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- आयुर्वेद में काफी लंबे समय से कुमकुमादि तेल का इस्तेमाल किया जाता है। यह हमारी त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद है। कुमकुमादि तैलम को कुमकुमादि तेल कहते हैं। यह एक आयुर्वेदिक औषधि में से एक है। कुंकुमादि प्राचीन औषधीय है, जिसका वर्षों से इस्तेमाल किया जा रहा है। यह 26 तरह के हर्बल से तैयार औषधीय तेल है। कुंकुमादि तेल का इस्तेमाल चेहरे को गोरा बनाने, झुर्रियों को हटाने और दाग-धब्बों को दूर करने के लिए किया जाता है।किस तरह से तैयार होता है कुमकुमादि तेलकुंकुमादि तेल को तैयार करने के लिए लगभग 26 तरह के जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं इसमें इस्तेमाल करने वाली जड़ी-बूटियां- चंदन, लाक्षा, केसर, मंजिष्ठा, लीकोरिस , मधुका, कालियाका-बर्बेरिस एरिस्टाटा , गोक्षुरा, शलपरनी, पाताल, गांभरी, प्रिंशनपर्णी, इंडियन लोटस, जावा अंजीर, इंडियन लैम्पस, बरगद और तिल का तेल, बकरी का दूध आदि।कैसे करें कुंकुमादि तेल का उपयोगकुंकुमादि तेल में पोषक तत्व और औषधीय गुण भरपूर होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करें। कुंकुमादि तेल का इस्तेमाल करने के लिए कुछ विशेष निर्देश दिए जाते हैं।-इसका इस्तेमाल सिर्फ बाहरी हिस्से में किया जाता है। तेल का इस्तेमाल करने से पहले अपने हाथों और चेहरे को अच्छी तरह धोएं। अपनी उंगलियों में तेल को लगभग 10-15 मिनट के लिए गोलाकार मालिश करें। अच्छे रिजल्ट के लिए रात के समय तेल से मालिश करें। नियमित रूप से दिन में 2 बार इस तेल का इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। तेल को कम से कम 1 से 2 घंटा अपने फेस पर लगाएं। अगर आपको इस तेल से एलर्जी है, तो तेल का इस्तेमाल ना करें।सूजन के लिए कुमकुमादि तेलम के लाभकुमकुमादि तेल में अधिकतर ऐसी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें एंटी-इंफ्लामेटरी का गुण पाया जाता है। अगर आप इस तेल के साथ बकरी के दूध का इस्तेमाल करके लगाते हैं, तो इससे आपको सूजन की समस्या दूर होगी है। इसके इस्तेमाल से गठिया का दर्द और सूजन की समस्या से भी राहत मिलता है।प्रतिरक्षा को बढ़ाए कुंकुमादि तेलकुंकुमादि तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण भरपूर रूप से होता है। इसमें गांभरी नामक तत्व होता है। इसके इस्तेमाल से आपके शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति बेहतर होती है। कुमकुमादि तेल में ल्यूटोलिन और बेंजोइक एसिड नामक तत्व होता है। कुमकुमादि तेल में तिल का तेल मिलाया जाता है, जिसमें फैटी एसिड और विटामिन ई भरपूर रूप से होता है, जो हानिकारक फ्री रेडिकल्स से स्किन की कोशिकाओं का बचाव करते हैं। नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करने से आपकी कोशिकाओं को पुनर्जीवित होने में मदद मिल सकता है।हाइपरपिग्मेंटेशन दूर करे कुमकुमादिनियमित रूप से कुमकुमादि तेल का इस्तेमाल करने से हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या से राहत मिलता है। इससे स्किन की गहराई से सफाई होती है। इसके इस्तेमाल से अन्य क्रीम और तेलों की तुलना में चेहरे की सफाई गहराई से साफ होती है। यह आपके स्किन के छोटे और बड़े हिस्से को प्रभावित करता है।प्राकृतिक सनस्क्रीनयह हमारी स्किन के लिए नैचुरल सनस्क्रीम की तरह काम करता है। इसमें विटामिन ई सहित कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, तो हमारी स्किन के लिए अच्छे होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट भी इसमें उच्च मात्रा में होते हैं, सूर्य की हानिकारक किरणों से आपकी स्किन का बचाव करते हैं।कुमकुमादि तेल के नुकसानकुमकुमादि तेल के इस्तेमाल से आपके स्किन का दाग-धब्बा दूर हो सकता है। लेकिन ऑयली स्किन वालों के लिए ठीक नहीं होता है। इसके इस्तेमाल से त्वचा तैलीय हो सकती है और इसका इस्तेमाल त्वचा पर ज्यादा देर तक ना करें।------
- अमरूद तो आपने खाया ही होगा, लेकिन क्या आप उसके फायदों के बारे में जानते हैं? जुलाई-अगस्त महीने में भरपूर मात्रा में मिलने वाला अमरूद अनेक पोषक तत्वों का भंडार होता है और इस वजह से यह कई बीमारियों से शरीर की रक्षा करता है। यानी कुल मिलाकर अमरूद किसी चमत्कारी फल से कम नहीं है। सिर्फ यही नहीं, अमरूद के पत्ते भी सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। ये भी कई बीमारियों से शरीर को बचाने में सक्षम हैं, क्योंकि इन पत्तों में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुण पाए जाते हैं। अमरूद के पत्ते जहां कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण और जोड़ों के दर्द को दूर करने में उपयोगी हैं, तो वही अमरूद खाने के भी कई फायदे हैं। अमरूद को उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में तो फायदेमंद माना ही जाता है, साथ ही इसके सेवन से पाचन तंत्र भी सही रहता है। हालांकि कभी-कभी कई लोगों को अमरूद का सेवन नुकसान भी पहुंचा सकता है।दिमाग को तेज बनाता है अमरूदअमरूद में विटामिन बी-3 और बी-6 भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जिन्हें मस्तिष्क के लिए अच्छा माना जाता है। इसके सेवन से दिमाग तो स्वस्थ और तेज बनता ही है, साथ ही यह ध्यान में भी सुधार लाता है, यानी यह ध्यान केंद्रित करने की प्रक्रिया में सुधार करता है।इन समस्याओं में भी फायदेमंद है अमरूदअमरूद में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो न केवल पाचन क्रिया में सुधार लाता है और कब्ज से राहत प्रदान करता है, बल्कि आंत की सफाई करने में भी मदद करता है। इसके अलावा अमरूद को थायरॉयड में भी उपयोगी माना जाता है, साथ ही यह विटामिन-ए का बहुत अच्छा स्रोत है, ऐसे में यह आंखों के स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है।अमरूद खाने के नुकसान क्या हैं?किसी भी चीज का अधिक मात्रा में सेवन नुकसानदायक ही होता है। अमरूद के भी कुछ नुकसान हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अमरूद के अधिक सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें ज्यादा फाइबर होता है और ऐसे में उन्हें डायरिया होने की संभावना रहती है।अमरूद के अधिक सेवन से शरीर में फाइबर की मात्रा में बढ़ोतरी होती है और ऐसे में इससे पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे पेट में गैस, सूजन और मल त्याग में परिवर्तन आदि हो सकते हैं। हालांकि अगर आप फाइबर का अधिक सेवन करते हैं तो यह जरूरी है कि अधिक से अधिक तरल पदार्थों का भी सेवन करें।विशेषज्ञ कहते हैं कि जिन लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कोई ऐसी परेशानी है, जिसमें फाइबर या पोटैशियम का कम से कम सेवन होना चाहिए, तो आपको अमरूद के सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर आपकी परेशानियां बढ़ सकती हैं।
- ये अमूमन देखा जाता है कि बच्चे हरी सब्जियों को खाने में काफी आनाकानी करते हैं। इस कारण उन्हें अच्छा पोषण नहीं मिल पाता, जिसके चलते कई मर्तबा उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है। अच्छी हरी सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होती हैं। ऐसे में बच्चों के विकास के लिए हरी सब्जियां काफी जरूरी हैं। वहीं दूसरी तरफ कई बच्चे इन हरी सब्जियों को खाने की बजाए ज्यादातर जंक फूड का सेवन करते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है। इसे खाने से विभिन्न प्रकार की बीमारियां जन्म लेती हैं। अगर आपके बच्चे भी हरी सब्जियों को खाने में आनाकानी करते हैं, तो आप घर पर ही ऐसे स्नैक्स को बना सकती हैं, जिसे वो बार-बार खाने की डिमांड करेंगे। ये स्नैक्स स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद हैं। इससे कई तरह के पोषक तत्व शरीर को मिलते हैं।जरूरी सामग्री-----पालक के पत्ते - 8 से 10अजवाइन - 1 छोटी चम्मचलाल मिर्च पाउडर - 1 छोटी चम्मचहल्दी पाउडर - 1 छोटी चम्मचनमक - स्वाद के अनुसारफेंटा हुआ दही - आधा कपइमली की चटनीबारीक कटा हुआ प्याजचाट मसालाबारीक सेव - 2 चम्मचअनार दानास्टेप 1-----------पालक के पत्तों को अच्छे से धोकर पोंछ लें। उसके बाद एक बर्तन में बेसन, नमक, मिर्च, हल्दी, अजवाइन और थोड़ा सा पानी डालकर गाढ़ा बेटर को तैयार करें। ये करने के बाद पालक के हर एक पत्ते को बेटर में डुबोएं और उसे तेल में अच्छे से फ्राई करें।स्टेप 2-------------उसके बाद एक अलग बर्तन लें और उस पर टिश्यू पेपर को बिछाएं। फ्राई किए हुए पत्तों को अलग निकालकर बर्तन में रखें। पत्तों का अतिरिक्त तेल टिश्यू पेपर सोख लेगा। उसके बाद पत्तों को दूसरे प्लेट पर निकाल कर रख देंं। फ्राई हो चुके पत्तों पर चाट मसाला को छिड़कें।स्टेप 3-----------उसके बाद इमली की चटनी, फेंटा हुआ दही और हरी चटनी को स्वाद के अनुसार फ्राई किए हुए पत्तों पर डालें। बारीक कटे हुए प्याज, सेव और अनार दाने से उसे गार्निश करके अपने बच्चों को सर्व करें। ये रेसिपी स्वादिष्ट होने के साथ साथ सेहतमंद भी है। इसे खाने के बाद बच्चे आपसे बार बार इसे बनाने के डिमांड करेंगे।
- दाल के पानी के फायदे. वर्तमान में शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में दाल पानी आपकी मदद कर सकता है. इसके नियमित सेवन से आप कई गंभीर बीमारियों से भी बच सकते हैं. दाल के पानी में कैलोरी की मात्रा नहीं के बराबर होती है, साथ ही इसमें प्रोटीन भी अच्छी-खासी मात्रा में होता है. दाल के पानी में घुलनशील फाइबर होने की वजह से बैड कोलेस्ट्रॉल नहीं जमा होता हैडाइट एक्सपर्ट के अनुसार, दाल के पानी का सेवन हमें कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है. दाल के पानी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और फॉस्फोरस होता है. इसे पीने से एनीमिया दूर होने के साथ ही वजन कम होता है. आप अलग-अलग तरह के दाल का पानी पी सकते हैं.दाल का पानी पीने के फायदे1. इम्यूनिटी पावर को मजबूत करता हैदाल के पानी के सेवन से आप इम्यूनिटी पावर को मजबूत रख सकते हैं. इसमें भारी मात्रा में कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम और सोडियम होता है. इसमें अच्छी मात्रा में विटामिन-सी, कार्ब्स और प्रोटीन्स के साथ डायटरी फाइबर भी मौजूद होते हैं. इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स भी काफी कम होता है.2. एनर्जी को बनाए रखता हैरोज एक कटोरी दाल का पानी पीने से शरीर में एनर्जी बनी रहती है. आप इसे फ्रिज में रखकर ठंडा करके भी पी सकते हैं. ऐसा करने से इसकी पोष्टिकता खत्म नहीं होती है.3. वजन कम करने में मददगारअगर आप मोटापे से परेशान हैं तो दाल पानी आपकी मदद कर सकता है. आप वेटलॉस डाइट के रूप में दाल का पानी पी सकते हैं. ये न सिर्फ कैलोरी को कम करती है बल्कि इसका पानी पीने से आपको लम्बे वक्त तक भूख का भी एहसास नहीं होता है.4.. दिमाग के लिए फायदेमंददाल का पानी दिमाग के लिए फायदेमंद माना जाता है. यह आसानी से पच जाता है और हल्का होने के कारण शरीर में गैस नहीं बनती. इससे पेट की समस्या से भी छुटकारा मिलता है.5. डायरिया में आरामलूज मोशन होने पर या डायरिया होने पर एक कटोरी दाल का पानी पीने से आराम मिलता है. ये न सिर्फ शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है, बल्कि लूज मोशन को भी कम करता है.
- औषधीय गुणों से भरपूर भुट्टा दिल व दिमाग को मजबूत व ताकतवर बनाकर दुरुस्त रखता है. भुट्टे में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन, खनिज और एंटी-ऑक्सिडेंट जैसे कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो सेहत को काफी फायदा पहुंचाते हैं. आयुर्वेद में भुट्टा खाने के कई फायदे गिनाए गए हैं. ये प्यास को शांत करने वाला होता है. अच्छी बात ये है कि एक ओर जहां बहुत सी चीजें पकने के बाद अपना पोषक गुण खो देती हैं वहीं भुट्टे का पोषण और बढ़ जाता है.एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर 100 ग्राम भुट्टे के दाने लगभग 365 कैलोरी ऊर्जा प्रदान करते हैं. इसमें 7 प्रतिशत फैट, 18 फीसदी प्रोटीन, 24 फीसदी कार्बोहाइड्रेट और 8 प्रतिशत पोटैशियम होता है. साथ ही इसमें 31 फीसदी मैग्नीशियम, 30 फीसदी विटामिन-बी6 और 15 प्रतिशत आयरन होता है, ये सभी तत्व सेहत के लिए जरूरी होते हैं. जाने माने आयुर्वेद के अनुसार, बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए भी ये बहुत फायदेमंद है. इसमें कोलेस्ट्रॉल न के बराबर होता है और इसलिए ये दिल की सेहत के लिए भी बहुत अच्छा है. इसे आप खाली पेट भी खा सकते हैं. इसके अलावा नाश्ते में भुट्टे का सेवन फायदेमंद माना जाता है.इम्यूनिटी बढ़ाता है भुट्टाभुट्टे में काफी मात्रा में विटामिन बी-6, आयरन, विटामिन ए, थियामिन, जिंक और मैग्नीशियम जैस पोषक तत्व होते हैं. ये इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं. जिससे थकान और कमजोरी दूर होती है और शरीर को मजबूती मिलती है.आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददभुट्टे के पीले दानों में कैरोटीनोइड नाम का पदार्थ मौजूद होता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है. साथ ही इसमें मौजूद ल्यूटिन मोतियाबिंद की दिक्कत को होने से रोकता है.पाचन को करता है ठीकभुट्टे में काफी मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन सम्बन्धी समस्या नहीं होने देता है. इसके सेवन से कब्ज की दिक्कत से भी निजात मिलती है.वजन घटाने में मददभुट्टे को खाने से पेट जल्दी भर जाता है और बार-बार भूख भी नहीं लगती हैं. भुट्टे में फैट काफी कम और स्टार्च काफी मात्रा में होता है. जो लोग वजन कम करना चाहते हैं वो भुट्टे की मदद ले सकते हैं.एनीमिया का खतरा कम करता हैभुट्टे के सेवन से एनीमिया का खतरा कम होता है. भुट्टे में विटामिन बी 12, फोलिक एसिड और आयरन काफी मात्रा में होता है. इसके सेवन से रेड ब्लड सेल्सके उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलती है.
- भारतीय घरों में दाल पकाने से पहले उसे भिगोकर रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। दरअसल दाल को भिगोने से पौष्टिकता बढ़ती है। बिना भिगोई हुई दाल प्रयोग करने से इनमें मौजूद फाइटिक एसिड नामक कंपाउंड पोषक तत्वों के अवशोषण में रुकावट उत्पन्न करता है। भीगी हुई दाल फाइटिक एसिड को कम करने में सहायक है और ब्लोटिंग को भी कम करती है। दाल भी जल्दी पकती है।जब दाल भिगोकर पकाया जाता है तब उसमें न्यूट्रिशन लॉस भी कम हो जाता है। उसमें मौजूद वॉटर सॉल्युबल विटामिन्स पानी में घुल जाते हैं और यदि वह पानी फेंक दिया जाता है तो न्यूट्रिएंट्स भी खत्म हो जाते हैं। खाने में बहुत तरह के ऐसे न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो खाने को तेज आँच पर पकाने से खत्म हो जाते हैं। सही ढंग से कुकिंग प्रैक्टिस करने से हम ऐसे न्यूट्रिएंट्स के नुकसान को बचा सकती हैं।दाल भिगोने के फायदेभीगी हुई दाल शरीर में मिनरल अब्जॉप्र्शन रेट बढ़ाती है और फाइटेज नामक एंजाइम सक्रिय हो जाता है। ये फाइटेज कैल्शियम, आयरन और जिंक को जोड़ता है जबकि फाइटिक एसिड को ब्रेक करता है और अवशोषण को आसान बनाता है। जबकि एमाइलेज कंपाउंड दाल में कांप्लेक्स स्टार्च को तोड़ता है और उन्हें पचाने में आसान बनाता है। दाल को भिगोने से उसमें मौजूद गैस उत्पन्न करने वाले कंपाउंड खत्म होते हैं। अधिकांश दालों में कांप्लेक्स ओलिगोसेकेराइड होते हैं, जो एक प्रकार की कांप्लेक्स शुगर है। ये सूजन और गैस कारण होती है। भिगोने के बाद इस कांप्लेक्स शुगर की मात्रा बहुत कम हो जाती है और आप इन सब परेशानियों से बच जाते हैैं।दाल भिगोने का सही तरीकाजरूरत के हिसाब से दाल निकालने और उसे एक बर्तन में निकाल लें। अब पानी से धो लें। भिगोने से पहले पानी को कम से कम 3-4 बार बदलें और हाथों से रगड़ते हुए धीरे से धोयें। आप दाल को छलनी में डालकर भी धो सकते हैं। अब दाल को एक कटोरे में डालें और पानी से भरें। दाल को कम से कम 30 मिनट और अधिक से अधिक 2 घंटे तक भीगने दें।बिना छिलके वाली दालों को 30 मिनट से लेकर 1 घंटा तक भिगोया जा सकता है और साबुत या छिलके वाली दालों को 2 घंटे तक भिगोयें। दालों को भिगोने से कंपलेक्स कार्ब टूटते हैं। साथ ही खाना पकने का समय भी कम होता है।ज्यादातर लोग दाल को पकाने से पहले धोते हैं और बहुत कम लोगों में आदत होती है दाल भिगोने की। जबकि राजमा और छोले जैसे खाद्य तो रात भर भिगोने चाहिए। बहुत सी दालें बिना भिगोए भी जल्दी बन जाती हैं। यही सोच कर दालों को भिगोया नहीं जाता, लेकिन दालों को भिगोकर उनसे मिलने वाले फायदे जानकर, आप अपनी आदत जरूर बदल देंगे।----
- आप सभी ने छुईमुई या लाजवंती के पौधे के बारे में जरूर सुना होगा। एक ऐसा पौधा जिसे छूने से उसकी पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। यह एक संवेदनशील पौधा होता है जिसे कई नामों से जाना जाता है। छुईमुई या लाजवंती और शर्मीली इन नामों से जानें जाना वाला पौधा आयुर्वेद के मुताबिक कई औषधीय गुणों का भंडार है। आदिवासी इलाके में इस पौधे का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा के लिए काफी समय से किया जाता रहा है। आइये जानते हैं छुईमुई या लाजवंती के पौधे के औषधीय लाभ के बारे में।1. एंटी डिप्रेसेंट, एंटी एंग्जायटी और मेमोरी के लिए फायदेमंदआयुर्वेद के मुताबिक छुईमुई के पौधे के इस्तेमाल से तनाव, अवसाद और डिप्रेशन की समस्या को खत्म किया जा सकता है। याददाश्त में सुधार के लिए भी छुईमुई या लाजवंती का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके पौधे (पत्ती समेत) का अर्क बनाकर उसका सेवन करने से आपको मानसिक समस्याओं में फायदा मिलेगा। आप तनाव, डिप्रेशन, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए छुईमुई के पौधे का अर्क बना लें। अब इस अर्क का रोजाना सुबह-शाम एक चम्मच सेवन करें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से इन बीमारियों में फायदा मिलेगा।2. डायबिटीज की समस्या में छुईमुई का इस्तेमालमधुमेह (डायबिटीज) की समस्या में छुईमुई की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। ब्लड शुगर के स्तर को कम करने के लिए छुईमुई की 100 ग्राम पत्तियों को 300 मिलीलीटर पानी में डालें। अब इसे तेज आंच पर उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का सेवन करने से मधुमेह की समस्या में फायदा मिलता है।3. बवासीर (पाइल्स) की समस्या में छुईमुई का इस्तेमालआयुर्वेद के मुताबिक बवासीर के इलाज के लिए छुईमुई का इस्तेमाल प्राचीन काल से ही होता आ रहा है। बवासीर से राहत पाने के लिए छुईमुई के पत्तों को लेकर उन्हें छाए में सुखा लें। अब इनका चूर्ण बनाकर तैयार कर लें। अब इसके एक चम्मच चूर्ण को एक गिलास दूध में मिलकर सुबह शाम सेवन करें। ऐसा नियमित रूप से करने पर बवासीर और अर्श की समस्या में फायदा मिलेगा।4. डायरिया की समस्या में छुईमुई का इस्तेमालसामान्य और खूनी दस्त की समस्या में छुईमुई या लाजवंती की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। खूनी दस्त की समस्या में छुईमुई के पौधे की जड़ का चूर्ण बनाकर मरीज को लगभग 3 ग्राम चूर्ण दही के साथ खिलाएं। एक से दो बार खिलाने से खूनी दस्त की समस्या तुरंत खत्म हो जाती है। आदिवासी इलाके में इसकी जड़ों का काढ़ा बनाकर खूनी दस्त की समस्या में देते हैं।5. अस्थमा में छुईमुई का इस्तेमालअस्थमा की समस्या में छुईमुई को असरदार आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है। अस्थमा में इसका इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। लाजवंती या छुईमुई में कफ को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं इसलिए इसके इस्तेमाल से अस्थमा की समस्या में कफ बनने से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके पौधे के अर्क का सेवन करने से अस्थमा की समस्या में फायदा मिलता है। लेकिन इसका उपयोग करने से पहले आप किसी वैद्य या आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।6. पीलिया के इलाज में छुईमुई का इस्तेमालपीलिया एक गंभीर बीमारी है जिसका समय पर इलाज न किये जाने की स्थिति में मरीज की जान भी जा सकती है। पीलिया की समस्या में मरीज के शरीर में खून की कमी और कमजोरी हो जाती है। पीलिया के इलाज के लिए आयुर्वेद में छुईमुई के इस्तेमाल का वर्णन किया गया है। आप छुईमुई के पौधों के इस्तेमाल से पीलिया की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिए आप छुईमुई की पत्तियों का रस निकाल लें। इस रस को नियमित रूप से मरीज को दें। लगभग एक हफ्ते में इसका असर देखने को मिलेगा। पीलिया को खत्म करने के लिए छुईमुई की पत्तियों रस रोजाना सुबह 15 दिन के लिए जरूर दिया जाना चाहिए।
- मानसून के सीजन में हमें त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस दौरान कील और मुहांसे त्वचा की रंगत को कम कर देते हैं। चेहरे पर अनेकों दाग धब्बे निकल आते हैं। इस कारण हमारी खूबसूरती कम हो जाती है। इनसे छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति कई उपायों को अपनाता है। उसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं होता। जानकारी के अभाव में हम कई मर्तबा चेहरे पर निखार पाने के लिए गलत किस्म के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। इससे त्वचा पर और भी ज्यादा दाग धब्बे आ जाते हैं। अगर आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं, तो आगे बताए गए आयुर्वेदिक उपायों को अपना सकते हैं। इनके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। इनको अपनाने के बाद आपका चेहरा साफ चमकदार और ग्लोइंग दिखने लगेगा। इसके अलावा आपके चेहरे पर एक प्राकृतिक सुंदरता भी नजर आएगी।एलोवेरा जेलआयुर्वेद में एलोवेरा को कुमारी के नाम से जाना जाता है। त्वचा के लिए एलोवेरा जेल काफी फायदेमंद है। इसके इस्तेमाल से त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं से हमें छुटकारा मिलता है। इसके प्रयोग से सनबर्न और एजिंग के लक्षण कम हो जाते हैं। इस कारण चेहरा साफ और ग्लोइंग दिखने लगता है।चंदन और दही का फेस मास्कअगर आप ऑयली स्किन से परेशान हैं, तो ऐसे में आपको चंदन और दही के फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। इसको आप चंदन और दही के मिश्रण से बना सकते हैं। ये आपके चेहरे के पोर्स को अच्छे से साफ करता है। इससे चेहरा भी मॉइश्चराइज होता है। इस फेस मास्क के प्रयोग से मुहांसों से जुड़ी समस्या से छुटकारा मिलता है।नीम का फेस पैकनीम के भीतर कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसे आयुर्वेद में काफी महत्वपूर्ण माना गया है। इसके प्रयोग से त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं दूर हो जाती हैं। नीम के अंदर एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी सेप्टिक गुण पाए जाते हैं, जो कि स्किन के लिए काफी फायदेमंद हैं। इसके उपयोग से त्वचा से मुहांसे और दाग धब्बे खत्म हो जाते हैं।मुल्तानी मिट्टी और चमेली त्वचा के लिए है काफी फायदेमंदमुल्तानी मिट्टी को लगाने से स्किन पर आने वाला अतिरिक्त ऑयल कम हो जाता है। वहीं चमेली के भीतर ऐसे कई गुण होते हैं, जो स्किन के एक्ने को दूर करने का काम करते हैं। चेहरे को साफ और चमकदार रखने के लिए आप बिना चीनी के आधा कप चमेली की चाय लें। उसमें 3 चम्मच मुल्तानी मिट्टी को अच्छे से मिलाकर पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाइए। करीब 5 से 10 मिनट लगाने के बाद उसे साफ पानी से धो लें। त्वचा के लिए ये उपाय काफी फायदेमंद है।
- धनिया पानी के फायदे. धनिया का पाउडर भारतीय किचन का एक ऐसा इंग्रेडिएंट्स है, जो ज्यादातर चीजों में इस्तेमाल होता है. तो वहीं धनिया की पत्ती भी गार्निशिंग के लिए एक खास मुकाम रखती है. लेकिन आप जानते हैं कि धनिया का पानी भी सेहत को कई तरह के फायदे पहुंचाने का काम बड़ी ही आसानी के साथ करता है. इस खबर में हम आपके लिए धनिया पानी को तैयार करने से लेकर सेवन करने का तरीका और उससे होने वाले लाभों के बारे में जानकारी दे रहे हैं.धनिया में क्या-क्या पाया जाता हैधनिया के पानी में पोटैशियम, कैल्श्यिम, विटामिन सी और मैग्नीजियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है और ये सभी तत्व बीमारियों को कोसों दूर रखते हैं.ऐसे तैयार करें धनिया पानीआयुर्वेद एक्सपर्ट्स की मानें तो आप जीरा, धनिया के बीज, मेथी के दाने और काली मिर्च डालकर रातभर के लिए भिगो दें. सुबह होने पर इसमें नींबू का रस और शहद मिलाएं. अब इसे खाली पेट पीएं. अगर जीरा, धनिया के बीज, मेथी के बीज, और काली मिर्च नहीं खाना चाहते तो छलनी से छान कर अलग कर सकते हैं.धनिया पानी के जरबदस्त लाभ ---00धनिया में मौजूद गुण वजन और पेट की चर्बी घटाने में भी सहायक होते हैं. धनिया का पानी शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करता है, जिसकी वजह शरीर में मौजूद अतिरिक्त फैट को कम करने में मदद मिलती है.00धनिया के पानी का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है. इस पानी में मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करने में मदद करते हैं. जिसकी वजह से बीमार होने का खतरा कम होता है.00इसके प्रयोग से ब्लड शूगर लेवल को कम किया जा सकता है. यह गठिए के दर्द को कम कर सकता है. इसके साथ ही शरीर को हाइड्रेट रखता है और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता.00 धनिया का पानी आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में भी खास भूमिका निभाता है. ये पाचन सम्बधी दिक्कतों को दूर करने में मदद करता है जिससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है.00धनिया का पानी बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करता है. इसको पीने से शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं. इसकी वजह से इंफेक्शन का खतरा कम होता है.
- आज के समय में लोग सेहत और खानपान को लेकर जागरूक हो रहे हैं। यही कारण है कि लोग चीनी की जगह पर गुड़ के सेवन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। गुड़ कई फायदेमंद पोषक तत्वों से भरपूर एक स्वीटनर है जिसे गन्ने से बनाया जाता है। आयुर्वेद और प्राचीन चिकित्सा पद्धति में गुड़ का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। गुड़ में आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, खनिज और अन्य फायदेमंद पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इन तमाम पोषक तत्वों से भरपूर गुड़ का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है? आइये जानते हैं ज्यादा गुड़ खाने से सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में।1. गुड़ के अधिक सेवन से ब्लड शुगर बढऩे का खतरासभी स्वीटनर की तरह गुड़ भी सुक्रोज होता है। गुड़ का अधिक सेवन शरीर में ब्लड शुगर (रक्त शर्करा) का स्तर बढ़ा सकता है। विशेष रूप से जो लोग डायबिटीज की समस्या से ग्रसित हैं उन्हें गुड़ का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। डायबिटीज से पीडि़त लोगों में चीने के समान ही गुड़ का असर भी होता है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में किया गया तो इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के इंसुलिन के स्तर में बदलाव देखने को मिलेगा। एक आंकड़े के मुताबिक लगभग 10 ग्राम गुड़ में 9.7 ग्राम शुगर होती है। इसलिए गुड़ का अधिक मात्रा में सेवन नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि इसका कम मात्रा में सेवन फायदेमंद माना जाता है।2. गुड़ के अधिक सेवन से मोटापे का खतरागुड़ का अधिक सेवन करने से मोटापे का खतरा बना रहता है। चूंकि लगभग 100 ग्राम गुड़ में 385 कैलोरी मौजूद होती है इसलिए डाइटिंग आदि कर रहे लोगों को इसका सेवन सोच समझकर ही करना चाहिए। अगर आप वजन कम करने का प्रयास कर रहे हैं तो भी गुड़ का कम मात्रा में ही सेवन करें।3. गुड़ के अधिक सेवन से कब्ज का खतरागुड़ के सेवन से कुछ लोगों को कब्ज, अपच जैसे पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल कुछ लोग ताजे गुड़ का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं और ताजा गुड़ पेट में ठीक ढंग से पचने में असमर्थ होता है। इसलिए ताजा गुड़ का सेवन पाचन से जुड़ी समस्याओं के अलावा कब्ज और पेट में मरोड़ का कारण भी बन सकता है।4. नाक से खून बहने की समस्यागुड़ का अधिक मात्रा में सेवन करने से नाक में से खून बहने की समस्या भी हो सकती है। चूंकि गुड़ की तासीर गर्म होती है इसलिए इसका सेवन गर्मी में मौसम में कम किया जाता है। गर्मी के मौसम में गुड़ का अधिक मात्रा में सेवन करने से आपको नाक से खून बहने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।5. परजीवी संक्रमण का खतरागुड़ का सेवन अधिक मात्रा में करने से परजीवी संक्रमण (पैरासाइट इंफेक्शन) का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि आमतौर पर गुड़ को बनाने में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है लेकिन अगर इसे बनाने में साफ-सफाई का ध्यान नहीं दिया गया तो इसमें कई प्रकार की अशुद्धियां रह जाती है जो आँतों में कीड़े पैदा करने का काम करती है। ऐसे गुड़ का अधिक मात्रा में सेवन परजीवी संक्रमण का खतरा पैदा करते हैं।6. एलर्जी का खतरागुड़ का अधिक मात्रा में सेवन संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। लेकिन अगर आपको एलर्जी की समस्या है तो गुड़ का सेवन बहुत सोच समझकर करना चाहिए। एलर्जी की समस्या में आप अगर गुड़ का सेवन करते हैं तो आपको स्किन रैशेज, सिरदर्द, बुखार, थकान, उल्टी और मतली की समस्या होने लगेगी। इसके अलावा गुड़ का अधिक मात्रा में सेवन चेहरे पर दाने और एक्ने की समस्या ही पैदा कर सकती है।
- जितना हम मानसून का आनंद लेते हैं, ये कई स्वास्थ्य समस्याओं को अपने साथ लाता है जो कि चिंता का विषय हो सकता है अगर कोई अपनी उचित देखभाल करने में विफल रहता है. बरसात का मौसम नमी, पसीने और चिपचिपाहट से भरा होता है जो नमी की वजह से होता है और इससे आपके शरीर में विशेष रूप से आपके पैरों में फंगस और मोल्ड की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. इसलिए, अपने पैरों को संक्रमण से बचाने और उन्हें स्वस्थ और साफ रखने के लिए, आपको मानसून में अपने पैरों की विशेष देखभाल करने की जरूरत है.एक्सफोलिएटअपने पैरों से डेड स्किन को नियमित रूप से हटाने के लिए फुट स्क्रबर या झांवा का इस्तेमाल करें. डेड स्किन सेल्स पैरों को सख्त कर देती हैं और दरारें बन जाती हैं. इससे आपके पैर साफ रहेंगे और डेड स्किन भी नहीं रहेगी.मॉइस्चराइजिंग कुंजी हैपैरों को अच्छी तरह धोने के बाद हमेशा मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. जैतून का तेल या बादाम का तेल भी मॉइस्चराइजर की तरह प्रभावी हो सकता है. बादाम का तेल एक प्राकृतिक फुट लोशन है जिसे सोने से पहले पूरे पैरों पर समान रूप से लगाना चाहिए.फुट थेरेपीफुट सोक, स्क्रब और हीलिंग क्रीम बहुत उपलब्ध हैं और ये आपके पैरों की चिकनाई को बहाल करने के लिए बहुत अच्छा काम करते हैं. फुट सोक वो है जिसे गर्म पानी में मिलाया जाता है जिसके बाद नमक के मोती और ताजा एक्वा सुगंध उन्हें आराम और शुद्ध करने में मदद करते हैं. फुट स्क्रब में विटामिन ई के साथ जोजोबा और सूरजमुखी जैसे हीलिंग ऑयल होते हैं. वो खोई हुई नमी की भरपाई करते हैं और आपके फुटपैड को भी कोमल बनाते हैं.अपने पैरों को ठीक से धोएंअपने पैरों के जरिए अपने शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालें. आपके पैरों के लिए हॉट बाथ बेहतरीन काम कर सकता है. अपने पैरों को अच्छी तरह साफ करने के लिए एक महीन झांवा या स्क्रबर का इस्तेमाल करें और बाद में उन्हें आराम करने और डेड सेल्स और टॉक्सिन्स को अलविदा कहने के लिए गर्म पानी में भिगो दें. इसके तुरंत बाद अपने पैरों को मॉइस्चराइज करना न भूलें.फुट मास्क का इस्तेमाल करेंजैसे बाल और फेस मास्क आपके लिए चमत्कार करते हैं, वैसे ही फुट मास्क भी आपकी त्वचा को शांत कर सकते हैं और इसे एक सूक्ष्म और कोमल स्पर्श दे सकते हैं. दाहिने पैर का मास्क न केवल त्वचा को एक्सफोलिएट करेगा बल्कि गहरी पैठ वाली नमी भी प्रदान करेगा.बंद जूते पहनने से बचेंबंद जूते और अन्य जूते इस मौसम में आपके पैरों में फंसी थोड़ी नमी को सोखने में विफल हो सकते हैं जिससे कई तरह के फंगल संक्रमण हो सकते हैं. इसलिए गीले और गंदगी से बचने के लिए खुली रबर की सैंडल और चप्पल पहनने की कोशिश करें.गीले जूतों को घर के अंदर सुखाने से बचेंगीले जूते, सैंडल या किसी दूसरी तरह के जूते को सुखाने के लिए छाया में नहीं रखना चाहिए. उन्हें बिस्तर के नीचे या जूते के रैक में रखने से बैक्टीरिया उन पर पनपने लगेंगे, खासकर अगर वो गीले हों. याद रखें कि फंगस और बैक्टीरिया अंधेरी और नम जगहों की ओर आकर्षित होते हैं.मानसून के दौरान अपने नाखूनों को लंबा करने से बचेंलंबे नाखूनों के नीचे बैक्टीरिया पनपने की संभावना हो सकती है. ये आपकी उंगलियों और पैरों में कई प्रकार के फंगल संक्रमण की वजह बन सकते हैं. इसलिए, सुनिश्चित करें कि मानसून के दौरान नाखूनों को छोटा कर दिया जाए.
- गुलमोहर के पेड़ न केवल एक घर को सुंदर दृश्य प्रदान करता है बल्कि इसके कई लाभ भी है. ये कई स्वास्थ् संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. आयुर्वेद में गुलमोहर के बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं. गर्मियों में ये पेड़ गुलमोहर के फूलों से भर जाता है. इसके फूल बेहद सुंदर होते हैं. खूबसूरत होने के साथ-साथ इस पेड़ को पवित्र भी माना जाता है. ये मूल रूप से दो प्रकार का होता है लाल गुलमोहर और पीला गुलमोहर. ये दोनों ही बहुत फायदेमंद होते हैं लेकिन दोनों के फायदे अलग-अलग होते हैं. आइए जानें इस फूल के सभी लाभ.दस्त को ठीक करता हैअपच की समस्या से पीड़ित हैं तो इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. ये दस्त दूर करने में मदद करता है. इसके लिए आप गुलमोहर के पेड़ के तने की छाल के पाउडर का इस्तेमाल करके देख सकते हैं. ये आपको पेट से जुड़ी कई समस्याओं से निजात दिला सकता है.गंजापन और बालों के झड़ने को ठीक करता हैअगर आप बालों के झड़ने की समस्या का सामना कर रहे हैं, तो गुलमोहर का इस्तेमाल सकते हैं. गुलमोहर की पत्तियों को पीसकर पाउडर बना लें. फिर इसे गर्म पानी में मिलाएं और इसे अपने सिर पर लगाएं. इसका इस्तेमाल नियमित रूप से कर सकते हैं.मासिक धर्म के दर्द को ठीक करता हैमासिक धर्म में महिलाओं को पेट और पीठ दर्द आदि का सामना करना पड़ता है. ऐसे में गुलमोहर के फूलों के इस्तेमाल से दर्द से राहत पाई जा सकती है. इसके लिए गुलमोहर की पत्तियों को पीसकर पाउडर बना लें. इस पाउडर को शहद के साथ मिलाएं और इसका सेवन करें. ये मासिक धर्म की ऐंठन को ठीक करने में मदद कर सकता है.मुंह के छालों को ठीक करता हैमुंह के छाले बेहद असहज हो सकते हैं, इसलिए इन्हें जल्द से जल्द ठीक करने की जरूरत होती है. इन्हें जल्दी ठीक करने के लिए आप गुलमोहर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसकी छाल का थोड़ा-सा चूर्ण लेकर इसमें शहद मिलाएं. इसे अपने मुंह में रखें.गठिया दर्द का इलाजगठिया रोग में पीले रंग के गुलमोहर के पौधे की पत्तियों को पीसकर लगाने से गठिया के दर्द से राहत मिल सकती है.डायबिटीज को ठीक करने के लिएइसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक गुणों के कारण गुलमोहर ब्लड शुगर लेवल को कम करने में कारगर है. इसके मेथनॉल अर्क का इस्तेमाल ब्लड शुगर लेवल को काफी कम कर सकता है.
- सावन महीने में अधिकांश लोगों का व्रत होगा. ऐसे में सबके मन में यह सवाल होता है कि सावन सोमवार के व्रत में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. सावन के व्रत में कुछ लोग नमक नहीं खाते हैं तो कुछ लोग सेंधा नमक का प्रयोग करते हुए व्रत करते हैं. वहीं कुछ लोग फलाहार करते हैं तो कुछ लोग सिर्फ एक वक्त खाते हैं. शास्त्रों में कुछ सब्जियों को शुद्ध सात्विक माना जाता है. आप इन्हें व्रत में खा सकते हैं. इससे आपका पाचन भी ठीक रहेगा और इनसे आपका पेट भी भरा रहेगा.सावन सोमवार व्रत में दिन की शुरूआत कैसे करेंअगर आपने भी सावन सोमवार का व्रत रखा है तो सबसे पहले सुबह स्नान करके शिवजी को जल चढ़ाएं और उसके बाद पूजापाठ करके स्वयं जल ग्रहण करें.पानी के साथ आप थोड़ा सा गुड़ या थोड़ी सी मिश्री ले सकते हैं. व्रत में नींबू की शिकंजी और नारियल पानी के साथ भी दिन की शुरुआत कर सकते हैंसावन सोमवार व्रत में सुबह क्या खाएंसुबह जल ग्रहण करने के बाद आप एक कप चाय के साथ मूंगफली या मखाने भूनकर खा सकते हैं. इनको खाने से आपको भूख भी नहीं लगेगी. आप चाहें तो स्नैक्स के तौर पर थोड़े से ड्राईफ्रूट्स भी ले सकते हैं. चाय से आपकी थकान दूर हो जाएगी और आपको सूखी मेवा से आपको शरीर को चलाने के लिए पर्याप्त ऊर्जा मिलती रहेगी.दोपहर में क्या खाएंआप आलू उबालकर उन्हें जरा से घी में फ्राई करके खा सकते हैं.आप चाहें तो सब्जियों में लौकी, कद्दू या फिर अरबी भी खा सकते हैं.आप कुट्टू के आटे या फिर सिंघाड़े के आटे की पूरियां खा सकते हैं.सावन सोमवार व्रत में ये फल खा सकते हैंव्रत रखकर फल खाना बहुत जरूरी माना जाता है. माना जाता है कि व्रत में फल खाने से फाइबर खूब मिलता है और इस वजह से आपका पेट नहीं खराब होता. व्रत में आप केला, सेब, संतरा और अनार खा सकते हैं. इससे आपके शरीर में पानी की भी भरपूर मात्रा बनी रहती है.चायअक्सर लोग व्रत में खाली पेट चाय का सेवन करते रहते हैं. ऐसा करने से बचें, क्योंकि खाली पेट चाय पीने से गैस की समस्या हो सकती है.खाली पेट रहने की न करें गलतीव्रत में खाली पेट रहने से गैसे की समस्या के साथ पेट दर्द, सिरदर्द, उल्टी और थकान महसूस हो सकती है. इससे बचने के लिए थोड़े-थोड़े समय पर कुछ न कुछ खाते रहें.फ्राइड चीजों से करें परहेजव्रत के दौरान तली- भूनी चीजें खाने से परहेज करें. ऐसा करने से व्यक्ति का पाचन तंत्र कमजोर होकर पेट दर्द, गैस और अपच का कारण बन सकता है.इन बातों का रखें ध्यानव्रत के दौरान शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए. प्रतिदिन 6-8 गिलास पानी जरूर पिएं.डायट में ऐसे फल शामिल करें, जिसमें पानी की मात्रा अधिक हो जैसे- अंगूर, लीची, संतरा, मौसमी आदि.पेट खाली रहने से एसिडिटी बढ़ सकती है, लिहाजा थोड़े-थोड़े अंतराल पर कुछ न कुछ फलाहार करते रहें.ड्राई फ्रूट्स खा सकते हैं, इससे जरूरी एनर्जी मिलेगी और कमजोरी नहीं महसूस होगी.
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मौसम बदलने के साथ ही लोगों को तरह-तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। ज्यादातर लोगों को सर्दी-जुकाम, बुखार और एलर्जी की समस्याएं हो जाती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनमें इस तरह की दिक्कतें होने का खतरा अधिक होता है। मौसम में बदलाव के साथ एलर्जी की समस्या होना भी काफी सामान्य माना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जिन लोगों को अक्सर ऐसी दिक्कतें हो जाती हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
एलर्जी एक तरह की प्रतिक्रिया होती है जो भोजन, दवाइयों, कपड़े या फिर धूल आदि के कारण हो सकती है। सामान्य तौर पर एलर्जी के कारण त्वचा पर दाने निकलने, खुजली होने, आंखों में जलन, सिरदर्द और छींक आने जैसी समस्या हो सकती है। मानसून का मौसम में चूंकि वातावरण में आद्रता बढ़ जाती है, ऐसे में लोगों को एलर्जी की समस्या होना भी इस मौसम में काफी आम हो जाता है। डॉक्टरों का मानें तो जीवनशैली में कुछ प्रकार के बदलाव करने तथा आहार में कुछ चीजों को शामिल करके आप मौसम के साथ होने वाली एलर्जी की दिक्कतों से आसानी से बचे रह सकते हैं।
गर्म पानी पीने से मिलता है लाभ
कोरोना के दौर में लोगों ने नियमित रूप से गर्म पानी का सेवन करना शुरू कर दिया था। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक गर्म पानी का सेवन करने से श्वसन तंत्र साफ रहता है जिससे सर्दी-जुकाम और खांसी जैसी समस्याओं के होने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा दिनभर बाहर रहने के दौरान त्वचा पर धूल-मिट्टी और एलर्जी पैदा करने वाले कारक जमा हो सकते हैं। ऐसे में घर जाकर हल्के गुनगुने पानी से नहाने से एलर्जी बढ़ने की आशंका कम हो जाती है। बेहतर लाभ के लिए नियमित रूप से सुबह गर्म पानी का सेवन सभी लोगों को अवश्य करना चाहिए।
लहसुन से मिलता है लाभ
पोषण विशेषज्ञों के मुताबिक आहार में हमें उन चीजों को शामिल करना चाहिए जो एंटी-एलर्जिक गुणों से युक्त हों। लहसुन को कई तरह के फायदों के लिए वर्षों से उपयोग में लाया जाता रहा है। इसमें मौजूद एंटीबायोटिक गुण इसे खास बनाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसका सेवन हमें एलर्जी से सुरक्षा दे सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो रोजाना खाली पेट दो से चार कलियों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। लहसुन पेट को ठीक रखने में भी काफी सहायक माना जाता है।
नमक पानी के करें गरारे
ऊपरी श्वसन तंत्र में एलर्जी का प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। साल 2008 में हुए एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने बताया कि नाक को सलाइन से साफ करने से ऊपरी श्वसन तंत्र में होने वाली एलर्जी से छुटकारा पाया जा सकता है। गुनगुने पानी में नमक मिलाकर उससे गरारे करने से भी एलर्जी के लक्षणों में राहत मिलती है। नमक पानी के गरारे करने से ऊपरी श्वसन तंत्र पूरी तरह से साफ भी हो जाता है।
हल्दी के हैं अनेकों फायदे
हल्दी में प्रभावी तौर पर एंटीऑक्सिडेंट के साथ एंटीएंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं जो एलर्जी जनित लक्षणों को ठीक करने में सहायक हो सकते हैं। हल्दी को शहद के साथ मिलाकर इसका सेवन किया जा सकता है। खासतौर पर बदलते मौसम में इसका सेवन और भी आवश्यक हो जाता है। दूध में भी हल्दी को मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। अध्ययनों में साबित हो चुका है कि भोजन में हल्दी का उपयोग करने वाले लोगों को एलर्जी का खतरा काफी कम होता है।
- - लौंग का आयुर्वेद में अपना महत्व है. मसाले के रूप में इसका उपयोग किया जाता है. इससे सेहत के लिए जबरदस्त लाभ मिलते हैं. लौंग हमें कई तरह की बीमारियों से भी बचाती है. खासकर पुरुषों के लिए लौंग का सेवन चमत्कारिक फायदे दे सकता है. इसके नियमित सेवन से आप स्टैमिना भी बढ़ा सकते हैं. लौंग में पाए जाने वाले तत्वों की बात करें तो इसमें विटमिन-B1,B2,B4,B6,B9 और विटमिन-सी तथा बीटा कैरोटीन जैसे तत्व शामिल हैं. इसके साथ ही विटमिन-K, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट भी हमें लौंग से मिलता है.रोज 3 लौंग का करें सेवन --शोध में किए गए दावे के अनुसार, आप खाली पेट 3 लौंग का सेवन कर सकते हैं. रात को सोने से पहले भी लौंग को खाया जा सकता है.पुरुषों के लिए फायदेमंद है लौंग ---डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, जिन पुरुषों को यौन संबंधित कोई समस्या है, उन्हें लौंग का सेवन जरूर करना चाहिए. लौंग कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और जिंक जैसे खनिज से भरपूर होता है. यह सभी सेहत के लिए जरूरी तत्व माने जाते हैं. हेल्थ विशेषज्ञों का भी मानना है कि लौंग पौरुष शक्ति और स्टैमिना को बढ़ाती है.लौंग के अन्य फायदे ---लौंग फाइबर से भरा होता है, जो आपके पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है.डायबिटीज मरीजों के लिए लौंग खाना चाहिए. इससे फायदा मिलता है.लौंग पाचन एंजाइमों के स्राव को बढ़ाती है, जो पाचन संबंधी विकारों को रोकती है.लौंग शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में मददगार है.लौंग का सेवन हड्डियों के घनत्व को बढ़ाने में मदद करता है.इस बात का ध्यान रखनाज जरूरी----डॉक्टर अबरार मुल्तानी सलाह देते हैं कि अधिक मात्रा में लौंग का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि अगर आप ज्यादा मात्रा में लौंग खाते हैं तो मेल हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन गड़बड़ा सकता है, इसलिए लौंग और इससे जुड़े प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल किसी आर्युवेदाचार्य की देखरेख में ही करना चाहिए.
- हमारे शरीर के लिए अच्छा खानपान बेहद जरूरी है। अगर हमें स्वस्थ रहना है, बीमारियों से कोसों दूर रहना है तो हमें अच्छी डाइट लेनी चाहिए। वहीं, जिस तरह हमारे शरीर के लिए खानपान जरूरी है, ठीक वैसे ही हमारे लिए पानी भी बेहद जरूरी है। पानी पीने से ये हमारे शरीर को हाइड्रेट रखता है, और साथ ही विषैले तत्वों को बाहर भी निकालता है। हर दिन हमें काफी अच्छी मात्रा में यानी कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। अमूमन देखा जाता है कि लोग कुछ भी खाने के बाद ऊपर से पानी पी लेते हैं, लेकिन आयुर्वेद में इसे गलत माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार खाने की कई ऐसी चीजें हैं, जिनके सेवन के तुरंत बाद हमें पानी पीने से बचना चाहिए। तो चलिए आपको कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में बताते हैं।चनाआपने अगर अभी चने या फिर चने की चाट जैसी चीज खाई है, तो आपको तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए। चने को पचाने के लिए शक्ति लगती है, लेकिन जब हम पानी पी लेते हैं तो ये ठीक से पच नहीं पाते हैं। ऐसे में पाचन क्रिया में फर्क पड़ना और पेट दर्द जैसी दिक्कतें होती हैं।फलफल हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायेदमंद होते हैं। ये हमारे शरीर को कई लाभ देते हैं। लेकिन हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी फल के सेवन के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि फलों में पहले से लगभग 90 फीसदी तक पानी होता है। ऐसे में अगर हम फिर पानी पीते हैं, तो इससे पेट गड़बड़ना, खांसी, गले मे खराश जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इसके लिए आपको कम से कम एक घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए।आइसक्रीमलोगों को आइसक्रीम खाना काफी पसंद होता है। लेकिन अमूमन देखा जाता है कि लोग इसे खाने के बाद तुरंत पानी पी लेते हैं। लेकिन यहां समझने वाली ये बात है कि ठंडी आइसक्रीम के ऊपर से पानी पीने से ठंडा गर्म होता है, जिसके कारण आपकी तबियत बिगड़ सकती है। गैस, एसिडिटी, खांसी-जुकाम जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।मूंगफलीसर्दियों के दिनों में लोग मूंगफली का काफी सेवन करते हैं। लेकिन अगर आप मूंगफली खाने के तुरंत बाद पानी पीते हैं, तो आपको कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। मूंगफली के ऊपर जब पानी पीते हैं, तो इससे गले में खराश व खुजली और खांसी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए मूंगफली खाने के तुरंत बाद पानी पीने से बचें।
- मॉनसून में शहद का सेवन सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है. शहद एक ऐसी चीज है, जो लगभग हर घर में आसानी के साथ मिल जाती है. शहद सुपरफूड तो कहलाता ही है साथ ही इसको आयुर्वेदिक औषधि के रूप में भी जाना जाता है. शहद एक ऐसा स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ है, जिसे हम कई प्रकार से अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं. कई लोग इसे दूध के साथ मिलाकर पीते हैं तो कई लोग किसी व्यंजन को बनाने में इसका इस्तेमाल करते हैं.शहद स्वाद से भरा होने के साथ-साथ या पौष्टिक तत्वों से भरपूर भी होता है. जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, शहद वजन घटाने से लेकर चेहरे की चमक बरकरार रखने में कारगर है. सुबह के वक्त सेवन करने पर यह आपको दिनभर के लिए ऊर्जा देता है. इसके अलावा सेहत के लिए इससे जबरदस्त लाभ मिलते हैं.शहद में पाए जाने वाले पोषक तत्वशहद में एंटी-बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं. साथ ही इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, ज़िंक, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम और सोडियम जैसे कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं जो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद होते हैं.शहद का सेवन करने से लाभशहद खाने से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं.शहद का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है.शहद खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है.कब्ज़ की दिक्कत से आराम मिलता है.गले की खराश दूर करने में मदद करता है.थकान और कमज़ोरी को दूर करने में सहायता करता है.अनिद्रा की दिक्कत को दूर करने में मदद करता है.खांसी-ज़ुकाम की दिक्कत दूर करता है.पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है.यह थकान को दूर करता है.कैसे करें शहद का सेवन ?आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, आप रोज सुबह गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा दो चम्मच शहद में एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं. गुनगुने दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज़ाना इसका सेवन करने से आप दिनभर एनर्जेटिक रहते हैं. वजन कम करने के लिए हल्के गुनगुने पानी में नींबू मिलाकर शहद का सेवन कर सकते हैं.
- आमतौर पर सभी घरों में साधारण नमक का इस्तेमाल होता है, काले नमक का इस्तेमाल बहुत कम लोग करते हैं, लेकिन क्या आप काले नमक के फायदों के बारे में जानते हैं? अगर नहीं जानते तो खबर आपके काम आ सकती है, काला नमक हमें कई गंभीर बीमारियों से निजात दिला सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो काले नमक के सेवन से उल्टी एसिडीटी या कब्ज जैसी समस्याएं आसानी से दूर हो जाती है.क्या कहते हैं आयुर्वेद डॉक्टरजाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, काला नमक एसिडीटी को खत्म कर देता है. इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, डिप्रेशन और पेट से जुड़ी कई दिक्कतों को दूर करने में काला नमक कारगर माना जाता है. अगर काले नमक को हर रोज सुबह के वक्त गर्म पानी में मिलाकर पीने से शरीर स्वस्थ रहता है.काले नमक का सेवन करने के फायदे00काला नमक वजन घटाने में मददगार है. इसमें मौजूद खनिज एंटीबैक्टीरियल का काम भी करते हें. इसकी वजह से शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं.00काला नमक में सोडियम अधिक होता है और इसका अधिक सेवन करने से शरीर में अधिक क्रिस्टल बनने लगता है, जिससे पथरी की समस्या हो सकती है. इसलिए काले नमक का सेवन लिमिट में करें.00काला नमक पाचन को दुरुस्त करके शरीर की कोशिकाओं तक पोषण पहुंचाता है, जिससे मोटापा कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है.00 काला नमक कई तरह के पोषक तत्वों और मिनरल्स से भरपूर होता है. अगर नियमित रूप से इसका सेवन किया जाए तो शरीर की हड्डियां मजबूत होती हैं.00 शुगर के मरीजों को सफेद नमक की जगह काले नमक का अधिक सेवन करना चाहिए. काला नमक शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा नियंत्रित रखने का काम करता है और वे अधिक हेल्दी महसूस करेंगे.
- लगातार वजन बढऩा किसी समस्या को न्योता देने से कम नहीं है। अगर आपका भी वजन बढ़ रहा है तो आपको सबसे पहले अपने खान-पान और व्यायाम करने पर ध्यान देना चाहिए। अगर आप वजन घटाने के लिए तमाम नुस्खों का प्रयोग कर चुके हैं और फिर भी वजन कम नहीं हो रहा है तो इस लेख के माध्यम से हम आपको वजन घटाने के एक कारगर उपाय के बारे में बताएंगे। जी हां, वजन कम करने के लिए मेथी की चाय पीना बेहद फायदेमंद माना जाता है।1. वजन कम करने में मददगारवजन कम करने के लिए मेथी की चाय पीना एक कारगर विकल्प साबित होता है। मेथी की चाय में मुख्य रूप से डायटरी फाइबर, विटामिन और एंटी ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो शरीर में जमे हुए एक्सट्रा फैट को निकालने में काफी मददगार होता है।2. पाचन तंत्र में करे सुधारमेथी का इस्तेमाल कब्ज के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है। मेथी की चाय में डायजेस्टिव प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो कब्ज और पेट संबंधी अन्य समस्याओं से निपटने में काफी कारगर साबित होती है। इसकी डायजेस्टिव प्रॉपर्टीज पाचन तंत्र को सक्रिय रखने के साथ ही उसे सुचारू रूप से काम करने में सक्षम भी बनाती है।3. कोलेस्ट्रॉल कम करेजिन लोगों का कोलेस्ट्रॉल हाई है उन्हें तो खासतौर पर मेथी की चाय का सेवन करना चाहिए। एक शोध के अनुसार मेथी के दानों में काफी मात्रा में सॉल्यूबल फाइबर की मात्रा पाई जाती है, जो शरीर से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में काफी सहायक माना जाता है। साथ ही यह एक लो सोडियम ड्रिंक है, जो कोलेस्ट्रॉल घटाने में मददगार होती है। इसमें स्टीरॉइडल सेपोनिन्स पाए जाते हैं, जो आंत में कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं होने देते हैं।4. ब्लड प्रेशर कम करने में मददगारजहां मेथी का पानी ब्लड प्रेशर कम करने में मददगार होता है वहीं इसकी चाय भी हाई ब्लड प्रेशर को आसानी से कम कर सकती है। इसमें पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स आपके हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार होते हैं।5. डायबिटीज में फायदेमंदडायबिटीज के मरीजों में अक्सर खान-पान को लेकर असमंजस रहता है। लेकिन डायबिटीज के मरीज मेथी की चाय बिना किसी संकोच के पी सकते हैं। इसमें ट्रिगोनेला फोएनम ग्राइकम नामक तत्व पाया जाता है, जो मुख्य रूप से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है।मेथी की चाय बनाने की विधिमेथी की चाय बनाना काफी आसान है।-इसके लिए सबसे पहले पानी को गर्म करें। अब इसमे मेथी पत्ता या फिर मेथी का पाउडर मिलाएं। आप चाहें तो इसमें पुदीने के पत्ते भी मिला सकते हैं।-इस पानी को 5 मिनट तक उबालें। अच्छे से पक जाने के बाद इस पानी को उतारें और इसे छान लें।-आप चाहें तो इसमें उपर से नींबू की भी मात्रा मिला सकते हैं।-लीजिए आपकी वेट लॉस करने वाली चाय बनकर तैयार है।
- हमारे देश में शुभ अवसर पर मीठा खिलाने की परंपरा पुरानी है. मीठा खाना सीमित मात्रा में सही है, लेकिन कभी-कभी अत्यधिक शुगर हमारी सेहत के लिए हानिकारक भी होती है. चीनी से बनी मिठाई हर किसी को पसंद है और इसके टेस्ट के आगे अब लोगों ने पाररंपरिक देसी खांड का सेवन करना भी बंद कर दिया है. देसी खांड को गुड़िया शक्कर भी कहा जाता है. बहुत कम लोगों को ये जानकारी है कि देसी खांड चीनी से कहीं ज्यादा लाभकारी है.क्या है देसी खांडदेसी खांड भी गन्ने के रस से ही बनती है, जिससे शक्कर बनी होती है. शक्कर अत्यधिक रिफाइन की जाती है, जिससे उसके अंदर मौजूद फाइबर और पोषण खत्म हो जाते हैं, जबकि खांड गन्ने के रस का कम रिफाइंड रूप है. खास बात ये है कि देसी खांड में कोई भी केमिकल इस्तेमाल नहीं किये जाते हैं, जो इसे चीनी से बेहतर विकल्प बनाता है.कैसे तैयार होता है देसी खांड/गुड़िया शक्करपुराने समय से ही लोग इसे खांड या गुड़िया शक्कर के नाम से जानते हैं. चीनी आ जाने के बाद इसका इस्तेमाल बंद कर दिया हैय गन्ने के रस को गर्म करके पलटे सहायता से घुमाया जाता है. इसे पानी और दूध से साफ किया जाता है. इस तरह खांड भूरे रंग के पाउडर के रूप में तैयार हो जाता है.क्या कहती हैं डाइट एक्सपर्टडाइट एक्सपर्ट डॉक्टर रंजना सिंह कहती हैं कि देसी खांड शरीर को ठंडक प्रदान करने का काम करती है. साथ ही खांड में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं, जो इसे सेहत का भंडार बनाते हैं. इसके सेवन से आप कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं.देसी खांड के फायदेखांड में फाइबर भी होता है, जो कि पेट की सफाई के साथ-साथ हेल्दी गट बैक्टीरिया को बनाये रखने में मददगार है. खांड में मौजूद आयरन खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा के लिए जरूरी है.देसी खांड न सिर्फ आपको डायबिटीज, जोड़ों के दर्द, अर्थराइटिस जैसी समस्याओं से बचाता है बल्कि ये वजन घटाने में भी कारगर है.देसी खांड कैल्शियम से भरपूर होता है. हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए कैल्शियम आवश्यक है. ये जोड़ों के दर्द, अर्थराइटिस जैसी समस्याओं को दूर रखता है.बेहतर पाचन के लिए भी खांड बेहद फायदेमंद होती है. इसकी वजह यह है कि इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. इसलिए अगर आप भी पेट संबंधी समस्याओं से दो चार हैं तो खांड बेहतर पाचन में मददगार हो सकती है.खांड को खाने का तरीकालोग इसे भोजन में घी के साथ खाते हैं. रोटी के ऊपर खांड और घी को मिलाकर खा सकते हैं. मीठे के शौक़ीन चीनी की जगह खांड का उपयोग डेढ़ गुना तक कर सकते हैं.
- हेल्दी डाइट और लगातार स्क्रीन के सामने बैठकर काम करने से आंखें कमजोर होने लगती हैं। लिहाजा नजर का पॉवर बढ़ाने के लिए चश्मे का इस्तेमाल करना पड़ता है। अगर आप चश्मा नहीं लगाना चाहते हैं और आंखों की रोशनी को तेज करना चाहते हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है। इसमें हम आपको तीन ऐसी चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो आंखों का खास ख्याल रखते हैं औऱ रोशनी बढ़ाते हैं।अपनी डाइट में कुछ खास होममेड जूस को शामिल करके आप अपने आंखों को कमजोर होने से बचा सकते हैं। खबर में बताए जा रहे 3 प्रकार के ये होममेड जूस न सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए लिए अच्छे हैं, बल्कि ये आपकी आंखों की रोशनी को भी तेज करेंगे।गाजर का जूसआंखों के लिए गाजर का जूस बेहद लाभकारी है, क्योंकि आंखों की रोशनी के लिए विटामिन ए बहुत जरूरी होता है। गाजर में विटामिन ए अधिक मात्रा में होता है, जो आंखों के रेटिनल हेल्थ को इंप्रूव करने में मदद करता है। अगर आप गाजर के जूस में टमाटर को भी मिलाकर कर पी सकते हैं। इस जूस को आप नाश्ते के वक्त भी पी सकते हैं। इस जूस को नियमित पीने से आंखों से धुंधला दिखाई देने की समस्या धीरे-धीरे कम हो जाएगी।पालक का जूसअगर आप आंखों की रोशनी बढ़ाना चाहते हैं तो पालक बेहतर विकल्प है। डाइट एक्सपर्ट डॉक्टर रंजना सिंह के अनुसार, आंखों की सेहत के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां लाभदायक होती हैं, खासकर पालक। पालक की सब्जी सेहत के लिए जितनी हेल्दी होती है, उतना ही हेल्दी पालक का जूस भी होता है। अगर आप हर रोज एक गिलास पालक का जूस पिएंगे तो इससे आपकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे बढ़ जाएगी। पालक में विटामिन ए के अलावा विटामिन सी, विटामिन के, मैग्नीशियम, मैगनीज और आयरन पर्याप्त मात्रा में होता है। आप इसे खाली पेट पी सकते हैं।आंवले का जूसआंखों की रोशनी बढ़ाने में आंवले का जूस भी मददगार साबित हो सकता है। इसमें विटामिन सी अधिक मात्रा में होता है जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने का काम करता है। वैसे तो आप आंवले का इस्तेमाल आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए किसी भी रूप में कर सकते हैं। फिर चाहे वह कच्चा आंवला हो या फिर जूस के रूप में।
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बढ़ती उम्र में आजकल ज्यादातर लोगों को घुटनों और जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है। इससे मुक्ति पाने के लिए लोग कई बार पेन किलर से लेकर कई आयुर्वेदिक उपचार ट्राई कर चुके होते हैं लेकिन फिर भी जोड़ों का दर्द बार-बार लौटकर आ जाता है। ऐसे में दर्द का इलाज करने से पहले इसका कारण जानना बहुत जरूरी है जिससे कि दर्द से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।
दर्द को अनदेखा करना
हम सभी के शरीर में यहां-वहां छोटे-छोटे दर्द होते रहते हैं। ज्यादातर समय हम बिना ज्यादा परेशानी के उस दर्द से उबर जाते हैं, लेकिन, अगर आपको दर्द है जो आपके नियमित जीवन को एक हफ्ते से ज्यादा है तो आपको कारण का पता लगाने की जरूरत है।
वजन बढ़ना
घुटने के जोड़ शरीर के भार का चार गुना भार उठाते हैं। तो, शरीर के वजन में एक किलो वृद्धि घुटने के जोड़ पर 4 किलो अतिरिक्त भार डाल देगी। यह अतिरिक्त दबाव दो कठोर बोनी सिरों के बीच घुटने के कार्टिलेज को कम कर सकता है। ऐसे में सबसे पहले अपने वजन को कम करें।
पुरानी चोट को भूलना
कई बार ऐसा होता है कि बचपन या बहुत साल पहले हमें घुटनों के आसपास कोई गुम चोट लग जाती है। समय के साथ हम तो वे चोट भूल जाते हैं लेकिन घुटनों के आसपास कहीं जख्म रह जाता है। उम्र बढ़ने के साथ चोट का दर्द बढ़ने लगता है। वहीं, कभी-कभी कुछ खेल फुटबॉल, हॉकी, बास्केटबॉल, रग्बी, स्केटिंग आदि ऐसे खेल के कारण घुटनों और जोड़ों में खिचांव आ जाता है। मेनिसिस और कार्टिलेज को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। - पूरे साल व्रत और त्योहार आते रहते हैं. अभी सावन के महीने में कई लोग हर सोमवार व्रत करते हैं. कई लोग आस्था और विश्वास के चलते उपवास करते हैं तो वहीं कई लोग पतला होने या डाइटिंग करने के लिए भी व्रत करते हैं. ऐसे में व्रत में आपको ऑयली और ज्यादा तला भुना खाने से बचना चाहिए. कई लोग व्रत वाले दिन ज्यादा घी और फ्राइड चीजें खा लेते हैं. इससे गैस और कई तरह की परेशानी बढ़ जाती हैं. आज हम आपको एक ऐसी सिंपल और बिना तेल वाली रेसिपी बता रहे हैं जिसे आप व्रत में खा सकते हैं. आपने व्रत में अभी तक सिघाड़े के आटे से बनी पूरी तो खाई होंगी लेकिन क्या आपने सिंघाड़े के आटे से बनी मीठी कतली खाई हैं. सिंघाड़े की कतली बनाने में बिल्कुल भी ऑइल नहीं लगता. इन्हें खाकर पेट में जल और गैस की समस्या भी नहीं होती है. आप सावन के सोमवार का व्रत रहने में इन्हें बनाकर जरूर खाएं.जानते हैं कैसे बनाएं सिंघाड़े की मीठी कतली.सिंघाड़े की कतली बानाने के लिए साम्रगी1- एक कटोरी सिघाड़े का आटा2- एक चम्मच घी3- आधा कटोरी चीनी4- चार छीली हुई इलायचीसिंघाड़े की कतली बनाने की रेसिपी1- सिंघाड़े की कतली बनाने के लिए सबसे पहले एक कढ़ाही लें, उसमें घी डालकर गर्म कर लें.2- जब घी गर्म हो जाए तो उसमें सिंघाड़े का आटा डालें और इसे हल्का गुलाबी होने तक भूने लें.3- अब गैस की फ्लेम धीमी कर लें और भूने हुए आटे में तीन गुना पानी और चीनी डालकर मिल लें.4- अब इसे लगातार चलाते हुए उबाल आने पर करीब 4-5 मिनट तक पकाते रहें.5- जब गाढ़ा सा हलवा तैयार हो जाए तो गैस बंद कर दें.6- अब एक थाली लें और उसमें चारों ओर घी लगा दें.7- अब थाली में हलवा को डालकर फैला दें.8- थोड़ा ठंडा होने पर आप इसे चाकू की मदद से बर्फी की शेप में काट लें.9- अब सिंघाड़े की कतली को आप दही या दूध के साथ खाएं. आप चाहें तो इन्हें प्लेन भी खा सकते हैं.10- सिंघाड़े की स्वादिष्ट और बिना तेल वाली मीठी कतली तैयार है आप इसे किसी भी व्रत में खा सकते हैं.
- हम आपके लिए पिकैन नट के फायदे लेकर आए हैं. हालांकि हमारे देश में यह नट उतना प्रचलित नहीं है लेकिन आपको जानकर खुशी होगी कि यह सेहत के लिए बेहद लाभकारी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैक्सिको और अमेरिका के कुछ हिस्सों में पाया जाने वाला पिकैन नट कई न्यूट्रिशनल तत्वों से भरा हुआ होता है. पिकैन नट में विटामिन ए, विटामिन ई, जिंक, ओमेगा-थ्री फैटी एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम आदि भरपूर मात्रा में होता है. इसके अलावा भी इसमें आयरन, फास्फोरस, विटामिन बी 6, प्रोटीन, कैलोरी, फाइबर इसे और भी हेल्दी बनाता है.हार्ट को हेल्दी बनाता हैयह हेल्दी हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद ड्राई फ्रूट माना जा रहा है. इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कम रखने में मदद करता है. यह बैड कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है और हेल्दी कोलेस्ट्रॉल को बढाता है. जिस वजह से हार्ट की बीमारियां दूर रहती हैं.डाइबिटीज को दूर रखने में मददगारकई शोधों में पाया गया है कि जो लोग हार्ट डिजीज के शिकार हैं उन्हें डाइबिटीज से बचने के लिए पिकैन नट का सेवन करना चाहिए. आप इसे स्पैक्स के रूप में खा सकते हैं. यह आपके पेट को भरा भी रखेगा और ब्लड शुगर लेवल को भी ठीक रखेगा.अर्थराइटिस के दर्द को ठीक करता हैइसमें मौजूद ओमेगा 3 फैट सूजन को कम करता है जिससे ज्वाइंट के दर्द से राहत मिलती है. इसके अलावा इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन ई और जिंक भी इन्फ्लेमेशन को कम करते हैं.इम्युनिटी को मजबूत कराता हैपिकैन नट में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेट गुण होते हैं, जो कई बीमारियों को दूर रखते हैं. यह अल्जाइमर, पारकिंसन आदि को ठीक करने में भी सहायक होता है. यह हमारी इम्यूनिटी को भी स्ट्रॉन्ग बनाता है.
- सूखे बादाम खाने की अपेक्षा हरे बादाम खाने से स्वास्थ्य को अधिक लाभ मिलते हैं। इसका सेवन आपको कई रोगों से बचाता है। हरा बादाम भी सूखे बादाम के ही आकार का होता है, लेकिन हरा बादाम सूखे बादाम से ज्यादा गुणकारी माना जाता है। इस बादाम के सेवन से आपको सूखे बादाम के मुकाबले अधिक फायदा पहुंचता है। हरे बादाम में फ्लेवेनॉइड्स, एंटीऑकसीडेंट्स और विटामिन की प्रचुरता होती है, जो आपके दिल, पेट और मांसपेशियों आदि में होने वाली समस्याओं को काफी कम करता है। आइये जानते हैं कि हरा बादाम आपके लिए कैसे फायदेमंद है।1. हड्डियों को करे मजबूतहरे बादाम मे कैल्शियम की भी अधिक मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। हरे बादाम में पाए जाने वाले गुण शरीर में हो रहे हड्डियों के विकार को कम करने मे मदद करते हैं। इसके सेवन से न सिर्फ हड्डियां मजबूत रहती हैं बल्कि हड्डियों से संबंधित समस्याएं जैसे स्पॉंडिलाइटिस, स्लिप डिस्क और ओस्टियोपोरोसिस आदि का भी खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। खासतौर पर बच्चों को शुरू से ही इसका सेवन कराना चाहे, जिससे उनकी हड्डियां मजबूत रहें। हरे बादाम में विटामिन डी की भी मात्रा पाई जाती है।2. खून साफ करने में करे मददहरे बादाम में अच्छी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो आपकी शरीर में से जहरीले तत्वों को निकाल देते हैं और रक्त संचार को सुचारू बनाकर उसे साफ करते हैं। इसका सेवन करने से खून हमेशा स्वच्छ और शुद्ध रहता है। वहीं इसमें आयरन की भी मात्रा पाई जाती है, जो खून साफ करने में मददगार है। शरीर में गंदा खून बहुत सी बीमारियों को आमंत्रित करता है। लेकिन हरा बादाम के पोषक तत्व खून में घुसकर विषैले तत्वों का खात्मा करते हैं।3. हृदय के लिए फायदेमंदहरे बादाम में फ्लेवेनॉइड्स और बायोफ्लेवेनॉइड्स की मात्रा मौजूद होती है, जो हृदय की रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचने से बचाती हैं और हृदय में सुचारू रूप से खून का संचार करती है। इसलिए इसका नियमित सेवन करने से वॉल्व्यूलर हार्ट डिजीज, कोरोनरी आर्टरी डिजिज समेत कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से भी खुद को बचाकर रखा जा सकता है। फ्लेवेनॉइड्स की मात्रा शरीर में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स की कार्यक्षमता को भी बढ़ाती हैं।4. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएरोग प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रखने और बढ़ाने के लिए हरे बादाम का सेवन किसी औषधि से कम नहीं है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता की गतिशीलता में इजाफा लाते हैं। यही नहीं इसके सेवन से पेट संबंधी विकारों में भी राहत मिलता है।5. याददाश्त बढ़ाएसूखा बादाम दिमाग को तेज करता है। वहीं हरा बादाम आपकी याददाश्त को तेज करने में काम आता है। अल्जाइमर और डिमेंशिया के मरीजों के लिए भी हरा बादाम काफी काम आता है। हरा बादाम न्यूरोट्रांसमीटर का कार्य करते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्व आपके न्यूरोलॉजिकल विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। जिससे दिमाग सुचारू रूप से कार्य कर ने में सक्षम रहता है।6. पीएच के स्तर को संतुलित रखेशरीर में पीएच के स्तर को संतुलित रखने के लिए हरे बादाम का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर में क्षारीयता बनी रहती है। कई बार हमारे शरीर की संपूर्ण प्रणाली अम्लीय हो जाती है, जिस कारण शरीर में पीएच का स्तर सामान्य से परिवर्तित हो जाता है। ऐसे समय में हरे बादाम का सेवन आपको इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है।7. त्वचा के लिए फायदेमंदत्वचा को मखमली और खूबसूरत बनाने के लिए भी हरे बादाम का सेवन काफी अच्छा माना जाता है। इसमें विटामिन ई की भरपूर मात्रा के साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं। यह आपको फ्री रेडिकल्स से छुटकारा दिलाने में सहायक माने जाते हैं।8. बालों के विकास के लिए अच्छाअगर आप बालों के रुके हुए विकास से परेशान हैं तो हरा बादाम आपकी मदद कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले विटामिन,. मिनिरल्स के साथ ही अन्य तत्व आपके स्रकैल्प को पोष्कता प्रदान करते हैं। लंबे और खूबूसूरत बालों के लिए इसमें जिंक की भी मौजूदगी रहती है। जो बालों के विकास के लिए अच्छा माना जाता है।