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- देश में इस समय त्योहारों का मौसम चल रहा है। पहले नवरात्रि फिर दीपावली और अन्य कई त्योहार। इसमें से कई त्योहारों में व्रत रहने की प्रावधना है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे तो व्रत रहना सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, हालांकि नवरात्रि जैसे नौ दिनों के व्रत में शरीर में ऊर्जा की कमी होना स्वाभाविक है। व्रत के दिनों में शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखना भी आवश्यक होता है, ऐसे में आपको उन पेय पदार्थों का सेवन जरूर करना चाहिए, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ तमाम तरह के पोषक तत्वों की भी पूर्ति कर सकें।नारियल पानीनारियल पानी को कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। नारियल पानी आपके शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ तरोताजा करने में मदद कर सकता है। कई बीमारियों में डॉक्टर रोगियों को नारियल पानी पीने की सलाह देते हैं। नारियल के पानी में कैलोरी की मात्रा कम होती है और इसे फैट और कोलेस्ट्रॉल से भी मुक्त माना जाता है।लस्सीइस त्योहारी सीजन में लस्सी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। लस्सी, दही से बनाया जाता है, यही कारण है कि इसे प्रोबायोटिक्स का एक समृद्ध स्रोत माना जाता जो पाचन में सहायता कर सकती है। लस्सी पेट को शांत करते हुए आंत के स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है। त्योहारी मौसम में शरीर को ऊर्जावान बनाए रखने के लिए लस्सी का सेवन करना बेहतर विकल्प हो सकता है।शिकंजीनींबू पानी का सेवन वर्षों से तमाम प्रकार के स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता रहा है। शिकंजी शरीर को विटामिन सी प्रदान करता है जिसे प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने वाला माना जाता है। शरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखने के साथ पेट को ठीक रखने में भी शिकंजी पीना सेहत के लिए लाभदायक हो सकता है। चूंकि नींबू में तमाम प्रकार के अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जिनकी शरीर को बहुत आवश्यकता होती है, ऐसे में शिकंजी का सेवन करना सेहत के लिए लाभकारी माना जाता है।
- बच्चे को शारीरिक और मानसिक रूप से हेल्दी रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है उनका खानपान कैसा है. डाइट एक्सपर्ट डॉक्टर रंजना सिंह बताती हैं कि बच्चों को मानसिक रूप से तेज बनाने के लिए उनकी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए, जो सीधे ब्रेन को भरपूर पोषण देती हों.अंडे का सेवनअंडा भी बच्चों की सेहत के लिए जरूरी है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, ल्यूटिन, कोलिन और जिंक होता है. ये सभी पोषक तत्व शिशु की ध्यान लगाने की क्षमता को बढ़ाते हैं. कोलिक एसिटेकोलिन या मेमोरी स्टेम सेल्स बनाने में मदद करता है. इस तरह अंडा खाने से बच्चों की याददाश्त में सुधार आता है.साबुत अनाज का सेवनसाबुत अनाज बच्चों के दिमाग को निरंतर एनर्जी देता रहता है. ये रक्त वाहिकाओं में ग्लूकोज को धीरे से रिलीज करता है. इससे शिशु के शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है. इसमें मस्तिष्क के सही तरह से कार्य करने के लिए जरूरी फोलिक एसिड भी होता है.ओट्स का सेवनओट्स विटामिन ई, जिंक और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स प्रचुरता में पाया जाता है. ओटमील में फाइबर भी उच्च मात्रा में होता है जिससे शिशु के शरीर को एनर्जी मिलती है. बच्चों को नाश्ते में ओट्स खिलाने से मस्तिष्क के कार्यों में सुधार आने में मदद मिलती है.मछली का सेवनबच्चों का दिमाग तेज करने के लिए मछली जरूरी है. फैटी फिश जैसे कि सैल्मन, ट्यूना और मैकरेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो मस्तिष्क के ऊतकों के ब्लॉक बनाने में मदद करता है. ओमेगा-3 फैटी एसिड के और भी कई फायदे होते हैं. इससे शिशु के मस्तिष्क के कार्यों और विकास में मदद मिलती है.हरी सब्जियों का सेवनतेज दिमाग के लिए पालक, केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां सहायक होती हैं. कुछ अन्य सब्जियां जैसे टमाटर भी बेहतर हैं, यहां तक कि ब्लूबेरी, रास्पबेरी और ब्लैकबेरी भी एंटीऑक्सिडेंट से भरे होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है.
- खट्टा लगने वाला नींबू सेहत के लिए जबरदस्त लाभ देता है. नींबू के बारे में कहा जाता है कि भले ही यह स्वाद में खट्टे होते हैं, लेकिन इनमें सेहत के कई मीठे फायदे छिपे होते हैं. नींबू का सेवन करने से शरीर का पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है. साथ ही नींबू पानी पीने से आपके शरीर की एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न होती है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है. आयुर्वेद में भी नींबू का अपना महत्व है. आयुर्वेद के अनुसार, नींबू का उपयोग शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-माइक्रोबियल गुणों से भी समृद्ध है, जो रक्त को साफ करने और अस्थमा की स्थिति में भी उपयोगी हो सकता है.नींबू में पाए जाने वाले पोषक तत्वनींबू में विटामिन ए, विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन इ, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन, फास्फोरस, जस्ता, फोलेट, तांबा, पैंटोथेनिक एसिड, नियासिन थायमिन और कई तरह के प्रोटीन इत्यादि पोषक तत्व होते हैं. यह पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं.पाचन तंत्र के लिए बेहतर नींबूस्वाद में खट्टे नींबू में सेहत के कई मीठे फायदे छिपे होते हैं. नींबू का सेवन करने से शरीर का पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है. नींबू पानी पीने से आपके शरीर की एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न होती है और वजन घटाने में भी मदद मिलती हैमुंहासों से मिलती है राहतसेहत के अलावा स्किन के लिए भी नींबू बेहद लाभकारी है. नींबू के बीज एंटीबैक्टीरियल होते हैं, जो आपके चेहरे पर आने वाले मुंहासों को दूर करने का काम करते हैं.वजन कम होता हैबेली फैट और वजन कम करने के लिए रोज सुबह एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़ कर खाली पेट पीना चाहिए. आप चाहें तो इसमें एक चम्मच शहद भी मिला सकते हैं.हाई शुगर वाले मरीजों के लिए फायदेमंदहाई शुगर वालों के लिए नींबू पानी एक बेहतर विकल्प माना जाता है. खासतौर से उनके लिए जो डायबिटीज के मरीज हैं या वजन कम करना चाहते हैं. यह शुगर को गंभीर स्तर तक पहुंचाए बिना शरीर को हाइड्रेट करता है व इससे एनर्जी भी मिलती है.पेट दर्द से राहत देता हैनींबू के रस में अदरक का रस थोड़ी सी शक्कर मिलाकर पीने से पेट दर्द से राहत मिलती है. सब्जियों और दालों पर नींबू निचोड़ कर खाने से सब्जियों के स्वाद और पोषक तत्व में वृद्धि होती है. इससे डिशेज को जल्दी पचाने में भी मदद मिलती है.
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युवाओं में मधुमेह की बीमारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि हर साल लाखों नए लोगों में इस गंभीर और क्रोनिक बीमारी का निदान किया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अग्न्याशय द्वारा पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन (रक्त शर्करा को नियंत्रित करने वाला हार्मोन) का उत्पादन न कर पाने या शरीर द्वारा उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग न हो पाने के कारण डायबिटीज की समस्या हो सकती है। डॉक्टरों की मानें तो कुछ दशकों पहले तक मधुमेह को उम्र के साथ होने वाली स्वास्थ्य समस्या के रूप में देखा जाता था, हालांकि अब यह कम उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लड शुगर के बढ़े हुए स्तर (हाइपरग्लाइकेमिया) पर अगर ध्यान न दिया जाए या इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो यह नसों और रक्त वाहिकाओं को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, साल-दर-साल दुनियाभर में मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। वयस्कों में बढ़ती इस बीमारी के लिए बचपन में मोटापे के साथ जीवनशैली की तमाम तरह की गड़बड़ी को मुख्य कारक माना जाता है। हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विशेषज्ञों के मुताबिक जीवनशैली में बदलाव करके प्री-डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज को काफी हद तक रोका जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
हार्वर्ड वैज्ञानिक बताते हैं, अधिक वजन या मोटापे के शिकार लोगों में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि पेट की चर्बी, वसा कोशिकाओं को प्रो-इंफ्लेमेटरी रसायनों को छोडऩे के लिए प्रेरित करती है जिसके परिणामस्वरूप शरीर इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बन जाता है। यह स्थिति इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं के कार्य और उनकी क्षमता को बाधित कर देती है। इन समस्याओं से बचे रहने के लिए सभी लोगों को अपने वजन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
हार्वर्ड वैज्ञानिकों के मुताबिक एक ही जगह पर लगातार बैठकर काम करते रहने या दिनभर आराम करते रहने की आदत सेहत के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। इस तरह की शारीरिक निष्क्रियता टाइप-2 मधुमेह के जोखिम को बढ़ावा देती है। मांसपेशियों को सक्रिय रखने से इंसुलिन के बेहतर उपयोग और ग्लूकोज को अवशोषित करने की उनकी क्षमता में सुधार किया जा सकता है। हार्वर्ड टीएच चैन की रिपोर्ट के अनुसार शरीर को फिट रखने और मधुमेह से सुरक्षित रखने के लिए कम बैठने और ज्यादा चलने की आदत डालें।
हार्वर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि शरीर को फिट और टाइप-2 मधुमेह से सुरक्षित रखने के लिए अपने आहार में इन चार बातों का विशेष ध्यान रखना आवशयक है।
इन बातों का रखें ध्यान...
०० मीठे पेय से दूरी बना लें। इसकी जगह फलों के जूस का सेवन करें।
०० आहार में हेल्दी फैट वाली चीजों को शामिल करें।
०० रेड मीट का सेवन कम से कम करें।
०० प्रोसेस्ड मीट खाने से बचें। इसके बजाय नट्स, बीन्स, साबुत अनाज, पोल्ट्री या मछली का सेवन बढ़ाएं। -
10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। एक्सपट्र्स और डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए प्राकृतिक रोशनी यानी सूरज से आने वाली रोशनी फायदेमंद होती है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक रौशनी फायदेमंद होती है, जानें कैसे.....
1. एकाग्रता बढ़ती हैप्राकृतिक रोशनी से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है, एकाग्रता बढ़ाना चाहते हैं तो प्राकृतिक रोशनी में समय बिताएं। आज के समय में जैसे घरों में लोग रह रहे हैं वहां प्राकृतिक रोशनी का महत्व न के बराबर है, कमरों में खिड़की या रोशनदान न होने के कारण शरीर को प्राकृतिक रोशनी नहीं मिल पाती जिसका बुरा असर शरीर के साथ-साथ मन पर भी हो सकता है। फोकस बढ़ाने के लिए आपको हर दिन कुछ समय प्राकृतिक रोशनी में बिताना चाहिए, कोशिश करें कि सुबह के समय सनलाइट में समय बिताएं, सुबह की हल्की धूप शरीर के लिए फायदेमंद होती है।2. प्राकृतिक रोशनी से तनाव कम होता हैतनाव कम करने के लिए प्राकृतिक रोशनी फायदेमंद मानी जाती है। रोजाना आपको रोजाना कम से कम 30 मिनट टहलना चाहिए। मन को शांत करने के लिए प्राकृतिक रोशनी फायदेमंद होती है। प्राकृतिक रोशनी, आंखों के लिए फायदेमंद होती है। प्राकृतिक रोशनी में डोपामाइन होता है जो तनाव भी कम करता है और आपकी आंखों को स्वस्थ रखता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि है कि सूरज की रोशनी को देखते रहें, इससे आंख में रेडनेस या खुजली हो सकती है। कई डॉक्टर लाइट थैरेपी की मदद से डिप्रेशन का इलाज करते हैं। लाइट थैरेपी से ब्रेन पर पॉजिटिव असर होता है जिससे मूड भी अच्छा होता है और आप अच्छी नींद भी ले पाते हैं। शरीर की नैचुरल रिदम या क्लॉक को अच्छा रखने के लिए भी प्राकृतिक लाइट फायदेमंद मानी जाती है।3. खुश रहना है तो प्राकृतिक रोशनी में समय बिताएंप्राकृतिक रोशनी में कुछ समय बिताने से मन खुश रहता है और आप अपनी तकलीफ भूल जाते हैं। मानसिक पीड़ा को कम करने के लिए प्राकृतिक रोशनी फायदेमंद मानी जाती है। प्रकृति के बीच मन शांत होता है और आप खुशी का अहसास कर पाते हैं। प्राकृतिक रोशनी से आप अच्छी नींद ले पाते हैं जिससे डिप्रेशन कम होता है और आपके कार्य करने के क्षमता बढ़ती है। नैचुरल लाइट से शरीर को विटामिन डी मिलता है। विटामिन डी की कमी से डिप्रेशन, मोटापे के लक्षण बढऩे लगते हैं जिससे आपका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य खराब होता है। विटामिन डी की कमी पूरी करने के लिए आपको नैचुरल लाइट के साथ समय जरूर बिताना चाहिए।4. पॉजिटिवि रहने के लिए फायदेमंद है प्राकृतिक रोशनीप्राकृतिक रोशनी दिमाग के कई हिस्सों के बीच संचार को बेहतर करती है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक रोशनी क्यों जरूरी है? प्राकृतिक रोशनी से दिमाग में मूड अच्छा रखने का कैमिकल बनता है जिसे हम सिरोटोनिन कहते हैं। जितना ज्यादा आप प्राकृितक रोशनी के बीच रहेंगे उतना ज्यादा आप का दिमाग सिरोटोनिन कैमिकल रिलीज करेगा। प्राकृतिक लाइट में समय बिताने से आपका रूटीन अच्छा होता है और आप काम जल्दी खत्म करके अपने लिए समय निकाल सकते हैं। जिन लोगों को समय पर काम करना पसंद है उन्हें नैचुरल लाइट में समय जरूर बिताना चाहिए क्योंकि नैचुरल लाइट की मदद से आप अपना रूटीन जल्दी शुरू कर पाते हैं और काम समय पर होता है।5. नैचुरल लाइट से काम करने की क्षमता बढ़ती हैप्राकृतिक लाइट में रहने से काम करने की क्षमता बढ़ती है। अगर आपके ऑफिस में नैचुरल लाइट का सोर्स है तो आप बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। ऑफिस में काम के दौरान आप ब्रेक्स में प्राकृतिक रोशनी का आनंद उठा सकते हैं या सुबह ऑफिस से पहले एक अच्छी सैर भी आपके लिए काफी होगी। अगर आप नैचुरल लाइट में बिलकुल समय नहीं बिताते हैं तो आपको डिप्रेशन या एंगजाइटी के लक्षण नजर आ सकते हैं। अंधेरे में रहने से या आर्टिफिशियल लाइट में रहने से मन अशांत होता है और लंबे समय तक नैचुरल लाइट से दूर रहने का बुरा असर आपको देखने को मिलता है। - जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए लौंग का लेप लगाना काफी फायदेमंद होता है। लौंग में सोडियम, आयरन, पोटैशियम, फास्फोरस, मैगनीज, विटामिन के, विटामिन सी, आयोडिन, फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्निशियम, कैल्शियम मौजूद होता है। कई बीमारियों को ठीक करने के लिए इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आप लौंग का लेप लगाकर जोड़ों के दर्द से छुटकारा पा सकते हैं। इसके साथ ही अंदरूनी चोट, दांत में दर्द, सिर में दर्द, कान का दर्द दूर काने के लिए आप लौंग के लेप का इस्तेमाल कर सकते हैं।जोड़ों का दर्द दूर करता है लौंग का लेपलौंग का लेप लगाने से जोड़ों का दर्द दूर होता है। जिन लोगों को अर्थराइटिस या गठिया जैसी बीमारी है, उन्हें जोड़ों में अक्सर दर्द की समस्या रहती है ऐसे में आप लौंग का लेप लगाएं। लौंग में कैल्शियम मौजूद होता है जिससे हड्डी को मजबूती मिलती है और दर्द से आराम मिलता है वहीं इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड से दर्द दूर होता है।लौंग का लेप बनाने का तरीकासामग्री: लौंग का लेप बनाने के लिए आपको लौंग, नीलगिरी का तेल, हल्दी, चंदन की जरूरत होगी।विधि- लौंग का लेप बनाने के लिए लौंग को मिक्सी में डालकर पाउडर बना लें। पाउडर को एक साफ कंटेनर में निकालकर रख दें। अब उस पाउडर में नीलगिरी का तेल मिलाएं और उसमें एक चम्मच हल्दी मिला दें। अंदरूनी चोट के लिए लेप लगा रहे हैं तो मिश्रण में चंदन भी मिला सकते हैं। लेप तैयार है, इसे ऐयरटाइट कंटेनर में रखकर स्टोर करें।अन्य प्रकार के दर्द को भी दूर करता है लौंग का लेपकान में दर्दकान का दर्द दूर करने के लिए भी लौंग का लेप फायदेमंद है। लौंग के पाउडर में तिल का तेल मिलाकर पेस्ट बनाएं और उसे हल्का गरम करके कान के बाहरी हिस्से में रूई की मदद से लगाएं तो कान का दर्द दूर हो जाएगा। आप डॉक्टर की सलाह से लौंग का तेल कान के अंदर ड्रापर की मदद से डाल सकते हैं।2.सिर में दर्दजिन लोगों को अक्सर सिर में दर्द या माइग्रेन के कारण सिर में तेज दर्द होता है वो दर्द को दूर करने के लिए लौंग का लेप लगा सकते हैं। तनाव के कारण हो रहे सिर के दर्द में भी लौंग का लेप फायदेमंद है, इसमें मौजूद अरोमा से तनाव भी दूर होता है और सिर का तेज दर्द भी ठीक हो जाता है। आप लौंग का लेप सिर पर लगाकर मालिश करें और आधे घंटे के लिए ए लेप को लगाकर छोड़ दें, इससे राहत मिलेगी।3. दांत का दर्ददांत का दर्द दूर करने के लिए भी लौंग का लेप फायदेमंद है। लौंग दांत के दर्द का पेनकिलर माना जाता है। लौंग में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं जिससे दांत का दर्द और सूजन दूर होती है। दांत के जिस हिस्से में दर्द है आप वहां लौंग का लेप लगाकर छोड़ दें और 15 मिनट बाद कुल्ला कर लें।4. चोट का दर्दलौंग एक अच्छा एंटीसेप्टिक भी है, चोट लगने पर आपको संक्रमण का डर है तो आप लौंग का लेप लगाएं, इससे चोट में होने वाला दर्द भी दूर हो जाएगा।अगर आपको लौंग का लेप लगाने से सूजन या जलन हो तो इस्तेमाल बंद कर लें और डॉक्टर को दिखाएं। लौंग से एलर्जी हो तो इसका इस्तेमाल न करें।---
- नवरात्र के दौरान बहुत सारे लोग पूरे 9 दिन का उपवास रखते हैं। इसके अलावा कुछ लोग साधारण नमक की जगह सेंधा नमक से बने व्यंजन भी खा लेते हैं। वैसे तो इसका कारण यह बताया जाता है कि साधारण नमक समुद्र से निकलता है और समुद्र में ढेर सारे जलीय जीव होते हैं, इसलिए साधारण नमक शाकाहारी नहीं होता और सेंधा नमक पहाड़ों से प्राप्त होता है, इसलिए ये शुद्ध होता है। खैर धार्मिक मान्यताओं से अलग भी सेंधा नमक के सेवन के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिन्हें विज्ञान भी सही मानता है। नवरात्रि के 9 दिनों में सेंधा नमक खाने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं।1. ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोलजब लोग उपवास रखते हैं तो उस समय में खाने पीने की कुछ ही चीजे खा पाते हैं। तो ऐसे में सेहत पर अहर पड़ता है। जिसके लिए लोग उपवास में सेधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि इसमें कैल्शियम और पोटेशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। उपवास के समय लोग जल्दी थक जाते हैं और जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की परेशानी रहते हैं उनके लिए ये नमक फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि इसे खाने से शरीर से थकान दूर होती है और बॉडी रिलैक्स करती है। इसके साथ ही सेंधा नमक शरीर को डिटॉक्सीफाई भी करता है।2. पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद हैं सेंधा नमकसेंधा नमक को लोग अक्सर उपवास के समय ही खाते हैं, जिसे लोग लाहैरी के नाम से भी जानते हैं। सेंधा नमक शरीर से पित्त दोष, कफ की समस्या और वात की परेशानी दूर करने में मदद करता है। इस नमक को उपवास के अलावा लोगों को अपनी रोजाना में भी इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में जमा फैट सेल्स खत्म होते हैं। साथ ही अगर किसी को उल्टी की समस्या हो रही हो तो वह सेंधा नमक को नींबू के साथ खा सकता है। ऐसा करने से उसे जल्द ही उल्टी की समस्या से रहात मिल जाती है। बच्चों को अक्सर पेट में दर्द की समस्या देखने को मिलती है जिसकी बड़ी वजह पेट में कीड़े की होती है। ऐसे में आप बच्चों को खाने में सेंधा नमक डालकर दें इससे पेट के कीड़ों की समस्या जल्द खत्म हो जाएगी।3. आंखों के लिए फायदेमंदआज के समय में लोगों में आंखों की समस्या आप बात हो गई है क्योंकि वह देर समय तक कंप्यूटर पर काम करते रहते हैं और उनका खानपान भी खराब होता जा रहा है। जिसकी सीधा असर आंखों पर पड़ता है। लेकिन सेंधा नमक आपकी आंखों के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। जिन लोगों को आंखों की समस्या रहती है औऱ उनकी आंखों की रौशनी कम हो रही है तो वह लोग सेंधा नमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
- नवरात्रि, जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है नौ रातों का उत्सव। इस बार नवरात्र 7 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। वैसे तो नवरात्रि साल में दो बार आती हैं चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। लेकिन दिवाली के पास आने वाली शारदीय नवरात्र का ज्यादा महत्व होता है। नवरात्रों मे मां के नौ अलग रूपों की पूजा की जाती है। ऐसे में कुछ लोग नौ दिनों तक उपवास रखते हैं तो कुछ लोग केवल सबसे पहला और आखिरी का व्रत रखते हैं। नवरात्रि व्रत के दौरान अगर आप सही डाइट लेंगे तो आप अपनी भूख पर नियंत्रित रख सकेंगे। साथ ही व्रत के दौरान भी भरपूर मात्रा में प्रोटीन और न्यूट्रिशन मिलेंगे।1. आलू से बनी चीजेंवैसे तो आम दिनों में लोग आलू का सेवन कम करते हैं। लोगों का मानना है कि आलू के सेवन से वजन ज्यादा बढ़ता है। लेकिन व्रत के दिनों में आलू का सेवन आपकी भूख को नियंत्रित कर सकता है। आप व्रत में आलू के बने चिप्स, आलू के पापड़, सेंधा नमक के उबले आलू आदि का सेवन कर सकते हैं।2. राजगीर से बने लड्डूराजगीर के लड्डू को आम लोगों की भाषा में व्रत के लड्डू भी कहा जाता है। इसे हल्के आहार के रूप में देखा जाता है। इस के अंदर कई पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं। साथ ही राजगीर के लड्डू में गुड यानी नैचुरल शुगर का प्रयोग किया जाता है इसलिए ये बेहद पौष्टिक होते हैं। कुछ लोग राजगीर की बर्फियां भी अपने घरों में बनाते हैं, जिससे टेस्ट के साथ-साथ स्वाद भी भरपूर मिलता है।3. व्रत में कूटू का इस्तेमालकुट्टू के आटे के अंदर कम कैलोरी पाई जाती है। यह फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है। इसलिए कूटू का सेवन व्रत में बेहद लाभदायक है। कूट्टू से बनी पकौड़ी ने केवल अच्छी लगती हैं बल्कि इससे भूख भी कम लगती है। इसके अलावा कुछ लोग कूटू की बनी रोटी या परांठे का सेवन भी करते हैं। कूटू के साथ लौकी का प्रयोग करके आप हेल्दी भोजन तैयार कर सकते हैं।4. व्रत में फल का सेवन करनाफलों का सेवन करने से शरीर तरोताजा महसूस करता है। ऐसे में अगर इसका सेवन व्रत में किया जाए तो दिन भर थकान से दूर रहा जा सकता है। पपीते में मैग्नीशियम, कॉपर, मिनरल्स, विटामिन बी आदि पाए जाते हैं इसलिए व्रत में पपीता बेहद लाभदायक है। इसके अलावा काले अंगूर, अनानास, संतरा, सेब, मौसमी आदि का सेवन व्रत में कर सकते हैं।5. व्रत में दूध का सेवन है अच्छाअक्सर लोग दूध से बनी चीजों का प्रयोग व्रत में करते हैं। बता दें कि दूध से बनी चीजें शरीर के अंदर ऊर्जा बनाए रखती हैं। आप व्रत में दूध से बनी खीर, दूध का बना सूजी हलवा, दूध और मेवे के लड्डू आदि का सेवन कर सकते हैं और अपने व्रत के खाने को और पौष्टिक बना सकते हैं।6. मखाने का इस्तेमालमखाना एक ऐसा सुपरफूड है, जिसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है। पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से ये आपको कई तरह से फायदा पहुंचाता है। इसमें कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं और ये किडनी के साथ आपकी हार्ट हेल्थ के लिए भी अच्छा है। मखाना डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इसे खाने से शारीरिक कमजोरी दूर होती और बॉडी में एनर्जी आती है। इसमें मौजूद पोषक तत्व कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखते हैं। वहीं इसमें मौजूद मैग्नीशियम शरीर में मेटाबोलिक प्रोसेस में मदद करता है।
- अगर आप शारीरिक कमजोरी से जूझ रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है. काम करते वक्त जल्दी थक जाना, या फिर छोटी-छोटी बात पर तनाव ले लेना. यह सभी कमजोरी के लक्षण हैं. ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं दूध और खजूर का एक साथ सेवन करने से मिलने वाले फायदे. जी हां, इन दोनों का एक सााथ सेवन शरीर को जबरदस्त फायदे देता है. वैसे तो दूध को एक पूर्ण आहार माना जाता है, वहीं खजूर भी सुपर फूड की कैटेगरी में शामिल है. ऐसे में जब हम इन दोनों को साथ में प्रयोग करते हैं तो इसका गुण कहीं ज्यादा हो जाता है. बस ध्यान रहे कि रात में सोने से पहले इनका सेवन करना होगा. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स से भरपूर दूध और ग्लूकोज और फ्रुक्टोज से भरपूर खजूर शरीर को तुरंत एनर्जी देता है. जब खजूर को दूध में भिगोकर कुछ समय तक उबाला जाता है तो इसका स्वास्थ्य लाभ 100 गुना अधिक बढ़ जाता हैं. जिसका सेवन करने से एनीमिया जैसी बीमारी को ठीक किया जा सकता है.स्किन के लिए फायदेमंदखजूर में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो एंटी एजिंग गुणों से भरपूर होता है. इसके सेवन से एजिंग का प्रोसेस धीमा किया जा सकता है, जिससे स्किन पर बढते उम्र का असर कम हो जाता है.एनीमिया में लाभकारीजब किसी के शरीर में आयरन की कमी होती है तो उससे एनीमिया होता है. एनिमिया को दूर करने के लिए आपको आयरन से भरपूर भोजन का सेवन करने की सलाह दी जाती है. अगर दूध में खजूर भिगोकर इसका किया जाए तो हीमोग्लोबिन बढ़ता है, जिससे एनीमिया की समस्या धीरे धीरे ठीक हो जाती है.प्रेग्नेंसी में फायदेमंदखजूर एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जो ना सिर्फ मां की सेहत को दुरुस्त रखता है, बल्कि यह भ्रूण के विकास के लिए भी फायदेमंद है. जब आप गाय के दूध में भिगोकर खजूर का सेवन करते हैं तो शरीर में ऑक्सिटोसिन की मात्रा में वृद्धि होती है, जो डिलीवरी के समय यूटरस की सेंस्टीविटी को बढ़ाने का कार्य भी करता है.
- कमर दर्द होना आम बात है. इसके पीछे की वजह मांसपेशियों का खिंचाव, मांसपेशी में ऐंठन हो सकती है. लगातार खड़े होकर काम करने की आदत के कारण भी आजकल कमर के दर्द की समस्या काफी बढ़ती जा रही है. ज्यादातर महिलाएं इस परेशानी से पीड़ित होती हैं. अगर आप भी इस दर्द से छुटकारा पाना चाहते हैं तो ये खबर आपकी मदद कर सकती है. हम कुछ योगासन लेकर आए हैं जो कमर दर्द से आपको मिनटों में राहत दिला सकते हैं.1. शलभासनइस आसन को करने के लिए आप अपने पेट के बल लेटें.अपनी हथेलियों को अपनी जांघों के नीचे रख दें.अपने दोनों पैर की एड़ियों को आपस में जोड़ लें और अपने पैर के पंजे को सीधे रखें.धीरे-धीरे अपने पैरों को ऊपर उठाने की कोशिश करें.पैरों को ऊपर की ओर ले जाते समय गहरी सांस लें.कुछ सेकंड इसी स्थिति में रुकें.अब पैरों को सांस छोड़ते हुए नीचे लाएं.इसी प्रक्रिया को 3 से 5 बार दोहराएं.2. भुजंगासनजमीन पर मैट बिछाएं और उस पर पेट के बल लेट जाएं.अपने पैरों को आपस में मिलाएं, हथेलियों को सीने के पास कंधों की सीध में रखें.माथे को जमीन पर रखें और शरीर को सहज रखें.गहरी सांस लेते हुए अपने आगे के शरीर के हिस्से को ऊपर की तरफ उठाएं.इस दौरान आपके हाथ भी सीधी रेखा में खड़े होने चाहिए.सिर को जितना हो सके ऊपर की तरफ उठाएं.15-30 सेकेंड के लिए इसी अवस्था में रुकें.फिर सांस छोड़ते हुए वापस सामान्य मुद्रा में लौट आएं.इस अभ्यास को एक समय में 4 से 5 बार करें.3. उष्ट्रासनइस आसन में ऊंट जैसी मुद्रा बनाई जाती है.सबसे पहले आप घुटनों के बल बैठ जाएं.अपने घुटनों की चौड़ाई कंधों के बराबर रखें.तलवे पूरे फैले हुए आसमान की तरफ रखें.अब अपनी रीढ़ की हड्डी को पीछे की तरफ झुकाते हुए दोनों हाथों से एड़ियों को छूने का प्रयास करें.ऐसा करते समय गर्दन पर अत्यधिक दबाव न पड़े.कमर से लेकर घुटनों तक का हिस्सा सीधा रहे.इस स्थिति में कुछ देर रहकर गहरी सांस लें.इसके बाद सामान्य मुद्रा में लौट आएं.एक समय में 4 से 5 बार इस अभ्यास को दोहराएं.
- हर कोई सुंदर दिखता है. लेकिन चेहरे पर मौजूद दाग-धब्बे उसकी राह में रोड़ा बन जाते हैं, जिन्हें हटाना बेहद मुश्किल हो जाता है. कुछ लोग चेहरे के दाग-धब्बे (Black spots on Face) मिटाने के लिए कई तरह के स्किन-केयर क्रीम, फेस-वॉश या लोशन या अन्य उपायों की तलाश करने लगते हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग तो बाजार से महंगी क्रीम खरीद लाते हैं, जो स्किन-इंफेक्शन जैसी शिकायतों की आशंका बढ़ाती है.1. नींबूविटामिन सी से भरपूर नींबू त्वचा पर काले धब्बे को हल्का करने में मदद कर सकता है. इसके लिए आप प्रभावित क्षेत्र पर कुछ सेकंड के लिए नींबू का रस मल सकते हैं. एक बार सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें. दाग-धब्बों को हटाने के लिए इसका आप हफ्ते में 3 से 4 बार इस्तेमाल कर सकते हैं. कुछ ही हफ्तों में आपको असर दिखने लगेगा.2. छाछछाछ भी काले धब्बों को दूर करने में मदद करती है. इसके लिए आपको 4 चम्मच छाछ और 2 चम्मच टमाटर का रस साथ मिलाकर पेस्ट बनाना होगा. इसे 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगाएं और पानी से धो लें. ऐसा हफ्ते में तीन से चार बार करें.3. टमाटरविटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर टमाटर भी आपके त्वचा का खास ख्याल रखता है. दाग धब्बे हटाने के लिए आप टमाटर की प्यूरी बना लें. फिर इससे अपनी त्वचा पर 15 मिनट तक मालिश करें और ठंडे पानी से धो लें. इसे आप महीने में दो बार कर सकते हैं.4. आलूकाले धब्बों को हल्का करने के लिए आप आलू का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आपको आलू को काटकर काले धब्बों पर रखना होगा. अपने चेहरे को हल्के गर्म पानी से धोने से पहले इसे कुछ मिनट के लिए छोड़ दें. आलू को शहद के साथ मिलाकर फेसमास्क की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
- बढ़ती उम्र के साथ बालों का सफेद होना एक सामान्य समस्या है, लेकिन इन दिनों कम उम्र के लोगों के बाल भी सफेद हो रहे हैं। गलत खानपान और बदलता लाइफस्टाइल इसकी प्रमुख वजह है। सफेद बालों को काला करने के लिए केमिकल्स युक्त प्रोडक्ट्स के बजाय घरेलू उपायों का सहारा लें। इससे आपके बालों की परेशानी भी कम होगी। साथ ही किसी तरह का नुकसान भी नहीं होगा। आज हम इस लेख में सफेद बालों को एलोवेरा से काला करने का तरीका बताएंगे। इससे आपके बालों को किसी तरह का कोई नुकसान भी नहीं होगा। साथ ही इससे ढेरों फायदे हो सकते हैं। चलिए जानते हैं बालों को काला करने के लिए कैसे लगाएं एलोवेरा ?एलोवेरा को इस्तेमाल करने का तरीका - 1आवश्यक सामग्री-एलोवेरा जूस- 1 कप, मेहंदी या कॉफी - 1- 2 चम्मचविधि-सबसे पहले 1 बर्तन में एलोवेरा जूस डालें। अब इसमें कॉफी या मेहंदी का पेस्ट अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इसके बाद इस तैयार पेस्ट को अपने स्कैल्प पर लगाएं। इस पेस्ट को बालों में लगाने के बाद करीब 30 से 40 मिनट तक के लिए सूखने छोड़ दें। इसके बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें। फिर कंडीशनर लगा लें।बालों को काला करने के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल करने का तरीका - 2आवश्यक सामग्री -एलोवेरा जेल -1 कप, नींबू का रस - 2 चम्मचविधि-एक कटोरी में एलोवेरा जेल लें। अब इसमें नींबू का रस मिक्स करके इसे बालों के स्कैल्प पर लगा लें। इसके बाद इसे करीब 20 से 30 मिनट तक सूखने दें। बाद में बालों को नॉर्मल पानी से साफ कर लें। सप्ताह में 2 से 3 बार इस पेस्ट को इस्तेमाल करने से आपके बाल काले हो सकते हैं।कितनी बार लगाएं ये पेस्ट?बालों को काला करने के लिए आप इस पेस्ट को सप्ताह में 3 से 4 बार लगाएं। नियमित रूप से बालों में पेस्ट को लगाने से आपके बाल काले हो सकते हैं। साथ ही कई अन्य परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।बालों में एलोवेरा पेस्ट लगाने के फायदे1. एलोवेरा में एंटी-ऑक्सीडेंट मौजूद होता है, जो आपके बालों को काला करने के साथ-साथ सॉफ्ट बनाए रखने में आपकी मदद कर सकता है। इसके अलावा यह बालों के रुखेपन को दूर करने का काम करता है। एलोवेरा से आपके बाल हाइड्रेट होते हैं।2. बालों को काला करने के लिए एलोवेरा काफी फायदेमंद हो सकता है। यह बालों को रंगने में आपकी मदद करता है।3. एलोवेरा में कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो आपके बालों को पोषण प्रदान करता है। इससे आपके बाल कम टूटेंगे और बालों की जड़े मजबूत होंगी।4. स्कैल्प से जुड़ी परेशानी को दूर करने के लिए आप एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके इस्तेमालसे स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को अच्छा करता है। इससे डेंड्रफ की समस्या भी दूर होती है।-----------
- इलायची भारतीय रसोई में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला है. इसका इस्तेमाल खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है. ये न सिर्फ स्वाद बढ़ाने के लिए बल्कि सेहत को बेहतर बनाने के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. हम देखते हैं कि इलायची का इस्तेमाल कई व्यंजनों में किया जाता है, लेकिन इसका पानी पीने से हमें कई फायदे मिल सकते हैं. ये स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है और शरीर को विभिन्न रोगों से बचाता है. इलायची में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इमेटिक, एंटीट्यूसिव, म्यूकोलाईटिक गुण और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं. यह पाचन स्वास्थ्य से लेकर ब्लड शुगर लेवल तक को कंट्रोल करने में मदद करती है.इलायची में पाए जाने वाले पोषक तत्वइलायची में विटामिन, राइबोफ्लेविन, नियासिन, विटामिन-सी , मिनरल, आयरन, मैंगनीज, कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे सभी जरूरी तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए जरूरी हैं.कैसे तैयार करें इलायची पानीसबसे पहले एक लीटर पानी लें.इसमें 5 से 6 इलायची को छीलकर रात भर के लिए भिगो देंसुबह उठकर इस पानी को उबाल लें.3/4 पानी रह जाने पर गैस बंद कर दें.अब इसे छानकर दिन में तीन से चार बार पीएं.इलायची पानी पीने के जबरदस्त फायदे1. शुगर को रखे कंट्रोलइलायची का पानी डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसका सेवन करने से आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है.2. पाचन क्रिया रहेगी दुरुस्तइलायची पानी के नियमित सेवन से पाचन संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं. जिन लोगों को कब्ज जैसी समस्या होती है, उन्हें इलायची के पानी का सेवन करना चाहिए.3. वजन नियंत्रण में रहेगाइलायची पानी में बड़ी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर में जमा अधिक फैट को हटाकर वजन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं.4. कोलेस्ट्रॉल रहता है नियंत्रितइलायची पानी शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है और इस प्रकार हृदय रोगों को दूर रखता है. ये शरीर में खून के थक्के जमने के खतरे को भी कम करता है.
- कॉफी के प्रति प्यार को देखते हुए दुनियाभर में 1 अक्टूबर को इंटरनेशनल कॉफी डे मनाया जाता है. सुबह की शुरुआत करनी हो या ठंड दूर करनी हो या फिर किसी को डेट पर ले जाना हो, कॉफी हर जगह फिट बैठ जाती है. लेकिन कॉफी में मौजूद कैफीन के कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं, जिसमें खराब पेट, एंग्जायटी, सीने में जलन, तेज धड़कन आदि शामिल है. लेकिन अगर आप कॉफी को सीमित मात्रा में पीएंगे, तो इससे सिर्फ फायदे प्राप्त किए जा सकते हैं.सीमित मात्रा में कॉफी पीने के फायदे -हेल्थलाइन के मुताबिक, अगर आपका स्वास्थ्य सामान्य है, तो आप रोजाना 3-5 कप कॉफी का सेवन कर सकते हैं. जिसमें कैफीन की कुल मात्रा 400 एमजी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. हालांकि, गर्भवती महिलाएं या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित मरीज को अपने लिए सही मात्रा का पता करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. आइए, सीमित मात्रा में कॉफी का सेवन करने के फायदे जानते हैं.कॉफी का सेवन करने से आपका मूड बेहतर होता है. कई रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि रोजाना कॉफी का सेवन महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार कर सकता है.कॉफी के अंदर काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. जो शरीर के लिए नुकसानदायक फ्री-रेडिकल्स या अस्थिर मॉल्क्यूल्स से लड़ने में मदद करते हैं. इसमें मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड नामक एंटीऑक्सीडेंट इंफ्लामेशन को कम करने में मददगार होता है.कुछ सीमित रिसर्च में यह भी बताया गया है कि कॉफी का सीमित मात्रा में नियमित सेवन करने से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम हो जाता है. जिसके पीछे वैज्ञानिक एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण को कारण मानते हैं.कुछ शोध के मुताबिक, दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव डालने के कारण इसका संबंध दिल के रोगों व पार्किंसन जैसी बीमारी के बचाव से जोड़कर देखा जा सकता है.कॉफी का सेवन एथलीट परफॉर्मेंस और स्टैमिना को सुधारता है. इससे मसल्स में सूजन की समस्या कम हो सकती है और यह वर्कआउट व एक्सरसाइज के लिए पर्याप्त एनर्जी देता है.
- जिन लोगों की स्किन ऑयली होती है, उन्हें बाहर निकलते ही चेहरे पर तेल, पसीना आदि महसूस होने लगता है. जिससे राहत पाने के लिए वह बार-बार फेस वॉश करते हैं. लेकिन बार-बार चेहरा धोना स्किन के लिए नुकसानदायक हो सकता है. क्योंकि, इससे चेहरे की प्राकृतिक नमी छिन सकती है और त्वचा डैमेज हो सकती है. इसके साथ ही आपको मॉश्चराइजर आदि का इस्तेमाल करना जरूरी हो जाता है.लेकिन ऑयली स्किन से बचने के लिए चेहरा धोने के अलावा भी कई विकल्प मौजूद हैं. जिससे आप चेहरे पर अतिरिक्त तेल व पसीने से भी छुटकारा पा सकते हैं और आपकी त्वचा भी डैमेज नहीं होगी. आइए फेस वॉश के इन विकल्प के बारे में जानते हैं.गुलाब जल स्प्रेआप अपने साथ एक गुलाबजल स्प्रे की छोटी बोतल रख सकते हैं. बाजार में यह आसानी से उपलब्ध होती है. जब भी आपको चेहरे पर तेल-पसीना महसूस होने लगे, तो इसे चेहरे पर स्प्रे कर लें और फिर कॉटन या किसी सूती कपड़े से साफ कर लें. इससे आपको इंस्टेंट ताजगी मिलेगी.तुलसी स्प्रेगुलाबजल की तरह आप तुलसी स्प्रे का भी उपयोग कर सकते हो. इसे घर पर बनाना काफी आसान है. एक कप पानी में 3-4 तुलसी की पत्तियां डालकर हल्की आंच पर 2-3 मिनट पकाएं. इसके बाद आंच से उतारकर मिक्सचर ठंडा कर लें और फिर किसी स्प्रे बोतल में भर लें. जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल करें, इससे मुंहासों से भी राहत मिलती है.ग्रीन टीमोटापे से छुटकारा पाने के लिए ग्रीन टी का काफी सेवन किया होगा. लेकिन इसे फेसवॉश के विकल्प के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए घर से निकलने से पहले एक कप ग्रीन टी तैयार करें और फिर उसे ठंडा कर लें. अब ग्रीन टी को स्प्रे बोतल में भरकर अपने साथ रखें और जरूरत पड़ने पर चेहरे पर स्प्रे करें.
- कॉफी हमें बहुत अधिक एनर्जी प्रदान करती है इसलिए बहुत से लोग इसे थके होने पर या कुछ भी काम करने पर जरूर पीते हैं। बहुत से लोग जो तीनों समय इसे पीते हैं उनके मन में अक्सर संशय रहता है कि कॉफी पीना सही है या गलत। कहीं हम अपने शरीर को ज्यादा कॉफी पीने से और अधिक अनहेल्दी तो नहीं बना रहे हैं। लेकिन अगर आप कॉफी को हेल्दी बनाना चाहते हैं तो यह आपके शरीर के लिए सबसे बेहतरीन ड्रिंक हो सकती है।1. कॉफी में अधिक शुगर न डालेंबहुत से लोग कॉफी को स्वादिष्ट बनाने के लिए भर-भर के चीनी का प्रयोग करते हैं और जैसा कि हम सभी जानते हैं कि चीनी हमारे स्वास्थ्य की दुश्मन होती है और अगर आप इतनी अधिक चीनी खा रहे हैं तो यह आपके स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचाने वाली है। इसलिए आपको चीनी केवल एक छोटी चम्मच ही लेनी चाहिए।2. बहुत ज्यादा कॉफी न पिएंअगर आप एक दिन में बहुत ज्यादा कॉफी पी लेते हैं तो इससे इसके सारे स्वास्थ्य लाभ जीरो हो जाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि कॉफी आपके शरीर को हानि न पहुंचाए तो आपको कॉफी को केवल सीमित ही मात्रा में पीना चाहिए। आप केवल एक दिन में दो कप कॉफी ही पी सकते हैं, इससे अधिक हानिकारक होगी।3. दोपहर दो बजे के बाद न पिएं कॉफीकॉफी में कैफ़ीन होता है जो आपको अधिक एनर्जी प्रदान करता है। इसलिए अगर आप दोपहर के बाद इसे पीते हैं तो आपको अधिक एनर्जी मिलती है। जिस कारण आप सो भी नहीं पाएंगे और अगर अच्छी नींद नहीं आती है तो बहुत सी स्वास्थ्य समस्या जन्म ले लेती हैं। इन सभी स्थितियों से बचने के लिए आपको कभी दो बजे के बाद कॉफी नहीं पीनी चाहिए।4. किसी अच्छे ब्रांड की कॉफी ही पिएंकॉफी का ब्रांड भी कॉफी की क्वालिटी बदलता रहता है। अगर आप पैसे बचाने के चक्कर में कोई सस्ती और बेकार कॉफी खरीद लेते हैं तो इससे आपको ही नुकसान होता है क्योंकि कॉफी बीन्स पर बहुत अधिक कीटनाशकों और केमिकल का छिड़काव होता है। जिस कारण यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाती है। इसलिए एक अच्छे और प्रसिद्ध ब्रांड की कॉफी ही खरीदें।5. अपनी कॉफी में थोड़ी दालचीनी भी शामिल कर लेंदालचीनी आपके ब्लड ग्लूकोज को कम करती है और यह डायबिटिक लोगों के लिए लाभदायक होती है। इसलिए अगर आप दालचीनी को अपनी कॉफी में एड करते हैं तो वह और अधिक फ्लेवर के साथ टेस्टी तो बनेगी ही साथ में यह आपके लिए और ज्यादा लाभदायक और सेहतमंद भी होगी।6. कॉफी में कुछ कोकोआ पाउडर डालेंकोकोआ में एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं और यह आपको बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। जिस में हृदय रोगों के होने की संभावना भी कम हो जाती है। कोकोआ एड करने से आपकी कॉफ़ी का फ्लेवर और अधिक बढ़ जाता है, इससे स्वाद भी दोगुना हो जाता है। इसे शामिल करने से आप शुगर एड करने से भी बच सकते हैं जिससे आपकी कॉफ़ी और अधिक हेल्दी बनेगी।7. आर्टिफिशियल क्रीमर का प्रयोग न करेंआर्टिफिशियल क्रीमर बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड और इनमें कुछ हानिकारक तत्व भी मिले होते हैं इसलिए यदि आप कॉफी को पतला करने के लिए इन क्रीमर का प्रयोग न करें। उसकी जगह दूध का प्रयोग करें।यदि आप हमारे बताये गये इन सभी टिप्स का पालन करते हैं तो, इससे आप को कॉफी पीने से कोई नुकसान नहीं होगा। ध्यान रखें कि अति हर चीज की बुरी होती है, इसलिए स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए केवल एक दिन में कॉफी के दो कप पिएं इससे ज्यादा नहीं।----
- आयुर्वेदिक हेयर ऑयल लगाने से बाल झडऩे बंद हो जाता है। बाल समय से पहले सफेद नहीं होते, स्कैल्प इंफेक्शन नहीं होता, बालों में चमक बरकरार रहती है आदि। दादी-नानी के समय से नैचुरल आयुर्वेदिक हेयर ऑयल चर्चा में है। घर पर आप आयुर्वेदिक हेयर ऑयल को आसानी से बना सकते हैं। ये नैचुरल होने के कारण कैमिकल फ्री होता है और आपके बालों को नुकसान नहीं पहुंचाता।आयुर्वेदिक तेल बनाने का तरीकासामग्री: संतरे के छिलके का पाउडर, आंवला पाउडर, शिकाकाई, रीठा, नीम के पत्ते, नारियल का तेल।विधि- आंवला पाउडर में गुनगुना पानी डालकर पेस्ट बनाएं। अब शिकाकाई, रीठा, संतरे के छिलके के पाउडर को भी गुनगुने पानी में डालकर पेस्ट बना लें। इसमें नीम के पत्ते भी मिला दें। अब कढ़ाई में नारियल का तेल गरम करें और उसमें ये पेस्ट डालकर अच्छी तरह से चलाएं। अब पेस्ट को तेल में अच्छी तरह से मिला लेेंं जब तक तेल का रंग न बदल जाए। कढ़ाई को बंद करके तेल को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर एक सूती कपड़ा लें और उसे खाली बाउल पर रख दें। अब कढ़ाई का तेल सूती कपड़े पर डालें, इससे तेल छनकर बाउल में आ जाएगा। आयुर्वेदिक तेल तैयार है, आप इसे बालों पर इस्तेमाल कर सकते हैं।हेयर ऑयल को स्टोर कैसे करें?इस हेयर ऑयल में कई ऐसे इंग्रीडिएंट मौजूद हैं जो कई दिनों तक खराब नहीं होते। आप तेल को और अच्छा बनाने के लिए उसमें एलोवेरा पल्प और मेथी दाने का पेस्ट भी मिला सकते हैं। आपको इस तेल को एक साफ कंटेनर में स्टोर करना है। आप तेल को रूम टैम्प्रेचर पर दो हफ्ते और फ्रिज में कम से कम एक महीने तक स्टोर कर सकते हैं। ये तेल आसानी से खराब नहीं होता पर इसमें प्रिजर्वेटिव मौजूद न होने के कारण आप इसे जल्दी से जल्दी बनाकर इस्तेमाल कर लें और उतनी की मात्रा में बनाएं जितना दो हफ्ते चल जाए।
- हर इंसान अपनी त्वचा को हेल्दी और खूबसूरत रखना चाहता है और इसी चाहत के ऊपर पूरी ब्यूटी इंडस्ट्री चल रही है. लेकिन हम कुछ देसी चीजों को इस्तेमाल करके भी त्वचा का स्वास्थ्य बरकरार रख सकते हैं और यह तरीका बजट फ्रेंडली भी होता है. इसी कड़ी में आपको बता दें कि सूरजमुखी के बीज का तेल कई ब्यूटी बेनिफिट्स देता है. जिनके बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं.सूरजमुखी के बीज के तेल के फायदे -अगर आप सूरजमुखी के बीज का तेल इस्तेमाल करते हैं, तो उससे आपको निम्नलिखित फायदे प्राप्त होंगे.सूरजमुखी के बीज का तेल मुंहासों से छुटकारा दिलाने के लिए फायदेमंद होता है. इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेटरी गुण मुंहासों की इंफ्लामेशन को कम करते हैं और यह रोमछिद्रों को पोषण देकर टाइट बनाता है.सनफ्लावर सीड ऑयल में कई विटामिन, मिनरल्स और पोषक तत्व मौजूद होते हैं. जो त्वचा को पोषण देने के साथ रंगत निखारते हैं. इनमें प्रमुख रूप से कॉपर, जिंक, आयरन, फैटी एसिड, विटामिन सी, विटामिन डी, विटामिन ई आदि शामिल हैं.अगर आपकी त्वचा से नमी खो गई है या फिर आपकी स्किन ड्राई है, तो आपके लिए भी सनफ्लावर सीड ऑयल मददगार हो सकता है. यह त्वचा को नमी प्रदान करता है, जिससे वह हाइड्रेट रहती है.इस तेल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स बढ़ती उम्र के लक्षण जैसे झुर्रियां, झाइयां आदि से राहत दिलाते हैं.इस्तेमाल करने का तरीका---सूरजमुखी के बीज का तेल इस्तेमाल करने के लिए इसकी कुछ बूंदें लें और हथेलियों में रगड़कर त्वचा पर मसाज करें.
- बचपन में आपने कई बार अमरूद और आम की पत्तियों को चबाया होगा। आपको तब शायद मालूम न हो कि अमरूद की पत्तियों को चबाने से आपके पेट की ऐंठन ठीक हो जाती है तो, आम की पत्तियों को चबाने से डायबिटीज नहीं होता। जबकि ये सब औषधीय गुणों से भरपूर हैं और इन पत्तों से निकलने वाला अर्क कई बीमारियों का रामबाण इलाज है। दरअसल, आयुर्वेद में कुछ जड़ी बूटियां औषधीय पेड़ों और पौधों की पत्तियों से बना करती हैं। आज हम आपको ऐसी 10 पत्तियों के बारे में बताएंगे जो कि आपके आस-पास ही मिलती हैं और जिन्हें खाली पेट चबा कर आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।1. नीम की पत्तियांनीम की पत्तियां अपने आप में एंटीबैक्टीरियल और एंटी एलर्जिक गुणों से भरपूर हैं। रोजाना इनका खाली पेट सेवन करने से पेट में कीड़े नहीं होंगे। ये खून की साफ करती हैं और त्वचा को अंदर से स्वस्थ बनाती हैं। साथ ही नीम की पत्तियों का खाली पेट सेवन करने से ब्लड वेसेल्स हेल्दी रहती हैं और दिल की बीमारियां नहीं होतीं। साथ ही ये बुखार, डायबिटीज, मसूड़ों की बीमारी और लिवर की समस्याओं से भी बचाव में मदद करती हैं।2. तुलसी की पत्तियांतुलसी की पत्तियों में एंटीवायरल गुण होते हैं जो कि मौसमी बीमारियों से बचाव में मदद करती हैं। साथ ही इसकी एंटी इंफ्लेमेटरी गुण शरीर में सूजन को कम करने में मदद करती है। यहां तक कि जोड़ों के दर्द से भी इसकी पत्तियां आपको बचाती हैं। इसके अलावा इसके एंटीबैक्टीरियल गुण श्वसन रोगों, मूत्र रोगों, पेट और त्वचा के संक्रमण से भी लडऩे में मदद करते हैं। साथ ही रोजोना तुलसी की 4 पत्तियों को खाना इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करते हैं।3. पुदीनापुदीने के पत्ते में एंटीएसिडिक गुण होते हैं यानी कि ये एसिडिटी को कम करता है। इसलिए जिन लोगों को रेगुलर गैस की समस्या रहती हैं उन्हें इसका सेवन जरूर करना चाहिए। साथ ही पुदीना पेट का पीएच सही करता है और मेटाबोलिज्म तेज करता है। इसे सुबह-सुबह चबाने से मौसमी एलर्जी, अस्थमा और सर्दी-जुकाम को कम करने में मदद करता है।4. करी पत्ताकरी पत्ता खाली पेट चबाने का सबसे ज्यादा फायदा डायबिटीज के मरीजों को होता है। दरअसल, ये शरीर में शुगर को कम करता है और पेनक्रियाज को हेल्दी रख कर इंसुलिन के प्रोडक्शन में मदद करता है। ये कब्ज और डायरिया को भी ठीक करने में मदद करता है। करी पत्ता खाने से वजन संतुलित करता है, कोलेस्ट्रॉल कम करता है और स्किन और बालों को भी हेल्दी बनाने में मदद करता है।5. अजवाइन के पत्तेतेज पेट दर्द हो रहा है या फिर खाने के बाद एसिडिटी महसूस हो रही है तो, अजवाइन के पत्तों का सेवन करना चाहिए। इन पत्तों में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जिस चबा कर खाने से पेट के इंफेक्शन को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही सर्दी-जुकाम में इसकी पत्तियों को शहद के साथ मिला कर खाने से आपको सर्दी-जुकाम से छुटकारा मिल सकता है। इसके अलावा आर्थराइटिस के दर्द को दूर करने और सूजन से बचाव के लिए भी आप अजवाइन के पत्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं।6. जामुन के पत्तेजामुक के पत्ते का सेवन कर आप शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं। दरअसल, इसके पत्ते का अर्क इंसुलिन के प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे शुगर तेजी से पचाता है डायबिटीज में ये बहुत फायदेमंद है। साथ ही मुंह के छालों में भी इसे चबा कर खाना माउथ इंफेक्शन को कम कर सकता है। इसके अलावा अपच और कमजोर पाचनतंत्र को मजबूत बनाने में भी जामुन के पत्ते मददगार हैं।7. पान के पत्तेपान के पत्ते एंटी डायबिटिक गुणों से भरपूर है। साथ ही ये हाई कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करने में मदद करता है। पान के पत्ते एंटी बैक्टीरियल से भी भरपूर है जो कि इंफेक्शन को रोकने में मदद करता है। पान के पत्ते माउथ फ्रेशनर की तरह काम करते हैं और मुंह को साफ रखते हैं।8. धनियाधनिया ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है। ये कुछ ऐसे एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है जो कि इम्यूनिटी बढ़ाता है। साथ ही धनिया के पत्ते कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मददगार है। ये दिल की सेहत बनाता है। इसके अलावा ये वेट लॉस करने वाले के लिए भी मददगार है क्योंकि ये बॉवेल मूवमेंट तेज करता है और फैट पचाने में मददगार है।9. जिन्कगोजिन्कगो लीफ एक्सट्रेक्ट का उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, थकान और टिनिटस जैसी विभिन्न स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका उपयोग स्मृति में सुधार और मेमोरी लॉस जैसे अन्य मस्तिष्क विकारों को रोकने के लिए भी किया जाता है। पर ध्यान रहे कि इसके ज्यादा इस्तेमाल से बचें नहीं तो ये नुकसानदायक हो सकता है।10. सौंफ का पत्तासौंफ के पत्ते पित्त को शांत करता है। ये भूख बढ़ाता है और भोजन को पचाता है। साथ ही ये मूड भी फ्रेश करता है। ये हृदय, मस्तिष्क तथा शरीर के लिए कई प्रकार से लाभकारी होता है। गठिया आदि वात रोगों को कम करता है और अपच और कब्ज की समस्या में भी फायदेमंद है।
- पपीता सेहत के लिहाज से हमेशा से ही फायदेमंद माना गया है। पपीते में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा होती है, जिसकी वजह से ये डायबिटीज, दिल की बीमारियों और यहां तक कि अल्जाइमर में भी खाना फायदेमंद है। इसके अलावा पपीते के कुछ खास गुण होते हैं जैसे कि इसमें ल्यूटिन और जेक्सैन्थिन कैरोटिनॉयड्स होते हैं, तो वहीं इसमें विटामिन सी और विटामिन ई भी होता है जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ त्वचा और बालों के लिए भी कई प्रकार से लाभदायक है। ये त्वचा के लिए फायदेमंद है। दरअसल, ये शरीर को डिटॉक्स करता है और खून को साफ रखता है जिससे त्वचा में नेचुरल ग्लो आता है। सुबह-सुबह नाश्ते से पहले लगभग 1 कटोरी पपीता काला नमक मिला कर खाने से शरीर को ज्यादा लाभ पहुंचता है।1. पेट फूलने की समस्या में फायदेमंदखाली पेट पपीता खाने से आप पेट फूलने की समस्या से बच सकते हैं। खराब पाचन वाले लोगों के लिए रोजाना पपीता खाना जरूरी है। दरअसल, ब्लोटिंग कई बार स्ट्रेस के कारण भी होता है। पपीता पाचन तंत्र पर तनाव को दूर करती है और भोजन को तेजी से मेटाबोलाइज करने में मदद करती है। पपीते में पपैन नामक एंजाइम होता है, जो भोजन को तेजी से तोडऩे में मदद करता है और एसिडिटी को रोकता है। साथ ही इसके कुछ एंटीऑक्सीडेंट्स पेट में सूजन को कम करने में भी मदद करते हैं। इस तरह खाली पेट पपीता खाना ब्लॉटिंग का इलाज कर सकता है।2. कब्ज दूर करता हैपपीता कब्ज के मरीजों के लिए रामबाण इलाज है। इसमें फाइबर होता है जो कि बॉवेल मूवमेंट को तेज करता है और मल को सॉफ्ट करता है जिससे आप आसानी से मल त्याग कर सकें। इसके अलावा पपीता एक ऐसा फल है जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है जो कब्ज की समस्या को रोकता है और एक स्वस्थ पाचन तंत्र को बढ़ावा देता है। पपीते में मौजूद एक और एंजाइम काइमोपापेन सूजन का इलाज करता है और चयापचय में सुधार करता है। इसके अतिरिक्त, खाली पेट पपीता खाने से अपच, सूजन, कब्ज और पेट खराब होने जैसी पाचन संबंधी कई समस्याएं ठीक हो जाती हैं।3. पीरियड्स के दर्द और ब्लॉटिंग को कम करता हैपीरियड्स के दर्द और ब्लॉटिंग को कम करने में पपीता आपकी मदद कर सकता है। दरअसल, पपीता एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है और पीरियड्स के दर्द और ब्लॉटिंग को आसानी से कम कर सकता है। ये ऐंठन को कम कर सकता है। पपीते में मौजूद कैरोटीन गर्भाशय के संकुचन को प्रोत्साहित करता है और पीरियड्स को प्रेरित करता है जिस वजह से आप अनियमित पीरियड्स से बच सकते हैं। साथ ही कैरोटीन एस्ट्रोजन हार्मोन के उत्पादन को भी बढ़ाता है, जिससे पीरियड्स और प्रेग्नेंसी दोनों ही हेल्दी तरीके से रेगुलेट होते हैं।4. डायबिटीज में फायदेमंदडायबिटीज के मरीजों के लिए खाली पेट पपीता खाना बहुत फायदेमंद है। दरअसल, पपीता लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड्स में से है जो कि शुगर को कम करने में मदद करता है। इसे खाली पेट खाने से शरीर में शुगर की मात्रा अचानक से नहीं बढ़ती और पूरा दिन शुगर रेगुलेट रहता है। रेगुलर इसे खाली पेट खाने से आप पाएंगे कि डायबिटीज के कई लक्षण कम होने लगते है। इसके अलावा ये डायबिटीज में कब्ज की समस्या को भी दूर करता है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट डिसफंक्शन को भी रोकता है।5. कोलेस्ट्रॉल कम करता हैकोलेस्ट्रॉल मोटापा, डायबिटीज और दिल की बीमारियों का कारण बनता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपना कोलेस्ट्रॉल कट्रोल करें। खाली पेट पपीता खाने से इसका फाइबर आंतों में जमे बैड कोलेस्ट्रॉल और फैट को कम करने में मदद करता है। साथ ही ये लिपोप्रोटीन को भी कम करता है और हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण होने वाली बीमारियों से बचाव में मदद करता है।
- शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सभी लोगों को पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ और पौष्टिक आहार के सेवन की सलाह दी जाती है। असल में इसके पीछे का उद्देश्य शरीर को प्रोटीन, विटामिन और आवश्यक खनिज की पूर्ति करना होता है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण कई प्रकार के गंभीर रोगों का खतरा हो जाता है, शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाना भी उन्हीं में से एक है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रकार का प्रोटीन है, जिसके कमी के कारण शरीर में खून की मात्रा घट जाती है। इस स्थिति में एनीमिया रोग होने का खतरा हो सकता है, कई स्थितियों में एनीमिया जानलेवा भी हो सकती है।गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों में हीमोग्लोबिन की कमी होने का खतरा अधिक होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अगर स्वस्थ आहार का रोजाना सेवन किया जाए तो हीमोग्लोबिन की कमी को आसानी से दूर किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि हीमोग्लोबिन की कमी कितनी खतरनाक हो सकती है, साथ ही किन चीजों का सेवन करके इस समस्या से बचे रह सकते हैं?हीमोग्लोबिन की कमी बन सकती है गंभीर समस्याओं का कारणस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हीमोग्लोबिन की कमी के कारण एनीमिया का खतरा हो सकता है। यदि परीक्षण में हीमोग्लोबिन की मात्रा पुरुषों में 13.5 ग्राम/ डीएल और महिलाओं में 12 ग्राम/ डीएल से कम आती है तो इस स्थिति को एनीमिया माना जाता है। एनीमिया कई अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकती है, जैसे कि किडनी की बीमारी और कैंसर के लिए की गई कीमोथेरेपी (जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है) आदि।हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षणस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को इसके प्रारंभिक लक्षणों के आधार पर पहचाना जा सकता है। समस्या का अगर जल्दी निदान हो जाए तो रोग को गंभीर होने से रोका जा सकता है। यदि आप में लंबे समय से यह समस्याएं बनी हुई हैं तो सावधान हो जाएं।कमजोरी या थकान।सास लेने में दिक्कत।सिर चकरानातेज़ या अनियमित दिल की धड़कनसिरदर्द, हाथ और पैर का ठंडा होना।त्वचा में पीलेपन की समस्या।छाती में दर्द।हीमोग्लोबिन की कमी को कैसे दूर करें?स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके लिए सभी लोगों को आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए। आहार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि मांस, गहरे हरे पत्ते वाली सब्जियां, सूखे मेवे और नट्स को जरूर शामिल करना चाहिए। मांस और डेयरी उत्पाद विटामिन-बी12 के अच्छे स्रोत हैं वहीं फोलिक एसिड के लिए खट्टे फलों के रस, फलियां और अनाज का सेवन किया जा सकता है। यह सभी शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाने में सहायक माने जाते हैं।
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आलूबुखारा एक कम कैलोरी वाला फल है, जो फाइबर, विटामिन (ए, के और सी), कॉपर, मैंगनीज, फास्फोरस और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता हैै। ये पोषक तत्व एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण प्रदान करते हैै। इससे हृदय और पाचन तंत्र स्वस्थ रहता हैै। स्वाद में खट्टा-मीठा आलूबुखारा गर्मियों में आने वाला मौसमी फल हैै।
आलुबुखारा गहरे बैंगनी-लाल या हरे-पीले रंग में पाया जा सकता हैै। यह फल कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम, फोलेट और विटामिन जैसे ए, सी, और के का एक अच्छा स्रोत है, जो कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ देता हैै। आलूबुखारा में पाए जाने वाले फाइबर्स, शरीर के अंगों के सुचारू बनाते हैं और पाचन क्रिया को भी दुरूस्त करते हैंै। इसके साथ ही यह सौंदर्य बढ़ाने के भी काम आता हैै। इस फल को अंग्रेजी में प्लम कहते हैं।
वजन कम करने में मददगार
आलूबुखारा वजन कम करने में मददगार होता हैै। आलूबुखारे के 100 ग्राम में लगभग 46 कैलोरी होती हैै। इसमें अन्य फलों की तुलना में कैलोरी काफी कम पाई जाती हैै। इस कारण से यह वजन नियंत्रित करने में भी सहायक होता है।
आंखों की सेहत के लिए फायदेमंद
आलूबुखारे में मौजूद विटामिन-सी आंखों और त्वचा को स्वस्थ रखने में सहायक है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता हैै। इसके इलावा इसमें विटामिन-के एवं बी 6 भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैै।
स्वस्थ हृदय के लिए फायदेमंद
आलूबुखारा कोलेस्ट्रोल को कम करने में मदद करता हैै। इसमें ओमेगा -3 भरपूर मात्रा में होता हैै। ये हृदय से जुड़ी कई बीमारियों को दूर करने में मदद करता हैै। इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता हैै।
हड्डियों को बनाता है मजबूत
एक अध्ययन के अनुसार, आलूबुखारा ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया जैसी हड्डियों के जोखिम को कम करने में मदद करता हैै। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैंै। ये हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
दिमाग को रखे स्वस्थ
इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स आपकी त्वचा के साथ ही दिमाग को भी स्वस्थ रखने में सहायता करते हैं। यह मानसिक तनाव को कम करने में भी अहम भूमिका निभाता हैै। - मुंबई। बॉलीवुड एक्टर अरशद वारसी ने अपने लेटेस्ट बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन से फैंस को चौंका दिया है। अरशद ने हाल ही में अपनी दो तस्वीरों का कोलॉज पोस्ट किया, जिसमें उनके बाइसेप्स और मसल्स इतने सुडौल दिख रहे हैं कि फैंस ने उनकी तुलना जॉन सीना से करनी शुरू कर दी। अरशद ने पोस्ट किया है कि ये ट्रांसफॉर्मेशन उन्होंने अपने नए प्रोजक्ट के लिए किया है। उन्होंने लिखा, " अभी लंबा रास्ता तय करना है, लेकिन अगले प्रोजेक्ट के लिए शेप में आना है।" अरशद के इस बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन की कई अन्य एक्टर्स ने भी तारीफ की है। हालांकि अरशद ने ये साफ नहीं किया है कि उनका अगला प्रोजक्ट क्या होने वाला है।गौरतलब है कि 5 महीने पहले ही अरशद ने लॉकडाउन के दौरान बढ़े वजन को लगभग 6 किलो तक कम किया था। इसकी जानकारी भी उन्होंने सोशल मीडिया पर दी थी कि उन्होंने एक महीने में ही काफी वजन कम किया था। 52 साल की उम्र में अरशद जिस तरह से अपने रोल्स के मुताबिक अपने बॉडी को ढाल रहे हैं, वो तमाम फिटनेस फ्रीक्स के लिए प्रेरणा हैं।अरशद वारसी को पिछले वेस लॉस के बारे में पढ़कर जब बॉलीवुड एक्ट्रेस रवीना टंडन चौंक गई थीं। जब रवीना ने अरशद से पूछा कि उन्होंने ऐसा कैसे किया? तो अरशद वारसी ने रवीना को ट्वीट कर बताया "एक महीने के लिए बहुत सख्त आहार पर था। जीरो काब्र्स, कार्डियो और वजन प्रशिक्षण से 30 दिनों में 6 किलोग्राम वजन कम कर पाया।बता दें कि अरशद वारसी का वेट लॉस सीक्रेट सबसे मुख्य अंग है केटोजेनिक आहार और इंटरमिटेंट डाइट प्लान । उन्होंने बताया कि इन दोनों डाइट को उन्होंने एक साथ जोड़ कर इसका सख्ती से पालन किया। साथ ही अरशद बताते हैं कि उन्होंने इसके साथ विशेष प्रकार के कार्डियो व्यायाम के साथ रुक-रुक किया और कीटो डाइट में रहने के दौरान ट्रेडमिल पर कुछ खास व्यायाम किए।क्या आप भी कीटो डाइट और इंटरमिटेंट डाइट प्लान को एक साथ मिला सकते हैं?भले ही केटोजेनिक आहार और इंटरमिटेंट डाइट प्लान दो अलग-अलग योजनाएं हैं, जो वजन घटाने-हानि को बढ़ावा देने वाले परिणामों के साथ आते हैं, पर क्या इन्हें एक साथ भी फॉलो किया जा सकता है। तो जी हां, बिलकुल किया जा सकता है। दरअसल दो आहार योजनाओं का संयोजन बहुत से लोग तेजी से वजन घटाने का परिणाम पाने के लिए करते हैं। केटोजेनिक आहार एक कम कार्ब आहार है, जो आपके कार्ब सेवन को दिन में 20-50 काब्र्स तक सीमित करता है, वहीं इंटरमिटेंट डाइट प्लान में निर्धारित भोजन और उपवास शामिल होते हैं, जो कई स्वरूपों में किया जा सकता है।कैसे फॉलो करें कीटो डाइट और इंटरमिटेंट डाइट प्लान को एक साथकेटोजेनिक आहार और इंटरमिटेंट डाइट प्लान दो आहार योजनाओं का संयोजन एक प्रभावी संभावना की तरह लगता है, लेकिन केवल सही ढंग से किया जाए, तभी आप इसका फायदा उठा सकते हैं। दरअसल ऐसा करने से इसका सबसे बड़ा अंतर आपकी भूख पर पड़ता है। दरअसल इसमें आपको इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कीटो डाइट फॉलो करना होता है। ऐसे में आप अपने प्रोटीन और वसा के सेवन को नियंत्रित करते हुए अपने आहार में कार्ब सेवन को प्रतिबंधित करते हैं, जिससे आपको फास्ट के दौरान बहुत भूख न लगे। इसका एक और फायदा ये होता है कि आपका फैट आसानी से बर्न होता है। क्योंकि इंटरमिटेंट फास्टिंग , थर्मोजेनेसिस या गर्मी उत्पादन को बढ़ावा देकर चयापचय बढ़ाता है, जो शरीर में जिद्दी वसा भंडार का उपयोग करके उसे जलाता है। वहीं कीटो-समृद्ध खाद्य पदार्थों के साथ, आपका शरीर वेट लॉस करने के लिए भी ऊर्जा देता है, जिसकी मदद से आप कार्डियो व्यायाम आदि भी अच्छे से कर पाते हैं। इन तरह ये सभी संयोजन आपको आसानी से वजन घटाने में मदद करते हैं।
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भारत में चाय के शौकीनों की भरमार है और इन शौकीनों में ऐसे भी कई लोग हैं, जो शरीर की चर्बी से छुटकारा पाना चाहते हैं। इन लोगों के लिए इससे बड़ी खुशी की कोई बात नहीं होगी, अगर इनकी मनपसंद चाय ही वेट लॉस में मदद करने लगे। इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी एक चीज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे चाय में मिलाकर पीने से तेजी से आपका फैट बर्न होने लगता है। फैट बर्न करने वाली इस जड़ी-बूटी का नाम दालचीनी है। जिसे रोजाना चाय में मिलाकर पीने से शरीर की चर्बी घटाई जा सकती है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं....
वजन घटाने में दालचीनी कैसे मदद करती है?
शरीर का वजन और चर्बी घटाने के लिए दालचीनी को सहायक माना जाता है। साथ ही यह जड़ी-बूटी कई तरह से इस्तेमाल की जा सकती है। साल 2012 के दौरान जर्नल ऑफ न्यूट्रिशनल साइंस एंड विटामिनोलॉजी में प्रकाशित स्टडी में इस बात का खुलासा किया गया था। स्टडी में दालचीनी को चूहों की आंत की चर्बी घटाने में मददगार पाया गया। वहीं, दालचीनी डायबिटीज से राहत दिलाने में भी फायदेमंद देखी गई है।
फैट बर्न करने के लिए चाय कैसे बनाएं
अगर आप चर्बी घटाने वाली चाय बनाना चाहते हैं, तो अपनी चाय को इस तरह बनाएं। सबसे पहले एक बर्तन में दो कप पानी डालकर उसे गर्म करें। अब इसमें एक इंच अदरक और एक इंच ही दालचीनी डालकर पानी को उबलने दें। पानी जब उबालें, तो बर्तन को ढंक दें। थोड़ी देर बाद इस पानी में आधा चम्मच ग्रीन टी डालकर गैस बंद कर दें। इस चाय को करीब 3-4 मिनट के लिए रखा रहने दें और फिर छानकर एक चम्मच शहद और नींबू का रस डालकर सेवन करें।
- कंदमूल को कई जगहों पर रामफल भी कहा जाता है। इसके पीछे कहानी है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान इसे ही खाया था। दरअसल, ये एक जंगली फल है जिसे लोग अपने खेतों में लगाते तो नहीं है, पर कहीं-कहीं इसका पेड़ अपने आप ही उग आता है। पर इस जंगली फल में कई ऐसे आयुर्वेदिक लाभ छिपे हैं जो कि आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। कंदमूल फल विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन और कुछ फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर हैं। इसे वे लोग ज्यादा खाते हैं जिन्हें जोड़ों में दर्द व गठिया जैसी समस्याएं होती हैं। इसके अलावा ये इम्यूनिटी बू्स्टर फल भी है जिसे आप सर्दी-जुकाम में भी खा सकते हैं। इसी तरह कंदमूल फल खाने के फायदे कई हैं, आइए हम आपको बताते हैं इनके बारे में विस्तार से।1. वजन घटाने में मददगारकंदमूल फल में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। साथ ही इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है जिसकी वजह से भूख को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ये दोनों ही चीजें वजन घटाने के लिए बेहद जरूरी है। दरअसल, फाइबर मेटाबोलिज्म को तेज करता है और पाचन क्रिया को सक्रिय रखने में मदद करता है। इससे फैट आसानी से पचता है और वजन तेजी से घटाया जा सकता है।2. बालों के लिए फायदेमंदकंदमूल फल बालों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। दरअसल, जिन लोगों के बाल तेजी से झड़ रहे हैं या सफेद हो रहे हैं उन लोगों के लिए इसे खाना बहुत फायदेमंद है। दरअसल, कंदमूल फल में कुछ एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कि सफेद बालों को काला करने में मददगार है। इसके अलावा इसका विटामिन सी बालों को मजबूत बनाने के साथ स्कैल्प को हेल्दी रखने में मदद करता है। साथ ही जिन लोगों में आयरन की कमी से बाल झड़ रहे हैं उनके बालों को भी ये झडऩे से रोकता है।3. कोलेस्ट्रॉल कम करता हैकंदमूल फल हृदय संबंधी समस्याओं के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। फल में विटामिन सी होता है जो कि बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार है। साथ ही ये ब्लड वेसेल्स को भी हेल्दी रखता है और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में ब्लड वेसेल्स को फैलाने और ब्लड सर्कुलेशन को आरामदायक बनाने में मदद करता है।4. विटामिन बी6 से भरपूर हैकंदमूल फल में विटामिन बी6 होता है जो कि शरीर में फैट के पाचन को सही रखने में मदद करता है। इस तरह ये शरीर में फैट के बढऩे से होने वाली बीमारियों जैसे कि मोटापा और दिल की बीमारियों से बचाता है। साथ ही ये विटामिन किडनी में पथरी की समस्या को भी रोकता है।5. हीमोग्लोबिन बढ़ाता हैजिन लोगों के शरीर में आयरन की कमी होती है उनमें हीमोग्लोबिन की कमी भी पाई जाती है। ऐसे में आयरन से भरपूर कंदमूल फल खाने से शरीर मे आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है और हीमोग्लोबिन के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इस तरह ये कोशिकाओं को हेल्दी रख कर शरीर में ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन पहुंचाने में मदद करता है। इसके अलावा आयरन की कमी से मांसपेशियों में ऐंठन भी हो सकती है जिसे भी इसके सेवन से कम किया जा सकता है।कंद मूल फल से आप दूध, मेवा और दालचीनी मिला कर एक स्मूदी तैयार कर सकते हैं और इसे हफ्ते में तीन बार पी सकते हैं। ये एक वेट लॉस ड्रिंक की तरह काम करेगा। साथ ही आप कंदमूल मूल फल की सब्जी बना कर या फिर भजिया बन कर भी खा सकते हैं। इसके अलावा आप वेट लॉस के लिए इसे उबाल कर और अपने सलाद में शामिल करके भी खा सकते हैं। साथ ही इसे उबाल कर और नमक मिला कर खाने से भी शरीर को सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी परेशानियों से भी बचाया जा सकता है।