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नई दिल्ली। भारत 2030 तक 300 मिलियन टन की स्टील उत्पादन क्षमता हासिल कर लेगा और साथ ही, इस दौरान प्रति व्यक्ति स्टील खपत बढ़कर 160 किलो हो जाएगी। यह जानकारी सरकार की ओर से दी गई। देश में वित्त वर्ष 25 की अप्रैल से दिसंबर तक की अवधि में 110.99 मिलियन टन कच्चे स्टील का उत्पादन हुआ था। वहीं, फिनिश्ड स्टील का उत्पादन 106.86 मिलियन टन रहा था।
स्पेशियलिटी स्टील उत्पादन में भारत की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ने की उम्मीदसरकार के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, स्पेशियलिटी स्टील के लिए लाई गई प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम 1.1 के दूसरे राउंड में कंपनियों ने करीब 17,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। इससे स्पेशियलिटी स्टील उत्पादन में भारत की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ने की उम्मीद है।कंपनियों को नॉलेज एक्सचेंज के साथ इंटर-स्टेट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी करने का मौका मिलेगादेश के स्टील सेक्टर की ग्रोथ को बढ़ाने के लिए अगले हफ्ते मुंबई में ‘इंडिया स्टील 2025’ इवेंट होने जा रहा है। इसमें कंपनियों को नॉलेज एक्सचेंज के साथ इंटर-स्टेट और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी करने का मौका मिलेगा। इस ग्लोबल स्टील इंडस्ट्री इवेंट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे।कार्यक्रम में ग्लोबल इंडस्ट्री लीडर्स और वरिष्ठ विदेशी प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहेगाइस कार्यक्रम में ग्लोबल इंडस्ट्री लीडर्स और वरिष्ठ विदेशी प्रतिनिधिमंडल मौजूद रहेगा, जिसमें रूस के डिप्टी इंडस्ट्री और ट्रेड मंत्री, ऑस्ट्रेलिया, मोजाम्बिक और मंगोलिया के राजदूत शामिल होंगे। 12,000 बिजनेस विजिटर्स, 250 एग्जीबिटर्स, 1,200 कॉन्फ्रेंस डेलीगेट्स के साथ यह इवेंट वैश्विक स्तर पर बड़े स्टील आयोजनों में से एक होगा, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों, सरकारी विभागों, राज्य सरकारों, देश के प्रतिनिधिमंडलों और भारत एवं विदेश से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय खरीदार शामिल होंगे।वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए ज्वाइंट रिसर्च, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सप्लाई चेन को मजबूत करने पर चर्चा की जाएगीमंत्रालय ने कहा कि देश-विशिष्ट सत्रों में दक्षिण कोरिया, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और मंगोलिया सहित प्रमुख स्टील उत्पादक देश शामिल होंगे। इन चर्चाओं में भारत के स्टील उत्पादन को जोखिम मुक्त करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए ज्वाइंट रिसर्च, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और सप्लाई चेन को मजबूत करने पर चर्चा की जाएगी। -
नयी दिल्ली. तमिलनाडु के कलपक्कम में देश के पहले प्रोटोटाइप फास्ट-ब्रीडर रिएक्टर के अगले साल सितंबर तक तैयार हो जाने की उम्मीद है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) का चालू होना भारत के तीन-चरण वाले परमाणु कार्यक्रम के दूसरे चरण को आगे बढ़ाएगा, जिसका उद्देश्य रेडियोधर्मी कचरे को कम करने के लिए ईंधन का पुनर्चक्रण करना है। कलपक्कम में विकसित किया जा रहा पीएफबीआर अपनी तरह का पहला परमाणु रिएक्टर है जो ईंधन के रूप में प्लूटोनियम-आधारित मिश्रित ऑक्साइड एवं शीतलक के रूप में तरल सोडियम का उपयोग करता है। देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) द्वारा किया जाता है, जबकि कलपक्कम में पीएफबीआर का विकास भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम (भाविनी) द्वारा किया जा रहा है। परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति को बताया था कि भाविनी का 500 मेगावाट का पीएफबीआर एकीकृत संचालन शुरू किये जाने के अंतिम चरण में पहुंच गया है। उन्होंने समिति को बताया कि पीएफबीआर की पहली ‘क्रिटिकलिटी' (परमाणु रिएक्टर की वह स्थिति, जिसमें स्वत: परमाणु श्रृंखला अभिक्रिया होती है) मार्च में प्राप्त होने की उम्मीद है और संयंत्र सितंबर 2026 तक पूरा हो जाएगा। पिछले साल जुलाई में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने पीएफबीआर के लिए ईंधन भरने और कम-ऊर्जा वाले भौतिकी प्रयोग करने की अनुमति प्रदान की थी। पीएफबीआर भारत के परमाणु कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन रिएक्टरों से प्राप्त ईंधन का उपयोग थोरियम आधारित रिएक्टरों को ऊर्जा देने के लिए किया जाएगा। सरकार ने परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा की है जिसका लक्ष्य 100 गीगावाट परमाणु बिजली का उत्पादन करना है।
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चांदी में गिरावट
नयी दिल्ली. मजबूत वैश्विक मांग के बीच बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 70 रुपये बढ़कर 98,170 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी है। बुधवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 1,650 रुपये बढ़कर 98,100 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गई थी। 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 70 रुपये बढ़कर 97,720 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए शिखर पर पहुंच गया, जबकि बुधवार को इसका बंद स्तर 97,650 रुपये प्रति 10 ग्राम था। अबन्स फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी चिंतन मेहता ने कहा, ‘‘कमजोर डॉलर, बढ़ते व्यापार युद्ध तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शुल्क घोषणाओं के बाद वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं।'' उन्होंने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता बनी रहने के कारण सोने की कीमतों में उछाल जारी है, अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर रहा है और मुद्रास्फीति और मंदी की आशंकाओं को बढ़ा रहा है। चूंकि बाजार इन जोखिमों से जूझ रहे हैं, इसलिए अस्थिरता बनी हुई है, जो एक विश्वसनीय ‘बचाव' के रूप में सोने की भूमिका को मजबूत करता है। मेहता ने कहा, ‘‘तेजी की भावना को बढ़ाते हुए, प्रमुख बैंकों ने सोने पर तेजी से सकारात्मक रुख अपनाया है, जो इक्विटी, बॉन्ड और मुद्राओं में व्यापक आधार पर बिकवाली की ओर इशारा करता है।'' हालांकि, चांदी की कीमतें 1,400 रुपये गिरकर 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम रह गईं। पिछले सत्र में चांदी 99,400 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। इस बीच, विदेशी बाजारों में हाजिर सोना बढ़कर 3,357.81 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया। बाद में, यह सारा लाभ लुप्त हो गया और यह 3,328.84 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था। कोटक सिक्योरिटीज में एसोसिएट उपाध्यक्ष-जिंस शोध कायनात चैनवाला ने कहा, ‘‘अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल द्वारा चेतावनी दिए जाने के बाद कि अमेरिकी व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता, अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकती है, जिससे वैश्विक जोखिम लेने की क्षमता घट सकती है। सोने ने अपनी बढ़त जारी रखी है और एक नया सर्वकालिक उच्च स्तर छू लिया।'' एशियाई कारोबार के घंटों में हाजिर चांदी 1.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 32.32 डॉलर प्रति औंस रह गया।एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी के अनुसार, निवेशक अब शुरुआती बेरोजगारी दावों सहित अमेरिकी वृहद आर्थिक आंकड़ों और बृहस्पतिवार को जारी होने वाले फिलाडेल्फिया फेड मैन्युफैक्चरिंग आंकड़ों पर नजर रख रहे हैं। -
मुंबई. स्थानीय शेयर बाजार में बृहस्पतिवार को लगातार चौथे कारोबारी सत्र में तेजी का सिलसिला जारी रहा और बीएसई सेंसेक्स 1,509 अंक चढ़ गया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 414 अंक की बढ़त रही। अमेरिका और जापान के बीच व्यापार वार्ता के सफल होने की उम्मीद के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों के घरेलू शेयर बाजार में निवेश के बाद निवेशक उत्साहित नजर आयें। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 1,508.91 अंक यानी 1.96 प्रतिशत उछलकर 78,000 अंक के स्तर को फिर से प्राप्त करते हुए 78,553.20 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,572.48 अंक तक चढ़ गया था। बीएसई में 2,427 शेयर बढ़त में रहे, जबकि 1,522 में गिरावट दर्ज की गयी। 157 के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 414.45 अंक यानी 1.77 प्रतिशत की तेजी के साथ 23,851.65 अंक पर बंद हुआ। चार दिन की तेजी में सेंसेक्स 4,706.05 अंक यानी 6.37 प्रतिशत चढ़ा है, जबकि निफ्टी 1,452.5 अंक यानी 6.48 प्रतिशत की बढ़त में रहा। लेमन मार्केट्स डेस्क के विश्लेषक सतीश चंद्र अलूरी ने कहा, ‘‘मानक सूचकांकों ने बृहस्पतिवार को तेज बढ़त दर्ज की और लगातार चार सत्रों की तेजी से सप्ताह का अंत उच्च बढ़त पर किया। मझोली और छोटी कंपनियों के शेयर भी बढ़त के साथ बंद हुए। उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी सूचकांकों में बुधवार की तेज गिरावट के बाद कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण बाजार नुकसान में खुले। शुरुआती झटकों के बाद, बाजार में तेजी वापस लौटी और अंत में यह अच्छी बढ़त के साथ बंद हुआ। इसका कारण निवेशकों की नजर अब कंपनियों के तिमाही परिणाम जैसे घरेलू कारकों पर है...।'' सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में इटर्नल लि. (पूर्व में जोमैटो) आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, सन फार्मा, भारतीय स्टेट बैंक, बजाज फिनसर्व, कोटक महिंद्रा बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रमुख रूप से लाभ में रहीं। दूसरी तरफ, टेक महिंद्रा और मारुति के शेयर नुकसान में रहे।
मझोली कंपनियों से जुड़ा बीएसई मिडकैप सूचकांक 0.56 प्रतिशत चढ़ा जबकि छोटी कंपनियों से संबंधित स्मॉलकैप सूचकांक 0.52 प्रतिशत के लाभ में रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को 3,936.42 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे। मंगलवार को एफआईआई ने 6,065.78 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई एसएसई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में रहे। यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में गिरावट का रुख रहा। अमेरिकी बाजार में बुधवार को गिरावट रही थी। अमेरिका और जापान फिलहाल जवाबी शुल्क पर बातचीत कर रहे हैं। इसका मकसद द्विपक्षीय व्यापार समझौता करना है। निवेशक सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहे हैं। जियोजीत इनवेस्टमेंट्स लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘वित्तीय कंपनियों की अगुवाई में बड़ी कंपनियों (लार्ज कैप) के शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिली। बचत जमा पर ब्याज दर में बदलाव से मार्जिन में सुधार की उम्मीद से वित्तीय कंपनियों के शेयर बढ़त में रहे। इसके अलावा, एफआईआई की लिवाली आने से भी धारणा सकारात्मक बनी है। हालांकि, तेजी के इस रुख के बने रहने को लेकर अनिश्चितता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, अमेरिका-जापान के बीच व्यापार वार्ता का सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद और चीन तथा अमेरिका के बीच व्यापार तनाव से बाधा कम होने से घरेलू बाजार में धारणा मजबूत हुई है। इसके अलावा मुद्रास्फीति में कमी और इसके संतोषजनक स्तर पर आने से भी बाजार पर सकारात्मक प्रभाव हुआ है।'' वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.94 प्रतिशत बढ़कर 66.47 डॉलर प्रति बैरल रहा।
बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 309.40 अंक चढ़ा था जबकि एनएसई निफ्टी में 108.65 अंक की बढ़त रही थी।
शेयर बाजार शुक्रवार को ‘गुड फ्राइडे' के मौके पर बंद रहेंगे। -
नई दिल्ली। जाने-माने निवेशक मार्क मोबियस ने आज बुधवार को कहा कि भारत में केवल दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ही नहीं, बल्कि दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भी पूरी क्षमता है। उन्होंने कहा कि अगर भारत वर्तमान नीति स्थिरता और आर्थिक मजबूती के रास्ते पर चलता रहा, तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने कुछ ही वर्षों में जबरदस्त प्रगति की है और वह 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं स्थान पर पहुंच गया है। साल 2025 तक भारत अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के ताजा अनुमानों के मुताबिक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) इस वर्ष 4.3 ट्रिलियन डॉलर होगा, जो जापान के 4.4 ट्रिलियन और जर्मनी के 4.9 ट्रिलियन डॉलर से थोड़ा पीछे है। अनुमान है कि भारत इस साल जापान को और 2027 तक जर्मनी को भी पीछे छोड़ देगा।
मोबियस ने बताया कि भारत के पास यह क्षमता है कि वह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सके। उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या अब चीन से ज्यादा है और चीन की जनसंख्या घटकर करीब 80 करोड़ रह गई है, जबकि भारत की जनसंख्या 1.2 अरब से अधिक है और यहां की औसत आयु भी चीन की तुलना में कम है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत आयात पर लगे टैक्स और अन्य प्रतिबंधों को हटाता है, तो देश की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में जबरदस्त उछाल आएगा और अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। मोबियस, जो एमर्जिंग मार्केट्स में निवेश करने वाले ‘मोबियस ईएम अपॉर्च्युनिटीज फंड’ चलाते हैं, का मानना है कि भारत का युवा और विशाल जनसंख्या वाला बाजार आने वाले वर्षों में बड़ी भूमिका निभाएगा।वहीं भारतीय शेयर बाजार को लेकर भी मोबियस आशावादी नजर आए। उन्होंने कहा कि अमेरिका की व्यापार नीतियों के कारण भले ही बाजार में हाल ही में गिरावट आई हो, लेकिन उससे पहले ही भारतीय बाजार में काफी सुधार हो चुका था। उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि वे अच्छे शेयरों में धीरे-धीरे निवेश करना जारी रखें और अगर उनके पास पहले से कुछ शेयर हैं तो उन्हें बनाए रखें और बाजार की रिकवरी का इंतजार करें। इस बीच, मंगलवार को भारतीय शेयर बाजार में जोरदार तेजी देखने को मिली, जिसमें केवल एक दिन में निवेशकों की कुल संपत्ति में 11 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। यह उछाल अमेरिकी टैरिफ की खबर से हुए नुकसान को पूरी तरह से मिटा चुका है और यह तेजी घरेलू निवेशकों की सकारात्मक भावना और वैश्विक संकेतों से प्रेरित रही। -
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में बंद हुआ। बाजार के करीब सभी सूचकांकों में तेजी थी। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 309 अंक या 0.40 प्रतिशत की तेजी के साथ 77,044 और निफ्टी 108 अंक या 0.47 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,437 पर था।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में खरीदारी हुईलार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में खरीदारी हुई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 371 अंक या 0.71 प्रतिशत की तेजी के साथ 52,345 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 169.95 अंक या 1.05 प्रतिशत की तेजी के साथ 16,349 पर बंद हुआ।मारुति सुजुकी, इन्फोसिस, टाटा मोटर्स, एलएंडटी, बजाज फाइनेंस और सन फार्मा टॉप लूजर्स थेसेंसेक्स पैक में इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, अदाणी पोर्ट्स, एशियन पेंट्स, भारती एयरटेल, एसबीआई, आईटीसी, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, नेस्ले, आईसीआईसीआई बैंक, पावर ग्रिड और एचसीएल टेक टॉप गेनर्स थे। मारुति सुजुकी, इन्फोसिस, टाटा मोटर्स, एलएंडटी, बजाज फाइनेंस और सन फार्मा टॉप लूजर्स थे।कारोबार के अंतिम घंटे बाजार में तेजी देखी और निफ्टी 23,400 के ऊपर बंद होने में सफल रहाआशिका इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के तकनीकी और डेरिवेटिव विश्लेषक, सुंदर केवट ने कहा कि कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार सपाट खुले थे। दिन के दौरान निफ्टी ने 23,273 का लो बनाया और कारोबार के अंतिम घंटे बाजार में तेजी देखी और निफ्टी 23,400 के ऊपर बंद होने में सफल रहा।बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध सभी शेयरों में से 2,638 हरे निशान मेंसेक्टोरल आधार पर आईटी, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी और प्राइवेट बैंक इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए और वहीं, ऑटो एवं फार्मा सेक्टर लाल निशान में बंद हुए। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर सूचीबद्ध सभी शेयरों में से 2,638 हरे निशान में, 1,308 लाल निशान में और 132 शेयर बिना किसी बदलाव के बंद हुए।सत्र की शुरुआत में कमजोरी के बाद निफ्टी में खरीदारी देखने को मिली और 100 दिन के मूविंग एवरेज के ऊपर बंद होने में कामयाब रहाएलकेपी सिक्योरिटी में सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट, रूपक डे ने कहा कि सत्र की शुरुआत में कमजोरी के बाद निफ्टी में खरीदारी देखने को मिली और 100 दिन के मूविंग एवरेज के ऊपर बंद होने में कामयाब रहा। निफ्टी के लिए 23,300 अब एक मजबूत सपोर्ट है और 23,650 एक रुकावट का स्तर है। -
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2026 में भारत की सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 4.3 प्रतिशत रहेगी, जिसमें खाद्य, ईंधन और कोर मुद्रास्फीति क्रमशः 4.6, 2.5 और 4.2 प्रतिशत रहेगी। यह अनुमान क्रिसिल की बुधवार को जारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, “इस वित्त वर्ष में हमें उम्मीद है कि रबी की अच्छी बुआई, वैश्विक खाद्य कीमतों में नरमी और सामान्य से अधिक मानसून की उम्मीद को देखते हुए खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी।” पिछले साल का उच्च आधार खाद्य मुद्रास्फीति को नीचे की ओर (सांख्यिकीय) खींचेगा।
इस साल सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमानभारतीय मौसम विभाग ने इस वित्त वर्ष के लिए सामान्य से अधिक मानसून का अनुमान लगाया है, जिससे खरीफ फसल को लाभ होना चाहिए। क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि गैर-खाद्य मुद्रास्फीति वैश्विक कमोडिटी कीमतों में नरमी की उम्मीद के साथ सामान्य रहेगी।” हालांकि, गर्मी और दूसरे मौसम संबंधी व्यवधानों को लेकर सतर्क रहना जरूरी होगा।इस वित्त वर्ष में विकास के बढ़ते जोखिम के बीच मुद्रास्फीति कम हैरिपोर्ट में कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस वित्त वर्ष में कम से कम दो बार 25 बीपीएस की कटौती करेगा, क्योंकि विकास के लिए बढ़ते जोखिम के बीच मुद्रास्फीति कम है। उम्मीद है कि कम ब्याज दरें, मुद्रास्फीति और राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 10 साल की सरकारी सुरक्षा पर प्रतिफल को मार्च 2025 में 6.7 प्रतिशत से मार्च 2026 तक 6.4 प्रतिशत तक कम कर देगा।”2024 में मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत से घटकर 4.6 प्रतिशत हो गईवित्त वर्ष 2025 के लिए, हेडलाइन मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2024 में 5.4 प्रतिशत से घटकर 4.6 प्रतिशत हो गई। यह नरमी वित्त वर्ष 2024 में 4.3 प्रतिशत के मुकाबले 3.5 प्रतिशत पर रिकॉर्ड कम कोर मुद्रास्फीति के कारण हुई, जबकि खाद्य मुद्रास्फीति 7.5 प्रतिशत के मुकाबले अस्थिर और 7.3 प्रतिशत पर उच्च रही।मार्च में मुद्रास्फीति का 3.3 प्रतिशत का आंकड़ा नीति निर्माताओं को विकास के लिए बढ़ते जोखिम के बीच राहत प्रदान करता हैहालांकि, वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में गैर-खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने और खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी से गिरावट के साथ ट्रेंड में उलटफेर देखा गया।रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च में मुद्रास्फीति का 3.3 प्रतिशत का आंकड़ा नीति निर्माताओं को विकास के लिए बढ़ते जोखिम के बीच राहत प्रदान करता है।फरवरी में 3.7 प्रतिशत की तुलना में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 2.7 प्रतिशत रह गई, जिसके कारण सब्जियां और दालें सस्ती हैंफरवरी में 3.7 प्रतिशत की तुलना में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 2.7 प्रतिशत रह गई, जिसके कारण सस्ती सब्जियां और दालें हैं। इस सर्दी के मौसम में सब्जियों की कीमतों में सामान्य से अधिक कमी आई है, जिससे पिछले कुछ महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट आई है। - नयी दिल्ली.। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल से चालू वित्त वर्ष के लिए सर्किल स्तर पर ग्राहक वृद्धि और कारोबारी योजना प्रस्तुत करने को कहा है। मंगलवार को एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई। मंत्री ने बीएसएनएल के 27 मुख्य महाप्रबंधकों (सीजीएम) और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें हर महीने बैठक करने का निर्देश दिया। बयान में कहा गया, ‘‘मंत्री सिंधिया ने टीम को हर महीने बैठक करने और सर्वोत्तम व्यवहार तथा चुनौतियों पर चर्चा करने का निर्देश दिया है। उन्होंने टीम से विभिन्न क्षेत्रों की चुनौतियों का मिलकर समाधान करने को भी कहा है। सिंधिया ने हर सर्किल से वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ग्राहक वृद्धि योजना और कारोबारी योजना बनाने को कहा है।'' मंत्री ने करीब 18 साल बाद पीएसयू को लाभदायक बनाने के लिए बीएसएनएल टीम की सराहना की। कंपनी ने अक्टूबर-दिसंबर, 2024 तिमाही में 262 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया था। उन्होंने पूरी टीम से इस गति को जारी रखने और दीर्घकालिक सफलता के लिए ग्राहक जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा। पिछले 8-9 महीनों में बीएसएनएल ने लगभग 55 लाख नए ग्राहक जोड़े हैं।
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नई दिल्ली। घरेलू और ग्लोबल मार्केट में बुधवार (16 अप्रैल) को सोना एक बार फिर नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। घरेलू फ्यचर्स मार्केट यानी (MCX) पर आज सोना सुबह के सत्र में 94,948 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। पिछले शुक्रवार को इसने 93,940 रुपये का रिकॉर्ड हाई बनाया था। घरेलू स्पॉट मार्केट में भी आज सोना शुरुआती कारोबार में 94,489 रुपये के रिकॉर्ड हाई पर दर्ज किया गया।
ग्लोबल मार्केट में भी सोना फिलहाल नए शिखर पर है। बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड बुधवार को कारोबार के दौरान 3,291.68 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड हाई तक ऊपर गया, वहीं यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 3,311.70 डॉलर प्रति औंस की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। मौजूदा कैलेंडर ईयर के दौरान इसने 25वें दिन और इस महीने छठे दिन रिकॉर्ड हाई बनाया है। सोने की कीमतों में यह तेजी अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के मद्देनजर बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) इस बेशकीमती धातु की मांग में आई मजबूती की वजह से आई है। चीन पर अमेरिकी टैरिफ के 145 फीसदी किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर ट्रेड वॉर छिड़ने की आशंका तेज हो गई है। चीन ने भी इसके जवाब में पिछले शुक्रवार को अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 41 फीसदी बढ़ाते हुए 125 फीसदी कर दिया।ब्याज दरों में कटौती की संभावना, अमेरिका सहित दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन और महंगाई के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर ज्यादातर जानकार सोने को लेकर फिलहाल बेहद बुलिश हैं। उनका मानना है कि ग्लोबल लेवल पर खासकर अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वॉर के मद्देनजर जो अनिश्चितता की स्थिति बनी है उसमें बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) सोने की मांग बरकरार रह सकती है। साथ ही बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन की वजह से भी बतौर सुरक्षित विकल्प सोने की मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। इतना ही नहीं महंगाई के खिलाफ ‘हेज’ के तौर पर सोने की पूछ परख बढ़ सकती है।जानकार मानते हैं कि इन्वेस्टमेंट डिमांड गोल्ड के लिए इस साल सबसे ज्यादा सपोर्टिव साबित हो सकता है क्योंकि इसका सपोर्ट पिछले मई से ही मिलना शुरू हुआ है। मौजूदा तेजी से पहले जब भी गोल्ड में तेजी का दौर चला है, सबसे बड़ी भूमिका इन्वेस्टमेंट यानी ईटीएफ डिमांड ने ही निभाई है। फिर चाहे वह 2020 या 2012 की तेजी की बात कर लें।सोने में रिकॉर्डतोड़ तेजी के बीच लोग फिलहाल इसके ईटीएफ में जमकर निवेश कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 महीने से गोल्ड ईटीएफ में इनफ्लो बना हुआ है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) के मुताबिक मार्च के दौरान ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश 8.6 बिलियन डॉलर बढ़ा। वॉल्यूम /होल्डिंग के लिहाज से इस दौरान निवेश में 92 टन की वृद्धि हुई। सोने की कीमतों में तेजी और लगातार चौथे महीने आए इनफ्लो के दम पर मार्च 2025 के अंत तक गोल्ड ईटीएफ का एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM बढ़कर रिकॉर्ड 345 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। टोटल होल्डिंग भी पिछले महीने के अंत तक 3,445 टन पर दर्ज किया गया जो मई 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। मई 2023 में टोटल होल्डिंग 3,476 टन पर था।घरेलू फ्यूचर्स मार्केटघरेलू फ्यूचर्स मार्केट एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट बुधवार को शुरुआती कारोबार (12:10 PM IST) में 1,402 रुपये यानी 1.50 फीसदी की मजबूती के साथ 94,853 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर है। इससे पहले यह आज 1,122 रुपये उछलकर 94,573 रुपये पर खुला और कारोबार के दौरान 94,948 रुपये के रिकॉर्ड हाई और 94,311 रुपये के लो के बीच कारोबार किया।घरेलू स्पॉट मार्केटIndian Bullion and Jewellers Association (IBJA) के मुताबिक स्पॉट (हाजिर) मार्केट में सोना 24 कैरेट (999) बुधवार को शुरुआती कारोबार में पिछले कारोबारी दिन (मंगलवार) की क्लोजिंग के मुकाबले 1,387 रुपये उछलकर 94,489 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड भाव पर दर्ज किया गया। मंगलवार को कारोबार की समाप्ति पर यह 93,102 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर देखा गया था। -
नई दिल्ली। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारतीय हाइड्रोकार्बन क्षेत्र त्वरित अन्वेषण और विकास के एक नए युग में प्रवेश कर रहा है। निवेशक-अनुकूल सुधारों, त्वरित अनुमोदन, वैज्ञानिक अन्वेषण और स्थिरता पर विशेष जोर देने के माध्यम से, भारत लगातार एक लचीला और भविष्य के लिए तैयार ऊर्जा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहा है, जो विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। अगले दो दशकों में, दुनिया की ऊर्जा माँग में वृद्धि का 25% हिस्सा भारत से आएगा।
यह बात केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने मंगलवार रात नई दिल्ली में आयोजित ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) राउंड-IX और विशेष खोजे गए छोटे क्षेत्र (डीएसएफ) हस्ताक्षर समारोह को संबोधित करते हुए कही। हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि यह भारत की आयात निर्भरता को कम करने और अपने ऊर्जा भविष्य को सुरक्षित करने की अटूट प्रतिबद्धता का एक शक्तिशाली प्रमाण है। भारत वर्तमान में अपने कच्चे तेल की 88% और प्राकृतिक गैस की 50% आवश्यकताओं के लिए आयात पर निर्भर है, इसलिए घरेलू अन्वेषण तथा उत्पादन की आवश्यकता पहले कभी इतनी अधिक नहीं थी। वहीं, अतीत पर विचार करते हुए, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने 2006 से 2016 के बीच भारतीय अपस्ट्रीम क्षेत्र के सामने आई चुनौतियों को स्वीकार किया। जब नीतिगत पक्षाघात और प्रक्रियागत देरी से भरा एक “सुस्त दशक”था, जिसके कारण बीपी, ईएनआई और सैंटोस जैसी वैश्विक ऊर्जा दिग्गज कंपनियाँ बाहर हो गईं। हालाँकि, अब स्थिति बदल गई है।उन्होंने कहा, “हम भारत की अप्रयुक्त ऊर्जा क्षमता को अनलॉक करने के लिए दृढ़ थे, जिसका अनुमान लगभग 42 बिलियन टन तेल और तेल के बराबर गैस है।” इस उद्देश्य से सरकार ने पिछले दशक में कई परिवर्तनकारी सुधारों को लागू किया है। वहीं, एक प्रमुख उपलब्धि अन्वेषण गतिविधि का विस्तार है, जिसमें भारत के तलछटी बेसिनों का अन्वेषण क्षेत्र 2014 में 6% से बढ़कर आज 10% हो गया है, जिसका लक्ष्य 15% तक पहुँचना है।हरदीप सिंह ने 2030 तक अन्वेषण क्षेत्र को 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई, जिसमें भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) के भीतर “नो-गो” क्षेत्रों में नाटकीय रूप से 99% की कमी को उजागर किया गया। वैज्ञानिक, डेटा-संचालित अन्वेषण इस रणनीति का आधार रहा है, जिसे नए भूकंपीय डेटा अधिग्रहण, दूरदराज के इलाकों में हवाई सर्वेक्षण और स्ट्रेटीग्राफिक कुओं में ₹7,500 करोड़ के निवेश द्वारा समर्थित किया गया है।महत्वपूर्ण बात यह है कि भू-वैज्ञानिक डेटा अब दोनों तटों पर प्रमुख बेसिनों के लिए उपलब्ध है, राष्ट्रीय डेटा रिपॉजिटरी को क्लाउड-आधारित प्लेटफ़ॉर्म पर अपग्रेड किया जा रहा है ताकि भूकंपीय, उत्पादन और कुओं के डेटा तक तेज़, पारदर्शी पहुँच सुनिश्चित हो सके।केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया कि वर्तमान में अन्वेषण के अंतर्गत कुल क्षेत्र का 76% भाग केवल 2014 से सक्रिय अन्वेषण के अंतर्गत लाया गया है। अकेले ओएएलपी राउंड-IX के अंतर्गत, आठ तलछटी घाटियों में 28 ब्लॉक आवंटित किए गए हैं, जो 1.36 लाख वर्ग किलोमीटर को शामिल करते हैं-जिनमें से 38% ऐसे क्षेत्रों में आते हैं जिन्हें पहले “नो-गो” के रूप में नामित किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री पुरी ने पीएनजी नियम सार्वजनिक परामर्श पोर्टल का मसौदा भी लॉन्च किया, जिससे उद्योग और सार्वजनिक हितधारकों को फीडबैक साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
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नई दिल्ली। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों से बुधवार को मिली जानकारी के अनुसार, मार्च में भारत के कुल निर्यात (वस्तु और सेवा) 2.65 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ बढ़कर 73.61 बिलियन डॉलर हो गया। वहीं, इसी महीने के लिए कुल आयात (वस्तु और सेवा) का अनुमान 77.23 बिलियन डॉलर है, जो 4.90 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज करता है।
वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) में माल निर्यात में वृद्धि के लिए कॉफी, तंबाकू, इलेक्ट्रॉनिक सामान, चावल, जूट मैन्युफैक्चरिंग, फर्श कवरिंग, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद, चाय, कारपेट, प्लास्टिक और लिनोलियम, सभी वस्त्रों का आरएमजी, दवाएं और फार्मास्यूटिकल्स, अनाज की तैयारी और अलग-अलग प्रोसेस्ड आइटम्स, कोयला और अन्य अयस्क, प्रोसेस्ड खनिजों सहित खनिज, इंजीनियरिंग सामान और फल और सब्जियां अहम कारक रहे।वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान संचयी निर्यात (माल और सेवाएं) 5.50 प्रतिशत बढ़कर 820.93 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में यह 778.13 बिलियन डॉलर था।आंकड़ों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में 29.12 बिलियन डॉलर से 32.47 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) में 38.58 बिलियन डॉलर हो गया।कॉफी निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में 1.29 बिलियन डॉलर से 40.37 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 1.81 बिलियन डॉलर हो गया।चाय का निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 0.83 बिलियन डॉलर से 11.84 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 0.92 बिलियन डॉलर हो गया।वित्त वर्ष 2023-24 में तंबाकू निर्यात 1.45 बिलियन डॉलर से 36.53 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 1.98 बिलियन डॉलर हो गया।वित्त वर्ष 2023-24 में चावल का निर्यात 10.42 बिलियन डॉलर से 19.73 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 12.47 बिलियन डॉलर हो गया।मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में संचयी गैर-पेट्रोलियम निर्यात 374.08 बिलियन डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 352.92 बिलियन डॉलर की तुलना में 6.0 प्रतिशत की वृद्धि है।वहीं, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 4.53 बिलियन डॉलर से 12.57 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 5.1 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि कपड़ा निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 14.53 बिलियन डॉलर से 10.03 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 15.99 बिलियन डॉलर हो गया।इसके अतिरिक्त ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 27.85 बिलियन डॉलर से 9.39 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 30.47 बिलियन डॉलर हो गया। फलों और सब्जियों का निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 3.66 बिलियन डॉलर से 5.67 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 3.87 बिलियन डॉलर हो गया। -
नयी दिल्ली. भारत, चीन और जापान जैसी प्रमुख एशिया-प्रशांत की अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर में अमेरिकी जवाबी शुल्क लागू होने पर अगले दो वर्षों में 0.20 से 0.40 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा, अमेरिका की शुल्क लगाने की धमकी ने वैश्विक व्यापार व भरोसे को कम किया है। चीन और अमेरिका के साथ निर्यात पर क्षेत्र की निर्भरता का विनिर्माताओं और छोटी अर्थव्यवस्थाओं पर बहुत अधिक असर पड़ेगा। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसंधान प्रमुख (एशिया-प्रशांत) यूनिस टैन ने कहा, ‘‘ यदि दो अप्रैल, 2025 को घोषित शुल्क अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर फिर से लागू हो जाते हैं, तो इसके भू-राजनीतिक तथा आर्थिक परिणाम गहरे होंगे।'' भारत के लिए, एसएंडपी ने मार्च में 2025 और 2026 के लिए क्रमशः 6.5 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था। यदि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित जवाबी शुल्क को लागू किया जाता है तो एसएंडपी का अनुमान है कि वृद्धि दर घटकर क्रमशः 6.3 प्रतिशत तथा 6.5 प्रतिशत हो जाएगी। ट्रंप की दो अप्रैल को की गई शुल्क बढ़ोतरी की घोषणा ने वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में हड़कंप मचा दिया था। हालांकि, बाद में अतिरिक्त शुल्क लगाने के फैसले को नौ अप्रैल को उन्होंने तीन महीने के लिए टाल दिया। केवल चीन पर 125 प्रतिशत शुल्क लगा है। ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद से अमेरिका और चीन के बीच तनातनी काफी बढ़ गई है। चीन पर 20 जनवरी से अभी तक कुल 145 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। इसके अलवा अन्य देशों पर अमेरिका को निर्यात पर 10 प्रतिशत का मूल शुल्क (जिसकी घोषणा दो अप्रैल को की गई थी) अब भी लागू रहेगा। एसएंडपी ने कहा कि यदि दो अप्रैल को घोषित शुल्क पूरी तरह से लागू किए गए, तो ‘‘ चीन, जापान और भारत की प्रमुख (एशिया प्रशांत) अर्थव्यवस्थाओं में अगले दो साल में 0.20-0.40 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। वियतनाम, थाइलैंड और ताइवान की वृद्धि दर प्रत्यक्ष रूप से सबसे अधिक प्रभावित होगी।
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नयी दिल्ली. भारती एयरटेल ने मंगलवार को अपने ग्राहकों तक 10 मिनट में सिम कार्ड पहुंचाने के लिए त्वरित वाणिज्य मंच ब्लिंकिट के साथ साझेदारी की। इस पेशकश के शुरुआती चरण में सिम पहुंचाने की सेवा दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, अहमदाबाद, सूरत, चेन्नई, भोपाल, इंदौर, बेंगलुरु, मुंबई, पुणे, लखनऊ, जयपुर, कोलकाता और हैदराबाद सहित 16 प्रमुख शहरों में उपलब्ध होगी। एक बयान के अनुसार, समय के साथ इसमें अन्य शहरों और कस्बों को जोड़ा जाएगा।
बयान के मुताबिक, इस पहल के तहत ग्राहक 49 रुपये के शुल्क पर 10 मिनट में अपने घर पर सिम कार्ड पा सकेंगे। सिम कार्ड मिलने के बाद ग्राहक निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार आधार आधारित केवाईसी प्रमाणीकरण के जरिये नंबर को सक्रिय कर सकते हैं। इस साझेदारी पर टिप्पणी करते हुए भारती एयरटेल के विपणन निदेशक सिद्धार्थ शर्मा ने कहा, ‘‘एयरटेल में हमारा लक्ष्य ग्राहकों के जीवन को सरल बनाना है। आज हम 16 शहरों में ग्राहकों के घरों तक 10 मिनट में सिम कार्ड पहुंचाने के लिए ब्लिंकिट के साथ साझेदारी करके रोमांचित हैं और समय के साथ हम इस साझेदारी को अन्य शहरों में बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।'' -
नयी दिल्ली. खाद्य वस्तुओं के सस्ते होने से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति मार्च में घटकर 2.05 प्रतिशत रह गई, जो फरवरी में 2.38 प्रतिशत थी। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। हालांकि, थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति में वार्षिक आधार पर वृद्धि हुई है। मार्च 2024 में यह 0.26 प्रतिशत थी। उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, मार्च 2025 में मुद्रास्फीति सालाना आधार पर खाद्य उत्पादों, अन्य विनिर्माण, खाद्य वस्तुओं, बिजली व कपड़ा विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण बढ़ी। थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य मुद्रास्फीति फरवरी के 3.38 प्रतिशत से घटकर मार्च में 1.57 प्रतिशत रह गई। सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट इसकी मुख्य वजह रही। हालांकि, विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 3.07 प्रतिशत हो गई, जबकि फरवरी में यह 2.86 प्रतिशत थी। ईंधन तथा बिजली में भी वृद्धि देखी गई और मार्च में यह 0.20 प्रतिशत रही।
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नयी दिल्ली । बीएसई सेंसेक्स में करीब दो प्रतिशत की गिरावट से महीने की शुरुआत से अभी तक निवेशकों की संपत्ति 11.30 लाख करोड़ रुपये घट गई है। अमेरिकी प्रशासन की शुल्क योजना की घोषणा और चीन तथा अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध की बढ़ती चिंताओं के कारण हाल के दिनों में शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। बीएसई सेंसेक्स में दो अप्रैल से अभी तक 1,460.18 अंक या 1.90 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। अनिश्चितता के चलते इस अवधि में बीएसई की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) 11,30,627.09 करोड़ रुपये घटकर 4,01,67,468.51 करोड़ रुपये रह गया है। हालांकि, अमेरिका के अतिरिक्त आयात शुल्क के अपने फैसले को 90 दिन के लिए टालने के बाद बाजार में शुक्रवार को करीब दो प्रतिशत का उछाल आया था। इस दौरान बाजार 10 अप्रैल को महावीर जयंती और 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर बंद भी रहे।
लेमन मार्केट्स डेस्क के विश्लेषक सतीश चंद्र अलूरी ने कहा, ‘‘ अमेरिका के दुनिया पर व्यापक स्तर पर जवाबी शुल्क की घोषणा के बाद नए वित्त वर्ष की शुरुआत में बाजारों में उतार-चढ़ाव रहा। वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट देखी गई और भारत भी बिकवाली से अछूता नहीं रहा, लेकिन यह अबतक अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।'' अमेरिका ने दो अप्रैल को अमेरिका में प्रवेश करने वाले भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, नौ अप्रैल को इसे नौ जुलाई तक यानी 90 दिन के लिए टाल दिया गया। हालांकि, 10 प्रतिशत का मूल शुल्क अब भी लागू है। हालांकि, चीन को कोई राहत नहीं दी गई। अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 145 प्रतिशत शुल्क लगा रखा है। वहीं चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी वस्तुओं पर अपने अतिरिक्त शुल्क को बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया है। - नयी दिल्ली। भारत की शाही विरासत का दुर्लभ ‘द गोलकोंडा ब्लू' हीरा 14 मई को जिनेवा में क्रिस्टी के ‘मैग्नीफिसेंट ज्वेल्स' नीलामी में पहली बार नीलाम किया जाएगा। ‘द गोलकोंडा ब्लू' किसी जमाने में इंदौर और बड़ौदा के महाराजाओं के पास हुआ करता था। इस 23.24 कैरेट के चमकीले नीले हीरे की अनुमानित कीमत 300 से 430 करोड़ रुपये के बीच बताई जा रही है। इस ऐतिहासिक हीरे को पेरिस के मशहूर डिजाइनर जेएआर ने एक आकर्षक आधुनिक अंगूठी में जड़ा है।एक बयान के मुताबिक, “” इस तरह के असाधारण रत्न जीवन में एक बार ही बाजार में आते हैं। क्रिस्टी को अपने 259 वर्ष के इतिहास में दुनिया के सबसे अनूठे आर्चड्यूक जोसेफ, प्रिंसी और विटल्सबैक सहित गोलकोंडा हीरे को लोगों के सामने पेश करने का सम्मान मिला है। क्रिस्टी ज्वेल्स के अंतरराष्ट्रीय आभूषण प्रमुख राहुल कडाकिया ने एक बयान में बताया, “अपनी शाही विरासत, असाधारण रंग और असाधारण आकार की वजह से ‘द गोलकोंडा ब्लू' वास्तव में दुनिया के सबसे दुर्लभ नीले हीरों में से एक है।” उन्होंने बताया, “अब तक खोजे गए सबसे महत्वपूर्ण और दुर्लभ नीले हीरों में से एक के रूप में प्रशंसित ‘द गोलकोंडा ब्लू' हीरे की नीलामी भारतीय दर्शकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका सीधा संबंध भारतीय राजघरानों से है। इसकी (नीले हीरे की) उत्पत्ति वर्तमान तेलंगाना की प्रसिद्ध गोलकोंडा खदानों से हुई है, जो दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित हीरे उत्पन्न करने के लिए प्रसिद्ध है।” बयान के अनुसार, ‘द गोलकोंडा ब्लू' नाम से मशहूर यह हीरा कभी इंदौर के महाराजा यशवंत राव होलकर द्वितीय का हुआ करता था, जो 1920 और 30 के दशक के दौरान अपने महानगरीय जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध एक आधुनिक सम्राट थे। बयान में बताया गया कि 1923 में महाराजा के पिता ने फ्रांसीसी घराने चौमेट से इस असाधारण नीले हीरे से युक्त एक कंगन बनवाया था। इससे पहले उन्होंने उसी जौहरी से प्रसिद्ध ‘इंदौर पीयर्स'(दो महत्वपूर्ण गोलकोंडा हीरे) खरीदे थे। एक दशक बाद, महाराजा ने मौबौसिन को अपना आधिकारिक जौहरी नियुक्त किया, जिन्होंने शाही संग्रह को फिर से डिज़ाइन किया और 'द गोलकोंडा ब्लू' को प्रसिद्ध ‘इंदौर पीयर' हीरे के साथ एक आकर्षक हार में जड़ा। फ्रांसीसी चित्रकार बर्नार्ड बाउटेट डी मोनवेल ने इंदौर की महारानी के एक चित्र में इस हार को चित्रित कर इसे अमर कर दिया गया। 1947 में, ‘द गोलकोंडा ब्लू' को न्यूयॉर्क के प्रसिद्ध जौहरी हैरी विंस्टन ने खरीदा, जिन्होंने इसे, इसके ही आकार के सफ़ेद हीरे के साथ एक ब्रोच में जड़ा। बाद में वह ब्रोच बड़ौदा के महाराजा के पास पहुंचा। इस तरह ‘द गोलकोंडा ब्लू' निजी हाथों में जाने से पहले भारत के शाही वंश से होते हुए आगे बढ़ा। जिनेवा के ‘फोर सीजन्स होटल डेस बर्गेस' में नीलामी होगी।
- नयी दिल्ली। भारत के समुद्री खाद्य निर्यातक अमेरिका को 35,000-40,000 टन झींगा भेजने की तैयारी कर रहे हैं। उद्योग के अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने की योजना पर रोक लगाने के बाद ऑर्डर स्थिर बने हुए हैं। भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ के महासचिव के एन. राघवन ने कहा, ‘‘ अब हमें काफी राहत मिली है, क्योंकि हम अमेरिका के अन्य निर्यातकों के बराबर पहुंच गए हैं। अब रोके गए निर्यात को भेजने की तैयारी की जाएगी।'' उन्होंने कहा कि अमेरिकी शुल्क की घोषणा और फिर उन पर रोक के कारण लंबित हुए झींगा के करीब 2,000 कंटेनर अब निर्यात के लिए तैयार किए जा रहे हैं। अस्थायी राहत के तहत चीन को छोड़कर सभी देशों पर 10 प्रतिशत का मूल शुल्क लागू रहेगा। चीन पर 145 प्रतिशत शुल्क है। अमेरिका को भारतीय झींगा निर्यात पर वर्तमान में 17.7 प्रतिशत का प्रभावी सीमा शुल्क लगता है, जिसमें 5.7 प्रतिशत प्रतिकारी शुल्क और 1.8 प्रतिशत डंपिंग रोधी शुल्क शामिल है। उद्योग जगत के सूत्रों ने बताया कि भारतीय निर्यातक आमतौर पर आपूर्ति शुल्क-भुगतान व्यवस्था के तहत शुल्क लागत वहन करते हैं, जिसका मतलब है कि पहले से अनुबंधित निर्यात को उच्च शुल्क के तहत महत्वपूर्ण अतिरिक्त खर्चों का सामना करना पड़ता। उद्योग के एक प्रतिनिधि ने कहा, ‘‘ (अतिरिक्त शुल्क पर) 90 दिन की रोक से निर्यातकों को अतिरिक्त लागत के बिना इन ऑर्डर को पूरा करने का अवसर मिलता है।'' भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ के अनुसार, अमेरिका से ऑर्डर में कोई कमी नहीं आई है, जो मात्रा और मूल्य के मामले में भारत का सबसे बड़ा झींगा बाजार बना हुआ है। भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका को 2.7 अरब अमेरिकी डॉलर का झींगा निर्यात किया।राघवन ने सरकार से आग्रह किया कि शुल्क रोक समाप्त होने से पहले आगामी व्यापार वार्ता के दौरान देश के समुद्री खाद्य निर्यात के लिए ‘‘समान अवसर'' सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
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नयी दिल्ली. टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लि. ने 200 मेगावाट क्षमता की हरित ऊर्जा परियोजना स्थापित करने को लेकर एनटीपीसी लि. के साथ बिजली खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। टाटा पावर की अनुषंगी कंपनी टीपीआरईएल ने सोमवार को बयान में कहा, ‘‘इस परियोजना के साथ, इसकी कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 10.9 गीगावाट तक पहुंच गई है।'' टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लि. (टीपीआरईएल) ने कहा कि देश में विभिन्न स्थानों पर फैली यह परियोजना (‘फर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी) 24 महीनों के भीतर पूरी होनी है और इससे सालाना लगभग 130 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन की उम्मीद है। परियोजना सालाना 10 लाख टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करेगी। इस परियोजना को टीपीआरईएल ने प्रतिस्पर्धी बोली के आधार पर हासिल किया था और इसमें सौर, पवन और बीईएसएस (बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली) प्रौद्योगिकी शामिल होंगी। इस पहल की एक प्रमुख विशेषता अधिकतम मांग के समय चार घंटे की आपूर्ति की प्रतिबद्धता है। यह वितरण कंपनियों की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिकतम मांग के दौरान कम से कम 90 प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित करती है। इस परियोजना के साथ, टीपीआरईएल की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 10.9 गीगावाट हो गई है।
वर्तमान में, इस क्षमता का 5.5 गीगावाट चालू है, जिसमें 4.5 गीगावाट सौर और एक गीगावाट पवन ऊर्जा शामिल है। इसके अतिरिक्त, 5.4 गीगावाट क्षमता की सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में है। इन परियोजनाओं के अगले छह से 24 महीनों में चरणबद्ध रूप से पूरा होने की उम्मीद है। -
नई दिल्ली। ट्रेड वार के चलते गोल्ड की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़कर 4,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं, जो कि मौजूदा भाव 3,247 डॉलर प्रति औंस से करीब 38 प्रतिशत अधिक है। यह जानकारी विदेशी निवेश बैंक गोल्डमैन सैश की ओर से दी गई।
2025 के अंत तक गोल्ड की कीमतें 4,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैंविदेशी निवेश बैंक गोल्डमैन सैश ने बढ़ते अमेरिकी-चीन व्यापार युद्ध और मंदी की आशंकाओं का हवाला देते हुए कहा कि अत्यधिक जोखिम की स्थिति में 2025 के अंत तक गोल्ड की कीमतें 4,500 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं।गोल्डमैन सैश की ओर से 2025 के अंत के गोल्ड के टारगेट में तीसरी बार बढ़ोतरी की गई हैइसके अलावा, वित्तीय फर्म ने कहा कि सामान्य स्थिति में गोल्ड की कीमतें 2025 के अंत तक बढ़कर 3,700 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। गोल्डमैन सैश की ओर से 2025 के अंत के गोल्ड के टारगेट में तीसरी बार बढ़ोतरी की गई है। इससे पहले विदेशी बैंक ने गोल्ड की कीमत के टारगेट को बढ़ाकर 3,300 डॉलर प्रति औंस कर दिया था।गोल्ड की कीमतों में बीते हफ्ते 6.5 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला हैविदेशी फर्म ने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में वृद्धि के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ी चिंताओं के चलते मंदी से बचाव के लिए गोल्ड की मांग बढ़ गई है। गोल्ड की कीमतों में बीते हफ्ते 6.5 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। कोविड-19 के बाद गोल्ड का यह सबसे अच्छा साप्ताहिक प्रदर्शन था। इसकी वजह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से वैश्विक स्तर पर बढ़ती अस्थिरता है, जिससे गोल्ड की कीमतों को सहारा मिल रहा है।व्यक्तिगत निवेशकों के अलावा, संस्थानों और केंद्रीय बैंकों की ओर से भी गोल्ड की मांग बढ़ रही है, जिससे कीमतों को सहारा मिला हैबाजार विश्लेषकों का कहना है कि मंदी के जोखिम, बॉन्ड यील्ड में वृद्धि और वित्तीय अस्थिरता की चिंता निवेशकों को गोल्ड की ओर आकर्षित कर रही है। व्यक्तिगत निवेशकों के अलावा, संस्थानों और केंद्रीय बैंकों की ओर से भी गोल्ड की मांग बढ़ रही है, जिससे कीमतों को सहारा मिला है। इस साल की पहली तिमाही में गोल्ड आधारित एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में 2020 के बाद से सबसे अधिक निवेश हुआ। केंद्रीय बैंक, खासकर उभरते बाजारों में, डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश में अधिक मात्रा में गोल्ड खरीद रहे हैं।( -
नयी दिल्ली. मर्सिडीज-बेंज इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) संतोष अय्यर का मानना है कि मौजूदा शुल्क युद्ध बेहतर व्यापार और अड़चनों को कम करने करने के अवसर भी प्रदान करता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि शुल्क युद्ध थोड़े समय के लिए झटका देगा, लेकिन यह अवसर भी पैदा करेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत का वाहन क्षेत्र अमेरिकी प्रशासन के शुल्क युद्ध से सीधे प्रभावित नहीं है। अय्यर ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति, मुद्रा में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी चिंताओं के कारण वैश्विक स्तर पर अत्यधिक अस्थिर परिदृश्य के बावजूद लक्जरी खंड में उपभोक्ता धारणा अब भी सकारात्मक है। उन्होंने शुल्क युद्ध के कुल प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘पहली बार हम अपनी सीमाओं को खोलने की बात कर रहे हैं। दोतरफा व्यापार को खोलने की बात कर रहे हैं। हम हमेशा से अधिक मुक्त और उचित व्यापार नीतियों का समर्थन करते रहे हैं, जो वृद्धि को समर्थन देने के साथ नवोन्मेषण को बढ़ाने वाली भी हो।'' उन्होंने जोर देकर कहा कि कम शुल्क और घटी व्यापार बाधाओं के साथ मुक्त व्यापार ने उल्लेखनीय रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा दिया है, जिससे अर्थव्यवस्थाओं और समुदायों को लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, निश्चित रूप से, हम व्यापार बाधाओं को कम करने के लिए बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग का समर्थन करते हैं और उन्हें लंबे समय में मदद करनी चाहिए। अल्पावधि में, झटके लग सकते हैं, लेकिन लंबे समय में, बेहतर व्यापार और बाधाओं में कमी और वस्तुओं और सेवाओं की बेहतर दोतरफा आवाजाही हमेशा अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होती है।
उन्होंने कहा, दीर्घावधि में इस बात पर भरोसा बढ़ा है कि व्यापार जारी रहेगा और भारत को मौजूदा भू-राजनीतिक व्यवस्था से और अधिक लाभ होगा।'' अय्यर ने बताया कि ऐसा परिदृश्य भी हो सकता है जहां भारत को इस समग्र भू-राजनीतिक बदलाव के कारण लाभ मिलता है... इसलिए हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि यह कैसे विकसित होता है।'' भारतीय वाहन क्षेत्र पर शुल्क युद्ध के प्रभाव पर, उन्होंने कहा, ‘‘वाहन खंड में हम सीधे प्रभावित नहीं हैं। अधिकांश कारें यहां बनाई जाती हैं। यह कोई बड़ा प्रभाव नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि शुल्क युद्ध के अप्रत्यक्ष प्रभाव से मुद्रा में उतार-चढ़ाव आया है, रुपये में गिरावट आई है और वाहन विनिर्माताओं, खासकर लक्जरी खंड में, को अपने वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ी है। -
लातूर/ महाराष्ट्र के लातूर में जिला निवेश शिखर सम्मेलन के दौरान 2,268 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। कलेक्टर वर्षा ठाकुर-घुगे ने कहा कि 108 इकाइयों के साथ समझौता ज्ञापनों से 2,600 नौकरियां पैदा होंगी। उन्होंने कहा कि पिछले साल का लक्ष्य 600 करोड़ रुपये था, लेकिन वास्तविक निवेश 1,200 करोड़ रुपये से अधिक था। कलेक्टर ने कहा, “उद्योग जगत की चुनौतियों को हल करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन लगातार कारोबारी नेताओं से बातचीत कर रहा है। यह सहयोग भविष्य में भी जारी रहेगा। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसी योजनाओं को लागू करने के मामले में लातूर लगातार महाराष्ट्र के शीर्ष जिलों में शुमार रहा है।” उन्होंने उद्योगों से सौर ऊर्जा समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने का आग्रह किया तथा बैंकों से उद्यमियों को बेहतर सहायता प्रदान करने के लिए ऋण नीतियों को सरल बनाने को कहा।
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नई दिल्ली। भारत की नेचुरल गैस खपत में 2030 तक करीब 60 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिल सकती है। इसकी वजह देश द्वारा तेल आयात से निर्भरता कम करके स्वच्छ ईंधनों की तरफ बढ़ना है। यह जानकारी पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड (पीएनजीआरबी) की रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि ‘गुड-टू-गो’ परिदृश्य (जिसमें मौजूदा रुझानों और प्रतिबद्धताओं के आधार पर मध्यम वृद्धि को माना जाता है) में नेचुरल गैस की खपत 2023-24 में 188 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन से बढ़कर 2030 तक 297 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन होने की उम्मीद है।
वर्ष 2040 तक नेचुरल गैस की खपत बढ़कर 496 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन पहुंचने का है अनुमानइस परिदृश्य के तहत वर्ष 2040 तक नेचुरल गैस की खपत बढ़कर 496 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन पहुंचने का अनुमान है। ‘गुड टू बेस्ट’ परिदृश्य के तहत, जो त्वरित प्रगति, अनुकूल नीति कार्यान्वयन और बढ़े हुए निवेश को ध्यान में रखता है, जिससे अपेक्षा से अधिक वृद्धि होती है, खपत 2030 तक 365 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन और 2040 तक 630 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन तक बढ़ सकती है।देश 2070 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहा हैसरकार का लक्ष्य देश की प्राइमरी एनर्जी बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को मौजूदा 6-6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत करना है। देश 2070 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदूषणकारी जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है, जिसमें गैस को एक ब्रिज ईंधन माना गया है।पीएनजीआरबी ने पहले ही 307 भौगोलिक क्षेत्रों में गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर लिया हैरिपोर्ट में बताया गया कि पीएनजीआरबी ने पहले ही 307 भौगोलिक क्षेत्रों में गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर लिया है, जो द्वीपों को छोड़कर पूरे देश को कवर करती है, जिससे घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक और परिवहन क्षेत्रों में नेचुरल गैस की व्यापक पहुंच सुनिश्चित होती है। रिपोर्ट के अनुसार, “शहरी गैस वितरण (सीजीडी) क्षेत्र प्राथमिक विकास चालक होने की उम्मीद है, जिसमें 2030 तक खपत 2.5 से 3.5 गुना और वित्त वर्ष 24 में 37 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर प्रतिदिन के आधार से 2030 तक खपत 6 से 7 गुना बढ़ने का अनुमान है।”वर्तमान में, भारत का प्राकृतिक गैस उत्पादन मांग का लगभग 50 प्रतिशत ही पूरा करता हैवर्तमान में, भारत का प्राकृतिक गैस उत्पादन मांग का लगभग 50 प्रतिशत ही पूरा करता है। 2030 और 2040 तक मांग में मजबूत वृद्धि होने की उम्मीद है, इसलिए मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए एलएनजी पर निर्भरता बढ़ेगी। इस वृद्धि के परिणामस्वरूप 2030 तक एलएनजी आयात दोगुना हो जाएगा। -
नयी दिल्ली. निर्यातकों ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका के जवाबी शुल्कों को 90 दिन के लिए टालने से बड़ी राहत मिली है। साथ ही इससे भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत को आगे बढ़ाने का रास्ता खुला है। उन्होंने कहा कि व्यापार समझौते के लिए कूटनीतिक भागीदारी और तेजी से बातचीत करने से भारत को इन शुल्कों से निपटने में मदद मिलेगी। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ ‘फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन' (फियो) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन ने कहा, ‘‘ (अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ट) ट्रंप के प्रशासन का यह एक अच्छा फैसला है। वाणिज्य मंत्रालय ने हमें आश्वासन दिया है कि समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा।'' उन्होंने कहा कि यह कदम एक रणनीतिक विराम को दर्शाता है जिसका उद्देश्य संभावित समाधानों के लिए राह बनाते हुए तत्काल आर्थिक नुकसान से बचना है। रल्हन ने कहा, ‘‘ यह हमारे निर्यातकों के लिए बड़ी राहत है। जवाबी शुल्क को 90 दिन के लिए टालने से कूटनीतिक जुड़ाव और व्यापार वार्ता के लिए महत्वपूर्ण अवसर उपलब्ध हुआ है।'' अमेरिका के निर्णय का स्वागत करते हुए मुंबई स्थित निर्यातक एस. के. सराफ ने कहा कि भारतीय उद्योग को चीन पर उच्च शुल्क का लाभ उठाना चाहिए, क्योंकि इससे वह सस्ती कीमतों पर मध्यवर्ती वस्तुओं का आयात कर सकता है और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दे सकता है। अमेरिका को निर्यात करने वाले सराफ ने कहा, ‘‘ मिसाल के तौर पर वस्त्र उद्योग में हम चीन से विभिन्न प्रकार के धागे आयात कर सकते हैं और निर्यात के लिए वस्त्र तैयार कर सकते हैं। यह भारत और चीन के साथ आने का अच्छा अवसर है। मुझे लगता है कि यह रोक 90 दिन से आगे भी जारी रहेगी और चीजें सामान्य हो जाएंगी।'' वैश्विक बाजार में नरमी के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अचानक 90 दिन के लिए अधिकतर देशों पर लगाए गए शुल्क पर रोक लगा दी लेकिन चीनी आयात पर शुल्क की दर बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दी। हालांकि, पांच अप्रैल से लगाया गया 10 प्रतिशत शुल्क अब भी लागू रहेगा। अमेरिका ने भारत पर 26 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया था। उद्योग जगत के लोगों और निर्यातकों के साथ नौ अप्रैल को बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने निर्यातकों से न घबराने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते पर भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत कर रहे हैं। इसका उद्देश्य 2023 तक अपने व्यापार को वर्तमान 191 अरब अमेरिकी डॉलर से दोगुना कर 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाना है। दोनों पक्षों ने इस वर्ष की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक इसके पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
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नयी दिल्ली. सिलाई मशीन और घरेलू उपकरण क्षेत्र की प्रमुख कंपनी सिंगर इंडिया का लक्ष्य घरेलू उपकरण बाजार में 30 प्रतिशत वृद्धि हासिल करना है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। सिंगर इंडिया के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राकेश खन्ना ने कहा कि घरेलू उपकरण खंड में कंपनी का लक्ष्य 30 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने का है। कंपनी ने एक नया पंखा ‘क्लाउड कूल एक्स फैन' बाजार में उतारा है। खन्ना ने इस मौके पर कहा कि यह पंखा ठंडक प्रदान करने वाले उपकरणों की श्रेणी में अपनी तरह का पहला उत्पाद है। सिंगर इंडिया ने बताया कि यह पंखा प्रमुख ई-कॉमर्स मंच, चुनिंदा खुदरा दुकानों और कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा। इसमें क्लाउड प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है, जिसकी वजह से यह स्वाभाविक रूप से ठंडक प्रदान करता है।
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नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) ने बृहस्पतिवार को कर्ज पर ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की। एक दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रमुख ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। बैंक ने उसी फैसले का लाभ अपने ग्राहकों को देने के लिए कर्जों पर ब्याज की दर घटा दी है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने बयान में कहा कि उसने खुदरा और एमएसएमई क्षेत्रों को दिए जाने वाले ऋण के लिए मानक-संबद्ध कर्ज की दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। बैंक ने कहा कि ग्राहकों को आरबीआई की मौद्रिक नीति के कदम से तुरंत लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है। इस बीच, बैंक ने कोष की सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) को अपरिवर्तित रखा है।
मानक एक साल की अवधि के एमसीएलआर को नौ प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। वाहन और व्यक्तिगत उपभोक्ता ऋणों की दर तय करने के लिए एमसीएलआर का ही इस्तेमाल किया जाता है।