आदरणीय प्रमोद भैया को सादर शब्दांजलि
-डॉ. दीक्षा चौबे
दूर चले जाते जो अपने, याद बहुत आते हैं।
जीवित रह जाते यादों में, भूल कहाँ पाते हैं।।
आसपास उनके होने का, मन विश्वास दिलाता।
घर का हर कोना-ऑंगन,उनसे नित्य मिलाता।
उनकी प्रिय चीजें, गाने, याद दिला जाते हैं।।
दूर चले जाते जो अपने, याद बहुत आते हैं।।
स्नेहभरी वे प्यारी बातें, संचित धन हैं अपने।
क्रूर काल ले गया चुरा कर, जीवन-सुख के सपने।
उनके साथ बिताए हर पल, हमको अब भाते हैं।।
दूर चले जाते जो अपने, याद बहुत आते हैं।।
मुस्काती मनभावन वह छवि, मन में सदा बसाया।
स्मृति-शेष अनमोल धरोहर, हमने गले लगाया।
श्रद्धांजलि में अश्रु बूँद के, दो सुमन चढ़ाते हैं।।
दूर चले जाते जो अपने, याद बहुत आते हैं।।
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