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- बड़ी इलायची का प्रयोग भारतीय रसोईघरों में होता है। वहीं आयुर्वेद में इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। इसका एक नाम काली इलायची भी है। बता दें कि यह रंग में भूरे रंग की होती है और इसके बीज काले रंग के होते हैं। मुख्य रूप से पूर्वी हिमाचल में पाई जाने वाली बड़ी इलायची अपनी औषधीय गुणों से बेहद प्रसिद्ध है। इसके सेवन से पेट की कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है। वहीं यह पीलिया या मलेरिया के उपचार में भी उपयोगी है। लोगों को बड़ी इलाइची के गुण के साथ नुकसानों के बारे में भी पता होना चाहिए।सेहत के लिए अच्छी है बड़ी इलायचीबड़ी इलायची के अंदर प्रोटीन के साथ-साथ आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा यह स्टार्च, वसा, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट आदि से भी भरपूर है।सांसों की बदबू और दंत की समस्या को दूर करें बड़ी इलायचीदांतों की समस्या को दूर करने के साथ-साथ यह मसूड़ों में मजबूती भी लाती है। ऐसे में आप इसके सेवन से दंत की समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आप मुंह की बदबू से परेशान हैं तो बता दें कि बड़ी इलायची की सुगंध काफी स्ट्रांग होती है ऐसे में आप इसके सेवन से मुंह की दुर्गंध को भी दूर कर सकते हैं।बालों को सुंदर बनाएं बड़ी इलायचीजो लोग अपने गिरते बाल झड़ते बालों से परेशान हैं उन्हें बता दें कि बड़ी इलायची के उपयोग से समस्या को दूर किया जा सकता है। दूसरी तरफ बड़ी इलायची रूसी की समस्या को दूर करने में भी उपयोगी है। यह न केवल खोपड़ी को स्वस्थ बनाती है बल्कि इसके अंदर पाए जाने वाले एंटीवायरल गुण बालों में चमक भी बनाए रखते हैं और खोपड़ी के संक्रमण को दूर रखते हैं।श्वसन समस्या को दूर करें बड़ी इलायचीजिन लोगों को बलगम की परेशानी रहती है यानी जिन लोगों के बलगम जमा होता है उन लोगों को बता दें कि सांस की समस्या को दूर करने में बड़ी इलायची बेहद उपयोगी है। यह न केवल अस्थमा को दूर करती है बल्कि जो लोग खांसी से परेशान हैं उनके लिए भी यह किसी वरदान से कम नहीं है। अगर आप गले की खराश से ग्रस्त हैं या आपको सर्दी खांसी हो गई है तब भी आप बड़ी इलायची के उपयोग से इस समस्या को दूर कर सकते हैं।मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाए बड़ी इलायचीजो लोग मांसपेशियों के दर्द से परेशान रहते हैं उन्हें बता दें कि इस दर्द को दूर करने में काली इलायची यानी बड़ी इलायची बेहद उपयोगी है। हर दर्द से छुटकारा पाने के साथ सूजनरोधी का भी काम करता है। इसका प्रयोग दर्द निवारक के रूप में भी कर सकते हैं।संक्रमण से लड़े बड़ी इलायचीसंक्रमण को दूर करने में इम्यून सिस्टम का बड़ा योगदान होता है। ऐसे में बता दें कि इम्यून सिस्टम को मजबूती देने में बड़ी इलायची बेहद उपयोगी है।- बड़ी इलायची के उपयोग से कब्ज की समस्या में भी राहत मिलती है। यह पेट के अल्सर की समस्या को भी दूर करता है। सीने में जलन जैसी समस्या को दूर करने में बड़ी इलायची बेहद उपयोगी है। बड़ी इलायची का सेवन पाचन क्रिया को भी तंदुरुस्त रखता है। बड़ी इलायची के अंदर बिटवीन सी पाया जाता है जो त्वचा को स्वस्थ बनाता है।
- जानें इस बीमारी से बचने के कारगर तरीकेमन को भाने वाला खऱाब तथा बिना पोषण का आहार केवल पेट ही नहीं भरता बल्कि कई बीमारियों का कारण बनने वाले जीवाणु तथा कीटाणु भी हमारे शरीर में भरता है और शरीर को कमजोर बनाता है। ऐसे आहार के कारण जब शरीर को रोग जकड़ लेता है और उसका उपचार शुरू होता तो आहार में बदलाव भी बेहद जरूरी है। दरअसल, ज्यादातर मरीज बीमारी के इलाज के लिए दवाइयां खाते हैं लेकिन आहार में सही बदलाव नहीं करते जिस कारण शरीर और भी तेज़ी से कमजोर पडऩे लगता है तथा इसकी वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम या खत्म होने लगती है, जिससे फेफड़े कमजोर होना शुरू हो जाते है। इस दौरान सांस के जरिये जीवाणु तथा कीटाणु हमारे फेफड़े से चिपक जाते है जिससे खांसी, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ होना ऐसी ही अन्य समस्याएं होना शुरू हो जाती है। जिससे की क्षय रोग (टीबी) होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। लेकिन हम इतना होने पर भी नहीं समझते हैं की इन समस्याओं को हमने खुद बाहर का खाना, बासी खाना, तथा पोषण रहित खाना तथा सही समय पर भोजन न करके खुद उत्पन्न किया है।डॉक्टर अनु अग्रवाल (पीएचडी न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स, एम्स, ऋषिकेश) ने टीबी की शुरुआती जड़ और कारणों के बारे में बताया कि ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) एक जीवाणुजनित रोग है इस जीवाणु को माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम से जाना जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस जीवाणु से प्रभावित है और जीवाणु से ग्रसित व्यक्ति के खांसते, बोलते या छींकते समय उसके मुंह से निकले छींटे कोई अन्य व्यक्ति अवशोषित करता है तो वह व्यक्ति संक्रमित हो सकता हैं। हालांकि टीबी रोग का प्रसार किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से नहीं होता है। सही समय पर टीबी के लक्षणों को पहचानने से तथा समस्या की जड़ को पकड़ कर उसके उपचार से इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है।टीबी के लक्षण-1. तीन हफ़्तों से ज्यादा तथा लगातार खांसी का बना रहना।2. खांसी के साथ साथ बुखार का आना तथा ठण्ड लगना ।3. सीने में दर्द होना तथा खांसी आते समय अधिक दर्द होना।4. कमजोरी तथा थकावट।5. भूख न लगना तथा वजन का कम होना।6. रात में तथा सोते समय अधिक पसीना आना।उपचार तथा देखभाल-टीबी श्वसन संबंधी रोग है जिस कारण यह शरीर के अन्य हिस्से जैसे की हड्डिया, मष्तिष्क, पेट, पाचन तंत्र, किडनी तथा लिवर को संक्रमित कर सकता है। इस रोग का इलाज डॉक्टर तथा डाइइटीशियन की सलाह तथा सुझाव के साथ महीनो तक तथा लगातार चलने वाला इलाज है। टीबी के इलाज के दौरान कई प्रकार की एंटीबायोटिक दवाये मरीज को दी जाती है जो की माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु को नष्ट तथा नियंत्रित करती है। साथ ही साथ ये एंटीबायोटिक दवाये भोजन तथा भोजन से मिलने वाले पोषक तत्वों के साथ परस्पर क्रिया करती है। फलस्वरूप भोजन से मिलने वाले पोषक तत्वों का अवशोषण तथा चयापचन (अब्सॉप्र्शन एंड मेटाबॉल्जि़म) नहीं हो पता है और इलाज के दौरान मरीज कुपोषित होने लगता है और कुपोषण ज्यादा बढऩे पर वजन कम, खून की कमी जैसी अन्य समस्याएं इलाज की अवधि पूरा करने में समस्या उत्पन्न करती है।सही आहार एवं का पोषणडॉक्टर अनु अग्रवाल के मुताबिक टीबी के साथ कुपोषण एक बहुत ही सामान्य, लेकिन बड़ी चुनौती है। जिस कारण मरीजों को टीबी की एंटीबायोटिक दवाइयों के साथ साथ मल्टीविटामिन्स, मल्टीमिनरल्स तथा उचित मात्रा में एनर्जी, प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट्स, तथा भोजन में फाइबर की सही मात्रा होना जरुरी है जो की इस प्रकार हैं।एनर्जीसंक्रमित व्यक्ति को सही वजन बनाये रखने के लिए सामान्य से 20 फीसदी से 30 फीसदी अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती हैप्रोटीनमांसपेशियों के अपचय को रोकने के लिए प्रोटीन की मात्रा 1.2 से लेकर 1.5 ग्राम पर केजी आइडियल बॉडी वेट के अनुसार लिया जानी चाहिए। प्रोटीन तथा ऊर्जा की उचित मात्रा के साथ कई विटामिन्स और मिनरल्स जैसे की विटामिन डी, विटामिन इ, विटामिन सी, विटामिन ए, बी काम्प्लेक्स विटामिन, सेलेनियम, जि़क फोलिक एसिड तथा कैल्शियम की मात्रा बड़ा देनी चाहिए। क्योंकि बीमारी के दौरान सभी पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य आवश्यकता से अधिक पड़ती है इसलिए टीबी के मरीज को खाना अधिक खाने की जगह अधिक पोषण युक्त तथा दिन में कई बार भोजन लेना चाहिए। मरीज के द्वारा लिए जाना भोजन संतुलित होना चाहिए। सन्तुलिन आहार की थाली में यह सुनिश्चित करे की सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे की भिन्न भिन्न प्रकार के अनाज, दालें, दूध, दही, घी, पनीर, हरी तथा अन्य प्रकार की सब्जियां एवं फल, गुड़ तथा सही मात्रा में भोजन में नमक हो। इस प्रकार हम टीबी से होने वाली मृत्यु दर को रोक सकते है तथा मरीज के अच्छे स्वास्थ्य की परिकल्पना करना पूरी तरह संभव है।
- भिंडी एक ऐसी सब्जी है जो गर्मियों में बड़ी आसानी से पाई जाती है। इसका स्वाद बच्चे और बड़ों सभी को पसंद आता है। भिंडी औषधीय गुणों से संपन्न सब्जी है। भिंडी में कैल्शियम, विटामिन, पोटेशियम, अच्छे कार्ब्स और भी कई सारे अहम तत्व पाए जाते हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण ही यह कई सारी बीमारियों में शरीर को जल्दी स्वस्थ होने में सहायता करती है। साथ ही इसके सेवन से आंख, त्वचा और बाल भी अच्छे रहते हैं।वजन घटाएभिंडी में अच्छे कार्ब्स पाए जाते हैं जो कि वजन को नियंत्रित करने में सहायता करते हैं। भिंडी में एंटी- ऑबेसिटी गुण भी होता है, जो कि अतिरिक्त वजन को कम करने में सहायता करता है इसलिए जो लोग वजन घटा रहे हैं, उन्हें भिंडी से परहेज नहीं करना चाहिए बल्कि भिंडी तो उनके लिए बेहद काम की चीज है।त्वचा को रखे जवांयदि आप चाहते हैं कि गर्मियों में आपकी त्वचा जवां दिखाई दे तो ज्यादा से ज्यादा भिंडी का सेवन करें। भिंडी में विटामिन-सी पाया जाता है जो कि त्वचा के टिश्यू की मरम्मत करने के साथ ही नए टिश्यू के निर्माण में भी सहायता करता है। भिंडी में बीटा कैरोटिन के रूप में विटामिन-ए भी पाया जाता है, जो कि त्वचा के निखार के लिए बेहद लाभदायक है।पाचनतंत्र सुधारेभिंडी खाकर बिगड़ा हुआ पाचनतंत्र सुधारा जा सकता है। गर्मियों में अधिकतर लोग पेट की समस्याओं से परेशान रहते हैं। ऐसे में यदि वे भिंडी का सेवन करते हैं तो पाचनतंत्र ठीक होने लगेगा। भिंडी में अच्छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो कि पाचनतंत्र के लिए फायदेमंद होता है।रूसी की समस्या करे दूरभिंडी के सेवन के साथ ही आप यदि इसकी लार को स्कैल्प पर लगाते हैं तो रूसी और जू मिट जाती है। भिंडी में विटामिन-सी पाया जाता है, जो कि बालों को चमकदार बनाता है। गर्मियों में कई बार पसीने की वजह से स्कैल्प पर बहुत खुजली चलने लगती है ऐसे में भिंडी की लार आपको आसानी से इस समस्या से छुटकारा दिला सकती है।आंखों की रोशनी बढ़ाएभिंडी का सेवन उन लोगों के लिए बेहद लाभदायक है जो कि दिनभर स्क्रीन पर काम करते हैं। भिंडी में बीटा कैरोटीन पाया जाता है जो कि आंखों की रोशनी को बढ़ाने में सहायता करता है। आंखों से संबंधित बीमारियों में भी भिंडी का सेवन बेहद लाभकारी होता है।
- पानी हमारे लिए बहुत जरूरी है, हम पृथ्वी पर पानी के बिना जीवन जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते। हमारे शरीर को पानी की जरूरत केवल प्यास बुझाने के लिए ही नहीं होती है, बल्कि पानी हमारे पूरे शरीर के कामकाज को बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की जरूरत होती है।विशेषज्ञों की मानें तो मानव शरीर लगभग 70 प्रतिशत तक पानी से बना हैं। मनुष्य के शरीर के अधिकतर अंगों में पानी पाया जाता है। बेहद कम लोग जानते होंगे, लेकिन ठोस और कड़ी महसूस होने वाली हमारी हड्डियों में भी 22% पानी होता है। हमारे दांतों में 10%, स्किन में 20%, दिमाग में 74.5%, मांसपेशियों में 75.6% जबकि खून में 83% पानी होता है।सुबह की शुरुआत 1 गिलास पानी से करना क्यों जरूरी हैविशेषज्ञ बताते हैं, सुबह की शुरुआत 1 गिलास पानी से करने से, न सिर्फ पेट की सफाई करने में मदद मिलती है, बल्कि यह लंबे समय में कई बीमारियों के जोखिम को कम करता है। वहीं दूसरी ओर सुबह खाली पेट पानी पीना आपके कोलन को शुद्ध करता है। साथ ही यह पोषक तत्वों को ठीक से अवशोषित करने के लिए पेट की क्षमता में सुधार करता है।पानी आपके रक्त से सभी विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिसका प्रभाव आपकी त्वचा पर भी देखने को मिलता है।आपको दिन में कितना पानी पीने की जरूरत हैहर दिन आप अपनी सांस, पसीना, मूत्र और मल त्याग के माध्यम से अपने शरीर से पानी को बाहर निकाल देते हैं। आपके शरीर को ठीक से काम करने के लिए, पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की जरूरत होती है।अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग और मेडिसिन के अनुसार हर रोज आवश्यक पानी की मात्रा हैपुरुषों के लिए एक दिन में लगभग 15.5 कप (3.7 लीटर) तरल पदार्थमहिलाओं के लिए एक दिन में लगभग 11.5 कप (2.7 लीटर) तरल पदार्थविशेषज्ञ दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। इसे याद रखना आसान है और यह एक उचित लक्ष्य है।
- 1. यह जोड़ों को चिकनाई देता हैजोड़ों में पाया जाने वाला कार्टिलेज और रीढ़ की हड्डी में लगभग 80 प्रतिशत पानी होता है। लंबे समय तक डिहाइड्रेशन जोड़ों की पानी को अवशोषित करने की क्षमता को कम कर सकता है, जिससे जोड़ों में दर्द हो सकता है।2. यह लार और बलगम बनाता हैलार हमें हमारे भोजन को पचाने में मदद करती है और मुंह, नाक और आंखों को नम रखती है। यह घर्षण और क्षति को रोकता है। पानी पीने से भी मुंह साफ रहता है।3. यह पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता हैरक्त का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पानी है और रक्त शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन ले जाता है।4. यह त्वचा के स्वास्थ्य और सुंदरता को बढ़ाता हैडिहाइड्रेशन के साथ, त्वचा स्किन डिसऑर्डर और समय से पहले झुर्रियों की चपेट में आ सकती है।5. यह मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और अन्य संवेदनशील ऊतकों के लिए जरूरी हैडिहाइड्रेशन मस्तिष्क की संरचना और कार्य को प्रभावित कर सकता है। यह हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में भी शामिल है। लंबे समय तक डिहाइड्रेशन सोच और तर्क के साथ समस्याएं पैदा कर सकता है।6. यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता हैपानी जो त्वचा की मध्य परतों में जमा होता है, शरीर के गर्म होने पर त्वचा की सतह पर पसीने के रूप में आता है। जिससे शरीर को ठंडा होने में मदद मिलती है।7. पाचन तंत्र इस पर निर्भर करता हैआंत्र को ठीक से काम करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। डिहाइड्रेशन से पाचन संबंधी समस्याएं जैसे, कब्ज और पेट में अम्ल की अधिकता हो सकती है। इससे हार्टबर्न और पेट के अल्सर का खतरा बढ़ जाता है।8. यह शरीर के अपशिष्ट को बाहर निकालता हैमूत्र, मल और शरीर से पसीना बाहर निकालने की प्रक्रियाओं में पानी की आवश्यकता होती है।9. यह रक्तचाप को बनाए रखने में मदद करता हैपानी की कमी से रक्त गाढ़ा हो सकता है, जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है।10. यह किडनी डैमेज को रोकता हैकिडनी शरीर में तरल पदार्थ को नियंत्रित करती है। अपर्याप्त पानी से किडनी की पथरी और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
- 00 सुबह खाली पेट पानी से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।00 पेट को साफ रखने में मदद मिलती है। सुबह खाली पेट गर्म पानी पीने से रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती है और आंतों में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है, जिससे पाचन तंत्र और बेहतर तरीके से काम करने लगता है।00 गर्म पानी पीना दर्द से आराम दिलाने में भी सहायक है। खासतौर पर अगर आप पेट दर्द से परेशान हैं तो सुबह खाली पेट गर्म पानी असरदार तरीके से राहत देता है।00 रोजाना सुबह सिर्फ एक गिलास गर्म पानी पीने से पेट के सारे हानिकारक टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं और पेट लम्बे समय तक भरा हुआ महसूस होता है। जिसकी वजह से आप बेवजह कुछ खाने से बच जाते हैं। रोजाना ऐसा करने से जल्दी ही वजन कम होने लगता है।00 सुबह उठने के बाद अगर आप सबसे पहले पानी पीते हैं, तो दिमाग में ऑक्सीजन की बेहतर सप्लाई होती है। ऐसा करने से दिमाग दिन भर एक्टिव और फ्रेश रहता है।00 खाली पेट पानी पीने से त्वचा अंदर से साफ हो जाती है। सिर्फ इतनी ही नहीं, इससे स्किन भी हाइड्रेट होती है और उसकी नमी बनी रहती है।00 पानी शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है। पानी विषाक्त तत्वों को बाहर निकाल देता है, जिससे शरीर के अंग हेल्दी और एक्टिव बने रहते हैं। इससे शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है।
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शिकागो के नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में हुई एक स्टडी बताती है कि जो लोग सुबह 8:30 से पहले खाना शुरू कर देते हैं, उनका ब्लड शुगर स्तर कम रहता है। यही नहीं, उनमें इंसुलिन रेजिस्टेंस भी कम रहता है, जो टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम कर सकता है।
इस स्टडी का नाम इंटरमिटेंट फास्टिंग है, जिसके अनुसार जल्दी खाना शुरू कर देने का संबंध कम ब्लड शुगर स्तर और इंसुलिन रेजिस्टेंस से है। इस स्टडी को इनडोक्राइन सोसायटी की सालाना मीटिंग में वर्चुअल तौर पर पेश किया गया।पहले भी मिले हैं सबूतपहले हुई स्टडीज में इस तरह के सबूत मिले हैं, जो यह बताते हैं कि ब्रेकफास्ट छोड़ने और हाई डायबिटीज जोखिम के बीच संबंध है। लेकिन उनमें जल्दी ब्रेकफास्ट और ब्लड शुगर, इंसुलिन रेसिस्टेंस और डायबिटीज के बीच के जोखिम के बारे में कुछ नहीं कहा गया था। शिकागो के नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के एमडी और लीड रिसर्चर मरियम अली कहती हैं, “हमने पाया कि जो लोग दिन में जल्दी खाना शुरू कर देते हैं, उनका ब्लड शुगर स्तर कम रहता है। साथ ही इंसुलिन रेसिस्टेंस भी, भले ही उनका फूड इनटेक 10 घंटे के लिए प्रतिबंधित रहा हो या फूड इनटेक रोजाना 13 घंटों से अधिक के लिए फैला हो।”कब होता है इंसुलिन रेजिस्टेंसइंसुलिन रेजिस्टेंस तब होता है जब बॉडी उस इंसुलिन पर प्रतिक्रिया नहीं देती है जो पैंक्रियाज बनाता है और ग्लूकोज सेल्स में प्रवेश करने के कम योग्य रहता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस के साथ वाले लोग टाइप 2 डायबिटीज के अधिक जोखिम पर रहते हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस और ब्लड शुगर स्तर दोनों किसी व्यक्ति के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है, फूड को आसान घटकों में तोड़ देता है- प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट (या शक्कर) और फैट। मेटाबॉलिक डिसऑर्डर जैसे डायबिटीज तब होते हैं जब इन सामान्य प्रक्रियाओं में व्यवधान पैदा हो जाता है।मेटाबॉलिक डिसऑर्डरडायबिटीज जैसे मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के बढ़ने से हम इस चिंता को दूर करने में सहायता करने के लिए न्यूट्रिशनल स्ट्रेटेजी की अपनी समझ का विस्तार करना चाहते थे, ऐसा मरियम अली का कहना है। पहले की स्टडीज में पाया गया कि समय प्रतिबंधित भोजन, जो रोजाना के खाने को कम समय के लिए समेकित करता है, ने लगातार मेटाबॉलिक हेल्थ में सुधार का प्रदर्शन किया है, ऐसा उन्होंने नोट किया। उनका समूह यह देखना चाहता था कि दिन में जल्दी खाने से मेटाबॉलिक उपाय प्रभावित होते हैं या नहीं।विश्लेषण और निष्कर्षरिसर्चर्स ने नेशनल हेल्थ और न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन सर्वे में भाग लेने वाले 10,575 लोगों से डेटा का विश्लेषण किया। उन्होंने भागीदारों को उनके फूड इनटेक की कुल अवधि के आधार पर तीन समूहों में बांटा – 10 घंटे से कम, 10-13 घंटे, 13 घंटे से अधिक। इसके बाद उन्होंने शुरुआती समय के (8:30 बजे सुबह से पहले या बाद में) खाने के आधार पर छह उप समूह बनाए।उन्होंने इस डेटा का विश्लेषण यह निर्धारित करने के लिए किया कि खाने की अवधि और समय फास्टिंग ब्लड शुगर स्तर और इंसुलिन रेजिस्टेंस से संबंधित थे या नहीं। फास्टिंग ब्लड शुगर स्तर इंटरवल समूहों के खाने के बीच बहुत अलग नहीं था। खाने के कम इंटरवल अवधि के साथ इंसुलिन रेजिस्टेंस अधिक था, लेकिन 8:30 बजे सुबह से पहले खाने के शुरुआती समय के साथ सभी समूहों में कम था। मरियम ने अंततः कहा, “ये खोज सुझाव देते हैं कि समय, अवधि की बजाय मेटाबॉलिक उपाय से अधिक संबंधित है, और जल्दी खाने की स्ट्रेटेजीज को समर्थित करता है। - भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव आम बात है। कई बार लोग छोटी-छोटी चीजों को लेकर दिमाग पर ज्यादा प्रेशर महसूस करने लगते हैं। हर काम सोच पर निर्भर हो गया है। ऐसे में व्यक्ति न तन और न मन से खुद को फिट रख पा रहा है। दिनभर की सोच व चिंता नींद उड़ा रही है जोकि स्वास्थ्य के लिए घातक साबित होने लगी है। इसलिए चिंता व नकारात्मक सोच मुक्त होकर वयस्कों को 6 घंटे व बच्चों को 8 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है। मनोचिकित्सक डॉ. पूनम दहिया के अनुसार सोने से करीब एक घंटा पहले मोबाइल व टीवी से दूरी बना लें। निगेटिव व हॉट टॉक से बचें और हेल्दी टॉक करके नींद जरूर लें।नींद उडऩे के कारण----काम का दबाव।परिस्थितियां विपरीत होना।नकारात्मक सोच व संगत।तनाव से अनिंद्रा।मानसिक रोग।अच्छी नींद लेने के उपाय-----सैर, मेडिटेशन और योग करें।सोने से पहले अच्छी बातें करें।खुशनुमा माहौल में समय बिताएं।सकारात्मक बातें सोचें।मोबाइल और टीवी से दूरी बनाएं।अनिद्रा के दुष्परिणाम------मानसिक रोग होना।गैर संक्रामक शुगर, दिल रोग होना।पूर्व की बीमारियों का शरीर पर दुष्प्रभाव पडऩा।दिनभर चिढ़चिढ़ापन।किसी की बात व माहौल अच्छा न लगना।
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गर्मियों में मट्ठा या छाछ का सेवन लगभग सभी लोग करते हैं। दही को मथ कर तैयार किया गया मट्ठे का स्वाद लोगों को गर्मियों में काफी ज्यादा लुभाता है। मट्ठे में मौजूद पोषक तत्व सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। दूध की तुलना में मट्ठा में काफी कम वसा होता है। यह शरीर के मोटापे को कम करने में असरदार होता है। साथ ही पाचन को दुरुस्त करने में मट्ठा काफी फायदेमंद है। गर्मियों में चाय-कॉफी के बदले मट्ठा का विकल्प काफी बेहतरीन साबित हो सकता है। मट्ठा में गुड बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जो पाचन के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं। साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है, जो कब्ज से पीडि़त रोगियों के लिए फायदेमंद है। लेकिन आपको बता दें कि मट्ठा का सेवन कुछ लोगों और परिस्थितियों में करना नुकसानदेय हो सकता है। आइए जानते हैं किन लोगों के लिए छाछ का सेवन नुकसानदेय है-
इन लोगों को खाली पेट नहीं पीना चाहिए मट्ठा1. सर्दी-जुकाम की समस्यासर्दी-जुकाम से पीडि़त लोगों को खाली पेट मट्ठे के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि मट्ठे की तासीर ठंडी होती है, जिससे इन लोगों की परेशानी काफी ज्यादा बढ़ सकती है। साथ ही इसके कारण बलगम और खांसी जैसी समस्या भी हो सकती है।2. डायरिया और मिचलीडायरिया और उल्टी की शिकायत होने पर खाली पेट मट्ठे के सेवन से बचें। साथ ही अगर मट्ठा का सेवन जरूरत से ज्यादा किया जाए, तो परेशानी बढ़ सकती है।3. हाई कोलेस्ट्रॉल मरीजहाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को भी मट्ठे के सेवन से बचना चाहिए। दरअसल, मट्ठा सैचुरेटेड फैट होता है, जो कुछ गंभीर परिस्थियों में कोलेस्ट्रॉल लेवल को और अधिक बढ़ा सकता है। इसलिए मट्ठा का सेवन करने से पहले कुछ खा जरूर लें।4. बुखार और कमजोरीबुखार और कमजोरी महसूस होने पर मट्ठा का सेवन करने से बचें। बुखार में अगर आप मट्ठा के सवन करते हैं, तो इससे आपके शरीर का तामपान बढ़ सकता है। साथ ही आपको सर्दी-जुकाम जैसी परेशानी हो सकती है।5. स्किन एलर्जीस्किन एलर्जी से शिकार लोगों को भी खाली पेट मट्ठे के सेवन से बचना चाहिए। एक्जिमा रोगी अगर मट्ठे का सेवन करते हैं, तो इससे उनकी परेशानी बढ़ सकती है। इसलिए ऐसे मरीजों को मट्ठे या छाछ के सेवन से बचना चाहिए।6. किडनी की परेशानीकिडनी रोगियों को भी छाछ का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे गुर्दे की परेशानी बढ़ सकती है। खाली पेट मट्ठा पीने से किडनी की समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है। इसलिए मट्ठा का सेवन हमेशा दोपहर में ही करें।7. गैस की परेशानीगैस की समस्या के शिकार लोगों को भी खाली पेट मट्ठे के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूद फैट पेट को और अधिक भारी कर सकता है। जिससे गैस की परेशानी और अधिक बढ़ सकती है। इसलिए गैस्टिक रोगियों को खाली पेट मट्ठे के सेवन से बचना चाहिए। - वजन घटाने से लेकर स्किन केयर रुटीन फॉलो करने वाले लोग पपीता का सेवन करते हैं। पपीते में मौजूद पोषक तत्व वजन को कम करने के साथ-साथ पाचन को दुरुस्त करने में लाभकारी मानें जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जरूरत से ज्यादा पपीता का सेवन करना भी नुकसानदेय हो सकता है? जी हां, किसी भी चीज का जरूरत से ज्यादा सेवन करना सेहत के लिए हमेशा नुकसानदेय ही रहा है। पपीता भी ऐसी ही चीजों में शामिल है। यह कई पोषक तत्वों से भरपूर है, लेकिन अगर आप अति से ज्यादा इसका सेवन करते हैं, तो यह फायदा पहुंचाने के बजाय आपको नुकसान पहुंचाने लगता है। इसलिए हमेशा सीमित मात्रा में ही पपीता का सेवन करें। चलिए जानते हैं कि जरूरत से ज्यादा पपीता का सेवन करने से सेहत को क्या नुकसान होते हैं।1. स्किन के लिए है हानिकारकपपीता स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इसमें पपैन नामक एंजाइम मौजूद होता है, जिसका अधिकतर इस्तेमाल स्किन केयर क्रीम को बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन यह एंजाइम सभी टाइप के स्किन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसे में अगर किसी को इस एंजाइम से एलर्जी है, तो उनके स्किन पर रैशेज और जलन की शिकायत हो सकती है। इसलिए पपीता का सेवन सीमित मात्रा में ही करना आपके स्किन के लिए बेहतर होता है।2. बढ़ा सकती है रेस्पिरेटरी एलर्जीपपीता में मौजूद पपैन नामक एंजाइम एक शक्तिशाली एलर्जीन है। अगर आपको किसी तरह की श्वास संबंधी समस्या है। उदाहरण के लिए अस्थमा, एलर्जी तो इसका सेवन सावधानी पूर्वक करें। अगर आप काफी ज्यादा पपीता खाते हैं, तो आपकी परेशानी बढ़ सकती है। अधिक पपीता खाने से अस्थमा, घबराहट और सांस लेने में परेशानी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।3. हार्ट बीट कर सकता है धीमादिल से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित लोगों को पपीते के अधिक सेवन से बचना चाहिए। अधिक पपीते के सेवन से आपके दिल की धड़कनों की दर अनिश्चित रूप से कम होती है। इसके साथ ही यह दिल से जुड़ी परेशानियों को बढ़ा सकती हैं। ऐसे में अगर आपको हृदय से जुड़ी कोई परेशानी हैं, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।4. बढ़ सकती है पेट की समस्याअति से ज्यादा पपीते का सेवन करने से हमारा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम प्रभावित होता है। इसके कारण पेट में गैस, जलन जैसी समस्या बढ़ सकती हैं। दरअसल, पपीते में फाइबर की अधिकता होती है। अधिक फाइबर का सेवन पाचन को प्रभावित करता है। जिसके कारण कब्ज, एसिडिटी और दस्त की शिकायतें हो सकती है।5. गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदेयगर्भवती महिलाओं को पपीता का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि पपीता का सेवन करने से गर्भवती के भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है। दरअसल, पपीते में लेटेक्स की अधिकता होती है, जिसके कारण गर्भाशय सिकुडऩे की संभावना होती है। इसके अलावा इसमें मौजूद पपैन भ्रूण के विकास की झिल्ली को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को पपीता का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।6. लो ब्लड शुगरहाई ब्लड शुगर रोगियों के लिए पपीता का सेवन फायदेमंद हो सकता है। लेकिन लो ब्लड शुगर रोगियों के लिए पपीता का अधिक सेवन नुकसानदेय माना जाता है। वहीं, अगर आप ब्लड शुगर की दवा ले रहे हैं, तो डॉक्टर से पूछ कर ही पपीता का सेवन करें।ध्यान रहे कि पपीता आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इसलिए इसका सेवन करें। लेकिन सीमित मात्रा में। वहीं, अगर आपको पपीता खाने के बाद किसी तरह परेशानी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- पुणे। महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में फल उगाने वाले किसान एक नई पहल करते हुए बेकरी में बने केक की जगह फल से तैयार किए गए केक के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं।किसानों और कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि इस 'स्वत:स्फूर्त प्रयास को सोशल मीडिया पर भी लोकप्रियता मिल रही है और इसका उद्देश्य किसानों और उनके परिवारों के खान-पान में फल के सेवन को बढ़ावा देना और कोविड-19 महामारी के इस दौर में उत्पाद बेचने का नया तरीका खोजना है। किसान, उनके परिवार और कृषक समाज से जुड़े विभिन्न संगठन स्थानीय स्तर पर उगाए जाने वाले फलों जैसे कि तरबूज, खरबूज, अंगूर, नारंगी, अनानास और केले से बने केक का इस्तेमाल विशेष आयोजनों में करने को बढ़ावा दे रहे हैं।पुणे के कृषि विश्लेषक दीपक चव्हाण ने बताया कि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में फल की उपज बढ़ी है और बाजार में मांग से ज्यादा यह उपलब्ध हैं, जिसके कारण इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है। उन्होंने बताया कि किसानों को कोरोना महामारी और लॉकडाउन से नुकसान पहुंचा है और अब मांग से ज्यादा आपूर्ति की वजह से उनकी उपज को व्यापारी कम कीमत पर खरीद रहे हैं। चव्हाण ने बताया कि इस तरह की दिक्कतों से निपटने के लिए किसानों ने सोशल मीडिया पर एक पहल शुरू की। इसके तहत जन्मदिन, सालगिरह समेत अन्य मौकों पर फल से बने केक का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा '' ऐसा प्राय: देखा जाता है कि फल उगाने वाले और उनके परिवार के सदस्य पर्याप्त मात्रा में फल नहीं खाते हैं। इस पहल की वजह से वह ऐसा कर पा रहे हैं और फल वाला केक, बेकरी में बने केक से बेहतर होता है क्योंकि इसमें पोषक तत्व ज्यादा मात्रा में होते हैं।'
- होली आने के लिए अब बस कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में लोगों ने घरों में अभी से रंगों के इस त्योहार का मजा डबल करने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। होली के दिन भांग का सेवन जरूर किया जाता है। लोग भांग के पकौड़ों से लेकर ठंडाई तक में इसका इस्तेमाल जरूर करते हैं। लेकिन इस होली त्योहार का मजा दोगुना करने के लिए ट्राई करें भांग की यह स्पेश्ल और अलग रेसिपी, भांग की बर्फी। आइए जानते हैं कैसे बनाई जाती है यह खास रेसिपी।भांग की बर्फी बनाने के लिए सामग्री--1 कप मावा-1/2 कप बादाम पाउडर-1/2 कप भांग-1 कप चीनी-4-5 चम्मच घी-थोड़ा सा पानी-बारीक कटे ड्राईफ्रूट्सभांग की बर्फी बनाने का तरीका-भांग की बर्फी बनाने के लिए सबसे पहले आपको एक मोटे तले की कढ़ाई में मावा और थोड़ा सा पानी डालकर इसे भूनना है।अब जब मावा पिघलने लगे और इसका जरा रंग बदल जाए और खुशबू आए तो आंच धीमी कर दें। इसके बाद इसमें अन्य सामग्री (बादाम पाउडर, घी, भांग) डालें। जब ये सब अच्छे से भुन जाए तो आखिर में शक्कर डालें और इसे तब तक पकाएं जब तक ये गाढ़ा न हो जाए।अब आखिर में 1 गहरी प्लेट में घी लगाकर इसे उसमें फैलाएं। इसे ठंडा होकर सेट होने दें और इसपर कटे हुए ड्राईफ्रूट्स डालें। अब आपकी बर्फी सर्व करने को तैयार है।
- आप भी यदि बढ़ते वजन से परेशान हैं तो यह खबर आपके काम आ सकती है। अगर आप भी पेट की चर्ची को खत्म कर एक अच्छा बॉडी लुक चाहते हैं तो आपको अपनी डाइट में मेटाबोलिज्म को बढ़ाने वाले ड्रिंक्स शामिल करने चाहिए। इन ड्रिंक्स का सोने से पहले सेवन करने पर पेट की चर्बी तेजी से घटने लगती है।इन चीजों का करें सेवन1 अदरक की चाय का करें सेवनअदरक वाली चाय का सेवन करने से आप पेट की चर्बी कम कर सकते हैं। यह वजन घटाने में बेहद फायदेमंद है। रात को खाना खाने के बाद आप अदरक की चाय जरूर पीयें। इससे पेट में सूजन या भारीपन की समस्या से राहत मिलेगी। इसके अलावा अदरक पेट से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है और पाचन को बेहतर बनाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है और वजन घटाने में भी मददगार है।2 कैमोमाइल चाय चर्बी घटाने में मददगारकैमोमाइल चाय शरीर में ग्लाइसिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है, जो एक तरह का न्यूरोट्रांसमीटर है, जो आपकी नसों को आराम देता है और आपको नींद का अहसास कराता है। एक शोध के अनुसार कैमोमाइल चाय ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती है और वजन घटाने को बढ़ावा देती है। इसके अलावा कैमोमाइल टी पीने से शरीर की पाचन क्षमता में भी सुधार होता है।3. दालचीनी की चाय का सेवन करेंवैसे तो दालचीनी के कई स्वास्थ्य लाभ हैं. यह भारतीय रसोई में एक जरूरी घटक है। यह आमतौर पर अपने चयापचय बढ़ाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट और एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो इसे एक संपूर्ण डिटॉक्स ड्रिंक बनाता है। यह शरीर की वसा जलाने में भी मदद करता है और वजन घटाने में भी यह मददगार है। मोटे लोगों को डॉक्टर भी दालचीनी की चाय पीने की सलाह देते हैं।4. हल्दी वाले दूध का सेवन करेंवजन घटाने में हल्दी वाला दूध भी मदद करता है। वैसे तो इसका सेवन करने से सर्दी, खांसी और अन्य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह वजन घटाने और पाचन में सुधार करने में भी आपकी मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि हल्दी एंटीऑक्सिडेंट के साथ भरी हुई है, जो शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल सकती है। इसमें कैल्शियम और प्रोटीन भी होता है, जो अच्छी नींद और वजन घटाने को बढ़ावा देता है।5. मेथीदाने का पानीवजन कम करने के लिए मेथी भी कारगर होती है। भीगी हुई मेथी के दाने ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए बहुत अच्छे हैं। आमतौर पर इसका सेवन सुबह के समय में किया जाता है ,लेकिन रात में भी इसका सेवन किया जा सकता है। इसके बीज शरीर में गर्मी पैदा करते हैं और वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट रात को सोने से पहले वजन कम करने के लिए मेथीदाने का पानी पीने की सलाह देते हैं।
- कई लोगों को अक्सर ये शिकायत होती है कि उन्हें भूख नहीं लगती है। भूख न लगने की समस्या बढ़ती उम्र के बच्चों में ज्यादा देखी गई है, वे अपने कामकाज मे इतना ज्यादा व्यस्त हो जाते हैं कि खाना खाना भूल ही जाते हैं। इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में भूख बढ़ाने के लिए हम तरह-तरह की दवाइयों का सहारा लेते हैं, जो भूख को इंस्टेंट तो बढ़ाती है, लेकिन इससे स्वास्थ्य पर विपरित असर पड़ता है। इसलिए इन दवाइयों का सहारा लेने के बजाय घरेलू उपायों से भूख को बढ़ाएं।1. धनिया की पत्तियों से बढ़ाएं भूखधनिया के बीज का इस्तेमाल करके भूख को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए धनिया के बीजों को रातभर पानी में भिगोने के लिए छोड़ दें। इसके बाद सुबह इसे धो लें। अब इसे धूप मेंं सुखाएं। इसके बाद इसे भून लें। भूने हुए धनिया में काली मिर्च, नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर इसे थोड़ी देर के लिए चबाएं। इसे चबाने से भूख कंट्रोल होगी।2. धनियां की पत्तियों से बढ़ाएं भूखधनिये की पत्तियों से तैयार काढ़े का सेवन कर आप अपने भूख को बढ़ा सकते हैं। इस काढ़े से आपकी आंतों का रोग ठीक होता है। इस काढ़े से पित्त दोष के साथ-साथ विकास जैसी परेशानी दूर होती है। साथ ही गले में होने वाली जलन और उल्टी की समस्या से राहत मिलता है। इस काढ़े को तैयार करने के लिए सबसे पहले 1 बर्तन में 2 गिलास पानी डालें। इसमें धनियां की कुछ पत्तियों को डालें। अब इस पानी को तब तक उबालें जब तक पानी आधा ना रह जाए। इसके बाद पानी को एक कप में छान लें। अब आप इसमें काली मिर्च पाउडर और अजवाइन पाउडर मिलाकर पिएं। इससे आपकी भूख बढ़ेगी।3. धनिया काढ़ा, चीनी और दूधधनिया से तैयार काढ़े में दूध और चीनी को मिक्स करके भी भूख को बढ़ा सकते हैं। इस काढ़े को पीने से पाचन तंत्र दुरुस्त होता है। आपकी पाचन शक्ति बढ़ती है। साथ ही इससे आपका भूख भी बढ़ता है।4. धनिया और सौंठ चूर्णधनिया, लौंग और सौंठ से तैयार चूर्ण का सेवन कर पाचन क्रिया को दुरुस्त किया जा सकता है। पाचन क्रिया दुरुस्त होने से भूख लगती है। इस चूर्ण को तैयार करने के लिए धनिया, लौंग और सौंठ को बराबर मात्रा में ले लें। अब इसे अच्छे से पीस लें। इसके बाद सुबह-शाम 2-2 ग्राम गर्म पानी के साथ इसका सेवन करें।5. अजवाइन का पानीअजवाइन के पानी का सेवन करके भी भूख बढ़ती है। इसके लिए 1 गिलास पानी लें। इस पानी को गुनगुना करें। इसमें 1 चम्मच अजवाइन डालें। 1 सप्ताह लगातार इस पानी का सेवन करने से भूख बढ़ेगी। साथ ही पाचन भी दुरुस्त होगा।6. आंवला जूस से बढ़ाएं भूखआंवला ना सिर्फ पाचन को दुरुस्त करने में मददगार होता है, बल्कि इसके सेवन से भूख भी बढ़ती है। इसके लिए बाजार से लाए आंवले के जूस में 20 से 30 मिली आंवले के रस में 1 कप पानी मिक्स करके पीना है। नियमित रूप से सुबह इस पानी का सेवन करने से ना सिर्फ भूख बढ़ेगी, बल्कि इससे आपका वजन भी घटेगा। साथ ही इम्यूनिटी पावर को बूस्ट करने में भी आंवले का जूस कारगर होता है।
- फिटनेस पाने के लिए लोग क्या-क्या जतन करते हैं। कई सर्वे के अनुसार आप शरीर पर चर्बी होने के कारण कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। ऐसे में आपको बैली फैट कम करने के साथ फिट रहने की कोशिश करनी चाहिए। खुद को फिट रखने में ब्रेकफॉस्ट का भी अहम रोल होता है, ऐसे में आपको अगर हमेशा स्लिम ट्रिम रहना है, तो ऐसी 5 चीजें हैं, जो आपको नाश्ते में बिल्कुल नहीं खानी चाहिए-वाइट ब्रेडब्रेड ज्यादातर भारतीय घरों में खाई जाती है लेकिन आपको बता दें कि ब्रेड का ज्यादा सेवन करना न सिर्फ आपकी सेहत को नुकसान पहुंचाता है बल्कि इससे आपका वजन भी बढ़ता है। ऐसे में कोशिश करें कि वाइट की जगह ब्राउन ब्रेड का सेवन करे।प्रोसेस्ड फूड (Processed foods)ऐसे खाद्य पदार्थों को कई बार पकने की क्रिया से गुजरना पड़ता है। साथ ही तेल, मसाले, घी होने की वजह से ये सेहत के लिए भी अच्छे नहीं होते। आपको चिप्स, पॉपकॉर्न, ड्राई फ्रूट्स, स्नैक्स आदि से दूर रहना चाहिए।केक, कुकीजकेक और कुकीज में मैदे के अलावा घी और क्रीम का इस्तेमाल होता है, जो आपकी फिटनेस के हिसाब से बिल्कुल भी सही नहीं है इसलिए आपको नाश्ते में इन चीजों को नहीं खाना चाहिए।नूडल्सनूडल्स खाने में तो बहुत अच्छे लगते हैं लेकिन इसे हेल्दी ब्रेकफॉस्ट नहीं माना जा सकता है, इसी वजह से आपको नूडल्स नाश्ते में बिल्कुल नहीं खाने चाहिए।फ्रूट जूसआपको कोशिश करनी चाहिए कि मार्केट में उपलब्ध फ्रूट जूस बिल्कुल न पिएं बल्कि आप घर में ही फलों का जूस निकालकर पी सकते हैं। आपके पास अगर जूस की जगह फल खाने का समय है, तो नाश्ते के लिए सबसे बेहतरीन रहेगा।पकौड़े-कचौड़ीसुबह-सुबह तली चीजें खाना बिल्कुल भी सही नहीं है। आप पकौड़े और कचौड़ी जैसी तली हुई चीजें सुबह नहीं खाएंगे, तो आपकी सेहत के लिए अच्छा रहेगा।
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रक्तचाप बढ़ने के डर से एकदम फीका खाना खाते हैं? अगर हां तो संभल जाइए। नमक के सेवन में जरूरत से ज्यादा कटौती संक्रामक रोगों का सबब बन सकती है। लंदन स्थित रॉयल फ्री हॉस्पिटल का हालिया अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक नमक की अति की तरह ही, इसकी कमी भी बुरी है। दरअसल, लंबे समय तक कम मात्रा में नमक खाने से शरीर में ‘इंटरल्यूकिन-17’ का उत्पादन ठप पड़ जाता है। ‘इंटरल्यूकिन-17’ एक तरह की श्वेत रक्त कोशिका है, जो विषाणुओं को पहचानने और उन्हें नष्ट करने में प्रतिरोधक तंत्र की मदद करती है। इसकी कमी से इनसान संक्रामक रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।किडनी रोगियों के लिए घातक--अध्ययन दल में शामिल प्रोफेसर जैक पमबेरटॉन-व्हिटली की मानें तो किडनी रोगियों को चिकित्सकीय सलाह के बगैर खाने में नमक की मात्रा नहीं घटानी चाहिए। खासकर ‘जिटेलमैन सिंड्रोम’ और ‘बार्टर सिंड्रोम’ से जूझ रहे मरीजों को। दरअसल, इन दोनों ही बीमारियों में किडनी से सोडियम छनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। यही वजह है कि इनकी जद में आए मरीजों को बार-बार फंगल और मूत्र संक्रमण से जूझना पड़ता है।डायबिटीज के मरीज भी रहें सतर्क-व्हिटली ने बताया कि डायबिटीज रोगी या फिर थायरॉयड और डिप्रेशन के इलाज में कारगर दवाएं खाने वाले मरीजों को बार-बार पेशाब लगने की शिकायत सता सकती है। इससे उनके शरीर में सोडियम का स्तर घटने का जोखिम रहता है। सोडियम की कमी चक्कर, कमजोरी, सुस्ती, थकान और भ्रम की शिकायत को जन्म दे सकती है। अध्ययन के नतीजे ‘जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।शरीर को कितनी जरूरत--स्वस्थ वयस्कों को रोजाना 2300 मिलीग्राम अधिकतम सोडियम का सेवन करना चाहिए-अमेरिकी सीडीसी के मुताबिक 3400 मिलीग्राम से ज्यादा सोडियम खा रहे औसत वयस्कये तीन खतरे भी मौजूद-1.सोडियम की मात्रा में अत्यधिक कमी इंसुलिन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने का सबब बन सकती है, जिससे ब्लड शुगर बढ़ने लगता है।2.शरीर के विभिन्न अंगों में खून की आपूर्ति करने के लिए हृदय को सोडियम की जरूरत पड़ती है, इसकी कमी से हार्ट फेल होने का खतरा रहता है।3.विभिन्न अध्ययनों में देखा गया है कि सोडियम का स्तर घटने से बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड का स्तर बढ़ता है, जो दिल के लिए घातक है। - चलते-चलते लड़खड़ाना, बैलेंस न बना पाना जैसे लक्षण पार्किंसन्स डिजीज में दिखते हैं। नई रिसर्च कहती है, तिल की मदद से बुजुर्गों में होने वाली इस बीमारी का खतरा घटाया जा सकता है। यह दावा जापान की ओसाका सिटी यूनिवर्सिटी ने अपनी रिसर्च में किया है। जापानी शोधकर्ताओं के मुताबिक, तिल में मौजूद केमिकल्स शरीर में न्यूरॉन को डैमेज होने से रोकते हैं। साथ ही डोपामाइन हार्मोन की मात्रा कम होने से भी रोकते हैं।तिल की वो खासियत जो बीमारी का खतरा घटाती हैरिसर्च के मुताबिक, तिल में सिसेमिनॉल नाम का केमिकल काफी मात्रा में पाया है। रिसर्च में साबित हुआ है कि यह शरीर की कोशिकाओं को डैमेज होने से रोकता है। ब्रेन में मौजूद नर्व कोशिकाएं ही इंसान के उठने-बैठने और चलने-फिरने के मूवमेंट को कंट्रोल करती हैं। पार्किंसंस डिजीज होने पर यही नर्व कोशिकाएं डैमेज होकर खत्म होने लगती हैं। ऐसे में तिल में मौजूद केमिकल इन्हें डैमेज होने से रोकने की कोशिश करते हैं।क्या होती है पार्किंसंस डिजीजपार्किंसंस डिजीज एक मानसिक रोग है। इसमें इंसान को चलने में परेशानी होना, शरीर में कंपन, अकड़न के साथ शरीर को बैलेंस बनाने में मुश्किल होती है। मरीज के बोलने पर जुबान लड़खड़ाती है, लिखने पर हाथ कांपते हैं। धीरे-धीरे शरीर के काम करने की क्षमता घट जाती है। अब तक इसका सटीक इलाज नहीं खोजा जा सका है। दवाइओं के जरिए लक्षणों को घटाने की कोशिश की जाती है।ऐसे हुई रिसर्चवैज्ञानिकों ने चूहों पर रिसर्च की। उन्हें तिल के दाने खिलाए। 36 दिन तक चूहों पर इसका असर देखा। रिपोर्ट में सामने आया कि इसका असर डोपामाइन हार्मोन और ब्रेन में मौजूद न्यूरॉन पर पड़ा। चूहों में पार्किंसंस डिजीज से जुड़े लक्षणों में कमी आई। चूहों पर टेस्ट के बाद जापानी वैज्ञानिक क्लीनिकल ट्रायल करने की तैयारी कर रहे हैं।डाइटीशियन सुरभि पारीक कहती हैं, तिल ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में भी मदद करता है।तिल के 3 बड़े फायदेइसमें फायबर, प्रोटीन, विटामिन-बी, मैग्नीशियम और ओमेगा-3 फैट के अलावा लिगनेंस काफी मात्रा में पाया जाता है। लिगनेंस ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करता है।एक रिसर्च के मुताबिक, 50 ग्राम तिल रोजाना लेते हैं तो बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर घटाया जा सकता है। आर्थराइटिस से जूझ रहे हैं तो डाइट में तिल को जरूर शामिल करें, यह दर्द को कम करेगा।तिल को रोस्ट करके खा सकते हैं। इसे सलाद में मिला सकते हैं और लड्डू बनाकर भी खा सकते हैं। गुड़ और तिल की चिक्की काफी टेस्टी होती है। इसे घर पर भी तैयार कर सकते हैं।
- सहजन एक ऐसा पेड़ है, जिसके फल, फूल और पत्तियां तीनों का ही इस्तेमाल किया जाता है. भारत के ज्यादातर घरों में सहजन के फूलों और फलों को सब्जियों के रूप में उपयोग किया जाता है. वहीं, दूसरी ओर इसकी पत्तियां घरेलू उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं. इस पेड़ का हर एक भाग औषधिय वनस्पति के रूप में जाना जाता है. कहा जाता है कि सहजन करीब 300 बीमारियों में लाभदायक है. यही वजह है कि इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है.सहजन में विटामिन C, बीटा कैरोटीन, प्रोटीन, लवण, मैगनीज, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. जिसके कारण यह शरीर के विकास के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है.सहजन के सेवन से होने वाले फायदे:-1. इम्यून सिस्टम करे मजबूतसहजन के रोजाना सेवन से शरीर की इम्यूनिटी पावर बढ़ती है, जिससे बीमारियां आपसे दूर रहेंगी. दरअसल, इसमें मौजूद विटामिन सी इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करता है.2. त्वचा से जुड़ी समस्याअगर आपको भी त्वचा से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा चाहिए, तो आप इसका रोजाना सेवन करना शुरू कर दें. इससे त्वचा में निखार आता है. साथ ही साथ लंबे समय तक त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद मिलती है.3. सर्दी-खांसीसहजन सर्दी-खांसी की समस्या से निजात दिलाने में बेहद असरदार है. इसके लिए सहजन को पानी में उबालकर उसका भाप लें. इससे बंद नाक खुलती है और सीने की जकड़न भी दूर हो जाती है.4. वैवाहिक जीवन बनाये खुशहालसहजन में वैवाहिक जीवन और सेक्स से जुड़ी सभी समस्याओं का कारगर समाधान छुपा हुआ है. सहजन का सेवन महिलाओं और पुरुषों के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है. इसके नियमित सेवन से सेक्स लाइफ की परेशानियां दूर होती हैं. इसलिए सुखी वैवाहिक जीवन के लिए इसका सेवन जरूर करना चाहिए. सहजन की छाल में पाये जाने वाले यौगिक स्पर्म की संख्या बढ़ाने में मदद करते हैं.5. पीरियड्स में लाभदायकसभी महिलाओं को सहजन का सेवन जरूर करना चाहिए. इसका रोजाना सेवन से महिलाओं को पीरियड्स से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं. इसके अलावा गर्भाशय की दिक्कतों से भी निजात मिलती है.6. प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए लाभदायकप्रेग्नेंट महिलाओं को सहजन का सेवन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि प्रेग्नेंसी के दौरान इसका सेवन करने से महिला और उसके होने बाले बच्चे की सेहत अच्छी होती है. इसके अलावा बच्चे के जन्म के समय होने वाली परेशानियों से भी बचाता है.
- वसंत के मौसम में पलाश के फूल अपनी छटा जमकर बिखेरते हैं। पहले तो इन फूलों का इस्तेमाल होली खेलने के लिए रंग तैयार करने में भी किया जाता था । पलाश जिसे 'फ्लेम ऑफ द फॉरेस्टÓ भी कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार एक सफल और बेहद गुणकारी फूल है। मूल रूप से भारत में पाया जाने वाले पलाश के फूल औषधि के रूप में भी प्रयोग में लाये जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, पलाश का फूल वात और कफ दोष को संतुलित करता है और शरीर को गर्म रखने में भी फायदेमंद माना जाता है।आयुर्वेद में पलाश के फूल का महत्वआयुर्वेद के मुताबिक पलाश के फूलों का उपयोग औषधि के रूप में हजारों सालों से किया जाता है। पलाश में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो तमाम समस्याओं में शरीर को फायदा देते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में व्यापक तौर पर किया जाता है। पलाश में फूलों में ग्लूकोसाइड, ब्यूट्रिन, आइसोब्यूट्रिन जैसे रासायनिक तत्व शामिल होते हैं। इनमें एंटीहेल्मिंटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी माइक्रोबियल, एंटी-डायबिटिक, मूत्रवर्धक, एनाल्जेसिक, एंटीट्यूमर गुण भी पाए जाते हैं। आयुर्वेद में पलाश के फूलों का इस्तेमाल पेट की समस्याओं से लेकर सूजन आदि में किया जाता है। पलाश के फूलों से आयुर्वेदिक टॉनिक भी बनाई जाती है। पलाश के फूलों के अलावा इनके पत्ते, छाल और बीज का भी उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में होता है। पलाश के पत्तों का पाउडर ग्लूकोज़ के मेटाबोलिज्म को संतुलित रखने में बेहद फायदेमंद माना जाता है। इससे ब्लड शुगर को भी नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा पलाश के पत्तों का उपयोग एंटीसेप्टिक के रूप में भी किया जाता है। एंटिफंगल और रोगाणुरोधी गुणों से युक्त पलाश का काढ़ा पीने से प्राइवेट पाट्र्स के इन्फेक्शन और पेशाब से जुड़ी समस्याओं में भी फायदा मिलता है।पलाश के प्रमुख फायदेवैसे तो पलाश को आयुर्वेद में चमत्कारिक औषधि के रूप में जाना जाता है और इसके फूल, पत्तों, बीज और छाल का उपयोग तमाम औषधीय गुणों के कारण किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार,पलाश वात और पित्त को संतुलित करता है। यह आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथिक दवा के निर्माण में भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। पलाश में प्रमुख रूप से माइक्रोबियल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, हाइपोग्लाइसेमिक, कसैले, और मूत्रवर्धक गुण होते हैं। पलाश के अनेक स्वास्थ्य लाभ होते हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में।मोतियाबिंद में पलाश का उपयोगपलाश के फूलों का उपयोग मोतियाबिंद के इलाज के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में वैद्य इसका इस्तेमाल मोतियाबिंद के इलाज में करते हैं। पलाश के फूलों का रस और बीज के पेस्ट को मिलाकर आंखों में काजल की तरह से लगाने से मोतियाबिंद की समस्या में फायदा मिलता है।पेट के कीड़ों के लिए पलाश का उपयोगपलाश के फूलो का उपयोग पेट के कीड़ों को दूर करने के लिए किया जाता है। पलाश के फूलों में कीटाणुरोधी गुण होते हैं जो पेट के कीड़ों को दूर करने में फायदेमंद होते हैं। इनका आयुर्वेदिक तरीके से सेवन पेट की अन्य समस्याओं में फायदेमंद माना जाता है।डायबिटीज में पलाश के फूलों का उपयोगडायबिटीज जैसी समस्या में भी पलाश के फूल बेहद लाभकारी माने जाते हैं। आयुर्वेद में डायबिटीज के लिए पलाश के फूलों के सेवन के कई तरीके बताये गए हैं। पलाश के फूलों में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने की क्षमता होती है जो डायबिटीज के रोगियों को इस बीमारी से लडऩे में मदद करता है।मूत्र रोग में पलाश के फूलों का उपयोगपलाश के फूलों का उपयोग मूत्र संबंधी रोगों में भी किया जाता है। आयुर्वेद में इसे मूत्रवर्धक माना जाता है, पलाश के फूलों का रस पेशाब की वृद्धि, मूत्राशय की सूजन और अन्य मूत्र रोगों में फायदेमंद होता है।एनीमिया की समस्या में पलाश का उपयोगपलाश के फूलों का आयुर्वेदिक तरीके से उपयोग बच्चों में एनीमिया की समस्या में बेहद फायदेमंद होता है। बच्चों में एनीमिया होने पर पलाश के फूलों का उपयोग कर सकते हैं इसके लिए सबसे पहले पलाश के फूलों को एक सूती कपड़े में भिगोकर रखें। इसका रंग लाल हो जाने पर इसे बच्चे के शरीर पर लपेटें। आयुर्वेद के मुताबिक ऐसा करने से बच्चों में एनीमिया की समस्या में फायदा होता है।सूजन की समस्या में पलाश के फूलों का उपयोगपलाश के फूलों का सूजन जैसी समस्या में भी उपयोग किया जाता है। पलाश के फूलों में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण शरीर में सूजन, चोट और मोच की समस्या में फायदेमंद होते हैं। पलाश के फूलों को साफ कर इसे पीस कर पेस्ट बना लें, सूजन वाली जगह पर इसके पेस्ट को लगाने से सूजन कम हो जाएगी। आयुर्वेद में इस पेस्ट का इस्तेमाल मोच में भी किया जाता है।गुर्दे की पथरी और दर्द में पलाश का उपयोगपलाश के फूलों का उपयोग गुर्दे की पथरी और दर्द में भी किया जाता हैइसके अलावा पलाश का इस्तेमाल कई अन्य तरीके से भी किया जाता है। पलाश के पत्तों का उपयोग फोड़े, फुंसी, त्वचा के अल्सर, सूजन, रक्तस्राव और बवासीर से छुटकारा दिलाता है। पलाश के फूल एंटीडायरियल, एंटी कैंसर, हेपाटो प्रोटेक्टिव, एंटी ऑक्सीडेटिव, एक्सपेक्टोरेंट, मूत्रवर्धक, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी गोनोरियल, टॉनिक, कामोद्दीपक गुणों से युक्त होते हैं। इनका इस्तेमाल कई अन्य बीमारियों के उपचार के लिए आयुर्वेद में किया जाता है। पलाश के बीज, छाल, जड़ और गोंद भी कई तरीके से इस्तेमाल किये जाते हैं। इसका किसी भी प्रकार से घरेलू इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट या चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
- पानीपुरी यानी गोलगप्पों का स्वाद हम सभी को पसंद है. पानीपुरी देश का सबसे पसंदीदा स्ट्रीट स्नैक्स में से एक है. लेकिन कई लोग अपने सख्त डाइट प्लान के कारण पानीपुरी को खाने से परहेज करते हैं. अगर हम कहें कि पानीपुरी खाने से आपका वजन घटेगा तो शायद आप चौंक जाएंगे. लेकिन यह सच है. दरअसल, शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में गोलगप्पे बहुत मदद करते हैं.मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए गोलगप्पा एक हेल्दी ऑप्शन हो सकता है. अगर आप डाइट पर हैं और जल्दी वजन कम करना चाहते हैं तो 6 गोलगप्पों की सिर्फ एक प्लेट आपका वजन कम करने में मदद कर सकती है. आपको तो पता ही होगा कि गोलगप्पे का पानी काफी चटपटा और तेज होता है, जिसे खाने के बाद घंटो तक भूख नहीं लगती है. इसकी वजह से आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है.घर के बने गोलगप्पे ही खाएंबहुत सारे डाइटीशियन सुझाव देते हैं कि पानीपुरी वजन कम करने में केवल तभी मदद करता है जब आप घर पर तैयार किए गए पदार्थों का सेवन करें. घर पर आप गेहूं की पूरियां तैयार कर सकते हैं और उन्हें कम तेल में पका सकते हैं, इसके साथ आप मीठे पानी की जगह जीरा या जलजीरा पानी का उपयोग कर सकते हैं.गोलगप्पे के पानी के कई फायदेघर पर तैयार गोलगप्पा पानी के कई फायदे हैं. यदि आप पुदीना, जीरा और हींग से पानी तैयार करते हैं तो यह आपके पाचन के लिए बेहतर होगा. इसमें आप धनिया पत्ती का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो शरीर में सूजन रोकता है. हींग महिलाओं के पीरियड्स के दर्द को कम करता है. जीरा पाचन में मदद करता है. गोलगप्पे के पानी में बहुत सारे पाचन के गुण होते हैं.गोलगप्पे खाने से पहले इन बातों का भी रखें ध्यानगोलगप्पे में मीठी चटनी खाने से बचें क्योंकि आपके मोटापे के लिए मीठा बहुत हद तक जिम्मेदार होता है. यदि आप डाइट प्लान पर हैं तो शुगर बिल्कुल न लें या शुगर फ्री का इस्तेमाल करें. गोलगप्पे में मीठे पानी के बजाय खट्टा या पुदीना पानी डालकर खाने की कोशिश करें. इसमें हींग, अजवाइन और जीरा का भी प्रयोग करें. सूजी से बने गोलगप्पों से परहेज करने की कोशिश करें और आटे के गोलगप्पे खाएं.
- खान-पान पर ध्यान देने और घंटों जिम में पसीना बहाने के बावजूद भी अगर आप अपनी निकली हुई तोंद से छुटकारा नहीं पा पा रहे हैं तो अपने दिन भर के रूटीन को एक बार जरूर चेक करें। कहीं आपकी परेशानी की वजह सुबह अनजाने में की गई कुछ कॉमन गलतियां तो नहीं? जी हां कई बार सुबह की कुछ गलत आदतों की वजह से व्यक्ति का एक्सरसाइज करने के बाद भी वजन कम नहीं होता है। आइए जानते हैं आखिर क्या हैं वो गलतियां।सुबह उठते ही पानी न पीना-सुबह उठते ही एक गिलास पानी पीने की आदत व्यक्ति के मेटाबॉलिज्म पर गहरा असर डाल सकती है। दिन की हेल्दी शुरुआत हमेशा सुबह गर्म पानी के साथ करें। सुबह 1 से 2 गिलास गर्म पानी पीने से व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म अच्छा बना रहता है। इसके लिए आप चाहे तो गुनगुने पानी में आधा नींबू का रस भी मिला सकते हैं। खाली पेट सुबह नींबू पानी पीने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है।धूप में नहीं बैठने की आदत-सुबह की धूप में कुछ वक्त गुजारने से न सिर्फ व्यक्ति का मेटाबॉलिज्म अच्छा बना रहता बल्कि वजन कम करने में भी मदद मिलती है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों में दर्द और कई तरह की परेशानियां होने लगी हैं। एक स्टडी में पाया गया है कि जिन लोगों में विटामिन डी की कमी पाई जाती है उनका बैली फैट और कमर चौड़ी होती है। जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंडोक्रीनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में छपे एक अध्ययन में बताया गया है कि जिन महिलाओं में विटामिन डी कमी होती है वो ज्यादा मोटी होती हैं।ज्यादा शक्कर वाली चाय -सुबह उठते ही ज्यादा शक्कर वाली चाय या कॉफी पीने से व्यक्ति का हाजमा खराब हो सकता है। इतना ही नहीं आपकी यह आदत आपके वजन कम करने की कोशिश को भी खराब कर देगी। चाय में शक्कर का अधिक इस्तेमाल न सिर्फ वजन बढ़ाता है, बल्कि डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों के लिए जहर से कम भी नहीं होता है।ब्रेकफास्ट न करना-कई बार लोग वजन कम करने के चक्कर में ब्रेकफास्ट करना छोड़ देते हैं लेकिन ऐसा करना सेहत के लिए ठीक नहीं है। याद रखें, दिन का पहला खाना आपके शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है। इसके अलावा रोजाना एक ही तरह का नाश्ता करने से भी व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप नाश्ते में केवल फल खाते हैं और प्रोटीन और फाइबर अपने ब्रेकफास्ट में शामिल नहीं करते तो यह आपके वजन पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। यही वजह है कि वजन कम करने के लिए एक्सपर्ट्स भी हमेशा ऐसा ब्रेकफास्ट करने की सलाह देते हैं जिसमें फाइबर, प्रोटीन और फैट संतुलित मात्रा में हो।अच्छी नींद न लेना-आपको शायद यह पता हो कि नींद की कमी के कारण दिमाग खाने के बारे में ज्यादा सोचता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को फूड क्रेविंग कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है और वह कैलोरी का अधिक सेवन करने लगता है। जिसकी वजह से व्यक्ति का वजन बढ़ जाता है। अच्छी नींद के लिए रोजाना सोने से पहले और उठने के बाद अपना बिस्तर साफ करें। एक शोध में पाया गया है कि जो लोग अपना बिस्तर नियमित रुप से तय करते हैं उन्हें उन लोगों की तुलना में ज्यादा अच्छी नींद आती है जो ऐसा नहीं करते हैं।
- कभी-कभी ऐसा होता है कि हमें बहुत तेज भूख लग जाती है और हम उस वक्त हमें जो भी उपलब्ध होता है, वो खाने लग जाते हैं लेकिन ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक तेज भूख लगने पर कुछ ऐसी चीजें है, जिन्हें नहीं खाना चाहिए।आइए, जानते हैं कौन-सी हैं वो चीजें-अमरुदअमरुद एक ऐसा फल है, जिसे अलग-अलग स्थितियों में खाने पर अलग-अलग परिणाम देखने को मिलते हैं यानी अगर आप सर्दियों में सुबह के वक्त खाली पेट अमरुद खाएंगे, तो आपको पेट दर्द की शिकायत हो सकती है। वहीं, गर्मी में खाली पेट अमरूद खाएंगे, तो यह फायदा देता है। ऐसे में आपको खाली पेट अमरूद नहीं खाना चाहिए।सेबसर्दियों में खाली पेट सेब खाने से बीपी बढ़ सकता है, अगर सुबह सबसे पहले यानी बिना कुछ खाए आप सेब खा लेते हैं, तो इस दिक्कत का सामना आपको करना पड़ सकता है लेकिन गर्मी में आप खाली पेट सेब खा सकते हैं।टमाटरटमाटर की तासीर गर्म होती है। इसे आप सर्दी के मौसम में तो खाली पेट खा सकते हैं लेकिन गर्मी के मौसम में ऐसा करने पर पेट में या सीने में जलन की समस्या हो सकती है। आपको सुबह के समय टमाटर खाने से परहेज करना चाहिए।चाय-कॉफीचाय या कॉफी को खाली पेट पीने से बचना चाहिए।आप चाय या कॉफी को बिस्किट, ब्रेड के साथ ले सकते हैं लेकिन खाली पेट या तेज भूख लगने पर सिर्फ चाय-कॉफी न लें, इससे आपके पेट में गैस बन सकती है।दहीबहुत से लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें दही फायदे की जगह पर हानि पहुंचा देती है।ऐसे में दही को सुबह के समय खाली पेट खाने से बचना चाहिए, वर्ना आपकी सेहत बिगड़ सकती है
- भागदौड़ भरी लाइफ में खुद को फिट रखना थोड़ा मुश्किल होता है. खासकर पुरुष अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पाते हैं. लेकिन बदलती लाइफ स्टाइल में सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है. ऐसे में आपको आपके खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. इसलिए आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका सेवन करना पुरुषों के लिए बेहद फायदेमंद रहता है. हम बात कर रहे हैं गाजर की, क्योंकि गाजर का सेवन करने से पुरुषों को काफी फायदा मिलता है. जिससे न केवल आप सेहतमंद रहते हैं बल्कि कई बीमारियों से भी आपका बचाव होता है.गाजर में कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो शरीर में खून की कमी नहीं होने देती है. खास बात यह है कि आप गाजर को कई तरह से खा सकते हैं, गाजर को सलाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकत है, इसका जूस भी बनाया जा सकता है. जबकि पुरुषों के लिए सुबह-सुबह खाली पेट गाजर का सेवन करना बहुत फायदेमंद माना जाता है.गाजर खाने से नहीं होती खून की कमीअगर आप नियमित गाजर या फिर गाजर के जूस का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर में खून की कमी नहीं होगी, गाजर खून की कमी को दूर करता है. इसलिए शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने के लिए गाजर खाने की सलाह दी जाती है. अगर आप गाजर को कच्ची खाते हैं तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद रहता है.कैंसर जैसी बीमारी से रखता है सुरक्षितआपको जानकर हैरानी होगी कि गाजर का सेवन करने से कैंसर जैसी बीमारी से भी आप सुरक्षित रहते हैं. क्योंकि गाजर में बीटा कैरोटिन औषधीय तत्व पाया जाता है जो कैंसर जैसी बीमारी को रोकने में असरदार माना जाता है. इसलिए गाजर का सेवन करने की सलाह दी जाती है.पुरुष सुबह से करें गाजर का सेवनपुरुष अगर सुबह खाली पेट गाजर का सेवन करते हैं तो यह पुरुषों के लिए बहुत लाभकारी होता है. गाजर या इसका जूस पीने से शरीर में मजबूत बनता है जिससे पुरुष तंदुरुस्त रहते हैं. इसके अलावा गाजर में कैरोटीन नाम का पोषक तत्व पाया जाता है जिससे शरीर में शुक्राणु भी अधिक मात्रा में बनते हैं, इसलिए पुरुषों को गाजर खाने की सलाह दी जाती है.शरीर में कमजोरी नहीं होतीगाजर खाने से शरीर में कमजोरी नहीं होती है. क्योंकि गाजर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन पाया जाता है, जिससे शरीर में कई समस्याओं से निजात मिलती है. इसलिए पुरुषों को गाजर खाने की सलाह दी जाती है, ताकि वे खुद को सेहतमंद रख सके.ब्लड प्रेशर में भी सहायकगाजर में पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, जिससे शरीर में ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती है. इसलिए जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की परेशानी होती है उन्हें डॉक्टर भी गाजर या फिर गाजर का जूस पीने की सलाह देते हैं.अन्य कई बीमारियों में फायदेमंद है गाजरगाजर खाने से शरीर गैस, कब्ज, पीलिया, गाठिया जैसी कई बीमारियों से भी निजात मिलती है. जबकि स्किन के लिए भी गाजर का सेवन करना बहुत फायदेमंद रहता है. आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी गाजर सहायक माना जाता है. क्योंकि गाजर में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में रहता है. इसलिए लोगों को गाजर का सेवन करने की सलाह दी जाती है.
- अब गर्मियां आ रही हैं। ऐसे में त्वचा संबंधी कई परेशानियां बढ़ेंगी। तो वहीं, जिन चेहरे पर मुहांसों की दिक्कत भी बढऩे वाली है। आज हम आपको यहां बता रहे हैं कि आप जैतून के तेल का इस्तेमाल करके कैसे घर पर ही एक्ने की दिक्कत से छुटकारा पा सकते हैं।1. जैतून का तेल और नमक का बनाएं स्क्रबसेंधा नमक चेहरे के पोर्स को भरने में मदद करता है। और जैतून के तेल में चेहरे को चमकाने वाली प्रोपर्टीज होती हैं। इन दोनों का मिश्रण चेहरे से मुहांसों को दूर कर देता है। चेहरे के मुहांसों से निपटने के लिए आप दो चम्मच सेंधा नमक और दो चम्मच जैतून का तेल ले सकते हैं। इस मिश्रण को मिलाकर स्क्रब बना लें। अब इस पेस्ट को चेहरे पर 5 से 7 मिनट के लिए रख सकते हैं। इसे आप हफ्ते में दो बार लगा सकते हैं।2. जैतून का तेल और बेकिंग सोडा का मिश्रण बनाएंबेकिंग सोडा में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो एक्ने की समस्या से निजात दिलाते हैं। जैतून का तेल और बेकिंग सोडा का मिश्रण बनाने के लिए एक चम्मच जैतून का तेल, आधा चम्मच बेकिंग सोडा और आधा चम्मच शहद मिलाएं। फिर इस मिश्रण को चेहरे पर लगाए। 10 मिनट तक लगा रहने दें। इसे हफ्ते में दो बार लगा सकते हैं।3. ऑलिव ऑयल और टी ट्री ऑयल लगाएंटी ट्री ऑयल में एंटी माइक्रोबेलियल गुण पाए जाते हैं जो एक्ने को कम करने में मदद करते हैं। यह तेल एक्ने के प्रभाव को कम करता है और चेहरे पर एक्ने आने से रोकता है। ऑलिव ऑयल में एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हैं। तो वहीं, जब ये दोनों तेल मिल जाते हैं तब एक्ने की दिक्कत से आराम से छुटकारा मिल जाता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए आप एक चम्मच ऑलिव ऑयल ले सकते हैं और एक चम्मच टी ट्री ऑयल। इन दोनों तेलों को मिला ले और चेहरे पर जिस जगह एक्ने हो रखे हैं, वहां लगाएं। इस मिश्रण को करीब 5 मिनट तक लगा रहने दें। बाद में चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा करने से आपके चेहरे पर हो रहे मुहांसे जल्दी ठीक होने लगेंगे। इस मिश्रण को हफ्ते में दो बार लगा सकते हैं।4. जैतून का तेल और हल्दी का पैकअगर आपको खूबसूरती और दमकती त्वचा चाहिए तो इस पैक का इस्तेमाल रात को सोने से पहले कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक चम्मच जैतून का तेल में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाएं और इसमें 2 चम्मच दही मिला लें। इस पैक को अपने चेहरे पर लगाएं और 10 मिनट बाद गुनगुने पाने से धो लें। चेहरे पर हल्दी का इस्तेमाल प्राचीन समय से होता आ रहा है। यह चेहरे को निखारने का काम करती है।5. जैतून का तेल और शहद का मिश्रणजैतून का तेल मुहांसों को कम करने में मदद करता है तो वहीं इसमें शहद मिलाने से यह तेजी से काम करता है। इसके लिए आपको एक चम्मच जैतून के तेल में एक चम्मच शहद मिलाना है। ये शहद मिलाने से मुहांसों की समस्या जल्दी खत्म होगी। इस मिश्रण को हफ्ते में दो बार लगा सकते हैं।जिन लोगों को जैतून तेल से एलर्जी हो वे इसका इस्तेमाल न करें। अगर उन्हें करना भी है तो अपने डर्मेटोलोजिस्ट से पूछ लें। इसके अलावा ऐसे किसी भी नुस्खे को इस्तेमाल करते समय पहले हाथ पर टेस्ट कर लें। फिर त्वचा पर लगाएं। अगर आपको किसी तरह का रिएक्शन होना होगा तो वह हाथ पर होगा। इसलिए सावधानी पूर्वक जैतून का इस्तेमाल करें।
- अधिकतर लोगों की डाइट का दही एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। दही में काफी पोषक तत्व होते हैं। रोज दही खाने से न केवल आप तरोताजा रहते हैं बल्कि इससे पाचन तंत्र भी ठीक रहता है और पेट से जुड़ी समस्या भी नहीं होती। ऑस्टियोपोरोसिस, ब्लड प्रेशर, बालों और हड्डियों के लिए भी दही कई तरह से फायदेमंद है।दही प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होता है।खाने के साथ दही खाने के फायदेखाने के साथ दही खाने के कई फायदे हैं। इससे न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ता है बल्कि इससे आपकी पाचन शक्ति भी मजबूत बनती है। आप अगर खाना खाने के बाद चीनी या गुड़ डालकर दही खाते हैं, तो इससे आपकी बॉडी से टॉक्सिक यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं।दही के फायदे-रोज दही खाने से हाई ब्लड प्रेशर का खतरा काफी हद तक कम होता है। वहीं दिल से जुड़ी बीमारियों से दूर रखने में भी दही उपयोगी होता है।-दही को आप सीधे बालों और त्वचा पर लगा सकते हैं और बहुत ही जल्दी इसके अच्छे परिणाम देख सकते हैं। डैंड्रफ से बचने के लिए बालों में दही लगाना बेहद अच्छा रहता है। इसके लिए दही को बालों में लगाकर आधे घंटे के बाद बाल धो लें।-दही फैट की अच्छी फॉर्म है। दही में दूध के बराबर ही पोषक तत्व होते हैं। दही में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। दही खाने से दांत और हड्डियां तो मजबूत होती ही हैं, साथ में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी कम होता है।-दही खाने से तनाव कम होता है। दही एनर्जी बूस्टर भी है। ये एक एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और शरीर को हाइड्रेट भी करता है।-दही से प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है। यही नहीं अनिंद्रा की समस्या को दूर भगाने में भी दही फायदेमंद होता है।रात में न खाएं दहीआयुर्वेद में कहा गया है की रात को दही खाने से बचना चाहिए। रात को दही लेने पर यह एक तरह से शरीर के लिए हानिकारक साबित होता है। रात के समय हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से कफ की प्रबलता बढ़ जाती है। इसलिए रात को दही खाने से पेट से जुडी कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। कई एक्सपर्ट्स के अनुसार, रात को दही खाने से फूड पॉइजनिंग तक हो सकती है