- Home
- सेहत
- हम आपके लिए पिकैन नट के फायदे लेकर आए हैं. हालांकि हमारे देश में यह नट उतना प्रचलित नहीं है लेकिन आपको जानकर खुशी होगी कि यह सेहत के लिए बेहद लाभकारी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैक्सिको और अमेरिका के कुछ हिस्सों में पाया जाने वाला पिकैन नट कई न्यूट्रिशनल तत्वों से भरा हुआ होता है. पिकैन नट में विटामिन ए, विटामिन ई, जिंक, ओमेगा-थ्री फैटी एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम आदि भरपूर मात्रा में होता है. इसके अलावा भी इसमें आयरन, फास्फोरस, विटामिन बी 6, प्रोटीन, कैलोरी, फाइबर इसे और भी हेल्दी बनाता है.हार्ट को हेल्दी बनाता हैयह हेल्दी हार्ट के लिए बहुत फायदेमंद ड्राई फ्रूट माना जा रहा है. इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नेशियम, पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कम रखने में मदद करता है. यह बैड कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है और हेल्दी कोलेस्ट्रॉल को बढाता है. जिस वजह से हार्ट की बीमारियां दूर रहती हैं.डाइबिटीज को दूर रखने में मददगारकई शोधों में पाया गया है कि जो लोग हार्ट डिजीज के शिकार हैं उन्हें डाइबिटीज से बचने के लिए पिकैन नट का सेवन करना चाहिए. आप इसे स्पैक्स के रूप में खा सकते हैं. यह आपके पेट को भरा भी रखेगा और ब्लड शुगर लेवल को भी ठीक रखेगा.अर्थराइटिस के दर्द को ठीक करता हैइसमें मौजूद ओमेगा 3 फैट सूजन को कम करता है जिससे ज्वाइंट के दर्द से राहत मिलती है. इसके अलावा इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन ई और जिंक भी इन्फ्लेमेशन को कम करते हैं.इम्युनिटी को मजबूत कराता हैपिकैन नट में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेट गुण होते हैं, जो कई बीमारियों को दूर रखते हैं. यह अल्जाइमर, पारकिंसन आदि को ठीक करने में भी सहायक होता है. यह हमारी इम्यूनिटी को भी स्ट्रॉन्ग बनाता है.
- सूखे बादाम खाने की अपेक्षा हरे बादाम खाने से स्वास्थ्य को अधिक लाभ मिलते हैं। इसका सेवन आपको कई रोगों से बचाता है। हरा बादाम भी सूखे बादाम के ही आकार का होता है, लेकिन हरा बादाम सूखे बादाम से ज्यादा गुणकारी माना जाता है। इस बादाम के सेवन से आपको सूखे बादाम के मुकाबले अधिक फायदा पहुंचता है। हरे बादाम में फ्लेवेनॉइड्स, एंटीऑकसीडेंट्स और विटामिन की प्रचुरता होती है, जो आपके दिल, पेट और मांसपेशियों आदि में होने वाली समस्याओं को काफी कम करता है। आइये जानते हैं कि हरा बादाम आपके लिए कैसे फायदेमंद है।1. हड्डियों को करे मजबूतहरे बादाम मे कैल्शियम की भी अधिक मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। हरे बादाम में पाए जाने वाले गुण शरीर में हो रहे हड्डियों के विकार को कम करने मे मदद करते हैं। इसके सेवन से न सिर्फ हड्डियां मजबूत रहती हैं बल्कि हड्डियों से संबंधित समस्याएं जैसे स्पॉंडिलाइटिस, स्लिप डिस्क और ओस्टियोपोरोसिस आदि का भी खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। खासतौर पर बच्चों को शुरू से ही इसका सेवन कराना चाहे, जिससे उनकी हड्डियां मजबूत रहें। हरे बादाम में विटामिन डी की भी मात्रा पाई जाती है।2. खून साफ करने में करे मददहरे बादाम में अच्छी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो आपकी शरीर में से जहरीले तत्वों को निकाल देते हैं और रक्त संचार को सुचारू बनाकर उसे साफ करते हैं। इसका सेवन करने से खून हमेशा स्वच्छ और शुद्ध रहता है। वहीं इसमें आयरन की भी मात्रा पाई जाती है, जो खून साफ करने में मददगार है। शरीर में गंदा खून बहुत सी बीमारियों को आमंत्रित करता है। लेकिन हरा बादाम के पोषक तत्व खून में घुसकर विषैले तत्वों का खात्मा करते हैं।3. हृदय के लिए फायदेमंदहरे बादाम में फ्लेवेनॉइड्स और बायोफ्लेवेनॉइड्स की मात्रा मौजूद होती है, जो हृदय की रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचने से बचाती हैं और हृदय में सुचारू रूप से खून का संचार करती है। इसलिए इसका नियमित सेवन करने से वॉल्व्यूलर हार्ट डिजीज, कोरोनरी आर्टरी डिजिज समेत कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से भी खुद को बचाकर रखा जा सकता है। फ्लेवेनॉइड्स की मात्रा शरीर में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स की कार्यक्षमता को भी बढ़ाती हैं।4. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएरोग प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रखने और बढ़ाने के लिए हरे बादाम का सेवन किसी औषधि से कम नहीं है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता की गतिशीलता में इजाफा लाते हैं। यही नहीं इसके सेवन से पेट संबंधी विकारों में भी राहत मिलता है।5. याददाश्त बढ़ाएसूखा बादाम दिमाग को तेज करता है। वहीं हरा बादाम आपकी याददाश्त को तेज करने में काम आता है। अल्जाइमर और डिमेंशिया के मरीजों के लिए भी हरा बादाम काफी काम आता है। हरा बादाम न्यूरोट्रांसमीटर का कार्य करते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्व आपके न्यूरोलॉजिकल विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। जिससे दिमाग सुचारू रूप से कार्य कर ने में सक्षम रहता है।6. पीएच के स्तर को संतुलित रखेशरीर में पीएच के स्तर को संतुलित रखने के लिए हरे बादाम का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर में क्षारीयता बनी रहती है। कई बार हमारे शरीर की संपूर्ण प्रणाली अम्लीय हो जाती है, जिस कारण शरीर में पीएच का स्तर सामान्य से परिवर्तित हो जाता है। ऐसे समय में हरे बादाम का सेवन आपको इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है।7. त्वचा के लिए फायदेमंदत्वचा को मखमली और खूबसूरत बनाने के लिए भी हरे बादाम का सेवन काफी अच्छा माना जाता है। इसमें विटामिन ई की भरपूर मात्रा के साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं। यह आपको फ्री रेडिकल्स से छुटकारा दिलाने में सहायक माने जाते हैं।8. बालों के विकास के लिए अच्छाअगर आप बालों के रुके हुए विकास से परेशान हैं तो हरा बादाम आपकी मदद कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले विटामिन,. मिनिरल्स के साथ ही अन्य तत्व आपके स्रकैल्प को पोष्कता प्रदान करते हैं। लंबे और खूबूसूरत बालों के लिए इसमें जिंक की भी मौजूदगी रहती है। जो बालों के विकास के लिए अच्छा माना जाता है।
- लोग अपने शरीर की देखभाल को बहुत ही प्रमुखता देते हैं, लेकिन अपने चेहरे को लेकर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते. खास तौर से पुरुष वर्ग अपने चेहरे की देखभाल (facial care) को लेकर बहुत ही ज्यादा लापरवाह होते हैं. इस खबर में हम आपको एक ऐसे फेस पैक के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिसे घर बैठे आप तैयार कर सकते हैं और अपने चेहरे को खूबसूरत बना )सकते हैं.दरअसल, जब त्वचा की देखभाल (Care of skin) की बात आती है तो नीम (neem) सबसे अच्छे नेचुरल इनग्रेडिएंट्स में से एक होता है. ये न केवल एक युवा चमक बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से काम करता है, बल्कि मुंहासे (acne) और उसके निशान को कम करने में भी मदद करता है. हालांकि, नीम का उपयोग (use of neem) सबसे स्वच्छ और बेहतर संभव तरीके से करना महत्वपूर्ण है. नीम के पत्तों (neem leaves) को साफ करने की जरूरत है ताकि उस पर जमा सारी गंदगी से छुटकारा मिल सके.काफी लोग ऐसे भी हैं जो बाजारों में मिलने वाले क्रीम और दूसरे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल अपने चेहरे की रंगत को निखारने के लिए करते हैं, जिसका नुकसान चेहरे को झेलना पड़ता है. इन प्रोडक्ट्स के कई सारे साइड इफेक्ट्स होते हैं क्योंकि इनमें कई सारे केमिकल्स मिले होते हैं जो आपके चेहरे को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. ऐसे में नीम का फेस पैक आपको बहुत काम आ सकता है.2. नीम-मुल्तानी मिट्टी का फेस मास्कजरूरी सामान15 नीम के पत्ते2 चम्मच गुलाब जल2 चम्मच मुल्तानी मिट्टीकैसे करें उपयोगसबसे पहले नीम के 10-15 पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लेंअब इसमें गुलाब जल की कुछ स्प्रे डालें.इस मिक्सचर में 2 चम्मच मुल्तानी मिट्टी मिलाएं और एक पतला पेस्ट बना लें.पेस्ट को मिलाने के तुरंत बाद अपने चेहरे और गर्दन पर लगाएं और 15 मिनट के लिए छोड़ दें.फिर ठंडे पानी से धो लें और अपने चेहरे को गुलाब जल से स्प्रे करें.एक निश्चित मात्रा में मॉइस्चराइजर के साथ अपने लाड़ प्यार वाले सेशन को पूरा करें.2. शहद-नीम का फेस पैकजरूरी सामानचुटकी भर दालचीनी10 नीम के पत्ते2 चम्मच शहदकैसे करें उपयोग10-12 नीम के पत्ते लें और इसे पीसकर पेस्ट बना लें.अगर आपकी त्वचा पर मुंहासे हैं तो इसमें शहद और एक चुटकी दालचीनी मिलाएं.इसे अपने पूरे चेहरे पर लगाएं और 10 मिनट के लिए छोड़ दें.अब ठंडे पानी से धो लें और टोनर और मॉइस्चराइजर से रूटीन पूरा करें.
- सोया के पत्तों के स्वाद को आपने मेथी, आलू, दाल, अचार जैसी कई और चीजों के ज़रिये बहुत बार चखा होगा. सोया को पकाते हुए इसकी खुशबू को भी आपने महसूस किया होगा. लेकिन आपको बता दें कि ये केवल स्वाद और खुश्बू में ही बेहतरीन नहीं होते बल्कि ये विटामिन सी, विटामिन ए, आयरन, कैल्शियम और मैंगनीज जैसे कई पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं. इसकी वजह से ये सेहत को भी कई सारे फायदे पहुंचाते हैं. इनको सोआ भी कहा जाता है. आइये आज हम आपको बताते हैं कि सेहत के लिए सोया के पत्तों के क्या फायदे होते हैं.पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैंसोया के पत्तों में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये पाचन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. साथ ही इसमें फाइबर की भरपूर मात्रा भी होती है और ये गैस, बदहजमी, पेट फूलने जैसी दिक्कत से छुटकारा दिलाते हैं. इसके साथ ही कब्ज़ जैसी परेशानी भी दूर करते हैं.अनिद्रा की परेशानी दूर करते हैंआज के दौर की लाइफ स्टाइल में नींद न आने की दिक्कत आम है. इस दिक्कत को दूर करने में सोया के पत्ते काफी मदद करते हैं. सोया में काफी मात्रा में फ्लेवोनाइड्स और विटामिन बी पाया जाता है. जो अनिद्रा सहित शरीर में कोर्टिसोल के लेवल को कम करने में भी खासी मदद करता है और तनाव को भी कम करता है.वजन घटाने में मदद करते हैंवजन घटाने में भी सोया के पत्ते काफी मदद करते हैं. इसमें कैलोरी की मात्रा काफी होती है और ये पत्ते एंटी-ऑक्सीडेंट से भी भरपूर होते हैं. ये शरीर में बेड कोलेस्ट्रोल के लेवल को कम करने में मदद करते हैं और मेटाबॉलिज्म को मजबूत बनाने में भी काफी सहायता करते हैं.मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करते हैंसोया के पत्ते मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में भी मददगार साबित होते हैं. ये फैट बर्नर की तरह काम करते हैं. इन पत्तों को आप चाय या ग्रीन टी में डालकर भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.हड्डियों को मजबूत बनाते हैंसोया हड्डियों को मजबूत बनाने में भी काफी मदद करता है. इसको हड्डियों की मजबूती के लिए औषधि माना जाता है. इतना ही नहीं हड्डियों में होने वाले दर्द को कम करने में भी ये काफी मददगार साबित होता है
- देश में कोरोनावायरस संक्रमण की दूसरी लहर अभी भी जारी है। बीते दिनों में रोजाना मिलने वाले नए मामलों की संख्या में कमी आई थी हालांकि देश में कोरोना के खिलाफ चल रहा टीकाकरण अभियान लगातार जारी है। लेकिन इन सबसे बीच कोरोना से संक्रमित हुए लोगों के ठीक होने के बाद भी परेशानियां कम नहीं हो रही है। शुरुआत में कोरोना से ठीक हुए लोगों में पोस्ट कोविड के लक्षण देखे जा रहे थे जिसे डॉक्टर्स ने कोरोना के साइड इफेक्ट्स बताये थे। लेकिन अब एक बार फिर से कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में इस बात की जानकारी दी गयी है कि कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में ठीक होने के बाद भी कुछ लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं जो चिंता का विषय है।कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे जा रहे हैं। हाल ही में एआईजी अस्पताल द्वारा किये गए एक ऑनलाइन सर्वे में पता चला है कि कोरोना से ठीक हो चुके 5 में से लगभग 2 लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण रहते हैं। इस सर्वे में 2038 लोगों को शामिल किया गया था जिसमें से 40 प्रतिशत लोगों को ठीक होने के बाद भी कई परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। कोरोना से ठीक होने के बाद इनमें से ज्यादातर लोगों को कमजोरी और थकान के साथ बुखार की समस्या हो रही है। एआईजी अस्पताल के प्रेसिडेंट डी नागेश्वर रेड्डी ने इस सर्वे में मिली जानकारियां साझा की। उन्होनें एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि देश की 1 करोड़ आबादी जो कोरोनावायरस के संक्रमण से उबर चुकी है, को लॉन्ग कोविड का खतरा है। डॉ रेड्डी के मुताबिक कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद भी लोगों में दिख रहे लक्षण लॉन्ग कोविड का खतरा हैं।कोरोनावायरस संक्रमण से ठीक होने के बाद भी लोगों को तमाम समस्याएं हो रही हैं। लोगों में कमजोरी, थकान, मांसपेशियों में दर्द और सांस लेने में तकलीफ और सिरदर्द जैसे लक्षण लॉन्ग कोविड का संकेत हैं। एआईजी हॉस्पिटल द्वारा किये गए सर्वे में मिली जानकारी के मुताबिक लंबे समय तक कोरोना के लक्षण उन लोगों में ज्यादा दिख रहे हैं जिन्होंने इलाज के दौरान स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया था। हालांकि अस्पताल की तरफ से इस सर्वे में यह भी कहा गया है कि कोरोना से संक्रमित होने के दौरान ऑक्सीजन की आवश्यकता से लॉन्ग कोविड का कोई संबंध नही है। लॉन्ग कोविड के लक्षण हल्के, मध्यम और गंभीर लक्षणों वाले सभी मरीजों में हो सकते हैं।एआईजी हॉस्पिटल द्वारा किये गए इस सर्वे के मुताबिक कोरोना से रिकवर हो चुके कुछ मरीजों में लॉन्ग कोविड के गंभीर लक्षण भी देखने को मिले हैं। अस्पताल के प्रेसिडेंट डी नागेश्वर रेड्डी ने प्रेस कांफ्रेंस में यह कहा कि कोविड से ठीक होने वाले 30 से कम उम्र के रोगियों में दिल का दौरा पडऩे की समस्या भी देखी गयी है। ऐसे तमाम लोगों ने उनसे सलाह भी ली है। ठीक होने के चार से छह सप्ताह के बाद कुछ मरीजों में दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्या आदि देखने को मिली है। कुछ लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बैक्टीरिया पूरी तरह से बदल गयाजिससे अपच, या दस्त की समस्या भी हुई है। इसके अलावा कई अन्य गंभीर समस्याएं भी कोरोना से ठीक होने के बाद लोगों को हो रही हैं।इस अध्ययन में यह कहा गया है कि कोरोना से ठीक होने के बाद ज्यादातर लोगों में लॉन्ग कोविड की समस्या स्टेरॉयड के इस्तेमाल की वजह से भी देखने को मिल रही है। कोरोना संक्रमित होने के बाद इलाज के दौरान स्टेरॉयड का इस्तेमाल विशेष परिस्थितियों में किया जाना चाहिए। इस सर्वे के मुताबिक अस्पतालों में जरूरत से अधिक लोगों को स्टेरॉयड थेरेपी देने की वजह से उनमें लॉन्ग कोविड का खतरा बढ़ जाता है।
- आयुर्वेद में तुलसी को रोग नाशक जड़ी-बूटी माना जाता है। कई बीमारियों में दवा की तरह इस्तेमाल करने के साथ ही तुलसी को स्किन इन्फेक्शन के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। आइए, जानते हैं तुलसी के फायदे-तुलसी के पोषक तत्वतुलसी में पाए जाने वाले पोषक तत्व तुलसी की पत्तियों में विटामिन और खनिज तत्व मौजूद होते हैं। इसमें मुख्य रूप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक और आयरन आदि हैं। इसके साथ ही तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता है।तुलसी के फायदे-खांसी अथवा गला बैठने पर तुलसी की जड़ सुपारी की तरह चूसने से आराम मिलता है।-श्वास रोगों में तुलसी के पत्ते काले नमक के साथ सुपारी की तरह मुंह में रखने से आराम मिलता है।-तुलसी की हरी पत्तियों को आग पर सेंक कर नमक के साथ खाने से खांसी तथा गला बैठना ठीक हो जाता है।-तुलसी के पत्तों के साथ 4 भूनी लौंग चबाने से खांसी से आराम मिलता है।-तुलसी के कोमल पत्तों को चबाने से खांसी और नजले से राहत मिलती है।-खांसी-जुकाम में - तुलसी के पत्ते, अदरक और काली मिर्च से तैयार की हुई चाय पीने से तुरंत लाभ पहुंचता है।-10-12 तुलसी के पत्ते तथा 8-10 काली मिर्च के चाय बनाकर पीने से खांसी जुकाम, बुखार ठीक होता है।-फेफड़ों में खरखराहट की आवाज़ आने व खांसी होने पर तुलसी की सूखी पत्तियां 4 ग्राम मिश्री के साथ लेने से लाभ मिलता है।-काली तुलसी का स्वरस लगभग डेढ़ चम्मच काली मिर्च के साथ देने से खाँसी एकदम शान्त हो जाती है।-10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी, अस्थमा एवं श्वांस रोगों को ठीक किया जा सकता है।
- सिर्फ जिम जाने वाले या बॉडी बनाने वाले लोगों को ही प्रोटीन की जरूरत नहीं होती है. बल्कि एक सामान्य व्यक्ति को भी रोजाना पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन चाहिए होता है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मुताबिक, एक सामान्य व्यक्ति को रोजाना अपने शारीरिक वजन के प्रति किलोग्राम के हिसाब से 0.8-1 ग्राम प्रोटीन का सेवन करना चाहिए. लेकिन, शाकाहारी लोगों को लगता है कि प्रोटीन सिर्फ मीट-मछली या अंडे से प्राप्त किया जा सकता है. यह बात बिल्कुल भी सच नहीं है. बल्कि आप शाकाहारी आहार यानी वेजिटेरियन फूड्स से भी भरपूर प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं. इस आर्टिकल में प्रोटीन युक्त शाकाहारी आहार के बारे में बताया जा रहा है.टोफूप्रोटीन प्राप्त करने के लिए टोफू सबसे बेहतर वेजिटेरियन फूड है. यह पनीर की तरह दिखता है. इसका अपना कोई टेस्ट नहीं होता है, लेकिन यह फ्लेवर्स को अच्छी तरह सोख लेता है और आप इसे पनीर की तरह बना सकते हैं. इसमें प्रोटीन के साथ कैल्शियम और आयरन भी मौजूद होता है. 100 ग्राम टोफू में 9.41 ग्राम प्रोटीन होता है.दालआप घर में आसानी से मिल जाने वाली दाल को कम मत आंकना. प्रोटीन के मामले में यह दूसरे हेल्दी फूड्स से बिल्कुल भी कम नहीं है. क्योंकि आप दालों का सेवन करके आसानी से रोजाना की जरूरत का प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं. FDA के मुताबिक, 100 ग्राम पकी हुई दाल में करीब 9.02 ग्राम प्रोटीन होता है. हालांकि, प्रोटीन की मात्रा विभिन्न दालों में थोड़ी-बहुत ऊपर-नीचे हो सकती है.काबुली चनाभारत में चना को चावल के साथ खाना पसंद किया जाता है. आप प्रोटीन प्राप्त करने के लिए इसका भी सेवन कर सकते हैं. इसमें प्रोटीन के अलावा कॉप्लैक्स कार्ब्स, फाइबर, आयरन, फोलेट, पोटैशियम आदि पोषक तत्वों की भी भरमार होती है. FDA के मुताबिक 100 ग्राम चनों में करीब 8.86 ग्राम प्रोटीन होता है.हरी मटरआप हरी मटर के छोटे-छोटे दानों को कम समझने की भूल कभी मत करिएगा. इन छोटे-छोटे दानों में कई हेल्दी फूड से ज्यादा प्रोटीन छिपा होता है. हरी मटर के सेवन से आप प्रोटीन के अलावा विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, थियामिन, फोलेट आदि भी प्राप्त कर सकते हैं. FDA के मुताबिक आप 100 ग्राम हरी मटर से 4.71 ग्राम प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं.
- आजकल समय से पहले लोगों के आखों की रोशनी कमजोर होने लगी है, क्योंकि बदलती लाइफ स्टाइल के साथ ही हम सभी को कुछ घंटे मोबाइल या कम्यूटर स्क्रीन के सामने रहना होता है। लेकिन यदि हम अपने खान-पान में थोड़ी ध्यान दें तो शायद इस समस्या को बढऩे से रोका जा सकता है। जानें, उन चीजों के बारे में जिनके रोज खाने से आखों की रोशनी दुरुस्त रहती है-हरी सब्जियांअपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियों में आयरन की भरपूर मात्रा पायी जाती है, जो आंखों के लिए बहुत ही जरूरी है।गाजरगाजर का जूस पीना सेहत के लिए तो अच्छा है ही साथ ही आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। रोजाना एक गिलास गाजर का जूस पीने से आंखों पर चढ़ा चश्मा तक उतर सकता है।बादाम का दूधसप्ताह में कम से कम तीन बार बादाम का दूध पिएं। इसमें विटामिन ई होता है जो कि आंखों में किसी भी बीमारी से लडऩे के लिए फायदेमंद है।अंडेअंडे में अमीनो एसिड, प्रोटीन, सल्फर, लैक्टिन, ल्युटिन, सिस्टीन और विटामिन बी2 होता है। विटामिन बी सेल के कार्य करने में महत्वपूर्ण होता है।मछलीमछली में हाई प्रोटीन होता है। मछली आंखों के अलावा बालों के लिए भी बहुत अच्छी होती है। जिन्हें मछली खाने से परहेज है, वो मछली के तेल से बने कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं।
- सावन महीना 25 जुलाई से शुरू हो रहा है। ऐसे में कई लोग सावन के सोमवार पर व्रत रखते हैं। कई लोग नौ दिनों का व्रत रखते हैं, जिसके कारण कमजोरी और जल्दी थकान होना आम बात है, लेकिन कोरोना महामारी की तीसरी लहर के खतरों के बीच व्रत रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में अगर आप व्रत में कुछ खाने से परहेज करते हैं, तो भी आपको सावन के व्रत में कुछ ड्रिंक्स का सेवन करना चाहिए जिससे कि कमजोरी दूर होने के साथ इम्युनिटी भी बनी रहे-नारियल पानीशरीर को हाइड्रेट रखने के लिए साधारण पानी की जगह नारियल पानी एक बेहतर विकल्प होता है। यह विटामिन ई से भरपूर है। खुद को हाइड्रेट और स्वस्थ रखने के लिए आप रोजाना नारियल पानी पिएं।मिंट ड्रिंकआप पुदीने की पत्तियों को पीसकर उसे सेंधा नमक के साथ ठंडे पानी में पी सकते हैं। पुदीने में एंटीऑक्सीडेंट है। साथ ही इसमें विटामिन सी, आयरन और विटामिन 'ए' भरपूर मात्रा में होता है।लस्सीगर्मियों में लस्सी पीना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है. खासकर जब आप व्रत में कुछ नहीं खाते, तो आपको लस्सी में चीनी डालकर जरूर पीना चाहिए।खीरे और टमाटर का शर्बतव्रत में आप खीरे और टमाटर को बारीक काटकर दही में मिलाकर सेंधा नमक और बर्फ के साथ पी सकते हैं। खीरे में विटामिन ए, सी, और के होने के अलावा पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वहीं, टमाटर में विटामिन ए, सी और एंटीऑक्सीडेंट होता है।
- आमतौर पर रसोई में खाने का स्वाद बढ़ाने और मसालों के रूप में इस्तेमाल होने वाली सफेद मिर्च (White Pepper) स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होती है. इसे कुछ लोग दखनी मिर्च के नाम से भी जानते हैं, जिसके चमत्कारी गुण आंखों की रोशनी के लिए रामबाण का काम करते हैं. साथ ही ये हमारे शरीर की कई आम बीमारियों से राहत दिलाने में मददगार है. आइए जानते हैं क्या है इसके फायदे..मोतियाबिंद के लिए है फायदेमंदआयुर्वेद में सफेद मिर्च को एक जड़ी बूटी माना जाता है. इसमें फ्लेवोनोइड, विटामिन, आयरन और कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं. जो लोग आंखों में दिक्कत महसूस करते हैं, वे लोग इसका सेवन करना शुरू कर दें. इसे मोतियाबिंद जैसी समस्याओं के लिए भी उपयोगी माना जाता है.दिल को भी पहुंचाती है लाभदखनी मिर्च खाने से बॉडी के टॉक्सिक एलीमेंट्स शरीर से बाहर निकल जाते हैं. जिसका फायदा दिल को मिलता है. इसका सेवन करने से दिल स्वस्थ रहता है और दिल के रोग होने के चांसेज काफी हद तक कम हो जाते हैं.पेट के लिए फायदेमंदसफेद मिर्च पेट से जुड़ी समस्या से भी छुटकारा दिलाने का काम करती है. आप इसका खाना बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर सलाद में भी डाल सकते हैं. इसका नियमित रूप से सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है और पेटदर्द, एसिडिटी, कब्ज, अल्सर जैसे रोगों में आराम मिलता है.वजन घटाने में भी सहायकसफेद मिर्च का सेवन वजन घटाने में भी मदद करता है. इसका काढ़ा पीने से न सिर्फ इम्यूनिटी बढ़ती है बल्कि वजन भी नियंत्रित रहता है. इसमें कैप्साइसिन मौजूद है जो फैट बर्न करने में मदद करती है.कैंसर सेल्स बनने से रोकती हैअध्ययन के अनुसार, कैप्साइसिन सामग्री शरीर में कैंसर कोशिकाओं को मार सकती है. ये सफेद मिर्च प्रोस्टेट कैंसर को ठीक करने में कारगर है. इसमें विटामिन, आयरन, एंटी-ऑक्सीडेंट आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसलिए रोजाना इसका सेवन करने से यह शरीर में कैंसर के सेल्स बनने में नियंत्रण होता है.हड्डी-जोड़ों के दर्द में आरामदखनी मिर्च या सफेद मिर्च में मौजूद पोषक तत्वों से शारीरिक दर्द में आराम होता है. शरीर में होने वाले दर्द से ये राहत दिलाती है और इसे रोजाना खाने से मसल्स में होने वाली सूजन और जोड़ों का दर्द कम होता है.ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिएये फ्लेवोनोइड्स और विटामिन सी और ए से भरपूर होती है. ये ब्लड प्रेशर को नियंत्रण रखने में मदद करता है. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए अपने दैनिक आहार में सफेद मिर्च को शामिल कर सकते हैं.
- अचार से लेकर साउथ इंडियन खाने में राई का काफी इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसे आमतौर पर खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए व्यंजनों में डाला जाता है. लेकिन आयुर्वेद के मुताबिक, राई के प्रयोग से कफ-पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता है. राई में कई औषधीय गुण होते हैं, जो त्वचा के रोग, पेट के रोग, बवासीर व गठिया जैसी कई समस्याओं में लाभदायक होते हैं. आइए राई के चमत्कारिक फायदे जानते हैं.राई के इस्तेमाल से होने वाले फायदेकाली राई का पौधा होता है, जिसपर पीले रंग के फूल आते हैं. इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लामेटरी गुणों की भरमार होती है. आइए इसके फायदे जानते हैं.अगर आप सिरदर्द से परेशान रहते हैं, तो राई को पीसकर माथे पर लगाएं. इससे सिरदर्द में लाभ मिलता है.आप राई का काढ़ा बनाकर उससे बाल धो सकते हैं. जिससे सिर में जूं, फुंसी व खाज-खुजली आदि से राहत मिलती है.अगर आपको उल्टी आ रही है, तो आप राई और कपूर को पीसकर थोड़ा गर्म कर लें. इसके बाद इसे पेट पर लगाएं, उल्टी से आराम मिल जाएगा.राई का प्रयोग आपका पाचन सही करता है. आप 1-2 ग्राम राई के साथ शक्कर मिलाकर खा लें. इसके बाद आधा कप पानी पी लें. अपच या पेट दर्द से राहत मिल जाएगी.गठिया या अन्य कारण से होने वाली सूजन को कम करने के लिए आप राई और कपूर का लेप लगाएं. इससे दर्द और सूजन में राहत मिलेगी.अगर आपको त्वचा पर खुजली, दाद या फिर अन्य स्किन प्रॉब्लम्स हैं, तो आप राई के आटे को गाय के घी में मिलाकर त्वचा पर लगाएं. इससे राहत प्राप्त होगी.अगर शरीर में किसी जगह खून जम गया है, तो आप राई के तेल से मालिश करें. ऐसा करने से खून का जमाव खत्म हो जाएगा.अगर आपके बच्चे को खांसी परेशान कर रही है, तो आप उनकी छाती पर राई के तेल से मालिश कर सकते हैं.अगर आप जुकाम या नाक बहने से परेशान हो रहे हैं, तो राई का फायदा उठाएं. आप राई के तेल से पैरों और तलवों की मालिश करें. इससे जुकाम व नाक बहने की समस्या कम होती है.सांस की तकलीफ में आप 500 मिलीग्राम राई के चूर्ण में घी और शहद मिलाकर सुबह-शाम खाएं. इससे आपको सांस और फेफड़ों के रोगों में आराम मिलता है.
- बरसात का मौसम शुरू होते ही सेहत से जुड़ी कई परेशानियां व्यक्ति को परेशान करने लगती हैं। इस मौसम में वातावरण में मौजूद नमी के कारण संक्रमण यानी बैक्टीरिया अधिक सक्रिय हो जाते हैं। यही वजह होती है कि बारिश के दिनों में संक्रमण से होनेवाली बीमारियां अधिक पनपती और तेजी से फैलती हैं। इन रोगों से बचने के लिए सिर्फ साफ-सफाई ही नहीं बल्कि खाने-पीने पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसे में अगर आप कभी बारिश के पानी में भीग जाएं तो खुद को बीमार होने से बचाने के लिए पिएं दालचीनी और अदरक की चाय। ये चाय कई बीमारियों से बचाती है और कफ और कोल्ड के खतरे को कम करती है। आइए जानते हैं कैसे बनाई जाती है यह चाय।दालचीनी और अदरक की चाय बनाने की विधि-इस चाय को बनाने के लिए 1/2 चम्मच सूखे अदरक का पाउडर और 1/2 चम्मच दालचीनी पाउडर को 1 गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह से उबालें। जब पानी आधा रह जाए तब गैस बंद कर दें और इसका सेवन करें। अगर आपके पास दालचीनी और अदरक (अदरक और दालचीनी की चाय के फायदे ) का पाउडर नहीं है तो आप इसकी जगह ताज़ी अदरक और आधा इंच दाल चीनी स्टिक का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। इसके सेवन से तुरंत एनर्जी मिलने के साथ बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।दालचीनी और अदरक की चाय पीने के फायदे--रोजाना इस चाय का सेवन सुबह खाली पेट और डिनर के बाद करने से व्यक्ति को कैलोरी बर्न करने में सहायता मिलती है। इसके अलावा शरीर का मैटाबॉलिज्म अच्छा होने के साथ वजन कम करने में भी मदद मिलती है।-पीरियड्स के दर्द को दूर करने के लिए भी यह चाय बेहद फायदेमंद मानी जाती है। यह सूजन कम करके क्रैंप्स को दूर करने में मदद करती है।-यह चाय पेट के एसिड को बैलेंस करके अपच की समस्या को भी दूर करती है।-यह प्राकृतिक ड्रिंक शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके मधुमेह के लक्षणों को ठीक करने में मदद करती है।-ये हर्बल चाय शरीर को अंदर से साफ करती है। यानि शरीर को डिटॉक्स करती है। जिससे आपका शरीर स्वस्थ रहता है।
- तुलसी की पत्तियां किसी वरदान से कम नहीं। इससे बनने वाला काढ़ा हो या चाय या फिर फेसपैक। हर एक चीज़ इतनी असरदार है कि कुछ ही हफ्तों के इस्तेमाल के बाद आपको इसका फर्क नजर आने लगेगा।तुलसी की पत्तों से होने वाले सेहत के फायदों के बारे में तो आपने सुना और इस्तेमाल किया ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं इसकी पत्तियां चेहरे और बालों से जुड़ी समस्याएं दूर करने में भी बेहद कारगर हैं। आए दिन चेहरे पर नजर आने वाले कील-मुंहासे के साथ अगर आप बढ़ती उम्र में भी जवां बने रहना चाहती हैं तो तुलसी को अपने ब्यूटी रूटीन में जरूर शामिल करें। आइए जानते हैं इन्हें बनाने औ इस्तेमाल करने के तरीके।त्वचा को गहराई से करती है साफ------------- इसके लिए तुलसी की पत्तियां लें और उन्हें तोड़कर पानी के साथ मिलाकर स्मूद पेस्ट तैयार करें।- इस पेस्ट को चेहरे पर कम से कम 15 मिनट तक लगाकर रखें फिर नॉर्मल पानी से धो लें।- इसे हफ्ते में दो बार जरूर इस्तेमाल करें।- आप नोटिस कर पाएंगी कि स्किन पहले से ज्यादा क्लियर और चमकदार हो रही है।कील-मुंहासों का इलाज--------- इसके लिए एक चम्मच तुलसी की पत्तियां लें, एक चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की।- इस पैक को अपने चेहरे पर अप्लाई करें और अच्छी तरह सूखने दें।- इसके बाद ठंडे पानी से धो लें। जल्द रिजल्ट पाने के लिए हफ्ते में कम से कम तीन बार तो जरूर इस्तेमाल करें।दूसरा तरीका- तुलसी और नीम की बराबर मात्रा में पत्तियां लेकर इसे पीस लें। इसमें कुछ बूंद नींबू के रस की मिलाएं और चेहरे पर लगा लें। सूखने के बाद पानी से धो लें।बढ़ती उम्र के असर का करती है कम============बुढ़ापे के असर को थामना चाहती हैं तो इसके लिए तुलसी को लगाना नहीं बल्कि कुछ अलग तरह से इस्तेमाल करना है।- इसके लिए तुलसी के पत्तों को कुछ देर पानी में उबालें और सुबह-सुबह पी लें।रंगत निखारती है तुलसी--------------------- इसके लिए तुलसी की पत्तियों, बेसन और पानी को एक साथ मिक्स कर पीस लें।- इसे चेहरे पर अच्छी तरह से अप्लाई करें और खुद से सूखने दें।- जल्दीबाजी न करें जैसे पंखे और एसी द्वारा जल्द सुखाने की कोशिश करना।- इसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धोएं। इसका इस्तेमाल और रोजाना करें और फिर देखें असर।
- जल पिप्पली एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है। इसका उपयोग शरीर के कई रोगों को नष्ट करने में किया जाता है। इसकी सही मात्रा सही लाभ देती है।आयुर्वेद में ऐसी कई वनस्पतियां हैं जो औषधि के रूप में काम आती हैं। इसी तरह जल पिप्पली है। यह जल में उगने वाला एक पौधा है, भारत समेत दुनिया के कई देशों में यह पाया जाता है। जल पिप्पली का प्रयोग आयुर्वेद में सांस संबंधी बीमारियां, पुरुषों से जुड़ी बीमारियां और रक्त संबंधी बीमारियों में किया जाता है। जल पिप्पली का वानस्पतिक नाम पिप्पिया नोडिफ्लोरा है। इसे फाइला नोडिफ्लोरा, लिप्पिया कैनेसेन्स भी कहा जाता है।जल पिप्पली एनाल्जेसिक, एंटी-इन्फ्लामेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबायल, एंटीपारेटिक, एंटीट्युमर, लिपिड आदि गुण पाए जाते हैं। जल पिप्पली के निम्न फायदे हैं-1. आंखों को रखे स्वस्थजल पिप्पली का उपयोग आंखों की परेशानियों को दूर करने में बहुत लाभकारी है। इसमें आंखों की रोशनी बढ़ाने वाले गुण होते हैं।2. पुरुषों की परेशानियांपुरुषों में स्पर्म काउंट की परेशानी को करने में जल पिप्पली बहुत लाभकारी है। यह स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों बढ़ाने में मददगार है। इसमें जल पिप्पली का पाउडर और जूस दोनों प्रयोग में लाए जा सकते हैं।3.रक्त विकारों में मददगाररक्त संबधी परेशानियों को दूर करने में जल पिपप्ली लाभकारी है। पुरुषों में हीमोफिलिया की परेशानी ज्यादा होती है। रक्त विकारों हीमोफिलिया के अलावा ब्लड क्लॉट, एनिमिया आदि जैसी परेशानियों में जल पिप्पली लाभ करती है। रक्त विकारों में जल पिप्पली का उपयोग जूस या चूर्ण के रूप में किया जा सकता है।4. मुंह से जुड़ी परेशानियों में लाभकारीमुंह में जलन, छाले आदि होने पर जल पिप्पली लाभकारी है। इसके अलावा मुंह से दुर्गंध आने पर भी जल पिप्पली को प्रयोग में लाया जाता है। जल पिप्पली का काढ़ा बनाकर मुंह में घुमाने से मुंह से जुड़ी परेशानियों के निदान में मदद मिलती है। पर ध्यान रहे कि काढ़ा बनाने से पहले जल पिप्पली के पत्तों को साफ कर लें फिर पत्तों को उबालकर काढ़ा बनाएं। इसके अलावा अगर दांतों में दर्द हो रहा है तो जल पिप्पली की पत्तियों को पीसकर दांतों में मलें या काढ़े को कुछ देर में मुंह रखें। इससे दांत दर्द ठीक हो जाएगा।5. हाथों-पैरों, गले की जलनहाथों या पैरों में जलन के कई कारण हो सकते हैं। इस बर्निंग सेंसेशन को दूर करने में भी जल पिप्पली लाभकारी है। इसके अलावा पेशाब में जलन होने पर जल पिप्पली का सेवन लाभकारी है। जोड़ों के दर्द में भी जल पीपल लाभकारी है।6. घाव भरने में लाभकारीजल पिप्पली के पत्ते एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इनका लेप बनाकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी सूख जाता है।7. सांस संबंधी परेशानियांसांस संबंधी परेशानियां होने पर जल पीपल की पत्तियों का रस निकालकर उसमें काली मिर्च का चुर्ण मिलाएं। इसका सेवन करने से सांस संबंधी परेशानियों में लाभ मिलता है।8. सिर दर्द में लाभकारीसिर दर्द से निपटने में जल पिप्पली लाभकारी है। इसके लिए आपको जल पिप्पली की पत्तियों का लेप माथे पर लगाना है। इन पत्तियों से आपको राहत मिलेगी और तनाव रहित महसूस करेंगे।
- बालों की समस्या आज के समय में जी का जंजाल बन चुकी हैं। आज के समय में अमूमन लोग बालों की समस्या से ग्रस्त हैं। खराब लाइफस्टाल और असंतुलित खान-पान के कारण लोगों के बाल कम उम्र में ही सफेद होने और झडऩे लगे हैं। अगर आपके साथ भी ऐसी समस्या है तो लौकी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। लौकी के रस में विटामिन बी (बायोटिन) पाया जाता है, जो बालों को सफेद होने और झडऩे से रोकने में मदद करता है। यह स्कैल्प में जमा गंदगी को साफ करने के साथ ही बालों में मौजूद टॉक्सिन्स का सफाया करने में मददगार होता है। चलिए जानते हैं बालों पर लौकी का रस लगाने के कुछ फायदों के बारे में।1. बालों का झडऩा कम करेबालों का टूटना और झडऩा कम करने में भी लौकी का रस अहम भूमिका निभाता है। लौकी का रस आपके स्कैल्प तक पहुंचकर स्कैल्प के बंद हुए रोमछिद्रों को खोलकर उन्हें प्रॉपर नरिशमेंट प्रदान करता है। जिससे बालों को नमी मिलती है और बालों का टूटना और झडऩा काफी हद तक कम होता है। इसके लिए आप लौकी के छिलकों को पीसकर उसका रस निकालें और अपने स्कैल्प पर इसकी मालिश करें। ऐसा करने से बालों तक सभी जरूरू पोषक तत्व मिलेंगे और बालों का टूटना कम होगा।2. गंजेपन से बचाएबालों के लिए लौकी का रस किसी औषधि से कम नहीं माना जाता है। लौकी के रस में मुख्य रूप से थियामिन यानि विटामिन बी 1 पाया जाता है। जो रेड ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ाकर स्कैल्प तक सुचारू रूप से ऑक्सीजन की सप्लाई करता है, जिससे स्कैल्प बालों के विकास के लिए प्रतिक्रियाएं देता है। इस रस में पैंटोथेनिक एसिड की मात्रा पाई जाती है। इसे एंटी स्ट्रेस विटामिन के नाम से भी जाना जाता है। यह स्ट्रेस हार्मोन्स को नियंत्रित कर बालों की ग्रोथ में सहायता करता है। साथ ही गंजेपन से भी बचाता है। इसके लिए लौकी के रस को ऑलिव ऑयल के साथ मिलाकर बालों पर लगा सकते हैं। चाहें तो इसमें तिल या फिर सरसों का तेल भी मिला सकते हैं।3. बालों को सफेद होने से रोकेलौकी के रस में पाया जाने वाला बायोटिन यानि विटामिन बी बालों से डिसकलरेशन की समस्या को दूर करता है। इसके लिए आप लौकी के रस को अपने स्कैल्प पर दही के साथ मिलाकर लगाएं और थोड़ी देर इससे मसाज करें। इसके बाद इसे धो लें। इससे बालों का सफेद होना काफी कम होता है।4. स्कैल्प की गंदगी साफ करेस्कैल्प में गंदगी जमना भी बालों के टूटने और झडऩे का ही एक कारण माना जाता है। आमतौर पर स्कैल्प में धूल मिट्टी जम जाती है, जो बालों की जड़ों को कमजोर बना देती है। ऐसे में लौकी के रस से स्कैल्प को धोने या फिर बालों पर इसकी मालिश करने से स्कैल्प अंदरूनी रूप से साफ होता है और सभी टॉक्सिन्स भी निकल जाते हैं।5. डैंड्रफ से बचाएडैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए भी लौकी का रस काफी अच्छा माना जाता है। इसके लिए लौकी के रस में एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर लगा सकते हैं। आप चाहें तो इसे कच्चे दूध के साथ मिक्स करकर बालों की मसाज भी कर सकते हैं।
- क्या आप भी लंबे समय से कब्ज की समस्या से परेशान हैं? दरअसल, आजकल की खराब लाइफस्टाइल और गलत खान-पान की वजह से लोग बीमार रहते हैं। लोगों में लाइफस्टाइल डिजीस बढऩे लगे हैं। इन्हीं में से एक है कब्ज की समस्या । इसके उपचार के लिए आप गुनगुने या गर्म पानी और घी का मिश्रण उपयोग में ला सकते हैं। घी को कब्ज दूर करने के लिए रामबाण माना जाता है। आप चाहें तो नियमित रूप से खाली पेट घी का सेवन करके कब्ज की दिक्कत ठीक कर सकते हैं। घी शरीर में चिकनाई लाता है, जिससे आंतों में जमा मल आसानी से बाहर निकल जाता है। यह शरीर की सफाई करने में बेहद उपयोगी होता है। घी को कब्ज की समस्या दूर या ठीक करने के लिए एक बेहतरीन दवा माना जाता है। इसमें बायट्रिक एसिड काफी अच्छी मात्रा में होता है, जो कब्ज को दूर कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। घी के सेवन से पेट के सभी रोग दूर होते हैं। यह पेट दर्द, ब्लोटिंग की समस्या में भी राहत दिलाता है। साथ ही घी में मौजूद बायट्रिक एसिड मेटाबॉलिज्म को भी स्ट्रॉन्ग बनाता है।घी में मौजूद पोषक तत्वकैल्शियम, मिनरल्स, पोटैशियम , एंटीऑक्सीडेंट्स , विटामिन ए , विटामिन डी , विटामिन के, फॉस्फोरस, फैटी एसिड , बायट्रिक एसिड।कैसे करें सेवनकब्ज की समस्या को दूर करने के लिए आप गुनगुना पानी और घी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच घी मिलाएं। इसे रोज सुबह खाली पेट पी लें। इससे आपको कब्ज की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। घी पेट से सारी गंदगी निकालने में सहायक होता है। इसके सेवन से मल त्याग में आसानी होती है और शरीर से सारे टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं।घी के अन्य फायदे-अगर आप रोजाना गर्म पानी के साथ घी का सेवन करते हैं, तो आपको कब्ज की समस्या से पूरी तरह से निजात मिल सकती है। लेकिन कब्ज के साथ ही घी और पानी लेने से आपको कई अन्य लाभ भी मिल सकते हैं।-घी आंतों के मेटाबॉलिक में सुधार करता है। घी से स्वास्थ्य को बेहद लाभ मिलते हैं।-घी में कैल्शियम काफी अच्छी मात्रा में होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।-घी कब्ज या पेट के रोगों को दूर कर मन और दिमाग को शांत करता है, जिससे नींद काफी अच्छी आती है।-घी वजन घटाने के लिए भी फायदेमंद होता है।गर्म पानी में घी मिलाकर लेने से डायबिटीज रोगियों को भी लाभ मिलता है।-त्वचा को कोमल और मुलायम बनाने में घी मददगार होता है।
- साल 2019 से कोरोना का कहर दुनिया भर में जारी है। हाल के दिनों में खबरें आईं कि स्पाइक प्रोटीन की वजह से कोरोना वायरस शरीर में फैल रहा है। इस विषय में बता रहे हैं राजकीय हृदय रोग संस्थान, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में कार्यरत वरिष्ठ प्रोफेसर ऑफ कार्डियोलॉजी डॉ. अवधेश शर्मा से।शरीर में कैसे फैलता है वायरस?डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि डीएनए और आरएनए दो तरह के वायरस होते हैं। डीएनए वायरस प्रोटीन बनाते हैं और डीएनए से आरएनए बनता है। आरएनए वायरस भी प्रोटीन बनाते हैं। आरएनए से सीधा प्रोटीन बन जाता है। वायरस सजीव और निर्जीव दोनों कैटेगरी में आता है। कोई भी वायरस का कण जब हमारे शरीर में आता है तो बॉडी की कोशिकाओ में घुसता है। कोशिकाओं के डिविजन को कंट्रोल कर लेता है। वायरस कोशिकाओं को अनियंत्रित तरीके से बढ़ाता है। वायरस कोशिकाओं में जाकर अपनी कॉपी बनाने लग जाएगा। जिसे वायरल रेप्लीकेशन कहा जाता है। इस तरह से यह वायरस शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। जिनकी इम्युनिटी स्ट्रांग होती है वह वायरस से लड़ लेती है जिनकी नहीं होती है, वे बीमार पड़ जाते हैं।स्पाइक प्रोटीन क्या है?कोरोना वायरस आरएनए वायरस है। आरएनए में भी ये सिंगल स्ट्रैंडिड वायरस है। आमतौर पर कोरोना वायरस सिंगल स्ट्रैंडिड आरएनए वायरस है। जबकि डीएनए वारयस डबल चेन होते हैं। आरएनए से प्रोटीन बनती हैं। प्रोटीन कई तरह के होते हैं।प्रोटीन के प्रकारएम प्रोटीन -एक वायरस के चारों ओर का प्रोटीन होता है जिसको एम प्रोटीन कहा जाता है।ई प्रोटीन - जेनेटिक मटेरियल के चारों तरफ दो घेरे होते हैं। इनर लेयर को इनवलेप प्रोटीन कहते हैं। आउटर लेयर को एम प्रोटीन प्रोटीन कहते हैं।स्पाइक प्रोटीन - कोरोना ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है क्राउन। क्राउन के चारों तरफ सूरज की रोशनी की तरह किरणें निकली होती हैं। ऐसी ही संरचना कोरोना वायरस की है। कोरोना वायरस की जो ये लाइन बाहर की तरफ निकली होती हैं, ये स्पाइक प्रोटीन होती हैं। इसी को एस प्रोटीन भी कहा जाता है।शरीर में स्पाइक प्रोटीन क्या करता है?स्पाइक प्रोटीन जीवित लोगों के अंदर वायरस का प्रवेश आसान बना देता है। वायरस में जो कांटे वाले स्ट्रक्चर होते हैं, ये स्पाइक प्रोटीन मनुष्य की बॉडी में एसीई2 रिसेप्टर होता है। ये एसीई2 रिसेप्टर शरीर के अलग-अलग अंगों में पाए जाते हैं। हृदय की कोशिकाओं में, मासपेशियों की कोशिकाओं में, रक्त वाहिकाओं की कोशिकाओं आदि में पाए जाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा फेफडो़ं की कोशिकाओं में होते हैं। स्पाइक प्रोटीन एसीई2 रिसेप्टर पर जाकर चिपक जाता है। इनसे चिपकर वायरस लिविंग सेल के अंदर एंट्री कर जाता है। शरीर में अंदर जाने के बाद वायरस अपनी कॉपी बनाने लग जाता है और तेजी से शरीर में फैलता है।कोरोना फेफड़ों को ज्यादा क्यों प्रभावित करता है?डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि फेफड़ों में एसीई2 रिसेप्टर सबसे ज्यादा होते हैं, इसलिए कोरोना वायरस फेफड़ों को ज्यादा प्रभावित करता है। इसके बाद हार्ट और ब्लड वेसेल और किडनी पर असर डालता है। छोटे बच्चों में एसीई2 रिसेप्टर का अमाउंट कम होता है। उम्र के साथ एस रिसेप्टर बढ़ते हैं। लेकिन छोटे बच्चों में यह कम होता है इसलिए बच्चों को कोरोना वायरस ज्यादा गंभीरता नहीं डालता है। जब एसीई रिसेप्टर कम होंगे तो वायरस शरीर में कम प्रवेश करेगा, इसलिए बच्चों में यह ज्यादा नुकसानदायक नहीं है। एडल्ट्स में एसीई रिसेप्टर ज्यादा होते हैं इसलिए एडल्ट्स में ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।
- हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए हेल्दी ब्रेकफास्ट बेहद जरूरी है. हेल्थ एक्सपर्ट् कहते हैं कि सुबह का नाश्ता आपको दिन भर ऊर्जा देता रहता है. लिहाजा आप की सिरदर्द और थकावट जैसी समस्याओं से दूर रहते हैं. अब सवाल आता है कि हेल्दी ब्रेकफास्ट के लिए क्या खाया जाए? इस खबर में हम आपके लिए दो ऐसी चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें ब्रेकफास्ट में शामिल करने से आपको जबरदस्त लाभ मिलेंगे.सेहत के लिए ड्राई फूट्स काफी जरूरी होते हैं. यह हमारे शरीर को कई पोषक तत्व प्रदान करते हैं. भारत में कई तरह के ड्राई फूट्स होते हैं. लेकिन सिर्फ मखाने का सेवन कर आपकी सेहत को कई तरह के फायदे मिलते हैं. यह सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं. रोजाना सुबह खाली पेट 4 मखानों का सेवन करने से कई तरह के फायदे मिलते हैं.1. नाश्ते में मखाना खाने के फायदेजिन लोगों को डायबिटीज होती है वह हर दिन सुबह उठ कर यदि खाली पेट 4 मखाने खाते हैं तो उनकी शुगर हमेशा कंट्रोल में रहता है.सुबह खाली पेट मखाना खाने से आपका दिल मजबूत रहता है. अगर आप को हार्ट से संबंधित कोई भी बीमारी है तो आपको मखाना जरूर खाना चाहिए यह आपके दिल को स्वस्थ्य रखता है.रोज सुबह उठते ही मखाने का सेवन जरूर करना चाहिए. मखाना खाने से आपका तनाव दूर हो जाता है. साथ ही इससे नींद की समस्या भी ठीक हो जाती है.कई लोगों की किडनियां बहुत कम उम्र में ही खराब हो जाती हैं. मगर, इससे बचा जा सकता है अगर आप रोज मखाने खाती हैं तो इससे आपकी किडनी डिटॉक्सी फाई होती रहती है और मजबूत बनी रहती है.2. नाश्ते में ओट्स के लाभनाश्ते में ओट्स का सेवन करने से सेहत के लिए बेहद फायदे मिलते हैं. ओट्स को जौ से तैयार किया जाता है, यह बाजार में कई तरह के फ्लेवर में मिलता है. नाश्ते में रोजाना आप अगर 30 से 40 ग्राम ओट्स का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं. इसमें पाया जाने वाला विशेष प्रकार का फाइबर ‘बीटा ग्लूकैन’ शरीर को खूब फायदा पहुंचाता है.हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए ओट्स का सेवन बहुत फायदेमंद है. इसमें पाया जाने वाला फाइबर उच्च रक्तचाप की समस्या कम करता है.नाश्ते में ओट्स खाने से जल्दी-जल्दी भूख लगने की समस्या भी नहीं होती और पेट साफ रहता है. पेट साफ रहने से किसी भी रोग के होने की संभावना नहीं रहती.ओट्स खाने से कब्ज के रोगियों को फायदा मिलता है. इसमें पाए जाने वाले अनसॉल्युबल फाइबर से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है और पाचन शक्ति बढ़ती है.ओट्स में कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है. यह आपके नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखता है.ओट्स में फाइबर और मैग्नीशियम पाया जाता है जो दिमाग में सेरोटोनिन की मात्रा को बढ़ाता है. इसे खाने से मस्तिष्क शांत रहता है. ओट्स का सेवन करने वालों को नींद भी अच्छी आती है.
- आपने देखा होगा कि घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चों को दूध पीने पर बहुत जोर देते हैं। कभी-कभी दूध न पीने पर मां-बाप की डांट-फटकार भी सुननी पड़ती है। इसकी वजह है दूध में मौजूद पोषण तत्व जिससे सेहत को कई लाभ मिलते हैं। लेकिन, देखा गया है कुछ लोग दूध का पाचन नहीं कर पाते हैं। मेडिकल भाषा में इसे लैक्टोज इन्टॉलरेंस कहा जाता है। नतीजन, कई तरह की डाइजेस्टिव समस्याओं से उन्हें दो-चार होना पड़ता है।शरीर में दूध का पाचन कैसे होता हैपाचन प्रक्रिया मुंह में शुरू होती है, जहां आपकी थोड़ी एसिडिक सलाइवा दूध के साथ मिलती है और इसे तोडऩा शुरू कर देती है। जब आप दूध को निगलते हैं, तो यह अन्नप्रणाली और पेट में जाता है। पेट में गैस्ट्रिक जूस दूध को और ब्रेकडाउन करते हैं और उसमें मौजूद किसी भी जीवित बैक्टीरिया को मार देता है। पेट फिर दूध को छोटी आंत में भेजता है, जहां पोषक तत्व - जैसे अमीनो एसिड, प्रोटीन बिल्डिंग ब्लॉक, फैटी एसिड, फैट बिल्डिंग ब्लॉक अवशोषित होते हैं। वहीं, अवशोषित न होने वाली सामग्री बड़ी आंत में चली जाती है और मलाशय के माध्यम से उसे बाहर निकाल दिया जाता है। अपशिष्ट तरल पदार्थ भी यूरिन पास करने के दौरान निष्काषित होते हैं।दूध का पाचन : लैक्टेज की भूमिकाहर किसी का शरीर दूध के लिए नहीं बना है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपके शरीर में लैक्टेज का उत्पादन कम हो जाता है। लैक्टोज मिल्क और अन्य डेयरी उत्पादों के डाइजेशन के लिए एक महत्वपूर्ण एंजाइम है। छोटी आंत लैक्टेज उत्पन्न करती है। यदि आपका शरीर लैक्टेज की एक छोटी मात्रा का उत्पादन करता है, तो आपको लैक्टोज इन्टॉलरेंस हो सकता है। हर व्यक्ति में लैक्टेज का लेवल अलग-अलग होता है। कुछ लोगों में लैक्टेज इतना कम होता है कि उन्हें दूध को हजम करना मुश्किल हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिस्कंफर्ट होता है।दूध का पाचन होने में कितना समय लगता है?पश्चिमी आहार में कई लोग दूध को ठीक से पचा नहीं पाते हैं। लैक्टोज दूध में पाया जाने वाला नेचुरल शुगर है, और लैक्टेज एक एंजाइम है जो लोगों को इसे पचाने में मदद करता है। बचपन के बाद, आपका शरीर दूध को पचाने के लिए कम लैक्टेज का उत्पादन करता है। क्योंकि दूध में सभी छह पोषक तत्व होते हैं; प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल और पानी। दूध आपके पेट से गुजरता हुआ छोटी आंत और फिर बड़ी आंत में पहुंचता है। यह अनुमान लगाया जाता है कि भोजन पेट में कम से कम चार से पांच घंटे रहता है। उसी तरह कम वसा वाले दूध की तुलना में अधिक वसा वाला दूध चार से पांच घंटे तक रहता है। दूध छोटी आंत में गुजरता है जहां अधिकांश पोषक तत्व पचते और अवशोषित होते हैं। छोटी आंत से गुजरने में एक मिश्रित भोजन को तीन से पांच घंटे लग सकते हैं। बचा हुआ दूध 24 घंटे तक की अवधि के दौरान बड़ी आंत से गुजरता है, जहां कुछ पानी और विटामिन और मिनरल्स अवशोषित होते हैं। यह सिर्फ एक अनुमान पर आधारित हैं, और दूध के अलग प्रकार के लिए पाचन का समय अलग-अलग हो सकता है।
- छोटे बच्चों के नेल पॉलिश लगे हाथ दिखने में कितने सुंदर लगते हैं। जैसा रंग मां को पंसद होता है, अक्सर बच्चे को भी वैसा ही रंग लगाया जाता है या फिर मां खुद ही बच्चे को लगा देती है। लेकिन सवाल ये है कि क्या छोटे बच्चों को नेल पॉलिश लगाना सुरक्षित है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नेल पॉलिश में ऐसे कई कैमिकल होते हैं जो बच्चे के नाखून के स्वास्थ्य को और बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए 1-2 दिन नेल पॉलिश लगाने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन रोजाना लगाकर रखने से इन्फेक्शन का डर रहता है।छोटे बच्चों को नेल पॉलिश लगाने से उन्हें ओनाइकोमाइकोसिस फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। यह नाखूनों में होने वाला फंगल इन्फेक्शन है। इस इन्फेक्शन की वजह से नाखूनों का रंग बदलना, नाखूनों का पतला होना और नाखूनों का टूटना जैसी परेशानियां होती हैं। इसलिए छोटे बच्चों को नाखूनों पर नेल पॉलिश नहीं लगानी चाहिए।बैक्टीरियल इनफेक्शनबैक्टीरियल इन्फेक्शन में Paronychia इन्फेक्शन होता है। इस इन्फेक्शन में नाखूनों के चारों तरफ सूजन आ जाती है। अगर बच्चे को नेलपेंट लगाया जाता है तो उससे उसे पारोनाचिया बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकता है।नाखूनों का रूखापननेलपेंट लगाने से नाखूनों में ड्राईनेस होने लगती है। छोटे बच्चों के नाखून बहुत मुलायम होते हैं जिस वजह से नेलपेंट के नाखूनों में कैमिकल सीधे चला जाता है। यह कैमिकल उनकी त्वचा के लिए भी हानिकारक होता है।पेट से जुड़ी परेशानियांछोटे बच्चों को जब नेलपेंट लगाया जाता है तो कई बार वे नाखून को मुंह में डालते हैं। जिससे कैमिकल शरीर के अंदर जाता है और छोटे बच्चों को पेट से जुड़ी पेरशानियां होने लगती हैं। एक लेयर के ऊपर दूसरी लेयर लगाने से नाखून खराब होने लगते हैं।गैस की दिक्कतछोटे बच्चों को अगर आप रोजाना नेल पॉलिश लगाते हैं और कई दिनों तक लगी रहने देते हैं तो उन्हीं नाखूनों को वो चूसते हैं और उन्हें गैस संबंधी परेशानियां होने लगती हैं। नाखूनों को चूसने से नेल पॉलिश का कैमिकल पेट में जाता है और अन्य परेशानियां होने लगती हैं। साथ ही एक ही नाखून पर बार-बार नेलपेंट लगाने से उस पर कोटिंग होती रहती है और नाखून की त्वचा पर नमी होने लगती है, जिस वजह से फंगल इंफेक्शन जल्दी होता है।नेलपेंट लगाते समय किन बातों का ध्यान रखें- 1-2 दिन के लिए बच्चों को नेल पॉलिश लगाने में कोई दिक्कत नहीं है।-अगर आप बच्चों को नेल पॉलिश लगा रहे हैं तो ध्यान रहे कि नेल पॉलिश में ऐसे कैमिकल न हों, जो बच्चे की स्किन को नुकसान करें।-नाखूनों की सफाई का ध्यान रखें। ज्यादा नेल थिनर का प्रयोग न करें।-छोटा बच्चा अगर नाखूनों पर नेलपेंट लगाने की जिद कर रहा है तो हाथों पर नेल पेंट लगाने के बजाए पैरों पर लगाएं। इससे वह हाथों को नाखूनों को चूसता भी है तो उससे नेलपेंट उसके पेट में नहीं जाएगा।-बच्चों के नाखून ज्यादा बड़ा न होने दें।-अमूमन कोशिश करें कि बच्चे से नेलपेंट दूर रखी जा रही हो।-बच्चे को शुरुआत में हल्के रंग ही लगाएं।-मां को देखकर छोटे बच्चे नेलपेंट लगाने की जिद करते हैं, लेकिन 1-2 दिन से ज्यादा नेल पेंट लगाने से उन्हें कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन उससे ज्यादा समय तक लगाने से नुकसान होता है।
- भारत में बैगन को कई तरह से खाया जाता है. इसे कहीं सब्जी तो कहीं भरवा बैंगन और भरते के रूप में खाया जाता है, हम सब बैंगन का तो सेवन करते हैं, लेकिन हम बैंगन के पत्तों को भूल जाते हैं. इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं बैंगन के पत्तों के फायदे. जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, हां बैंगन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, वहीं उसकी पत्तियां भी सेहत को जबरदस्त लाभ दे सकती हैं.बैंगन के पत्तों के फायदे1. किडनी को साफ करते हैंडॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि बैंगन की पत्तियां किडनी के लिए डिटॉक्सिफायर का काम करती हैं. ये नैचुरल तरीके से किडनी को साफ करने में मदद करती हैं. इसके लिए आपको एक बर्तन में थोड़ा पानी रखना है और फिर उसमें 5-6 बैंगन की पत्तियों को डालकर उबाल लेना है. अब इस पानी को छान लें और कम से कम दिन में तीन बार इसका सेवन करें.2. कोलेस्ट्रॉल स्तर कम करते हैंअगर आप बैंगन के पत्तों का सेवन करते हैं, तो ये आपके बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं. अगर कोलेस्ट्रॉल कम होगा, तो इससे आपका वजन कम होने में भी मदद मिल सकती है.3. सूजन को कम करते हैंहम देखते हैं कि व्यक्ति कई बार अलग-अलग तरह की सूजन से पीड़ित होता है. कई लोग कैंसर से पैदा होने वाली सूजन से परेशान रहते हैं. ऐसे में अगर आप बैंगन के पत्तों का सेवन करते हैं, तो ये आपकी सूजन को कम करके आपको आराम देने का काम कर सकते हैं. क्योंकि इन पत्तों में फाइटोकेमिकल्स मौजूद होता है, जिसकी वजह से सूजन कम करने में मदद कर पाते हैं.4. खून की कमी को दूर करते हैंबैंगन की पत्तियां एनीमिया से जूझ रहे लोगों के लिए फायदेमंद हैं. बैंगन की पत्तियों का सेवन करने से ये शरीर में होने वाली खून की कमी को भी दूर करने में मदद करती हैं.5 शुगर लेवल कंट्रोल रखेडॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, अगर आप मधुमेह की समस्या से पीडि़त हैं तो भी आपको सफेद बैंगन की पत्तियों का सेवन अवश्य करना चाहिए. दरअसल, सफेद बैंगन की पत्तियों में फाइबर और मैग्नेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं और यह पोषक तत्व आपके रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करते हैं.
- हर फल के अपने फायदे होते हैं, जैसे- नाशपाती। ये हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में काफी मदद करते हैं और वजन कम करने में भी लाभदायक होते हैं। वहीं, इसमें पाए जाने वाले खनिज, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, डाइट फाइबर, विटामिन और पॉलीफेनोल्स जैसे पोषक तत्व काफी फायदा देते हैं। इस मौसमी फल को खाने से हमारे शरीर को कई लाभ मिलते हैं, लेकिन अगर नाशपाती का ज्यादा सेवन किया जाए तो ये हमें फायदे की जगह पर नुकसान दे सकता है। इसलिए हमें इनका ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए। तो चलिए आपको बताते हैं कि किन लोगों को इनका ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए, नहीं तो फायदे की जगह पर नुकसान हो सकते हैं।एलर्जी वाले लोगों कोअगर आपको एलर्जी की समस्या है, तो आपको नाशपाती का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। दरअसल, जब नाशपाती से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली मिलती है, तब इससे एलर्जी होती है। ऐसे में इसके कुछ प्रोटीन हानिकारक साबित हो जाते हैं, और ये एक तरह का पदार्थ पूरे शरीर में छोड़ता है जिसकी वजह से एलर्जी होती है।पेट से जुड़ी दिक्कतों वाले लोगों कोजिन लोगों के पेट में दिक्कत होती है, जिन्हें पेट से जुड़ी समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे लोगों को नाशपाती का ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए। अगर ऐसे लोग इसका ज्यादा सेवन करते हैं, तो इसमें मौजूद फाइबर पेट में ऐंठन, कब्ज, आंतों की गैस, दस्त, कब्ज जैसी समस्याएं पैदा या इन्हें बढ़ा सकता है।ब्लड प्रेशर की दिक्कत वालों कोनाशपाती में जिंक, पोटैशियम और मैग्नीशियम मौजूद होते हैं, जो हमारे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। लेकिन दूसरी तरफ अगर आप इनका ज्यादा सेवन करते हैं, तो ये आपका ब्लड प्रेशर लेवल बिगाड़ सकता है। ऐसे में आपको कई दिक्कतें हो सकती हैं। जैसे- सांस लेने में दिक्कतें, हिहाइड्रेशन, चक्कर आना, मतली, बेहोशी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
- सेहत के लिए लहसुन कितना ज्यादा फायदेमंद होता है, ये तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी लहसुन का रायता खाया है? वैसे तो इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं, लेकिन अगर आप बिरयानी और पुलाव के शौकीन है तो हो सकता है कि आपने किसी रेस्त्रां में इसे बिरयानी या पुलाव के साथ टेस्ट किया हो. बिरयानी या सोया पुलाव के साथ लहसुन का रायता बहुत गजब का लगता है. इसे बनाना भी बहुत आसान है. यहां जानिए इसकी रेसिपी और अब की बार जब भी पुलाव ट्राई बनाइएगा, लहसुन का रायता साथ में बनाकर चटकारे लगाएं.सामग्री : 200 ग्राम ताजा दही, दो डंठल हरा धनिया, 7 से 8 मोटी लहसुन की कलियां, 4 से 5 हरी मिर्च, दो चुटकी हींग, आधा चम्मच जीरा, आधा चम्मच पुदीना पाउडर या ताजा पुदीना की 6 से 7 पत्तियां, चौथाई चम्मच काला नमक और सफेद नमक स्वादानुसार.रायता बनाने की विधि1- रायता बनाने के लिए सबसे पहले दही को अच्छी तरीके से मथ लें. अगर दही खट्टा हो तो उसमें थोड़ा दूध मिलाएं, पानी नहीं. पानी मिलाने से दही छाछ की तरह पतला हो जाता है. जबकि दूध डालकर उसमें गाढ़ापन बना रहता है और खटास कम हो जाती है. अपने स्वादानुसार दही में खट्टापन रखें.2- इसके बाद हरे धनिया और हरी मिर्च को पानी से धो लें. फिर सिल पर बटने से सारी चीजों को एक साथ बारीक पीस लें. ये सारी चीजें जब चटनी की शक्ल ले लें, तो आप इसे दही में डाल दें और मथानी से एक बार फिर से मथ लें.3- मथने के बाद दही में काफी सुंदर हरा रंग आ जाएगा. कुछ देर के लिए इसे फ्रिज में रख दें. तब तक पुलाव बनने दें. इसके बाद गर्मागर्म पुलाव को इस रायते, पापड़ और अचार के साथ खाएं.सुझाव– ध्यान रहे रायते के लिए सामग्री को मिक्सी में न पीसें. सिल पर पिसी सामग्री का बहुत अच्छा टेस्ट आता है.– अगर आप ज्यादा तीखा या कम तीखा खाते हैं तो हरी मिर्च की मात्रा को अपने हिसाब से बढ़ा और घटा भी सकते हैं.– लहसुन का रायता बनाने के लिए हमेशा ताजे दही का ही इस्तेमाल करें, साथ ही दही में गाढ़ापन होना चाहिए. अगर आप पहले का रखा दही इस्तेमाल करेंगे तो रायता मजेदार नहीं लगेगा.
- कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें ड्राई फूट्स डाइजेस्ट नहीं होते यानी उनके शरीर का टेम्परेचर बहुत गर्म होता है इसलिए उन्हें कोई भी गर्म चीज डाइजेस्ट नहीं हो पाती। ऐसे में वे ड्राई फ्रूट्स नहीं खाते लेकिन इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ड्राई फ्रूट्स कई बीमारियों से भी बचाते हैं। ऐसे में अगर आपको भी ड्राई फ्रूट्स डाइजेस्ट नहीं होते, तो आप इन्हें भीगाकर खा सकते हैं। वहीं कुछ ड्राई फ्रूट्स ऐसे हैं जिनका पानी पीने से भी आप स्वस्थ रहते हैं। आज हम आपको किशमिश का पानी पीने के फायदे बता रहे हैं।ऐसे रखें किशमिश का पानी2 कप पानी और 150 ग्राम किशमिश लें। एक पैन में, पानी डालें और उबाल लें। किशमिश को इसमें डालें और इसे रात भर भिगो दें। सुबह इस पानी को छान लें और धीमी आंच पर गर्म करें। इस पानी को सुबह खाली पेट पिएं। सुनिश्चित करें कि इस पानी को पीने के बाद अगले 30 मिनट तक आप कुछ न खाएं पिएं।इसे पीने के फायदे-किशमिश का पानी पीने से आपको अपने शरीर से सभी हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलेगी। यह ड्रिंक लीवर की जैव रासायनिक प्रक्रिया में सुधार करता है और आपको रक्त को साफ करने में मदद करता है।-किशमिश का पानी आपके रक्त के शुद्धिकरण का काम करता है और आपके दिल की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। यह आपके शरीर से खराब कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
- भारतीय घरों में सब्जी में तड़का लगाने से लेकर हर तरह के अचार में राई का प्रयोग किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि राई सिर्फ तड़का लगाने के काम ही नहीं आती, यह एक गुणकारी हर्ब भी है जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है।आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि राई किन बीमारियों में फायदेमंद है और इसका कैसे इस्तेमाल किया जाए।सिर दर्द हो जाएगा छू मंतर!राई के बारीक दाने सिर दर्द और माइग्रेन में काफी लाभकारी माने जाते हैं। राई में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम होता है जो हमारे नर्वस सिस्टम को रिलैक्स करता है। किसी भी तरह के सिर दर्द से जूझ रहे लोगों को राई का सेवन करने के अलावा इसे पीसकर माथे पर लगाना चाहिए. इससे काफी आराम मिलता है।सूजन और मोच में लाभकारीराई के औषधीय गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से पर सूजन आने पर राई को पीसकर इसका लेप लगाना चाहिए। इसके अलावा मोच आने पर भी आप इसे पीसकर अरंड के पत्ते पर इसका लेप लगाकर गुनगुना करके दर्द वाली जगह पर बांध सकते हैं। इससे काफी आराम मिलेगा।वात-पित्त में फायदेमंदराई के दाने वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करने में भी कारगर है।वजन घटाना है तो राई की मदद लेंराई में कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर की मात्रा होती है इसलिए यह वजन घटाने में भी मदद करती है।राई से चमक उठेगा चेहराराई को रात भर पानी में भिगोकर सुबह इस पानी को त्वचा पर लगाने से त्वचा की कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं, क्योंकि राई में मायरोसीन, सिनिग्रिन जैसे तत्व पाए जाते हैं।