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भारतीय संरक्षणवादी ने ब्रिटेन वन्यजीव धर्मार्थ का गोल्ड अवॉर्ड जीता

  लंदन।  असम की एक वन्यजीव जीवविज्ञानी को लुप्तप्राय ‘ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क' और उसके आर्द्रभूमि निवास स्थान के संरक्षण प्रयासों के लिए अग्रणी ब्रिटिश वन्यजीव धर्मार्थ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लंदन में ‘रॉयल ज्योग्राफिकल सोसाइटी' में आयोजित सम्मान समारोह में डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन को ‘व्हिटली फंड फॉर नेचर' (डब्ल्यूएफएन) द्वारा व्हिटली गोल्ड अवॉर्ड से सम्मानित किया गया जिसके तहत उन्हें एक लाख ब्रिटिश पाउंड की राशि प्रदान की गई। यह पुरस्कार दुनियाभर में जमीनी स्तर पर संरक्षण करने वालों को प्रदान किया जाता है। बर्मन को असमिया में स्थानीय रूप से ‘‘हरगिला'' के रूप में पहचाने जाने वाले सारस के संरक्षण के लिए यह सम्मान दिया गया। उन्हें यह पुरस्कार ब्रिटेन के महाराज चार्ल्स तृतीय की बहन, धर्मार्थ संस्था की संरक्षक राजकुमारी ऐनी ने प्रदान किया। बर्मन के प्रयासों के लिए उन्हें 2017 में ‘व्हिटली' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘उनके पंख, उनकी गहरी नीली आंखें, उनकी चोंच की आवाज मेरे बचपन के साथी रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उनके बारे में सब कुछ पसंद है, वे बेहद प्रेरणादायक हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि बाकी सभी उनसे नफरत करते हैं।'' बर्मन की कोशिश भारत और कंबोडिया में सारस की इस प्रजाति की पक्षियों की संख्या को 2030 तक दोगुना यानी 5,000 करने की है।  

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