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महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ, लाएगी घर पर सुख-समृद्धि और संपन्नता
14 सितंबर 2021 से महालक्ष्मी व्रत शुरू हो रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है। महालक्ष्मी व्रत लगातार 16 दिनों तक रखा जाता है। महालक्ष्मी व्रत गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद शुरू होता है। इस व्रत का समापन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर होगा। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, क्योंकि इस व्रत में धन, सुख-संपदा और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी के प्रसन्न होने पर आशीर्वाद प्राप्त होता है। खास बात यह कि इस तिथि पर राधा अष्टमी भी मनाई जाती है। जिस कारण से इस दिन से महालक्ष्मी व्रत का आरंभ बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ हो जाता है। इसके अलावा इसी तिथि पर दूर्वा अष्टमी भी है जिसमें दूर्वा घास की पूजा होती है। महालक्ष्मी व्रत रखने पर घर पर सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। जिसमें से अधिकतर विवाहित महिलाएं 16 दिनों तक व्रत रखती हैं। जो महिलाएं अगर 16 दिन तक नहीं रख पाती वे 3 तीन या आखिरी दिन व्रत रखती हैं।
अष्टमी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 13, 2021 03:10 PM को
अष्टमी तिथि समाप्त - सितम्बर 14, 2021 को 01:09 PM तक
महालक्ष्मी व्रत पूजन विधि--
महालक्ष्मी के पहले दिन पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बनाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और मूर्ति के सामने श्रीयंत्र, सोने-चांदी के सिक्के और फल फूल रखें। इसके बाद माता लक्ष्मी के आठ रूपों की मंत्रों के साथ कुंकुम, चावल और फूल चढ़ाते हुए पूजा करें।
महालक्ष्मी व्रत में मां लक्ष्मी के हाथी पर बैठी हुई मूर्ति को लाल कपड़ा के साथ विधि-विधान के साथ इनकी स्थापना करें और पूजा कर ध्यान लगाएं।
महालक्ष्मी व्रत के दिन श्रीयंत्र या महालक्ष्मी यंत्र को मां लक्ष्मी के सामने स्थापित करें और इसकी पूजा करें। यह चमत्कारी यंत्र धन वृद्धि के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। इस यंत्र की पूजा से परेशानियां और दरिद्रता दूर होती है।
महालक्ष्मी व्रत में दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल और दूध डालकर देवी लक्ष्मी की मूर्ति से अभिषेक करना चाहिए इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
माता लक्ष्मी को कमल का फूल बहुत पसंद होता है इसलिए लक्ष्मीजी की पूजा में यह फूल अवश्य चढ़ाना चाहिए।
महालक्ष्मी व्रत पर कमल गट्टे को माला को माता लक्ष्मी को चढ़ाए साथ ही पूजा में कौड़ी अर्पित करें। पूजा के बाद इन दोनों चीजों को अपने तिजोरी या लॉकर में रखें।   
--माता लक्ष्मी की आरती---
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
 

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