जीवनशैली में सुधार जरूर करना चाहिए। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर प्यूरीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे फूड्स जिनमें प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है उसका सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए।
- सुबह के समय हर किसी को नाश्ता बनाने् की जल्दी होती है। ऐसे में पोहा बनाने से बेहतर क्या हो सकता है? यह स्वादिष्ट होने के साथ हेल्दी भी होता है। साथ ही, इसे कम लागत में जल्दी तैयार किया जा सकता है। कई लोग अपनी डेली डाइट में पोहे का सेवन जरूर करते हैं। लेकिन क्या हो अगर आप इसे रोज इसे गलत तरीके से बना रहे हो? इससे यह फायदे की जगह शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आइए इस लेख के माध्यम से जानें पोहा को हेल्दी बनाने के लिए कुछ टिप्स।पोहा हेल्दी बनाने के लिए अपनाएं ये खास टिप्सपोहे में प्रोटीन एड करेंपोहा हल्का होने के कारण आपको इसके सेवन से जल्दी भूख लग सकती है। इसलिए पोहा बनाते वक्त इसमें थोड़ा प्रोटीन एड करें। प्रोटीन बढ़ाने के लिए आप इसमें कद्दुकस किया हुआ पनीर, टोफू या स्प्राउट्स मिला सकते हैं। प्रोटीन बढ़ाने से आपको इसके सेवन से काफी देर तक भूख नहीं लगेगी। साथ ही, आपको नाश्ते में प्रोटीन की अच्छी मात्रा मिलेगी।नमक और चीनी कम रखेंअगर आप भी पोहा में नमक और मीठा ज्यादा लेते हैं, तो यह आपको फायदा नहीं करेगा। इससे आपको कब्ज, गैस या अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए पोहा बनाते वक्त इसमें नमक और मिठास कम ही रखें। हेल्दी ऑप्शन के लिए आप सेंधा नमक और मिठास के लिए शहद ले सकते हैं। इससे इसका स्वाद और पोषक तत्व दोनों बने रहेंगे।ज्यादा सब्जी डालें-पोहे को हेल्दी बनाने के लिए इसमें ज्यादा से ज्यादा सब्जी एड करें। सब्जियों में फाइबर होता है, जिससे इसके सेवन से आपको कब्ज, एसिडिटी या अपच जैसी समस्याएं नहीं होंगी। पोहा बनाने के लिए आप इसमें अपनी पसंद की कितनी भी सब्जियां एड कर सकते हैं।नट्स डालें-पोहे में नट्स डालने से आपको हेल्दी फैट्स भी मिलेंगे। इसलिए पोहा बनने के बाद आप इसमें भूने हुए काजू, बादाम और मूंगफली डाल सकते हैं। इससे आपको पोषक तत्वों की मात्रा भी अधिक मिलेगी।हेल्दी कूकिंग ऑयल इस्तेमाल करेंज्यादातर लोगों को पता नहीं होता कि पोहा बनाने के लिए कौन-सा तेल इस्तेमाल करना चाहिए। अगर तेल इस्तेमाल करने से आपको इसके पोषक तत्व नहीं मिलेंगे। इसलिए पोहा बनाने के लिए सरसों का तेल, नारियल तेल या ऑलिव ऑयल ही इस्तेमाल करें। इसके अलावा, पोहा बनाते वक्त कम से कम तेल ही इस्तेमाल करें।पोहा में नींबू भी डालेंपोहा बनाते वक्त इसमें नींबू का रस डालने से स्वाद बढ़ जाता है। इससे आपको विटामिन-सी भी भरपूर मिलता है। इसलिए पोहा में खट्टा-मीठा स्वाद लाने के लिए आप नींबू का रस डाल सकते हैं। लेकिन अगर आप चाय-कॉफी के साथ पोहा खा रहे हैं, तो इसमें नींबू एड न करें।
- ऐसे बहुत से फूड्स हैं, जो स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। बहुत से लोग चटनी खाने के शौकीन होते हैं। बाजार में बिकने वाली चटनी खाने के बजाय घर पर चटनी बनाकर खाना ज्यादा हेल्दी विकल्प होता है। इसके लिए आप अमरूद और सोया से बनी चटनी खा सकते हैं। इसे खाने से डायबिटीज से राहत मिलने के साथ ही वेट लॉस में भी मदद मिलती है।सामाग्रियांअमरूद और सोया की चटनी बनाने के लिए आपको कुछ सामाग्रियां लेनी हैं। इसके लिए आपको सोया की पत्तियां लेनी हैं और इसके नीचे के हिस्से को तोड़ लेना है। इसके लिए आपको एक अमरूद लेना है और इसके बीजों को निकालना है। अब 4 से 5 लहसुन और अदरक का छोटा सा टुकड़ा लेना है। इसके बाद इन सभी के उपर हल्का सा काला नमक, नींबू और हरी मिर्च डालें। इसके साथ ही आपको इसमें एक टमाटर काटकर भी डालना है। अब आपको इन सभी सामाग्रियों को मिक्सर में डालना है और इन्हें पीसना है। लीजिए आपकी चटनी बनकर तैयार है।अमरूद सोया की चटनी खाने के फायदे-अमरूद और सोया की चटनी खाना कई तरीकों से फायदेमंद साबित होती है।-इसे खाने से पाचन तंत्र बेहतर रहता है और पाचन शक्ति भी बढ़ती है।-अगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो भी इस चटनी को खा सकते हैं।-इसे खाने से डायबिटीज कंट्रोल रहने के साथ ही फ्री रेडिकल डैमेज से छुटकारा मिलता है।-यह हा्र्मोनल इंबैलेंस को ठीक रखने के साथ ही साथ रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से भी राहत दिलाता है।पोषक तत्वों से होती है भरपूरअमरूद और सोय की चटनी को एकसाथ मिलाकर खाने से शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं। इसमें विटामिन डी, ए, और विटामिन सी के साथ ही कॉपर की भी कमी पूरी होती है। इस चटनी में डायट्री फाइबर, जिंक और मैग्नीशियम पाया जाता है। इसमें पोटैशियम, फोलेट और राइबोफ्लेविन नामक पोषक तत्व की भी आपूर्ति होती है।
- हमारे शरीर के सभी अंग ठीक तरीके से काम करते रहें इसके लिए जरूरी है कि आहार के माध्यम से आप नियमित रूप से पौष्टिक चीजों का सेवन करें। अध्ययनकर्ता बताते हैं, भारतीय आहार में शरीर के लिए जरूरी लगभग सभी प्रकार के पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, मतलब आप अगर डाइट को ठीक रख लेते हैं तो ये कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से सुरक्षा देने वाला कारगर तरीका हो सकता है। आहार में सुधार करके हृदय रोग-डायबिटीज सहित कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी खतरा कम कर सकते हैं।डाइटीशियन कहते हैं, हम सभी तमाम प्रकार के विटामिन्स और अन्य पोषक तत्वों की तो चर्चा कर लेते हैं, पर ब्रोमेलैन एंजाइम और इससे होने वाले फायदों से ज्यादातर लोग अनजान हैं। शरीर की इंफ्लामेटरी समस्याओं को ठीक करने लिए कई शोध में इसके लाभ का जिक्र मिलता है।ब्रोमेलैन से पाचन में लाभअध्ययनों में पाया गया है कि अनानास, ब्रोमेलैन का एकमात्र ज्ञात खाद्य स्रोत है। ये प्रोटीन को पचाने वाले महत्वपूर्ण एंजाइमों में से है। आपके शरीर में, ब्रोमेलैन भोजन को पचाने और उसे अवशोषित करना आसान बनाता है। इतना ही नहीं शरीर में होने वाली इंफ्लामेटरी समस्याओं के लिए भी ब्रोमेलैन को बहुत फायदेमंद माना जाता है। ज्यादातर क्रोनिक बीमारियों के लिए इंफ्लामेशन को प्रमुख कारण माना जाता है, ब्रोमेलैन इन दिक्कतों को कम कर सकता है।कई प्रकार की दवाओं में होता है इसका इस्तेमालशोधकर्ता बताते हैं, ब्रोमेलैन का उपयोग अक्सर टेंडिनिटिस (मांसपेशियों की समस्या) मोच और खिंचाव और अन्य छोटी मांसपेशियों की चोट से होने वाली सूजन को कम करने के लिए किया जाता रहा है। दांत, नाक और पैर की सर्जरी कराने वाले लोगों के अध्ययन में पाया गया कि ब्रोमेलैन से सूजन कम करने में लाभ पाया जा सकता है। यूरोप में, ब्रोमेलैन का उपयोग कान, नाक और गले की सर्जरी या आघात के इलाज के लिए किया जाता है। अनानास को आहार का हिस्सा बनाकर इससे संबंधित कई तरह के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।जोड़ों की समस्या से परेशान लोगों के लिए लाभकारीशोध में पाया गया है कि आहार में अनानास को शामिल करके आर्थराइटिस जैसे जोड़ों के दर्द-सूजन की समस्या में विशेष लाभ मिल सकता है। ब्रोमेलैन सूजन को कम करता है, इसे ऑस्टियोआर्थराइटिस से परेशान लोगों के लिए भी फायदेमंद पाया गया है। दर्द से राहत पाने और जोड़ों के कार्य में सुधार करने के लिए अनानास के सेवन को बहुत फायदेमंद हो सकता है। अनानास में मैंगनीज भी होता है जो हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है।मैगनीज भी हड्डियों के लिए जरूरीअनानास को जिन पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है, मैगनीज भी उनमें से एक है। भोजन के मेटाबॉलिज्म से लेकर, रक्त का थक्का बनाने और हड्डियों को स्वस्थ रखने में इस खनिज की आवश्यक भूमिका होती है। एक कप अनानास से आपकी प्रतिदिन की आवश्यकता का आधे से अधिक मैंगनीज प्राप्त हो सकता है। मैगनीज हड्डियों के घनत्व को ठीक रखने, इसे मजबूती देने के लिए भी आवश्यक पोषक तत्व माना जाता है।
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शरीर को उर्जा प्रदान करने में ग्लूकोज़ का अहम रोल होता है। ग्लूकोज़ की संतुलित मात्रा का होना हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है। ग्लूकोज़ को शुगर भी कहा जाता है। यह एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसके साथ मोनोसेकेराइड फ्रक्टोज (Monosaccharide Fructose), गैलेक्टोज (Galactose) और राइबोज (Ribose) भी पाए जाते हैं। हमारे शरीर को मिलने वाली उर्जा का सबसे अहम स्रोत ग्लूकोज़ होता है। ग्लूकोज़ शरीर में कार्बोहाइड्रेट के रूप में जाता है जिसके बाद हमारे शरीर का पाचन तंत्र इसे ग्लूकोज़ के रूप में ब्लड तक पहुंचाता है। इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि हमारे शरीर में ग्लूकोज़ का क्या काम है? शरीर में ग्लूकोज़ कैसे बनता है? स्वस्थ शरीर के लिए ग्लूकोज़ की कितनी मात्रा जरुरी है? ग्लूकोज़ की कमी से किस प्रकार की दिक्कतें हो सकती हैं और शरीर में इसका स्तर बढ़ने से क्या समस्याएं जन्म लेती हैं?
शरीर में ग्लूकोज का कामजैसा कि आप जानते हैं कि शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए इसे एनर्जी की आवश्यकता होती है। शरीर को हेल्दी रखने के लिए ब्लड शुगर यानि ग्लूकोज़ का स्तर संतुलित होना बेहद जरुरी होता है। हम जब कार्बोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो शरीर का पाचन तंत्र इंसुलिन की सहायता से ग्लूकोज़ बनाता है और इसे खून में भेज देता है। शरीर में ब्लड शुगर (ग्लूकोज़) ही हमें हमेशा उर्जावान बनाये रखने में मदद करता है। शरीर को उर्जावान बनाये रखने के अलावा ग्लूकोज़ का उपयोग शरीर में कई अन्य मॉलिक्यूल्स के निर्माण में भी होता है। ग्लाइकोप्रोटीन कोलेजन जैसे मॉलिक्यूल्स के निर्माण में भी ग्लूकोज़ का उपयोग हमारा शरीर करता है। हमारे शरीर में ग्लूकोज़ के कई प्रकार के ट्रांसपोर्टर्स होते हैं जिन्हें सोडियम-निर्भर ट्रांसपोर्टर्स (SGLTs) और सोडियम-इंडिपेंडेंट ट्रांसपोर्टर्स (GLUT) के नाम से जाना जाता है। इनका काम शरीर के अलग-अलग अंगों तक ग्लूकोज़ को पहुंचाना होता है। शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा कम या अधिक होने पर कई प्रकार की बीमारियां भी होने लगती हैं।हमारे शरीर में ग्लूकोज़ के कुछ प्रमुख काम इस प्रकार हैं--कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म (Carbohydrate Metabolism)- कार्बोहाइड्रेट में ग्लूकोज़, फ्रक्टोज और गैलेक्टोज पाए जाते हैं। इसमें ग्लूकोज का स्तर लगभग 80 प्रतिशत होता है। कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म को संतुलित बनाये रखने में ग्लूकोज़ की अहम भूमिका होती है।-एनर्जी और स्टेमिना (Energy and Stamina)- शरीर में एनर्जी और स्टेमिना बनाये रखने के लिए ग्लूकोज़ यानि कि ब्लड शुगर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ग्लाइकोजिन की मांशपेशियों में मौजूदगी हमारे शरीर की स्टेमिना को बनाये रखती है।-हार्ट (Heart)- शरीर की तमाम आवश्यक प्रक्रियाओं जैसे हृदयगति, श्वसन प्रणाली को सुचारु रूप से काम करने के लिए ग्लूकोज़ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।-शरीर का तामपान (Body Temperature)- मांशपेशियों में पाया जाने वाला ग्लाइकोजिन शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। इसकी मौजूदगी शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखती है।-यकृत (Kidney)- किडनी का ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित करने में अहम रोल होता है। ग्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित रखने के साथ ही यह ग्लूकोज़ की संतुलित मात्रा होने पर सही तरीके से काम करता है।कैसे बनता है शरीर में ग्लूकोज़ (Glucose Production in Body)शरीर में ग्लूकोज़ कार्बोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा वाले पदार्थों के सेवन से बनता है। जब हम इस प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो हमारा शरीर इसे पचा कर ग्लूकोज़ के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करता है। हमारे पेट में मौजूद एसिड की सहायता से पाचन तंत्र भोजन से स्टार्च और शुगर को ग्लूकोज़ में परिवर्तित करने का काम करता है। आंतों द्वारा इसे अवशोषित कर ब्लड में भेजा जाता है जिसके बाद यह शरीर के सभी अंगों में पहुंचता है।स्वस्थ शरीर में ग्लूकोज़ की सही मात्राशरीर में ब्लड शुगर या ग्लूकोज़ का स्तर सामान्य, अधिक या कम हो सकता है। हमारे शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर कई चीजों पर निर्भर करता है, ग्लूकोज़ के स्तर या शरीर में उसकी मात्रा हमारे खानपान पर निर्भर करती है। सामान्य रूप से स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर 90 to 130 mg/dL होना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि शरीर में ग्लूकोज़ का स्तर 140 mg/dL (7.8 mmol/L) से कम होना सामान्य माना जाता है। बॉडी में ग्लूकोज़ का स्तर कई वजह से कम या ज्यादा हो सकता है लेकिन इसका लगातार कम या ज्यादा हो जाना कई बीमारियों को जन्म देने वाला होता है। सामान्य रूप से शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा इन कारणों से प्रभावित हो सकती हैअसंतुलित भोजनशारीरिक गतिविधिदवाएंउम्रतनावपानी की कमीबीमारी का होनामासिक धर्मशराब का सेवनशरीर में ग्लूकोज़ की कमी से होने वाली समस्याएंशरीर में ग्लूकोज़ की कमी की स्थिति को हाइपोग्लाइकेमिया (hypoglycaemia) कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर ज्यादा खतरनाक मानी जाती है। हाइपोग्लाइकेमिया अधिकतर पहले से डायबिटीज से पीड़ित लोगों को ही होता है।ब्लड शुगर या ग्लूकोज़ के कम होने के कारणदवा के प्रभाव (बहुत अधिक इंसुलिन लेने पर)भोजन की अनियमिततापर्याप्त कार्बोहाइड्रेट वाका सेवन न करनाशराब का अधिक सेवनशरीर में ग्लूकोज़ की कमी होने से कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। ग्लूकोज़ की कमी होने पर इसके लक्षण समय के साथ बदलते रहते हैं। शुरुआत में लोगों को कुछ इस प्रकार की समस्याएं होती हैंपसीना आनाथकान महसूस करनासिर चकरानाझुनझुनाहट या कंपकपी होनादिला की धड़कन का अचानक बढ़नाव्यवहार में परिवर्तनपीलापनध्यान केंद्रित करने में कठिनाईनींद अधिक आनाशरीर में ग्लूकोज़ की कमी दूर करने के तरीकेशरीर में ब्लड शुगर या ग्लूकोज़ की कमी होने पर चिकित्सक की देखभाल में इलाज करना बेहद जरुरी होता है। इसके अलावा हमारे खानपान का भी असर ग्लूकोज़ की मात्रा पर पड़ता है। कार्बोहाइड्रेट और सुगर की अधिक मात्रा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से इस समस्या को कम किया जा सकता है। शरीर में ग्लूकोज़ की कमी दूर करने के लिए आप इन खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं-रोटी, चावलपास्ताहरी सब्जियांमछली, मांसपनीर और पीनट बटरअंडाआमअंगूरशहदखजूरखीराचुकंदरशरीर में ग्लूकोज़ की अधिकता के नुकसानशरीर में ग्लूकोज़ या ब्लड शुगर की मात्रा अधिक हो जाने की स्थति को हाइपरग्लाइसेमिया (Hyperglycemia) कहते हैं। इस स्थिति में हमारे शरीर के अन्दर कई गंभीर समस्याएं जन्म ले सकती है। शरीर में ग्लूकोज़ लेवल बढ़ने के निम्न कारण हो सकते हैंसमय पर इंसुलिन न लेनाअधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवनइन्फेक्शन या बीमारी के समयचिंता और अवसादशारीरिक गतिविधि का कम होनाअसंतुलित खानपानअधिक शराब का सेवनशरीर में ग्लूकोज़ की अधिकता होने पर आपके शरीर में ये लक्षण दिखाई दे सकते हैंप्यास का बढ़नालगातार पेशाब आनाथकानउल्टीसाँसों की कमीपेट दर्दगला सूखनादिल की धड़कन बढ़ जानाइस तरह आप सही खानपान, सही लाइफस्टाइल के साथ-साथ अपने ग्लूकोज लेवल पर नजर रखकर एक स्वस्थ और सेहतमंद जीवन जी सकते हैं। -
बढ़ते तनाव और खानपान की खराब आदतों की वजह से आजकल हाई ब्लड प्रेशर की समस्या लोगों के बीच आम समस्या बन गई है। दरअसल, उच्च रक्तचाप तब होता है जब व्यक्ति की धमनी की दीवारों पर रक्त का दबाव लगातार बहुत अधिक होता है। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से व्यक्ति के दिल को पूरे शरीर में खून पहुंचाने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। ज्यादा लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर रहने से हार्ट फेल होने और धमनी में रुकावट आने की समस्या बढ़ सकती है। अगर आपका भी बीपी हाई रहता है तो उसे कंट्रोल में रखने के लिए अपने रूटिन में इन 3 योगासनों को जरूर शामिल करें।
हाई बीपी कंट्रोल रखने में मदद करते हैं ये 3 योगासन-
वीरासन-
वीरासन करने से बीपी के साथ नर्वस सिस्टम भी सही बना रहता है। जिसकी मदद से व्यक्ति को तनाव काफी कम महसूस होता है। वीरासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर घुटनों के बल बैठकर अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखते हुए अपने हिप्स को एड़ियों के बीच में रखें और घुटनों के बीच की दूरी को कम करें। ऐसा करते हुए नाभि को अंदर की ओर खीचें। कुछ समय तक इसी पोजीशन में बने रहें। 30 सेकंड बाद आराम करें।
शवासन-
शवासन करने से भी हाई बीपी कंट्रोल में रहता है, जिससे व्यक्ति के शरीर को आराम मिलता है। शवासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेटकर अपनी आंखें बंद करते हुए अपने पैरों को फैला लें। ऐसा करते हुए अपने पैरों को आराम देने की कोशिश करें। अब अपने दोनों हाथों को शरीर के दोनों साइड बिना टच करें रखें और हथेलियों को धीरे धीरे फैलाते हुए पूरे शरीर को आराम दें। अब गहरी और धीमी सांस 30 सेकंड तक लेते हुए फिर आराम करें।
बालासन-
बीपी कंट्रोल रखने के लिए बालासन भी एक अच्छा आसान है। इस आसन का अभ्यास करने से शरीर रिलैक्स होने के साथ हिप्स और रीढ़ की हड्डियों को भी फायदा मिलता है। बालासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन में बैठकर धीरे-धीरे सांस लें और हाथों को सिर के ऊपर ले जाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़े और आगे की तरफ झुकें और ऐसा करते हुए अपने माथे को जमीन पर टिका लें। अपनी सांसों पर ध्यान देते हुए 30 सेकेंड तक इसी अवस्था में बने रहें और फिर शरीर को आराम दें। -
बाजार में अंकुरित आलू भी देखने को मिल जाते हैं। इनमें आलू में कलियां निकली होती हैं, जिन्हें खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। आयुर्वेद में तो इन्हें सेहत के लिए हानिकारक भी माना जाता है। इनके सेवन से सेहत से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं।
अंकुरित आलू खाना क्यों नुकसानदायक है?
अंकुरित आलू में टॉक्सिक कंपाउंड जैसे कि ग्लाइकोअल्केलॉइड्स, सोलनिन और चकोनिन पाए जाते हैं, जो सेहत को नुकसान कर सकते हैं। ग्लाइकोअल्कलॉइड्स पूरे पौधे में मौजूद होता है। जबकि आलू के हरे, अंकुरित और आंखों में ये पदार्थ ज्यादा मौजूद होते हैं। ये सभी कंपाउंड शरीर में टॉक्सिन बढ़ा सकते हैं और पाचन क्रिया को भी धीमा कर सकते हैं।अगर आप खाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं, तो आपको ये समस्याएं हो सकती हैं-शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ना-ग्लाइकोकलॉइड्स कंपाउंड शरीर में टॉक्सिन की तरह काम करता है। यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण भी बन सकता है। शरीर में ग्लाइकोकलॉइड बढ़ने के लक्षणों में मतली, उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन, सिरदर्द और ज्यादा गंभीर मामलों में कोमा और मृत्यु भी शामिल हो सकती है।कड़वा स्वादग्लाइकोकलॉइड्स ज्यादा होने के कारण आलू का स्वाद कड़वा हो जाता है। अगर आप इस तरह के आलू को व्यंजन में इस्तेमाल करते हैं, तो यह आपके खाने का स्वाद कड़वा कर सकता है।पोषक तत्व कम होते हैंअंकुरित होने के कारण आलू के पोषक तत्व कम हो जाते हैं। ऐसे में इसके सेवन से आपको फायदा नहीं मिलता है। यह शरीर में केवल कैलोरी एड करते हैं और सेहत को नुकसान करते हैं।ब्लड शुगर बढ़ सकती हैनेशनल कैपिटल पॉयजन सेंटर के मुताबिक अंकुरित आलू ब्लड शुगर बढ़ने का कारण भी बन सकता है। ज्यादा समय पर स्टोर करने के कारण इसमें जहरीले तत्व बढ़ने लगते हैं, जो ब्लड शुगर असंतुलित कर सकता है। यह सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। इसलिए अंकुरित आलू को फेंक देना ही सुरक्षित होता है।इन बातों का रखें ध्यान-सप्ताह में एक या दो बार अंकुरित आलू का सेवन किया जा सकता है। लेकिन अगर आप इसका सेवन रोज करते हैं, तो यह नुकसानदेह हो सकता है।-अगर आप अंकुरित आलू खा रहे हैं, तो इसे साफ करके और उबालकर ही इसका सेवन करें।-आलू को हमेशा सामान्य तापमान में ही स्टोर करना चाहिए। फ्रिज में स्टोर करने से इसमें शुगर लेवल बढ़ सकता है। -
प्रत्येक घर में एक रसोई होती है, और इस रसोई में एक डॉक्टर छुपा बैठा होता है, आइए आज अपने उसी डॉक्टर से आपका परिचय करायें ।
1- केवल सेंधा नमक का प्रयोग करने पर आप थायराइड और ब्लडप्रेशर से बचे रह सकते हैं, यही नहीं, आपका पेट भी ठीक रहेगा ।2- कोई भी रिफाइंड न खाकर तिल, सरसों, मूंगफली या नारियल के तेल का प्रयोग आपके शरीर को कई बीमारियों से बचायेगा, रिफाइंड में कई हानिकारक कैमिकल होते हैं ।3- सोयाबीन की बड़ी को दो घंटे भिगोकर मसलकर झाग निकालने के बाद ही प्रयोग करें, यह झाग जहरीली होती है ।4- रसोई में एग्जास्ट फैन अवश्य लगवायें, इससे प्रदूषित हवा बाहर निकलती रहेगी ।5- ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य सही रहेगा ।6- भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा ।7- भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा ।8- भोजन से पहले पिया गया पानी अमृत, बीच का सामान्य और अंत में पिया गया पानी ज़हर के समान होता है ।9- बहुत ही आवश्यक हो तो भोजन के साथ गुनगुना पानी ही पियें, यह निरापद होता है ।10- सवेरे दही का प्रयोग अमृत, दोपहर में सामान्य व रात के खाने के साथ दही का प्रयोग ज़हर के समान होता है ।11- नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें, पोषण, विटामिन व फाईबर मुफ्त में प्राप्त होते रहेंगे ।12- चीनी कम-से-कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी । भोजन में गुड़ व देशी शक्कर का प्रयोग बढ़ायें ।13- छौंक में राई के साथ कलौंजी का प्रयोग भी करें, फायदे इतने कि लिखे नहीं जा सकते ।14- एक डस्टबिन रसोई के अंदर और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्टबिन में डालना न भूलें ।15- करेले, मेथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएं, रक्त शुद्ध होता रहेगा ।16- पानी मटके के पानी से अधिक ठंडा न पियें, पाचन व दांत ठीक रहेंगे ।17- पानी का फिल्टर RO वाला हानिकारक है, UV वाला ही प्रयोग करें । सस्ता भी , बढ़िया भी ।18- बिना कलौंजी वाला अचार न खायें, यह हानिकारक होता है ।9- माइक्रोवेव, ओवन का प्रयोग न करें, यह कैंसर कारक है ।20- खाने की ठंडी चीजें ( आइस क्रीम) कम से कम खायें, ये पेट की पाचक अग्नि कम करती हैं, दांत खराब करती हैं । -
ज्यादातर लोग मीठा छोड़ना चाहते हैं लेकिन इसकी क्रेविंग को शांत कर पाना कुछ लोगों के लिए मुश्किल होता है। ऐसे में आप दालचीनी के पानी को पीकर मीठे की क्रेविंग को शांत कर सकते हैं। दालचीनी सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करती हैं।
नियमित तौर पर दालचीनी खाने से एलर्जी और इनफेक्शन का खतरा भी कम होने लगता है। अगर आप सही तरीके से दालचीनी खाएंगे तो ये शुगर लेवल के स्पाइक होने का खतरा कम हो जाता है। दालचीनी का पानी स्वाद में मीठा लगता है आप नींबू डालकर इसके स्वाद को बढ़ा भी सकते हैं।
बहुत फायदेमंद है दालचीनी का पानी- दालचीनी का पानी पीने से शरीर में ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखने में मदद मिलती है। खाने के बाद ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है
- पीरियडस के समय में पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए दालचीनी का पानी फायदेमंद है। मेंस्ट्रूअल क्रैंप्स को दूर करने के साथ ये ब्लीडिंग को भी नियंत्रित करता है।
- पीसीओएस से बचने के लिए भी दालचीनी फायदेमंद होती है। ये शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या को संतुलित करके फर्टिलिटी को बढ़ाने में मदद करती है।
- दालचीनी में एंटीऑक्सिडेंट की प्रचुर मात्रा होती है। ये शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचा सकती है। ये सेल्स को डैमेज कर शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। रोजाना इसे खाने से डायबिटीज, कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियों से दूर रहने में मदद मिल सकती है
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थायराइड एक हॉर्मोनल बीमारी है, जिसपर ध्यान ना दिया जाए तो ये गंभीर साबित हो सकती है। इस समस्या का सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं में होता है। थायराइड एक ग्रंथि है, जिसमें असंतुलन को इसी समस्या से संदर्भित किया जाता है। यह ग्लैंड गर्दन के सामने होती है। आजकल बदलते लाइफस्टाइल और खानपान के चलते ये समस्या भी कॉमन होती जा रही है। थायराइड के बढ़ने की स्थिति को हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है। हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बनाती है। वहीं हाइपरथायरायडिज्म वो स्थिति है जब बहुत ज्यादा थायराइड हार्मोन का उत्पादन होता है। थायराइड को भी हो, इसपर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि ये समस्या को बढ़ा सकता है। यहां जानिए शरीर में हो रहे बदलाव कहीं थायराइड के लक्षण तो नहीं।
थायराइड के शुरुआती वॉर्निंग साइन क्या हैं?
थायराइड के शुरुआती लक्षण इस बात पर निर्भर करते हुए अलग-अलग हो सकते हैं कि समस्या हार्मोन के ज्यादा उत्पादन की है या कम उत्पादन की है। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण हैं जिनको इग्नोर करने से मुश्किल हो सकती है। जैसे-- पर्याप्त नींद के बाद भी थकान या एनर्जी की कमी महसूस होना।
- अचानक वजन कम होना या वजन बढ़ना।
- मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन, चिंता या डिप्रेशन।
- नींद में खलल, अनिद्रा या अत्यधिक नींद आना
- सूखी/खुरदरी त्वचा या बालों का झड़ना
- मांसपेशियों में कमजोरी या जोड़ों में दर्द
- हार्ट रेट का बढ़ना या कम होना
- पीरियड्स में परिवर्तन जैसे हल्का या भारी पीरियड्स, या अनियमित साइकिल।
- गर्दन में सूजन पैदा कर सकती ह
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- जोड़ों में दर्द की समस्या आपके लिए दैनिक कार्यों को काफी कठिन बना सकती है। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के अलावा जिन लोगों के ब्लड में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है उनको भी जोड़ों में दर्द और कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।यूरिक एसिड शरीर का एक सामान्य अपशिष्ट उत्पाद है। यह प्यूरीन नामक रसायन के ब्रेक डाउन से बनता है। प्यूरीन शरीर में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक पदार्थ है, कई खाद्य पदार्थों में भी इसकी मात्रा होती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आमतौर पर गाउड या किडनी में पथरी के लक्षणों के बाद इस समस्या का पता चल पाता है। ब्लड में बढ़ी हुई यूरिक एसिड की स्थिति को हाइपरयुरिसीमिया के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं कि ये स्थिति किस तरह की समस्याओं का कारण बनती है और इससे बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?हाई यूरिक एसिड की समस्यास्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आमतौर पर हाई यूरिक एसिड को जोड़ों में दर्द की समस्या के रूप में जाना जाता है, पर इसके दुष्प्रभाव यहीं तक सीमित नहीं हैं। ये गाउट और किडनी की बीमारी के जोखिमों को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।यूरिक एसिड जोड़ों और ऊतकों में जमा हो जाता है, जिससे दर्द होता है। इसके कारण होने वाली गाउट की समस्या आमतौर पैर के अंगूठे, जोड़ों, टखनों और घुटनों को प्रभावित करती है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि यह हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट फेलियर के भी खतरे को बढ़ाने वाली दिक्कत हो सकती है। कुछ प्रकार के उपाय करके ब्लड में यूरिक एसिड के स्तर को कंट्रोल किया जा सकता है।हाइपरयुरिसीमिया से कैसे बचा जा सकता है?स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हाइपरयुरिसीमिया को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है आहार को ठीक रखना। ऐसी चीजों के सेवन से बचा जाना चाहिए जिनमें प्यूरीन की अधिकता होती है। कुछ प्रकार के समुद्री भोजन और मछलियों में प्यूरीन की अधिकता होती है। यूरिक एसिड की समस्या से बचने या इसे कंट्रोल में रखने के लिए शराब, चीनी, रेड मीट के भी कम सेवन की सलाह दी जाती है।शराब से बढ़ सकती हैं दिक्कतेंशराब पूरी सेहत के लिए हानिकारक मानी जाती है, इससे यूरिक एसिड और इसके कारण होने वाली दिक्कतें भी बढ़ सकती हैं। डॉक्टर कहते हैं, अल्कोहल का सेवन करने वाले लोगों में गाउट की समस्या बार-बार ट्रिगर होने का जोखिम रहता है। शराब जोड़ों के लिए भी नुकसानदायक मानी जाती है।डॉक्टर कहते हैं, शराब से बिल्कुल दूरी बनाकर रखें। ये इम्युनिटी को कमजोर करने के साथ रक्त से संबंधित समस्याओं को भी बढ़ाने वाली हो सकती है।
- वर्तमान में कई लोग पेट की समस्याओं से काफी परेशान रहते हैं, कुछ लोगों को खाना खाते ही एसिडिटी की शिकायत होने लगती है। आयुर्वेद में हाथ से खाना खाने के अनेक लाभ बताए गए हैं लेकिन आजकल लोग चम्मच, कांटे और छुरी से खाना पसंद करते हैं। जिसका सेहत पर बुरा असर हो सकता है। दरअसल, हाथ से खाना खाने से शरीर में पंचतत्वों का संतुलन बनता है जिससे हाजमा बेहतर हो सकता है। कई लोगों को एसिडिटी के कारण खट्टी डकारें भी आती हैं। अगर आप भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं तो इस लेख में कुछ ऐसे घरेलू उपाय बता रहे हैं, जिन्हें अपनाने से आपको लाभ मिल सकता है।खाना खाते ही एसिडिटी के लिए घरेलू नुस्खे1. अदरक का पानीजिन लोगों को खाना खाते ही एसिडिटी की समस्या होने लगती है, उन्हें अदरक का पानी पीना चाहिए। कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुणों से भरपूर अदरक का पानी पेट की सूजन को कम कर सकता है और अम्लता को कम करने में मदद कर सकता है। अदरक में मौजूद अमीनो एसिड पाचन को बेहतर करने में सहायक होते हैं। इसके साथ ही अदरक के पानी का सेवन डायबिटीज के इलाज में भी मददगार साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह रक्त शर्करा यानी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायक होता है। विटामिन C और अन्य पोषक तत्वों की भरपूर अदरक का पानी, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है।2. हरी धनिया और पुदीनाहरी धनिया और पुदीना में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और अन्य पोषक तत्व अम्लता को कम करने में मदद करते हैं। हरी धनिया और पुदीना को अच्छे से धोकर पीस लें और पानी के साथ मिलाकर पिएं। इससे आपको लाभ मिल सकता है और एसिडिटी की समस्या कम हो सकती है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए आप हल्का नमक भी मिला सकते हैं।3. तुलसीतुलसी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पेट में होने वाली अम्लता के इलाज में मददगार साबित हो सकती है। तुलसी के पत्तों को रोज़ाना खाने से पेट की सूजन और अम्लता के लक्षणों में आराम मिल सकता है। इसके साथ ही तुलसी का सेवन तनाव को भी कम करने में सहायक होता है।4. सौंफ और जीरापोषक तत्वों से भरपूर सौंफ और जीरा का सेवन अम्लता को कम करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही यह पाचन क्रिया को सुधारता है। सौंफ और जीरा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण सेहत के लिए बेहद लाभदायक होते हैं और पेट की अग्नि को शांत करने में सहायक हो सकते हैं।
- बच्चों को होली का त्योहार काफी पसंद होता है। रंगों के इस त्योहार का वे बेसब्री से इंतजार करते हैं, जिसमें हर तरफ रंग और गुलाल, रंगीन चेहरे, पानी से भरे गुब्बारे और खुशियां ही खुशियां नजर आती हैं। लेकिन होली की इन खुशियों पर पानी न फिर जाए, इसलिए बच्चों के साथ होली खेलते समय कुछ बातों का ध्यान देना बेहद जरूरी है। होली में इस्तेमाल होने वाले रंगों में मौजूद केमिकल बच्चों के लिए भी काफी हानिकारक होते हैं।बच्चों के लिए होली के दौरान क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?1. प्राकृतिक रंगों का उपयोग करेंकिसी भी तरह की एलर्जी और त्वचा पर होने वाली जलन से बचने के लिए प्राकृतिक रंगों को चुनें। नेचुरल कलर आमतौर पर फूलों के अर्क से बनाए जाते हैं और बच्चों की नाजुक त्वचा के लिए सुरक्षित होते हैं।2. त्वचा और बालों पर तेल लगाएंहोली खेलने के लिए बाहर जाने से पहले, अपने बच्चे की स्किन और बालों पर तेल लगाएं। ऐसा करने से होली खेलने के बाद रंगों को धोना आसान हो जाता है।3. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनेंबच्चों के पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़ें पहनाएं, जो उनके शरीर को पूरी तरह से ढक सकें और रंगों से उनकी स्किन को बचाने में मदद करें।4. धूप का चश्मा पहनाएंअपने बच्चे की आंखों को रंगों से बचाने के लिए उन्हें धूप का चश्मा पहनाएं। ऐसा करने से हानिकारक केमिकल और रंग आंखों में जाने से बचेंगे और उनकी आंखें सुरक्षित रहेंगी।5. पर्याप्त मात्रा में पानी और जूस पिएंधूप में होली खेलना थका देने वाला हो सकता है और उनके एनर्जी का लेवल भी कम हो सकता है, जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। खूब पानी और ताजा जूस पीकर पूरे दिन बच्चे को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करें।6. होली खेलने के बाद नहानाहोली खेलने के बाद, सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा अपने शरीर से रंगों को धोने के लिए गुनगुने पानी से अच्छी तरह नहाए। उनके बालों और स्कैल्प को प्रभावी ढंग से साफ करने के लिए शैम्पू का उपयोग करें।7. त्वचा पर मॉइस्चराइजर और बालों में तेल लगाएंनहाने के बाद, अपने बच्चे की स्किन को हाइड्रेट करने और रंगों के कारण होने वाले ड्राईनेस या जलन को कम करने के लिए स्किन पर मॉइस्चराइजर लगाएं। इसके साथ, बालों को हेल्दी रखने के लिए भी स्कैल्प पर ऑयल मसाज करें।8. बड़ों की निगरानी में खेलने देंहोली खेलने के दौरान बच्चों की सुरक्षा के लिए हमेशा उन पर निगरानी बनाए रखें। किसी भी तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उन पर कड़ी नज़र रखें, खासकर अगर वे पानी से खेल रहे हों या छत पर हो। बच्चों के होली खेलने पर इन बातों पर ध्यान रखकर आप उनके लिए होली को सुरक्षित और खुशहाल बना सकते हैं।
- गर्मियां शुरू होते ही मच्छरों का आतंक भी बढ़ने लगता है। जिससे छुटकारा पाने के लिए लोग बाजार में मिलने वाले कई तरह के कोइल या लिक्विड रिपेलेंट का इस्तेमाल करने लगते हैं। चिंता की बात यह है कि मच्छरों को भगाने वाले ये प्रोडक्ट बेहद हार्ड केमिकल से बने होते हैं। जिसकी वजह से कई बार लोगों को सांस से जुड़ी दिक्कतें भी परेशान करने लगती हैं। ऐसे में बीमारियों और मच्छरों को घर से दूर रखने के लिए आप रसोई में मौजूद ये घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं।मच्छर भगाने में बेहद असरदार हैं ये नुस्खे-नींबू-सरसों का तेल-मच्छरों से निजात पाने के लिए नींबू और सरसों का तेल बेहद कारगार उपाय है। इस उपाय को आजमाने के लिए एक नींबू को आधा काटकर उसका गूदा निकाल दें। इसके बाद नींबू के छिलके में सरसों का तेल और लौंग-कपूर डालकर जलाएं। इस उपाय को करने से मच्छर पास नहीं फटकेंगे।तुलसी के पत्ते-औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का उपयोग सिर्फ सेहत से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए ही नहीं बल्कि मच्छर भगाने के लिए भी किया जा सकता है। घर में मच्छरों को भगाने के लिए घर के दरवाजे और खिड़की पर तुलसी की पत्तियां रख दें।कॉफी स्प्रे-कॉफी का इस्तेमाल सिर्फ दिनभर की थकान मिटाने के लिए ही नहीं बल्कि मच्छरों को भी घर से बाहर निकालने के लिए किया जाता है। कॉफी की खुशबू मच्छरों को बेहद नापसंद होती है। कॉफी के इस उपाय को करने के लिए सबसे पहले एक बोतल में पानी भरकर उसमें 1 चम्मच कॉफी मिलाकर स्प्रे तैयार कर लें। कॉफी के स्प्रे से कुछ ही देर में आपको मच्छरों से छुटकारा मिल जाएगा।लहसुन-लहसुन भी मच्छरों को भगाने का एक अच्छा तरीका है। मच्छर भगाने के लिए लहसुन की 2 से 4 कलियों को हल्का सा मसलकर 1 गिलास पानी में उबाल लें। इस पानी को ठंडा करके एक स्प्रे बोतल में भरकर स्टोर कर लें। शाम के समय लहसुन के इस पानी को पूरे घर में छिड़क दें। इस उपाय को करने से मच्छर पूरी तरह से घर से दूर भाग जाएंगे।
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1 = केवल सेंधा नमक प्रयोग करें, थायराईड, बी पी और पेट ठीक होगा।
2 = केवल स्टील का कुकर ही प्रयोग करें, अल्युमिनियम में मिले हुए लेड से होने वाले नुकसानों से बचेंगे।3 = कोई भी रिफाइंड तेल ना खाकर केवल तिल, मूंगफली, सरसों और नारियल का प्रयोग करें। रिफाइंड में बहुत केमिकल होते हैं जो शरीर में कई तरह की बीमारियाँ पैदा करते हैं ।4 = सोयाबीन बड़ी को 2 घण्टे भिगो कर, मसल कर ज़हरीली झाग निकल कर ही प्रयोग करें।5 = रसोई में एग्जास्ट फैन जरूरी है, प्रदूषित हवा बाहर करें।6 = काम करते समय स्वयं को अच्छा लगने वाला संगीत चलाएं। खाने में भी अच्छा प्रभाव आएगा और थकान कम होगी।7 = देसी गाय के घी का प्रयोग बढ़ाएं। अनेक रोग दूर होंगे, वजन नहीं बढ़ता।8 = ज्यादा से ज्यादा मीठा नीम/कढ़ी पत्ता खाने की चीजों में डालें, सभी का स्वास्थ्य ठीक करेगा।9 = ज्यादा से ज्यादा चीजें लोहे की कढ़ाई में ही बनाएं। आयरन की कमी किसी को नहीं होगी।10 = भोजन का समय निश्चित करें, पेट ठीक रहेगा। भोजन के बीच बात न करें, भोजन ज्यादा पोषण देगा।11 = नाश्ते में अंकुरित अन्न शामिल करें। पोषक विटामिन और फाइबर मिलेंगें।12 = सुबह के खाने के साथ देशी गाय के दूध का बना ताजा दही लें, पेट ठीक रहेगा।13 = चीनी कम से कम प्रयोग करें, ज्यादा उम्र में हड्डियां ठीक रहेंगी।14 = चीनी की जगह बिना मसले का गुड़ या देशी शक्कर लें।15 = छौंक में राई के साथ कलौंजी का भी प्रयोग करें, फायदे इतने कि लिख ही नहीं सकते।16 = चाय के समय, आयुर्वेदिक पेय की आदत बनाएं व निरोग रहेंगे।17 = एक डस्टबिन रसोई में और एक बाहर रखें, सोने से पहले रसोई का कचरा बाहर के डस्ट बिन में डालें।18 = रसोई में घुसते ही नाक में घी या सरसों का तेल लगाएं, सर और फेफड़े स्वस्थ रहेंगें।19 = करेले, मैथी और मूली यानि कड़वी सब्जियां भी खाएँ, रक्त शुद्ध रहेगा।20 = पानी ज्यादा ठंडा न पिएं, पाचन व दांत ठीक रहेंगे।21 = प्लास्टिक और अल्युमिनियम रसोई से हटाएं, दोनों केन्सर कारक हैं।22 = माइक्रोवेव ओवन का प्रयोग कैंसर कारक है।23 = खाने की ठंडी चीजें कम से कम खाएँ, पेट और दांत को खराब करती हैं।24 = बाहर का खाना बहुत हानिकारक है, खाने से सम्बंधित ग्रुप से जुड़कर सब घर पर ही बनाएं।25 = तली चीजें छोड़ें, वजन, पेट, एसिडिटी ठीक रहेंगी।26 = मैदा, बेसन, छौले, राजमां और उड़द कम खाएँ, गैस की समस्या से बचेंगे।27 = अदरक, अजवायन का प्रयोग बढ़ाएं, गैस और शरीर के दर्द कम होंगे।28 = बिना कलौंजी वाला अचार हानिकारक होता है।29 = पानी का फिल्टर R O वाला हानिकारक है।30 = रसोई में ही बहुत से कॉस्मेटिक्स हैं, इस प्रकार के ग्रुप से जानकारी लें।31 = रात को आधा चम्मच त्रिफला एक कप पानी में डाल कर रखें, सुबह कपड़े से छान कर इस जल से आंखें धोएं, चश्मा उतर जाएगा। छानने के बाद जो पाउडर बचे उसे फिर एक गिलास पानी में डाल कर रख दें। रात को पी जाएं। पेट साफ होगा, कोई रोग एक साल में नहीं रहेगा।32 = सुबह रसोई में चप्पल न पहनें, शुद्धता भी, एक्यू प्रेशर भी।33 = रात का भिगोया आधा चम्मच कच्चा जीरा सुबह खाली पेट चबा कर वही पानी पिएं, एसिडिटी खतम।34 = एक्यूप्रेशर वाले पिरामिड प्लेटफार्म पर खड़े होकर खाना बनाने की आदत बना लें तो भी सब बीमारियां शरीर से निकल जायेंगी।35 = चौथाई चम्मच दालचीनी का कुल उपयोग दिन भर में किसी भी रूप में करने पर निरोगता अवश्य होगी।36 = रसोई के मसालों से बनी चाय मसाला स्वास्थ्यवर्धक है।37 = सर्दियों में नाखून के बराबर जावित्री कभी चूसने से सर्दी के असर से बचाव होगा।38 = सर्दी में बाहर जाते समय 2 चुटकी अजवायन मुहं में रखकर निकलिए, सर्दी से नुकसान नहीं होगा।39 = रस निकले नीबू के चौथाई टुकड़े में जरा सी हल्दी, नमक, फिटकरी रख कर दांत मलने से दांतों का कोई भी रोग नहीं रहेगा।40 = कभी - कभी नमक - हल्दी में 2 बून्द सरसों का तेल डाल कर दांतों को उंगली से साफ करें, दांतों का कोई रोग टिक नहीं सकता।41 = बुखार में 1 लीटर पानी उबाल कर 250 ml कर लें, साधारण ताप पर आ जाने पर रोगी को थोड़ा थोड़ा दें, दवा का काम करेगा।42 = सुबह के खाने के साथ घर का जमाया देशी गाय का ताजा दही जरूर शामिल करें, प्रोबायोटिक का काम करेगा। -
कमजोर हड्डियों को ठीक करने के लिए वैसे तो मार्केट में कई हेल्थ प्रोडक्ट मौजूद हैं, लेकिन उनका सही इस्तेमाल कैसे किया जाए इसकी जानकारी किसी को नहीं है। लोग बिना किसी डॉक्टरी सलाह के हड्डियों को ठीक करने वाले प्रोडक्ट का सेवन कर रहे हैं। जिसकी वजह से यह प्रॉब्लम और भी ज्यादा बढ़ रही है। इसलिए आज हम आपको हड्डियों को नेचुरल तरीकों से कैसे मजबूत बनाया जा सकता है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं।हड्डियों को मजबूत बनाने के 5 उपाय
1. कैल्शियम युक्त डाइट लेंएक्सपर्ट का कहना है कि हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके लिए रोजाना कम से कम एक गिलास दूध जरूर पिएं। जिन लोगों को दूध पसंद नहीं है वह तिल और रागी जैसे विकल्प को चुनकर शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा कर सकते हैं।2. विटामिन डी है जरूरीविटामिन डी को हड्डियों के विकास के लिए जरूरी माना जाता है। शरीर में विटामिन डी की पूर्ति करने के लिए रोजाना कम से कम 15 से 20 मिनट धूप में जरूर बैठें। जहां तक संभव हो धूप में सुबह के समय बैठें। ऐसा कहा जाता है कि सुबह की पहली धूप में ज्यादा विटामिन डी पाया जाता है।3. मैग्नीशियम का भी रखें ध्यानहड्डियों के विकास और उसकी मजबूती के लिए मैग्नीशियम भी बहुत ज्यादा जरूरी है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि विटामिन डी का सेवन कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। जबकि मैग्नीशियम विटामिन डी का लेवल ठीक रखने में मददगार है। मैग्नीशियम के लिए आप डाइट में बादाम, केला और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल कर सकते हैं।4. सॉफ्ट ड्रिंक न पिएंसॉफ्ट ड्रिंक या सोडा युक्त ड्रिंक का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से हड्डियां कमजोर हो सकती है। दरअसल, सॉफ्ट ड्रिंक्स में फॉस्फेट होता है, जो कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है। जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर होती हैं और फ्रैक्चर का खतरा भी बढ़ता है। गर्मियों में जिन लोगों को सॉफ्ट ड्रिंक, सोडा या कोला की ज्यादा क्रेविंग होती है वह लस्सी, छाछ और नींबू-पानी जैसे ऑप्शन ट्राई कर सकते हैं।5. कोलेजन का करें सेवनज्यादातर लोग कोलेजन को स्किन और बालों से जोड़कर देखते हैं, लेकिन यह हड्डियों के लिए भी बहुत जरूरी है। कोलेजन एक प्रोटीन होता है, जो हड्डियों के विकास में भी मददगार है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए सुबह 11 बजे के आसपास कोलेजन पाउडर का सेवन करना चाहिए। आपकी शारीरिक संरचना के हिसाब से कौन सा कोलेजन आपके लिए सही है, इसकी जानकारी आप डॉक्टर से प्राप्त कर सकते हैं।