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- लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)जीवन-पथ में चलो चलें हम, हँसते मुस्काते।पार करेंगे हर मुश्किल को, प्रेम गीत गाते।।मोती सच्चे अनमोल बड़े , हैं विश्वासों के ।वक्त-वृक्ष की शाखाओं में, फल हैं साँसों के।पूर्व टूटने के जगती को, खुशियाँ दे जाते ।।जीवन पथ में चलो चलें हम, हँसते मुस्काते ।।डगमग होती तूफानों में, जीवन की नैया ।धरे हाथ पर हाथ नहीं अब, बैठो खेवैया ।धैर्य कुशलता साहस संबल, गुण पार लगाते ।।जीवन पथ में चलो चलें हम, हँसते मुस्काते ।।सपन-पतंगें भरें उड़ानें, सीमा से आगे ।लक्ष्य-प्राप्ति की दृढ संकल्पित, डोरी झट भागे ।पथ से विचलित नहीं खिलाड़ी , अंबर छू पाते ।।जीवन-पथ में चलो चलें हम, हँसते मुस्काते ।।
- लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)नमन करूँ हे मात शारदे,मुझको नित ही ज्ञान मिले ।कलम करे शुचि कर्म निरंतर ,लेखन को पहचान मिले ।।द्वेष-दंभ छल कलुष भाव से ,अंतस मेरा दूर रहे ।गंगाजल सम निर्मल जीवन ,खुशियों से भरपूर रहे ।बढ़ती रहूँ सत्य के पथ पर ,राह नहीं तूफान मिले ।हृदय बने विशाल सागर सम ,लहरों-सा उत्थान मिले ।।अधरों पर मुस्कान सजाए ,मधुरिम मीठी वाणी हो ।शुभता का उजियारा मन में ,कर्म सदा कल्याणी हो ।स्नेह मिले मुझको अपनों का ,ज्ञानी मित्र सुजान मिले ।सुंदर , सरल , सहज हो जीवन ,कभी नहीं अपमान मिले ।।सुमन सरिस सुरभित सुंदर ,मृदुल मनोहर मन मेरा ।निशिगंधा-सी महकीं रातें ,सुखद प्रात का पग-फेरा ।साहस संबल सदा साथ हो ,प्यार , मान - सम्मान मिले ।क्षणिक सुखद यश-वैभव होते ,भक्ति-शक्ति वरदान मिले ।।
- आलेख- दिलीप संघानी (अध्यक्ष- एनसीयूआई, इफको और गुजकोमासोल, पूर्व सहकारिता मंत्री, गुजरात)सहकारिता रूपी नदी धाराप्रवाह बहती जा रही है। यह किसी बंधन से नहीं बांधी जा सकती है । यह जहां भी जाती है, विकास के छोटे से लेकर बड़े बीज बोती जाती है और आर्थिक समर्थन का आधार पैदा करती है। वास्तव में, इसके शाब्दिक अर्थ से कहीं अधिक, सहकारिता सामाजिक और आर्थिक उत्थान का द्योतक है। हम सभी किसी न किसी तरह सहकारिता से जुड़े हुए हैं, और इसकी यात्रा में निरंतर सहयोग कर रहे हैं।भारत की सहकारी परंपरा प्राचीन है, जिसकी जड़ें इसकी संस्कृति और आर्थिक प्रणालियों में गहरी पैठ रखे हुए है। चाणक्य के अर्थशास्त्र के अनुसार, गाँवों की वित्तीय संरचना सहकारी ढांचे, रोजगार प्रदान करने, परिवारों का समर्थन करने और सामाजिक विकास में योगदान करने को दर्शाती हैं। हमारे स्वतंत्रता संग्राम में भी सहकारिता की भावना की प्रमुख भूमिका थी। रियासतों को एकजुट करने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के दूरदर्शी प्रयासों और महात्मा गांधी के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन ने सामाजिक सहयोग का प्रदर्शन किया। इस प्रकार, यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि सहकारिता हमारे राष्ट्र के लोकाचार में शुरू से ही शामिल रही है।सहकारी मॉडल की परिवर्तनकारी क्षमता पहचानते हुए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की, जो आधुनिक भारत में एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल समावेशी विकास और समृद्धि के लिए मोदी जी की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह, जो एक अनुभवी सहकारी नेता हैं, ने इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तनों का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदर्शी नीतियों और मार्गदर्शन में भारत के सहकारी आंदोलन को एक नई दिशा मिली है, जिसमें "सहकार से समृद्धि" के सूत्र वाक्य पर जोर है। श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकारी क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हो रहा है और वैश्विक स्तर पर यह क्षेत्र तेजी से मान्यता प्राप्त कर रहा है।लगभग 132 साल पहले स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन ने नवंबर 2024 में 107 से अधिक देशों के साथ भारत में अपनी पहली बैठक की। भारत के सहकारी इकोसिस्टम की बढ़ती ताकत को देखना सभी भारतीयों के लिए गर्व का पल था। नई दिल्ली में इफको द्वारा आयोजित आई. सी. ए. वैश्विक सम्मेलन की सफल मेजबानी से भारत ने सहकारी आंदोलन के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।आई. सी. ए. अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया, जिसमें भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे, फिजी के उप-प्रधानमंत्री मनोआ कामिकामिका, आई. सी. ए. के अध्यक्ष एरियल ग्वार्को और 107 देशों के 1,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान, संयुक्त राष्ट्र ने सहकारिता क्षेत्र के वैश्विक प्रभाव को मान्यता देते हुए वर्ष 2025 को "अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष" घोषित किया है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरक दृष्टि और रणनीतिक नेतृत्व ने भारत के सहकारी आंदोलन को वैश्विक महत्व दिया है। जमीनी स्तर पर सशक्तिकरण पर उनके जोर के साथ-साथ अमित शाह जी की सहकारी मॉडल की गहरी समझ ने इस क्षेत्र को दुनिया के लिए आशा की नई किरण के तौर पर पेश किया है। इस सम्मेलन की सफलता उनके अनुकरणीय नेतृत्व और वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद का प्रमाण है।कई अंतर्राष्ट्रीय सहकारी नेताओं ने भारत के सहकारी आंदोलन के बारे में जानने और भारत में प्रमुख सहकारी संगठनों के साथ साझेदारी की खोज करने में गहरी रुचि व्यक्त की। इस अनुभव ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (दुनिया एक परिवार है) के दृष्टिकोण की भावना को मजबूत किया, जो हमारे राष्ट्र के मूल्यों और परंपराओं से मेल खाती है।भारत की डेयरी सहकारी समितियां ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दृष्टिकोण और सहकारिता की सफलता को आगे बढाने के लिए मजबूती से खड़ी हैं। अमूल डेयरी कोऑपरेटिव की स्वप्निल यात्रा विस्मय पैदा करने वाली है। एक छोटे स्तर पर शुरू करके यह दुनिया की सबसे बड़ी डेयरी सहकारी समितियों में से एक बन गई है। इसके अलावा, "आणंद पैटर्न" पर आधारित अमूल की सफलता, जिसमें किसान ही सह-स्वामी होने के साथ-साथ आपूर्तिकर्ता भी है, ने आय और लाभ का उचित वितरण सुनिश्चित किया है। निर्णय लेने में किसानों की प्रत्यक्ष भागीदारी से और भी बेहतर प्रबंधन हुआ है। इसकी सफलता आर्थिक विकास से परे है, और महिला सशक्तिकरण के लिए एक मंच प्रदान करती है जो इसे देश और दुनिया भर की अन्य कृषि और डेयरी सहकारी समितियों के लिए एक आदर्श खाका बनाती है। इस क्षेत्र के लिए काम करने से सहकारिता के आदर्शों के प्रति मेरी प्रतिबद्धता की पुष्टि हुई है। मैंने 30 साल पहले 1995 में ‘वसुंधरा-अमरेली’ नामक संगठन की स्थापना की थी। यह संगठन वसुधैव कुटुम्बकम’ के सिद्धांत को बढ़ावा देने के महान लक्ष्य से प्रेरित है। इसका उद्देश्य सभी जीवित प्राणियों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ावा देना है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के दूरदर्शी नेतृत्व से सशक्त भारत का सहकारी ढांचा विकास के लिए एक प्रेरक मॉडल के रूप में उभरा है। "सहकार से समृद्धि" के दृष्टिकोण को न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर स्वीकृति मिल रही है। आई. सी. ए. वैश्विक सम्मेलन ने सहकारी नीतियों को और मजबूत करने, उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण, नेतृत्व को बढ़ावा देने, समानता सुनिश्चित करने और सहकारिता के माध्यम से न्याय को आगे बढ़ाने के लिए आधार तैयार किया है।आज की दुनिया में एक शांतिपूर्ण क्रांति केवल सहकारी ढांचे के माध्यम से ही संभव है। दुनिया में असमानता के बढ़ते विभाजन को केवल सहकारी उपायों के माध्यम से ही कम किया जा सकता है। युवाओं और समाज के अन्य वर्गों के बीच अलगाव की बढ़ती भावना को सहकारी समितियों के बंधन से ही कम किया जा सकता है। साझा भविष्य के लिए यह अनिवार्य है कि सहकारी आंदोलन केंद्र में रहें और न्यायसंगत आर्थिक और सामाजिक विकास करें।***
- आलेख- नवीन पी सिंहभारतीय कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था की आधारशिला है। यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 18 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 58 प्रतिशत आबादी को आजीविका प्रदान करता है। यह अनिवार्य क्षेत्र खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है और कई संबद्ध उद्योगों का समर्थन करता है। जैसे-जैसे हम वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट के करीब पहुंच रहे हैं, हमें उन असंख्य चुनौतियों को पहचानना चाहिए, जो इसकी स्थिरता और प्रगति को खतरे में डालती हैं। पिछले कुछ समय में, कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव और किसानों का बढ़ता कर्ज फिलहाल कृषि उत्पादकता और कल्याण पर विपरीत प्रभाव डालता है। मध्यम अवधि की चुनौतियों में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने के लिए स्थायी प्रणालियों को अपनाने की तत्काल आवश्यकता शामिल है, ताकि पारंपरिक कृषि पद्धतियां बाधित न हों। भविष्य का ध्यान रखते हुए, इस क्षेत्र को तेजी से बदलते आर्थिक परिदृश्य में अपनी महत्वपूर्ण स्थिति बनाए रखने के लिए नवाचार को अपनाकर और विकास की ओर बढ़ना चाहिए। नीति निर्माताओं को आगामी बजट में दीर्घकालिक सतत विकास पहलों के साथ इन तत्काल दबावों को रणनीतिक रूप से संतुलित करना चाहिए। संकटग्रस्त किसानों के लिए तत्काल राहत के उपायों को प्राथमिकता देकर, जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियों में निवेश करके और नवाचार को बढ़ावा देकर, सरकार कृषि क्षेत्र के लिए एक व्यापक कार्यक्रम बना सकती है, जो आर्थिक विकास का समर्थन करे और भारतीय कृषि के भविष्य को सुरक्षित करे।कृषि अनुसंधान एवं विकास में ऊंची छलांग - समय की आवश्यकताभारतीय कृषि अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को बहुत कम धन उपलब्ध है, जो वैश्विक औसत 1 प्रतिशत की तुलना में कृषि सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.4 प्रतिशत है। यह कमी नवाचार और जलवायु-अनुकूल फसलों, जल प्रबंधन और उन्नत कीट नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों के लिए समाधान अपनाने में बाधा डालती है। बजट में आरएंडडी आवंटन को दोगुना करना चाहिए, आईसीएआर और एसएयू जैसे संस्थानों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) से प्राप्त बेहतर कर लाभों के माध्यम से निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करना चाहिए। ये पहल शिक्षाविदों, उद्योग और किसानों के बीच मजबूत सहयोग पर आधारित इको-सिस्टम का निर्माण करेगी, जिससे ऐसी सफलताएं सुनिश्चित होंगी और कृषि उत्पादकता के साथ-साथ स्थायित्व को बढ़ावा मिल सकता है।फसल की कटाई के बाद के नुकसान को कम करने हेतु इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी दूर करनाभारत में फसल की कटाई के बाद का नुकसान सालाना 10-20 प्रतिशत तक होता है, जो भंडारण, रसद और वितरण संबंधी अक्षमताओं को चिन्हित करता है। कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर कोष के अंतर्गत आवंटन के बावजूद, ये अंतर अपनी जगह कायम हैं। इस बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण सुविधा, कोल्ड चेन और डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करने के कार्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि बर्बादी को कम किया जा सके और किसानों का बाजार से संपर्क बढ़ाया जा सके। इसके अलावा, बढ़ते खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और बढ़ती प्रति व्यक्ति आय भारत में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मांग को बढ़ाती है। इसके लिए एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता होती है। मशरूम की खेती और मधुमक्खी पालन जैसी वैकल्पिक कृषि गतिविधियों में निवेश करने से अतिरिक्त ग्रामीण रोजगार पैदा हो सकते हैं। सूक्ष्म सिंचाई पहलों का विस्तार करने से उत्पादकता में और भी अधिक वृद्धि होने के साथ ही पानी की कमी दूर की जा सकेगी।जलवायु अनुकूलन : कृषि नीति का एक नया स्तंभअप्रत्याशित मौसम, बेमौसम बारिश और मिट्टी के क्षरण के कारण जलवायु परिवर्तन भारतीय कृषि के लिए जोखिम उत्पन्न करता है। फसल विविधीकरण और प्राकृतिक तथा जैविक खेती सहित टिकाऊ प्रणालियों के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता आवश्यक है। जल की कमी वाले क्षेत्रों को कवर करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का विस्तार करना और सौर ऊर्जा से सिंचाई के लिए सब्सिडी प्रदान करना जलवायु के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। तिलहन और दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए लक्षित मिशन-मोड कार्यक्रम जलवायु से जुड़ी चुनौतियों से निपट सकते हैं, साथ ही आयात पर निर्भरता कम कर आत्मनिर्भरता बढ़ा सकते हैं।फसल विविधीकरण: किसानों की आर्थिक मजबूती का माध्यमपशुधन, मत्स्य पालन और बागवानी जैसे संबद्ध क्षेत्रों में आय स्रोतों में विविधता लाना किसानों की फसल आय पर निर्भरता को कम करने के लिए आवश्यक है। पशुधन कृषि सकल घरेलू उत्पाद का 28 प्रतिशत है, और मत्स्य पालन को पशुपालन इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास निधि और पीएमएमएसवाई जैसी लक्षित योजनाओं के माध्यम से अधिक धन की आवश्यकता है। इसी तरह, बागवानी इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, जैसे कि फ्रीजिंग, भंडारण और प्रसंस्करण से जुड़ी सुविधाएं, इस क्षेत्र की निर्यात क्षमता को बढ़ा सकती हैं। बजट में इन क्षेत्रों को एक ऐसी समेकित कृषि प्रणाली में एकीकृत किया जाना चाहिए, जो किसानों को अधिकतम लाभ प्रदान करे।डिजिटल कृषि: खेती की परंपराओं में सुधारकृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रिया-कलाप शामिल होने से निर्णय प्रक्रिया और दक्षता में क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकता है। पारदर्शिता और बाजार की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ई-एनएएम जैसे प्लेटफॉर्म का विस्तार करके इसमें सभी मंडियों को शामिल किया जाना चाहिए। आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, फसल बीमा और मृदा स्वास्थ्य निगरानी में एआई और ब्लॉकचेन जैसी उन्नत तकनीकों को एक साथ जोड़ने से दक्षता और जोखिम प्रबंधन में काफी सुधार हो सकता है। 10,000 कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की स्थापना के लिए मजबूत वित्तीय और तकनीकी सहायता की आवश्यकता है, ताकि सामूहिक सौदेबाजी और बाजार पहुंच में वृद्धि के माध्यम से लघु एवं सीमांत किसानों को सशक्त बनाया जा सके।डिजिटल इकोसिस्टम के साथ स्पॉट और वायदा बाजारों को जोड़नाकेंद्रीय बजट में मजबूत डिजिटल इकोसिस्टम और डेटा-संचालित संरचना विकसित करके स्पॉट और वायदा बाजारों को एक साथ जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। ई-एनएएम जैसे डिजिटल स्पॉट बाजारों का विस्तार करके इसमें सभी मंडियों को शामिल करना और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वेयरहाउस रिसीट (ई-डब्ल्यूआर) से जोड़ना किसानों को उनकी फसल की कुल उपज का मुद्रीकरण करने, संकट की स्थिति में बिक्री को कम करने और वैश्विक व्यापार मानकों का अनुपालन करने में सक्षम बना सकता है। वस्तुओं के लिए एक केंद्रीकृत डेटा भंडार, वेयरहाउसिंग सिस्टम, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और सरकारी एजेंसियों से इनपुट को समेकित करके, वायदा बाजारों में सटीक मूल्य का पता लगाने और जागरूक निर्णय लेने की सुविधा प्रदान कर सकता है। इसके अलावा, स्पॉट और वायदा बाजारों के विकास को सुसंगत बनाने के लिए लगातार नीतिगत समर्थन आवश्यक है। इस पूरी प्रक्रिया में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वे इनके बीच तालमेल बिठाते हुए कार्य करें। यह दृष्टिकोण पारदर्शिता को बढ़ावा देगा, मूल्य का पता लगाने की संभावना बढ़ाएगा और एक कृषि बाजार के एक मजबूत इको-सिसस्टम का निर्माण करेगा, जो वैश्विक बाजारों में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देते हुए सभी हितधारकों को सशक्त बनाएगा।लघु और सीमांत किसानों की ऋण तक पहुंच बढ़ानासंस्थागत ऋण तक पहुंच छोटे और सीमांत किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है, जिसमें किरायेदार किसान भी शामिल हैं, जिनकी संख्या भारत के शहरीकरण के साथ बढ़ रही है। ये किसान अक्सर अनौपचारिक ऋणदाताओं से उच्च ब्याज दर पर कर्ज लेते हैं। छोटे और पट्टे पर खेती करने वाले किसानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि ऋण लक्ष्य को 20 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 लाख करोड़ रुपये करना आवश्यक है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने से फसल बीमा अपनाने को बढ़ावा मिल सकता है। एक मजबूत ऋण और बीमा संरचना किसानों की सुरक्षा कर सकता है, उनकी वित्तीय कमजोरियां कम कर सकता है और लाभदायक निवेश को प्रोत्साहित कर सकता है।महिला सशक्तीकरण : भारतीय कृषि का आधारभारत के कृषि कार्यबल में 50 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। उन्हें संसाधनों तक पहुंचने और निर्णय लेने वाले प्लेटफार्मों में भाग लेने के लिए प्रणालीगत बाधाओं का सामना करना पड़ता है। वे लगभग 33 प्रतिशत कृषि भूमि मालिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं, किंतु उनके पास अक्सर आय और परिसंपत्तियों पर नियंत्रण नहीं होता है। ऐसे में यह बात महत्वपूर्ण है कि उन्हें कौशल विकास, भूमि स्वामित्व अधिकार और संस्थागत ऋण तक पहुंच को बढ़ावा देने हेतु महिला-पुरुष आधारित विशिष्ट कार्यक्रम तैयार किए जाएं। बजट में महिला किसानों को सशक्त बनाने की पहल को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने में उनकी आवश्यक भूमिका को स्वीकार करना चाहिए।भारत को कृषि व्यापार में वैश्विक अग्रणी बनानाभारत के कृषि निर्यात में वृद्धि की अपार संभावना है, जिसका मूल्य 2023-24 के लिए 50 बिलियन डॉलर है। निर्यात इन्फ्रास्ट्रक्चर और रसद को बढ़ाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने से वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा। जैविक और मूल्यवर्धित उत्पादों में निवेश उच्च मूल्य वाले अंतरराष्ट्रीय बाजारों को लक्षित कर सकता है। रणनीतिक व्यापार साझेदारी और द्विपक्षीय समझौतों में गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और भारतीय निर्यात को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। किसान प्रतिनिधियों और व्यापार विशेषज्ञों से युक्त एक वैधानिक निकाय व्यापक निर्णय प्रक्रिया सुनिश्चित कर सकता है, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाते हुए देश के किसानों के हितों की रक्षा करे।संक्षेप में, केंद्रीय बजट वित्त वर्ष 2025-26 भारतीय कृषि के भविष्य की फिर से कल्पना करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है। मौजूदा चुनौतियों का समाधान करके तथा अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता देने, इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने, जलवायु के प्रति अनुकूलन को बढ़ावा देने और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने जैसी रणनीतिक पहलों को लागू करके, सरकार कृषि को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी उद्योग के रूप में आगे बढ़ा सकती है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल प्रगति के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना और ऋण तक समान पहुंच सुनिश्चित करना अर्थव्यवस्था के आधार को मजबूत करेगा और लाखों लोगों के लिए स्थायी आजीविका प्रदान करेगा। जीएसटी परिषद की तर्ज पर कृषि विकास परिषद (एडीसी) की स्थापना वर्तमान समय की मांग है। इनके परिणामस्वरूप भारतीय कृषि विकास और नवाचार का एक शक्तिशाली प्रतीक बनकर दूसरों के लिए एक बेंचमार्क स्थापित कर सकती है।(डॉ. नवीन पी सिंह, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि लागत और मूल्य आयोग के आधिकारिक सदस्य हैं, आलेख में व्यक्त किए गए विचार विशुद्ध रूप से उनके निजी हैं।)
- लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)यह मिट्टी चंदन सी महकी ,खेतों में सावन हँसता है ।वंदन करते मातृभूमि को ,हर दिल में भारत बसता है ।।छाई हरियाली वन-उपवन ,वसुधा ओढ़े चूनर धानी ।पूजे जाते पर्वत पौधे ,नदियों को माता मानी ।गूँजे स्वर अजान गुरुबानी ,वेद मंत्र पावन करता है ।।हर दिल में भारत बसता है ।।
सहिष्णुता समुदायों में है ,प्रेम समन्वय भाईचारा ।संस्कृतियों की गंगा बहती ,सुविचारों की निर्मल धारा ।विपदा संबल धैर्य बढ़ातीं ,वक्त कसौटी में कसता है ।हर दिल में भारत बसता है ।।
त्यौहारों की धूम यहाँ पर ,रंगोली घर के आँगन में ।सोंधी खुशबू व्यंजनों की ,झूले सजते हैं सावन में ।तीज दिवाली होली राखी ,लाती मन में समरसता है ।।
गौतम गाँधी सुभाष नेहरू ,अनमोल रत्न भारत के हैं ।विश्वगुरु बना शांति प्रणेता ,किस्से कई शहादत के हैं ।राम कृष्ण जन्मे जिस भू पर ,मूल्य धर्म की सरसता है ।।
कबीर नानक रहीम तुलसी ,संत हुए हैं ज्ञानी ध्यानी ।महिमा राम नाम गुण गाए ,समझें मूढ़ मति अज्ञानी।ग्रंथ कई महान रच डाले ,जीवन-शिक्षा पावनता है ।।सीमा की रक्षा के प्रहरी ,साहस शौर्य की मूरत हैं ।मर-मिटने को तैयार सदा ,त्याग समर्पण की सूरत हैं ।इन वीर सैनिकों के आगे ,दुश्मन न कोई भी टिकता है ।। - आलेख- श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय संस्कृति मंत्रीपराक्रम दिवस के अवसर पर, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को रेखांकित करता है, हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके अपार योगदान और उनकी अदम्य भावना का सम्मान करते हैं, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करती है। इस दूरदर्शी नेता के जीवन और आदर्शों का उत्सव मनाने के लिए स्थापित, पराक्रम दिवस इस बात पर विचार करने का एक अवसर है कि हम उनके सिद्धांतों को अपनी व्यक्तिगत और राष्ट्रीय आकांक्षाओं के साथ कैसे एकीकृत कर सकते हैं। यह दिन, न केवल उनके बलिदान की याद दिलाता है, बल्कि कार्रवाई का आह्वान भी करता है तथा हमें साहस, निष्ठा और नेतृत्व के उनके सिद्धांतों को अपनाने का आग्रह करता है, ताकि एक समृद्ध, आत्मनिर्भर राष्ट्र का निर्माण किया जा सके।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, नेताजी के योगदान को संस्थागत रूप दिया गया है तथा इसे पहले से कहीं ज्यादा बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है। 2021 में, सरकार ने 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में नामित किया, जिससे नेताजी की विरासत का सम्मान करने के लिए वार्षिक राष्ट्रव्यापी समारोह सुनिश्चित हुआ। कर्त्तव्य पथ पुनर्विकास परियोजना के तहत इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा का अनावरण, उनके विजन के प्रति एक ऐतिहासिक श्रद्धांजलि थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे "भारतीय गौरव और संस्कृति के पुनरुत्थान" का प्रतीक घोषित किया, जो बोस के राष्ट्रवाद के आदर्शों के अनुरूप है।इसके अलावा, नेताजी से जुड़ी 304 फाइलों को सार्वजनिक करना एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने दशकों से चल रही अटकलों को खत्म कर दिया और जनता को उनके जीवन और कार्य से जुड़े महत्वपूर्ण रिकॉर्ड तक पहुंच प्रदान की। इसके अतिरिक्त, मणिपुर के मोइरंग में आईएनए मेमोरियल का पुनरुद्धार, जहां इंडियन नेशनल आर्मी ने पहली बार तिरंगा फहराया था, नेताजी की विरासत को संरक्षित करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है। माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने बोस के वैश्विक प्रभाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "नेताजी का जीवन स्वतंत्रता के लिए समर्पित था और उन्होंने एक ऐसे भारत की कल्पना की थी, जो आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से भरा हो।"सुभाष बोस का जन्म कटक में एक सम्मानित परिवार में हुआ था। वे एक प्रतिभाशाली छात्र थे। कटक के रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल, कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज और भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) परीक्षा में उन्होंने अपने अध्ययन का बेहतरीन प्रदर्शन किया। देशभक्ति की गहरी भावना और अपने देश की सेवा करने की इच्छा से प्रेरित होकर, उन्होंने एक सम्मानजनक करियर की सुख-सुविधाओं को ठुकराते हुए आईसीएस से इस्तीफा देने का फैसला किया। बाद में, उन्होंने देशभक्ति की भावना जगाने और देशवासियों के बीच स्वतंत्रता का संदेश फैलाने के लिए 1921 में 'स्वराज' नामक एक समाचार पत्र शुरू किया।नेताजी का स्वतंत्र भारत का सपना सिर्फ़ एक सपना नहीं था, बल्कि कार्रवाई का आह्वान था। जब वे 1941 में नज़रबंदी से भाग निकले और अंतरराष्ट्रीय समर्थन मांगा, तो यह सिर्फ़ एक रणनीतिक कदम नहीं था - यह दृढ़ संकल्प, सहनशीलता और ज़रूरत पड़ने पर अपरंपरागत रास्ते अपनाने की इच्छाशक्ति का एक साहसिक दावा था।उन्होंने घोषणा की, "मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा," यह उनके इस विश्वास को दर्शाता है कि सच्ची आज़ादी के लिए सिर्फ़ शब्दों की नहीं, बल्कि कार्यों की भी जरूरत होती है। चाहे वह इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) के निर्माण के ज़रिए हो या आज़ाद हिंद रेडियो पर उनके भाषणों के ज़रिए, बोस ने दिखाया कि आज़ादी हासिल करने के लिए सामूहिक प्रयास, बलिदान और प्रगति के व्यापक दृष्टिकोण में योगदान देने की इच्छा की ज़रूरत होती है। पूर्व ब्रिटिश पीएम क्लेमेंट एटली ने एक बयान में अंग्रेजों के भारत छोड़ने के कई कारण बताए, "उनमें से सबसे प्रमुख कारण था - नेताजी की सैन्य गतिविधियों के परिणामस्वरूप भारतीय सेना और नौसेना कर्मियों के बीच ब्रिटिश राज के प्रति वफादारी का कम होना।"यद्यपि महात्मा गांधी के साथ उनके वैचारिक मतभेद जगजाहिर थे, लेकिन गांधी के सिद्धांतों के प्रति बोस का सम्मान अटल रहा और उनके विपरीत रास्ते उनके पृथक दृष्टिकोणों को उजागर करते थे। नेताजी ने 1939 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया, लेकिन भारत की स्वतंत्रता की उनकी प्रतिबद्धता कभी कम नहीं हुई। आज के युवाओं के लिए, यह हमें अपने आदर्शों के प्रति सच्चे रहने का महत्व सिखाता है, भले ही आगे का रास्ता चुनौतियों से भरा हो।नेताजी ने आईएनए के भीतर “झांसी की रानी रेजिमेंट” का गठन करके “नारी शक्ति” के महत्व को मान्यता दी, एक पूरी तरह से महिला रेजिमेंट जिसने महिला सशक्तिकरण के प्रति उनके विश्वास को सुदृढ़ किया। ये आदर्श माननीय प्रधानमंत्री के भारत के विज़न में अच्छी तरह से परिलक्षित होते हैं, जहाँ महिलाएँ देश के भविष्य को आकार देने में एक अभिन्न भूमिका निभाती हैं।पराक्रम दिवस, नेताजी की अमर विरासत का एक वार्षिक अनुस्मारक आयोजन बन गया है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनियों से युक्त समारोहों के पिछले आयोजनों ने उनके योगदान को प्रतिष्ठा दी है, जिसमें कोलकाता और दिल्ली प्रमुख आयोजन स्थल हैं, जहाँ उनकी एकता और देशभक्ति की भावना सड़कों पर गूंजती थी। इस वर्ष, कटक में, इस कार्यक्रम का विशेष महत्व है, क्योंकि यह उनके मूल स्थान का सम्मान करता है।एक ऐसी दुनिया में जो सुदृढ़ता और नवाचार की मांग करती है, उनकी जीवन गाथा युवाओं को एक विकसित भारत - एक आत्मनिर्भर, विकसित भारत के निर्माण में योगदान देने और कार्य करने के लिए एक शक्तिशाली प्रेरणा के रूप में कार्य करती है। जैसा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था, "सुभाष चंद्र बोस का नाम देशभक्ति की भावना जगाता है और राष्ट्र को साहस और निस्वार्थ भाव से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।"आइए हम एक उज्ज्वल, मजबूत भविष्य के लिए मिलकर काम करके उनकी विरासत को आगे बढ़ाएं।
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सजल
लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)शुभ कर्मों का सुखद परिणाम होता है।सफल होने का निश्चित दाम होता है।।बोझ ढोती हर सदी परिणामों की।देव-दनुज में सदा संग्राम होता है।।आत्म-परीक्षण जीत की है प्रथम सीढ़ी।दृढ़ संकल्पों से पूर्ण काम होता है।।नत्वर्थक बातों को अंतस से निकाल।शुचिता से तीर्थ पावन धाम होता है।।धन वैभव पद बल होतीं नश्वर चीजें ।सत्कर्मों से जगत में नाम होता है।। - - डॉ. जितेंद्र सिंह (केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, अंतरिक्ष विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ क्षेत्र में सूर्योदय होने के साथ ही महा-आयोजन की व्यापकता और विशालता दिखने लगती है। वहां उपस्थित विशाल मानव समूह की केवल कल्पना कीजिए जहां प्रत्येक व्यक्ति आस्था और भक्ति के सागर में हिलोरें ले रहा है। लेकिन विश्व की इस विस्मयकारी महाघटना में पर्दे के पीछे अथक परिश्रम करने वाले मूक नायक के तौर पर उन्नत अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकियां काम कर रही हैं। एक भव्य संगीत सिम्फनी के अनाम परिचालकों की तरह ये नवाचार सुनिश्चित करते हैं कि सफाई और स्वच्छता, संगीत के हर सुर-लहरी की तरह पूरी तरह लयबद्ध हो।महाकुंभ में उच्च तकनीक वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से लेकर प्राकृतिक शुद्धिकरण तालाबों तक, प्रत्येक उपाय पर्यावरण की शुद्धता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। परंपरा और प्रौद्योगिकी का यह सामंजस्यपूर्ण मिश्रण न केवल महाकुंभ के आध्यात्मिक सार को संरक्षित करता है, बल्कि दुनिया भर में भविष्य के बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाले समारोहों के लिए एक मानक भी स्थापित करता है।एक हलचल भरे शहर की कल्पना करें जो रातोंरात अस्तित्व में आ गया हो, जहां करोड़ों लोग एक भव्य आयोजन के लिए जुटे हों। 45 दिनों के इस विशाल धार्मिक आयोजन में जिसमें अनुमानित तौर पर 40 करोड़ आगंतुक पहुंचे हों, वहां हर दिन उत्पन्न कचरे का प्रबंधन हैरत में डालने वाला है। हालांकि इससे अधिकारी विचलित नहीं हुए और उन्होंने इस कठिन कार्य के लिए भारत के दो प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) की मदद ली है।महाकुंभ में उत्पन्न अपशिष्ट दिमाग को चकरा देने वाला है। वहां हर दिन लगभग 16 मिलियन लीटर मल विष्ठा, 240 मिलियन लीटर ग्रे-वाटर (शौचालय को छोड़कर अपशिष्ट जल) और करोड़ों तीर्थयात्रियों द्वारा बड़े पैमाने पर उत्पन्न ठोस अपशिष्ट शामिल हैं। इसके निपटान प्रबंधन के लिए परिष्कृत समाधानों की आवश्यकता पड़ी और तभी उन्नत प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल काम आया।इनमें से एक हाइब्रिड ग्रेनुलर सीक्वेंसिंग बैच रिएक्टर (एचजीएसबीआर) है, जिसे इसरो और बार्क के सहयोग से विकसित किया गया है। ये उच्च तकनीक की वॉशिंग मशीन जैसा है जो कपड़े साफ करने की बजाय सीवेज का निपटान करता है। इस तकनीक का उपयोग तीन प्रीफैब्रिकेटेड मल विष्ठा ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) में किया जा रहा है, जो मानव अपशिष्ट को कुशलतापूर्वक संसाधित कर सुनिश्चित करता है कि वातावरण स्वच्छ और सुरक्षित रहे।वहां एक अन्य तकनीक जीओ ट्यूब टेक्नोलॉजी अपनाई जा रही है जो कचरे के नियंत्रण और उपचार में सहायक है। यह सुनिश्चित करती है कि पर्यावरण में केवल स्वच्छ पानी ही छोड़ा जाए। यह एक विशाल चाय बैग की तरह है जो बड़ी मात्रा में तरल अपशिष्ट सोखकर उसे साफ करता है।महाकुंभ में स्वच्छता के लिए इस्तेमाल की जा रही एक अन्य तकनीक बायोरिमेडिएशन है। यह बड़े तालाबों के लाभकारी सूक्ष्मजीवों जैसा है जो प्रदूषकों को विखंडित कर पानी को शुद्ध करता है। इस प्राकृतिक और पर्यावरण अनुकूल विधि को लगभग 75 बड़े तालाबों में एकत्र किए गए ग्रेवाटर में इस्तेमाल की जाएगी ताकि जल को प्रभावी और सुरक्षित रूप से उपचारित किया जाए।उत्तर प्रदेश सरकार ने 7,000 करोड़ रुपये के कुल महाकुंभ बजट में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता दर्शायी है। वहां अपशिष्ट और जल प्रबंधन के लिए 1,600 करोड़ रुपए और खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बुनियादी ढांचे के लिए 316 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। यह वित्तीय और ढांचागत प्रतिबद्धता आयोजन के दौरान स्वच्छता और साफ-सफाई बनाए रखने के महत्व को रेखांकित करता है।स्वच्छता उपायों में इन प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल का उद्देश्य महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चिंताओं को कम करना है। वे नदी के जल प्रदूषण को रोकते हैं, अपशिष्ट और सीवेज से संभावित स्वास्थ्य जोखिमों को कम करते हैं, और बड़े पैमाने पर लोगों के एकत्रित होने के पारिस्थितिकी नुकसान में कमी लाते हैं। अपशिष्ट प्रबंधन परिचालन रणनीति में मैनुअल हैंडलिंग को कम से कम करना, उन्नत तकनीकों का उपयोग कर स्रोत-स्तरीय अपशिष्ट पृथक्करण पर जोर देना और व्यापक निपटान तंत्र को लागू करना शामिल है।इसके अतिरिक्त वहां अन्य आरंभिक उपायों में 1 लाख 45 हजार पोर्टेबल शौचालयों की स्थापना, निरंतर सफाई के लिए बड़ी संख्या में सफाई कर्मियों की तैनाती, पर्याप्त चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था और एक व्यापक अपशिष्ट संग्रह और प्रबंधन बुनियादी ढांचे शामिल हैं।ये उन्नत प्रौद्योगिकियां बड़े पैमाने पर धार्मिक समारोहों के प्रबंधन में व्यापक बदलाव दर्शाते हैं। वे पर्यावरणीय स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन, अल्प स्वास्थ्य जोखिम, न्यूनतम पारिस्थितिक व्यवधान और कुशल संसाधन उपयोग के उपाय प्रदान करते हैं। यह महाकुंभ 2025 में बड़े पैमाने पर धार्मिक समागमों से जुड़ी जटिल प्रचालनतंत्र और पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रबंधन में भारत की तकनीकी कौशल का दस्तावेज है। यह एक दीप्तिमान उदाहरण है कि प्रौद्योगिकी और परंपरा सबके लिए कैसे एक स्वच्छ, स्वस्थ भविष्य निर्मित कर सकते हैं।
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-कहानी
लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
बरसों बाद अनुभा अपनी सहेलियों के साथ छुट्टी मनाने अपने गाँव जा रही थी । दादा - दादी के गुजर जाने के बाद पापा ने ही वहाँ जाना छोड़ दिया तो बाकी लोगों का तो प्रश्न नहीं उठता । बचपन की कुछ बातें अभी भी स्मृतियों में स्थान
बनाये हुए हैं । गाँव है भी तो बहुत दूर..पहाड़ों के आँचल तले
हरे - भरे वनों के बीच नदी ,तालाबों , बावड़ियों से भरपूर ।ऐसी घनी छाँह फिर नसीब नहीं हुई , वह तो हार गई पापा की मिन्नतें कर - कर के पर पापा ने तो कुछ न कहने की कसम खा ली थी । अनुभा समझ सकती थी उनका मन..उस जगह उनकी कितनी खट्टी - ,मीठी यादें हैं । उनके अपने जिन्होंने उन्हें गोद में खिलाया , साथ पढ़े हमजोली बने । कुछ हैं तो कुछ बिछड़ गये । ज्यादातर तो चले ही गये , उन्हें याद कर अधिक उदास हो जाते थे पापा इसलिए कभी किसी ने बहुत जिद नहीं की । अब वक्त काफी आगे निकल चला है ,अनुभा की शादी हो गई और अब वह अपने निर्णय लेने में समर्थ है।एक दिन उसने अपनी सहेलियों के सामने अपने खूबसूरत गाँव का जिक्र किया तो वे भी व्यग्र हो उठीं कि कुछ दिन शहर के कोलाहल , नौकरी की चिखचिख और व्यस्तताओं के बीच कुछ सुकून के पल चुरा लिया जाये । भीड़ भरे हिल स्टेशन जाना कोई नहीं चाहता था इसलिए आनन -फानन प्रोग्राम बन गया ।
विंध्याचल की खूबसूरत शिखरों के बीच एक छोटा सा गाँव था रामपुर जिसकी आबादी बमुश्किल ढाई सौ होगी । हाँ थोड़ा मालगुजार लोगों का गाँव था तो बड़े - बड़े मकानों के नक्काशीदार दरवाजों , मण्डपों के खंडहर आज भी उस वक्त की सम्पन्नता की कहानी कह रहे थे । अब तो लगभग खाली हो चुका था यह , सभी शहरों की ओर पलायन कर गये । दो - चार लोग जिनकी जिंदगी मजदूरी व खेती के सहारे चलती थी , वे ही रुके हुए थे ।अनुभा के दादा के घर में उनका एक बहुत पुराना नौकर पीढ़ियों से घर की देखभाल कर रहा था और अपने परिवार के साथ वहीं रहता था । चूंकि पापा ने खबर भिजवा दी थी तो उन्होंने घर की सफाई व अन्य व्यवस्था ठीक कर दी थी ।
गाँव के संघर्ष भरे , झुर्रीदार चेहरों के बीच कोई पहचाना चेहरा ढूँढना अनुभा के लिए मुश्किल था , पापा का नाम बताने पर कुछ किस्से निकल पड़ते । दादाजी को सभी जानते थे । गाँव के आस - पास के कई मंदिर और दर्शनीय स्थल देखकर वे भावाभिभूत थे । नैसर्गिक सौंदर्य वहाँ के कण - कण में विद्यमान था । जंगली हवा के झोंके की तरह वे इधर - उधर डोलते रहे । एक दिन अनुभा को याद आया कि बचपन में उसे और सभी बच्चों को एक बावड़ी की तरफ जाने की सख्त मनाही थी । बच्चे क्या बड़े भी उधर झाँकने नहीं जाते थे । कहा जाता था कि वह बावड़ी अभिशप्त है । उसका स्वच्छ जल देखकर कई लोगों ने कोशिश की उसे खुलवाने की पर वह जीवित नहीं बचा । क्या आज भी उसे खोला नहीं गया है -अनुभा ने उसकी पड़ताल की तो पता चला कि अब भी उस खूनी बावड़ी के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता । उनके नौकर की पत्नी ने बताया कि वर्षों पहले उस बावड़ी में नैना की खुदकुशी करने के बाद वह बावड़ी अभिशप्त है और अब उसमें झाँकने वाला हर शख्स दूसरे दिन मरा हुआ मिलता है इसलिए उस बावड़ी को तारों से घेर कर बन्द कर दिया गया है ताकि अब और कोई जान न जाये ।
अनुभा और उसकी सहेलियाँ उस कहानी को जानने को बेचैन हो उठीं जो रोंगटे खड़े कर देने वाली थी । किसी पहाड़ी नदी की तरह चंचल व निश्छल थी नैना , बेहद खूबसूरत । उसका सरस् चितवन चर्चा का विषय बन चुका था , यौवन के आरंभ में ही उसे पाने को कई लोग बेताब हो उठे थे । बड़े - बड़े घरों के रिश्ते आने लगे थे पर वह पगली अपने बचपन के साथी श्रवन से मन ही मन प्यार करने लगी थी । एक मालगुजार की बेटी , हजारों बंदिशों के बीच पलती रही और अपने घर काम करनेवाले रामू काका के बेटे श्रवन को दिल फे बैठी । पिता को जब यह जानकारी हुई तो खानदान की इज्जत बचाने की जिद ने सही - गलत भुला दिया । श्रवन की हत्या कर उसी बावड़ी में डाल दिया गया । दुःख और प्रेम के वियोग में पागल हो गई नैना । वह अपनी सुध - बुध भूल बैठी ,सच्चाई मालूम होने पर उसी बावड़ी में कूदकर उसने अपनी जान दे दी । उसके बाद तो गाँव में मौत का तांडव होने लगा । न जाने कितनी जानें ली उस खूनी बावड़ी ने । भूलकर भी कोई उधर चला गया तो जिंदा नहीं बचता इसलिए लोग अपना घर बार , खेती - बाड़ी बेचकर यहाँ से निकलते गये और कभी लौटकर नहीं आये । अनुभा को अब समझ आया कि पापा जी इसीलिए गाँव जाने के नाम से ही सहम जाते थे और उदास हो जाते थे । अब वे शीघ्र वहाँ से निकल जाना चाहते थे क्योंकि अनुभा जानती थी पापा तब तक चिंतित रहेंगे जब तक वह वापस घर नहीं पहुँच जाती । कुछ सोचकर उसके होठों पर मधुर मुस्कान खिल गई थी .....जिंदगी के कठोर अनुशासन में रहे पापा जी ने उसके प्रेम - विवाह को स्वीकार कर लिया था शायद यह उस अभिशप्त खूनी बावड़ी का उसे उपहार था । - आलोख- श्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय कपड़ा मंत्री"कभी-कभी कोई नई प्रौद्योगिकी, कोई लंबे अर्से से चली आ रही समस्या और कोई साहसिक विचार मिलकर नवाचार की रचना करते हैं " - डीन कामेनयह विचारशील उद्धरण सफलताओं के सार को रेखांकित करता है: जब चुनौतियां नए परिप्रेक्ष्यों से जुड़ती हैं और प्रौद्योगिकी नए समाधानों तक पहुंचने के सेतु का काम करती है। वस्त्र जैसे उद्योगों में, यह तालमेल पारंपरिक तरीकों में बदलाव ला रहा है, स्थिरता को बढ़ावा दे रहा है, और नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है। पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता और सहायक सरकारी नीतियां मिश्रित सामग्रियों में सुदृढीकरण के रूप में बास्ट फाइबर के उपयोग में तेजी ला रही हैं, ताकि बढ़ती आबादी की ज़रूरते पूरी की जा सकें। बास्ट फाइबरों का प्राकृतिक रूप से सड़नशील होना और उनकी प्रचुरता, पर्यावरण के अनुकूल नवाचार की ओर बदलाव को चिह्नित करते हुए उन्हें ऑटोमोटिव उद्योग, संरचनात्मक कंपोजिट, पल्पिंग और टेक्सटाइल में प्रयोग के लिए आदर्श बनाती है।प्राकृतिक चमत्कार मिल्कवीड फाइबर, भारत के वस्त्र परिदृश्य में क्रांति लाने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान देने को तत्पर है। अपने आशाजनक गुणों, टिकाऊ खेती और किसानों की आजीविका को बढ़ाने की अपार संभावनाओं के साथ, मिल्कवीड बढ़ती आबादी के साथ वैकल्पिक फाइबर की अत्यावश्यक मांग का समाधान है, जो भारत के सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय लक्ष्यों के अनुरूप है।मिल्कवीड कोई साधारण फाइबर नहीं है। इसके बीज की फली के भीतर लगे रेशमी, खोखले तंतुओं से प्राप्त, यह हल्का फाइबर असाधारण गुणों से युक्त होता है, जो इसे टिकाऊ सामग्रियों की तलाश में अग्रणी बनाता है। इसकी खोखली संरचना इसे उच्च संपीड़न और बेहतरीन थर्मल इन्सुलेशन प्रदान करती है, जिसका थर्मल मूल्य 100 प्रतिशत पॉलिएस्टर नॉनवॉवन (या बिना बुने कपड़े) से लगभग दोगुना है। मिल्कवीड को पॉलिएस्टर, ऊन, विस्कोस या कपास जैसे अन्य फाइबरों के साथ मिश्रित किए जाने पर, यह कपड़े की कोमलता, सांस लेने की क्षमता और गर्माहट को बढ़ाता है, जिससे न केवल आरामदायक बल्कि प्रीमियम गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार होते हैं।मिल्कवीड की तकनीकी विशेषताओं के अतिरिक्त इसकी खेती भारत के कृषक समुदाय के लिए परिवर्तनकारी अवसर प्रस्तुत करती है। इस बारहमासी फसल को न्यूनतम इनपुट की आवश्यकता होती है। यह नाना प्रकार की मिट्टी की स्थितियों में पनपता है, और बदलती जलवायु के साथ सामंजस्य स्थापित कर लेता है। एक बार लगाए जाने के बाद, यह 10 साल तक उपज देता रहता है, और इसकी पैदावार में सालाना वृद्धि होती है। किसान प्रति एकड़ लगभग 1.5-2 लाख रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जो कपास जैसी पारंपरिक फसलों से होने वाली आय की तुलना में काफी अधिक है। यह न केवल वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करता है बल्कि संसाधन-गहन फसलों पर निर्भरता को भी कम करता है, जिससे यह एक टिकाऊ और आकर्षक विकल्प बन जाता है।नॉनवॉवन फैब्रिक(30प्रतिशत मिल्कवीड फाइबर सहित)भारत में भेड़ों की आबादी 7.4 करोड़ से अधिक है और वह सालाना 3.69 करोड़ किलोग्राम कार्पेट-ग्रेड ऊन का उत्पादन करता है, लेकिन परिधान में इस्तेमाल होने वाले मेरिनो जैसे उत्तम ग्रेड के ऊन के लिए वह वित्तीय वर्ष 2023-24 के अनुसार लगभग 1,800 करोड़ रुपये मूल्य जितने आयात पर निर्भर करता है। घरेलू स्तर पर उत्पादित ऊन आम तौर पर बेहतर गुणवत्ता का नहीं होता है, जिससे अक्सर असुविधा होती है और यह त्वचा के अनुकूल नहीं होता है। जबकि पश्मीना ऊन, जिसका माइक्रोन मूल्य 20 से कम है, असाधारण गुणवत्ता का होता है, इसका उत्पादन सीमित है। सरकार की पश्मीना ऊन विकास योजना और एकीकृत ऊन विकास कार्यक्रम जैसी पहलों ने लद्दाख, जम्मू -कश्मीर और राजस्थान जैसे क्षेत्रों में भेड़ पालन, पश्मीना उत्पादन और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है। यह क्षेत्र 35 लाख लोगों को आजीविका प्रदान करता है और वैश्विक बाजारों में भारत के ऊनी कार्पेट, कपड़ों और परिधानों के निर्यात को बढ़ावा देता है।मिल्कवीड-ऊन मिश्रण एक टिकाऊ समाधान के रूप में उभरा है, जो फाइबर की गुणवत्ता को बढ़ाते हुए आयात पर निर्भरता को कम करता है। उत्तर भारत वस्त्र अनुसंधान संघ (निटरा) द्वारा उद्योग जगत के हितधारकों के सहयोग से हाल ही में की गई प्रगति ने एक अभिनव 80:20 ऊन-मिल्कवीड मिश्रण की औद्योगिक व्यवहार्यता को प्रदर्शित किया है। यह मिश्रण थर्मल इन्सुलेशन, हल्के गुणों और कोमलता में 100 प्रतिशत ऊन से आगे निकल जाता है, जो इसे उच्च-स्तरीय और कार्यात्मक वस्त्रों के लिए प्रीमियम पसंद बनाता है।मिल्कवीड की बहु उपयोगिता कई तरह के अनुप्रयोगों तक फैली हुई है। परिधान, घरेलू वस्त्र और स्वच्छता उत्पादों से लेकर विभिन्न उत्पादों में पारंपरिक फाइबर की जगह लेने की इसकी क्षमता अपार है। लद्दाख की अपनी यात्रा के दौरान, मुझे मिल्कवीड के रेशों से बने उत्पादों की असाधारण गुणवत्ता का प्रत्यक्ष अनुभव करने का अवसर मिला। मैंने इस फाइबर से बनी एक रजाई का परीक्षण किया और इसे बेहद गर्म और आरामदायक पाया – यहां तक कि मुझे किसी भी हीटिंग उपकरण का उपयोग करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ी। मैंने निटरा द्वारा विकसित एक टोपी और जैकेट को भी आज़माया, जिन्होंने पूरी यात्रा के दौरान मुझे बखूबी गर्म रखा। मिल्कवीड उत्पादों के टिकाऊपन और प्रदर्शन का जायजा लेने के लिए इन सर्दियों में मैं स्वयं इन उत्पादों को नियमित रूप से पहन रहा हूं। अपने अनुभव के आधार पर मुझे विश्वास है कि मिल्कवीड फाइबर एक आशाजनक विकल्प है, जो रोजगार सृजन और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।मिल्कवीड जैकेटमिल्कवीड हाइकिंग कैपइस पहल के मूल में आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करने - स्वदेशी संसाधनों और नवीन तकनीकों के माध्यम से स्वावलंबी भारत बनाने की प्रतिबद्धता निहित है। मिल्कवीड को वस्त्र मूल्य श्रृंखला में एकीकृत करके, भारत आयातित फाइबर पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है और खुद को टिकाऊ वस्त्रों के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित कर सकता है। यह तकनीकी वस्त्रों के साथ एनबीएस (प्रकृति-आधारित समाधान) को बढ़ावा देने और संबद्ध करने के हमारे दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिससे आर्थिक विकास और सामाजिक सशक्तीकरण का तरंग प्रभाव या रिपेल इफेक्ट उत्पन्न होता है।मिल्कवीड के पर्यावरणीय लाभ भी इतने ही आकर्षक हैं। इसकी खेती में कपास की तुलना में कम मात्रा में पानी, उर्वरक और कीटनाशकों की आवश्यकता होती है, जिससे पारंपरिक कृषि से जुड़े पर्यावरणीय तनाव कम होते हैं। इसके अतिरिक्त, पौध-आधारित, प्राकृतिक रूप से सड़नशील फाइबर के रूप में मिल्कवीड स्थिरता और सर्कुलेरिटी के वैश्विक प्रयास के साथ सहजता से जुड़ता है। यह सिंथेटिक फाइबर का एक व्यवहार्य विकल्प प्रदान करता है। मिल्कवीड को अपनाकर भारत जीवाश्म-व्युत्पन्न सामग्रियों पर अपनी निर्भरता कम करने और वस्त्र उद्योग में पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाता है।इस क्षेत्र के अन्य प्रयासों में हमारा फोकस जूट-बांस, सिसल, फ्लैक्स और रेमी जैसे नए युग के फाइबरों पर है, जो टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प प्रदान करके वस्त्र उद्योग में क्रांति ला रहे हैं। अपनी विशाल जैव विविधता के साथ भारत इस परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए विशिष्ट स्थिति में है। सिसल, अपने जीरोफाइटिक लचीलेपन के साथ, शुष्क परिस्थितियों में पनपता है, वस्त्रों, रस्सियों और कंपोजिट के लिए आदर्श टिकाऊ फाइबर उत्पन्न करता है। रेमी अपनी उच्च उपज और बहु उपयोगिता के लिए जाना जाता है और पर्यावरण के अनुकूल अपने गुणों तथा उच्च तन्यता शक्ति के साथ परिधान में उपयोग किया जाता है। इसी तरह, लिनन के कपड़ों जैसे डैमस्क, लेस और चादरों के लिए फ्लैक्स के सर्वोत्तम ग्रेड का उपयोग किया जाता है। वर्तमान में, फ्लैक्स फाइबर और 100प्रतिशत लिनन फैब्रिक के संबंध में आयात पर बहुत अधिक निर्भरता है, इस पहल से वस्त्र क्षेत्र में अवसरों के नए द्वार खुलेंगे। सुतली और रस्सी के निर्माण के लिए मोटे ग्रेड का उपयोग किया जाता है।इसके अलावा, जूट-बांस फाइबर सिंथेटिक फाइबर के लिए एक स्थायी विकल्प और लिनन कपड़े के लिए एक और असाधारण विकल्प की पेशकश करते हुए वस्त्र उद्योग के लिए अभूतपूर्व नवाचार और आशाजनक संभावनाएं प्रस्तुत करता है। 1.39 करोड़ हेक्टेयर में फैले और सालाना 1.4 करोड़ टन उपज प्रदान करने वाले बांस जैसे प्राकृतिक फाइबर, टिकाऊ उत्पादन में भारत की क्षमता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इन रेशों का उपयोग परिधान से लेकर तकनीकी वस्त्रों, रस्सियों, कंपोजिट और घरेलू साज-सज्जा तक पूरे वस्त्र सेक्टर में किया जा रहा है। इन रेशों को न केवल न्यूनतम संसाधनों की आवश्यकता होती है, अपितु वे विविध प्रकार की जलवायु के अनुकूल भी होते हैं, और किसानों की आय को बढ़ाकर ग्रामीण आजीविका में सहायता करते हैं, लेकिन साथ ही स्थिरता और सर्कुलेरिटी को भी बढ़ावा देते हैं।एक साधारण खरपतवार से लेकर राष्ट्रीय महत्व के रेशे तक मिल्कवीड की यात्रा भारत की आविष्कारशीलता और लचीलेपन का प्रमाण है। शोधकर्ताओं, किसानों और उद्योग के हितधारकों के सम्मिलित प्रयासों से, इस फाइबर में भारत के वस्त्र इतिहास को फिर से परिभाषित करने की क्षमता मौजूद है। यह परंपरा और नवाचार के समन्वय का प्रतीक है, जहां टिकाऊ प्रथाएं अत्याधुनिक तकनीक से मिलकर ऐसे उत्पाद बनाती हैं जो न केवल विश्व स्तरीय हैं बल्कि भारत के लोकाचार में भी गहराई से निहित हैं।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन, "नवाचार सूचकांक में, हम आगे बढ़ रहे हैं। हमें भारत को नवाचार के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाना होगा" के अनुरूप, भारत नवाचार का वैश्विक केंद्र बनने को तैयार है। जिस तरह वस्त्र उद्योग बढ़ती आबादी और बदलती जलवायु की चुनौतियों के अनुकूल बन रहा है, मिल्कवीड आर्थिक क्षमता को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ जोड़ते हुए स्थिरता के प्रतीक के रूप में उभर रहा है। मिल्कवीड को अपनाकर, भारत हरित, अधिक समावेशी भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रहा है - एक ऐसा भविष्य, जहां आत्मनिर्भर भारत के आदर्श राष्ट्र की प्रगति में अलंकृत रूप से बुने हुए हैं। खेती का विस्तार करने, प्रसंस्करण को बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास में तेजी लाने के समर्पित प्रयासों के साथ भारत एक ऐसी वस्त्र क्रांति का नेतृत्व कर रहा है, जो वैश्विक पर्यावरणीय आवश्यकताओं और बाजार की मांगों, दोनों की पूर्ति करते हुए परंपरा का नवाचार के साथ बेजोड़ तरीके से विलय कर रही है।
- आलोख- डॉ. पी.एस. गोयल, भारत सरकार के पूर्व सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयजुलाई 2006 में, जब पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अस्तित्व में आया, तो भारत पृथ्वी प्रणाली विज्ञान के लिए समर्पित मंत्रालय रखने वाला पहला देश था। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को देश में पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से संबंधित ज्ञान उत्पन्न करने और सेवाएँ प्रदान करने का कार्य सौंपा गया था: मौसम, जलवायु, महासागर और तटीय स्थिति, जल विज्ञान, भूकंप विज्ञान और प्राकृतिक खतरे; समुद्री सजीव और निर्जीव संसाधन; और पृथ्वी के ध्रुवों (आर्कटिक, अंटार्कटिक और हिमालय) के लिए सार्वजनिक लाभ के लिए। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रपति की अधिसूचना के माध्यम से महासागर विकास विभाग को पुनर्गठित करके बनाया गया था।प्रोफेसर रोधम नरसिम्हा द्वारा समुद्र और वायुमंडल को एक युग्मित प्रणाली के रूप में मानने और ठोस पृथ्वी और क्रायोस्फेयर को सोखने के द्वारा मौसम के पूर्वानुमान को बेहतर बनाने की आवश्यकता का हवाला देते हुए, मैं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को तैयार करने के सावधानीपूर्वक कार्य का नेतृत्व करने के लिए सहमत हुआ। जुलाई 2005 में महासागर विकास विभाग का कार्यभार संभालने से पहले, मैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु में था। फिर, जब 2006 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अस्तित्व में आया, तो मैं (आधिकारिक रूप से) पहला सचिव था, जिसने मंत्रालय के समग्र संस्थागत ढांचे में वायुमंडलीय विज्ञान को महासागर विज्ञान घटक में एकीकृत करने का विशाल कार्य निष्पादित किया। उस समय, सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, गोवा और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की समुद्री शाखा को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में शामिल करना भी विचाराधीन था विस्तृत अंतर-मंत्रालयी परामर्श के बाद, मंत्रिमंडल ने 12 जुलाई, 2006 को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और पृथ्वी आयोग के गठन को मंजूरी दे दी। पृथ्वी आयोग ने चार सफल बैठकों के साथ अच्छा काम किया, जिनमें से दो प्रधानमंत्री कार्यालय में आयोजित की गईं। दुर्भाग्य से, मंत्रिमंडल ने घोषणा की कि पृथ्वी आयोग को कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार करने में मामूली चूक के कारण एक वर्ष के फलदायी कामकाज के बाद मंजूरी नहीं मिली। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिवों और प्रतिष्ठित पृथ्वी विज्ञान विशेषज्ञों ने आर्कटिक और अंटार्कटिक में बर्फ पिघलने के कारण जलवायु परिवर्तन और बदलती विश्व व्यवस्था को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए एक पृथ्वी आयोग की स्थापना की आवश्यकता महसूस की है।1982 में, महासागर विकास विभाग मुख्य रूप से अंटार्कटिका में भारत की उपस्थिति को चिह्नित करने के लिए बनाया गया था। यह गोवा में राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) की स्थापना का अग्रदूत भी बना, जो भारत का एकमात्र वैज्ञानिक संस्थान है जो अंटार्कटिका, आर्कटिक और हिमालय में भारतीय वैज्ञानिक अभियानों की सुविधा प्रदान करता है, इन भौगोलिक क्षेत्रों में भारतीय अनुसंधान केंद्रों की स्थापना और रखरखाव करता है, और पृथ्वी के ध्रुवों में देश की रणनीतिक उपस्थिति और गतिविधियों को सुनिश्चित करता है। महासागर विकास विभाग (तत्कालीन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय) के संस्थापक सचिव डॉ एसजेड कासिम ने 1981-82 में अंटार्कटिका में पहले भारतीय वैज्ञानिक अभियान का नेतृत्व किया और 1983 में अंटार्कटिका में 'दक्षिण गंगोत्री' नाम से पहला भारतीय अनुसंधान स्टेशन स्थापित किया। 1990 के दशक के उत्तरार्ध में महासागर विकास विभाग ने राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी), चेन्नई और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया, जिससे अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में महासागर प्रौद्योगिकी और महासागर आधारित सेवाओं के महत्वपूर्ण महत्व को रेखांकित किया गया, जिसकी महासागर विकास विभाग के तत्कालीन सचिव डॉ ए ई मुथुनायगम ने पुरजोर वकालत की थी। उनके पूर्ववर्ती और उत्तराधिकारी डॉ वीके गौर और डॉ एचके गुप्ता प्रसिद्ध भूकंपविज्ञानी थे, जिन्होंने राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया था। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) को 2006 में ही पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन लाया गया था, हालाँकि यह भारत सरकार के सबसे पुराने विभागों में से एक है। 1875 में स्थापित (मुख्य रूप से भारतीय मानसून को समझने के लिए) और भारत की स्वतंत्रता तक अंग्रेजों के नेतृत्व में, IMD 14 जनवरी, 2025 को अपनी 150वीं वर्षगांठ मना रहा है। IMD कई भारतीयों के रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करने वाला और लाखों किसानों के जीवन और आजीविका को प्रभावित करने वाला सबसे प्रमुख संस्थान बना हुआ है। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF), नोएडा, क्रमशः 1962 और 1988 में IMD की वैज्ञानिक गतिविधियों और सेवाओं को बढ़ाने के लिए स्थापित किए गए थे, जो 2006 से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन हैं। IMD, IITM और NCMRWF पहले विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन थे।1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, IMD को नागरिक उड्डयन में स्थानांतरित कर दिया गया, और इसके कैडर (वैज्ञानिक पदों सहित) को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के तहत स्थापित किया गया। ऐसा इसलिए था क्योंकि IMD को केवल एक सेवा इकाई माना जाता था, जो पायलटों को मौसम संबंधी ब्रीफिंग प्रदान करती थी। यह तब था जब IMD के वैज्ञानिक चरित्र को एक महत्वपूर्ण झटका लगा, एकमात्र राहत यह थी कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) जैसे निकायों के साथ इसका संपर्क जारी रहा। 1985 में, IMD को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ इसने मौसम और जलवायु पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए पारंपरिक तकनीकों और मानव विशेषज्ञता पर निर्भरता जारी रखी। 2006 में IMD का पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में विलय कई मोर्चों पर एक ऐतिहासिक निर्णय था। अधिक ध्यान अवलोकन नेटवर्क और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने (अधिक और बेहतर डॉपलर मौसम रडार, स्वचालित मौसम स्टेशन और रेडियोसॉन्ड स्थापित करना, दिल्ली और पुणे में केंद्रीय प्रसंस्करण स्टेशनों को डेटा प्रवाह को जोड़ना) और पूर्वानुमानों के लिए भौतिकी-आधारित संख्यात्मक मॉडलिंग दृष्टिकोण को अपनाने पर था। इसके अलावा, इसे वैज्ञानिक इकाई में बदल दिया गया, जिसका अर्थ है कि पद वैज्ञानिक कैडर के थे। इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप मौसम, चक्रवातों और चरम मौसम की घटनाओं के बेहतर पूर्वानुमान सामने आए, जिन्हें दुनिया में सर्वश्रेष्ठ माना गया। भविष्य की दिशाएँ भारत एक कृषि प्रधान समाज है, जिसमें 70% से अधिक हिस्सेदारी छोटे किसानों की है और मौसम से संबंधित समय पर और सटीक जानकारी के लिए एक बहुत बड़ी उपयोगिता है। पिछले दस वर्षों में मौसम और जलवायु सेवाओं और बुनियादी ढाँचे में सुधार की दिशा में जबरदस्त प्रगति हुई है। 2024 में मिशन मौसम के शुभारंभ का लक्ष्य आने वाले दो वर्षों में हमें और भी बड़ा और बेहतर बनाना है। देश का अवलोकन नेटवर्क, डेटा रिज़ॉल्यूशन, सूचना प्रसार और लीड टाइम सभी का उद्देश्य हमारे लोगों के लिए अधिक उपयोगी बनना है। हमें अपनी कृषि-मौसम सेवाओं को अधिक किसान-विशिष्ट और सटीक बनाने के लिए प्रयास जारी रखना चाहिए तथा ओलावृष्टि, विमानों में बर्फ जमना, चरम मौसम-आधारित भूस्खलन, बाढ़ आदि जैसी घटनाओं के लिए पूर्वानुमान और शमन क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए। हम जल-घाटे वाले क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा के लिए क्लाउड सीडिंग जैसे मौसम प्रबंधन के नवीन तरीकों का अध्ययन और परीक्षण करने के लिए उन्नत सुविधाएं भी स्थापित कर रहे हैं।मौसम एक अव्यवस्थित प्रणाली है, इसलिए दीर्घकालिक पूर्वानुमान (विशेष रूप से चार से छह महीने पहले के मानसून के पूर्वानुमान) केवल संख्यात्मक मॉडलिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के माध्यम से किए जा सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए भी सामान्य एआई तकनीकों की आवश्यकता होती है। आईएमडी के पास एक विशाल डेटाबेस है, जो एआई-आधारित पूर्वानुमान के लिए एक परिसंपत्ति साबित हो सकता है। मंत्रालय के उच्च-प्रदर्शन वाले सुपरकंप्यूटर को 2024 में ~ 22 पेटाफ्लॉप (संयुक्त क्षमता में) (~ 6 पेटाफ्लॉप से) में अपग्रेड किया गया था, और पिछले दशक में रिज़ॉल्यूशन 70 किलोमीटर से 12 किलोमीटर तक सुधर गया है। हालाँकि, उच्च कंप्यूटिंग कौशल और बेहतर रिज़ॉल्यूशन मौसम पूर्वानुमान के पहलुओं का केवल एक अंश है। रिज़ॉल्यूशन को विस्तारित अवलोकन नेटवर्क के साथ मेल खाना चाहिए। इसके लिए, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय/IMD ने डॉपलर मौसम रडार, रेडियोसॉन्ड, AWS आदि का एक सघन नेटवर्क स्थापित करने की योजना बनाई है। फिर भी, ये केवल भूमि पर हैं, जिसका अर्थ है कि विश्वसनीय परिणाम देने वाले मॉडल के लिए वांछित संकल्प के अनुकूल महासागर अवलोकन निकट भविष्य में स्थापित किए जाने हैं। मंत्रालय कंप्यूटर में अगली बड़ी चीज का भी सबसे अच्छा उपयोग कर सकता है: एक क्वांटम कंप्यूटर, जिसकी 50Qbit क्षमता सेकंड में एन्क्रिप्शन को डिकोड कर सकती है, जिसे निष्पादित करने में एक पारंपरिक सुपर कंप्यूटर को अरबों साल लगेंगे। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को प्रधान मंत्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) के तहत राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के एक सक्रिय सदस्य के रूप में परिकल्पित किया जाना चाहिए, जो भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) के कार्यालय द्वारा संचालित है। मौसम और जलवायु से संबंधित प्रेक्षणों के लिए मल्टी-चैनल प्रोफाइलर्स, माइक्रोवेव साउंडर्स, स्कैटरोमीटर, महासागर रंग मॉनिटर आदि जैसे उच्च-स्तरीय सेंसरों के साथ निचली कक्षाओं में और अधिक उपग्रहों की आवश्यकता बनी हुई है। इसलिए, इसरो और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को मिलकर काम करना जारी रखना चाहिए। साथ ही, इसरो की भूमिका उपग्रह प्रदाता से बढ़कर उपग्रह मौसम विज्ञान में भागीदार की हो सकती है। राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली की उपसमितियों की तर्ज पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और इसरो के बीच एक कार्य समूह लाभकारी होगा। WMO जैसे संयुक्त राष्ट्र निकायों को मानक विनिर्देशों, उपग्रहों को लॉन्च करने और डेटा साझा करने के लिए एक सहकारी और व्यापक ढांचे के विकास की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास में निवेश को मुख्य बिंदु पर रहना चाहिए।भारतीय मौसम विभाग के 150 वर्ष, पूरे पिछले वर्ष में सार्वजनिक आउटरीच और जुड़ाव के साथ कई गतिविधियों के माध्यम से मनाए गए, जो हमारी अमिट भावना, समृद्ध इतिहास और हमारे लोगों की सेवा करने के उत्साह की याद दिलाते हैं। हम अपने उद्देश्य एस3: समाज के लाभ के लिए अपने लोगों की सेवा के लिए विज्ञान, को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।
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- कहानी
लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
आज संडे को कहाँ जा रही हो ? शिवी को आलमारी से कपड़े निकालते देख प्रतीति ने पूछा ।
हताशा और गुस्से में सिर हिलाते हुए शिवी ने जवाब दिया , "क्या मॉम , संडे तो एक दिन होता है मजे से घूमने का ।"
वही एक संडे हमारे लिए भी तो होता है न बेटा कि हम अपने बच्चे से दो बातें करें , उसके साथ लंच करें…प्रतीति यही कहना चाहती थी , लेकिन शिवी का तड़ाकेदार जवाब और उपेक्षा भरा चेहरा देखकर उसने कहा , ' हाँ तो कुछ कैम्पस के लिए तैयारी ही कर लो । ढंग की जॉब मिल जाएगी । पूरे दिन अपने फालतू दोस्तों के साथ बिताने से वो तैयारी तो होने से रही । '
शिवी तमककर बोली, ' मॉम, मेरे दोस्त फालतू नहीं हैं और मुझे पता है कैसी तैयारी करनी है ।' पंद्रह मिनट बाद शिवी अपनी गाड़ी उठा कर जा चुकी थी और दरवाजे पर प्रतीति 'कहाँ जा रही, कब तक आएगी ' के अपने सवाल लिए खड़ी रह गई ।
भुनभुनाती निकली शिवी आधे घंटे बाद अपने दोस्तों के साथ खिलखिला रही थी । पूरे दिन दोस्तों संग हँसी-ठट्ठा करते, बाजार में घूमती रही । इस बीच तीन बार माँ का फोन शिवी काट चुकी थी । रात होते-होते यश ने सुझाया, 'चलो आज बाइक रेसिंग करेंगे । नए शहर के बाहर एक बिल्डिंग बन रही है, वहाँ रात को बहुत कम ट्रैफिक होता है, वहाँ से शुरू करेंगे ।' सारे दोस्तों ने ए…..की टेर लगा दी । शिवी सोच में थी । ' मॉम को बताऊँ? वो फिर टोकेंगी । बाइक रेस में हर बाइक पर एक कपल । कितना रोमांचक होगा ।'
अब एक तरफ लगातार माँ का फोन आ रहा था और दूसरी तरफ दोस्त अपनी-अपनी बाइक की तरफ बढ़ रहे थे । मन की सारी उलझनों को एक तरफ झटक कर शिवी उनकी ओर बढ़ ही रही थी कि अचानक सौरभ के पैर से वहीं सोए एक कुत्ते के पिल्ले को पैर लग गया । उसके बाद न जाने कहाँ से आकर उसकी मरियल-सी माँ आक्रामक हो उठी । अपने बच्चे को खतरे में जानकर भौंक-भौंक कर उसने आसमान सिर पर उठा लिया ।
शुभम चिल्लाया - " अबे ! चुपचाप वहीं खड़ा हो जा , वह माँ है यार…वह निश्चिंत हो जाए कि उसके बच्चों को हमसे कोई खतरा नहीं है , फिर वह चली जाएगी । थोड़ी देर बाद सचमुच वह शांत होकर अपने पिल्लों को साथ लिए चली गई । " वह माँ है यार…" ये शब्द शिवी के सिर पर मानो हथौड़े की तरह बजने लगे । वह भी तो माँ है जो सदैव अपनी बेटी को सुरक्षित और आगे बढ़ते देखना चाहती है और इसीलिए रोक-टोक करती है , सावधान रहना सिखाती है कि उसकी बेटी को कोई चोट मत लगे । कहाँ जा रही है , कब तक घर आएगी जैसे प्रश्न जो उसे बेकार लगते थे , आज उसके मायने समझ में आ रहे हैं ।ओह ! वह कितने रूखे ढंग से पेश आई आज माँ के साथ । मालूम है वह अब भी दरवाजे पर चिंतित खड़ी होगी , उसकी राह देखते । अचानक शिवी ने अपने कदम पीछे किए और दोस्तों के साथ रेस लगाने की बात छोड़ कर घर जाने का फैसला कर लिया । - -शहर की यात्रा कर इन जगहों की खूबसूरती को करें महसूसआलेख- रचना मिश्रापर्यटन एक ऐसी यात्रा है जो न केवल हमें नये स्थानों से परिचित कराती है बल्कि हमारे जीवन को भी समृद्ध बनाती है। पर्यटन हमें नये अनुभव प्रदान करता है। नये लोगों से मिलने का अवसर देता है। छत्तीसगढ़ का बिलासपुर जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन स्थलों को संवारने जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग द्वारा पहल की जा रही है। प्राकृति ने यहां अपनी पूरी छटा बिखेरी है। घने जंगलों से आच्छादित इस जिले में नदियां और पहाड़ भी है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की मंशानुरूप जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शासन द्वारा नित नये प्रयास किये जा रहे हैं। सैलानियों को ठहरने की सुविधा देने छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड द्वारा कुरदर और बेलगहना में रिजॉर्ट बनाया गया है वहीं पर्यटन स्थलों में पहुंचमार्ग से लेकर सौंदर्यीकरण आधारभूत सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया है।तालायह अतीत में वापस जाने और कालातीत मूर्तियों द्वारा मंत्रमुग्ध होने जैसा है। निश्चित रूप से अनंत काल और कलात्मक पत्थर की मूर्तियों की भूमि ताला अमेरिकापा के गांव के पास मनियारी नदी के तट पर स्थित है। ताला शिवनाथ और मनियारी नदी के संगम पर स्थित है। देवरानी-जेठानी मंदिरों के लिए सबसे मशहूर, ताला की खोज 1873-74 में जे.डी. वेलगर ने की थी, जो प्रसिद्ध पुरातत्वविद् अलेक्जेंडर कनिंघम के सहायक थे। इतिहासकारों ने दावा किया है कि ताला गांव 7-8 वीं शताब्दी ईस्वी की है।ताला के पास सरगांव में धूम नाथ का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान किरारी के शिव स्मारक हैं, और मल्हार यहां से केवल 18 किमी दूर है। ताला बहुमूल्य पुरातात्विक खुदाई की भूमि है जिसने उत्कृष्ट मूर्तिकला के काम को प्रकट किया है। पुरातत्त्वविदों और इतिहासकारों को जटिल रूप से तैयार पत्थर की नक्काशी से मंत्रमुग्ध कर दिया जाता है। इन उत्कृष्ट खुदाई 6 वीं से 10 वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान ताला की समृद्धि का वर्णन करती हैं। हालांकि, विभिन्न खुदाई वाले खंडहर प्राप्त हुए और मूर्तिकला-शैली हमें विभिन्न राजवंशों को बताती है जो ताला में शासन करते थे और भगवान शिव के भक्त और शिव धर्म के प्रचारक थे।देवरानी - जेठानी मंदिर, अमेरीकांपा (जिला बिलासपुर)प्राचीन काल में दक्षिण कोसल के शरभपुरीय राजाओं के राजत्वकाल में मनियारी नदी के तट पर ताला नामक स्थल पर अमेरिकापा गाँव के समीप दो शिव मंदिरों का निर्माण कराया गया। देवरानी, जेठानी मंदिर भारतीय मूर्तिकला और कला के लिए बहुत प्रसिद्ध है।दुर्लभ रुद्रशिव1987-88 के दरमियान देवरानी मंदिर में प्रसिद्ध खुदाई में भगवान शिव की एक बेहद अनोखी ‘रुद्र’ छवि वाली मूर्ति प्रकट हुई। शिव की यह अनूठी मूर्ति विभिन्न प्राणियों का उपयोग करके तैयार की जाती है। यह विशाल एकाश्ममक द्विभूजी प्रतिमा समभंगमुद्रा में खड़ी है तथा इसकी उचांई 2.70 मीटर है। यह प्रतिमा शास्त्र के लक्षणों की दृष्टी से विलक्षण प्रतिमा है। इसमें मानव अंग के रूप में अनेक पशु, मानव अथवा देवमुख एवं सिंह मुख बनाये गये हैं। इसके सिर का जटामुकुट (पगड़ी) जोड़ा सर्पों से निर्मित है। ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ के कलाकार को सर्प-आभूषण बहुत प्रिय था क्योंकि प्रतिमा में रुद्रशिव का कटी, हाथ एवं अंगुलियों को सर्प के भांति आकार दिया गया है। इसके अतिरिक्त प्रतिमा के ऊपरी भाग पर दोनों ओर एक-एक सर्पफण छत्र कंधो के ऊपर प्रदर्शित है। इसी तरह बायें पैर लिपटे हुए, फणयुक्त सर्प का अंकन है। दुसरे जीव जन्तुओ में मोर से कान एवं कुंडल, आँखों की भौहे एवं नाक छिपकली से, मुख की ठुड्डी केकड़ा से निर्मित है तथा भुजायें मकरमुख से निकली हैं। सात मानव अथवा देवमुख शरीर के विभिन अंगो में निर्मित हैं।लुतरा शरीफबाबा सैय्यद इंसान अली शाह की दरगाह के रूप में प्रसिद्ध “लुतरा शरीफ” बिलासपुर में स्थित है। जो पुरे छत्तीसगढ़ में धार्मिक सौहार्द्र, श्रध्दा और आस्था का पावन स्थल तथा प्रमुख केंद्र माना जाता है। हजरत बाबा का पवित्र स्थल लुतरा शरीफ छत्तीसगढ़ में एक पवित्र और चमत्कारिक दरगाह के रूप में विख्यात है। यहां वर्ष भर मनौतियां मानने वालो का मेला लगा रहता है। छत्तीसगढ़ राज्य में यह एक ऐसा दरगाह है जिसकी आस्था सभी धर्माे के लोगो में है। यह दरगाह एक धर्म विशेष से ऊपर उठकर कल्याणकारी होने का जीवंत उदहारण है।यह पर्यटकों के लिए दर्शनीय स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। श्रद्धालु, पर्यटकों के लिए यह पवित्र दर्शनीय स्थल है। बिलासपुर क्षेत्र में धार्मिक आस्था केंद्र के रूप में विख्यात लुतरा शरीफ दरगाह में माथा टेकने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पर्यटक आते हैं।मल्हारमल्हार नगर बिलासपुर से दक्षिण-पश्चिम में बिलासपुर से शिवरीनारायण जाने वाली सडक पर स्थित मस्तूरी से 14 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। मल्हार में ताम्र पाषाण काल से लेकर मध्यकाल तक का इतिहास सजीव हो उठता है। मल्हार के उत्खनन में ईसा की दूसरी शती की ब्राम्हीव लिपी में आलेखित उक मृणमुद्रा प्राप्त हुई है, जिस पर गामस कोसलीया (कोसली ग्राम की) लिखा है। कोसली या कोसल ग्राम का तादात्यपी मल्हार से 16 किमी उत्तर पूर्व में स्थित कोसला ग्राम से स्थित जा सकता है। कोसला गांव से पुराना गढ़ प्राचीर तथा परिखा आज भी विद्यमान है, जो उसकी प्राचीनता को मौर्याे के समयुगीन ले जाती है। वहां कुषाण शासक विमकैडफाइसिस का एक सिक्का भी मिला है। सातवीं से दसवीं शदी के मध्य विकसित मल्हार की मूर्तिकला में उत्तर गुप्त युगीन विशेषताएं स्पष्ट परिलक्षित है। मल्हार में बौद्ध स्मारकों तथा प्रतिमाओ का निर्माण इस काल की विशेषता है। मल्हार में भीम किचक मंदिर, माता दाई डिड़िनेश्वरी का निवास, ऋषभदेव नाथ मंदिर, भगवान बुद्ध व महावीर की इत्यादि मूर्तियां है। यहां से ताम्र पत्र, शिलालेख और अनेक मूर्तियां खुदाई से प्राप्त हुई है।रतनपुरबिलासपुर-कोरबा मुख्यमार्ग पर 25 कि.मी. पर स्थित आदिशक्ति महामाया देवी कि पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का प्राचीन एवं गौरवशाली इतिहास है। त्रिपुरी के कलचुरियों ने रतनपुर को अपनी राजधानी बना कर दीर्घकाल तक छ.ग. मे शासन किया। इसे चतुर्युगी नगरी भी कहा जाता है. जिसका तात्पर्य इसका अस्तित्व चारो युगों में विद्यमान रहा है। राजा रत्नदेव प्रथम ने रतनपुर के नाम से अपनी राजधानी बसाया।श्री आदिशक्ति माँ महामाया देवी - लगभग नौ वर्ष प्राचीन महामाया देवी का दिव्य एवं भव्य मंदिर दर्शनीय है। इसका निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में कराया गया था। 1045 ई. में राजा रत्नदेव प्रथम ने श्री महामाया देवी का भव्य मंदिर निर्मित कराया। मंदिर के भीतर महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी स्वरुप देवी की प्रतिमाएं विराजमान है। मान्यता है कि इस मंदिर में यंत्र-मंत्र का केंद्र रहा होगा। रतनपुर में देवी सती का दाहिना स्कंद गिरा था। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था। जिसके कारण माँ के दर्शन से कुंवारी कन्याओ को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नवरात्री पर्व पर यहाँ की छटा दर्शनीय होती है। इस अवसर पर श्रद्धालूओं द्वारा यहाँ हजारों की संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित किये जाते है।कानन पेंडारीबिलासपुर शहर कानन पेंडारी चिड़ियाघर के लिए प्रसिद्ध है। यह मुंगेली रोड पर बिलासपुर से लगभग 10 किलोमीटर सकरी के पास स्थित एक छोटा चिड़ियाघर है। सिटी बस का संचालन बिलासपुर सिटी बस लिमिटेड द्वारा यात्रियों के परिवहन के लिए किया जाता है।खूंटाघाट (खारंग जलाशय)खूंटाघाट बांध बिलासपुर का एक मुख्य आकर्षण स्थल है। यह बांध बिलासपुर में रतनपुर में स्थित है। यह बांध रतनपुर से करीब 4 किलोमीटर दूर है। यह बांध चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। खुटाघाट बांध को खारंग जलाशय भी कहा जाता है। यह बांध खारंग नदी पर बना हुआ है। यह बांध पर्यटकों के लिए एक अच्छी जगह है। यहां एक सुंदर गार्डन भी है।
- आलेख- ताराशंकर सिन्हा-चित्ताकर्षक पहाड़ों, जंगलों और जलप्रपातों से परिपूर्ण है कांकेर जिला- ग्राम गोटीटोला, उड़कुड़ा की पहाड़ियों में हैं अतिप्राचीन एलियननुमा आकृतियांबस्तर का स्वागत द्वार कहलाने वाला कांकेर जिला विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्राकृतिक सम्पदाओं के अलावा सांस्कृतिक, पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक धरोहरों को समेटा हुआ है। यहां पर्यटन की अप्रतिम एवं अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें संरक्षित एवं विकसित करने की आवश्यकता है। जिले में एक ओर जहां प्राकृतिक जलप्रपात- मलाजकुंडुम (कांकेर) तथा चर्रे-मर्रे (अंतागढ़) स्थित है वहीं जिला मुख्यालय में ऊंची पहाड़ियों के बीच स्थित गढ़िया पहाड़ अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए विख्यात है। इसके अलावा अनेक प्राकृतिक गुफाएं भी यहां मौजूद है, जिनमें जोगीगुफा, रानीडांगरी, ग्राम उड़कुड़ा एवं गोटीटोला आदि शामिल हैं।ग्राम गोटीटोला की पहाड़ियों में है अतिप्राचीन शैलचित्रजिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूरी पर चारामा विकासखण्ड के ग्राम गोटीटोला के निकट पहाड़ियों के बीच रामगुड़ा नामक विशाल वृत्ताकार शैलखण्ड है, जिसकी परतों पर रहस्यमयी आकृतियां उकेरी गई हैं। यह अपने आप में रहस्यमयी और कौतुहल का विषय है। ये आकृतियां कितनी प्राचीन हैं, यह पुरातात्विक शोध एवं अन्वेषण का विषय है, किन्तु ग्रामीणों को कहना है कि ये अति प्राचीन आकृतियां हैं, जो लगभग 7 से 10 हजार साल पुरानी है। ग्रामीण श्री भूमिलाल मण्डावी ने बताया कि यह गांव वालों के लिए यह आस्था एवं धार्मिक महत्व का क्षेत्र है। वे प्रतिवर्ष कृष्ण जन्माष्टमी और नवरात्रि पर्व में विशेष पूजा करने यहां आते हैं।इन शैल चित्रों को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि विशाल चट्टान की परत पर मानव की आकृति लाल एवं पीले रंग से उकेरी गई है, इसमें स्त्री, पुरूष एवं निचले हिस्से पर बच्चे भी दिखाई दे रहे हैं। इन आकृतियों के रंग इतने पक्के व अमिट हैं कि इतने हजारों साल भी फीके नहीं हुए हैं। इसके अलावा शैलचित्रों के ऊपरी हिस्से मनुष्य के हाथ के पंजों के निशान परिलक्षित हो रहे हैं। इन मानवाकृतियों की बांयी ओर थोड़े ऊपर में दो और मनुष्यनुमा आकृति बनी हुई है, जो किसी एलियन या यूएफओ की भांति दिख रही है। अर्थात उक्त आकृतियों में पैर से सिर तक विभिन्न अंग दृष्टिगोचर हो रहे हैं, किन्तु इनके सिर के बाल मनुष्य के बालों से बिलकुल ही अलग ही प्रतीत हो रहे हैं तथा पैरों एवं हाथों में तीन-तीन उंगलियां ही दिखाई पड़ रही हैं, जो यूएफओ के जैसी दिख रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग इन चित्रों के अध्ययन के लिए नासा और इसरो की सहायता लेने की योजना बना रहा है।एलियन्सनुमा आकृतियां शोध का विषयपुरातत्वविद् के अनुसार, इन चित्रों में दर्शाए गए प्राणी हॉलीवुड और बॉलीवुड फिल्मों में दिखाए गए एलियंस से काफी हद तक मिलते-जुलते हैं। स्थानीय निवासियों के बीच इन चित्रों को लेकर विभिन्न मान्यताएं हैं। कुछ लोग इनकी पूजा करते हैं, जबकि अन्य अपने पूर्वजों से सुनी किंवदंतियों का उल्लेख करते हैं, जिनमें ‘रोहेला’ (छोटे आकार के प्राणी) के बारे में भी जिक्र करते हैं। इन चित्रों में प्राणियों की आकृतियां हथियार जैसी वस्तुएं पकड़े हुए हैं, लेकिन उनकी नाक और मुँह स्पष्ट नहीं हैं। कुछ चित्रों में वे स्पेस सूट पहने हुए प्रतीत होते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि इन चित्रों में दिखाए गए उड़न खटोले पंखे जैसे एंटीना और तीन पैरों वाले स्टैंड के साथ यूएफओ से मिलते-जुलते हैं, जैसा कि फिल्मों में दिखाया जाता है। इन चित्रों के रंग प्राकृतिक हैं, जो हजारों वर्षों के बाद भी फीके नहीं पड़े हैं। हालांकि यह संभव है कि प्रागैतिहासिक मानवों की कल्पना का परिणाम हो, लेकिन इस विषय पर और अधिक शोध की आवश्यकता है।
- -आस्था और विरासत की दिव्य यात्रा-" महाकुंभ की दिव्य छत्रछाया में एकत्रित हुए हम सभी की आस्था और भक्ति का अमृत हमारी आत्माओं को पवित्र करे। "महाकुंभ नगर में केंद्रीय अस्पताल आध्यात्मिक उत्साह के बीच, आशा और जीवन शक्ति के एक नए अध्याय की शुरुआत करता है। महाकुंभ उत्सव के प्रारंभ से तुंरत पहले ' गंगा ' नाम की एक बच्ची का जन्म पवित्रता और पवित्र नदियों के सार का प्रतीक है। एक और नवजात शिशु, ' कुंभ ' नाम के एक बच्चे के जन्म के साथ , ये जन्म जीवन के चक्र और महाकुंभ के उत्सव के आशीर्वाद को समाहित किए हुए है। महाकुंभ की आधिकारिक शुरुआत से पहले प्रारंभ हुआ यह अस्पताल उत्तर प्रदेश सरकार की कुशल तैयारियों का एक प्रमाण है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यह अस्पताल सुनिश्चित करता है कि महाकुंभ की पवित्रता मानव कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता और परंपरा को प्रगति के साथ संबंध कर प्रदर्शित हो।सनातन धर्म के शिखर के रूप में प्रतिष्ठित महाकुंभ, 2025 में प्रयागराज में अपनी भव्यता को प्रदर्शित करेगा । "तीर्थराज" या तीर्थराज के रूप में जाना जाने वाला प्रयागराज एक ऐसा शहर है जहाँ पौराणिक कथाओं, आध्यात्मिकता और इतिहास का संगम होता है, जो इसे सनातन संस्कृति का एक कालातीत अवतार बनाता है। यह पवित्र भूमि, जहाँ गंगा , यमुना और रहस्यमयी सरस्वती नदियाँ मिलती हैं , दिव्य आशीर्वाद और मोक्ष चाहने वाले लाखों लोगों के लिए एक आध्यात्मिक आकर्षण के रूप में कार्य करता है । भक्ति, ध्यान और आध्यात्मिकता की 'त्रिवेणी' के रुप में महाकुंभ एक दिव्य यात्रा में बदल जाता है।प्रयागराज के आध्यात्मिक रत्नों में से एक है, लोकनाथ इलाके में स्थित प्रतिष्ठित बाबा लोकनाथ महादेव मंदिर । काशी के बाबा विश्वनाथ के प्रतिरूप माने जाने वाले बाबा लोकनाथ मंदिर में शाश्वत भक्ति की गूंज सुनाई देती है। इस स्वयंभू शिव लिंग का उल्लेख स्कंद पुराण और महाभारत में मिलता है, जो इसकी प्राचीन जड़ों को रेखांकित करता है। तीर्थयात्रियों का मानना है कि बाबा लोकनाथ का आशीर्वाद लेने से सांसारिक संघर्ष कम हो सकते हैं और भव्य महाकुंभ के दौरान हजारों लोग इस पवित्र स्थल पर दिव्य अनुभव करने के लिए एकत्रित होते हैं। मदन मोहन मालवीय जैसी हस्तियों के साथ जुड़ने से मंदिर की सांस्कृतिक विरासत और समृद्ध हुई है। शिवरात्रि पर इसका प्रतिष्ठित शिव बारात जुलूस और जीवंत होली समारोह प्रयागराज के आध्यात्मिक उत्साह की जीवंत तस्वीर में चार चांद लगा देते हैंमहाकुंभ के आध्यात्मिक शहर का अखाड़ा क्षेत्र भक्ति से सराबोर है, क्योंकि नागा संन्यासी और संत अनुष्ठान करने, ध्यान करने और ज्ञान साझा करने के लिए एकत्रित होते हैं। उनमें से, महंत श्रवण गिरि और महंत तारा गिरि की कहानियाँ एक अनोखे आकर्षण के साथ गूंजती हैं। अपने पालतू जानवरों - क्रमशः लाली और सोमा - के प्रति उनका गहरा प्रेम सनातन धर्म के दयालु सार को उजागर करता है, जहाँ हर जीवित प्राणी को दिव्य माना जाता है। सांसारिक बंधनों को त्यागने वाले ये संत अपने पालतू जानवरों के साथ पारिवारिक बंधन पाते हैं, जो अहिंसा और बिना शर्त प्यार के सिद्धांत को स्वीकारते हैं। इस तरह की कहानियाँ तपस्वियों के कठोर जीवन को मानवीय बनाती हैं और महाकुंभ की समावेशिता की भावना को रेखांकित करती हैं और आध्यात्मिकता और अस्तित्व के सरल आनंद के बीच समानताएँ दर्शाती हैं।शांत झूंसी क्षेत्र में स्थित महर्षि दुर्वासा आश्रम प्रयागराज के आध्यात्मिक आकर्षण में एक और कड़ी जोड़ता है। पौराणिक ऋषि महर्षि दुर्वासा से जुड़ा यह प्राचीन स्थल दैवीय तपस्या और मोचन की कहानियां रखता है। ऐसा कहा जाता है कि महर्षि दुर्वासा के गहन ध्यान ने भगवान शिव को प्रसन्न किया, जिन्होंने उन्हें भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र के क्रोध से सुरक्षा प्रदान की। ऋषि द्वारा स्थापित शिवलिंग 'अभयदान' (भय से मुक्ति) चाहने वाले भक्तों के लिए आशा की किरण बना हुआ है। महाकुंभ की तैयारी में, आश्रम में महत्वपूर्ण जीर्णोद्धार हुआ है, इसके लाल बलुआ पत्थर के द्वार और बढ़ी हुई सुविधाएं तीर्थयात्रियों को इसकी पवित्रता में समाहित होने के लिए आमंत्रित करती हैं। यह प्रयागराज को परिभाषित करने वाली पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिकता के बीच शाश्वत बंधन की याद दिलाता है ।कुंभ को चार आयामी उत्सव के रूप में वर्णित किया गया है - एक आध्यात्मिक यात्रा, एक तार्किक चमत्कार, एक आर्थिक घटना और वैश्विक एकता का प्रमाण । कल्पवास की अवधारणा , जहाँ व्यक्ति जीवन के शाश्वत सत्य को अपनाने के लिए क्षणिक डिजिटल दुनिया से अलग हो जाते हैं, महाकुंभ की परिवर्तनकारी शक्ति का प्रतीक है। महाकुंभ केवल एक आयोजन नहीं है; यह जीवन जीने का एक तरीका है , एक ऐसा त्यौहार जो ईश्वरीय संविधान द्वारा संचालित होता है। इसकी आत्मा संतों और ऋषियों के सत्संग में निहित है, जहाँ धर्म वाणिज्य के साथ जुड़ता है, सनातन वैदिक हिंदू धर्म के मूल्यों को कायम रखता है ।वर्ष 2025 में संगम की पवित्र रेत पर लाखों श्रद्धालुओं की प्रतीक्षा है, महाकुंभ एक ऐसा आध्यात्मिक महापर्व होने का वादा करता है, जैसा इससे पूर्व कभी नहीं हुआ । यह अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने, सनातन धर्म के शाश्वत ज्ञान का अनुभव करने और सांसारिकता से परे उत्सव में भाग लेने का निमंत्रण है। बाबा लोकनाथ के दिव्य आशीर्वाद से लेकर महर्षि दुर्वासा की पौराणिक विरासत तक, तपस्वियों के मानवीय बंधनों से लेकर जीवन के चमत्कारों तक, महाकुंभ आस्था, भक्ति और उत्कृष्टता का एक ताना-बाना है। (पीआईबी, दिल्ली)
- लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
सुआगत हे तोर नवा बछर।
सुख लेके आबे डगर डगर।।अंधियारी मेटावय मन के ।रोग शोक फेंकावय तन के ।सुनता के अंजोर जगर मगर।।सुआगत हे तोर नवा बछर ।।खोर दुआरी ला बुहार लव ।सुन्ना रद्दा हे गुहार दव ।संगी चलबो सबो हाथ धर ।।सुआगत हे तोर नवा बछर ।।हँसी खुशी राहव हिलमिल के।गोठ मया के कह लव खिल के।जिनगी सबके राहय सुग्घर ।।सुआगत हे तोर नवा बछर ।। -
-गृह मंत्रालय: वर्षांत समीक्षा 2024
साल 2024 गृह मंत्रालय द्वारा देशवासियों के लिए न्याय तक आसानी से पहुँच सुनिश्चित करने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना के अनुसार एक सुरक्षित भारत के निर्माण के लिए शुरू किए गए ऐतिहासिक सुधारों का वर्ष था। इस दिशा में गृह मंत्रालय ने कई परिवर्तनकारी निर्णय लिए जिनसे कई युगांतरकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त हुआ और भारत के संविधान में निहित नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने में अभूतपूर्व उपलब्धियाँ हासिल हुईं।गुलामी की निशानियों को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान को आगे बढ़ाते हुए, गृह मंत्रालय ने औपनिवेशिक युग के दौरान ब्रिटिश संसद द्वारा लागू भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम से बदलने का फैसला किया। स्वदेश में बने नए आपराधिक कानून प्राचीन भारतीय न्याय दर्शन से प्रेरित है। इन कानूनों के माध्यम से स्वतंत्रता के बाद पहली बार आपराधिक न्याय प्रणाली के केंद्र में ‘न्याय’ सुनिश्चित हुआ है। नए कानून 1 जुलाई, 2024 को लागू हुए।इतना ही नहीं, गृह मंत्रालय ने सुरक्षा, महिला अधिकारों, वंचित वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करने और भारत की महानता के एक नए युग की यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए परिवर्तनकारी पहलों की एक श्रृंखला भी शुरू की। इस एक वर्ष के दौरान गृह मंत्रालय द्वारा की गईं नई पहल इस प्रकार हैं:ऐतिहासिक कानूनों से नागरिकों का सशक्तीकरण: न्याय, नागरिकता और सामाजिक समानतातीन नए आपराधिक कानून (आजाद भारत के नए कानून)तीन नए आपराधिक कानून - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम — 1 जुलाई, 2024 को लागू हुए। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नए कानूनों के लाभों के बारे में विस्तार से बताया।भारतीय कानून प्रणाली में उपनिवेशवाद के सभी निशानियों को मिटाने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अपील के बाद तीन नए आपराधिक कानून लाए गए। ये नये कानून हमारे पारंपरिक न्याय दर्शन के मजबूत स्तंभों पर आधारित हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चंडीगढ़ में ये कानून पूर्णतया लागू कर जनता को समर्पित किये। हरियाणा 31 मार्च, 2025 से पहले इन कानूनों को पूरी तरह से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तराखंड समेत बाकी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी जल्द से जल्द इन्हें पूरी तरह से लागू करेंगे।नए कानून न्याय-उन्मुख और पीड़ित-केंद्रित हैं। इन कानूनों में दंड के बजाय न्याय को प्राथमिकता दी गई है। ये कानून त्वरित सुनवाई और त्वरित न्याय सुनिश्चित करते हैं। ये कानून आने वाले दिनों में विश्व के सबसे बड़े सुधारों में एक साबित होंगे। इससे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया में सबसे आधुनिक बनेगी और दोषसिद्धि दर में काफी वृद्धि होगी।नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने को प्राथमिकता दी गई है। बच्चों और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़कर उन्हें और अधिक संवेदनशील बनाया गया है।नए कानूनों से पीड़ितों के अधिकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई है। इन कानूनों ने न केवल प्रौद्योगिकी को अपनाया है, बल्कि इसे इस तरह से शामिल किया है कि वे अगले 50 वर्षों तक मानव जाति को प्रभावित करने वाले तकनीकी परिवर्तनों के साथ तालमेल बैठा सकें।इन कानूनों के निर्बाध कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, गृह मंत्री ने चंडीगढ़ में ई-साक्ष्य, न्याय सेतु, न्याय श्रुति और ई-समन ऐप लॉन्च किया।ई-साक्ष्य, ई-समन, न्याय सेतु और न्याय श्रुति ऐप समय पर पारदर्शी न्याय देने में हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली की प्रभावशीलता को बढ़ाएंगे। ई-साक्ष्य के तहत वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी और गवाही को ई-साक्ष्य सर्वर पर संग्रहित किया जाएगा, जो अदालतों में भी तुरंत उपलब्ध होगा।ई-समन के तहत, समन अदालत से पुलिस स्टेशन और सम्बंधित व्यक्तियों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भेजा जाएगा। न्याय सेतु डैशबोर्ड पर पुलिस, मेडिकल, फॉरेंसिक, अभियोजन और जेल आपस में जुड़े हुए हैं, जो पुलिस को एक क्लिक में जाँच से जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करेगा।न्याय श्रुति के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाहों की सुनवाई सुनिश्चित होगी। इससे समय और धन की बचत होगी और मामलों का निपटारा भी तेजी से होगा।सीएएप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे संविधान निर्माताओं के सपने को साकार करते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू किया, जिसके नियम 11 मार्च, 2024 को अधिसूचित किए गए। नागरिकता संशोधन अधिनियम पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है।नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 अधिसूचित, नागरिकता प्रमाणपत्रों का पहला सेट सीएए नियम, 2024 की अधिसूचना के बाद जारी किया गया था।जम्मू और कश्मीर के लिए सामाजिक समानताजम्मू-कश्मीर में शांति स्थापित करना मोदी सरकार की प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विजन के तहत, गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के शासन सहित समाज के केंद्र में शांति, समानता और न्याय को स्थापित करने के लिए कई उपाय किए।इस व्यापक दृष्टिकोण के तहत संसद ने संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया, जो पहाड़ी जातीय समूह, पदारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक विधेयक है।यह विधेयक आरक्षण के योग्य समुदायों को आरक्षण देकर जम्मू-कश्मीर की पहाड़ियों और घाटियों में सामाजिक समानता सुनिश्चित करता है।इस विधेयक से लोगों के बीच अपनत्वता और एकता की एक नई शुरुआत हुई है।आपदाओं में नागरिक सुरक्षा को बढ़ावाआपदाओं में जीरो कैजुअल्टीज सुनिश्चित करने के मिशन में तेजी लाते हुए लोकसभा ने आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक पारित किया। यह कानून, संबंधित बलों को अधिक प्रभाव के साथ आपदाओं से निपटने के लिए सशक्त बनाता है।विधेयक में आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण को रिएक्टिव से प्रोएक्टिव में बदला गया है, जिसमें रोकथाम, शमन और तैयारियों पर नए सिरे से जोर दिया गया है।यह कानून एजेंसियों के बीच सहज तालमेल को बढ़ावा देकर सरकार को whole-of-the-government के दृष्टिकोण के साथ आपदाओं से निपटने में सक्षम बनाएगा।यह विधेयक एनडीएमए और एसडीएमए को बेहतर तैयारी के साथ तेज प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के लिए डेटाबेस बनाने का अधिकार देता है।जीरो टेरर, 100% प्रगति: समावेश, विकास और सतर्कता से जम्मू-कश्मीर का सशक्तीकरणमोदी सरकार बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर का निर्माण कर रही है। आतंक और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों और संगठनों पर प्रतिबंध लगाकर जमीन पर आतंक के खिलाफ निर्णायक युद्ध लड़ रहे सुरक्षा बलों को गृह मंत्रालय सशक्त बना रहा है।विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर के लोगों की अभूतपूर्व भागीदारी दर्शाती है कि उन्हें लोकतंत्र पर पूरा भरोसा है।2024 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर में 35 साल का उच्चतम 58.46% मतदान हुआ।2024 के विधानसभा चुनाव में, जम्मू-कश्मीर में 63.88% मतदान हुआ।केंद्र सरकार के निरंतर और समन्वित प्रयासों के कारण, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का इको-सिस्टम लगभग समाप्त हो गया है।संसद ने संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 भी पारित किया, जो पहाड़ी जातीय समूह, पदारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण को इस दिशा में सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक विधेयक है।जम्मू और कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में इन समुदायों को शामिल करने से गुज्जर और बकरवाल जैसे मौजूदा अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए उपलब्ध आरक्षण के वर्तमान स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्हें पहले की तरह आरक्षण मिलता रहेगा।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर पर एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री, श्री अमित शाह ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।केंद्रीय गृह मंत्री ने एजेंसियों को निर्देश दिया कि वे कश्मीर घाटी में हासिल की गई सफलताओं को एरिया डोमिनेशन प्लान और जीरो टेरर प्लान के माध्यम से जम्मू संभाग में दोहराएँ।सरकार इनोवेटिव तरीके से आतंकियों पर नकेल कसकर मिसाल कायम करने के लिए प्रतिबद्ध है।आतंकवाद के खिलाफ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की जीरो टॉलरेंस नीति के अनुरूप 'आतंक मुक्त जम्मू-कश्मीर' के लक्ष्य को जल्द से जल्द हासिल किया जाएगा।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जम्मू में ई-बस सेवा की शुरुआत की और जम्मू-कश्मीर संयुक्त परीक्षा-2024 तथा अनुकंपा नियुक्तियों के लिए एक हजार से अधिक नियुक्ति पत्र वितरित किए।100 वातानुकूलित ई-बसों का उद्घाटन किया गया है, जिससे न केवल परिवहन आसान होगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।कश्मीर में सिफारिशों का युग खत्म हो गया है; अब सभी नियुक्तियाँ मेरिट के आधार पर की जाती हैं।जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, बम विस्फोट, फायरिंग, पत्थरबाजी और स्ट्राइक के बजाय अब शिक्षा, तकनीकी संस्थान, उद्योग और इंफ्रास्ट्रक्चर देखने को मिल रहा है।31 मार्च, 2026 से पहले वामपंथी उग्रवाद का संपूर्ण खात्मा: विकास की दिशा में एक निर्णायक लड़ाईसाल 2024 में, सुरक्षा बलों ने वामपंथी उग्रवाद पर अंकुश लगाते हुए 287 नक्सलियों को मार गिराने और 992 को गिरफ्तार करने में अभूतपूर्व सफलता हासिल की। मारे गए नक्सलियों में से 14 पोलित ब्यूरो के थे। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली हिंसा के कारण जाना गंवाने वाले लोगों की संख्या 4 दशकों में पहली बार 100 से नीचे आ गई है।केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने 31 मार्च, 2026 से पहले वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने का संकल्प लिया है।केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के रायपुर में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने रायपुर, छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों के साथ वामपंथी उग्रवाद पर एक समीक्षा बैठक और अंतर-राज्य समन्वय बैठक की अध्यक्षता की।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति का आकलन करने के लिए रायपुर में एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित भौगोलिक क्षेत्रों और हिंसा दोनों में उल्लेखनीय कमी आई है।शेष सुरक्षा कमियों को दूर करने, व्यापक जांच सुनिश्चित करने, अभियोजन की बारीकी से निगरानी करने और नक्सलियों की आर्थिक गतिविधि को समाप्त करने का काम राज्य पुलिस को करना होगा।केंद्रीय गृह मंत्री ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की परिपूर्णता की आवश्यकता पर बल दिया।विकास, अभियोजन और संचालन - तीनों मोर्चों पर गृह मंत्रालय एक रणनीति के साथ वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ सफल लड़ाई लड़ रहा है।वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में सुरक्षा खर्च को लगभग तीन गुना बढाकर 3,006 करोड़ रुपये तक किया गया है।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में अपने आवास पर छत्तीसगढ़ के नक्सली हिंसा पीड़ितों से बातचीत की।नक्सलवाद मानवता और देश की आंतरिक सुरक्षा दोनों के लिए खतरा है।वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित लोगों के समग्र विकास के लिए 3 महीने के भीतर केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार एक व्यापक योजना लाएगी।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में बस्तर ओलंपिक के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।बस्तर ओलंपिक पूरे क्षेत्र के लिए आशा का प्रतीक बनेगा, विकास के नए अध्याय का मार्ग प्रशस्त करेगा और नक्सलवाद के पूर्ण उन्मूलन के लिए एक मजबूत आधार के रूप में काम करेगा। जब बस्तर की एक लड़की ओलंपिक में मेडल जीतेगी तो पूरी दुनिया को संदेश जाएगा कि आगे का रास्ता हिंसा नहीं सिर्फ विकास है।बस्तर बदल रहा है। जब 2026 में फिर से बस्तर ओलंपिक आयोजित होगा, तब तक इस क्षेत्र में अद्भुत परिवर्तन आ जाएगा। इन खेलों ने 'बदलाव' से 'पूर्णतः बदलाव' की ओर परिवर्तन की शुरुआत की है।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए लोगों से मुलाकात की।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 15 हजार से अधिक आवासों के निर्माण को मंजूरी दी है।नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हर परिवार को एक-एक गाय या भैंस देकर डेयरी कोऑपरेटिव शुरू किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ सरकार ने बेहतरीन आत्मसमर्पण नीति बनाई है, जिसे पूरे देश में लागू कर हथियार छोड़ने वाले युवाओं को समाज में पुनर्वासित किया जाएगा।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और नक्सल हिंसा के खिलाफ संघर्ष करते हुए शहीद हुए जवानों के परिवारों से मुलाकात की।केंद्र सरकार नक्सली हिंसा से प्रभावित परिवारों की सहायता के लिए प्रतिबद्ध है।केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने बीजापुर में सुरक्षा बलों के forward operating base गुंडम का दौरा किया और बलों की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने 2024 में नक्सलवाद के खिलाफ अभूतपूर्व सफलता पर जवानों को बधाई दी और उन्हें उसी उत्साह के साथ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में नक्सलवाद से प्रभावित गुंडम गांव का दौरा किया, जहां उन्होंने स्कूलों, उचित मूल्य की दुकानों और सार्वजनिक चिकित्सा सुविधाओं का निरीक्षण किया। श्री शाह ने वहां रहने वाले लोगों से बातचीत भी की। गुंडम गांव को कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे विकास की मुख्यधारा में शामिल किया और वहां ऐसे स्कूल खोले, जिनमें छात्रों द्वारा गाए गए राष्ट्रगान की गूंज सुनाई देती है।ड्रग्स के खिलाफ जीरो टॉलरेंस: नार्को-टेरर नेक्सस को तोड़नाप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नशा मुक्त भारत के सपने को आगे बढ़ाते हुए, एजेंसियों ने देश में नशीली दवाओं की सबसे बड़ी जब्ती करने में बड़ी सफलता हासिल की। गृह मंत्रालय ड्रग्स के खतरे और अपराधियों को खत्म करने के अपने मिशन में whole-of-the-government के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है।NCB, नौसेना और गुजरात पुलिस द्वारा किए गए एक संयुक्त अभियान में 3,132 किलोग्राम ड्रग्स की एक विशाल खेप जब्त की गई।सुरक्षा एजेंसियों ने गुजरात में मादक पदार्थों की तस्करी के एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया और 700 किलोग्राम से अधिक प्रतिबंधित मेथामफेटामाइन जब्त किया। NCB ने नई दिल्ली में 82.53 किलोग्राम उच्च श्रेणी की कोकीन जब्त की।दिल्ली में एक कोरियर सेंटर में बड़ी मात्रा में ड्रग्स जब्त होने के बाद लगभग 900 करोड़ रुपये की भारी मात्रा में नशीली दवाओं की खेप को नीचे से ऊपर तक ट्रैक किया गया था।गृह मंत्रालय ने मादक पदार्थ गिरोह को सख्त संदेश देने के लिए जब्त दवाओं के निपटान का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2024 में गृह मंत्रालय के तहत आने वाली एजेंसियों ने 1,17,284 किलोग्राम मादक पदार्थ नष्ट किए।एजेंसियों ने वर्ष 2024 में गहरे समुद्र से कुल 4,134 किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किए।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली में राष्ट्रीय नार्कोटिक्स हेल्पलाइन 'मानस' का शुभारंभ सहित 7वीं NCORD शीर्ष स्तरीय बैठक को संबोधित किया गया।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने वर्चुअल माध्यम से रायपुर में एनसीबी के जोनल यूनिट कार्यालय का उद्घाटन किया और छत्तीसगढ़ में नशीले पदार्थों के परिदृश्य पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता भी की।‘मानस’ में एक टोल-फ्री नंबर 1933, एक वेब पोर्टल, एक मोबाइल ऐप और उमंग ऐप होगा ताकि देश के नागरिक अपनी पहचान को गुप्त रखकर NCB के साथ 24x7 जुड़ सकें और नशामुक्ति सहित पुनर्वास पर सलाह ले सकें। साथ ही, मादक पदार्थों की तस्करी पर जानकारी साझा कर सकें।केंद्र सरकार ने पिछले 5 वर्षों में whole-of-the-government के दृष्टिकोण और संरचनात्मक, संस्थागत और सूचनात्मक सुधारों के तीन स्तंभों के आधार पर इस लड़ाई से लड़ने की कोशिश की है।केंद्र सरकार हर राज्य में NCB कार्यालय स्थापित करेगी और राज्य सरकारों के सहयोग से नशीली दवाओं के व्यापार को समाप्त करेगी।आपदाओं में जीरो कैजुअल्टी: आपदा प्रबंधन की दिशा में सक्रिय दृष्टिकोणआपदाओं में जीरो कैजुअल्टी के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विजन को आगे बढ़ाते हुए गृह मंत्रालय ने रिएक्टिव के बजाय आपदा प्रबंधन के लिए प्रोएक्टिव अप्रोच अपनाया है।लोकसभा ने आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कियायह विधेयक रोकथाम, शमन और तैयारियों पर नए सिरे से जोर देते हुए आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण को रिएक्टिव से प्रोएक्टिव में बदल देता है।यह कानून एजेंसियों के बीच सहज तालमेल को बढ़ावा देकर सरकार को whole-of-the-government के दृष्टिकोण के साथ आपदाओं से निपटने में सक्षम बनाएगा।यह विधेयक एनडीएमए और एसडीएमए को बेहतर तैयारी के साथ त्वरित प्रतिक्रिया को बढ़ावा देने के लिए डेटाबेस बनाने का अधिकार देता है।यह विधेयक राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति और उच्च स्तरीय समिति को गंभीर आपदाओं के दौरान राहत के लिए धन स्वीकृत करने का अधिकार देता है।2024-25 के दौरान, केंद्र सरकार ने अब तक 12 राज्यों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से केंद्रीय हिस्से के रूप में 16566.00 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से 18 राज्यों को 4808.32 करोड़ रुपये जारी किए हैं।इसी प्रकार, केंद्र सरकार ने अब तक 12 राज्यों को राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि (एसडीएमएफ) से केंद्रीय हिस्से के रूप में 1610.454 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण निधि (एनडीएमएफ) से 7 राज्यों को 646.546 करोड़ रुपये की राशि जारी की है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, इस वर्ष के दौरान 28 राज्यों को 21,718.716 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए गए हैं।उच्च स्तरीय समिति ने मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे में शहरी बाढ़ प्रबंधन के लिए 2514.36 करोड़ रुपये की छह परियोजनाओं को मंजूरी दी।समिति ने असम, कर्नाटक और तमिलनाडु के लिए "राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण" के तहत 810.64 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को भी मंजूरी दी।नुकसान का आकलन करने के लिए बाढ़ प्रभावित असम, मिजोरम, केरल, त्रिपुरा, नागालैंड, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और मणिपुर में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (आईएमसीटी) तैनात किए गए हैं।केंद्र सरकार ने सभी बाढ़ प्रभावित राज्यों को एनडीआरएफ की अपेक्षित टीमों, सेना की टीमों और वायु सेना की सहायता सहित सभी रसद सहायता भी प्रदान की है।गृह मंत्रालय ने 14 बाढ़ प्रभावित राज्यों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से केंद्रीय हिस्से के रूप में 5858.60 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) से अग्रिम राशि जारी की।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लिए 'राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण' के तहत 725.62 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) ने विभिन्न राज्यों के लिए आपदा शमन और क्षमता निर्माण परियोजनाओं के लिए 1115.67 करोड़ रुपये की मंजूरी दी।उच्च स्तरीय समिति ने 15 राज्यों में 1000 करोड़ रुपए की लागत से राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम शमन परियोजना को मंजूरी दी।समिति ने उत्तराखंड के लिए 139 करोड़ रुपये, हिमाचल प्रदेश के लिए 139 करोड़ रुपये, आठ पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 378 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र के लिए 100 करोड़ रुपये, कर्नाटक के लिए 72 करोड़ रुपये, केरल के लिए 72 करोड़ रुपये, तमिलनाडु के लिए 50 करोड़ रुपये और पश्चिम बंगाल के लिए 50 करोड़ रुपये की मंजूरी दी।उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) की फंडिंग विंडो से 115.67 करोड़ रुपये की तैयारी और क्षमता निर्माण के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी।गृह मंत्रालय ने चक्रवात 'फेंगल' से प्रभावित लोगों की मदद के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से केंद्रीय हिस्से के रूप में तमिलनाडु राज्य सरकार को 944.80 करोड़ रुपये जारी करने की मंजूरी दी।पूर्वोत्तर में समझौते से संघर्ष हुए समाप्तमोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में एकता को बढ़ावा देकर शांति के नए युग की सफलतापूर्वक शुरुआत की है।भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार और The Indigenous Progressive Regional Alliance/TIPRA और अन्य हितधारकों के बीच गृह मंत्री की उपस्थिति में एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।(2nd March 2024, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2010882)केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार, NLFT और ATTF के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।जिन शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, वे लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करके पूर्वोत्तर में संघर्ष को समाप्त करेंगे।मोदी सरकार विभिन्न समूहों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करके एक शांतिपूर्ण पूर्वोत्तर का निर्माण कर रही है।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने त्रिपुरा के अगरतला में उत्तर पूर्वी परिषद (NEC) की 72वीं बैठक को संबोधित किया।गृह मंत्रालय ने देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत और म्यांमार के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (FMR) को खत्म करने का फैसला किया।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने अगरतला, त्रिपुरा में उत्तर पूर्वी परिषद (NEC) की 72वीं बैठक को संबोधित किया।मोदी सरकार 'एक्ट ईस्ट, एक्ट फास्ट और एक्ट फर्स्ट' के मंत्र पर खरी उतर रही है।पूर्वोत्तर के हर राज्य में पुलिस के दृष्टिकोण, प्रशिक्षण और फोकस को बदलने, संस्कृति और पुलिसिंग की दिशा बदलने का प्रयास किया जा रहा है।अब समय आ गया है कि पूर्वोत्तर के प्रत्येक नागरिक को संपत्ति, गरिमा और सुरक्षा के संवैधानिक अधिकार मिले, जो तीन नए आपराधिक कानूनों में शामिल हैं।पूर्वोत्तर के विकास को गति देने के लिए, मोदी सरकार ने निवेशकों को आकर्षित किया है और इस क्षेत्र के लिए वैश्विक बाजार खोले हैं।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने त्रिपुरा के अगरतला में उत्तर पूर्वी-अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (NESAC) सोसायटी की 12वीं बैठक की अध्यक्षता की।NESAC सोसाइटी को पूर्वोत्तर राज्यों में अपने काम के दायरे का और विस्तार करना चाहिए।NESAC सोसायटी को पूर्वोत्तर के सभी राज्यों से विज्ञान पृष्ठभूमि वाले प्रत्येक 100 छात्रों को इसरो मुख्यालय के दौरे पर ले जाना चाहिए।NESAC की मदद से 20 जलमार्गों का निर्माण किया गया है और सोसाइटी को अधिक जलमार्ग बनाने की संभावना तलाशनी चाहिए।पूर्वोत्तर राज्यों में खनिज, तेल और कोयला भंडारों के लिये व्यापक मैपिंग की आवश्यकता है, जो इन खनिजों के लिये प्राप्त रायल्टी से आर्थिक रूप से लाभान्वित होंगे।भारत-म्यांमार सीमा पर विशेष रूप से नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लोगों के जनसांख्यिकीय डेटा को सीमा पर बाड़ लगाने और घुसपैठ को रोकने में मदद करने के लिए मैप किया जाना चाहिए।अंतरिक्ष विज्ञान का उपयोग करते हुए NESAC सोसायटी का फोकस वन क्षेत्र विकास होना चाहिए।पूर्वोत्तर राज्यों को इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़े नए कोर्स शुरू करने चाहिए।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने ब्रू-रियांग शरणार्थियों से मुलाकात की, उनके घरों का दौरा किया और उनके लिए बनाई गई स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं का निरीक्षण किया। (22nd Dec 2024,ब्रू-रियांग समुदाय जातीय संघर्षों के बीच दशकों तक निर्मम हिंसा का शिकार रहा था। श्री अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने 2020 में हिंसा को समाप्त करने के लिए एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए और स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं से लैस 11 कॉलोनियों में 38,000 ब्रू-रियांग शरणार्थियों को बसाया।आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति से मिल रही सफलताआतंक मुक्त भारत का निर्माण करना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का दृष्टिकोण है। श्री अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के दृष्टिकोण के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।इस दृष्टिकोण के तहत, गृह मंत्रालय ने Hizb-ut-Tahrir को UAPA के तहत एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया। साथ ही, गोल्डी बरार और कासिम गुज्जर को आतंकवादी घोषित किया गया।9 संगठनों को गैर-कानूनी संगठन घोषित किया गया।इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, परमाणु ऊर्जा विभाग और डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से निर्मित विस्फोटक डिटेक्टरों की दो अलग-अलग श्रेणियों को सुरक्षा बलों के लिए भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार द्वारा आईबी के निदेशक को सौंपा गया।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में देश में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए जिम्मेदार आईबी के मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) के कामकाज की समीक्षा के लिए सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के विभिन्न प्रमुखों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।MAC ढांचा अपनी पहुंच और प्रभाव बढ़ाने के लिए एक प्रमुख तकनीकी और परिचालन सुधार से गुजरने के लिए तैयार है।केंद्रीय गृह मंत्री ने देश के उभरते सुरक्षा खतरे से निपटने के लिए आतंकी नेटवर्क और उनके सहायक इको-सिस्टम को खत्म करने के लिए सभी एजेंसियों के बीच अधिक तालमेल पर जोर दिया।केंद्रीय गृह मंत्री ने बड़े डेटा और AI/ML-संचालित एनालिटिक्स और तकनीकी प्रगति का उपयोग करके आतंकी इकोसिस्टम को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा में शामिल सभी एजेंसियों से युवा, तकनीकी रूप से कुशल और उत्साही अधिकारियों की एक टीम गठित करने पर भी जोर दिया।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में दो दिवसीय 7th National Security Strategies Conference 2024 का उद्घाटन किया।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अध्यक्षता में हुए वार्षिक डीजीपी/आईजीपी सम्मेलन के दौरान लिए गए निर्णयों को लागू करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री ने एनसीआरबी द्वारा विकसित डीजीपी/आईजीएसपी सम्मेलन अनुशंसा डैशबोर्ड का शुभारंभ किया।गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का ‘Digital Criminal Case Management System (CCMS)’ प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च किया।नव विकसित CCMS आतंकवाद और संगठित अपराध के मामलों के खिलाफ एनआईए को मजबूत करेगा।CCMS एनआईए के कामकाज में समन्वय को बेहतर बनाएगा, जिससे न्याय व्यवस्था में सुधार होगा।गृह मंत्रालय ने एक मोबाइल ऐप 'संकलन' भी लॉन्च किया है - जो NCRB द्वारा नए आपराधिक कानूनों का एक संग्रह है। 'संकलन' एक मार्गदर्शिका है, जो पुराने और नए कानूनी प्रावधानों की विस्तार से तुलना करने में सक्षम है।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में दो दिवसीय 'आतंकवाद विरोधी सम्मेलन-2024' के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।'आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस' की नीति को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है।गृह मंत्रालय जल्द ही आतंकवाद के पूरे 'इकोसिस्टम' से लड़ने के लिए एक राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी नीति और रणनीति तैयार करेगा।सरकार आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने और इसे खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।आतंकी वित्तपोषण को रोकने के लिए 25-सूत्री एकीकृत योजना बनाई गई; जिहादी आतंकवाद से लेकर पूर्वोत्तर में हिंसा, वामपंथी उग्रवाद, जाली मुद्रा और नशीले पदार्थों के मामलों में कई कदम उठाए गए हैं।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने गुजरात के गांधीनगर में ‘50वें अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन’ को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया।पुलिस विज्ञान सम्मेलन को विभिन्न उपलब्ध डेटा को परिणाम-उन्मुख और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एआई का उपयोग करने की आवश्यकता है।पाँच क्षेत्रों - साइबर अपराध, घुसपैठ, अवैध ड्रोन की रोकथाम, नशीले पदार्थ और डार्क वेब के दुरुपयोग को रोकने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराधियों से बहुत आगे रहना चाहिए।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने ओडिशा के भुवनेश्वर में 59वें डीजीपी/आईजीपी सम्मेलन 2024 का उद्घाटन किया।केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वी सीमा पर उभरती सुरक्षा चुनौतियों, आवाजाही और शहरी पुलिसिंग में रुझानों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने ZERO TOLERANCE POLICY के क्रियान्वयन के लिये ZERO TOLERANCE STRATEGY तथा ZERO TOLERANCE ACTION की दिशा में पहल करने का आह्वान किया।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने गुजरात के गांधीनगर में 14वें अखिल भारतीय होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित किया।मोदी सरकार होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा चार्टर को कई नए पहलों सहित समय पर बदलाव शामिल करके अधिक प्रासंगिक और उपयोगी बनाएगी।भारत की सुरक्षा : डिजिटल डिफेंस को मजबूती और फॉरेंसिक एक्स्पर्टीज का सशक्तीकरणमोदी सरकार प्रौद्योगिकी की शक्ति के साथ कानूनी और इन्वेस्टिगेशन मशीनरी की शक्ति को बढ़ाकर भारत और उसके नागरिकों को सुरक्षित बना रही है।कैबिनेट ने केंद्रीय योजना “National Forensic Infrastructure Enhancement Scheme” (N.F.l.E.S) को मंजूरी दी।परिसरों, प्रयोगशालाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर की वृद्धि के लिए 2254.43 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय।भारत सरकार साक्ष्यों की वैज्ञानिक और फॉरेंसिक जाँच पर आधारित एक प्रभावी और कुशल आपराधिक न्याय प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।देश में राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के परिसरों की स्थापना।देश में केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना।NFSU के दिल्ली परिसर के मौजूदा बुनियादी ढाँचे का विस्तार।यह योजना एक कुशल आपराधिक न्याय प्रक्रिया के लिए साक्ष्यों की समयबद्ध और वैज्ञानिक जाँच में उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षित फॉरेंसिक पेशेवरों के महत्त्व को रेखांकित करती है। साथ ही, प्रौद्योगिकी के माध्यम से अपराध की प्रवृत्ति और तरीकों को समझने की पद्धति विकसित करती है।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने वर्चुअली NIA के Digital Criminal Case Management System (CCMS) प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया।केंद्रीय गृह मंत्री ने Cyber Fraud Mitigation Centre (CFMC) के साथ-साथ Samanvay Platform (संयुक्त साइबर अपराध जाँच सुविधा प्रणाली), 'साइबर कमांडो' कार्यक्रम और Suspect Registry को भी लॉन्च किया।Digital Criminal Case Management System (CCMS) में प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान एग्रीगेटर्स, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। ये सभी हितधारक ऑनलाइन वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग के लिए मिलकर काम करेंगे।Samanvay एक डेटा रिपॉजिटरी प्लेटफॉर्म है जो डेटा साझाकरण और विश्लेषण को सक्षम बनाता है।देश में साइबर सुरक्षा परिदृश्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) में 5,000 'साइबर कमांडो' की एक सेना स्थापित की जाएगी।फाइनेंसियल इकोसिस्टम की धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत करने के लिए बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के सहयोग से National Cybercrime Reporting Portal (NCRP) के आधार पर विभिन्न पहचानकर्ताओं की Suspect Registry बनाई जा रही है।मन की बात के माध्यम से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लोगों को 'Digital Arrest' की धमकी देकर धोखाधड़ी करने के खतरे के प्रति समाज को जागरूक किया।इन धोखेबाजों की कार्यप्रणाली पुलिस, सीबीआई, एंटी-नारकोटिक्स या आरबीआई अधिकारी बनकर वीडियो कॉल पर अनजान नागरिकों को धमकाना है।मोदी जी ने नागरिकों को इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए उठाए जाने वाले उपायों के बारे में बताया और उन्हें याद दिलाया कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन या वीडियो कॉल के जरिए जांच नहीं करती है।इस धोखाधड़ी से बचने के लिए मोदी जी ने 'रुको, सोचो और एक्शन लो' का मंत्र दिया और हेल्पलाइन नंबर 1930 या https://cybercrime.gov.in पर तुरंत अधिकारियों को सूचित करने की अपील की। मोदी सरकार साइबर सुरक्षित भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने गुजरात के गांधीनगर में राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के 5वें अंतरराष्ट्रीय और 44वें अखिल भारतीय अपराध विज्ञान सम्मेलन को संबोधित किया।सरकार ने पिछले 10 वर्षों में 50 से अधिक पथ-प्रदर्शक कार्य किए हैं।नए कानूनों में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से अब न्याय उपलब्ध, आसान और सुलभ होगा।आने वाले वर्ष में देशभर में NFSU के 9 और कैंपस खोले जाएंगे।विकास भी, विरासत भीप्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को एक ऐसा अनूठा गवर्नेंस मॉडल प्रदान किया है, जिसमें विकास और राष्ट्र की गौरवशाली विरासत की भव्यता कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ती है। गृह मंत्रालय (MHA) ने इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए विकास और विरासत को समान प्राथमिकता देकर उल्लेखनीय कार्य किया है।इस दिशा में, केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने एक ऐतिहासिक निर्णय की घोषणा करते हुए अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर "श्री विजयपुरम" रखने का फैसला किया।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में 2024 से 2026 तक देशव्यापी दो-वर्षीय समारोह का आयोजन कर रही है। यह आयोजन सरदार पटेल के अप्रतिम योगदान को सम्मानित करने और उनकी स्मृति को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से किया जा रहा है।केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) में सिपाही (जीडी) भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा पहली बार हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में भी संपन्न हुई।महिला सशक्तीकरण: सुरक्षा, सम्मान और गरिमामोदी सरकार महिलाओं की सुरक्षा को अपनी प्राथमिकताओं में सर्वोच्च स्थान पर रखती है। सरकार का दृढ़ विश्वास है कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता है, बल्कि उन्नति का मार्ग भी है।इसी सिद्धांत के तहत, मोदी सरकार ने CISF की पहली पूर्ण महिला बटालियन की स्थापना को मंजूरी दी।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गृह मंत्रालय के 'महिलाओं की सुरक्षा' से जुड़ी Umbrella Scheme के क्रियान्वयन को जारी रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस योजना पर वर्ष 2021-22 से 2025-26 के बीच कुल ₹1,179.72 करोड़ खर्च किए जाएंगे।कुल परियोजना लागत ₹1179.72 करोड़ में से ₹885.49 करोड़ की धनराशि केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) अपने बजट से प्रदान करेगा, जबकि ₹294.23 करोड़ की धनराशि निर्भया फंड से उपलब्ध कराई जाएगी।सुरक्षित सीमाएं, सुरक्षित भारतमोदी सरकार का मार्गदर्शक सिद्धांत है कि सुरक्षित सीमाएं ही सुरक्षित राष्ट्र की पहली शर्त हैं।गृह मंत्रालय ने भारत और म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रेजीम (FMR) को समाप्त करने का निर्णय लिया है। यह कदम देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार से सटे पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकी संरचना बनाए रखने के लिए उठाया गया है।केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के पेट्रापोल में ₹487 करोड़ की लागत से भूमि पत्तन प्राधिकरण (LPAI) द्वारा निर्मित यात्री टर्मिनल भवन और मैत्री द्वार का उद्घाटन किया।केंद्र सरकार ने न केवल सीमाओं को सुरक्षित करने पर काम किया है, बल्कि उन्हें विकास से जोड़ने का भी प्रयास किया है।सशक्त लद्दाख: नए जिलों का गठन, मजबूत होती शासन व्यवस्थाप्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के लद्दाख को समृद्ध और विकसित बनाने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश में 5 नए जिलों की स्थापना का निर्णय लिया है।नए जिले, जैसे ज़ांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग के लोगों तक लाभ पहुँचाने के लिए हर एक कोने में शासन व्यवस्था को मजबूत करेंगे, जिससे विकास तक उनकी सीधी पहुंच सुनिश्चित होगी।अब लद्दाख में लेह और कारगिल सहित कुल सात जिले होंगे। अत्यधिक कठिन इलाका होने के कारण, वर्तमान में जिला प्रशासन को जमीनी स्तर तक पहुंचने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।इन जिलों के गठन के बाद केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन की सभी जनकल्याण योजनाएँ आसानी से लोगों तक पहुँच सकेंगी, और अधिक से अधिक लोग इन योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।CAPFs: सुरक्षा बलों की बुनियादी सुविधाओं को दी जा रही प्राथमिकतामोदी सरकार ने सीआईएसएफ की पहली पूरी तरह महिला बटालियन की स्थापना को मंजूरी दी।केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल चिकित्सा विज्ञान संस्थान (CAPFIMS) को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), नई दिल्ली के परिसर के रूप में चलाने के लिए CAPFIMS और AIIMS के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoA) पर हस्ताक्षर हुए।सीएपीएफ के जवानों ने 15 नवंबर 2024 तक 6 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए।पहली बार, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) में कांस्टेबलों की भर्ती के लिए कांस्टेबल (जीडी) परीक्षा हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित की गई।यह परीक्षा 20 फरवरी से 7 मार्च, 2024 के बीच देश भर के 128 शहरों में लगभग 48 लाख उम्मीदवारों के लिए आयोजित की गई थी।₹2091 करोड़ की लागत से स्थापित सीएपीएफ़आईएमएस एक अत्याधुनिक चिकित्सा संस्थान है, जिसमें 970 बिस्तरों वाला रेफरल और रिसर्च अस्पताल, 500 बिस्तरों वाला सामान्य अस्पताल, 300 बिस्तरों वाला सुपर-स्पेशिलिटी अस्पताल और 170 आईसीयू/क्रिटिकल केयर बेड्स शामिल हैं।गृह मंत्रालय ने एक कल्याणकारी उपाय के रूप में केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार से खरीद पर जीएसटी का 50% वित्तीय समर्थन देने का निर्णय लिया है, जो 1 अप्रैल 2024 से प्रभावी होगा।यह निर्णय सीएपीएफ, केंद्रीय पुलिस संगठन, राज्य पुलिस बलों और उनके परिवारों के सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने के लिए लिया गया है।अन्य महत्वपूर्ण पहलकेंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-3 पर ‘फास्ट ट्रैक इमिग्रेशन – ट्रस्टेड ट्रैवलर प्रोग्राम’ का उद्घाटन किया।ट्रस्टेड ट्रैवलर प्रोग्राम (FTI-TTP) भारत सरकार की एक दूरदर्शी पहल है, जो अन्य देशों से आने वाले भारतीय नागरिकों और ओसीआई यात्रियों को अधिक सुविधाएं प्रदान करेगा।FTI-TTP पहल केंद्रीय सरकार की यात्रा में सुविधा और दक्षता बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।FTI-TTP की शुरुआत देश के 21 प्रमुख हवाई अड्डों पर की जाएगी। पहले चरण में, दिल्ली हवाई अड्डे के साथ-साथ मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद, कोच्चि और अहमदाबाद जैसे 7 प्रमुख हवाई अड्डों पर इसे लागू किया जाएगा।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने प्रत्येक वर्ष 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में स्मरण करने का निर्णय लिया है।'संविधान हत्या दिवस' का उद्देश्य लोकतंत्र की सुरक्षा करना और हर भारतीय में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की ज्योति को जीवित रखना है।केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह को सर्वसम्मति से संसद की आधिकारिक भाषा समिति का अध्यक्ष फिर से चुना गया।किसी भी भारतीय भाषा से प्रतिस्पर्धा किए बिना, हमें हिंदी की स्वीकार्यता को बढ़ाना चाहिए।केंद्र सरकार ने हिंदी में विभिन्न भाषाओं के शब्दों को शामिल किया है, जिससे इसे समृद्ध और अधिक लचीला बनाया गया है।केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली में राजभाषा के रूप में हिंदी की हीरक जयंती समारोह और चौथे अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित किया।हिंदी दिवस का उद्देश्य राजभाषा को संवाद, लोगों और प्रौद्योगिकी की भाषा बनाना है और एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में इसका प्रसार करना है।नई शिक्षा नीति में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का जोर मातृभाषाओं के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा पर है।भारतीय भाषा अनुभाग आने वाले वर्षों में सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण का केंद्र बनेगा।सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत किए बिना और हिंदी के साथ उनकी आपसी संगतता स्थापित किए बिना, आधिकारिक भाषा को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता।केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने नई दिल्ली स्थित जनगणना भवन में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण किया और नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) मोबाइल ऐप लॉन्च किया।राष्ट्रहित के लिए संघर्ष और बलिदान के प्रतीक सरदार पटेल की यह प्रतिमा देश में लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना के लिए उनके अटूट समर्पण के प्रमाण के रूप में सभी को प्रेरित करती रहेगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के डिजिटल इंडिया विजन के तहत नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) मोबाइल एप्लीकेशन का शुभारंभ गवर्नेंस के साथ प्रौद्योगिकी को जोड़ने की एक महत्वपूर्ण पहल है।इस एप्लीकेशन के साथ, नागरिक कहीं से भी अपने राज्य की आधिकारिक भाषा में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण कर सकेंगे, जिससे पंजीकरण में लगने वाले समय में काफी कमी आएगी। - वर्ष 2024 के चुनावों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक तीसरी जीत ने न केवल उनकी व्यक्तिगत विरासत को मजबूत किया है, बल्कि भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रभुत्व को भी दर्शाया है। इससे यह पता चलता है कि आज जहां प्रधानमंत्री मोदी भारत के लिए स्थिरता के प्रतीक बन गए हैं, वहीं भाजपा सुशासन का पर्याय बन कर उभरी है।वर्ष 2024 के दौरान, वैश्विक स्तर पर प्रमुख लोकतंत्रों में एक ऐसी सत्ता विरोधी लहर चली, जिसमें सत्तारूढ़ दलों को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा। संयुक्त राज्य अमेरिका में, डेमोक्रेट्स ने कांग्रेस के दोनों सदनों की अध्यक्षता और नियंत्रण गवां दिया। यूनाइटेड किंगडम ने कंजरवेटिव पार्टी (टोरीज) को निर्णायक रूप से सत्ता से बाहर होते देखा। इसी तरह, फ्रांस, दक्षिण कोरिया और पोलैंड में भी सत्तारूढ़ दल सत्ता से बेदखल हो गए। इस वैश्विक रूझान के उलट, भारत में नरेन्द्र मोदी ने न केवल सत्ता बनाए रखी बल्कि ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल भी हासिल किया। वर्ष 2014 और 2019 में उनकी स्पष्ट जीत के बाद, भारतीय मतदाताओं ने एक बार फिर मोदी के पक्ष में एक मजबूत जनादेश दिया जो अंतरराष्ट्रीय सत्ता विरोधी लहर की दृष्टि से एक उल्लेखनीय अपवाद था।वर्ष 2024 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की कुछ सबसे बड़ी जीतों का साक्षी बना। प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल हासिल किया। भारत के राजनैतिक इतिहास में यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, क्योंकि 1962 के बाद से किसी अन्य नेता ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल नहीं की है।एक अस्थिर दुनिया में स्थिर नेतृत्ववर्ष 2014 के बाद से, नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत राजनीतिक स्थिरता का प्रतीक बन गया है। मोदी एक दशक से अधिक समय से सत्ता में बने हुए हैं। यह निरंतरता उल्लेखनीय है, खासकर उस अवधि के दौरान जब दुनिया के अन्य लोकतंत्र राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहे हैं।मोदी के कार्यकाल की विशेषता एक ऐसी सामंजस्यपूर्ण सरकार रही है जिसने आर्थिक, सामाजिक और विदेश नीति से जुड़ी उन दूरगामी पहलों को लागू किया है, जिससे भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने में मदद मिली है।इसके उलट, संयुक्त राज्य अमेरिका कई नाटकीय राजनीतिक बदलावों का साक्षी बना है। वर्ष 2017 तक बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहने के बाद, सत्ता की कमान डोनाल्ड ट्रम्प के हाथों में आई। ट्रम्प ने बिल्कुल अलग प्रकार की नीतियां और अपेक्षाकृत अधिक अलगाववादी रुख अपनाया। वर्ष 2021 में, जो बाइडेन ने बहुपक्षवाद और घरेलू निवेश पर जोर देते हुए ट्रम्प की कई प्रमुख नीतियों को उलट दिया। डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता में वापसी ने शासन में एक और बदलाव ला दिया है, जो गहरे पक्षपातपूर्ण विभाजन एवं नीतिगत अस्थिरता का परिचायक है।यूनाइटेड किंगडम ने 2014 से उल्लेखनीय रूप से राजनीतिक अस्थिरता का सामना किया है। कंजरवेटिव पार्टी पार्टी के अधीन, नेतृत्व बार-बार बदलता रहा। ब्रेक्सिट के मुद्दे पर जनमत संग्रह के बाद डेविड कैमरन ने इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह आईं थेरेसा मे ने भी इस्तीफा दे दिया। थेरेसा मे ब्रेक्सिट वार्ता से संबंधित परेशानियों से जूझ रही थीं। इसके बाद बोरिस जॉनसन ने सत्ता संभाली। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान नेतृत्व किया, लेकिन अंततः घोटालों के बीच इस्तीफा दे दिया। लिज ट्रस के संक्षिप्त एवं उथल-पुथल भरे कार्यकाल के बाद ऋषि सुनक आए। उन्होंने अर्थव्यवस्था और पार्टी में स्थिरता लाने का प्रयास किया। हाल ही में, लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर प्रधानमंत्री बने हैं जिससे शासन में बदलाव आया है। हालांकि चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिनमें पार्टी के भीतर आंतरिक असहमति और राजनीतिक संघर्ष से आशंकित मतदाता शामिल हैं।ऑस्ट्रेलिया ने भी नेतृत्व में तेजी से बदलाव होते देखा है, जो इसकी ऐतिहासिक रूप से अस्थिर राजनीतिक संस्कृति को दर्शाता है। वर्ष 2014 में टोनी एबॉट से शुरू करके, प्रधानमंत्री का पद मैल्कम टर्नबुल और फिर स्कॉट मॉरिसन से होते हुए अब एंथोनी अल्बानीज के जिम्मे आया है। प्रत्येक बदलाव के साथ प्राथमिकताएं भी बदली हैं। अपने पूर्ववर्तियों के अधिक रूढ़िवादी दृष्टिकोण के बाद, अल्बानीज़ ने जलवायु कार्रवाई और सामाजिक नीतियों पर ध्यान केन्द्रित किया है।इटली का राजनीतिक परिदृश्य भी उतना ही हलचल भर रहा है। वहां एक के बाद एक सरकारें अक्सर अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही गिर गईं। माटेओ रेन्ज़ी के सुधार-प्रेरित कार्यकाल के बाद पाओलो जेंटिलोनी आए। उसके बाद ग्यूसेप कोंटे की गठबंधन सरकार आई और फिर तकनीक की ओर झुकाव रखने वाला मारियो ड्रैगी का नेतृत्व आया। और अब जियोर्जिया मेलोनी, इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं। मेलोनी की ऐतिहासिक जीत के बावजूद, इटली राजनीतिक विखंडन और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है।पाकिस्तान, विशेष रूप से, राजनीतिक अस्थिरता का एक स्पष्ट उदाहरण है। वहां अक्सर भ्रष्टाचार और चुनावी धोखाधड़ी के आरोपों के बीच बार-बार नेतृत्व परिवर्तन होते रहे हैं। वर्ष 2014 के बाद से, देश ने नवाज शरीफ से लेकर शाहिद खाकन अब्बासी, उसके बाद इमरान खान और अब शहबाज शरीफ तक का बदलाव देखा है। प्रत्येक नेता का कार्यकाल अपने पूर्ववर्तियों के साथ विवादास्पद संबंधों के कारण चर्चित रहा है, जिसकी परिणति अक्सर कानूनी लड़ाई और कारावास में हुई है। इस अस्थिर राजनीतिक माहौल ने टिकाऊ शासन एवं आर्थिक प्रगति हासिल करने की पाकिस्तान की क्षमता को कुंद कर दिया है।इज़राइल ने विशेष रूप से अपनी खंडित गठबंधन प्रणाली के कारण व्यापक राजनीतिक उथल-पुथल का अनुभव किया है। वर्ष 2014 के बाद से, देश ने बेंजामिन नेतन्याहू को नेफ्ताली बेनेट के हाथों सत्ता गंवाते देखा है। इसके बाद येर लापिड का संक्षिप्त कार्यकाल रहा। लापिड के बाद नेतन्याहू प्रधानमंत्री के रूप में एक फिर वापस लौटे।वर्ष 2014 के बाद से, इज़राइल में देश की संसद, नेसेट के लिए छह राष्ट्रीय चुनाव कराए गए हैं। ये चुनाव 2015, अप्रैल 2019, सितंबर 2019, 2020, 2021 और 2022 में हुए।जापान जहां अपेक्षाकृत अधिक राजनीतिक स्थिरता के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में हुए नेतृत्व परिवर्तनों ने लोगों को हैरान किया है। शिंजो आबे, जिन्होंने 2020 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, ने स्वास्थ्य कारणों से अप्रत्याशित रूप से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह योशीहिदे सुगा ने ली, जिन्होंने केवल एक साल के बाद ही पद छोड़ दिया और फुमियो किशिदा घनघोर अनिश्चितता के बीच केवल तीन वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे और अब शिगेरु इशिबा ने उनकी जगह ली है।वर्ष 2014 के बाद से, ब्राज़ील को आर्थिक संकट, भ्रष्टाचार घोटालों और ध्रुवीकृत चुनावों से प्रेरित राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2016 में डिल्मा रूसेफ पर महाभियोग लगाया गया, जिससे मिशेल टेमर के लिए रास्ता साफ हुआ। मिशेल टेमर का कार्यकाल काफी विवादास्पद रहा। इसके बाद जेयर बोल्सोनारो धुर दक्षिणपंथी लोकलुभावन रुख अपनाते हुए सत्ता में आए। हाल ही में, लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ध्रुवीकरण वाले चुनाव के बाद सत्ता में लौटे हैं।दक्षिण कोरिया में, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच पार्क ग्यून-हे के विरूद्ध 2017 में महाभियोग लगाया गया। उनके उत्तराधिकारी, मून जे-इन, आर्थिक चुनौतियों और राजनयिक तनावों से जूझते रहे। यून सुक-योल वर्तमान राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने हाल ही में मार्शल लॉ लागू करने का असफल प्रयास किया और दक्षिण कोरिया की संसद द्वारा उनके विरुद्ध महाभियोग चलाने की प्रक्रिया चल रही है।वर्ष 2014 के बाद से अर्जेंटीना में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले हैं, जिसमें नेतृत्व क्रिस्टीना फर्नांडीज डी किरचनर से मौरिसियो मैक्री और उसके बाद अल्बर्टो फर्नांडीज तथा अब जेवियर माइली के हाथों में पहुंचा है। प्रत्येक नेता ने स्पष्ट रूप से अलग-अलग आर्थिक और सामाजिक नीतियों को अपनाया है, जो अनिश्चितता भरे माहौल और राजनीतिक समीकरणों में बार-बार बदलाव को जन्म दे रहा है।भारतीय आम चुनाव 2024 को क्यों ऐतिहासिक है?● वर्ष 2024 के चुनाव ने भारत को एक ऐसे सुदृढ़ लोकतंत्र के रूप में प्रदर्शित किया है, जिसमें मतदाताओं की मजबूत सहभागिता और नागरिकों के उत्कृष्ट आचरण का समावेश रहा है।● ईवीएम पर लगाये गए स्वार्थ-प्रेरित लांछनों और भीषण गर्मी के बावजूद, लोगों ने बड़ी संख्या में मतदान करके काफी उत्साह दिखाया। पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक, सभी उम्र के लोगों और जीवन के सभी क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने बड़े उत्साह के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लिया है।● कश्मीर में 1996 के बाद से पिछले तीन दशकों में पहली बार सबसे अधिक 38 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान में भागीदारी दर्ज कराई।● भारतीय राजनीति में अधिक समावेशिता देखी गई क्योंकि अधिक संख्या में महिलाओं ने चुनाव लड़ा और जीता, जिससे लैंगिक प्रतिनिधित्व बेहतर हुआ। युवाओं की भागीदारी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जिससे देश के राजनीतिक परिदृश्य में नए दृष्टिकोण का समावेश हुआ।● 2024 के चुनावों ने भारत की लोकतांत्रिक परिपक्वता को प्रदर्शित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे नागरिक अपनी प्राथमिकताओं एवं अपने नेताओं से अपेक्षाओं को लेकर तेजी से जागरूक हो रहे हैं। लोग 2047 तक विकसित भारत बनाने के सपने के पीछे मजबूती से खड़े रहे।● पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के सबसे बड़े समूह ने इस वर्ष भारत के आम चुनावों का प्रत्यक्ष अनुभव किया। उन्होंने जो देखा उससे वे प्रभावित हुए। कुछ लोगों ने प्रक्रिया की पारदर्शिता की प्रशंसा की, जबकि अन्य ने चुनाव आयोग की हरित मतदान केन्द्रों जैसी पहल को वास्तव में प्रेरणादायक पाया। ईवीएम-वीवीपीएटी के प्रतिचयन (रैंडमाईजेशन) जैसी प्रौद्योगिकी के उपयोग को भी काफी सराहना मिली।● यह जनादेश विकास, विविधता और निर्णयशीलता के पक्ष में था। जनता ने छल, कपट और विभाजन की राजनीति को सिरे से नकार दिया।● भारत ने दर्शाया कि वह एक परिपक्व लोकतंत्र है और प्रधानमंत्री मोदी को उन चुनिंदा वैश्विक नेताओं के समूह में रखा जिन्होंने सफलतापूर्वक लगातार तीन कार्यकाल हासिल किए हैं।इसके अलावा, 2024 में राज्य-स्तरीय सफलताओं से यह भी पता चलता है कि वे 2014 में शुरू हुए भारत के राजनीतिक परिदृश्य में व्यापक बदलाव का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भाजपा ने अपने प्रभाव का विस्तार किया है। इससे ओडिशा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों में सामंजस्यपूर्ण शासन आया है। ये सभी ऐसे क्षेत्र हैं जहां अतीत में भाजपा को अपनी पकड़ बनाने के लिए जूझना पड़ा था।आइए, वर्ष 2024 में भाजपा की कुछ निर्णायक जीतों और इन्हें असाधारण बनाने वाले पहलुओं पर एक नजर डालें:भगवान जगन्नाथ के ओडिशा में भगवाप्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भाजपा ने ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) को हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। ओडिशा के इतिहास में पहली बार, बीजेडी ने लोकसभा चुनावों में अपना प्रभुत्व खो दिया है, भाजपा की सीटें केवल एक से बढ़कर छह हो गई हैं। यह 2019 की तुलना में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है, जहां बीजेडी ने 12 सीटें और भाजपा ने 8 सीटें जीती थीं। लोकसभा चुनावों में अपनी सफलता के अलावा, भाजपा ने ओडिशा विधानसभा चुनावों में भी महत्वपूर्ण प्रगति की। पार्टी ने 14 सीटें जीतीं और 66 अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में आगे रही।आंध्र प्रदेश ने निर्णायक रूप से एनडीए को चुनावर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों में, आंध्र प्रदेश की मजबूत क्षेत्रीय राजनीतिक पहचान के बावजूद, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने महत्वपूर्ण प्रगति की और 25 संसदीय क्षेत्रों में से 20 पर बढ़त हासिल की। यह उल्लेखनीय उपलब्धि एनडीए के दृष्टिकोण एवं नीतियों के प्रति बढ़ते समर्थन को दर्शाती है। इस सफलता में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका रही। बुनियादी ढांचे के विकास, आर्थिक सुधार और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों पर उनका ध्यान राज्य के मतदाताओं को पसंद आया।हरियाणा भाजपा के लिए सुखद आश्चर्यवर्ष 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुए। पार्टी ने ऐतिहासिक रूप से लगातार तीसरी कार्यकाल हासिल किया। भाजपा यह हैट्रिक हासिल करने वाली हरियाणा की पहली राजनीतिक पार्टी बन गई है, जो राज्य में उसके बढ़ते प्रभाव और पकड़ का प्रमाण है।कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के कड़े विरोध के बावजूद, भाजपा 48 सीटें हासिल करके सीधे मुकाबले में कांग्रेस को प्रभावी ढंग से हराने में कामयाब रही। अपने सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, विपक्ष पैमाने और गति के मामले में भाजपा की बराबरी नहीं कर सका।महाराष्ट्र की प्रचंड जीत ने विपक्षी एजेंडे को समाप्त कर दियाएक ऐतिहासिक जीत के रूप में, भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में अपना लगातार तीसरा कार्यकाल हासिल किया। यह पहली बार है कि किसी नेता ने राज्य में इस तरह की जीत दिलाई है। भाजपा ने राकांपा सहित अपने सहयोगियों के साथ 131 से अधिक सीटें जीतीं, जबकि विपक्षी महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सिर्फ 51 सीटों पर सिमटकर रह गई। सत्तारूढ़ गठबंधन ने 230 से अधिक सीटों पर बढ़त हासिल की, जो प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लोगों के मजबूत भरोसे को दर्शाता है। कुल 288 में से 132 सीटों के साथ, भाजपा ने 45 प्रतिशत सीटें हासिल करते हुए राज्य में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। यह जीत महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी द्वारा सीटों के मामले में सबसे बड़ी उपलब्धि का प्रतीक है। इसने भाजपा के प्रभुत्व को मजबूत किया और राज्य में विपक्ष के एजेंडे को प्रभावी ढंग से समाप्त कर दिया।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा और गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के बाद से औपनिवेशिक युग के कानूनों को समाप्त करने तथा भारत के कानूनी ढांचे को आधुनिक बनाने के मिशन पर रहे हैं। उन्होंने कम्प्यूटरीकृत भूमि रिकॉर्ड के लिए ई-धारा प्रणाली जैसी पहल के माध्यम से 7/12 व्यवस्था वाले पुराने भूमि राजस्व कानूनों में सुधार किया है।मोदी सरकार ने 2014 के बाद से लोगों के जीवन को आसान बनाने वाले 1500 से अधिक पुराने कानूनों को खत्म कर दिया है।वर्ष 2024 में उन विधेयकों के पारित होते हुए देखा गया, जिन्होंने सदियों पुराने कानूनों को समाप्त किया जैसे कि नए भारतीय आपराधिक कानून। इसके अलावा वायुयान विधायक विधेयक ने 1934 के वायुयान अधिनियम का स्थान लिया और समुद्री माल परिवहन विधेयक, एक शताब्दी पुराने समुद्री माल परिवहन अधिनियम, 1925 की जगह पर आ गया।वर्ष 2024 में भारत के कानूनी ढांचे को आधुनिक बनाने और इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से महत्त्वपूर्ण विधायी सुधार पेश किये गये या लागू किये गये। इन सुधारों का उद्देश्य जहाज निर्माण, बैंकिंग, रेलवे, विमानन और अधिक सहित विभिन्न क्षेत्रों को सहायता प्रदान करना है।77 वर्षों के बाद अब न्याय पूर्णतः स्वदेशी है - नए भारतीय आपराधिक कानूनभारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक, 2023; भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 को दिसंबर 2023 में पारित किया गया था, हालांकि ये सभी इस वर्ष 1 जून, 2024 से प्रभावी हुए थे।नए कानूनों को भारत की कानूनी प्रणाली के स्वदेशीकरण के कदम के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो काफी हद तक एक सदी से अधिक समय से औपनिवेशिक कानूनों पर आधारित रहा है।भारतीय न्याय संहिता ने भारतीय दंड संहिता का स्थान लिया है, जिसमें राजद्रोह कानून जैसे पुराने प्रावधान शामिल थे। इस कानून का इस्तेमाल ऐतिहासिक रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान असंतोष दबाने के लिए किया जाता था।भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह ली है और यह इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के प्रावधानों सहित साक्ष्य प्रबंधन को आधुनिक बनाता है।भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने दंड प्रक्रिया संहिता का स्थान ले लिया है और इससे पुलिस हिरासत अवधि और संदिग्धों से निपटने की प्रक्रियाओं में बदलाव सुनिश्चित हुआ है।नए कानूनों का उद्देश्य लोगों को न्याय देना है, सजा देना नहीं।महत्वपूर्ण विशेषताएं:जीरो एफआईआर को अपनाना: किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करना, अधिकार क्षेत्र की परवाह किए बिना ई-एफआईआर: पुलिस स्टेशन जाए बिना एफआईआर दर्ज करना।आतंकवाद को परिभाषित किया गया है - इसमें 'सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने' या 'देश को अस्थिर करने' वाले कृत्यों को शामिल करना शामिल है।छोटे अपराधों के प्रति सुधारवादी दृष्टिकोण - चोरी या मानहानि जैसे छोटे अपराधों के लिए 'सामुदायिक सेवा' की शुरूआत, जिससे समुदाय को लाभ होगा।मॉब लिंचिंग में उम्रकैद/मौत की सजा हो सकती है।धोखेबाजी से शादी करने पर 10 साल की कैद हो सकती है।नाबालिग का गैंगरेप - मृत्युदंड/आजीवन कारावास।वेश्यावृत्ति के लिए बच्चे को खरीदना या बेचना - 7-14 वर्ष कारावास।बच्चे को त्यागने पर 7 वर्ष तक के कारावास का दंड हो सकता है।वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024वक्फ बोर्ड के काम को सुव्यवस्थित करने और वक्फ संपत्तियों के कुशल प्रबंधन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में दो विधेयक, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 पेश किए गए थे।महत्वपूर्ण विशेषताएं:वक्फ संपत्तियों के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल स्थापित किया जाएगा, जिसमें दावों के लिए उचित दस्तावेज की आवश्यकता होगी।विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का प्रस्ताव है।संशोधन ऑडिट और मुतवल्लियों (ट्रस्टी) को हटाने का परिचय देता है, जो उचित रिकॉर्ड बनाए रखने में विफल रहते हैं या भूमि पर अतिक्रमण करते हैं।यह सरकारी संपत्तियों को वक्फ में बदलने पर रोक लगाता है।सार्वजनिक परीक्षाओं में कदाचार के प्रति शून्य सहिष्णुताभारत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों के बाद, अब समग्र शैक्षिक मानकों को बढ़ाने और सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2024 के साथ एक योग्यता प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। इस विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षाओं में विश्वास बहाल करना और पूरे भारत में सार्वजनिक परीक्षाओं में पेपर लीक तथा धोखाधड़ी के व्यापक मुद्दे का मुकाबला करना है।महत्वपूर्ण विशेषताएं:परीक्षा अधिकारियों या सेवा प्रदाताओं से जुड़े संगठित अपराधों के लिए अपराधियों को तीन से दस साल तक की कैद और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।यह विधेयक संभवतः भारत की संसद के इतिहास में अपनी तरह का पहला विधेयक है, जो भारत के युवाओं को समर्पित है। यह सार्वजनिक परीक्षाओं में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है। विधेयक युवाओं को आश्वस्त करता है कि उनके वास्तविक प्रयासों को उचित रूप से पुरस्कृत किया जाएगा और उनका भविष्य सुरक्षित हो।भारतीय विमान विधेयक, 2024भारत के विमानन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, परिचालन हवाई अड्डे 2014 में 74 से बढ़कर 2024 में 157 हो गए हैं, और 2047 तक इनकी संख्या 350-400 तक पहुंचने की योजना है।उड़ान की उल्लेखनीय सफलता पिछले दशक में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या दोगुनी होने से परिलक्षित होती है, जो भारतीय एयरलाइनों के महत्वपूर्ण बेड़े विस्तार से प्रेरित है। साल 2024 में, भारत तीसरा सबसे बड़ा घरेलू एयरलाइन बाजार बन गया।भारत का लक्ष्य 2030 तक 4 बिलियन डॉलर के रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल उद्योग के साथ अग्रणी एविएशन हब बनना है। यह विधेयक विमानन क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है।● यह विधेयक 1934 के विमान अधिनियम को बदलने का प्रयास करता है। यह नियामक ढांचे के आधुनिकीकरण और भारत के विमानन क्षेत्र के निरंतर विकास को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।● पहली बार यह विधेयक 'स्टेट ऑफ डिजाइन' की अवधारणा को पेश करता है, जो भारत को अपने विमान डिजाइनों को मंजूरी देने और प्रमाणित करने के लिए सशक्त बनाता है, जो विनिर्माण में आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहित करने और विमानन क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।इसका उद्देश्य भारत को विमानन उद्योग के भीतर एक प्रमुख रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) हब के रूप में स्थापित करना है।शिपिंग और समुद्री क्षेत्र से संबंधित विधेयकभारत, परमाणु पनडुब्बियों और विमान वाहक पोत के डिजाइन और निर्माण की क्षमता वाले विश्व के कुछ देशों में से एक है। इस तकनीकी विशेषज्ञता के साथ, देश में उद्योग के लिए आवश्यक अत्यधिक कुशल कार्यबल भी है। नाविक आपूर्ति करने वाले देश के रूप में दुनिया में तीसरे स्थान पर, भारत की हिस्सेदारी 10-12% है। इसके विपरीत चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख जहाज निर्माण राष्ट्र बढ़ी उम्र की आबादी से जूझ रहे हैं। ऐसा बदलाव यह देखते हुए कि जहाज निर्माण भौतिक रूप से मांग कर रहा है, भारत के युवा कार्यबल के लिए कदम उठाने और नेतृत्व करने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत किया गया है।जहाज मालिक और जहाज निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, व्यापक विधायी सुधार पेश किए जा रहे हैं:तटीय नौवहन विधेयक, 2024सरलीकृत लाइसेंसिंग: सबसे उल्लेखनीय परिवर्तनों में से एक तटीय व्यापार में लगे भारतीय-ध्वज वाले जहाजों के लिये सामान्य व्यापार लाइसेंस की आवश्यकता को हटाना है।तटीय नौवहन के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस का निर्माण।यह सुनिश्चित करके राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है कि तटीय व्यापार मुख्य रूप से भारतीय नागरिकों के स्वामित्व और संचालित भारतीय ध्वज वाले जहाजों द्वारा संचालित किया जाता है।समुद्री क्षेत्र में रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा करने का प्रयास करता है।समुद्र द्वारा माल की ढुलाई विधेयक, 2024● इस अधिनियम ने लगभग एक सदी पुराने कैरिज ऑफ गुड्स बाय सी एक्ट, 1925 को बदल दिया।● अब मालवाहकों को उच्चतर मानक पर रखा जाएगा, जिससे मालिकों और माल भेजने वालों को संभावित नुकसान से सुरक्षा मिलेगी।● यह विधेयक भारत के कानूनी ढांचे को समकालीन वैश्विक कार्य प्रणालियों और समुद्री परिवहन को नियंत्रित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के साथ संरेखित करता है।● विधेयक सरकार को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुपालन के लिए निर्देश जारी करने, वैश्विक समुद्री क्षेत्र में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और अपने शिपिंग संचालन में विश्वास को बढ़ावा देने का अधिकार देता है।● विधेयक समुद्री परिवहन में दक्षता, कानूनी स्पष्टता और सुरक्षा को बढ़ावा देता है, जिससे देश की व्यापार महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाया जाता है।बिल्स ऑफ लैडिंग बिल, 2024● यह सरलीकरण और समझ में आसानी की सुविधा के लिए भारतीय बिल ऑफ लैडिंग एक्ट, 1856 को निरस्त तथा फिर से अधिनियमित करना चाहता है।● अधिनियम में कहा गया है कि लदान बिल, जहाज पर माल होने का निर्णायक सबूत है। विधेयक के अनुसार केंद्र सरकार बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए निर्देश जारी कर सकती है।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मर्चेंट शिपिंग बिल 2024 को मंजूरी दी। इसका उद्देश्य अनुपालन बोझ को कम करना, टन भार को बढ़ावा देना, नाविकों के कल्याण को बढ़ाना, समुद्री सुरक्षा करना, समुद्री प्रदूषण को रोकना, भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को लागू करना, पारदर्शिता को बढ़ावा देना और व्यापार में आसानी करना है।भारत परिवहन क्रांति के कगार पर है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आर्थिक विकास को चलाने की कुंजी के रूप में निर्बाध कनेक्टिविटी की कल्पना की है। 2024 सार्वजनिक परिवहन सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और रोजगार पैदा करना है।रेल (संशोधन) विधेयक, 2024भारतीय रेलवे ने अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क का 97% विद्युतीकरण हासिल कर लिया है, जो 2024-25 तक पूर्ण विद्युतीकरण की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत का पहला ऊर्ध्वाधर लिफ्ट समुद्री पुल, न्यू पंबन ब्रिज अब 105 साल पुरानी संरचना की जगह पूरा हो गया है। 102 वंदे भारत ट्रेन सेवाओं के परिचालन (सितंबर 2024 तक) के साथ, रेलवे ने यात्री अनुभव को फिर से परिभाषित करना जारी रखा है। यह विधेयक परिचालन दक्षता में सुधार और रेलवे जोन को अधिक स्वायत्तता देने के लिए पेश किया गया था।रेलवे क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है, जिससे उन्हें बजट, बुनियादी ढांचे और भर्ती का प्रबंधन स्वतंत्र रूप से करने की अनुमति मिलती है।1905 के भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम के प्रावधानों को रेलवे अधिनियम 1989 में विलय करके, भारतीय रेलवे को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे को सरल बनाता है।सुपरफास्ट ट्रेनों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के त्वरित विकास के लिए प्रावधान है।परिवर्तनों का उद्देश्य रेलवे बोर्ड के गठन और संरचना को सुव्यवस्थित करना है, जिससे रेलवे संचालन की समग्र दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।जम्मू और कश्मीर स्थानीय निकाय कानून (संशोधन) विधेयक, 2024पुराने कानून के निरस्त होने से जम्मू-कश्मीर भारत के अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बराबर आ गया। केंद्र सरकार के पास अब विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को सीधे लागू करने का अधिकार था। अंततः न्याय हुआ - जम्मू और कश्मीर में 890 कानून लागू रहे, 205 राज्य कानून निरस्त किये गये, 129 कानूनों में संशोधन किया गया। पहली बार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और पहाड़ी भाषी लोगों को आरक्षण दिया गया। इतना ही नहीं, हाल के चुनावों में सबसे ज्यादा मतदान के साथ, ऐसा लगा कि घाटी में लोकतंत्र और स्वच्छंदता वापस आ गए हैं। जम्मू और कश्मीर स्थानीय निकाय कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 स्थानीय निकायों में आरक्षण को और बढ़ावा देता है।● जम्मू और कश्मीर स्थानीय निकाय कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य में लागू तीन कानूनों: जम्मू और कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989, जम्मू और कश्मीर नगरपालिका अधिनियम, 2000 और जम्मू और कश्मीर नगर निगम अधिनियम, 2000 में संशोधन करता है।● संशोधन यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि स्थानीय निकाय कानून संविधान के अनुच्छेद 243डी और 243टी के अनुरूप हों।● विधेयक ने पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण बढ़ा दिया। इसके अलावा, 33% महिला आरक्षण लागू किया गया।बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 20242024 में भारत की बैंकिंग प्रणाली ने उल्लेखनीय लचीलापन और ताकत का प्रदर्शन किया है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के लिए सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात मार्च 2018 में 14.58% से गिरकर सितंबर 2024 में 3.12% हो गया है। साथ ही वित्त वर्ष 2023-24 में पीएसबी ने अपना अब तक का सर्वाधिक कुल शुद्ध लाभ 1.41 लाख करोड़ रुपये हासिल किया। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने ग्लोबल फाइनेंस के सेंट्रल बैंकर रिपोर्ट कार्ड 2024 द्वारा लगातार दूसरे वर्ष A+ रेटिंग से सम्मानित किया। बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य ग्राहक सुविधा में सुधार करना और निवेशक सुरक्षा को मजबूत करना है।● अधिनियम की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक खाताधारकों को अपने बैंक खातों या सावधि जमा के लिए चार व्यक्तियों को नामित करने की अनुमति देना है।● विधेयक में दावा न किए गए लाभांश, शेयर और ब्याज को निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (आईईपीएफ) में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है, जिससे व्यक्ति बाद में इन राशियों का दावा कर सकें।● संशोधन विशेष रूप से सहकारी बैंकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो भारत के बैंकिंग परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।सशक्त लोकतंत्र के लिए चुनाव चक्रों का समन्वयलोक सभा और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की विधान सभाओं के एक साथ चुनाव कराने के लिए तंत्र को प्रभावी बनाने के उद्देश्य से संविधान (129वां) संशोधन विधेयक और संघ राज्य क्षेत्र कानून (संशोधन) विधेयक प्रस्तुत किए गए थे।● विधेयक का उद्देश्य एक नया अनुच्छेद 82ए (लोक सभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ना तथा संसद और राज्य विधानसभाओं के सदनों की अवधि के संबंध में अनुच्छेद 83, 172 और 327 में संशोधन करना है।● मुख्य विशेषताएं:o अधिनियमन के पश्चात, राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी करके "नियत तिथि" को आम चुनाव के पश्चात लोक सभा की पहली बैठक के रूप में निर्धारित किया जाएगा।o लोक सभा का कार्यकाल नियत तिथि से पांच वर्ष का होगा। इस तिथि के पश्चात तथा लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व गठित सभी विधान सभाओं का कार्यकाल लोक सभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति के साथ ही पूरा हो जाएगा।o लोक सभा तथा सभी राज्य विधान सभाओं के लिए भावी आम चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएंगे।o यदि लोक सभा या विधान सभा समय से पूर्व भंग हो जाती है, तो उसके पश्चात होने वाला चुनाव शेष अवधि के लिए होगा।* मुख्य लाभ:o विकासात्मक गतिविधियों पर प्रयासों को पुनः केन्द्रित करके शासन में स्थिरता को बढ़ावा देता है।o आदर्श आचार संहिता के कारण होने वाले व्यवधान को कम करके नीतिगत पक्षाघात को रोकता है।o बार-बार चुनाव-संबंधी कार्मिकों की तैनाती की आवश्यकता को कम करके संसाधनों के दुरपयोग को कम करता है।o स्थानीय स्तर पर ध्यान केंद्रित करने और क्षेत्रीय मुद्दों को उजागर करने की अनुमति देकर क्षेत्रीय दलों की प्रासंगिकता को बनाए रखता है।o विविध नेताओं और समावेशिता के लिए अधिक जगह बनाकर राजनीतिक अवसरों को बढ़ाता है।o राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के बजाय मतदाताओं की जरूरतों को पूरा करने की अनुमति देकर शासन पर ध्यान केंद्रित करता है।o कई चुनाव चक्रों से जुड़ी लागतों में कटौती करके वित्तीय बोझ को कम करता है।* संक्षिप्त पृष्ठभूमि:o लोक सभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में आयोजित किए गए। हालांकि, 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण यह चक्र बाधित हो गया।o विधि आयोग की "चुनावी कानूनों में सुधार" पर 170वीं रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि एक साथ चुनाव सामान्य प्रक्रिया होनी चाहिए, राज्य विधानसभाओं के लिए अलग-अलग चुनाव अपवाद होंगे। लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव आदर्श रूप से हर पांच साल में एक बार होने चाहिए।o कार्मिक, लोक शिकायत और विधि एवं न्याय पर विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 79वीं रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता की जांच की। इसने चुनावी प्रक्रियाओं की आवृत्ति को कम करने के लिए वैकल्पिक, व्यावहारिक तरीकों की आवश्यकता पर जोर दिया।o बढ़ती लागत, समय की कमी और चुनाव वाले क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण होने वाली बाधाओं को देखते हुए, एक साथ चुनाव कराने की स्पष्ट आवश्यकता है। इससे सार्वजनिक सेवाओं, विकास कार्यक्रमों और चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात लोगों पर दबाव कम होगा।o इस मुद्दे की जांच के लिए 2 सितंबर 2023 को देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति ने 14 मार्च 2024 को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं, जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
- पिछले एक दशक में, भारत ने अपनी कूटनीतिक छवि को बदल दिया है, देश एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभरा है, जो किसी प्रयोजन के साथ जुड़ता है, करुणा के साथ सहायता करता है और उद्देश्य के साथ नेतृत्व करता है। 2024 की कूटनीतिक जीत, उल्लेखनीय होने के साथ-साथ, वर्षों के लगातार प्रयासों का परिणाम है, यह जीत दुनिया के देशों द्वारा भारत को देखने के तरीके को नया स्वरुप देने से जुड़ी है।2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट हवाई हमलों जैसे साहसिक कदमों से लेकर वैक्सीन मैत्री के साथ महामारी के दौरान मदद का हाथ बढ़ाने तक, भारत ने दिखाया है कि वह दृढ़ संकल्प और सहानुभूति के साथ नेतृत्व कर सकता है। जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करना, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जैसी पहलें; सभी देशों के लिए एक निष्पक्ष, सतत भविष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।पीएम मोदी के नेतृत्व में, कुवैत, पोलैंड, मिस्र और पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों की भारत की पहली बार की यात्राओं ने लंबे समय से निष्क्रिय संबंधों को पुनर्जीवित किया और इस संदेश को पुष्ट किया कि भारत बड़े और छोटे संबंधों को महत्व देता है। जब संकट आये, तो भारत सिर्फ खड़ा नहीं रहा। उसने काम किया। गंगा और अजय जैसे अभियानों ने यह सुनिश्चित किया कि संघर्ष क्षेत्रों से भारतीयों को सुरक्षित घर वापस आयें, जबकि भूकंप प्रभावित तुर्की और युद्धग्रस्त यूक्रेन को सहायता प्रदान करना, दुनिया के साथ भारत की एकजुटता को दर्शाता है। आज भारत दिखाया है कि वह वैश्विक मंच पर एक-दूसरे से जुड़ने, सहायता करने और प्रेरित करने के लिए तैयार है।वर्ष 2024 भारत की कूटनीति के लिए एक उल्लेखनीय वर्ष रहा, इसने वैश्विक अग्रणी देश के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया। यह निबंध कुछ ऐसे महत्वपूर्ण क्षणों पर प्रकाश डालता है, जिसने इस यात्रा को स्वरुप प्रदान किया।अति-महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय राजनेताओं की मेज़बानी से लेकर वैश्विक शांति प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने तक, भारत की कूटनीतिक भागीदारी ने विश्व मंच पर अपने बढ़ते प्रभाव को प्रदर्शित किया है। यहाँ 2024 में भारत द्वारा हासिल की गई कुछ प्रमुख कूटनीतिक उपलब्धियाँ और पहलों के बारे में उल्लेख किया गया है।बैस्टिल दिवस से लेकर गणतंत्र दिवस तकभारत के 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति को दिए गए निमंत्रण से दुनिया के प्रमुख राजनेताओं के साथ समान स्तर पर संवाद करने की भारत की क्षमता स्पष्ट होती है। यह फ्रांस द्वारा भारत को दिए गए पिछले निमंत्रण के अनुरूप है, जिसके तहत प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2023 में बैस्टिल दिवस में भाग लिया था। ये आदान-प्रदान, भारत और फ्रांस के बीच गहरे विश्वास और बढ़ती मित्रता को दर्शाते हैं।कतर ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व सैन्यकर्मियों को रिहा कियाअपने नागरिकों के लिए भारत की मजबूत वकालत, देश के ऐतिहासिक रूप से निष्क्रिय रुख में बदलाव का संकेत देती है। एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत तब मिली, जब प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के कारण, कतर ने मौत की सजा का सामना कर रहे आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा कर दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के बीच सीधा संवाद हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कतर की अदालत ने मौत की सजा को तीन से 25 साल की जेल की सजा में बदल दिया। मोदी सरकार की त्वरित कार्रवाई ने सुरक्षा सुनिश्चित की, मौत की सजा को रोका और नौसेना के पूर्व सैन्यकर्मियों का उनके घर से मिलन संभव हुआ।पूर्व सैन्यकर्मियों की रिहाई प्रधानमंत्री मोदी की 13-14 फरवरी को यूएई की यात्रा से ठीक एक दिन पहले हुई थी, जहां वे अबू धाबी में देश के पहले हिंदू मंदिर, बीएपीएस मंदिर का उद्घाटन करने और शीर्ष नेतृत्व से मिलने गए थे।पाकिस्तान को रावी का पानी बंद करनाऐतिहासिक रूप से, सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के प्रति भारत का दृष्टिकोण अपेक्षाकृत निष्क्रिय रहा है। महत्वपूर्ण जल संसाधनों पर अधिकार होने के बावजूद, भारत ने अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग किए बिना संधि के प्रावधानों का बड़े पैमाने पर पालन किया, जिससे रावी नदी का पानी काफी मात्रा में बिना उपयोग के पाकिस्तान में बह जाता था।भारत ने रावी नदी पर शाहपुर कंडी बैराज का निर्माण पूरा किया, जिससे पाकिस्तान में अतिरिक्त पानी का प्रवाह रुक गया। यह जल प्रबंधन में रणनीतिक बदलाव का संकेत देता है।यह आतंकवाद से जुड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं पर आधारित भारत की मुखर कूटनीति को दर्शाता है। यह सिंधु जल संधि के तहत अपने अधिकारों का दावा करते हुए कूटनीतिक उपकरण के रूप में भारत के पानी के रणनीतिक उपयोग को उजागर करता है। इस कदम से जम्मू-कश्मीर क्षेत्र को कृषि उद्देश्यों के लिए लाभ होगा, जिसमें 4000 एकड़ भूमि की सिंचाई की क्षमता है। उल्लेखनीय है कि बांध का निर्माण आधारशिला रखने के लगभग तीन दशक बाद पूरा हुआ।वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन समझौताप्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, 2014 के बाद एलएसी पर सैन्य स्थिति और भी सशक्त हुई है और भारत की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचना विकास में वृद्धि हुई है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प से शत्रुता में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गयी, जिसके कारण भारत, सीमा पर सेना की तैनाती और अवसंरचना परियोजनाओं के विस्तार के लिए प्रेरित हुआ। इस वर्ष चार साल से चल रहा सैन्य गतिरोध समाप्त हुआ, भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पीछे हटने तथा डेपसांग मैदानों और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया, जिससे मई 2020 में तनाव से पहले की स्थिति बहाल हुई।यह समझौता भारत-चीन सीमा क्षेत्रों, विशेष रूप से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग मैदानों में सैनिकों की वापसी और तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।भारत: यूक्रेन युद्ध में शांतिदूतसंयुक्त राष्ट्र में भारत का रुख कि ‘यह युद्ध का समय नहीं है’, दुनिया भर में गहराई से गूंजने लगा। भारत को लगता है कि वह वर्षों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में शांतिदूत की भूमिका निभा सकता है।राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि भारत यूक्रेन युद्ध से जुड़े मध्यस्थों में से एक हो सकता है। पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने विश्वास व्यक्त किया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को सुलझाने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने भी कहा कि भारत, यूक्रेन संघर्ष का समाधान ढूंढने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।2024 के मध्य में, प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शांति वार्ता की आवश्यकता के बारे में सीधी चर्चा हुई। इसके तुरंत बाद, उन्होंने यूक्रेन का दौरा किया, जहाँ उन्होंने शांति बहाल करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भारत की इच्छा व्यक्त की।भारत एक विशिष्ट राष्ट्र है, क्योंकि इसे दोनों पक्षों के बीच तालमेल बिठाने वाले ‘विश्वबंधु’ के रूप में देखा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पूर्व प्रमुख किशोर महबूबानी ने उल्लेख करते हुए कहा कि कैसे कुछ राजनेता इस तरह की जटिल परिस्थितियों का प्रभावी ढंग से समाधान कर सकते हैं। उन्होंने एक प्रमुख भू-राजनीतिक शक्ति के रूप में भारत की बढ़ती स्थिति पर जोर दिया।भारत और वैश्विक दक्षिण● भारत ने तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। यह शिखर सम्मेलन 9 जून 2024 को नई सरकार के गठन के बाद से पीएम द्वारा आयोजित पहला बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन था।● 2024 में पीएम मोदी की गुयाना और नाइजीरिया की यात्राएं, कैरिबियन और अफ्रीका दोनों में अपनी कूटनीतिक उपस्थिति बढ़ाने के भारत के रणनीतिक प्रयासों को दर्शाती हैं।इटली में जी7 बैठकपीएम मोदी को 2019 के आम चुनाव से पहले ही जी7 में आमंत्रित किया गया था और यह उनकी जीत के बाद उनका पहला वैश्विक मंच था। यह एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि दुनिया ने मोदी को तीसरा कार्यकाल हासिल करने वाले कुछ वैश्विक राजनेताओं में से एक के रूप में मान्यता दी, जो भारत की राजनीतिक स्थिरता और पीएम मोदी की लोकप्रियता का संकेत भी दे रही थी। भारत ने इटली के अपुलिया में आयोजित 50वें जी7 शिखर सम्मेलन में एक आउटरीच देश के रूप में भाग लिया, जो प्रधानमंत्री मोदी की अपने तीसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा थी।म्यांमार के साथ मुक्त आवागमन व्यवस्था का अंतभारत ने, देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत और म्यांमार के बीच मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफ एम आर) को समाप्त करने का निर्णय लिया।बचाव/मानवीय सहायता अभियानऑपरेशन इंद्रावती: भारत ने अपने नागरिकों को हैती से डोमिनिकन गणराज्य में ले जाने के लिए ऑपरेशन इंद्रावती की शुरुआत की।ऑपरेशन सद्भाव: भारत ने लाओस, म्यांमार और वियतनाम को मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रदान करने के लिए ऑपरेशन सद्भाव शुरू किया।10 दिसंबर, 2024 को भारत ने सीरिया से 75 नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला।भारत मध्य पूर्व कॉरिडोर की मांग में तेजीफरवरी 2024 में, भारत और यूएई ने आईएमईसी कॉरिडोर के विकास पर पहला औपचारिक समझौता किया। इसी महीने प्रधानमंत्री मोदी की यूनान यात्रा के दौरान, यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने इस बात पर जोर दिया कि गाजा और मध्य पूर्व में उथल-पुथल से अस्थिरता पैदा हो रही है, लेकिन इससे आईएमईसी के पीछे की मजबूत भावना को कम नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, "न ही इससे, इसे साकार करने की दिशा में काम करने के हमारे संकल्प को कमजोर होना चाहिए।"भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह का अधिग्रहण एक बड़ी बात हैविशेष रूप से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के संबंध में, चाबहार बंदरगाह के विकास को इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव के संदर्भ में एक रणनीतिक जवाब के रूप में देखा जाता है। 13 मई, 2024 को, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) ने चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल के विकास और संचालन के लिए ईरान के पोर्ट्स एंड मेरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (पी एम ओ) के साथ एक दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।यह भारत का किसी विदेशी बंदरगाह का पहला पूर्ण पैमाने पर प्रबंधन है, जो पाकिस्तान को किनारे रखते हुए ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार को बढ़ावा देगा।भारत ने चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्ती पोर्ट टर्मिनल को सक्षम बनाने और विकसित करने के लिए ईरान के साथ 10 साल का समझौता किया।भारत-मालदीव संबंधों को नया स्वरुप देनानवंबर 2023 में मोहम्मद मुइज़ू ने अपने चुनावी अभियान, जिसमें "इंडिया आउट" अभियान भी शामिल था, का संचालन किया। मोहम्मद मुइज़ू द्वारा राष्ट्रपति पद जीतने के बाद भारत और मालदीव के बीच संबंध खराब होने शुरू हो गए। प्रधानमंत्री की लक्षद्वीप यात्रा की प्रतिक्रिया में, प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव (पीपीएम) के जाहिद रमीज़ सहित मालदीव के राजनेताओं ने सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं। लेकिन भारत की मुखर और सशक्त कूटनीति ने स्थिति को बदल दिया। निर्णायक मोड़ राष्ट्रपति मुइज़ू की 6-10 अक्टूबर, 2024 तक भारत की राजकीय यात्रा के दौरान आया, जिसका उद्देश्य तनावपूर्ण संबंधों को फिर से सामान्य बनाना था। राष्ट्रपति मुइज़ू ने भारत को आश्वासन दिया कि मालदीव ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होगा, जो भारत की सुरक्षा को कमज़ोर करती हैं।क्वाड● भारत के प्रधानमंत्री ने विलमिंगटन (अमेरिका) में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लिया। यह प्रमुख शक्ति के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका और क्षेत्र में चीन के प्रभाव से उत्पन्न चुनौतियों के खिलाफ इसकी रणनीतिक स्थिति को रेखांकित करता है।● अमेरिका में क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत ने स्वच्छ अर्थव्यवस्था, न्यायसंगत अर्थव्यवस्था और समृद्धि के लिए भारत-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा के तहत आईपीईएफ व्यापक व्यवस्था पर केंद्रित अपनी तरह के पहले समझौतों पर हस्ताक्षर किए।● राजनेताओं ने नयी सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला आकस्मिकता नेटवर्क सहयोग ज्ञापन के माध्यम से सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार पर चर्चा की।पीएम मोदी की ऐतिहासिक यात्राओं का वर्ष● 56 वर्षों के बाद गुयाना (नवंबर, 2024)o 1968 के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की गुयाना की पहली यात्रा।● 17 वर्षों में नाइजीरिया (नवंबर, 2024)● 32 वर्षों के बाद यूक्रेन (अगस्त, 2024)o 1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद, यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा थी।● 45 वर्षों के बाद पोलैंड (अगस्त, 2024)● 41 वर्षों के बाद ऑस्ट्रिया (जुलाई, 2024)● पीएम मोदी ब्रुनेई दारुस्सलाम (सितंबर, 2024) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। यह यात्रा भारत और ब्रुनेई के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई।2024 में प्रधानमंत्री को मिले पुरस्कार● भूटान की अपनी यात्रा के दौरान, भारत के प्रधानमंत्री को भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो' से सम्मानित किया गया।● रूस ने प्रधानमंत्री मोदी को 2019 में अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान - ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने जुलाई 2024 में मॉस्को की अपनी यात्रा के दौरान यह पुरस्कार प्राप्त किया।● डोमिनिका ने प्रधानमंत्री मोदी को 'डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर' से सम्मानित किया। नवंबर 2024 में प्रधानमंत्री की गुयाना यात्रा के दौरान डोमिनिका की राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन ने प्रधानमंत्री मोदी को यह पुरस्कार प्रदान किया।● नाइजीरिया ने नवंबर 2024 में अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को 'द ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर' से सम्मानित किया। यह उन्हें नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू ने प्रदान किया।● नवंबर 2024 की प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान, गुयाना ने पीएम मोदी को ‘द ऑर्डर ऑफ एक्सेलेंस’ से सम्मानित किया। राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।बारबाडोस की एम मिया अमोर मोटली ने नवंबर 2024 में प्रधानमंत्री की गुयाना यात्रा के दौरान पीएम मोदी को आनरेरी आर्डर ऑफ़ फ्रीडम ऑफ़ बारबाडोस पुरस्कार से सम्मानित करने के अपने सरकार के फैसले की घोषणा की।भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की जीतदुबई में एक हिंदू मंदिर का उद्घाटन, सफल सांस्कृतिक कूटनीति प्रयासों का उदाहरण है, जो सद्भावना को बढ़ावा देता है और मध्य पूर्व के देशों के साथ संबंधों को मजबूत करता है।15 नवंबर, 2024 को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को लगभग 10 मिलियन डॉलर मूल्य की 1,400 से अधिक चोरी की गई कलाकृतियाँ वापस दे दीं।.......................................................
- भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हम आत्मविश्वास के साथ तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। प्रतिस्पर्धी होने और वैश्विक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का भारत का दृढ़ संकल्प पिछले दशक में विभिन्न वैश्विक रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार के जरिए स्पष्ट हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, देश ने लॉजिस्टिक्स से लेकर नवाचार, सुरक्षा और साइबर सुरक्षा तक के क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है। पिछले दस वर्षों की इन उपलब्धियों का संबंध केवल बेहतर रैंकिंग से ही नहीं हैं, बल्कि वैश्विक व्यवस्था में भारत की भूमिका का नए सिरे से र्कल्पना करने से भी है।वर्ष 2015 से लेकर 2018 के बीच व्यवसाय करने में आसानी से संबंधित सूचकांक (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स) में 42 स्थानों की लंबी छलांग ने भारत को कम अनुपालन एवं अधिक अवसरों वाले व्यावसायिक माहौल के साथ निवेश के एक अनुकूल गंतव्य के रूप में स्थापित किया है। इसी तरह, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (ग्लोबल कम्पेटिटिव्नेस इंडेक्स) में 2014 में 71वें स्थान से छलांग लगाकर 2018 में 39वें स्थान पर पहुंचने की भारत की कवायद ने बुनियादी ढांचे, बाजार के आकार और नवाचार के क्षेत्र में इसकी प्रगति को रेखांकित किया है। वर्ष 2022 में, भारत के विमानन सुरक्षा निरीक्षण तंत्र ने चीन, इज़राइल और डेनमार्क जैसे देशों को पीछे छोड़ते हुए 102वें स्थान से 48वें स्थान पर आने की लंबी छलांग लगाई। ये उपलब्धियां अपनी वैश्विक स्थिति एवं प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने की दिशा में भारत के निरंतर प्रयासों का प्रमाण हैं।वर्ष 2024 में, वैश्विक मंच पर भारत की जबरदस्त प्रगति कम उल्लेखनीय नहीं रही है। प्रमुख रैंकिंग में स्थान और उपलब्धियां इसके बढ़ते प्रभाव को दर्शाती हैं। सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार वाले शीर्ष चार देशों में स्थान हासिल करने से लेकर वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) में कई पायदान ऊपर चढ़ने तक, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की प्रगति परिवर्तनकारी रही है।आर्थिक विकास और विदेशी मुद्रा भंडारप्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के आर्थिक विकास की गति शानदार रही है। लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स) 2023 में 16 स्थानों के उल्लेखनीय सुधार के साथ भारत की छलांग से इसकी व्यापार दक्षता बेहतर हुई है। कुल 139 देशों वाले लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत अब 38वें स्थान पर है। यह छलांग व्यापार और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत को रेखांकित करती है। इसके अलावा, वैश्विक व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र बनकर जहाजों के लौटने (टर्नअराउंड) में लगने वाले समय के मामले में भारत कई विकसित देशों से आगे निकल गया है। सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाहों की क्षमता में वृद्धि हुई है, बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ा है और बंदरगाहों की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। भारत के प्रमुख बंदरगाहों पर जहाजों के लौटने (टर्नअराउंड) में लगने वाला समय 2013-14 में 93.59 घंटे से 48.65 प्रतिशत तक कम होकर 2023-24 में 48.06 घंटे हो गया है।इसके अलावा, भारत ने एक और असाधारण उपलब्धि हासिल कर ली है। इसका विदेशी मुद्रा भंडार 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो गया है, जिससे देश वैश्विक स्तर पर चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथे स्थान पर पहुंच गया है। एक और प्रभावशाली उपलब्धि के रूप में, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (ग्लोबल कम्पेटिटिव्नेस इंडेक्स) 2024 में भारत का 39वें स्थान पर पहुंचना आर्थिक सुधारों पर सरकार के निरंतर ध्यान को रेखांकित करता है। इससे वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति काफी मजबूत हुई है।पिछले दशक (अप्रैल 2014 से सितंबर 2024) में, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का कुल प्रवाह 709.84 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा जोकि पिछले 24 वर्षों में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह का 68.69 प्रतिशत है।वर्ष 2024 में, भारत चीन के बाद कच्चे इस्पात का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया। इसने मोबाइल फोन के उत्पादन में वैश्विक स्तर पर दूसरा स्थान हासिल किया, जिससे एक प्रमुख मैन्यूफैक्चरिंग केन्द्र के रूप में इसकी स्थिति मजबूत हुई।नवाचार के मामले में एक अग्रणी देश के रूप में उभारवैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स) 2024 इस प्रगति का स्पष्ट प्रमाण है, क्योंकि भारत 2015 में 81वें स्थान से आगे बढ़ते हुए 39वें स्थान पर पहुंच गया है। यह नवाचार के एक वैश्विक केन्द्र के रूप में भारत के उभार को दर्शाता है। प्रौद्योगिकी के मामले में अपने कद को और बढ़ाते हुए, भारत नेटवर्क रेडीनेस इंडेक्स 2024 में 11 स्थान ऊपर चढ़कर अब शीर्ष के 50 देशों में शामिल हो गया है। भारत को एआई से जुड़ी प्रतिभा और आईसीटी से जुड़ी सेवाओं के निर्यात में पहला, एआई से संबंधित वैज्ञानिक प्रकाशनों में पहला, एफटीटीएच की सदस्यता एवं मोबाइल इंटरनेट की ट्रैफिक के मामले में दूसरा और घरेलू बाजार के पैमाने के मामले में तीसरा स्थान दिया गया है। यह छलांग डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के सरकार के प्रयासों को रेखांकित करती है। भारत ने पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन: डब्ल्यूआईपीओ 2024 रिपोर्ट में शीर्ष 10 देशों में स्थान हासिल किया, जोकि बौद्धिक संपदा के मामले में देश के बढ़ते नेतृत्व और तकनीकी प्रगति को आगे बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका की पुष्टि करती है। इतना ही नहीं, “अमूर्त परिसंपत्ति तीव्रता” (इंटैन्जबल एसेट इंटेंसिटी) के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर सातवें स्थान पर है, जो पेटेंट और ट्रेडमार्क जैसी गैर-भौतिक परिसंपत्तियों के मामले में इसकी ताकत को रेखांकित करता है।भारत की उच्च शिक्षा को वैश्विक पहचानभारत में शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ है। देश ने वैश्विक शैक्षणिक रैंकिंग में महत्वपूर्ण प्रगति की है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग: एशिया 2025 भारत की बढ़ती हैसियत को रेखांकित करता है और इसके सात संस्थान अब एशिया के शीर्ष 100 संस्थानों में शामिल हैं। इतना ही नहीं, जापान (115) और चीन (135) को पीछे छोड़ते हुए, 984 संस्थानों में से 162 विश्वविद्यालयों की सूची के साथ भारत लगातार दो बार क्यूएस रैंकिंग में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व वाला देश बन गया। यह उपलब्धि विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने और उत्कृष्ट अनुसंधान को बढ़ावा देने के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थान भारत एवं वैश्विक स्तर पर उच्च मानक स्थापित कर रहे हैं। शिक्षा से संबंधित बुनियादी ढांचे में सुधार और नवाचार को बढ़ावा देने पर दिए जा रहे ध्यान के साथ, भारत उच्च शिक्षा का एक अग्रणी केन्द्र बनने की दिशा में अग्रसर है।भारत द्वारा साइबर सुरक्षा को प्राथमिकतापिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में डिजिटल बुनियादी ढांचे के मामले में तेजी से विकास हुआ है। वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक 2024 में टियर 1 का दर्जा हासिल करने की इसकी उपलब्धि इस बदलाव को रेखांकित करती है। भारत ने 100 में से 98.49 अंक हासिल किए, जो इसे साइबर सुरक्षा संबंधी तत्परता के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल करता है। यह उपलब्धि व्यवसायों और नागरिकों के लिए एक सुरक्षित डिजिटल वातावरण बनाने की ओर सरकार के निरंतर ध्यान को दर्शाता है। मजबूत साइबर सुरक्षा ढांचे के निर्माण पर मोदी सरकार के जोर को ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहल के माध्यम से देखा जा सकता है, जिसने न केवल इंटरनेट के प्रसार का विस्तार किया बल्कि ऑनलाइन सुरक्षा बढ़ाने के उपाय भी पेश किए। एनसीआईआईपीसी और आई4सी की स्थापना जैसे पिछले प्रयासों ने देश की साइबर सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे भारत वैश्विक साइबर सुरक्षा परिदृश्य में एक अग्रणी देश बन गया है।लैंगिक समानतालैंगिक समानता के मामले में भारत की उल्लेखनीय प्रगति 2022 के लैंगिक असमानता सूचकांक (जेंडर इनिक्वालिटी इंडेक्स) से स्पष्ट होती है। इस सूचकांक में भारत 2021 में 122वें स्थान से 14 पायदान ऊपर चढ़कर 108वें स्थान पर पहुंच गया है। यह प्रगति ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसी पहल के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के प्रति मोदी सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह पहल शिक्षा, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और महिला सुरक्षा पर केन्द्रित है। वर्ष 2023-2024 तक, भारत इस दिशा में लगातार प्रगति कर रहा है और अधिक संख्या में महिलाएं श्रमशक्ति एवं राजनीतिक नेतृत्व की भूमिकाओं में योगदान दे रही हैं। अपेक्षाकृत अधिक समावेशी समाज का प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण इन बदलावों को आगे बढ़ा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित हो रहा है कि सभी क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को तेजी से पहचाना व उसका समर्थन किया जा रहा है।एक समृद्ध पर्यटन क्षेत्रभारत का पर्यटन क्षेत्र फल-फूल रहा है। यात्रा एवं पर्यटन विकास सूचकांक (टीटीडीआई) 2024 में भारत 39वें स्थान पर है। ‘अतुल्य भारत’ और ‘देखो अपना देश’ जैसी पहलों ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हुए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन, दोनों को बढ़ावा दिया है। वर्ष 2024 में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी स्वदेश दर्शन और प्रसाद योजना के तहत पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी 1400 करोड़ रुपये (168.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक मूल्य की 52 परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। एशिया पावर इंडेक्स 2024 में जापान को पछाड़कर भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। यह भारत के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभाव को दर्शाता है, जो एक्ट ईस्ट पॉलिसी और वैश्विक मंचों पर सक्रिय नेतृत्व जैसी रणनीतियों से प्रेरित है। मोदी के नेतृत्व में वैश्विक मंच पर भारत की उपस्थिति और शक्ति लगातार मजबूत हो रही है।
- 25 दिसंबर सुशासन दिवस पर विशेष लेखडॉ. ओम डहरिया/ सहायक जनसम्पर्क अधिकारीरायपुर/ विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों को राष्ट्रपति जी के दत्तक पुत्र-पुत्रियां कहा जाता था लेकिन आजादी के कई साल बाद तक भी इनकी बस्तियों में शुद्ध पेयजल भी नहीं था। घास फूस के घरों में बिजली कहां से पहुंच पाती और शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाएं तो इनके लिए लक्जरी ही समझिये। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस परिस्थिति को पूरी संवेदनशीलता से समझा और उन्हें लगा कि इस परिस्थति को ठीक करने के लिए मामूली प्रयत्नों से कुछ नहीं होगा जब तक एक लक्ष्योन्मुखी वृहत योजना विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए नहीं बनेगी तब तक इनके कल्याण की सूरत नहीं बनेगी। फिर उन्होंने पीएम जनमन योजना लाई और इस एक योजना से उजाले की किरण इन बस्तियों में फैल गई है। पक्के घरों में बिजली पहुंच रही है। बच्चों के लिए स्कूल खोले गये हैं और इन तक पहुंचने के लिए सड़कें भी बनाई जा रही हैं।इस योजना को शुरू हुए अभी एक साल का अरसा भी नहीं बीता है कि इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन से विशेष पिछड़ी जनजातियों के रहवासी इलाकों में विकास का उजियारा साफ-साफ दिखाई देने लगा है। इस उजियारे से जनजातीय समुदाय के लोगों में शासन के प्रति एक नया विश्वास जगा है और उनके चेहरे पर एक चमक दिखाई देने लगी है।पीएम जनमन योजना का उद्देश्य विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के बीच विकास, समावेशिता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार जनजातीय समुदाय के लोगों की स्थिति को बेहतर बनाने और उनके रहवासी इलाकों में बुनियादी सुविधाएं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी शिद्दत से जुटी हुई है।छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है। इसके चलते पीएम जनमन के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ देश के अग्रणी राज्यों में से एक है। शासन की विभिन्न योजनाओं के कन्वर्जेस के चलते छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदायों की जीवन स्तर और उनके रहवासी क्षेत्रों में तेजी से बदलाव दिखाई देने लगा है। पीएम जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान की स्वीकृति एवं निर्माण का काम तेजी से शुरू कर दिया गया हैं।छत्तीसगढ़ में 42 जनजातियां और इसके 161 उपजातियां है। इस वर्ग में बिंझवार, सावरा, गोंड, मुरिया, हलबा, भतरा, भुंजिया, भूमिया (भूइया), बियार, कंवर, मझवार, माझी, मुण्डा, भैना, नगेसिया आदि विभिन्न जनजातियां आते है। इस वर्ग की जनजातियां जंगली उपज संग्रह, िशकार, आदिम कृषि के साथ-साथ बांस से टोकरी आदि बनाते है। इस समूह में कमार, कंडरा, धनवार, सोता, बैगा, माझी आदि आते है।भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के लिए पांच जनजातियों को विशेष पिछड़ी जनजाति घोषित किया है, जिसमें बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, अबूझमाड़ियां जनजाती आते हैं। छत्तीसगढ़ में पिछड़ी जनजाति की कुल जनसंख्या 3,10,625 है. इनमें से पहाड़ी कोरवा जनजाति की कुल जनसंख्या 1,29,429 है. छत्तीसगढ़ में पहाड़ी कोरवा जनजाति मुख्य रूप से जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर, कोरबा, और रायगढ़ ज़िलों में पाई जाती है। पहाड़ी कोरवा प्राचीन समय में बेबर कृषि करते थे अर्थात जंगल में आग लगाकर ज़मीन साफ़ करते थे तथा बरसात के समय बीज छिड़क देते थे। पहाड़ी कोरवा स्त्री-पुरुष दैनिक मजदूरी हेतु ग्राम के अन्य जनजातियों के यहाँ कार्य करते हैं। ये मुख्यतः कृषि-मजदूरी एवं गड्ढे खोदने हेतु मजदूरी का कार्य करते हैं।इसी प्रकार बैगा जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। वर्ष 2015 में किए गए आधारभूत सर्वेक्षण के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में इनकी कुल जनसँख्या 88317 है जिसमें 44402 पुरुष तथा 43915 महिलाएं हैं। इनमें स्त्री पुरुष लिंगानुपात 989 है। सर्वेक्षण अनुसार इनकी साक्षरता प्रतिशत 53.97 है। राज्य में बैगा जनजाति के लोग मुख्य रूप से कवर्धा और बिलासपुर जिलों में पाए जाते हैं। बैगा जनजाति का मुख्या व्यवसाय वनोपज संग्रह, पशुपालन, खेती तथा ओझा का कार्य करना है।छत्तीसगढ़ में कमार जनजाति भी विशेष पिछड़ी जनजातीय समुदाय के अंतर्गत आते हैं। इनका मुख्य व्यवसाय बांस से टोकरी, झांपी, पर्रा वगैरह बनाना है. इसके अलावा, पक्षियों और छोटे जानवरों का शिकार करना भी इनका जीविकोपार्जन का साधन है। कमार जनजाति के लोग आपसी संवाद के लिए कमारी बोली और स्थानीय रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। महिलाएं विवाह से पहले या छोटी उम्र में गोदना करवाती है। कमार जनजाति के लोग पितृसत्तात्मक समुदाय हैं। कमार जनजाति के लोग आपसी विवाद का निपटारा पंचायत के ज़रिए करते हैं। कमार जनजाति की सर्वाधिक जनसंख्या गरियाबंद, मैनपुर, छुरा, नगरी. मगरलोड, महासमुंद एवं बागबाहरा विकासखंडो के छोटे-छोटे ग्रामों में निवासरत हैं। संस्थान की आधार भूत सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में कमार विशेष पिछड़ी जनजाति की जनसंख्या 26,622 है। जिसमें पुरुष जनसंख्या 13328 एवं स्त्री जनसंख्या 13294 हैं। इसी प्रकार बिरहोर जनजाति छत्तीसगढ़ राज्य की एक विशेष पिछड़ी जनजाति है। देश में उनकी अधिकांश आबादी झारखंड से सटे हुए सीमावर्ती जिलों में रहती है। संस्थान के आधाभूत सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार इनकी जनसँख्या 3490 है। इनमें पुरुष 1726 तथा महिला 1764 हैं। प्रदेश में रायगढ़ जिले के लैलुंगा, तमनार व धरमजयगढ़, कोरबा जिला के पोंडी, पाली व उपरोड़ा, बिलासपुर जिला के मस्तूरी व कोटा, जशपुर जिला के बगीचा, दुलदुला, पत्थलगाँव व कंसाबेल में ज्यादातर निवास करते हैं। इन लोगों ने स्थायी रूप से कार्य करते हैं। इनमें अधिकतर भूमिहीन हैं, जो शिकार करके तथा रस्सियाँ बेच कर अपनी आजीविका चलाते हैं ये लोग स्थान बदल-बदल कर खेती भी करते हैं तथा कुछ मात्रा में मक्का और बीन उपजा लेते हैं।अबूझमाड़िया जनजाति का निवास क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में है। जिसके कारण इन्हें स्थानीय बोली में अबूझमाड़िया कहा जाता है । अबूझमाड़िया जनजाति शहरी व ग्रामीण समाज से पृथक अबूझमाड़ क्षेत्र के गहन वन एवं पहाड़ों से परिपूर्ण प्राकृतिक परिवेश में निवास करती है। सर्वेक्षण के अनुसार अबूझमाड़िया जनजाति की जनसँख्या 23,330 है। जिनमें 11456 पुरुष व 11874 महिलाएं तथा लिंगानुपात 1036 है। अबूझमाड़िया जनजाति के कुल 4786 परिवार हैं। इसकी साक्षरता दर 29.88 प्रतिशत है।पीएम जनमन पहल ने विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (च्टज्ळ) की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में कई प्रभावशाली गतिविधियाँ शुरू की हैं। कार्यक्रम ने च्टज्ळ समुदाय के लिए कुल 24,079 घरों को मंज़ूरी दी है, जिनमें से 1,108 घर पूरे हो चुके हैं। 21,553 घरों के लिए पहली किस्त जारी की गई है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इन परिवारों को सुरक्षित और स्थायी आश्रय मिल सके।बेहतर कनेक्टिविटी की आवश्यकता को समझते हुए, 1,044.78 करोड़ रूपए के बजट के साथ 398 सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी गई है। वर्तमान में, इनमें से 328 सड़कें निर्माणाधीन हैं, जो आदिवासी समुदायों के लिए आवश्यक सेवाओं और बाजारों तक पहुँच को बढ़ाएँगी। प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा में सुधार के लिए, वर्तमान में 80 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें से 54 को निर्माण के लिए मंजूरी मिल गई है, जिसके लिए 8.48 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं। 10 भवनों का निर्माण पहले ही शुरू हो चुका है।16 वन धन केंद्रों की स्थापना की गई है, इन केंद्रों का उद्देश्य वन उपज के संग्रह और प्रसंस्करण के माध्यम से स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है। इस पहल में 43.80 करोड़ रूपए के बजट के साथ 73 बहुउद्देश्यीय केंद्रों की मंजूरी शामिल है। इनमें से 9 केंद्रों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, जो विभिन्न सेवाओं के लिए सामुदायिक केंद्र के रूप में काम करेंगे।बिजली की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए, 7,067 पीवीटीजी घरों के विद्युतीकरण के लिए स्वीकृति दी गई है, जिनमें से 3,693 घरों में पहले ही बिजली पहुँच चुकी है। इन समुदायों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम ने आदिवासी बस्तियों के लिए 31 छात्रावासों को मंजूरी दी है, जिसमें कुल 68.24 करोड़ रूपए का निवेश किया गया है। इन सुविधाओं का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों के छात्रों के लिए आवास उपलब्ध कराना है।जल जीवन मिशन के तहत, 17,372 घरों में पाइप से जलापूर्ति शुरू की गई है, जबकि 9,473 और घरों के लिए स्वीकृति दी गई है। स्वच्छ पेयजल तक यह पहुँच स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच बढ़ाने के लिए, 57 मोबाइल मेडिकल इकाइयों को मंजूरी दी गई है, जिनकी परिचालन लागत 33.88 लाख रूपए प्रति इकाई है। ये इकाइयाँ दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं।इस पहल ने विभिन्न व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों में पीवीटीजी समुदाय के 199 युवाओं को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है, जिससे उनके रोजगार के अवसर बढ़े हैं। पीएम जनमन अभियान ने आदिवासी क्षेत्रों में आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, पीएम किसान कार्ड और जाति प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों के वितरण पर भी ध्यान केंद्रित किया है। कुल 976 शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें 107,649 से अधिक प्रतिभागियों को लाभ मिला है।पीएम जनमन योजना भारत में आदिवासी समुदायों की सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका को संबोधित करने वाले अपने व्यापक दृष्टिकोण के साथ, यह पहल समावेशी विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जैसे-जैसे यह योजना लोगों तक पहुंच रही है, वैसे-वैसे वे समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए एक उज्जवल और अधिक न्यायसंगत भविष्य का वादा करती हैं, जो अधिक समावेशी भारत का मार्ग प्रशस्त करती हैं।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत किए गए प्रयासों से छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज में एक नई रोशनी आई है। यह योजना न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि विकास के उन सपनों को साकार करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जो अब तक अधूरे थे। इस तरह की पहलों से हमें उम्मीद है कि हमारा प्रदेश और देश समृद्धि की नई ऊँचाइयों को छूएगा।प्रधानमंत्री जनमन योजना के अंतर्गत विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई यह योजना जनजातीय समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रही है, जो उन्हें सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ और देश के जनजाति बाहुल्य गांवों तथा वहां निवासरत परिवारों के शत् प्रतिशत विकास के दृष्टिकोण से हाल ही मेें भगवान बिरसा मुंडा के 150वीं जयंती के अवसर पर बिहार केे जमुई में आयोजित समारोह से धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरूआत की है। यह अभियान निश्चित ही इन वर्गों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
- रविन्द्र चौधरी/ डॉ. ओम डहरियारायपुर। नैसर्गिक सुंदरता के लिए विख्यात जशपुर के मयाली और मधेश्वर पहाड़ की देश-दुनिया में बनी अलग पहचाननैसर्गिक सुंदरता के लिए विख्यात जशपुर जिले के पर्यटन स्थल मयाली की देश-दुनिया मे एक अलग पहचान बनते जा रही है। वहीं हाल ही में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपनी जगह बनाने वाले यहां के मधेश्वर पहाड़ ”लार्जेस्ट नेचुरल शिवलिंग” के रूप में जिले का नाम रोशन हो रहा है। जशपुर के बदलती हुई तस्वीर, आज और कल फिल्म का यह मशहूर गाना ये वदियां ये फिजाएं बुला रही हैं तुम्हें......ऐसा प्रतीत हो रहा है कि किसी खूबसूरत जगह को निहारने के लिए प्राकृतिक खुबसूरती समेटें हुए यह पहाड़, यह नदियां और वादियों की प्राकृतिक खूबसूरती समेटे जशपुर की खूबसूरत वादियों की पुकारती आवाज अब छत्तीसगढ सहित देश-दुनिया के पर्यटकों को सुनाई दे रही है।वैसे तो सुरमयी वातावरण, प्राकृतिक छटा से घिरे जशपुर में प्रकृति की खूबसूरती दिखाते अनेकों पर्यटन स्थल है। इसी प्राकृतिक नैसर्गिक सुंदरता के लिए विख्यात मयाली में 22 अक्टूबर को मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में आयोजित सरगुजा क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक ने इसे पुनः चर्चा के केंद्रबिंदु में ले आया। वहीं छत्तीसगढ़ प्रवास पर आई राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के साथ नवा रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री श्री साय और उनके परिवारजनों व अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ हुई एक ग्रुप फोटो जिसके बैकड्रॉप में जशपुर का खूबसूरत मधेश्वर पहाड़ प्रदर्शित था। पूरी दुनिया में फैली इस छायाचित्र ने लोगों को जशपुर की प्राकृतिक सुंदरता की ओर ध्यान खींचा है।मधेश्वर पहाड़ ”लार्जेस्ट नेचुरल शिवलिंग’ के रूप में गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआमुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रयासों से मधेश्वर पहाड़ को शिवलिंग की विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक प्रतिकृति के रूप में मान्यता मिली है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिला है। रिकॉर्ड बुक में ’लार्जेस्ट नेचुरल फैक्सिमिली ऑफ शिवलिंग’ के रूप में मधेश्वर पहाड़ को दर्ज किया गया है। जशपुर की पर्यटन स्थलों की जानकारी के लिए पर्यटन वेबसाइटhttps://www.easemytrip.comमें जगह दी गई है। जशपुर इस पर्यटन वेबसाइट में शामिल होने वाला प्रदेश का पहला जिला बन गया है। इस बेबसाइट के माध्यम से जशपुर की नैसर्गिक खूबसूरती की जानकारी पर्यटकों को आसानी से मिल रही है।कुनकुरी ब्लॉक में स्थित मयाली जिला मुख्यालय से लगभग 32 किलोमीटर दूरी पर है। जिला मुख्यालय से एनएच-43 सड़कमार्ग से जाते समय चरईडांड चौक पड़ता है। यहां से बगीचा रोड में कुछ ही दूरी पर मयाली नेचर कैंप स्थित है। यहां से सामने दिखाई देती मधेश्वर महादेव पहाड़ को विश्व का प्राकृतिक तौर पर निर्मित विशालतम शिवलिंग की मान्यता मिली है। इस शिवलिंग पर लोगों की बड़ी आस्था है। यहाँ सैलानी दूर-दूर से आते हैं और प्रकृति से अपने आप को जोड़ते हैं। मधेश्वर पहाड़ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्वतारोहण और एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए भी लोकप्रिय होता जा रहा है।मयाली स्वदेश दर्शन योजना में शामिल, 10 करोड़ से होगा पर्यटन के रूप में विकसितमयाली नेचर कैंप से एक ओर डैम की खूबसूरती तो दूसरी ओर विशालतम प्राकृतिक शिवलिंग मधेश्वर पहाड़ का विहंगम दृश्य दिखाई पड़ता है। चारों ओर फैली हरियाली से इसकी सुंदरता और बढ़ जाती है। मयाली डेम में बोटिंग की भी सुविधा है। भारी संख्या में लोग यहां की खूबसूरती को निहारने के साथ ही बोटिंग का आनंद लेने के लिए भी आते हैं। यहां पर्यटकों के रात्रि विश्राम की सुविधा के लिए रिसॉर्ट बनाएं गए हैं। नेचर कैंप में बटरफलाई पार्क के बाद यहां कैक्टस पार्क बनाने की योजना तैयार की गई है। मयाली नेचर कैंप को स्वदेश दर्शन योजना में शामिल करने के साथ ही पर्यटन विभाग ने मयाली के विकास के लिए 10 करोड़ रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई है।
- लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)काम परनिर्माणाधीन इमारत में मजदूरी करती इमरती आज अपने चार वर्षीय बेटे दीनू को भी साथ ले आई थी । उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो घर पर अकेले छोड़ने का मन नहीं हुआ । बाकी दिन तो उसके घर पहुँचने तक मुहल्ले में बच्चों के साथ खेलता रहता था । सिर पर ईंट उठाते वक्त थोड़ा दीनू की तरफ देखकर आश्वस्त हो जाती और अपने काम पर लग जाती । बच्चे की बालसुलभ क्रीड़ाएँ माँ के ममतामयी हृदय को आनंद से विलोडित कर देतीं और उसकी सारी थकान दूर हो जातीं । जहाँ दीनू और दो-एक बच्चे खेल रहे थे जाने कैसे कहाँ से एक लकड़ी का पट्टा जोर से गिरा.. और इमरती की दुनिया वीरान कर गया । इमरती अपनी आँखों के आगे उजड़ती कोख देखकर पथरा गई थी । जिसके लिए काम पर आई थी , काम उसे ही निगल गया था ।--एक मिनट की जिंदगीअभी - अभी स्वर्ग पहुँची रितेश की आत्मा से धर्मराज ने प्रश्न पूछा - " यदि तुम्हें एक मिनट की जिंदगी दी जायेगी तो तुम अपनी किस भूल को सुधारना चाहोगे ?" रितेश ने एक गहरी साँस भरते हुए उत्तर दिया - " उस पल को जब मैंने सिग्नल रेड होते हुए देखकर भी अपनी बाइक दौड़ा दी थी और एक कार से टकरा गया था । मेरी लापरवाही की वजह से उस कार वाले की भी मौत हो गई थी और दो घरों के चिराग एक साथ बुझ गये थे । काश! मैं एक मिनट रुक गया होता…..--स्टेटस ( लघुकथा )रेल के स्लीपर क्लास में वह अभी आकर बैठी थी । सबकी नजरें बरबस ही उधर चलीं गईं , वह लग ही रही थीं संभ्रांत उच्च वर्ग की महिला । अपनी सीट पर बैठते वक्त नाक-भौं सिकोड़ कर ,सैनीटाइजर छिड़क कर दर्शा ही दिया था कि मजबूरी में यह यात्रा कर रहीं हैं । ऊपर से किसी से फोन पर बात करके स्पष्ट कर दिया कि ए. सी. में आरक्षण नहीं मिलने के कारण जो भी मिला उसमें जाना पड़ रहा है , वरना स्लीपर क्लास में चढ़ना उनके स्टेटस के अनुकूल नहीं है । कुछ समय पश्चात अगले स्टेशन में एक अपाहिज चढ़ा और उसने अपनी कातर दृष्टि… मदद की उम्मीद में डिब्बे की ओर घुमाई । स्लीपर क्लास के दिलदार यात्रियों ने तुरंत उसे कुछ न कुछ धनराशि देकर उससे सहानुभूति दर्शाई । वह महिला चुपचाप बैठी रही….सामान्य जीवन-शैली जीने वाले उन दिलदारों का स्टेटस उनसे कहीं अधिक ऊँचा हो गया था ।
- लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)भीड़ है पर सूना नगर लगता है।बिना तुम्हारे दिन दोपहर लगता है।सुस्वादु लगे रूखी रोटी संग तुम्हारे।तुम नहीं छप्पन भोग जहर लगता है।।प्रीति बुहारे जीवन पथ सुरभित कर दे।चलें अकेले कंटकित डगर लगता है।।धरती सूरज चांद सितारे सृष्टि भली।आकंठ प्रेम में डूबे अपना ही घर लगता है।।जहां मिले हम तीर्थ धाम गंगा यमुना।पहिया वक्त का जाए अब ठहर लगता है।।