केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा विपणन सत्र के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की घोषणा की
नई दिल्ली। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सत्र 2023-24 के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दी है। किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने संवाददाताओं को बताया कि इस वर्ष बढ़ाया गया न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले कई वर्षों में सर्वाधिक है।
किसानों को फसल का उचित मूल्य देने के लिए विपणन सत्र 2023-24 के लिए खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में की गई वृद्धि पूरे देश के औसत उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना के बराबर समर्थन मूल्य तय करने की केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है।
फसल वर्ष 2023-24 के लिए सामान्य श्रेणी के धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य एक सौ 43 रुपये बढ़ाकर दो हजार एक सौ 83 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पिछले वर्ष दो हजार 40 रुपये प्रति क्विंटल था। ए-श्रेणी के धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य एक सौ 63 रुपये बढ़ाकर दो हजार दो सौ तीन रुपये प्रति क्विंटल किया गया है जो पहले दो हजार 60 रुपये था। मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे अधिक 10 दशमलव चार प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसे पिछले वर्ष के सात हजार सात सौ 55 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर आठ हजार पांच सौ 58 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
बाजरा के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन सबसे अधिक 82 प्रतिशत होने का अनुमान है, इसके बाद अरहर पर 58 प्रतिशत, सोयाबीन पर 52 प्रतिशत और उड़द पर 51 प्रतिशत है। बाकी फसलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर मार्जिन कम से कम 50 प्रतिशत होने का अनुमान है।
हाल के वर्षों में सरकार इन फसलों के लिए अधिक समर्थन मूल्य देकर दलहन, तिलहन और पोषक अनाज या श्रीअन्न जैसे अनाज के अलावा अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके अतिरिक्त सरकार ने किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जैसी विभिन्न योजनाओं और पहल की भी शुरुआत की है। 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 33 करोड 50 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की तुलना में एक करोड 49 लाख टन अधिक है। पिछले पांच वर्ष में यह बढोत्तरी सबसे अधिक है।
Leave A Comment