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 104 घंटे की जद्दोजहद... और 60 फीट नीचे बोरवेल में फंसे राहुल को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया....
 रायपुर। जांजगीर-चांपा जिले के मालखरौदा विकासखंड के पिहरीद में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में फंसे हुए मासूम राहुल साहू को करीब पांच दिन की जद्दोजहद के बाद सुरक्षित बचा लिया गया है। एसडीआरएफ, भारतीय सेना और प्रशासन की टीम के अथक प्रयास ने मंगलवार रात 12 बजे के करीब ऑपरेशन राहुल को सफल बना दिया। 
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर जानकारी दी-मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की की सतत मॉनिटरिंग में एसडीआरएफ, भारतीय सेना और प्रशासन की टीम ने संयुक्त रूप से कर्तव्यनिष्ठा का पालन करते हुए राहुल को बोरवेल से निकालने का दुष्कर कार्य कर दिखाया। यह ऑपरेशन पूरे देश के लिए मिसाल है। छत्तीसगढ़ ने इतिहास रचा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राहुल के सुरक्षित होने की जानकारी जैसी फोन के माध्यम से दी गई , उन्होंने राहुल के स्वास्थ्य की जानकारी ली और पूरी टीम को इस सफल ऑपरेशन के लिए बधाई दी।  उन्होंने ट्वीट कर लिखा-माना कि चुनौती बड़ी थी, हमारी टीम भी कहाँ शांत खड़ी थी, रास्ते अगर चट्टानी थे, तो इरादे हमारे फौलादी थे। सभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है। हमारा बच्चा बहुत बहादुर है। उसके साथ गढ्ढे में 104 घंटे तक एक सांप और मेढ़क उसके साथी थे। आज पूरा छत्तीसगढ़ उत्सव मना रहा है, जल्द अस्पताल से पूरी तरह ठीक होकर लौटे, हम सब कामना करते हैं। इस ऑपरेशन में शामिल सभी टीम को पुन: बधाई एवं धन्यवाद।
 
 
 
 
 गौरतलब है कि इन पांच दिनों में राहुल की सतत निगरानी सीसीटीवी कैमरे से की जा रही थी। उसे भोजन-पानी दिया जा रहा था। उसका हौसला बनाए रखने के लिए लगातार उससे बात की जा रही थी। पांच दिन तक करीब 60 फीट नीचे दबे रहने के कारण और गड्ढे में पानी भरे होने के कारण राहुल के स्वास्थ्य में गिरावट आई है। गड्ढे से बाहर लाते ही एंबुलेंस से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल भेजा गया। जांजगीर कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला ने जानकारी दी कि राहुल की स्थिति ठीक है। उसका मूवमेंट कम है, लेकिन वह इशारे कर रहा है।
 मंगलवार का दिन पूरी रेस्क्यू टीम के लिए काफी संघर्षपूर्ण रहा। राहुल तक पहुंचने के रास्ते में बार-बार आ रही चट्टान की वजह से ऑपरेशन में जितना विलंब हो रहा था, राहुल के स्वास्थ्य को लेकर लोगों की चिंताएं भी लगातार बढ़ रही थी। पूरा छत्तीसगढ़ राहुल की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा था। ऑपरेशन के अंतिम पड़ाव में राहुल तक पहुंचने के लिए  रास्ते की चट्टानों को  हाथों से तोड़ा गया, फिर अंदर की मिट्टी हटाई गई।  मंगलवार देर रात रेस्क्यू टीम को राहुल की पहली झलक मिली। वहां से जैसे ही यह जानकारी बाहर दी गई , वहां मौजूद भीड़ भारत माता की जय के नारे लगाने लगी। रस्सी और स्ट्रैचर के सहारे राहुल को बाहर लाया गया। मौके पर पहले से ही  एंबुलेंस, विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम, दूसरे मेडिकल उपकरण मौजूद थे। बिलासपुर अपोलो अस्पताल तक पहुंचने के लिए ग्रीन कॉरिडोर पहले ही बना लिया गया था। राहुल को सीध एंबुलेंस तक लाया गया और फिर उसे बिलासपुर के लिए रवाना कर दिया गया।
 

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