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- व्रत में खाने के लिए साबूदाने का इस्तेमाल काफी होता है। साबूदाना की खीर, साबूदाना की खिचड़ी, साबूदाना के पकौड़े आदि व्रत में चाव से खाए जाते हैं। साबूदाने में आयरन, कैल्शियम, कॉपर, सेलेनियम, विटामिन बी-6, बी-कॉम्प्लेक्स, सोडियम आदि पाया जाता है। यही कारण है कि अगर व्रत में साबूदाना खाते हैं, तो शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है और शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व मिल जाते हैं। आइए आपको बताते हैं व्रत में साबूदाना खाना क्यों फायदेमंद है?1. साबूदाना देर तक रखता है पेट भरासाबूदाने में फाइबर की मात्रा भरपूर होती है इसलिए ये पेट लंबे समय तक भरा रखता है। फाइबर वाले आहार खाने से व्रत के दौरान कब्ज, गैस आदि की समस्या भी नहीं होती है और पेट अच्छी तरह साफ होता है। साबूदाने में 45 प्रतिशत काब्र्स होता है, जिससे देर तक भूख का अहसास नहीं होता है।2. शरीर में दिनभर बनी रहती है एनर्जीसाबूदाना खाने से आपके शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है। इसका कारण यह है कि इसमें ढेर सारे विटामिन्स और मिनरल्स मौजूद होते हैं, जिनकी शरीर को रोजाना जरूरत होती है। काब्र्स और कार्बोहाइड्रेट्स होने के कारण ये शरीर में जाते ही इंस्टैंट एनर्जी देता है।3. आसानी से पचता है साबूदानाव्रत के दौरान भारी चीजें खाने से नींद आती है और गैस की समस्या हो सकती है। इसलिए व्रत में हमेशा ऐसी चीजें खाने की सलाह दी जाती है, जो आसानी से पच जाए। साबूदाने में फाइबर होने के कारण ये अच्छी तरह और आसानी से पच जाता है। जिससे पेट फूलने, गैस, अपच और कब्ज की समस्या नहीं होती है।4. खून बढ़ाता है साबूदानासाबूदाने में आयरन भी भरपूर होता है इसलिए ये शरीर में खून की कमी दूर करता है। साबूदाना में मौजूद आयरन शरीर में रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने में मदद करता है।5. हड्डियों और मांसपेशियों को करता है मजबूतकैल्शियम की अच्छी मात्रा होने के कारण साबूदाना हड्डियों और मांसपेशियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा इसमें आयरन, विटामिन और प्रोटीन की मात्रा भी अच्छी होती है। ये तत्व हड्डियों की कमजोरी को दूर करते हैं और उन्हें मजबूत बनाते हैं।
- गर्मियों में अक्सर नींबू की शिकंजी या नींबू पानी का सेवन गर्मी को दूर भगाने के लिए किया जाता है। इससे अलग गर्मी के में हुई टैनिंग को दूर करने में भी नींबू बेहद मददगार है। इसी के चलते लोग गर्मियों में सबसे ज्यादा नींबू का इस्तेमाल करते हैं और यही कारण होता है कि वह ज्यादा से ज्यादा नींबू अपने घर में स्टोर करके रखते हैं, जिससे नींबू की जरूरत पडऩे पर उसका तुरंत इस्तेमाल किया जा सके। अब सवाल यह है कि जो लोग गर्मियों में ढेर सारे नींबू को मंगवा कर फ्रिज में रख लेते हैं क्या ऐसा करना सही है? आज हम जानेंगे कि गर्मियों में नींबू को किस प्रकार स्टोर किया जाए, जिससे नींबू के पोषक तत्व बने रहें।नींबू के अंदर भरपूर मात्रा में सिट्रिक एसिड होता है। ऐसे में अगर इसे अधिक ठंडे स्थान पर रखा जाए तो यह न केवल सख्त हो जाता है बल्कि इसका रस भी कम होने लगता है इसीलिए नींबू को फ्रिज में रखना सही नहीं है। जब इसे ज्यादा ठंडे तापमान में रखते हैं तो उसके छिलकों पर भी दाग पडऩे लगते हैं इसीलिए अगर आप नींबू के पोषक तत्वों को बरकरार रखना चाहते हैं और उनका भरपूर फायदा उठाना चाहते हैं तो नींबू को फ्रिज में ना रखें। इसके अलावा वे फल जिनके अंदर सिट्रिक एसिड मौजूद होता है उन्हें भी फ्रिज में ना रखें। उदहारण के तौर पर संतरे को फ्रिज में रखने से वे सख्त महसूस होने लगते हैं।घर पर नींबू को कैसे स्टोर किया जाए?1 - अगर आप नींबू को स्टोर करना चाहते हैं तो सरसों का तेल या रिफाइंड को पूरे नींबू पर लगाएं और उसे कंटेनर में डालें। अब उस कंटेनर को फ्रिज में रखें। ऐसा करने से नींबू खराब नहीं होते हैं और उसके पोषक तत्व बरकरार रहते हैं।2 - अगर आप नींबू तो खराब होने से बचाना चाहते तो आप नींबू को अखबार में लपेटें और उससे एक कंटेनर में डालें। अब उस कंटेनर को फ्रिज में रखें। ऐसा करने से नींबू कई महीने तक चलते हैं।3 - नींबू का फायदा उठाने के लिए आप नींबू के रस को एक कंटेनर में निकालें और उस कंटेनर को फ्रिज में रख दें। ऐसा करने से भी नींबू के रस को सुरक्षित रख सकते हैं।4 - आप नींबू के रस को आइस ट्रे में भरकर उसकी आइस क्यूब के रूप में भी सेवन कर सकते हैं।5 - आप एक कांच के कंटेनर में सारे नींबू को डालें और उसमें इतना पानी मिलाएं कि उस पानी में सारे नींबू डूब जाएं। अब उसमें सिरका मिलाएं और फ्रिज में रख दें ऐसा करने से भी नींबू खराब नहीं होते।चूंकि इन दिनों हमारे देश में कोरोना महामारी ने अटैक किया है। ऐसे में इस महामारी से लडऩे के लिए हमारी इम्यूनिटी का स्ट्रॉन्ग होना बेहद जरूरी है। नींबू के सेवन से इम्यूनिटी को मजबूती मिलती है। क्योंकि इसके अंदर भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है ऐसे में यह हमारे इम्यून सिस्टम के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे अलग आप वजन कम करना चाहते हैं तो नींबू का सेवन एक अच्छा उपाय है।बता दें कि नींबू को काफी महीनों तक घर में स्टोर किया जा सकता है। लेकिन एक्सपर्ट की राय मानें तो उनका मानना है कि ताजा नींबू का इस्तेमाल सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। ऐसे में आपको जितने नींबू की जरूरत हो केवल उतने ही नींबू को ताजा-ताजा मंगवाएं और उनका सेवन करें। ऐसा करने से आपको भरपूर मात्रा में नींबू के अंदर पाए जाने वाले पोषक तत्व का लाभ मिलेगा। इससे अलग नींबू को ज्यादा दिनों तक फ्रिज में या घर पर स्टोर करके ना रखें। नींबू का सेवन हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी है।--
- गर्मियों का मौसम आते ही शरीर को ठंडा रखने और खुद को तरोताजा करने के लिए लोग ठंडे पेय पदार्थ पीना पसंद करते हैं। आम के पना से लेकर लस्सी जैसी देसी ड्रिंक तो लगभग हर किसी को पसंद होती है। हर बार लेकिन साधारण स्वाद की लस्सी बोर कर रही है तो इस बार ट्राई करें अनानास के फ्लेवर वाली लस्सी। बाजार में तो आपने कई बार फ्लेवर वाली लस्सी पी होगी। तो क्यों ना इस बार नवरात्रि उपवास में घर में ही इसे बनाकर ट्राई करें। तो चलिए जानें क्या है अनानास वाली लस्सी बनाने की रेसिपी।पाइनेप्पल लस्सी बनाने के लिए सामग्रीएक कप दहीआधा कप कटे हुए पाइनएप्पलएक चौथाई इंच का अदरक का टुकड़ादो से तीन चम्मच चीनीचुटकी भर इलाइची पाउडरचुटकी भर काला नमक स्वादानुसारपाइनेप्पल लस्सी बनाने की विधिपाइनेप्पल लस्सी बनाने के दो तरीके है। अगर आप हाथ से लस्सी मथ रहे हैं तो सबसे पहले अदरक, चीनी और पाइनएप्पल को पहले ही पीस कर रख लें। इसके बाद इसे दही और काला नमक, इलाइची पाउडर के साथ हाथ से मथें। लेकिन लस्सी को और आसान तरीके से बनाना चाहते हैं तो सभी चीजों को एकसाथ मिक्सी में मिक्स कर लें। लेकिन इस तरीके में भी आप पहले ही पाइनएप्पल और अदरक को एक साथ पीस लें। ऐसा करने से लस्सी में गांठ रहने की समस्या नहीं होती है। लीजिए तैयार हो गई आपकी स्वादिष्ट लस्सी।
- सिंघाड़े के आटे को अपने आहार का हिस्सा बनाने से आपको बहुत सारे फायदे हो सकते हैं। खासकर आज के समय में तो सिंघाड़े के आटे से बने खाने को जरूर खाना चाहिए। सिंघाड़े के गुणों से तो सभी वाकिफ होंगे। सिंघाड़े को अक्सर लोग फल के रूप में खाना पसंद करते हैं। वहीं इसके आटे का कुछ खास इस्तेमाल नहीं किया जाता है। भारत में सिंघाड़े का आटा अमूमन नवरात्रि व्रत के समय में ही इस्तेमाल किया जाता है। नवरात्रों में लोग सिंघाड़े के आटे का हलवा, पूरी आदि जैसे पकवानों को खाना पसंद करते हैं। व्रत के लिए भी यह आटा बेहद कारगर माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक मल्टी न्यूट्रियेंट आटा है। इसका सेवन यदि नियमित रूप से करने पर हमारी शरीर में बहुत से पोषक तत्व अवशोषित होते हैं। जानें सिंघाड़ा आटे के फायदे...1. वजऩ घटाने में आसानीसिंघाड़े का आटा फाइबर से भरपूर होता है और लो इन सोडियम होता है। इसका सीधा अर्थ है कि सिंघाड़े के आटे में सोडियम की मात्रा कम और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसलिए यह वजऩ घटाने में बहुत मददगार होता है। खाने में भारी होने की वजह से यह भूख को कम कर थोड़े खाने में ही पेट भर देता है। जिससे आपको वजन घटाने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद अन्य पौष्टिक तत्व शरीर को ऊर्जा पहुंचाते है।2. शक्तिशाली व्रत आहारसिंघाड़े का आटा लोग ज़्यादातर नवरात्रि के समय व्रत में इस्तेमाल करते हैं। व्रत के दौरान शरीर में कमज़ोरी ना महसूस हो इसलिए सिंघाड़े के आटे से बनी पूरिया, रोटी, हलवा या कचौडिय़ां खाने से बहुत एनर्जी मिलती है। सिंघाड़े का आटा एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होता है। साथ ही इसमें ढेर सारे विटामिन्स, प्रोटीन, मिनरल्स कैल्शियम, आयोडीन पोटैसियम आदि होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। सिंघाड़े के आटे में शरीर के लिए आवश्यक तकरीबन सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं।3. थायरॉयडथायरॉयड की समस्या तब होती है जब थायरॉयड नामक ग्लैंड ठीक से काम नहीं करता। थायरॉयड के रोगियों को थकान, वजऩ में गिरावट, बाल झडऩा तनाव, हाई बीपी की परेशानी होती है। ऐसे में सिंघाड़े का आटा बहुत फायदेमंद होता है। थायरॉयड में यह आटा ज़रूर खाना चाहिए। इससे शरीर में आयोडीन की कमी नहीं होगी और जिंक व आयरन के पौष्टिक फायदे थायरॉयड को नियंत्रित रखेंगे।4. हड्डी और खून का विकाससिंघाड़े के आटे को आहार में शामिल करने से हड्डियां मजबूत होती है। सिंघाड़े में कैल्शियम होता है जो हड्डियों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। इसके नियमित सेवन से आप हड्डियों के तमाम विकारों से दूर रहेंगे। साथ ही साथ सिंघाड़े के आटे में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जिससे खून की कमी नहीं होती और अनेमिया जौंडिस जैसे रोगों का खतरा काम हो जाता है।5. शरीर को पोषण देता हैंसिंघाड़े का आटा हर एक महत्वूर्ण पोषण से भरा हुआ है। शरीर के लिए ज़रूरी पोषण जैसे कि कैल्सियम, प्रोटीन, आयरन, आयोडीन, मैंगनीज, विटामिन बी-6, विटामिन सी, जिंक, फास्फोरस फाइबर आदि सिंघाड़े के आटे में मौजूद है।6. कब्ज़ से दिलाते राहतअगर आप कब्ज़ की समस्या से परेशान है तो आपको सिंघाड़े के आटे से बना भोजन ही खाना चाहिए। सिंघाड़े के आटे में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो को मल को सॉफ्ट और भारी बना देती है। इससे मल त्याग में आसानी होती है और दर्द व जलन नहीं होती।7. डायबिटीज़ में फायदेमंदसिंघाड़े का आटा डायबिटीज़ के रोगियों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। यह आपके ब्लड शुगर को नियंत्रित करके रखता है, जिससे डायबिटीज़ कंट्रोल में रहती है। डायबिटीज़ में फाइबर विटामिन्स और प्रोटीन रिच आहार खाना चाहिए। इसलिए सिंघाड़े के आटे की सलाह दी जाती है। सिंघाड़े के आटे में मौजूद सभी पोषक तत्व आपकी शरीर को उर्जावान बनाते हैं। इसके नियमित सेवन से आप खुद को कई बीमारियों से बचा सकते हैं।
- आयुर्वेद की दुनिया में आपको हजारों औषधियां मिल जाएंगी, लेकिन सबके बारे में जान पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन कुछ पौधे और फूल ऐसे हैं, जो आपको औषधीय गुणों से भरपूर मिलेंगे। ऐसा ही एक पौधा है शालपर्णी। शालपर्णी को स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अच्छा माना जाता है। यही कारण है कि इसे आयुर्वेद में विशेष दर्जा दिया गया है। चमत्कारी गुणों से भरपूर शालपर्णी के पौधे में कई ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जो अर्थराइटिस से लेकर डिमेंशिया और पाइल्स तक में काफी मददगार साबित होते हैं। हल्की सर्दियों के मौसम में यानि अक्टूबर से नवंबर के समय में आपको यह पौधे आसानी से मिल सकते हैं। यह पौधा नदी किनारे या फिर कई पहाड़ी इलाकों में देखने को मिल सकता है। संस्कृत भाषा में इसे अंशुमती के नाम से भी जाना जाता है। शालपर्णी में एंटी ऑक्सीडेंट्स की प्रचुरता होती है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही आपके दिल को भी स्वस्थ रखता है। जानें इसके सेवन से शरीर को क्या-क्या फायदे होते हैं।1. अर्थराइटिसअर्थराइटिस आज के समय में जटिल रोग बन गया है, जिससे अमूमन लोग पीडि़त हैं। शोध के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शालपर्णी में एंटी रूमेटिक और और एंटी अर्थराइटिस प्रॉपर्टीज पाई जाती है, जो रूमेटाइड अर्थराइटिस को दूर करने के साथ ही हड्डियों के भी विकारों में मददगार है। यही नहीं शालपर्णी में इंफ्लेमेशन को दूर करने वाले तत्व भी पाए जाते हैं। शालपर्णी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एनालजेसिक गुण मौजूद होते हैं, जो आपको जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने के साथ सूजन को हटाने के लिए शालपर्णी के तेल को काफी मददगार माना जाता है।2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगाररोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में तो हालांकि कई आयुर्वेदिक पौधे मददगार हैं। लेकिन इस मामले में शालपर्णी काफी आगे हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। जो रक्त कोशिकाओं को सुचारू रूप से कार्य करने में काफी मददगार है। यही नहीं शालपर्णी को च्ववनप्राश बनाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।3. मूत्र संबंधी समस्याएंपेशाब के दौरान जलन दर्द और इरीटेशन होना बहुत ही पीड़ादायक होता है। पेशाब में तकलीफ कई होने के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे कि किडनी में पथरी होना, यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण होना मधुमेह आदि। ऐसे में शालपर्णी एक ऐसी जड़ी बूटी मानी जाती है, जो यह परेशानी खत्म कर देती है। शालपर्णी के सेवन से पेशाब की नली में होने वाली किसी भी प्रकार की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।4. त्वचा के लिए लाभदायकशालपर्णी त्वचा से संबंधित अधिकतम रोगों को ठीक करता है। शालपर्णी में मौजूद केमिकल कंपाउंड हॉर्डेनाइन त्वचा पर दाग धब्बे नहीं होने देता। साथ ही यह त्वचा को झाइं से भी बचाता है और ठीक भी करता है। शालपर्णी के सूजनरोधी और एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण त्वचा को खुजली और एलर्जी से भी बचाते हैं। शालपर्णी में विटामिन सी की मौजूदगी सन टैनिंग और सन बर्न का उपाय और बचाव दोनों है।5. डिमेंशियाडिमेंशिया एक तरह का मस्तिष्क विकार है। इसे भूलने की बीमारी के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि यह ज्यादातर बुजुर्गों में देखी जाती है। अगर शालपर्णी की बात करें तो इसमें मौजूद फ्लेवॉन्स और फ्लेवनॉइड्स आपके डिमेंशिया के लक्षणों को कम करने में काफी मददगार साबित होते हैं।6. पेट संबंधित समस्याएंशालपर्णी को पेट की समस्या से राहत पाने के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता है। इसके सूजनरोधी गुण और एंटीऑक्सिडेंट्स ारीर में टॉक्सिक पदार्थ घटा देते हैं। शालपर्णी के सेवन से एसिडिटी की समस्या, पाचन क्रिया, हार्टबर्न, उल्टी, डायरिया, कब्ज जैसी समस्याओं से भी आराम मिलता है।7. पाइल्सशालपर्णी का उपयोग पाइल्स यानी बवासीर ठीक करने में भी किया जाता है। शालपर्णी की सूजनरोधी गुण कड़ें मलद्वार के अंदर और बाहर सूजन काम करते है। साथ ही यह जलन और दर्द से राहत दिलाते है। यह मल त्याग के दौरान आंतो में खून आने से रोकता है। शालपर्णी के चूर्ण का पानी के साथ सेवन करने से यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। साथ ही शालपर्णी के पत्तो का लेप मलद्वार पर लगा कर रख सकते है।(नोट- यदि आप किसी गंभीर समस्या से पीडि़त हैं तो अपने चिकित्सक से सलाह लेने के बाद ही इसका सेवन करें।)
- सब्जियां हमारे भोजन का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन क्या आपने कभी हॉप शूट्स का नाम सुना है? हॉप शूटर दुनिया की सबसे महंगी सब्जी मानी जाती है। महंगी है तो जाहिर है कि गुणों से भरपूर होगी। आमतौर पर विदेशों में इस सब्जी की कीमत 1000 यूरो प्रति किलो रखी गई है भारत में यदि इसकी कीमत का आंकड़ा लगाया जाए तो 1000 यूरो के हिसाब से 85 हजार रूपये प्रति किलो से लेकर एक लाख रूपये प्रति किलो तक होगी। यह कोई आम सब्जी नहीं बल्कि कई चमत्कारी गुणों से भरपूर है, जिसके सेवन मात्र से ही कई बीमारियां दूर हो सकती हैं। इसका इस्तेमाल खासतौर पर बीयर बनाने के लिए किया जाता है। न्यूट्रीशन्ल गुणो से भरपूर इस सब्जी का प्रयोग कैंसर और टीबी जैसी गंभीर बीमारियों का दवाएं तैयार करने के लिए किया जाता है।ब्रिटेन और जमर्नी जैसे यूरोपियन देशों में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है। हालांकि भारत में इसकी खेती नहीं होती है। कुछ समय पहले बिहार में इसकी खेती होने की अफवाहें सुर्खियों में थीं, लेकिन जांच में यह बात गलत साबित हुई। साइंस में इसे हुमुलस ल्यूपुलस के नाम से जाना जाता है। इसकी खेती आज के समय से नहीं बल्कि करीब सन 1700 के समय से चली आ रही है। उस समय इंगलैंड में इसकी खेती ज्यादा होती थी, जिसके बाद से अन्य देशों ने भी इसके गुणों और फायदों को जानकर इसकी खेती शुरू कर दी। इसके फूल सुगंध से भरपूर होते हैं, लेकिन खाने में यह उतना ही कड़वा होता है। जाने इस सब्जी के फायदे...1. बालों के लिए फायदेमंदहॉप शूट्स में फॉलिक एसिड की मौजूदगी बालों के लिए बहुत असरदार मानी जाती है। यह बालों का टूटना कम करने के साथ ही डैंड्रफ की समस्या से भी आपको निजात दिलाती है।2. मनोरोगहॉप शूट्स को मनोरोग के लिए बहुत कारगर माना जाता है। इसमें मौजूद कार्योफिलीन एंक्जाइटी से राहत दिलाते हैं। साथ ही हॉप शूट्स में फ्लेवनॉइड्स की मात्रा पाई जाती है, जो शरीर को टॉक्सिक पदार्थों से बचाते हैं और तनाव को कम करते हैं।3. रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता हैरोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए हॉप शूट्स को एक औषधि माना जाता है। हॉप शूट्स का सेवन जूस, सब्जी या फिर चाय के तौर पर करने से यह शरीर में आने वाले वायरस और कई प्रकार के बैकटीरिया से लडऩे में मदद करते हैं। इसमें मौजूद विटामिन बी 6 और विटामिन सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं।4. अर्थराइटिस और टीबी में असरदारहॉप शूट्स एक सूजन रोधी सब्जी है, जिसके सेवन से अर्थराइटिस में काफी फायदा होता है।5. एनीमियाएनीमिया लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण होता है, जिसका सबसे बड़ा स्त्रोत होता है फॉलिक एसिड। हॉप शूट्स में फॉलिक एसिड की मौजूदगी एनीमिया से बचाती है। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा बढ़ाकर एनीमिया के खतरे को काफी हद तक कम भी करती है।6. त्वचा के लिए लाभदायकहॉप शूट्स त्वचा के लिए फायदमंद माना जाता है। हॉप शूट्स में मौजूद ऑयल्स और मिनिरल्स सूजन रोधक के तौर पर कार्य करकर त्वचा को प्रीमैच्योर एजिंग से भी बचाते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी त्वचा की सुंदरता को बरकरार रखने के साथ कोलेजेन की मात्रा को बढ़ाता है, जो त्वचा को बांधकर रखता है। इसमें मौजूद विटामिन ई सूरज की हानिकारक किरणों से आपको बचाता है।
- ज्यादातर घरों में कपूर का इस्तेमाल पॉजिटिव वाइब बनाए रखने के लिए किया जाता है. माना जाता है कि कपूर से निगेटिव एनर्जी खत्म होती है. इसलिए पूजा में लोग कपूर जलाते हैं और घर को शुद्ध करते हैं. लेकिन कपूर के इसके इलावा भी कई ऐसे फायदे हैं, जिसे शायद कम ही लोग जानते होंगे. आज हम आपको बताते हैं कपूर के तेल के फायदे जो आपकी स्किन और सेहत के लिए किसी जादुई औषधि से कम नहीं हैं.1. बालों से डैंड्रफ और जूं होते हैं दूरबताया जाता है कि कपूर का तेल बालों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. कपूर और नारियल तेल को साथ में मिलाकर रख लें. फिर रात में इससे सिर पर मसाज करें और सुबह शैंपू कर लें. इससे डैंड्रफ और जूं आपसे दूर रहेंगे.2. चेहरे पर ग्लो लाने में भी करता है मददकपूर का तेल आपके चेहरे का खोया हुआ ग्लो वापस लाने में भी मददगार साबित हो सकता है. इसके लिए आपको बस कपूर के तेल में गुलाब जल मिलाना होगा और फिर गाढ़ा पेस्ट बनातकर फेस पैक की तरह लगाना होगा. इसके सूखते ही आप ठंडे पानी से फेस वॉश कर लें. नियमित रूप से ऐसा करने पर आपके चेहरा निखर जाएगा.3. दाग-धब्बे भी हो जाते हैं खत्मआपके फेस के दाग-धब्बे और ड्राइनेस को भी कपूर का तेल दूर कर सकता है. इसके लिए भी नारियल के तेल और कपूर ही काम आता है. इसे बस थोड़ी देर तक चेहरे पर मसाज कर लें. आपके धब्बे छूमंतर हो जाएंगे.4. मुहांसे करता है दूरआपके फेस के एक्ने और पिंपल्स को दूर करने के लिए कपूर का तेल काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके लिए बस आपको कॉटन बॉल की मदद से फेस पर कपूर का तेल लगाएं. इससे फुंसियां खत्म करने में मदद मिलेगी.5. फटी एड़ियों को भी करता है रिपेयरफटी एड़ियां सही करने के लिए आपको बस दो चम्मच कपूर का तेल लेना है और एक टब में थोड़ा सा पानी लेकर उसमें मिला देना है. इसके बाद करीब 20 मिनट तक टब में पैर रखकर बैठें. आपकी एड़ियां सही हो जाएंगी.6. लू लगने पर भी आता है कामलू से राहत पाने के लिए कपूर एक कारगर उपाय है. इसके लिए कपूर को नारियल तेल में मिलाएं और इस तेल से बॉडी मसाज करें. इससे बॉडी कूल रहती है और लू नहीं लगती.7. जलन से भी मिलती है राहतकपूर ठंडा होता है. इसलिए कभी हल्का-फुल्का जल भी जाएं तो कपूर का तेल लगाने से आराम मिलता है. इसके लिए कपूर के तेल में चंदन पाउडर मिक्स कर लें. इसके बाद उसे एफेक्टेड एरिया पर लगाएं. इससे जलन कम हो जाती है.घर पर भी बना सकते हैं कपूर तेलकपूर का तेल बनाने की एक बहुत ही आसान विधि है. इसके लिए आपको बस 50 ग्राम कपूर लेना है और 100 ग्राम नारियल के गुनगुने तेल में डाल देना है. फिर बोतल को रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह बोतल हिलाकर रख लें. आपको कपूर तेल तैयार हो जाएगा.
- टेफ एक प्रकार का अनाज है जिसे भविष्य के बेहतर और लोकप्रिय अनाज के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। भारत में अब तक इस अनाज का इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है। मूल रूप से यह इथियोपिया में मिलता है जहां इसका आटा बनाया जाता है और फिर डोसे जैसी रोटी बनाई जाती है जिसे वहां इंजेरा कहते हैं। हाल के सालों में यूरोप और अमेरिका में इसकी मांग बढ़ी है। यह ऐसा अनाज है जिस पर आसानी से कीड़ा नहीं लगता। यह सूखे में भी उग सकता है और ज्यादा बरसात होने पर भी। टेफ हाई प्रोटीन अनाज एनीमिया, डायबिटीज जैसी समस्याओं से भी बचाता है।हर साल इथोपिया इसकी वार्षिक फसल की खेती मुख्य रूप से करता है। टेफ मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे छोटा अनाज है। बीज का रंग या तो सफेद या बहुत गहरा लाल भूरा होता है।टेफ अपनी ग्लूटेन फ्री प्रकृति, अमीनो एसिड के उच्च स्तर, खनिज सामग्री, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) और उच्च फाइबर जैसे गुणों के लिए फिटनेस एन्थूजिआस्ट के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है। ये एक मात्र अनाज है जिसमे विटामिन सी भी है। टेफ इथोपियाई एथलीट्स का लंबे समय तक सीक्रेट रहा है, क्योंकि ये बॉडी की एंड्यूरैंस को बढ़ाता है। टेफ में हाई क्वालिटी प्रोटीन और अमीनो एसिड होता है। विभिन्न अध्ययनों ने इसमें 37 प्रतिशत ईएए सामग्री- की जानकारी दी है जो एक आवश्यक अमीनो एसिड है।अमीनो एसिड का निर्माण हमारा शरीर नहीं कर पाता है। इसलिए हमें इसे आहार में शामिल करने की ज़रुरत है। साथ ही टेफ में एमिनो एसिड ग्लूटामाइन और लाइसिन भी है। काफी सारे अध्ययनों में यह सामने आया है कि टेफ प्रोफि़्लंस और एल्ब्यूमिन में समृद्ध है, जो इसे एक हाई क्वालिटी प्रोटीन बनाते हैं। तभी इसकी तुलना अंडे के प्रोटीन से की जाती है, जो अभी तक का सबसे अच्छा प्रोटीन सोर्स है। गेहूं, मक्का, जौ जैसे अन्य अनाजों की तुलना में टेफ आयरन, कैल्शियम, तांबा और जस्ता जैसे अन्य खनिजों में भी समृद्ध है।कुछ अध्ययनों ने टेफ में -विट्रो एंटीऑक्सिडेंट गतिविधियों की सूचना दी है। साथी ही यह माना जाता है कि यह मानव शरीर में हीमोग्लोबिन स्तर में सुधार करता है और मलेरिया, एनीमिया और मधुमेह को रोकने में मदद करता है।आप कैसे टेफ को भारतीय खाने में शामिल कर सकती हैंकिसी भी रेसिपी में थोड़ा सा टेफ, क्रंच जोड़ता है। इसके अलावा, यह पौष्टिक होने के साथ - साथ स्वादिष्ट भी है। भारतीय आहार में टेफ जोडऩा बहुत ही सरल है। प्रतिदिन नाश्ते में - अनाज, मूसली, उपमा, पोहा, इडली आदि में 2 बड़े चम्मच सूखी भुनी हुई टेफ मिला लें। यह न केवल एक शानदार प्रोटीन का स्रोत है, बल्कि यह क्रंच भी जोड़ देगा जो दलिया और उपमा में ज़रूरी है।
- कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप पूरी दुनिया में काफी तेजी से फैल रहा है। भारत और अमेरिका सहित दुनियाभर के कई देशों में स्थिति काफी भयावह बनी हुई है। भारत की स्थिति दिन-ब-दिन और अधिक खराब होती नजर आ रही है। यहां कोरोना वायरस से सारे रिकॉर्ड टूट चुके हैं। वैक्सीनेशन लगने के बावजूद लोग कोविड-19 के शिकार हो रहे हैं, जो लोगों के सामने चिंता का विषय बनी हुई है। कोरोना के इस नए स्ट्रेन में कुछ लक्षण भी नए दिख रहे हैं। अब मरीजों में कोरोना के पुराने लक्षण, सर्दी, जुकाम, सांस लेने में परेशानी, तेज बुखार के साथ-साथ गैस्ट्रो से जुड़ी शिकायतें भी काफी ज्यादा देखी जा रही हैं।इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस के दूसरे स्ट्रेन में गैस्ट्रो (पेट से जुड़ी समस्याओं) के लक्षण ज्यादा सामने आ रहे हैं, जैसे- पेट दर्द, उल्टी, कमजोरी, चक्कर आना आदि। जरूरी नहीं है कि इन लक्षणों के साथ मरीज को बुखार ही हो। यानी नए कोरोना के नए स्ट्रेन की चपेट में आने के बाद बिना बुखार के भी अगर तबीयत खराब होती है और ऊपर बताए गए लक्षणों को महसूस करते हैं, तो सावधान हो जाना चाहिए। इस तरह के लक्षणों के दिखने पर अपना कोविड-19 टेस्ट जरूर करा लें। डॉक्टरों के अनुसार नया स्ट्रेन पहले से ज्यादा संक्रामक है, इसीलिए कोरोना की दूसरी लहर में ज्यादा केस सामने आ रहे हैं।कोविड-19 के पुराने लक्षणकॉमन लक्षणबुखारसूखी खांसीथकान महसूस होना।हल्के-फुल्के दिखने वाले लक्षण-शरीर में दर्द होना।-गले में दर्द होना।-डायरिया-सिरदर्द-गंध और स्वाद कम होना।-स्किन पर रैशेज होना।गंभीर लक्षण-सांस लेने में परेशानी और शॉर्ट ब्रीथिंग की समस्या-सीने में दर्द होना और दबाव महसूस होना।-बोलने में परेशानी होनानए स्ट्रेन में कोविड-19 के नए लक्षणडॉक्टर का कहना है कि दूसरे स्ट्रेन के नए लक्षणों में कोरोना के पुराने हल्के फुल्के लक्षण अब सामान्य हो चुके हैं। जैसे- पेट में दर्द, उल्टी होना, कमजोरी महसूस होना, चक्कर आना।फ्लू के लक्षण-नाक बहना, गले में खराश, छींक आना, खांसी, सिरदर्द, थकान, तेज बुखार, आंख लाल होना, आंखों से पानी आना अन्य कई सामान्य लक्षण आपको फ्लू में नजर आ सकते हैं।कोरोना के यह नए लक्षण पहले के कोरोना के मरीजों में भी देखे गए हैं। लेकिन उस समय मरीजों में यह लक्षण सेकेंड्री तौर पर देखे जा रहे थे। यानि मरीजों को तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी, गंध न आने की शिकायत सबसे अधिक थी। वहीं, पेट से जुड़ी परेशानियों की शिकायत कुछ-कुछ मामलों में देखे जा रहे थे, लेकिन अब यह लक्षण मरीजों में काफी सामान्य तौर पर दिख रहे हैं। अगर किसी को 2 से 3 दिन तक लगातार यह लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। पेट से जुड़ी समस्या को सामान्य समझने की लगती न करें। ऐसा करने से परेशानी बढ़ सकती है।
- दही बड़ा ऐसी पारंपरिक डिश है जिसे ज्यादातर लोग खाना पसंद करते हैं। वैसे तो बड़ा बनाने के लिए उड़द की दाल की जरूरत होती है। लेकिन अगर आप चाहती हैं कि फटाफट दही बड़े बनकर तैयार हो जाएं और पहले से कोई तैयारी ना करनी पड़े। तो ब्रेड से भी बड़े बनाएं जा सकते हैं। अगर आप सोच रही हैं कि ब्रेड के बड़े किस तरह से बनकर तैयार होंगे। तो ये रेसिपी जरूर आपकी मदद करेगी।ब्रेड से दही बड़ा बनाने के लिए सामग्री4 स्लाइस ब्रेड3/4 कप दहीथोड़ी सी धनिया की चटनीआवश्यकतानुसार हरी मिर्चआवश्यकतानुसार इमली की चटनी1 छोटा चम्मच चीनीआवश्यकतानुसार भुना हुआ जीरा पाउडर1 छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडरआवश्यकतानुसार नमक1 छोटी चम्मच ड्राई मैंगो पाउडरजरूरत के अनुसार किशमिश1 बड़ी चम्मच धनिये के पत्ते2 उबले हुए आलूआवश्यकतानुसार काला नमकदही बड़ा बनाने की रेसिपीब्रेड लेकर इनके भूरे किनारों को काट कर अलग रख दें। अब एक बाउल लें और आलू को मैश करें। अब इसमें हरी मिर्च, अमचूर पाउडर, किशमिश, भुना हुआ जीरा और नमक डालें। सभी चीजों को अच्छी तरह मिलाएं और एक तरफ रख दें। दही में चीनी मिलाकर फेंट कर किनारे रख दें। पहले जो मसाला बनाया है उससे एक बॉल बनाएं और ब्रेड स्लाइस को कवर करके उस पर कोट करें।एक कढाही लें और उसमें थोड़ा घी डालें। आप चाहें तो तेल का इस्तेमाल भी कर सकते है। घी गर्म होने के बाद, ब्रेड के बने गोलों को डीप फ्राई कर लें। अब एक प्लेट में ब्रेड से बने इन बड़ों को निकाल लें। अब ऊपर से उसमें मीठा दही, इमली की चटनी, धनिए की चटनी, भुना जीरा पाउडर, लाल मिर्च पाउडर डालें। आप चाहें तो आखिरी में हरी धनिया की पत्ती और काला नमक डाल दें।
- अगर आप शारीरिक कमजोरी के शिकार हैं तो यह खबर आपके काम आ सकती है. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, एक ऐसा ड्रिंक जिसका सेवन करने से आप कई गंभीर समस्याओं से बच सकते हैं. हम जिस ड्रिंक के बारे में आपको बता रहे हैं, वह दूध और मिश्री से तैयार होता है. इसका नियमित सेवन करने से आप एक्टिव रहेंगे. एक तरफ जहां दूध को पौष्टिकता की दृष्टि से एक सम्पूर्ण आहार माना गया है. वहीं दूसरी तरफ मिश्री की मिठास मन के साथ-साथ दिमाग को भी खुश कर देती है. अगर इन दोनों का एक साथ सेवन किया जाए तो शरीर के लिए गजब के फायदे मिलते हैं.दूध में क्या-क्या पाया जाता है?दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, नियासिन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन, मिनरल्स, फैट, ऊर्जा, राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -2) के अलावा विटामिन ए, डी, के और ई मौजूद होते हैं, जबकि मिश्री का भी अपना एक खास महत्व है.मिश्री में क्या-क्या पाया जाता है?मिश्री विटामिन बी 1, बी 2, बी 3, बी 6 और बी 12 का अच्छा स्रोत है. यह आयरन से भरपूर होने के कारण एनीमिया का इलाज करने में मदद कर सकती है.इन लोगों के लिए फायदेमंदरात सोने से पहले गर्म दूध में मिश्री के साथ केसर मिलाकर इसका सेवन किया जाए तो पुरुषों को गजब के फायदे हो सकते हैं. शरीर में एनर्जी और एक्टिवनेस आती है. साथ ही शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है. जिससे त्वचा में ग्लो भी आता है. इसके अलावा यह ड्रिंग पुरुषों की यौन दुर्बलता को दूर करने में भी काफी मदद कर सकती है.दूध-मिश्री के पांच अन्य फायदेगुनगुने दूध में मिश्री डालकर नियमित रूप से सेवन करना आंखों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.मोतियाबिंद जैसी समस्याओं में भी इस ड्रिंक का सेवन करने की सलाह दी जाती है.गुनगुने दूध में मिश्री मिलाकर पीने से आपका दिमाग फ्रेश रहता है.मिश्री का दूध का सोने से पहले सेवन करने पर याददाश्त मजबूत होती है दिमाग तेज होता है.इसके सेवन से टेंशन और मानसिक थकान भी दूर होती है.
- जामुन एक ऐसा फल है, जो स्वादिष्ट होने के साथ फायदेमंद भी होता है. इसे ब्लैक प्लम या इंडियन ब्लैकबेरी भी कहा जाता है. इस फल में कई आयुर्वेदिक गुण मौजूद होते हैं. जामुन को पोषक तत्वों का 'पावर हाउस' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स पर्याप्त मात्रा में होते हैं. ज्यादातर लोग जामुन खाकर उसके बीज को फेंक देते हैं. लेकिन आज हम आपको जामुन के बीज के फायदों के बारे में बताएंगे, जिसके बाद से आप जामुन के बीज को कभी कचरे में नहीं फेकेंगे. आपको बता दें कि आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा और चीनी चिकित्सा पद्धति में भी जामुन के बीज का उपयोग दवाईयां बनाने में और कई बीमारियों का इलाज करने में होता है.डायबिटीज में लाभदायकजामुन के बीज डायबिटीज के मरीजों के लिए एक रामबाण इलाज है. इसके लिए जामुन के बीज को सुखाकर उसका पाउडर बना लें. रोजाना सुबह एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें. ऐसा करने से आपको लाभ मिलेगा.किडनी स्टोन में फायदेमंदकिडनी स्टोन होने पर जामुन की गुठली का चूर्ण बेहद लाभदायक माना जाता है. इसके लिए रोजाना सुबह-शाम इसके चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में पानी के साथ पीएं.डाइजेशन के लिएस्वस्थ रहने के लिए किसी भी व्यक्ति का डाइजेशन ठीक होना बेहद जरूरी है. इसके लिए जामुन के बीज का उपयोग असरदार साबित हो सकता है. जामुन के बीज में क्रूड फाइबर (Crude Fiber) पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है, जो बेहतरीन पाचन क्रिया के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसके लिए आप बीज से बनाये गए चूर्ण को रात में पानी के साथ खा सकते हैं.स्किन के लिएस्किन के लिए भी जामुन के बीज बेहद फायदेमंद होते हैं, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं. दरअसल, एंटीऑक्सीडेंट क्रिया फ्री रेडिकल्स को खत्म कर त्वचा को बचाती है. अगर फ्री रेडिकल्स को न रोका जाए, तो इससे त्वचा कैंसर और एजिंग की परेशानी हो सकती है. इसलिए जामुन के बीज त्वचा के लिए भी लाभदायक हैं.दांतों और मसूड़ों के लिएदांत व मसूड़ों से संबंधित समस्याओं में जामुन के बीज बेहद लाभदायक हैं. इसमें पाए जाने वाले कैल्शियम दांत को मजबूत बनाने में सहायक हैं. इसके लिए आप बीज के पाउडर को मंजन की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे आपको लाभ हो सकता है.प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगारजामुन के बीज में फ्लेवोनोइड और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है.
- पहाड़ी दाल (भट्ट) उत्तराखंड में खूब खाई जाती है। इसे चैंसु भी कहते हैं। पहाड़ी लोग भट्ट की दाल को चूड़कानी बोलते हैं। भट्ट दो तरह के होते हैं एक काले भट्ट और दूसरे सफेद भट्ट। इस दाल को सेहत के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। अगर इसे लोहे की कढ़ाई में बनाया जाए तो इसके फायदे और बढ़ जाते हैं। इस दाल को खाने के एक नहीं बल्कि अनेक फायदे मिलते हैं। भट्ट की दाल स्वाद के साथ ही सेहत का खजाना भी है। पहाड़ी लोग अकसर ही भट्ट की दाल खाते रहते हैं। इसलिए पहाड़ के लोगों को बेहद सेहतमंद भी कहा जाता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, विटामिन बी कॉम्पलेक्स और विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें अमीनो एसिड, आयरन और कैल्शियम भी पाया जाता है।आइये जानें इसके फायदों के बारे में1. हड्डियां मजबूत बनाएअगर आपके जोड़ों में दर्द रहता है। आपको बॉडी पेन रहता है, तो भट्ट की दाल खाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि अकसर कैल्शियम की कमी की वजह से जोड़ों और शरीर में दर्द रहता है। भट्ट की दाल में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।2. लीवर को रखे हेल्दीस्वस्थ रहने के लिए लीवर को हेल्दी रखना बहुत जरूरी है। भट्ट में लेसीथिन पाया जाता है, जो लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।3. डायबिटीज में भी फायदेमंदइन दिनों मधुमेह एक बहुत ही आम बीमारी बन गई है। इसकी सख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। इसे नियंत्रण में लाना बहुत जरूरी है। इसके लिए अपनी डाइट में भट्ट की दाल को शामिल करना चाहिए। इससे शुगर कंट्रोल में रहता है।4. इम्यून सिस्टम बढ़ाएबुखार, खांसी-जुकाम और किसी भी तरह का इंफेक्शन होने पर हमारा इम्यून सिस्टम का स्ट्रांग होना बहुत जरूरी है। भट्ट की दाल में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।भट्ट की दाल को खाने के अन्य फायदे- भट्ट की दाल खाने से मेमोरी पावर बढ़ाती हैं।- दिल के रोगियों के लिए भी भट्ट की दाल खाना फायदेमंद है।- हाई ब्लड प्रेशर होने पर इस दाल का सेवन जरूर करें।
- चमेली कई गुणों से भरपूर एक तरह का औषधिय पौधा है, जिससे सभी परिचित हैं। चमेली के पौधे में खिलने वाले फूलों को ही चमेली का फूल कहा जाता है। यह फूल बहुत सुगंधित होता है। इसकी खुशबू मात्र से ही किसी का भी मूड अच्छा हो सकता है। चमेली एक तरह की जड़ी बूटी भी है। आयुर्वेद में चमेली के बहुत से चमत्कारी फायदों के बारे में वर्णन किया गया है। चमेली से बुखार, दर्द, घाव, मोतियाबिंद, सूजन आदि का उपचार किया जाता है। चमेली से बनी दवाइयों का उपयोग कैंसर और लिवर के उपचार में भी किया जाता है। दर्द की दवाइयों में भी चमेली के गुण डाले जाते हैं। चमेली से तेल, औषधियां, इत्र आदि बनाएं जाते हैं। चमेली के स्वास्थ्य समंधित फायदों के साथ-साथ आध्यात्मिक फायदे भी होते हैं। ऐसा माना जाता है कि घर में चमेली का पौधा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती। खुशबू के साथ घर में सकारात्मकता भी फैलती है। चमेली के रस को पीने से भी शरीर में काफी लाभ होते हैं। वात से लेकर खांसी - कफ को भी चमेली हील करती है। यही नहीं चमेली का उपयोग एरोमाथेरेपी में भी किया जाता है। यह थेरेपी डिप्रेशन को ठीक करने के लिए की जाती है। जानें चमेली के तेल के फायदे....अनिद्राअनिद्रा नींद ना आने की बीमारी है। अनिद्रा में व्यक्ति को रात-रात भर नींद नहीं आती। इस कारण वह अन्य बीमारियों को न्योता दे बैठता है। अनिद्रा से स्ट्रेस, डिप्रेशन, थकान, कमजोरी, माइग्रेन, डार्क सर्कल्स आदि जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे में चमेली के तेल की कुछ बूंदे गले, छाती, बाल या नाक के पास लगाने से नींद की बीमारी का स्थायी रूप से इलाज होता है। ऐसा करने से चमेली कि सुगंध हमारे मन को शांत कर स्किन के अंदर तक अवशोषित हो जाती है। रात में चमेली का तेल लगाकर सोने से आराम और सुकून भरी नींद आती है।खूबसूरत त्वचाचमेली का तेल एक प्रकार का प्राकृतिक स्किन मॉइश्चराइजर है। चमेली का तेल लगाने से त्वचा बिलकुल मुलायम और मखमली रहती है। अगर आप चमेली का तेल अपनी स्किन पर लगते हैं तो किसी और क्रीम या मॉइश्चराइजर की जरूरत नहीं पड़ेगी। चमेली का तेल स्किन को हाइड्रेट भी करता है। यह स्किन के अंदर तक जाता है और प्राकृतिक रूप से स्किन को हाइड्रेट करता है।प्रीमैच्योर एजिंग को रोकने में समर्थकप्रीमैच्योर एजिंग उम्र से पहले ही बुढ़ापा आने को कहते हैं। इसके पीछे कई कारण होते हैं। सन एक्स्पोज़ इसका एक प्रमुख कारण है। साथ ही त्वचा की देखभाल ना रखने से भी चेहरे पर झुर्रियां और त्वचा ढीली होने लगती है। ऐसे में त्वचा पर रोज़ाना चमेली का तेल लगाने से प्रीमैच्योर एजिंग को रोका जा सकता है। यह तेल लगाने से चेहरे की झुर्रियां, खिंचाव, रेखाएं धीरे-धीरे मिटने लगते हैं। इस तेल में मौजूद पोषक तत्व त्वचा को हेल्दी और स्मूद बनाते हैं।एंटी पैरासाइट दवाचमेली का तेल एक एंटी पैरासाइट दवा के तौर पर भी काम करता है। इस तेल मै मौजूद बेंजाइल अल्कोहल बालों में पनपने वाली जुओं को जड़ से खत्म करता है। यह ना केवल जुओं को ही खत्म करेगा बल्कि डैंड्रफ की समस्या भी दूर कर देगा। साथ ही चमेली का तेल बालों के लिए बहुत हेल्दी होता है। इस तेल को लगाने से बालों का झडऩा बंद हो जाता है।चर्म रोग को ठीक करने में मददगारचमेली के तेल को चर्म रोगों के लिए एक चमत्कारी औषधि माना जाता है। बहुत से मामलों में चर्म रोगियों को भी ठीक होते देखा गया है। चमेली का तेल लगाने से स्किन रैशेज़, दाग धब्बे, घाव के निशान आदि ठीक होते हैं। चमेली के तेल में मौजूद बैंजाइल बेंजोएट खुजली को ठीक करने में मददगार साबित होता है।प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुणचमेली का तेल एक तरह का एंटीसेप्टिक तेल भी माना जाता है। यह तेल स्किन पर बैक्टीरिया और फंगी को पनपने से रोकता है। किसी भी तरह के घाव पर चमेली का तेल लगाने से वह घाव जल्दी भर जाता है।
- तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही तेज गर्मी पड़नी शुरू हो गई है. गर्मी के मौसम में हीट स्ट्रोक यानी लू लगना, डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी होना), जॉन्डिस, सन बर्न, एसिडिटी और बदहजमी, फूड पॉयजनिंग, टायफाइड जैसी बीमारियां सबसे कॉमन हैं. साथ ही गर्मियां आते ही आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, बर्फ वाला ठंडा पानी, गोला- ये सारी चीजें खाने का ज्यादा मन करता है. लेकिन आपको इनसे बचकर रहना है, वरना आपकी सेहत खराब हो सकती हैगर्मी के मौसम में बीमार पड़ने से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप शरीर को अंदर से ठंडा रखें. इसके लिए आपको अपने खान-पान में थोड़ा सा बदलाव करना चाहिए. लिहाजा अपनी डाइट में इन फूड्स को जरूर शामिल करें.1. तरबूज- तरबूज गर्मियों के लिहाज से सबसे अच्छा फल है क्योंकि इसमें 92 से 93 प्रतिशत तक पानी होता है. यह एक ऐसा फल है जिसे खाने के बाद आपको प्यास नहीं लगती और शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती. तरबूज शरीर को अंदर से ठंडा रखता है.2. टमाटर- एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन सी और लाइकोपीन से भरपूर टमाटर आपकी स्किन के साथ ही ओवरऑल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है. सूरज की रोशनी से स्किन को होने वाले नुकसान से भी बचाता है टमाटर. आप चाहें तो टमाटर को सलाद, रायता, सैंडविच किसी भी रूप में खा सकते हैं.3. आम का पना- गर्मियों का मौसम सिर्फ पके हुए मीठे आम का नहीं बल्कि कच्चे और खट्टे आम का भी होता है ताकि आप उनका पना बनाकर पी सकें. कच्चे आम का पना लू लगने से बचाने में मदद करता है.4. बेल का शरबत- कच्चे आम की ही तरह बेल भी लू लगने से बचाने में मददगार साबित हो सकता है. गर्मी के मौसम में बेल का शरबत भी काफी फायदेमंद माना जाता है.5. छाछ- गर्मी के मौसम में पसीना अधिक निकलने की वजह से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस बिगड़ जाता है. छाछ में दही के अलावा नमक और पानी होता है जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स के बैलेंस को बनाए रखने में मदद करता है. लिहाजा एक गिलास छाछ गर्मी में आपको एनर्जी देता है और थकान से भी बचाता है.
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गर्मियों का मौसम आते ही शरीर को ठंडा रखने और खुद को रिफ्रेश करने के लिए लोग लस्सी पीना बेहद पसंद करते हैं। लेकिन साधारण मीठी लस्सी पेट ठंडा तो करती है लेकिन स्वाद में थोड़ी फीकी पड़ जाती है। अगर आप भी ऐसा ही मानते हैं तो आइए जानते है लस्सी बनाने की एक और खास रेसिपी, नाम है पाइनेप्पल लस्सी। यह लस्सी बनने में जितनी आसान है, पीने में उतनी ही टेस्टी भी होती है।
पाइनेप्पल लस्सी बनाने के लिए सामग्री-
-1 कप दही
-1/2 कप कटे हुए पाइनएप्पल
-1/4 इंच का अदरक का टुकड़ा
-2-3 चम्मच शक्कर
-चुटकी भर इलाइची पाउडर
-चुटकी भर काला नमक (ऑप्शनल)
पाइनेप्पल लस्सी बनाने की विधि-
पाइनेप्पल लस्सी बनाने के दो तरीके है। अगर आप हाथ से लस्सी मथ रहे हैं तो सबसे पहले अदरक, शक्कर और पाइनएप्पल को पहले ही ब्लेंड कर लें। इसके बाद इसे दही और काला नमक, इलाइची पाउडर के साथ हाथ से मथें। अगर आप आसान तरीका अपनाना चाहते हैं तो सभी चीज़ों को एकसाथ ब्लेंड कर लें। लेकिन इस तरीके में भी आप पहले ही पाइनएप्पल और अदरक को एक साथ पीस लें। ऐसा करने से लस्सी में चंक्स रहने की समस्या नहीं होती है। - चीनी मीठी तो होती है, लेकिन क्या सेहत के लिए भी? हमारे जीवन में कई तरह से चीनी का उपभोग बढ़ता जा रहा है और इसका असर सीधा सेहत पर पड़ रहा है। जानिए चीनी के असर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें.मोटा बनाती है चीनीअनाज के मुकाबले चीनी 5 गुना ज्यादा जल्दी फैट में बदल जाती है और मोटापा लाती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जब आप चीनी खाते हैं तो मतलब आप अपनी मोटापे वाली कोशिकाओं को खाना खिलाते हैं।चीनी अवसाद में डालती हैकम मात्रा में हो तो चीनी सेरोटोनिन नाम के हार्मोंस का इजाफा कर देती है। यह आपके मिजाज को खुशनुमा बनाता है, लेकिन ज्यादा चीनी का इस्तेमाल आपको अवसाद में डालता है और एंक्जायटी यानि घबराहट होती है।बूढ़ा बनाती है चीनीत्वचा पर भी चीनी का असर होता है। ग्लाइकेशन की प्रक्रिया में चीनी के अणु कोलेजन फाइबर से मिलते हैं। इससे कोलेजन फाइबर की प्राकृतिक इलास्टिसिटी धीरे-धीरे खत्म होती जाती है। इससे आपकी त्वचा में झुर्रियां बनने लगती हैं और आप उम्रदराज दिखने लगते हैं।आंतों के लिए खतरनाक है चीनीआपकी आंतों का माइक्रोफ्लोरा पाचनक्रिया को बढ़ाता है और आपके पाचन तंत्र को बैक्टीरिया से सुरक्षित रखता है, लेकिन अधिक चीनी खाने से आपकी आंतों का माइक्रोफ्लोरा बाहर निकल जाता है। इससे कई किस्म के रोग संभव हैं।लत बन सकती है चीनीअधिक वजन वाले लोगों में चीनी खाने पर मष्तिष्क डोपोमीन छोडऩे लगता है। ठीक उसी तरह जिस तरह शराब और दूसरी नशे की चीजों के इस्तेमाल में होता है। इससे किसी भी चीज की लत लग जाती है।गुस्सैल बनाती है चीनी!जो लोग ज्यादा चीनी खाते हैं वे गुस्सैल स्वभाव के होते हैं। इसलिए खासकर बच्चों को स्कूल के घंटों में चीनी ना खाने की सलाह दी जाती है।रोगप्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती है चीनीचीनी का ज्यादा इस्तेमाल रोगप्रतिरोधक क्षमताओं पर भी प्रतिकूल असर डालता है। चीनी के उपभोग के बाद रोग प्रतिरोधी तंत्र की कीटाणुओं को मारने की क्षमता 40 प्रतिशत तक घट जाती है।एल्जाइमर को बढ़ाती है चीनी2013 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक इंसुलिन प्रतिरोध और उच्च रक्तचाप जो कि सामान्यतया मधुमेह से जुड़े होते हैं, ये न्यूरोडिजेनरेटिव रोगों जैसे एल्जाइमर में भी खतरनाक साबित होते हैं।कैंसर का खतरा बढ़ाती है चीनीकैंसर की कोशिकाओं को बढऩे के लिए चीनी की जरूरत होती है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के लेविस कैंटले के नेतृत्व में एक अंतराष्ट्रीय शोध संस्थान इस विषय पर ही शोध कर रहा है कि कैसे घातक कोशिकाओं की बढ़ोत्तरी में शुगर का योगदान होता है।मूर्ख भी बनाती है चीनीचीनी के अधिक इस्तेमाल का असर याददाश्त पर भी पड़ता है। एक अध्ययन के मुताबिक हाई ब्लड शुगर वाले लोग याददाश्त के परीक्षण में उन लोगों के मुकाबले पीछे थे जिनका ब्लड शुगर कम था।
- इमली के पत्तों के उपयोग से शरीर की अनेक समस्याओं से दूर किया जा सकता है। सदियों से इमली के पत्तो का उपयोग कई समस्याओं को दूर करने में किया जा सकता है। इमली के पत्तों में विटामिन सी पाया जाता है। वहीं यह सूजनरोधी के रूप में भी कार्य करता है। इमली के पत्तों के ये हैं औषधीय गुण-1. सांसों की बदबू को दूर करना हो या दांतों के दर्द की समस्या से छुटकारा पाना हो, इन दोनों समस्याओं के लिए इमली की पत्तियां बेहद उपयोगी हैं। मौखिक स्वच्छता के लिए इमली के पतियों का इस्तेमाल किया जा सकताहै। यह दांत की कई समस्याओं को दूर करने में बेहद उपयोगी है। आप इमली के पत्तों के पानी से कुल्ला करके भी अपने मौखिक स्वच्छता को पर ध्यान दे सकते हैं।2 - जोड़ों के दर्द को कम करे इमली का पत्तायदि कोई व्यक्ति जोड़ों के दर्द से परेशान हैं साथ ही सूजन के कारण असहाय महसूस करता है इस समस्या को दूर करने में भी इमली का पत्ता बेहद उपयोगी है। बता दें कि इमली के पत्तों के अंदर सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं जो न केवल जोड़ों में दर्द की समस्या को दूर करते हैं बल्कि सूजन से भी छुटकारा दिलाते हैं।3 - पेट की समस्या को कम करे इमली का पत्ताअक्सर आपने देखा होगा कि मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द या ऐंठन जैसी समस्या भी नजर आती है। यह समस्या कभी-कभी गंभीर रूप ले लेती है और महिलाओं को उल्टी आनी शुरू हो जाती है। ऐसे में इस समस्या को कम करने में इमली की पत्तियों का अर्क बेहद उपयोगी है। साथ ही आप इमली के पत्तों के साथ नमक को भी मिला सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि नमक की मात्रा का ज्यादा उपयोग करने से दर्द बढ़ सकता है।4 - इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाए इमली का पत्तासंक्रमण से लडऩे में इम्यूनिटी सिस्टम का मजबूत होना बेहद जरूरी है। इमली की पत्तियां संक्रमण को दूर करने में बेहद उपयोगी हैं। इसमें पाए जाने वाला विटामिन सी सूक्ष्मजीव संक्रमण से भी हमारे शरीर को बचाता है।5 - पीलिया से लड़े इमली का पत्तापीलिया होने पर व्यक्ति की आंखें पीली नजर आती है ऐसे में यह लोग पीलिया को ठीक करने के लिए इमली के पत्तों का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा जो लोग शुगर की बीमारी यानी मधुमेह से परेशान हैं उन्हें बता दें कि यह ब्लड में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और इंसुलिन की संवेदनशीलता को विकसित करता है।6 - इमली के पत्ते के अंदर एंटी ऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो न केवल पुरानी त्वचा में नई जान डालते हैं बल्कि कैंसर जैसी समस्या से लडऩे में मददगार हैं।7 - इमली के पत्तों के इस्तेमाल से अल्सर के कारण होने वाले दर्द से राहत मिलती है।8 - जिस तरह की जीवन शैली हम जी रहे हैं इस जीवन शैली में उच्च रक्तचाप का होना बेहद आम बात है। ऐसे में इमली के पत्ते का पाउडर इस समस्या को दूर करने में बहुत उपयोगी है।9 - स्ट्रोक और दिल से संबंधित समस्या को कम करने में भी इमली के पत्तों का पाउडर बेहद उपयोगी है।इमली के पत्ते से होने वाले नुकसानकुछ लोगों में इमली के पत्तों से एलर्जी की समस्या देखने को मिली है। ऐसे में अगर आपको भी इनके पत्तों का सेवन करने या उपयोग करने से किसी भी प्रकार की एलर्जी नजर आए तो तुरंत इसका उपयोग बंद करें। गर्भवती महिलाएं इसके सेवन करने या उपयोग करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
- स्किन केयर रूटीन ही नहीं बल्कि हमारा खान-पान भी स्किन प्रॉब्लम्स और एलर्जी के लिए जिम्मेदार होता है। जैसे, आयुर्वेद के अनुसार कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं जिनका सेवन एक-साथ नहीं करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर नॉनवेज के साथ दूध से बनी कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए। आइए, जानते हैं किन चीजों को एक साथ खाने से बचना चाहिए-दूध के साथ ये चीजें खाना हानिकारकउड़द की दाल, पनीर, अंडा, मीटउड़द की दाल खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए। हरी सब्जिियां और मूली खाने के बाद भी दूध नहीं पीना चाहिए। अंडा, मीट, और पनीर खाने के बाद दूध पीने से बचना चाहिए। इनको एक साथ खाने से डाइजेशन में दिक्कअत आ सकती है।दही के साथ न खाएं ये चीजेंखट्टे फलदही के साथ खासतौर पर खट्टे फल नहीं खाने खहिए। दरअसल, दही और फलों में अलग-अलग एंजाइम होते हैं। इस कारण वे पच नहीं पाते, इसलिए दोनों को साथ लेने की सलाह नहीं दी जाती।मछलीदही की तासीर ठंडी है। उसे किसी भी गर्म चीज के साथ नहीं लेना चाहिए। मछली की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए उसे दही के साथ नहीं खाना चाहिए।शहद के साथ क्या न खाएंशहद को कभी गर्म करके नहीं खाना चाहिए। चढ़ते हुए बुखार में भी शहद का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में पित्त बढ़ता है। शहद और मक्ख न एक साथ नहीं खाना चाहिए। घी और शहद कभी साथ में नहीं खाना चाहिए। यहां तक कि पानी में मिलाकर भी शहद और घी का सेवन नुकसानदेह हो सकता है।इन चीजों को भी एक साथ खाने से करें परहेज- ठंडे पानी के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद, खीरा, जामुन और मूंगफली नहीं खानी चाहिए।- खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई और कठहल नहीं खाना चाहिए।- चावल के साथ सिरका नहीं खाना चाहिए।
- वजन घटाने के साथ ही अपनी हेल्थ को लेकर सजग रहने वाले ज्यादातर लोग इन दिनों सामान्य गेहूं के आटे की जगह जौ का आटा, बाजरे का आटा, राजगीरा या अमरंथ का आटा, सोया का आटा, कुट्टू का आटा आदि यूज करने लगे हैं. ऐसा ही एक हेल्दी ऑप्शन है रागी जिसे फिंगर मिलेट के नाम से भी जाना जाता है. रागी को ही कई जगहों पर नाचनी भी कहा जाता है.ढेर सारे पोषक तत्वों से भरपूर है रागीसबसे अच्छी बात ये है कि रागी के आटे में कोलेस्ट्रॉल और सोडियम जीरो पर्सेंट होता है जबकि फैट की मात्रा केवल 7 प्रतिशत होती है. इसके अलावा इसमें डाइट्री फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन, पोटैशियम, आयरन भी भरपूर मात्रा में होता है. प्रोटीन और फाइबर के कारण इसे वेट लॉस के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इसके अलावा भी रागी के कई फायदे हैं.1. डायबिटीज कंट्रोल करने में मददगार- गेंहू या चावल के आटे की तुलना में रागी में पॉलिफेनॉल्स और फाइबर की मात्रा अधिक होती है और इसका ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी कम होता है. इसलिए यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. सुबह का नाश्ता या दिन के लंच में रागी को शामिल करना फायदेमंद हो सकता है.2. एनीमिया में फायदेमंद- आयरन का बेहतरीन सोर्स है रागी इसलिए अगर किसी व्यक्ति को एनीमिया की बीमारी हो या शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल कम हो तो उसे रागी का सेवन जरूर करना चाहिए.3. प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स है- शरीर के लिए जरूरी एमिनो एसिड और प्रोटीन से भरपूर होता है रागी. शाकाहारी लोगों की डाइट में अक्सर प्रोटीन सोर्स की कमी होती है. ऐसे में वे प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए रागी का सेवन कर सकते हैं.4. तनाव होता है कम- रागी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो तनाव को घटाने में मदद करते हैं. अगर आपको एंग्जाइटी, डिप्रेशन या अनिद्रा की समस्या हो तो आप रागी जरूर खाएं. इससे फायदा होगा.रागी के नुकसान-अगर किडनी में स्टोन या किडनी से जुड़ी कोई और समस्या हो तो ऐसे लोगों को रागी का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है.-थायरॉयड के मरीजों को भी रागी का सेवन नहीं करना चाहिए वरना उनकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं.-बहुत ज्यादा रागी खाने की वजह से कब्ज, डायरिया, पेट में गैस, पेट फूलने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
- सेब का सिरका सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसे एप्पल साइडर विनेगर के नाम से भी जाना जाता है. ये सेब से तैयार एक तरह का मिश्रण है जो कई दिनों तक खराब नहीं होता है. अम्लीय स्वाद होने के कारण इसे सीधे तौर पर खाने से मना किया जाता है. एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग हजारों सालों से एक स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में किया जाता रहा है. कई शोधों से पता चलता है कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं. एप्पल साइडर विनेगर को अपने आहार में शामिल करने से आपको वजन कम करने में भी मदद मिल सकती है? सोच रही हैं कैसे? तो चलिए हम आपको बताते हैं. सबसे पहले जानते हैं कि ये कैसे बनता है और होता क्या है?क्या होता है सेब का सिरका?सेब का सिरका इस तरह का सिरका है जिसमें साइडर मुख्य हिस्सा है. ये उस लिक्विड से बनता है जो सेब को निचोड़ने से मिलता है. फर्मेंटेशन के बाद जो सिरका बचता है उसे हम सेब का सिरका कहते हैं.क्यों खास है सेब का सिरकाएप्पल साइडर विनेगर का मुख्य सक्रिय घटक एसिटिक एसिड है. इसे एथेनोइक एसिड के रूप में भी जाना जाता है. यह एक खट्टे स्वाद और मजबूत गंध का एक कार्बनिक यौगिक है. एप्पल साइडर विनेगर के लगभग 5-6% में एसिटिक एसिड होता है. इसमें पानी और अन्य एसिड की मात्रा भी होती है, जैसे मैलिक एसिड। एप्पल साइडर विनेगर के एक चम्मच में लगभग 3 कैलोरी होती हैं और वस्तुतः कोई कार्ब नहीं होता.सेब के सिरके के फायदेसेब के सिरके के फायदे तो अनगिनत हैं, आपको अपनी ज़रुरत और बीमारी के हिसाब से इसका उपयोग करना चाहिए. सेब के सिरके को सेवन करने के कई तरीके हैं. आप सलाद में इसका सेवन कर सकते हैं या कुछ पेय पदार्थों में इसकी थोड़ी मात्रा मिलाकर पी सकते हैं. आइये जानते हैं इससे कैसे कम होता है वजन.वजन घटाने में मददगार है विनेगरसेब के सिरके का सबसे ज्यादा उपयोग वजन कम करने के लिए ही किया जाता है. मोटापे से परेशान लोगों के लिए सेब का सिरका उनकी समस्या दूर करने में काफी हद तक लाभकारी है. यह शरीर की अतिरिक्त कैलोरी को बर्न करती है और खासतौर पर बेली फैट को कम करने में मदद करती है. सेब का सिरका पेट की चर्बी कम करने में मदद करता है. मोटापा कम करने के लिए प्रतिदिन रात को गुनगुने पानी के साथ सिरका मिलाकर पिएं. यह ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखता है, जिससे वेट लॉस में मदद मिलती है. इसमें एसिटिक एसिड होता है जो भूख को दबाने में मदद करता है. यह चयापचय भी बढ़ाता है और पानी के प्रतिधारण को कम करता है. इसलिए यदि आप कुछ वजन कम करना चाहते हैं, तो यह अच्छा माना जाता है.सेवन विधिवजन कम करने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक से दो चम्मच सेब का सिरका मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. लगातार इसका इस्तेमाल करें और देखें इसका फायदा.पोषक तत्वों से भरपूर होता है सेब का सिरकासेब का सिरका घर के कई कामों में इस्तेमाल होता है. इसका खाना पकाने में भी काम लिया जाता है. पोषक तत्वों से भरपूर सेब का सिरका सेहत को कई तरीके से फायदा देता है. सेब के सिरके की तासीर न गर्म, न ठंडी होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में कर सकते हैं. पानी के साथ सेब के सिरके की कम मात्रा को मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं या फिर शहद के साथ भी मिलाया जा सकता है. मधुमेह, कैंसर, हृदय की समस्याओं और हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है.और भी हैं गुण----वजन कम करता हैमांसपेशियों को ऊर्जा उत्पन्न करने में मदद करता हैमधुमेह से बचने के लिएबेहतर पाचन के लिएत्वचा और बालों के लिए फायदेमंदबढ़ाता है नाखून की चमकजोड़ों के दर्द से राहतवसा के भंडारण को कम करता हैहार्ट बर्न और एसिड रिफ्लक्स के लिए
- सलाद से लेकर सूप और सब्जी तक टमाटर के बिना हमारी डिश का स्वाद कुछ अधूरा रह जाता है, है ना? विटामिन सी, पोटैशियम, फोलेट और विटामिन के के साथ ही लाइकोपीन और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर टमाटर वैसे तो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है टमाटर, कैंसर से बचाने के साथ ही हार्ट को भी हेल्दी रखने में मदद करता है. लेकिन चूंकि टमाटर खट्टा होता है इसलिए बहुत ज्यादा टमाटर खाने से भी सेहत को नुकसान हो सकता है.1. किडनी में स्टोन का खतरा- चूंकि टमाटर में ऑक्सलेट और कैल्शियम ज्यादा होता है इसलिए ये चीजें कई बार शरीर में जमा होने लगती हैं जिनकी वजह से किडनी में स्टोन का खतरा बढ़ जाता है. लिहाजा टमाटर जरूर खाएं लेकिन सीमित मात्रा में.2. जोड़ों में दर्द- बहुत ज्यादा टमाटर खाने की वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन का भी खतरा बढ़ जाता है. टमाटर में एक तरह का कम्पाउंड होता है जिसकी वजह से टीशूज में कैल्शियम जमा होने लगता है और इन्फ्लेमेशन की वजह से जोड़ों में दर्द की समस्या होती है.3. ज्यादा टमाटर खाने से हो सकती है एलर्जी- टमाटर में हिस्टामिन नाम का एक कम्पाउंड पाया जाता है जिसकी वजह से एलर्जी का खतरा (Allergy Risk) हो सकता है. अगर कोई बहुत ज्यादा टमाटर खा ले तो खांसी, छींक, एग्जिमा, स्किन पर रैशेज, गले में खुजली, चेहरे पर सूजन जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.4. एसिड रिफ्लक्स- टमाटर में मैलिक एसिड और साइट्रिक एसिड दोनों होता है और इसलिए बहुत ज्यादा टमाटर खाने की वजह से सीने में जलन या एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है.5. डायरिया- बहुत से टमाटर ऐसे भी होते हैं जिसमें सैल्मोनेला नाम का बैक्टीरिया होता है जिसकी वजह से पेट खराब होने और डायरिया का खतरा हो सकता है. इसके अलावा कुछ लोगों को tomato intolerance की भी समस्या हो सकती है. ऐसे लोग अगर टमाटर खाएं तो उनका पेट खराब हो सकता है और डायरिया की समस्या हो सकती है.
- मकोय एक पौधा है। इसके कई आयुर्वेदिक फायदे हैं। मकोय का पौधा धान, गेहूं, मक्का के खेत में छांव वाली जगह पर मिल जाता है। यह हर साल और कहीं भी उग जाता है। बिना किसी विशेष देखभाल के यह खरपतावार के रूप में उगता है। मकोय के फल खाने से बुखार, एक्जिमा, सांस संबंधी परेशानियां ठीक होती हैं। इसके फल कच्चे होने पर हरे और पकने पर पीले, लाल और बैंगनी रंग के होते हैं। बैंगनी मकोय खाने में बहुत मीठी होती है। यह दिखने में टमाटर की तरह होती है। पर आकार में बहुत छोटी। इसका पौधा दिखने में हरी मिर्च के पौधे के समान होता है। इस छोटे से पौधे के कई फायदे हैं जो शरीर के विकारों को दूर करते हैं। मकोय वाक, पित्त और कफ के दोष को खत्म करता है। इसके फल गुच्छे में पौधे पर आते हैं। इसके फायदे निम्न हैं-बुखार को करे दूरमकोय का सेवन करने से बुखार दूर होता है। यह गुणकारी औषधि है कि अगर आप मकोय के फल का सेवन सीधे कर रहे हैं तो बुखार उतरने में मात्र एक घंटा लगेगा। अगर आपके पास मकोय नहीं है तो आजकल बाजार में मकोय के चूर्ण भी आने लगे हैं। यह चूर्ण किसी भी आयुर्वेदिक दुकान से मिल जाता है।भूख बढ़ाएमकोय केवल बुखार ही दूर नहीं करता है। बल्कि यह भूख भी बढ़ाता है। इस पौधे की आयुर्वेद में विशेष अहमियत है। भूख बढ़ाने के लिए मकोय के पत्तों का साग बनाकर खाएं। या फिर सीधे मकोय के मीठे फल का सेवन करें। यह फल रसभरी की तरह होते हैं।पीलिया में फायदेमंदमकोय के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पीलिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है। पीलिया में जो दवाएं चल रही हैं उनको खाते हुए भी मकोय का सेवन किया जा सकता है। मकोय वाक, पित्त और कफ के दोष को खत्म करता है।बालों की समस्या से दिलाए निजातजिन लोगों को काले बाल करने हैं। उनके लिए मकोय फायदेमंद है। मकोय के बीज से बनने वाले तेल की दो बूंदें नाक में डालने से बाल काले होने लगते हैं।मुंह के छोले दूर भगाएमकोय के पत्ते मुंह के छाले भगाने में कारगर हैं। इसके लिए बस छाले होने पर 5-10 पत्ते चबा लें। इनसे मुंह के छालों में फायदा मिलता है।खाज-खुजली से दिलाए निजातगर्मी में होने वाली तमाम त्वचा संबंधी रोगों से बचाने में मकोय फायदा करता है। मकोय के पत्तों को पीसकर खुजली वाली जगह पर लगाने से खाज-खुजली में फायदा मिलता है। तो वहीं, मकोय के पत्ते पीसकर दाद पर लगाने से दाद खत्म होता है। मकोय में खून को साफ करने वाले गुण पाए जाते हैं, त्वचा संबंधी रोगों को खत्म करता है।(नोट-इन सभी आयुर्वेदिक उपायों का आपको सही उपयोग मालूम होना चाहिए। तभी इसका उपयोग करें। बेहतर होगा इस्तेमाल से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह ले लें)
- सड़कों पर लगे पेड़ों पर एक हल्के पीले और हरे रंग का बेल कई बार देखा है, जिसमें कई ऐसे गुण छिपे हैं, जो हम सभी के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इस हल्के पीले हरे बेल को हम अमरबेल कहते हैं। आकाशीय बेल और अमर बेल सबसे ज्यादा मशहूर नाम हैं। संभव है कि इस बेल को आपने पहले कई बार देखा हो और इसके फायदों के बारे में आपको ना पता हो। आइए जानते हैं अमरबेल के क्या फायदे होते हैं--आंखों की परेशानी को दूर करने के लिए भी अमरबेल काफी फायदेमंद होता है। आंखों के लिए इसका इस्तेमाल करने के लिए 10 मिली। अमरबेल के रस को थोड़ी सी चीनी में मिलाएं। इस रस को अपने आंखों के आसपास लगाएं। इससे आंखों में जलन और आंख आने की समस्या दूर हो जाती है।-पेट में गर्मी या फिर किसी तरह की समस्या को दूर करने के लिए अमरबेल काफी फायदेमंद हो सकता है। अमरबेल की शाखाओं को उबाल लें। इसके बाद इसे अच्छी तरह से पीस लें और इस पेस्ट को पेट के चारो ओर लगाएं। इससे आपके पेट की गर्मी कुछ ही समय में ठीक हो जाएगी।-बवासीर की परेशानी को दूर करने में भी यह मदद कर सकता है। अगर बवासीर की समस्या है, तो अमरबेल का 10 मिली ग्राम रस लें। इसमें 5 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण डालें। इसे सुबह घोंटकर पीएं। तीन दिन तक लगातार इसका सेवन करने से बवासीर की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।-लिवर की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए भी यह बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। नियमित रूप से 5 से 10 ग्राम अमरबेल का रस पीने से लिवर की समस्या से निजात पाया जा सकता है। फैटी लिवर की समस्या से परेशान लोगों को रोजाना 10-20 मिली अमरबेल का रस पीने से काफी आराम मिलता है। इसके अलावा आप इसके रस को अपने अमाशय के आसपास लगाएं।-मुंह में अल्सर की समस्या को दूर करने में भी यह मदद कर सकता है। मुंह के अल्सर को दूर करने के लिए अमरबेल का पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अपने छालों पर लगाएं। इससे तुरंत राहत मिल सकेगी।-अमरबेल का सबसे बढिय़ा औषधीय इस्तेमाल गंजेपन को दूर करने के लिए किया जाता है। गंजापन दूर करने के लिए अमरबेल को तिल के तेल के साथ पीसकर इस पेस्ट को सिर में नियमित रूप से मालिश करते रहें।-एक रिसर्च के अनुसार अमरबेल में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते है। इसके कारण यह डायबिटीज जैसी समस्या में उसके लक्षणों को कम कर लाभ पहुंचता है।-अमरबेल में बल्य गुण पाए जाने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाये रखने में भी सहयोगी होता है ।- प्रतिरक्षा प्रणाली सुधारने में भी अमरबेल मदद करती है क्योंकि इसमें रसायन गुण पाया जाता है।
- नॉन वेज के शौकीन आपको बताएंगे कि कोई भी सब्जी उतनी स्वादिष्ट और मजेदार नहीं होती, जितना कि चिकन और मटन, लेकिन ये स्वाद आपको नुकसान भी पहुंचाता है। जानिए, वेजेटेरियन होने से क्या क्या फायदा होता है।-पर्यावरण और जीवनशैली से जुड़े कारक जेनेटिक्स को भी प्रभावित करते हैं। हमारे भोजन में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स और अन्य पोषक तत्व शरीर में क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत में मदद करते हैं। शाकाहारी भोजन के सेवन से प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी कम किया जा सकता है.ा।-मांस या प्रोसेस्ड फूड खाकर अक्सर सीने या पेट में जलन का अहसास होता है। कभी कभार जलन होना बड़ी बात नहीं लेकिन इसका बना रहना खतरनाक है। शाकाहारी खानपान से इसमें कमी आती है क्योंकि इसके फाइबर में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं।-कोलेस्ट्रॉल से दिल की बीमारियों का भारी खतरा रहता है। शोध के मुताबिक जो लोग सब्जियां खाते हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर 35 फीसदी तक कम होता है। पौधों से मिलने वाले उत्पादों में सैचुरेटेड फैट बहुत ही कम होता है।-जीवों से मिलने वाला प्रोटीन, खासकर रेड मीट या प्रोसेस्ड मीट, टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है। पशुओं की चर्बी, आयरन और अक्सर इस्तेमाल होने वाले प्रेजर्वेटिव अग्नाशय की कोशिकाओं को बर्बाद करते हैं।-शाकाहारी भोजन में पाया जाने वाला फाइबर उन बैक्टीरिया के विकास में मदद करता है जो हमारी आंतों के लिए अच्छे हैं। ये पाचन में मदद करते हैं। पौधों से मिलने वाले जरूरी बैक्टीरिया शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने, डायबिटीज, एथीरोस्क्लेरोसिस और लिवर की बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं।-भोजन में बाहरी प्रोटीन से ना तो शरीर ताकतवर बनता है ना ही पतला. फालतू प्रोटीन या तो वसा बन जाता है या फिर मल बनकर निकल जाता है। पशुओं से मिलने वाला प्रोटीन वजन बढऩे का मुख्य कारण है।-एकैडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटीटिक्स पत्रिका में छपी रिपोर्ट दिखाती है कि अगर कोई व्यक्ति सब्जियां, फल, अनाज और दालें खाता है तो उसके लिए वजन घटाना मांसाहारी भोजन खाने वाले व्यक्ति के मुकाबले कहीं आसान होता है।- न्यूट्रिशन विशेषज्ञ सूजन टकर के मुताबिक शाकाहारी भोजन में फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट्स की पर्याप्त मात्रा के कारण शरीर को खुद की सफाई का अवसर मिलता है और त्वचा में निखार आता है। शाकाहारी भोजन से त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटने में आसानी होती है।---