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- सुश्री सावित्री ठाकुर : राज्य मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय2012 में क्रूर निर्भया कांड ने देश की अन्तरात्मा को झकझोर कर रख दिया था। इस घटना ने महिलाओं की सुरक्षा में भारत के कानूनी और प्रशासनिक ढांचे की गहरी कमियों को भी उजागर कर दिया था। अपर्याप्त पुलिस व्यवस्था, धीमी न्यायिक प्रक्रिया, पुराने पड़ चुके कानून और पीड़ितों के ना-काफी सहायता इंतजाम निराशाजनक तस्वीरें पेश कर रहे थे।2014 तक, भारत एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा था। जनता में जबरदस्त आक्रोश था। लेकिन कानूनी तंत्र सुस्त पड़ा था। फास्ट ट्रैक कोर्ट महज एक अवधारणा थी, वास्तविकता नहीं। कोई एकल समाधान और केंद्र नहीं थे, कोई राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन नहीं थी, जांच तेज़ करने के लिए कोई फोरेंसिक (न्यायालयिक विज्ञान जांच) सहायता नहीं थी और इन उपायों के संचालन के लिए कोई समर्पित निधि भी नहीं थी। महिलाओं के मुद्दों को सामाजिक सरोकारों के तौर पर देखा जाता था-राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के रूप में नहीं।मोदी युग: सुरक्षा से संरचनात्मक सशक्तिकरण तकप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में केंद्र सरकार ने पिछले 11 वर्षों के शासन में सुस्त आंशिक प्रतिक्रिया की जगह अब कानूनी सुधार, संस्थानों के दायित्वपूर्ण रवैये और हर महिला के सम्मान से संबधित दृष्टिकोण को मिशन-मोड में अपनाते हुए व्यापक बदलाव किया है।कानूनी सुरक्षा, अब राष्ट्रीय प्रतिबद्धतासरकार ने देश भर में फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए स्थापित विशेष न्यायालय) की स्थापना की शुरुआत की और आज ऐसी 745 अदालतें क्रियाशील हैं। इनमें 404 विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत मामलों को निपटाती हैं। वर्ष 2014 की तुलना में जब वन स्टॉप सेंटर (शारीरिक, यौन, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक शोषण का सामना करने वाली महिलाओं की सहायता और निवारण संबंधी केंद्र) अस्तित्व में नहीं थे, अब 820 से अधिक जिलों में ये पूरी तरह कार्यान्वित हैं जो हिंसा से प्रभावित किसी भी महिला को एक ही स्थान पर कानूनी सहायता, पुलिस हस्तक्षेप, आश्रय और परामर्श प्रदान करते हैं। इस पारिस्थितिकी तंत्र के हिस्से के रूप में आरंभ की गई राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन 181 ने हर दिन चौबीसों घंटे 86 लाख से अधिक महिलाओं को आपातकालीन सहायता प्रदान की है। इसके अलावा, देश भर में 14,600 से अधिक पुलिस स्टेशनों (पुलिस थाने) में अब महिला हेल्प डेस्क स्थापित हैं, जिनमें महिला अधिकारी मौजूद हैं। यह महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराध की स्थिति में पहले बरते जाने वाली उदासीनता या यहां तक कि आक्रामकता के माहौल की अपेक्षा अधिक संवेदनशीलता और सहायता प्रदान करने के माहौल में बदल गए हैं। निर्भया कोष के ज़रिए सरकार ने वर्ष 2014 से पहले की ढुलमुल प्रतिक्रिया प्रणाली की तुलना में अब महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा पर केंद्रित 50 से ज़्यादा बड़ी परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान की है।प्रगतिशील कानूनी संशोधनआपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 में कुछ आवश्यक सुधारों से शुरुआत के बाद अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और 2023 में संबंधित कानूनों के व्यापक संहिताबद्ध किए जाने से औपनिवेशिक युग के आपराधिक न्यायशास्त्र की जगह अब भारतीय संदर्भ में कानून परिभाषित किए गए हैं।नए कानूनों में महिलाओं के विरूद्ध सभी अपराधों को एक अध्याय में समेकित किया गया है। पीड़ित के बयानों को वीडियो-रिकॉर्ड किया जाना अनिवार्य बनाया गया है जिसमें संवेदनशीलता बरतने के लिए महिला मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में बयान दर्ज कराने को प्राथमिकता दी गई है। डिजिटल स्टॉकिंग (डिजिटल माध्यम से पीछा करना), वॉयरिज्म (रति क्रिया छुपकर देखना) और शादी के झूठे वादे कर शारीरिक शोषण जैसे अपराधों को पहली बार आपराधिक बनाया गया है। कानूनी प्रणाली में अब तेजाब हमलों, मानव तस्करी, सामूहिक बलात्कार और हिरासत में यौन हिंसा के विरूद्ध कठोर दंड की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, बलात्कार पीड़िता को प्राथमिकी दर्ज करने या आपातकालीन चिकित्सा देखभाल प्रदान न करना भी अपराध माना गया है। पुराने संरक्षणवादी प्रतिबंधों को हटाते हुए महिलाओं को अब कानूनी रूप से किसी भी क्षेत्र में और किसी भी समय काम करने की अनुमति है, जो उनके खुद निर्णय लेने की आजादी की पुष्टि करते हैं। महत्वपूर्ण प्रक्रियागत सुधार भी किए गए हैं जिनमें गवाहों की सुरक्षा और डिजिटल साक्ष्यों को मंजूरी देना शामिल है। यौन हिंसा के मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रक्रिया को यह पुनर्परिभाषित करता है।ये सभी केवल संशोधन भर नहीं हैं - ये पीड़ितों को न्याय दिलाने की प्रणाली को पुन:स्थापित करते हैं।कानून से परे भी सशक्तिकरणकानूनी सुरक्षा के दायरे से परे, महिलाओं के प्रति सरकार का दृष्टिकोण सामाजिक, वित्तीय और डिजिटल सशक्तिकरण के व्यापक पहलुओं में कानूनी सुधार लाना है। मातृत्व अवकाश को अब 12 से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है, और 50 से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों मंै अब क्रेच (बच्चों की देखभाल) की सुविधा प्रदान करना आवश्यक है। महिलाएं अब सशस्त्र बलों में युद्धक-भूमिकाओं में सक्रियता से भाग ले रही हैं। वे सैनिक स्कूलों में प्रवेश पा रही हैं, प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिला ले रही हैं, और स्थायी कमीशन प्राप्त कर रही हैं। ये ऐसे उल्लेखनीय बदलाव हैं जो पहले उनके लिए बहुत मुश्किल थे। तीन तलाक जैसी भेदभावपूर्ण प्रथाओं को कानूनी तौर पर समाप्त कर दिया गया है, साथ ही महिलाओं को अब पुरुष अभिभावक के बिना भी हज यात्रा करने की अनुमति है। न्याय प्रदान करने को अब समुदाय-आधारित नारी अदालतों और शी-बॉक्स 2.0 जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से विकेंद्रीकृत और डिजिटीकृत किया गया है। इससे सीधे जमीनी स्तर पर समयबद्ध निवारण तंत्र सक्रिय हो गया है।सुरक्षित, मजबूत भारत की शुरुआत कानूनी गरिमा सेवर्ष 2014 से पहले, महिलाओं की सुरक्षा को अक्सर नीति नहीं बल्कि सुर्खियों से प्रेरित प्रतिक्रियात्मक मुद्दे के रूप में देखा जाता था लेकिन आज यह शासन की संरचना में अंतर्निहित है जो वित्त पोषित, फोरेंसिक उपकरणों, कानूनी सुधार और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं द्वारा सहायता प्रदत्त है।अमृत काल में प्रवेश करने के साथ ही अब स्पष्ट दृष्टि है कि इस नए भारत में कोई भी महिला अकेली नहीं है। अब उसकी सुरक्षा विशेषाधिकार नहीं बल्कि सरकार की क्षमता से समर्थित संवैधानिक गारंटी है।यह यात्रा अभी जारी है, लेकिन महिलाओं की सुरक्षा में हम अब तक एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। निरंतर राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामाजिक भागीदारी और कानूनी प्रतिबद्धता के साथ, भारत निश्चित रूप से एक महिला के रहने, काम करने और नेतृत्व करने का सबसे सुरक्षित स्थान बन सकता है।
- सजल-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)पहलगाम में चली दुनाली।स्वार्थ कपट चाल कुचाली।।आई थी मधुमास मनाने ।रो रही मेंहदी की लाली।।रक्त बहाते मासूमों का।खुशी कौन-सी तुमने पा ली।।शोकग्रस्त हो चीड़ सन्न है।जग की कैसी रीति निराली।।सुख-साधन से भरती दुनिया।मन की बगिया होती खाली।।साथ कौन देता विपदा में।पत्रहीन हो रोती डाली।।लूटपाट हिंसा करते हो।मानवता को देते गाली ।।
- -लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)हार कर तुम जिंदगी में थम न जाना।कष्ट सहकर आपदा में मुस्कुराना।।साहसी को मान मिलता है सदा ही।कायरों का है नहीं जग में ठिकाना।।क्लांत मन यह चाहता विश्राम हरदम।देखना कर दे नहीं कोई बहाना।।संशयों ने रूद्ध की राहें सभी की।थपकियाँ देकर भ्रमों को तुम सुलाना ।।स्वेद श्रम कर के अथक पाई सफलता।जीत का है स्वाद कैसा यह बताना।। -
रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर विशेष लेख- लक्ष्मी राजवाड़े , महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री
भारत के इतिहास में कुछ महिलाएं ऐसी रही हैं जिनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श बन गया। उन्हीं में से एक हैं राजमाता अहिल्याबाई होलकर, जिनकी 300वीं जयंती पर हम श्रद्धा और गर्व के साथ उन्हें स्मरण कर रहे हैं।इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं उन्हें सादर नमन करती हूं और उनके आदर्शों को आज के सामाजिक परिप्रेक्ष्य में दोहराते हुए छत्तीसगढ़ सरकार की नारी सशक्तिकरण योजनाओं की चर्चा करना चाहती हूं।अहिल्याबाई होलकर : त्याग, सेवा और न्याय की मूर्तिरानी अहिल्याबाई होलकर का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। एक युवा विधवा के रूप में उन्होंने न केवल स्वयं को संभाला, बल्कि संपूर्ण मालवा राज्य को कुशलता से चलाया। वे प्रशासन, धर्म, सामाजिक समरसता और दान की मिसाल थीं।उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, अयोध्या, बद्रीनाथ, द्वारका जैसे स्थानों पर पुनर्निर्माण कार्य कर भारतीय संस्कृति और आस्था की रक्षा की। उनके कार्य इस बात का प्रमाण हैं कि यदि नारी को अवसर और अधिकार मिले, तो वे समाज और राष्ट्र दोनों को दिशा दे सकती हैं।छत्तीसगढ़ सरकार का संकल्प : हर नारी बने समर्थछत्तीसगढ़ सरकार मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में, अहिल्याबाई होलकर के पदचिन्हों पर चलते हुए नारी सशक्तिकरण को सर्वाेच्च प्राथमिकता दे रही है।महतारी वंदन योजना - छत्तीसगढ़ सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक सम्मान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महतारी वंदन योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत पात्र विवाहित, विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्ता महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल रही है। अबतक लगभग 70 लाख महिलाओं को 15 किश्तो में 9788.78 करोड़ रूपए सहायता राशि प्रदान की जा चुकी है।महिला स्वावलंबन योजनाए -ं राज्य सरकार ने महिला स्व-सहायता समूहों को मजबूत बनाने के उद्देश्य से स्वरोजगार योजनाएं प्रारंभ की और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम की ठोस पहल की है। इन पहलों से लाखों महिलाएं अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं।महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के लिए महिला हेल्पलाइन 181, वन स्टॉप सेंटर, फास्ट ट्रैक कोर्ट, विधिक सहायता जैसे उपाय सुनिश्चित किए गए हैं ताकि हर महिला को न्याय मिले और वह भयमुक्त जीवन जी सके।हमारा लक्ष्य : सशक्त, सुरक्षित और सम्मानित नारी समाजरानी अहिल्याबाई होलकर जी ने जिस समाज की कल्पना की थी। उसे साकार करने के लिए हमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सम्मान के चार स्तंभों पर कार्य करना होगा। छत्तीसगढ़ सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है, ताकि हर बालिका अपने सपने को साकार कर सके और हर महिला समाज में नेतृत्व की भूमिका निभा सके।अहिल्याबाई होलकर जी की जयंती केवल एक स्मरण नहीं, बल्कि संकल्प का अवसर है। संकल्प इस बात का कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलकर एक सशक्त और समरस समाज का निर्माण करेंगे। मैं समस्त प्रदेशवासियों से अपील करती हूं कि वे इस अभियान में सहभागी बनें और नारी शक्ति को राष्ट्र शक्ति में बदलने की दिशा में योगदान दें। जब नारी सशक्त होगी तभी विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ का संकल्प साकार होगा। -
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)सूने - सूने थे रास्ते...
उजाड़ था मंजर ...
शहर भी उदास था..
मौसम हुआ पतझर...।
रातें अमावस सी..
दिन हुई दोपहर...
नदी सूखी - सूखी सी...
ठहरा हुआ समन्दर..।
चाह नहीं कुछ पाने की..
उमंगें भूली डगर..
चलते रहे कदम यूँ ही ..
अंधेरों का कहर...।
शाम बीतती नहीं...
इंतजार में रहबर...
लम्बी काली रातें...
चुभो रही नश्तर ...।
अब आ भी जाओ प्रिय...
राह तकती नजर...
वीरान इस चमन में...
गुलों का भी हो बसर..।
आना तेरा यूँ जीवन में...
लो बहारों को हो गई खबर..
कल तक थी निष्पत्र जो..
खिल गई डगर- डगर..।
हो गई मैं आज गुलमोहर...।। -
-आदरांजलि
-जन्म - सन् 1929 || निर्वाण 24 मई , 2025
छत्तीसगढ़ की राजधानी में अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर वर्तमान काल तक जिन-जिन व्यक्तित्वों को सामाजिक सफलता का प्रतीक माना गया उनमें आदर्श उदाहरण रहे- श्री रामजीलाल अग्रवाल। जीवन पर्यंत जिन्होंने पीड़ित मानवता के कल्याण की अपनी राह नहीं छोड़ी। टीबा बसाई झुंझनू , [ राजस्थान ] से आकर छत्तीसगढ़ के रायपुर में रच बस गए और इस माटी के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। आज 96 वें वर्ष उन्होंने अपनी सांसारिक यात्रा पूर्ण कर मोक्ष की यात्रा अंगीकार कर ली।
ऋषि तुल्य गौ साधक रामजीलालजी ने जितना जीवन जीया वह केवल अग्रवाल सभा के लिए ही नहीं, अन्य समाजों के लिए भी प्रेरक बना रहा। एक व्यक्ति अपने जीवन में परिवार सहित समाज के कल्याण की खातिर किस हद तक सोच सकता है वे इसका अतुलनीय उदाहरण थे। सही मायनों में अनथक कर्म योगी।
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान उन्हें वरिष्ठ समाजसेवी, गौसेवक के रूप में पहचानता था।
अग्रवाल समाज के राष्ट्रीय संरक्षक तो वे थे ही। इन सबके पहले एक विशाल कुटुम्ब को संभालने वाले आदर्श परिवार के मुखिया भी थे। श्रीमती सावित्री देवी अग्रवाल, गोपालकृष्ण अग्रवाल, राजधानी के सांसद एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री मध्यप्रदेश - छत्तीसगढ़ बृजमोहन अग्रवाल, विजय अग्रवाल, योगेश अग्रवाल, यशवंत अग्रवाल के वे पिता और श्री विष्णु अग्रवाल के बड़े भाई, पूरनलाल अग्रवाल, राजेंद्र प्रसाद अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, अशोक अग्रवाल के चाचा, एवं देवेंद्र अग्रवाल, गणेश अग्रवाल के ताऊजी थे।
रामजीलाल अग्रवालजी से जो कोई एक बार मिल ले तो उन्हें भूलता नहीं था। ता-उम्र शुभ वस्त्रों में रहे। गांधी टोपी उनकी सुगठित कदकाठी को अधिक सम्मोहक बनाती थी। उनका जीवन संघर्षों की मिसाल था तो सफलता का भी सुंदर प्रतीक था। सक्रियता के दौर तक उन्होंने भरपूर जीवन जीया और दूसरों को प्रेरणा देते रहे। कैसी भी परिस्थितियाँ क्यों न रही हों, व्यक्ति को सदैव अपना आत्मविश्वास बनाये रखना चाहिए। जीवन में दुःख और निराशा को वे पानी का बुलबुला कहते थे जो टिकता नहीं।
प्रत्येक आगंतुकों के लिए सदैव मुस्कुराते हुए उपलब्ध रहना वैसा गुण आज के समय में दिखाई नहीं देता! अपनी सक्रियता के दिनों में वे हरेक के लिए उपलब्ध रहा करते थे। उनसे कोई कभी भी मिल सकता था। आगंतुकों की उम्मीदों को यथा संभव पूरा करने की सकारात्मकता ऐसी कि कोई भी मुग्ध हो जाए। स्वास्थगत समस्याओं से जूझने के दौरान भी व्हील चेयर पर बैठे रहते और स्वयं से मिलने वालों को इशारों से भोजन का आग्रह करते जाते थे - जिसके लिए उनका प्रायः सभी कौतुक करते थे।
इधर दो वर्षों से, जब से वे उम्र की चुनौतियों से जूझ रहे थे उसके पहले उन्हें खाली बैठे हुए कभी देखा नहीं जाता था। यदि कुछ न कर रहे हों, तब भी व्यस्त रहना उनकी जीवन शैली थी। दिनचर्या रात 11 बजे बिस्तर पर जाते समय तक निर्बाध चलती जाती। पहट के 4.30 बजे या 5.00 बजे तक किसी भी परिस्थितियों में बिस्तर छोड़ देने की आदत हमेशा बनाए रखीं। इसके बाद गौ-सेवा से दिन का आरंभ होता था।
आज अग्रवाल समाज यदि वृहद पैमाने पर सक्रिय और एकजुट है तो इसमें उनका योगदान और समर्पण एक बड़ा कारण है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय अनेक जिलों की भरपूर यात्राएँ वे किया करते थे। कारण होता था समाज के प्रत्येक आम-ओ-खास को अग्रसेन जयंती उत्सव हेतु प्रेरित करना। इसके पीछे उनका मानना था कि भागीदारी से ही समाज एकजुट होता है। कालांतर में वे इस बात से प्रसन्न होते थे कि जो बिरवा कभी अपने साथियों के साथ उस काल में रोपा था वह आज आदर्श और अनुकरणीय ऊंचाईयाँ छू रहा है। नए लोगों को यह तथ्य पता न होगा कि विवाह के तुरंत बाद पैतृक ग्राम टीबाबसई ( राजस्थान ) से उन्हें रायपुर आने का अवसर मिला। सन् 1951 का साल था वह और देश आजाद हुए 3 साल ही बीते थे। जब आए तो रामसागरपारा में ही अपने व्यवसायिक स्वप्न पूरा करने में जुट गए। सामाजिक गतिविधियों से उनका जुड़ाव शुरू हुआ सन् 1969 के दौरान।
"समाज बिखरा और बेतरतीब क्यों है?"
यह सवाल उन्हें चुभता जाता था। हालांकि सन् 1961 से ही उनकी दिलचस्पी सामाजिक मामलों को लेकर जाग गई थी। स्व. बिशम्भर दयाल अग्रवाल, स्व. महावीर प्रसाद अग्रवाल आदि उस दौर के वे बड़े नाम थे जिनके साथ काम करने का सिलसिला शुरू हुआ। नौजवान होते हुए भी उनके इरादों में छिपी समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तड़फ उभरने लगी थी। उस दौर में रायपुर शहर में आयोजित एक बड़ा परिचय सम्मेलन समाज सेवा की ओर खुलने वाला उनका पहला बड़ा क़दम था। तब समाज के भीतर इस बात को ठीक तरह से बिठाना कि "सामूहिक विवाह में ही भला है!" एक कठिन काम था। इसी प्रकार मितव्ययिता के लिए उस दौर में प्रेरित करना भी कितना मुश्किल रहा होगा समझना आसान है।
उनकी कामयाबी और सफलता का असर उनके समूचे खानदान और तीसरी , चौथी पीढ़ी तक फैला हुआ दिखाई देता है। लेकिन पीछे मुड़कर देखा जाए तो उनकी संघर्घ गाथा अपने आप में एक मिसाल बनकर सामने आती है।
वे समाज में अनेक अनेक पदों पर वे रहे। जैसे- मध्यप्रदेश अग्रवाल सभा का उपाध्यक्ष पद 1991 से 2003 तक और अग्रवाल सभा में अध्यक्ष दायित्व उन्होंने 4 बार उठाया। तीन मर्तबा तो सर्वसम्मति से उनका नाम तय हुआ और एक मर्तबा लोकतांत्रिक ढंग से यानी जीतकर आये। उस चुनाव को पुराने हमराही आज भी रामजीलाल अग्रवाल के जीवन के दुर्लभतम उदाहरणों में रखकर याद करते हैं। कारण था "हारा हुआ प्रतिद्धदी भी अपना ही भाई है!" यह सोचकर उसे तत्काल रामजीलाल जी ने गले से लगाकर संदेश दिया कि समाज को बिखरने से बचाये रखना है।
महावीर गौशाला के साथ तो उनका नाता रहा। सन् 1967 से गौशाला जाने का प्रारंभ किया। गौशाला का दायित्व अध्यक्ष के रूप में सन् 1988 से संभालना आरंभ किया। बाद में अनेक साल उन्हें यह जिम्मेदारी उठानी पड़ी। गौ सुरक्षा की दृष्टि से भी उनका कार्यकाल बहुतेरी योजनाओं के लिए लोकप्रिय रहा। मसलन शेड, पानी और हरा चारा की भरपूर व्यवस्था। गौशाला में आम भागीदारी बढ़े इस दिशा में सोचने वाले भी वे ही कहलाए। यदि सामाजिक जिम्मेदारियों की ही बात की जाए तो अग्रवाल सभा रायपुर में संरक्षक, छत्तीसगढ़ प्रदेश अग्रवाल महासभा में अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ प्रदेश अग्रवाल सम्मेलन में सलाहकार की हैसियत से भी काम किया, करवाया। पदों को लेकर उनका अपना दृष्टिकोण भी उनकी खुली दृष्टि को बयान करता था जैसे कि प्रायः कहते थे कि "अध्यक्ष जैसे पद उनकी नजर में सिर्फ नाम के लिए होते हैं , वरना काम तो सभी को करना पड़ता है।"
उनकी लगन और क्षमता ने उन्हें और भी संस्थाओं, संस्थानों से जोड़ा। पं. र. वि. वि. शुक्ल विश्वविद्यालय , रायपुर ने उन्हें सन् 1991 में कार्यकारिणी के रूप में भी गौरवान्वित किया।
उनके जीवन का लंबा समय समाज के साथ गुजरा। लेकिन जैसे कल की बात हो। आँखों के सामने वह बीता दौर रह-रह कर घूमने लगता है। कैसे एक-एक ईंट जोड़कर समाज को मजबूत करने की कोशिश उन्होंने की थी। संगठन जैसा आधार उस समय विकसित नहीं था, लेकिन नजरें लक्ष्य पर थीं और पीछे हटना या परिस्थितियों से हार जाना मंजूर नहीं रहा। खुली आँखों से सपने देखें जो पूरे होते गये। इसे उनकी कार्यशैली ही कहें कि प्रतिष्ठा और सम्मान भी निरंतर पाया।
तत्कालीन उप राष्ट्रपति श्री भैरो सिंह शेखावत, हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री ओमप्रकाश चौटाला और गुजरात के राज्यपाल से भी सम्मानित हुए। बतौर गौ-सेवक छत्तीसगढ़ राज्य ने भी उन्हें ( राज्य अलंकरण ) सम्मानित किया।
उन्होंने अपने लम्बे अनुशासित जीवन के कुछ मूल मंत्र बना रखे थे। उस दौर में छोटे-मोटे मतभेद तो होते ही थे बावजूद मतभेदों को मनभेद नहीं बनने दिया और विरोधियों के प्रति भी स्नेह भाव रखा।
वास्तविक अर्थों में वे विशाल कुटुम्ब छोड़ गए हैं। सभी संतानें भी सफल सामाजिक, व्यवसायिक जीवन में भी व्यस्त हैं।
जीवन में अच्छा आहार, अच्छा ज्ञान, अच्छी संगत मिलें तो नौजवानों से बेहतर नजीता प्राप्त किया जा सकता है। इस ध्येय वाक्य के साथ अपने समस्त जीवनकाल में पथ प्रदर्शक की हैसियत से ऊर्जा देते रहे।
धूप-छांव से भरी हुई इस खूबसूरत, लेकिन ( उन्हीं के शब्दों को दोहराएं तो ) "श्रम से भरी हुई अपनी इस गहरी यात्रा को जब भी पीछे मुड़कर देखता था तो संतोष का यही धन मुझे अपनी जमा पूंजी नज़र आता रहा।"
- बिलासपुर जिले के ग्राम आमागोहन पहुंचकर मुख्यमंत्री ने किया ग्रामीणों से संवादसुशासन तिहार-2025 के अंतर्गत समाधान शिविर में सीएम ने लिया जायजारायपुर। छत्तीसगढ़ में विष्णु के सुशासन में संवाद और समाधान की कड़ी निरंतर रूप से चल रही है। इस सुशासन की सरकार में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित हर योजना का लाभ हितग्राही को सुनिश्चित कराने हरसंभव प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश के मुखिया श्री विष्णु देव साय की पहल पर सुशासन तिहार-2025 का आयोजन प्रदेशभर में किया जा रहा है।शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत से रूबरू होने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय स्वयं लोगों के बीच पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सुशासन तिहार-2025 के तहत आमागोहन समाधान शिविर में पहुंचे और ग्रामीणों से सीधा संवाद किया।गौरतलब है कि सुशासन तिहार-2025 के अंतर्गत तीसरे चरण में समाधान शिविर का आयोजन हो रहा है, जिसका उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की योजनाओं के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन की जानकारी लेना और स्थानीय समस्याओं का त्वरित निवारण करना है। इस कड़ी में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज बिलासपुर के कोटा विकासखंड के आमागोहन गांव पहुंचे।मुख्यमंत्री श्री साय ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार सुशासन के माध्यम से हर गांव तक विकास की किरण पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। समाधान शिविर के जरिए हम ग्रामीणों की समस्याओं को सुन रहे हैं और उनका तुरंत समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमने राज्य में सरकार बनते ही 18 लाख पीएम आवास स्वीकृत किए। हमने महतारी वंदन के तहत माताओं-बहन को आर्थिक सहायता देने का काम किया। प्रदेश में 70 लाख महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ मिल रहा है। आज महिला सशक्तीकरण का काम महतारी वंदन के माध्यम से हो रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीरामलला दर्शन योजना के जरिए प्रदेश के 22 हजार से ज्यादा लोग श्रीरामलला के दर्शन का लाभ मिल रहा है। इसके अलावा मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा दर्शन योजना के तहत देशभर के धार्मिक स्थलों में दर्शन की व्यवस्था हमने शुरू की है।मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जो सरकार अच्छा काम करती है, उसी की जनता के बीच जाने की हिम्मत होती है। हम अपने डेढ़ साल का रिपोर्ट कार्ड लेकर जा रहे हैं। अपने काम का फीडबैक ले रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई लाभार्थियों को योजनाओं के तहत प्रमाण पत्र और सहायता राशि वितरित की। इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी और बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।यह शिविर छत्तीसगढ़ सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें ग्रामीण विकास और सुशासन को प्राथमिकता दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे शिविरों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को नई गति मिलेगी और लोगों की समस्याओं का समाधान होगा।हितग्राहियों से सीएम श्री साय का सीधा संवाद :आमागोहन समाधान शिविर के दौरान सीएम श्री साय और हितग्राहियों के बीच सीधा संवाद हुआ। इस दौरान ग्रामीण महिला श्रीमती विमला साहू ने बताया कि उन्हें महतारी वंदन के तहत हर महीने एक हजार रुपए मिल रहे हैं, इस पैसे को वो अपने नातिन के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना में राशि बैंक में जमा करती हैं। ग्राम मोहली के श्री छोटेलाल बैगा ने बताया कि पहले उनका कच्चा था, जहां बारिश में पानी टपकने से लेकर जहरीले जीव जंतुओं का खतरा हमेशा बना रहता था, अब पीएम आवास बनने से जीवन आसान हुआ है, अब सिर पर छत सुनिश्चित हो गया है। श्रीमती दिलेश्वरी खुसरो ने बताया घर में दो लोगों का आयुष्मान कार्ड बनने से अब उन्हें बीमार होने की स्थिति में किसी तरह की चिंता नहीं रही।मुख्यमंत्री ने जनहित में घोषणाएं कीमुख्यमंत्री श्री साय ने आमागोहान में समाधान शिविर में बेलगहना में कॉलेज शुरू करने की घोषणा की। वहीं क्षेत्र की आवश्यकता को देखते हुए कहा कि आमागोहन में 32 केवी का विद्युत सब स्टेशन स्थापित किया जाएगा। जनसुविधा को ध्यान में रखते हुए आमागोहन में एक सामुदायिक भवन की घोषणा की गई।मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों संग किया भोजन :मुख्यमंत्री ग्रामीणों के साथ बैठकर भोजन किया। मुख्यमंत्री ने स्वयं ग्रामीणों के साथ भोजन करने की मंशा जताई। मुख्यमंत्री के साथ अनीता ध्रुव, कलेशिया बाई, विमला पुरी, छोटेलाल बैगा, दिलेश्वरी खुसरो और अन्य ग्रामीणों के साथ भोजन किया।मुखिया को हाथों से बनाया स्कैच किया भेंट :एमएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रहे 24 वर्षीय देव सिंह खुसरो ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को अपने हाथों से बनाया गया पेंसिल स्कैच भेंट किया और कहा कि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय किसान कल्याण की दिशा में बहुत बेहतर काम कर रहे हैं, जिसके लिए उनके परिवार, गांव के लोगों समेत किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है।इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी. दयानंद सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।एक नज़र में आमागोहन :उल्लेखनीय है कि आमागोहन एक आदिवासी बाहुल्य गांव है। 2073 की आबादी वाले आमागोहन में 567 परिवार निवासरत हैं। चार आंगनबाड़ी के साथ ही गांव में दो प्राथमिक शाला, दो पूर्व माध्यमिक शाला, एक हाईस्कूल, एक हायर सेकेंडरी स्कूल और एक हॉस्टल संचालित है।आमागोहन ग्राम पंचायत में निवासरत परिवार विभिन्न शासकीय योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं। इसमें से सभी 567 निवासरत परिवार के पास राशनकार्ड हैं, जिनमें से 132 परिवार बीपीएल, 114 एपीएल एवं 321 परिवार अंत्योदय राशनकार्डधारी हैं। आवास योजना के कुल 134 हितग्राही परिवार हैं। वहीं उज्ज्वला योजना का लाभ लेने वाले 114 परिवार हैं। 185 हितग्राहियों को विभिन्न पेंशन योजनाओं का लाभ मिल रहा है। बिहान योजना से 20 लाभान्वित हैं। ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन से 210 स्वीकृत शौचालय हैं। महतारी वंदन योजना का 384 माता-बहनों को मिल रहा है। गांव में 1179 आयुष्मान कार्डधारी हैं।
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-लघु कथा
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
दादी हमेशा तारा की माँ को ताना मारती रहती ..पता नहीं इसकी गोद में बेटा कब खेलेगा और मैं भी अपने कुल दीपक को देख सकूँगी । दो-दो बेटियाँ हो गईं , बहू अब मुझे पोते का मुँह दिखा दे तो मेरा जीवन सफल हो जाए । बेटे के हाथ से अग्नि मिलती है तो सीधे परम धाम की प्राप्ति होती है , मोक्ष मिलता है मोक्ष । बेटियाँ तो पराया धन हैं ,अपने घर चली जायेगी बेटा ही तारेगा सारे कुल को । किसी वेदमंत्र की तरह उनकी बातें शुरू होतीं तो रुकने का नाम न लेतीं ।
तारा को दादी पर बहुत गुस्सा आता, माँ भी किस मिट्टी की बनीं थीं ,चुपचाप उनकी बातें सुनती रहतीं । कोई जवाब भी न देतीं ,पता नहीं वह उन्हें कुछ कहतीं क्यों नहीं । तारा कई बार उन्हें जीभ निकाल कर चिढ़ा भी दिया करती । उसकी छोटी बहन सलोनी तो उनकी शक्ल से नफरत करती थी । जब से पैदा हुए हैं ,यह तो हमें बस कोसा ही करतीं हैं । कभी प्यार भी नहीं करती । बेटा, बेटा ..मम्मी आज दादी की सब्जी में खूब सारी मिर्ची डाल दो वह कहती तो मम्मी पहले खूब हँसती फिर हमें बहुत प्यार से समझातीं--बेटा वह पहले जमाने की हैं ,जैसा उन्होंने सुना है वही बोलती हैं । मेरी तुम्हारी तरह पढ़ी-लिखी होतीं तो ऐसी बातें थोड़ी ही कहतीं । आजकल बेटा-बेटी दोनों को पढ़ने , आगे बढ़ने के समान अवसर मिलते हैं , यह वह नहीं जानतीं । तुम लोग बड़ी होकर उन्हें समझाना , तुम जब डॉक्टर बनकर उनका इलाज करोगी न तो वह जान जाएँगी कि वह कितना गलत सोचतीं थीं बेटियों के बारे में । माँ की यह समझाईश कुछ दिन ही उनके मस्तिष्क में रहती और दादी को माफ कर देते पर दो-चार दिनों के बाद फिर दादी पोती का खामोश युद्ध आरंभ हो जाता । उनके कपड़े छुपा देना , खाने-पीने की चीजों को खराब कर देना , पूजा करते समय उनका चश्मा गायब कर देना ये उनके विरोध जताने के तरीके थे । बरसों तक दादी मम्मी-पापा से बेटे के लिए मिन्नतें करती रहीं फिर पता नहीं इसी में ईश्वर की मर्जी सोचकर चुप्पी साध ली । मम्मी-पापा के लिए बेटियाँ सीप के मोती की तरह अनमोल थीं , उन्होंने उनके लिए सुख-साधन जुटाने में कोई कमी नहीं रखी और तारा ने डॉक्टर , सलोनी ने इंजीनियर बनकर उनका सपना पूरा किया । दादी के देखते -देखते ही जमाना बदला , उन्होंने यह बदलाव देखा कि बेटे वाले उनके होते हुए भी वृद्धाश्रम पहुँचे और जिनकी सिर्फ बेटियाँ थीं उन्होंने अपने माता-पिता की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी ली । भोली-भाली दादी के लिए यह एक अलग तरह की दुनिया थी जिसके बारे में उन्होंने न कहीं पढ़ा न सुना था ।
कोरोना की दूसरी लहर में हजारों ,लाखों मौतें हुईं । लॉक डाउन रहने के कारण लोग दूर-दूर फँसे रहे । कई पिताओं ने अस्पताल में दम तोड़ दिया ,उनके स्वजन उनके अंतिम दर्शन तक नहीं कर सके । बेटे के हाथों अग्नि-संस्कार की साध लिए दादी भी परम धाम को चली गईं । पापा को भी कोरोना हुआ था ,वे स्वयं आइसोलेशन में थे । पर हाँ ,जिस पोती को वे जीवन भर कोसती रहीं उसी ने पी.पी.ई.किट पहने उनकी सेवा की और उन्हे मुखाग्नि भी प्रदान की । पता नहीं दादी को मोक्ष मिला या नहीं पर जाने से पहले उनके मुख पर सन्तुष्टि भरी और शांत -सी मुस्कान की झलक तारा ने अवश्य देखी थी । - आलेख- सी.पी.एस बख्शी, संयुक्त सचिव, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारत सरकारभारत सरकार ने हाल के वर्षों में समावेशी शासन पर अत्यधिक बल दिया है। एक ऐसा शासन, जो भूगोल, पृष्ठभूमि या विश्वास की परवाह किए बिना हर नागरिक तक पहुंचता हो। यह बात वार्षिक हज यात्रा के संचालन में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। एक नियमित प्रशासनिक क्रियाकलाप से दूर, यह एक विशाल मानवीय, कूटनीतिक और तार्किक संचालन है, जो अनेक राष्ट्रों और संस्कृतियों तक फैला हुआ है। सबका साथ, सबका विकास के लोकाचार से प्रेरित होकर सरकार ने हज प्रबंधन को 21वीं सदी की सेवा वितरण के मॉडल के रूप में परिणत कर दिया है।भारत से हर साल लगभग 1.75 लाख तीर्थयात्री पवित्र हज यात्रा पर जाते हैं। सऊदी अरब साम्राज्य (केएसए) के साथ घनिष्ठ समन्वय में, भारतीय हज समिति के माध्यम से चार महीने तक चलने वाले इतने व्यापक और संवेदनशील ऑपरेशन का प्रबंधन करना राष्ट्रीय समन्वय, कूटनीति और सेवा का एक महत्वपूर्ण नमूना है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि यह आध्यात्मिक यात्रा निर्बाध होने के साथ-साथ गरिमापूर्ण, समावेशी और तकनीकी रूप से सशक्त भी हो। बिना किसी पक्षपात के सभी समुदायों की सेवा करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ, सरकार हज के अनुभव को विदेशों में अब तक किए गए सबसे उन्नत सार्वजनिक सेवा संचालन में से एक के रूप में परिणत कर रही है।हज सुविधा ऐप को भारत सरकार ने 2024 में लॉन्च किया था। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों के अनुभव को सरल और बेहतर बनाना था। इसके माध्यम से प्रत्येक तीर्थयात्री से जुड़े राज्य हज निरीक्षकों के विवरण के साथ-साथ निकटतम स्वास्थ्य सेवा और परिवहन सुविधाओं सहित आवास, परिवहन और उड़ान संबंधी विवरण जैसी सूचनाओं तक तत्काल पहुंच कायम करना संभव हो रहा है। यह ऐप शिकायत प्रस्तुत करने, उसकी ट्रैकिंग करने, बैगेज ट्रैकिंग, आपातकालीन एसओएस सुविधाएं, आध्यात्मिक सामग्री और तत्काल सूचनाएं प्राप्त करने में भी सक्षम बनाता है। पिछले साल 67,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने ऐप इंस्टॉल किया था, जो स्वीकृति की उच्च दर का संकेत देता है। केएसए में भारत सरकार द्वारा हाजियों के लिए स्थापित प्रशासनिक ढांचे द्वारा 8000 से अधिक शिकायतें और 2000 से अधिक एसओएस उठाए गए और उनका जवाब दिया गया।ऐप की फीडबैक-संचालित डिजाइन तीर्थयात्रा की पूरी अवधि के दौरान निरंतर सुधार की सुविधा देती है। हज-2024 के दौरान ऐप से प्राप्त जानकारी ने 2025 के लिए हज नीति और दिशानिर्देश तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में काम किया। ये डेटा-समर्थित निर्णय भारत सरकार के अपने नागरिकों के लिए उत्तरदायी शासन के मॉडल का उदाहरण हैं। 2024 में इस सफलता को आगे बढ़ाते हुए, सरकार ने अब हज सुविधा ऐप 2.0 लॉन्च किया है। यह हज के पूरे दायरे को कवर करता है और तीर्थयात्रियों के लिए वास्तव में एंड-टू-एंड डिजिटल समाधान तैयार करता है।हज 2.0 में हज यात्रियों के डिजिटल आवेदन, चयन (कुर्रा), प्रतीक्षा सूची का प्रकाशन, भुगतान एकीकरण, अदाही कूपन जारी करने और रद्दीकरण तथा धन वापसी की प्रक्रियाओं से लेकर हज की पूरी प्रक्रिया शामिल है। अपडेट किया गया ऐप बैंकिंग नेटवर्क के साथ सहज एकीकरण प्रदान करता है, जिससे तीर्थयात्री यूपीआई, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से भुगतान कर सकते हैं। यात्रा के दौरान सुविधा के लिए तत्काल उड़ान संबंधी सूची और इलेक्ट्रॉनिक बोर्डिंग पास भी प्रदान किए जाते हैं। ऐप को पेडोमीटर सुविधा के साथ संवर्धित किया गया है। इसका उद्देश्य तीर्थयात्रियों में पैदल चलने की आदत डालना है, ताकि उनमें आगे की कठिन यात्रा के लिए आवश्यक सहनशक्ति विकसित हो सके। तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए तत्काल मौसम के अपडेट भी जोड़े गए हैं, ताकि तीर्थयात्रियों को जलवायु संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिल सके और साथ ही उन्हें स्वस्थ और हाइड्रेटेड रखा जा सके।भारतीय हज चिकित्सा दल को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और यह मक्का एवं मदीना में हज के दौरान स्थापित क्षेत्रीय अस्पतालों तथा औषधालयों के नेटवर्क के माध्यम से तीर्थयात्रियों को विश्व स्तरीय चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है। एम्बुलेंस का एक नेटवर्क आपातकालीन चिकित्सा सहायता प्रदान करता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के ई-हेल्थ कार्ड और ई-हॉस्पिटल मॉड्यूल को इस वर्ष ऐप के साथ जोड़ दिया गया है। इसका लक्ष्य तीर्थयात्रियों के लिए निर्बाध प्रवेश और उपचार सुनिश्चित करना है। इससे डॉक्टरों को उपचार के लिए उपलब्ध डेटा की गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी और हज 2025 के लिए तीर्थयात्रियों को समुचित चिकित्सा सेवा प्रदान की जाएगी। ऐप की बहुविध सराहनीय लगेज ट्रैकिंग प्रणाली को आरएफआईडी आधारित टैगिंग के साथ और उन्नत किया गया है। यह गुम हुए सामान को ट्रैक करने की प्रक्रिया को सरल बनाएगा और उच्चतम स्तर की सेवा सुनिश्चित करेगा।मीना, अराफात और मुजदलिफा सहित माशाएर क्षेत्र की डिजिटल मैपिंग द्वारा हज अनुष्ठानों के नेविगेशन को बदल दिया गया है। तीर्थयात्रियों को उनके गंतव्य तक मार्गदर्शन करने और रेगिस्तान की अत्यधिक गर्मी में खो जाने के जोखिम को कम करने के लिए शिविर स्थलों की पहचान की जाती है और मानचित्र पर ट्रैक किया जाता है। नमाज अलार्म, किबला कम्पास और अस्पतालों, बस स्टॉप, सेवा केंद्रों और भारतीय मिशन कार्यालयों की स्थान-आधारित मैपिंग जैसी सुविधाएं तीर्थयात्रियों के समग्र अनुभव और सुविधा को काफी समृद्ध करती हैं।एआई द्वारा संचालित एक चैटबॉट को डिजिटल पर्सनल असिस्टेंट के रूप में शामिल किया गया है। यह चैटबॉट संवादात्मक लहजे में नियमित प्रश्नों का उत्तर देने, तत्काल सहायता और सलाह प्रदान करने के लिए है। सुविधाओं का यह समग्र सेट सरकार की मंशा का संकेत है कि वह न केवल सेवा वितरण के साधन के रूप में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना चाहती है, बल्कि एक ऐसे उपकरण के रूप में भी है जो आध्यात्मिक पथ पर चलने वालों सहित सभी के लिए सम्मान, सुविधा और सक्षमता को सशक्त बनाता है।हज सुविधा ऐप 2.0 भारत के डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर में अग्रणी है और यह भारत सरकार के इस दृष्टिकोण का प्रमाण है कि शासन प्रत्येक नागरिक तक सार्थक तरीके से पहुंचे। प्रौद्योगिकी की शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, भारत तीर्थयात्रियों के प्रबंधन के लिए नए अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित कर रहा है, जिससे अपने नागरिकों को निर्बाध, सुरक्षित और आध्यात्मिक रूप से बेहतर अनुभव मिल रहा है।(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी हैं)
- आलेख- श्री अश्विनी वैष्णव,केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण और प्रौद्योगिकी तंत्रज्ञान मंत्रीपहलगाम में हुआ नरसंहार केवल निर्दोष लोगों के जीवन पर हमला नहीं था- यह भारत की अंतरात्मा पर भी किया गया आक्रमण था। इसके प्रत्युत्तर में भारत ने आतंकवाद-रोधी कार्रवाई की नियम पुस्तिका के पुनर्लेखन का निर्णय लिया। ऑपरेशन सिंदूर राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों की रक्षा के लिए मोदी सरकार की न बर्दाश्त करने और कोई समझौता नहीं करने की नीति यानी मोदी सिद्धांत की सबसे स्पष्ट अभिव्यक्ति है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संबोधन में आतंकवाद से निपटने के लिए अपने इस सिद्धांत की रूपरेखा प्रस्तुत की। हाल की घटनाओं के आधार पर निर्मित यह सिद्धांत आतंकवाद और बाहरी खतरों पर भारत की प्रतिक्रिया के लिए निर्णायक तौर-तरीके निर्धारित करता है।प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि सिंधु जल संधि को निलंबित करने से लेकर आतंकी शिविरों पर सैन्य प्रहार शुरू करने तक का हर कदम सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध और समयबद्ध तरीके से उठाया जाए और संचालित हो। इस संदर्भ में सरकार ने उत्तेजना में कार्रवाई करने के बजाय रणनीतिक रूप से कार्रवाई के रास्ते को चुना। इससे पाकिस्तान और आतंकी समूह भारत की प्रतिक्रिया का अनुमान नहीं लगा सके। साथ ही, ऑपरेशन सिंदूर को आश्चर्यजनक तरीके से, सटीकता और पूर्ण प्रभाव के साथ अंजाम देना भी सुनिश्चित हो सका।नई सामान्य स्थिति है ऑपरेशन सिंदूरप्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि "ऑपरेशन सिंदूर अब आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत की औपचारिक नीति को व्यक्त करता है। यह भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण में निर्णायक बदलाव का प्रतीक है।" उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने आतंकवाद-रोधी उपायों का नया मानक स्थापित किया है जो नई सामान्य स्थिति को प्रकट करता है।प्रधानमंत्री ने संबोधन में यह भी कहा कि, “ऑपरेशन सिंदूर केवल एक नाम नहीं है, बल्कि यह देश के लाखों लोगों की भावनाओं का प्रतिबिंब है।” इसके माध्यम से दुनिया को भारत की ओर से यह संदेश दिया गया है कि बर्बरता का सामना संतुलित और सटीक बल प्रयोग से किया जाएगा। आतंकवाद के साथ पड़ोसी देश की सांठ-गांठ अब कूटनीतिक आवरण या परमाणु हथियारों की धमकियों से जुड़ी बयानबाजी के पीछे नहीं छिप सकेगी।मोदी सिद्धांत के तीन स्तंभइस सिद्धांत के पहले प्रमुख स्तंभ में आतंकवादी घटनाओं का भारत की शर्तों पर निर्णायक उत्तर निहित है- भारत पर किसी भी आतंकवादी हमले का भारत की शर्तों पर ही करारा जवाब दिया जाएगा। देश आतंकवाद की जड़ों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि इसकी साजिश रचने वाले और प्रायोजक अपनी करनी का फल अवश्य भुगतें।इस सिद्धांत का दूसरा स्तंभ परमाणु हथियारों की धमकी देकर डराए जाने के प्रयासों के प्रति शून्य सहनशीलता है। इसका अर्थ है- भारत परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकियों या दबाव के आगे बिल्कुल नहीं झुकेगा। इसमें इस बात पर भी बल दिया गया है कि परमाणु हथियारों को ढाल बनाकर आतंकवाद का बचाव करने के किसी भी प्रयास का सटीक और निर्णायक कार्रवाई से जवाब दिया जाएगा।इस सिद्धांत का तीसरा स्तंभ यह स्पष्ट करता है कि आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के बीच कोई अंतर नहीं है। ऐसी किसी भी घटना के संबंध में भारत न केवल आतंकवादियों को बल्कि उनके समर्थकों- दोनों को उत्तरदायी ठहराएगा। सिद्धांत में यह स्पष्ट किया गया है कि आतंकवादियों को शरण देने वालों, उन्हें धन देने या उनके लिए धन की व्यवस्था करने वालों या आतंकवाद का समर्थन करने वालों को भी उनके समान ही परिणाम भुगतने पड़ेंगे।प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को वैश्विक संदर्भ में प्रस्तुत किया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने और उनको बढ़ावा देने वाले राष्ट्र अंततः अपना विनाश स्वयं कर लेंगे। उन्होंने उनसे आग्रह किया है कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, वे अपने आतंकवादी ढांचे को नष्ट कर दें। श्री मोदी ने कहा कि नया सिद्धांत राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत के दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है और आतंकवाद के विरुद्ध ठोस एवं दृढ़ रुख की नज़ीर पेश करता है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करेगी कि भारत की संप्रभुता से कोई समझौता न हो।आतंकवाद को लेकर अब रुख पहले जैसा नहीं होगायह पहली बार नहीं है जब भारत ने स्पष्ट रूप से साहस के साथ कार्रवाई की है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने 2016 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर बालाकोट और अब ऑपरेशन सिंदूर तक भारत की शर्तों पर आतंकवाद के विरुद्ध त्वरित और निर्णायक कार्रवाई का स्पष्ट सिद्धांत बनाया है। इसमें प्रत्येक कदम ने नया मानदंड निर्मित किया है और उकसाए जाने पर सटीकता के साथ कार्रवाई करने के भारत के संकल्प को प्रदर्शित किया है।इस बार भारत का संदेश स्पष्ट है - आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते। अटारी-वाघा सीमा बंद कर दी गई है। द्विपक्षीय व्यापार निलंबित कर दिया गया है। वीजा रद्द कर दिए गए हैं। सिंधु जल संधि को रोक दिया गया है। प्रधानमंत्री के शब्दों में, "पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।" आतंकवाद का समर्थन करना आर्थिक और कूटनीतिक रूप से महंगा पड़ेगा, यह अब वास्तविकता है और इसमें वृद्धि हो रही है।इतिहास याद रखेगा, पहलगाम में भारत की प्रतिक्रिया संयमित और नियमानुकूल रही है। आतंकवाद के विरुद्ध हमारी प्रतिक्रिया याद रखी जाएगी। इसके विरुद्ध भारत ने मजबूती से खड़े होकर एक सुर में बात की और एकता की शक्ति से आक्रमण किया। ऑपरेशन सिंदूर अंत नहीं है - यह स्पष्टता, साहस और आतंकवाद से निपटने के लिए हमारे संकल्प के एक नए युग का आरंभ है।
- दोहे-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)सिक्के के पहलू सरिस, सूरज बदले रूप।ग्रीष्म तपे अंगार सम, शीत सुहावन धूप।।सहमे दुबके हैं खड़े, भूख-प्यास की मार ।धूप झाँझ के सामने, जीव सभी लाचार।।मजबूरी की आग में, सपने सारे राख ।तपतीं इधर जरूरतें, उधर तपे बैसाख ।।सत्य धार तलवार की, हाथ बचाए मूठ ।तीखे तेवर सत्य के, बगल झाँकता झूठ।।ग्रीष्म-दरोगा है खड़ा,मूँछों पर दे ताव ।राही को फटकारता, दे पैरों को घाव।।
- -लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)मात सम नहीं पावन दूजा ।माँ की सब करते हैं पूजा ।।माँ बिन घर सूना हो जाता ।माँ से घर में सब सुख आता ।।माँ सब कुछ संभव कर जाती ।माँ से ही सब खुशियाँ आती ।।माँ निज सुत पर वारी जाती ।चाहत उसकी मारी जाती ।।निज दुख सबसे मात छुपाती ।मन की बात दबी रह जाती ।।गाँठ यही तन- मन को खाती ।पीर हृदय का रोग लगाती ।।आदर ममता देना सीखो ।माँ की पीड़ा हरना सीखो ।।जीवनपथ में साथ निभाना ।चाहत पूरी करते जाना ।।मंदिर की मूरत के जैसी ।माँ होती है पावन वैसी ।।पूजन व्रत सब उनसे होते ।देव-मनुज पद उनके धोते ।।
- -लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)स्कूल का वह प्रांगण सुहाना।यादों का अनमोल खजाना।।खेल पढ़ाई सखी सहेली,ख्वाबों में सितारे सजाना।।प्रथम बेंच से अंतिम कोना,रहस्यों की लड़ियाँ पिरोना।अंतिम पन्ना बना डाकिया,लिख-लिख करते रोना-धोना।बीच पढ़ाई चुपके-चुपके,मित्रों की उलझन सुलझाना।।यादों का अनमोल खजाना।।शशि मैडम की सुंदर आँखें,चंचल मन को देतीं पाँखें।अँकुराते थे सपन-सलोने,फली बढ़ी यौवन की शाखें।।सुखद कल्पनाओं ने सीखा,उम्मीदों के पंख लगाना।।यादों का अनमोल खजाना।।आगे बढ़ने की अभिलाषा,पढ़े मित्रता की परिभाषा।झूठ-मूठ की रूठारूठी,मौन मुखर जीवन प्रत्याशा।चाक श्यामपट की लिखावटें,जैसी कड़वाहटें मिटाना।।यादों का अनमोल खजाना।।---शासकीय कन्या स्कूल बेमेतरा, बैच-1988 से 2003.... वो दिन भी क्या दिन थे...
- -लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)स्वर्ण मृगा मन को भटकाए, समझा देना यह है छल।जब भी मैं कमजोर पड़ूँ प्रिय, बन जाना मेरा संबल।हृदय सुकोमल करुण भावना,दिशा भ्रमित होतीं आँखें।मन में सोयी दबी चाहतें, फैला देती हैं पाँखें।कभी-कभी संयम खो देता,चितवन है थोड़ी चंचल ।।जब भी मैं….पक्षपात से दुखता है मन, अन्याय साथ में हो जब।बेलगाम हो जाती रसना, उगल पड़े कड़ुवाहट तब।कलुषित सोच नहीं रखती पर, मन है मेरा गंगाजल।।जब भी…साहचर्य विश्वास भरा दिन, प्रीति पगी हों शुचि रातें।आँखों की पीड़ा पढ़ लें, समझ सकें मन की बातें।साथ चलें हम हँसते गाते, सुखद सुनहरा होगा कल।।जब भी मैं…
- ▪ नसीम अहमद खान, उप संचालक, जनसंपर्कमुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में चल रहा सुशासन तिहार जनता की समस्याओं के त्वरित निराकरण और शासकीय योजनाओं के लाभ को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का एक प्रभावी माध्यम बन रहा है। 8 अप्रैल से 31 मई 2025 तक तीन चरणों में आयोजित यह अभियान पारदर्शिता, जवाबदेही और जनसंवाद को बढ़ावा दे रहा है, जिसका उद्देश्य शासन को जन-केंद्रित बनाना, जन सरोकार, जन विश्वास को मजबूत करना और विकास कार्यों की जमीनी हकीकत का मूल्यांकन करना है।पहले चरण में जनता जनार्दन से उनकी समस्याओं और मांगों के संबंध में 8 से 11 अप्रैल तक समाधान पेटी, ऑनलाइन पोर्टल और शिविर के माध्यम से आवेदन एकत्र प्राप्त किये गए। सुशासन तिहार के पहले चरण में मिले 40 लाख 94 हजार 495 आवेदनों का तेजी से निराकरण किया जा रहा है, जिसमें मांग से संबंधित 40 लाख 12 हजार 746 आवेदन और शिकायत से संबंधित मात्र 81 हजार 749 आवेदन शामिल हैं। द्वितीय चरण में इन आवेदनों का जिला प्रशासन द्वारा तत्परता से निराकरण किया जा रहा है, जबकि तृतीय चरण में 5 से 31 मई तक समाधान शिविरों में मुख्यमंत्री, मंत्री और जनप्रतिनिधि जनता से रूबरू होंगे। यह अभियान न केवल समस्याओं का समाधान कर रहा है, बल्कि राज्य के मैदानी इलाके से लेकर बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी जनता का विश्वास जीत रहा है।इस अभियान का उद्देश्य स्पष्ट और व्यापक हैं। जनता की शिकायतों का समयबद्ध निराकरण, शासकीय योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन, प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही स्थापित करना और जनता-शासन के बीच संवाद का सेतु बनाना। विशेष रूप से सुकमा, बीजापुर नारायणपुर, दंतेवाड़ा जिले के सुदूर क्षेत्रों में, जहां प्रशासन की पहुंच सीमित थी, यह अभियान जनता की आवाज को न केवल सुन रहा है, बल्कि त्वरित कार्रवाई के माध्यम से उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहा है।नारायणपुर के मुरियापारा में जीवन राम साहू की मांग पर वहां का वार्ड क्रमांक 10 स्ट्रीट लाइट्स से जगमगाने लगा है, जिससे रात में सुरक्षा और सुविधा बढ़ी है। बिलासपुर के कोटा ब्लॉक में मंगल सिंह बैगा को 24 घंटे में ट्राइसाइकिल मिली और दिव्यांग पेंशन की पात्रता सुनिश्चित हुई है। मोहला-मानपुर चौकी जिले केे तेलीटोला में जर्जर स्कूल भवन के लिए 15 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं। मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर की निर्मला जोगी को राशन कार्ड मिला, जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। बस्तर के शम्भूनाथ कश्यप के राशन कार्ड में एक सप्ताह में पत्नी और बेटे का नाम जोड़ा गया, जिससे उनके परिवार को राशन की पूरी सुविधा मिल गई है।सुशासन तिहार के सकारात्मक परिणाम समाज के हर वर्ग तक पहुंच रहा है। यह अभियान न केवल व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान कर रहा है, बल्कि सामुदायिक विकास को भी गति दे रहा है। राज्य के मैदानी इलाकों से लेकर बस्तर जैसे क्षेत्रों में फौती नामांतरण, निःशक्तजनों ट्राइसायकिल, पात्र लोगों को जॉब कार्ड, श्रमिक कार्ड, राशन कार्ड और आयुष्मान कार्ड जैसे दस्तावेजों का वितरण इस बात का प्रतीक है कि सरकार प्रत्येक पात्र हितग्राही को शासकीय योजनाओं और कार्यक्रमों से लाभान्वित करने के लिए संकल्पित है। यह अभियान प्रशासन की तत्परता और संवेदनशीलता का प्रतीक है, जिसने जनता में यह विश्वास जगाया है कि उनकी छोटी-बड़ी हर मांग सुनी जाएगी। जनता में उत्साह है, खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, जहां समाधान पेटी ने ग्रामीणों की आवाज को प्रशासन तक पहुंचाया है। जनता की प्रतिक्रिया कि हमारी समस्याएं सुनी गईं, इसकी सफलता को रेखांकित करती हैं। सुशासन तिहार वास्तव में छत्तीसगढ़ के विकास, जन सरोकार और जनकल्याण का नया आयाम स्थापित कर रहा है।
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- 1 मई अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर विशेष
विशेष लेख- छगन लोन्हारे, उप संचालक , (जनसंपर्क)मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा श्रमिकों एवं उनके परिजनों की बेहतरी के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं के माध्यम से श्रमिकों की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए लगातार आर्थिक मदद दी जा रही है। श्रम विभाग के तीनों मंडल - छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल, छ.ग. असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल एवं छ.ग. श्रम कल्याण मंडल के माध्यम से योजनाओं का सफल क्रियान्वयन हो रहा है। इसी का परिणाम है कि बीते सवा साल में श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगभग 500 करोड़ रूपए डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में अंतरित किए जा चुके हैं।प्रदेश के श्रम मंत्री श्री लखनलाल देवांगन का कहना है कि प्रदेश में विष्णु देव सरकार के सुशासन में अब मजदूर का बच्चा मजदूर नहीं रहेगा। श्रम विभाग द्वारा श्रमिकों के हितों में अनेक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। इनमें प्रमुख रूप से मुख्यमंत्री नौनिहाल छात्रवृत्ति योजना, मिनीमाता महतारी जतन योजना, मुख्यमंत्री श्रमिक औजार किट योजना, मुख्यमंत्री नोनी बाबू मेधावी शिक्षा प्रोत्साहन योजना, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु निःशुल्क गणवेश एवं पुस्तक कॉपी हेतु सहायता राशि योजना, निर्माण श्रमिकों के बच्चों हेतु उत्कृष्ट खेल प्रोत्साहन योजना, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना, शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना संचालित की जा रही है। प्रदेश के श्रम मंत्री श्री देवांगन का कहना है कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सोच है कि हर हाथ को काम इस दिशा में प्रदेश के वाणिज्य उद्योग एवं श्रम विभाग द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। श्रम विभाग के लिए चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 255 करोड़ 31 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है।मजदूर दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है। 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस या श्रमिक दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य मजदूरों के अधिकारों, सामाजिक न्याय और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के लिए संकल्प लेना है। यह दिन श्रमिकों के योगदान को याद करने और उनके संघर्षों को सम्मानित करने के लिए भी मनाया जाता है। यह दिवस वर्ष 1886 में शिकागो के हेमार्केट स्क्वायर में मजदूरों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की याद में मनाया जाता है, जहां अनेक श्रमिकों ने 8 घंटे के कार्य दिवस की मांग की थी। सन् 1889 में, द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में घोषित किया था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य मजदूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करना, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना और बेहतर कामकाजी परिस्थितियों के लिए आवाज बुलंद करना है। भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1923 में चेन्नई (मद्रास) से हुई थी। भारतीय संविधान निर्माण सभा के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर ने श्रमिकों के काम का समय 12 घंटे से घटाकर 8 घंटे किया। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं को प्रसूति अवकाश की सुविधा उपलब्ध कराई।श्रम विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के अंतर्गत अटल श्रम सशक्तिकरण योजना के लिए वर्ष 2025-26 के बजट में 125 करोड़ 10 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। इसी तरह वर्ष 2025-26 में पंजीकृत 2 लाख 26 हजार संगठित श्रमिकों के लिए राज्य शासन के अनुदान हेतु 6 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। श्रम मंत्री श्री लखनलाल देवांगन का कहना है कि विष्णु देव सरकार की सोच है कि हर हाथ को काम मिले उसका उचित दाम मिले और हर पेट को अन्न मिले यह हमारी सरकार की आदर्श नीति है। इस नीति को क्रियान्वित करने हेतु राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री द्वारा शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना प्रदेश के सभी जिलों में प्रारंभ करने की घोषणा की गई है, जिसके परिपालन में इस वर्ष 13 जिलों में 31 भोजन केंद्र प्रारंभ किए जा चुके हैं। जिसका विस्तार चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में समस्त जिलों में किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों एवं निर्माण श्रमिकों के पंजीयन हेतु विकासखण्ड स्तर पर मोबाईल कैम्प लगाए जाने की पहल विभाग द्वारा की गई है। अब तक 4 हजार 705 मोबाईल कैम्प लगाए जा चुके हैं।औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा हेतु चालू वित्तीय वर्ष में 6 करोड़ 24 लाख 25 हजार रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। श्रम विभाग के अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं का मुख्य दायित्व श्रमिकों एवं उनके परिवार के सदस्यों को भी चिकित्सा हित लाभ उपलब्ध कराया जाता है। कर्मचारी राज्य बीमा सेवाएं के लिए 64 करोड़ 18 लाख रूपए का प्रावधान राज्य सरकार द्वारा किया गया है। - - छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं से आ रहे बदलावविशेष लेख - डॉ. दानेश्वरी सम्भाकर , सहायक संचालक (जनसंपर्क)हर वर्ष 1 मई को हम श्रमिक दिवस मनाते हैं। यह एक ऐसा दिन जो श्रमिकों के अथक परिश्रम, संघर्ष और योगदान को सम्मान देने का अवसर प्रदान करता है। छत्तीसगढ़ अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध है, राज्य की आर्थिक प्रगति में महिला श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए भी जाना जाता है।कृषि, खनन, वनों से प्राप्त उत्पादों और छोटे उद्योगों पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में महिलाएँ खेती-बाड़ी, तेंदूपत्ता संग्रहण और हस्तशिल्प निर्माण जैसे कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में निर्माण कार्य, घरेलू सेवाएँ और छोटे व्यापारों में उनकी भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। महिला श्रमिकों की भागीदारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है, विशेष रूप से असंगठित क्षेत्रों में, फिर भी उनकी मेहनत को अब भी उचित मान्यता और पारिश्रमिक नहीं मिल पाता। महिला श्रमिकों के सामने कई चुनौतियाँ हैं। जिनमें समान वेतन का अभाव, समान कार्य के बावजूद वेतन असमानता, खनन और निर्माण जैसे क्षेत्रों में असुरक्षित परिस्थितियाँ, प्रसूति लाभों और स्वास्थ्य सुविधाओं की सीमित पहुँच, कम पढ़ाई और तकनीकी प्रशिक्षण के कारण सीमित अवसर, पारंपरिक सोच और घरेलू जिम्मेदारियाँ उनकी स्वतंत्रता को सीमित करती हैं।छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में महिला श्रमिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई है। जिसमें मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण मिशन के अंतर्गत ग्रामीण और शहरी महिलाओं को स्वरोजगार और उद्यमिता के लिए विशेष सहायता दी जा रही है। नई श्रमिक नीति द्वारा असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत महिला श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी की गारंटी और कार्यस्थल पर सुरक्षा मानकों को अनिवार्य बनाया गया है। महिला शक्ति केंद्रों के विस्तार से प्रत्येक जिले में महिला शक्ति केंद्र स्थापित कर महिला श्रमिकों को कानूनी सहायता, स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देकर महिला स्वावलंबन के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। सखी वन स्टॉप सेंटर में हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए त्वरित सहायता और पुनर्वास की व्यवस्था। मनरेगा में महिलाओं के भागीदारी बढ़ाने रोजगार दिवसों में महिलाओं के न्यूनतम 50 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल शामिल हैं।छत्तीसगढ़ में महिला श्रमिकों कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें मुख्य रूप से मिनीमाता महतारी जतन योजना है, जो पंजीकृत महिला निर्माण श्रमिकों को प्रसूति सहायता प्रदान करती है।इस योजना के तहत बच्चे के जन्म के बाद पंजीकृत महिला श्रमिकों को 20 हजार की एकमुश्त राशि मिलती है। इसके अलावा राज्य सरकार विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रम और सहायता योजनाएं भी चलाती है, जो महिला श्रमिकों को सशक्त बनाने में मदद करती हैं।मुख्यमंत्री सिलाई मशीन सहायता योजना अंतर्गत 18 से 50 वर्ष आयु के बीच की पंजीकृत महिला श्रमिकों को सिलाई मशीन के लिए सहायता प्रदान की जाती है। मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर सुरक्षा उपकरण सहायता योजना में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को सुरक्षा उपकरण के लिए सहायता प्रदान करती है।छत्तीसगढ़ महिला कोष महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन करता है, जिसमें वित्तीय सहायता प्रशिक्षण और अन्य संसाधन शामिल हैं।घरेलू महिला कामगार कौशल उन्नयन एवं ठेका श्रमिक, हमाल कामगार परिवार सशक्तिकरण योजना,घरेलू महिला श्रमिकों, ठेका श्रमिकों और हमाल श्रमिकों के कौशल विकास और परिवार को सशक्त बनाने के लिए योजना है। सक्षम योजना छत्तीसगढ़ महिला कोष के तहत संचालित एक योजना है जो विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा और अविवाहित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करती है। महतारी वंदन योजना से महिलाओं को 1 हजार रूपए प्रति माह की आर्थिक सहायता प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है।छत्तीसगढ़ सरकार महिला श्रमिकों के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चला रही है, प्रशिक्षण के बाद उनके रोजगार का प्रबंध भी कर रही है, ताकि उन्हें आर्थिक मजबूती मिल सके, सरकार माताओं-बहनों तक जनहितैषी योजनाओं के शत प्रतिशत लाभ की पहुंच भी सुनिश्चित कर रही है। जबकि स्वयं सहायता समूहों के जरिए आर्थिक स्वतंत्रता और नेतृत्व क्षमता को बढ़ावा दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री साय सरकार में प्रदेश के विकास में महिला श्रमिकों के योगदान को सम्मान मिला है।
- - केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण और संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगनभारत ने सदैव कहानी कहने की कला में उत्कृष्टता हासिल की है। रामायण और महाभारत जैसे कालातीत महाकाव्यों ने पीढ़ियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। हमारी कथाएं इन गाथाओं से आगे बढ़ती हैं और सांस्कृतिक आधारशिला के रूप में कार्य करते हुए उन्हें यह आकार देती हैं कि हम दुनिया को किस तरह से देखने के साथ-साथ रचनात्मकता व्यक्त करते हुए कलाकारों एवं दूरदर्शी लोगों की पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं। कहानी कहने का यह अंतर्निहित उत्साह एक सशक्त रचनात्मक आकांक्षा के रूप में विकसित हुआ है और अब यह भारत को वैश्विक मीडिया पावरहाउस के रूप में उभरने में भी सहायता कर रहा है।1 से 4 मई 2025 तक आयोजित होने वाला प्रथम विश्व श्रव्य-दृश्य मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स) भारत को वैश्विक रचनात्मकता के केंद्र में रखता है। माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में संकल्पित, वेव्स एक परिवर्तनकारी आंदोलन है और यह मीडिया तथा मनोरंजन (एमएंडई) परिदृश्य को फिर से परिभाषित करेगा। भारत का मीडिया और मनोरंजन उद्योग 2.7 ट्रिलियन रुपये के करीब पहुंच चुका है, ऐसे में वेव्स 2025 रचनात्मकता, नवाचार और उद्यमिता में अग्रणी होने के हमारे संकल्प का संकेत देता है।भारत का विषय निर्माण परिदृश्य अब पारंपरिक मीडिया से एक संपन्न डिजिटल-प्रथम इकोसिस्टम में परिवर्तित हो चुका है। इसके साथ-साथ अब यह स्ट्रीमिंग सेवाओं, सोशल मीडिया और उभरती प्रौद्योगिकियों के माध्यम से वैश्विक संपर्क का भी विस्तार कर रहा है। भारत में विदेशी फिल्म निर्माण के लिए प्रोत्साहन, सह-निर्माण समझौते और फिल्म सुविधा कार्यालय (एफएफओ) जैसी सरकारी पहल वैश्विक रचनाकारों के लिए पसंदीदा गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करती है।मीडिया और मनोरंजन का बदलता परिदृश्यवेव्स 2025 भारत के मीडिया और मनोरंजन उद्योग के लिए एक नए युग के शुभारंभ का प्रतिनिधित्व करता है। दुनिया भर के अभिनवकर्ताओं, नीति निर्माताओं, कलाकारों और उद्योग जगत प्रमुखों को एक साथ लाकर, शिखर सम्मेलन सहयोग के वातावरण को बढ़ावा देता है। इसके साथ-साथ यह मनोरंजन के निर्माण, वितरण और अनुभव को एक नया रूप देगा।इस परिवर्तन के केंद्र में वेवैक्स 2025 और वेव्स बाज़ार जैसी पहल हैं। वेवैक्स 2025 गेमिंग, एनिमेशन, एक्सटेंडेड रियलिटी (एक्सआर), जनरेटिव एआई और नेक्स्ट-जेन कंटेंट प्लेटफ़ॉर्म जैसी उभरती हुई तकनीकों में कार्य करने वाले स्टार्टअप को सशक्त बनाता है। यह पहल स्टार्टअप के लिए अपने विचारों को प्रदर्शित करने, मेंटरशिप हासिल करने और उद्यम पूंजीदाता और सेलिब्रिटी एंजेल निवेशकों के साथ वार्तालाप के माध्यम से सुरक्षित वित्त पोषण के लिए एक आधार तैयार करती है। दूसरी ओर, वेव्स बाजार एक गतिशील ई-मार्केटप्लेस के रूप में कार्य करता है जिसे रचनाकारों, खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ने के लिए तैयार किया गया है। 5,500 से अधिक खरीदारों, 2,000 विक्रेताओं और फिल्म, टेलीविज़न, गेमिंग, विज्ञापन के अलावा 1,000 पंजीकृत परियोजनाओं के साथ यह बाज़ार सहज सहयोग और अवसर खोज के लिए एक स्थल है। एआई-संचालित मैचमेकिंग यह सुनिश्चित करती है कि परियोजना और पेशेवरों को सही कनेक्शन, नवाचार और रचनात्मक अर्थव्यवस्था में विकास को बढ़ावा मिले। ये प्लेटफ़ॉर्म एक कार्यक्रम के संचालन से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ एक परिवर्तनकारी इकोसिस्टम हैं जो वेव्स के समापन के बाद भी मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र को प्रभावित करता रहेगा। यह भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में एक और महत्वपूर्ण उपलबिध सिद्ध होगा।युवाओं के लिए एक स्वर्णिम मंचहमारा सबसे बड़े जनसांख्यिकीय लाभ के रूप में भारत के युवा, वेव्स पहल से अत्यंत लाभान्वित होंगे। 29 वर्ष की औसत आयु के साथ, भारत न केवल दुनिया का सबसे युवा देश है बल्कि रचनात्मकता और नवाचार के मामले में सर्वाधिक जीवंत राष्ट्र भी है। वेव्स 2025 युवाओं को अपने दृष्टिकोण में अग्रणी रखने के साथ-साथ कौशल विकास, उद्यमिता और वैश्विक सहयोग के लिए मार्ग भी प्रशस्त करता है।क्रिएट इन इंडिया चैलेंज इस प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। 1,100 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागियों सहित लगभग 1,00,000 पंजीकरणों के साथ इस चुनौती ने अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने के लिए उत्सुक प्रतिभाओं के एक विविध समूह को आकर्षित किया है। क्रिएटोस्फीयर के हिस्सा के रूप में फाइनल प्रतिभागियों को उद्योग प्रमुखों से जुड़ने, मास्टरक्लास में भागीदारी करने और वैश्विक प्रदर्शन हासिल करने के शानदार अवसर प्राप्त होंगे।इसके अलावा, मुंबई में भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) की स्थापना भारत के युवाओं के भविष्य में एक महत्वपूर्ण निवेश का प्रतीक है। कौशल विकास और नवाचार के लिए उत्कृष्टता के एक वैश्विक केंद्र के रूप में, आईआईसीटी रचनात्मकता और प्रौद्योगिकी के बीच के अंतर को दूर करते हुए यह सुनिश्चित करेगा कि युवा भारतीयों के पास मीडिया और मनोरंजन उद्योग की बढ़ती मांगों को पूरा करने से जुड़ी विशेषज्ञता हासिल हो।सतत विकास के लिए वैश्विक सहयोगशिखर सम्मेलन में वैश्विक मीडिया संवाद भी शामिल होगा, जिसमें वैश्विक प्रमुखों, नीति निर्माताओं, कलाकारों और उद्योग जगत के पेशेवर एकसाथ भागीदारी करेंगे। यह संवाद केवल चर्चाओं के संदर्भ में ही नहीं है अपितु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, नैतिक कार्य प्रणालियों और नवाचार के लिए रणनीति विकसित करने से जुड़ी कार्यवाही के लिए भी है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों और उद्योग हितधारकों के साथ निर्धारित संवाद से प्रभावशाली साझेदारी शुरू होने की आशा है, जिससे आने वाले वर्षों में भारत लाभान्वित होगा।विकसित भारत के लिए दृष्टिकोणवेव्स 2025 केवल एक आयोजन नहीं है, यह विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो एक विकसित राष्ट्र के तौर पर रचनात्मकता और नवाचार में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। विविधता को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और युवाओं को सशक्त बनाने के माध्यम से, वेव्स 2025 भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था के सतत विकास में सक्षम प्रतिभा केंद्र के रूप में स्थापित करता है।वेव्स 2025 रचनात्मक उद्योग की अनंत संभावनाओं का सुदृढ़ीकरण है। यह अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा, तकनीकी कौशल और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रदर्शित करने का एक शानदार अवसर है। यह परंपरा और प्रौद्योगिकी के संगम के माध्यम से वैश्विक रचनात्मक इकोसिस्टम को फिर से परिभाषित करने के भारत के दृष्टिकोण का प्रमाण भी है।
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-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।
दीनोईमान के नाम पर, नादानों को बहकाते हो ।।
बीज नफरतों के बोते हो, मानवता चढ़ती बलि-वेदी।
छुपकर अपनों पर घात किए,लंका ढाए घर के भेदी।
बचपना छीन कर बच्चों का,असला बंदूक थमाते हो ।।
मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।।
भ्रष्टाचारी शीश उठाए, जयकार करे अन्यायी का।
न्याय धर्म के मंदिर दूषित, व्यवहार करें व्यवसायी का ।।
चरण वंदना स्वार्थ साधने,धन बल को बाप बनाते हो ।।
मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।।
हिंसा नहीं सिखाता कोई, हर धर्म सिखाता समरसता।
पहचान यही इंसानों की, सहयोग दया करुणा ममता।
जाति वर्ग में बाँट सभी को , वैमनस्यता फैलाते हो ।।
मार निहत्थे लोगों को तुम, ताकत अपनी दिखलाते हो।। - ▪️नसीम अहमद खान, उपसंचालक जनसंपर्करायपुर / मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राज्य में इन दोनों ग्रामीण विकास एवं सामाजिक सशक्तिकरण का एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार एक अभिनव अभियान मोर दुवार- साय सरकार के माध्यम से गरीब ,वंचित और आवासहीन परिवारों के यहां दस्तक देकर उन्हें सम्मान के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के घर का अधिकार देने में जुटी है।मुख्यमंत्री श्री साय ने बीते दिनों जगदलपुर प्रवास के दौरान घाटपदमपुर ग्राम से इस अभियान की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री आवास योजना का तेजी से और गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है । इस बात को मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री का पद संभालने के दूसरे दिन ही कैबिनेट की पहली बैठक में 18 लाख परिवारों को आवास की स्वीकृति प्रदान कर स्पष्ट कर दिया था। छत्तीसगढ़ सरकार इस अभियान के माध्यम से प्रत्येक पात्र परिवार को पक्का आवास देने के अपने संकल्प को पूरा कर रही है।छत्तीसगढ़ में चल रही ग्रामीण आवास क्रांति का ही यह परिणाम है कि अब गांवों में विशेषकर पिछड़े और गरीब तबके की बस्तियों में मिट्टी के जीर्णशीर्ण घरों और बांस- बल्ली के सहारे टिकी घास-फूंस की झोपड़ी की जगह अब साफ-सुथरे पक्के मकान बने हुए अथवा बनते दिखाई देने लगे हैं। राज्य के मैदानी इलाकों से लेकर सुदूर वनांचल का कोई ऐसा गांव अथवा मजरा- टोला नहीं, जहां 8-10 पक्के घर, प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए हाल- फिलहाल में न बने हों। यह योजना न केवल लाखों गरीब परिवारों को छत दे रही है, बल्कि रोजगार, व्यापार और उद्योगों को भी गति प्रदान कर रही है। इससे सीमेंट, ईट, सरिया और निर्माण सामग्री से जुड़े व्यवसाय में तेजी आयी है। यह जनकल्याण और आर्थिक विकास का एक संतुलित मॉडल है।छत्तीसगढ़ राज्य को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए कुल 11,50,315 ग्रामीण आवासों का लक्ष्य प्रदान किया गया है, जिसमें से अब तक 9,41,595 आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है। केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा छत्तीसगढ़ प्रवास दौरान राज्य को अतिरिक्त 3 लाख आवासों की स्वीकृति देने से यह प्रयास और भी व्यापक हो गया है। यह छत्तीसगढ़ के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी ग्रामीण आवासीय पहल है।राज्य सरकार समाज के सभी वर्ग के पात्र परिवारों के साथ-साथ बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया एवं बिरहोर विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवारों को प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत पक्का आवास उपलब्ध करा रही है। महासमुंद जिले के धनसुली गांव की कमार बस्ती में 15 से अधिक कमार परिवारों को पीएम जनमन योजना के अंतर्गत पक्के आवास उपलब्ध कराए गए हैं। इससे इन जनजातीय परिवारों के जीवन में स्थायित्व आया है और वे शासन की अन्य योजनाओं से भी लाभान्वित हो रहे हैं।छत्तीसगढ़ सरकार का मोर दुवार- साय सरकार अभियान 30 अप्रैल तक तीन चरणों में संचालित है, जिसमें पात्र हितग्राहियों का घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना और ग्राम सभाओं के माध्यम से सूची का वाचन और शत-प्रतिशत पात्र परिवारों का कवरेज सुनिश्चित करने के साथ ही सर्वेक्षण पूर्ण करने वाले कर्मियों का सार्वजनिक सम्मान किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री साय द्वारा गांव में जाकर सर्वेक्षण कार्य का शुभारंभ करना और हितग्राहियों से उनके बारे में जानकारी लेना इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर पूरी तरह संवेदनशील और संकल्पित है।इस अभियान को जन अभियान का स्वरूप देने के लिए जनप्रतिनिधियों, जनसेवियों और स्थानीय कलाकारों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की गई है। पीएम आवास पंचायत एम्बेसडर के रूप में नामित व्यक्तियों द्वारा भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। गृह पोर्टल के माध्यम से पारदर्शिता एवं जानकारी की सहज उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।प्रधानमंत्री आवास योजना के अतिरिक्त, राज्य में जरूरत मंद परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मुख्यमंत्री आवास योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत 47,090 आवासों के निर्माण के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 38,632 आवास स्वीकृत किए गए हैं। राज्य सरकार की विशष पहल पर आत्मसमर्पित नक्सलियों एवं नक्सल पीड़ितों परिवारों के लिए 15,000 विशेष आवास स्वीकृत हुए हैं, जिनका निर्माण कराया जा रहा है। पीएम जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवारों के लिए 42,326 आवास के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब तक 27,778 आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है, जिसमें से 6,482 आवासों का निर्माण पूरा हो चुका है। नियद-नेल्ला-नार योजना के अंतर्गत अब तक 477 आवास पूर्ण कराए गए हैं।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन बिलासपुर से 3 लाख हितग्राहियों को गृह प्रवेश कराना इस योजना की सफलता है। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा 18 लाख पात्र हितग्राहियों को आवास से वंचित रखा गया। छत्तीसगढ़ सरकार अब हर हितग्राही को उसका अधिकार दिलाने की दिशा में काम कर रही है। मोर दुवार- साय सरकार महाअभियान शासन की संवेदनशीलता, नीति की पारदर्शिता और जनता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह अभियान केवल योजना की सफलता नहीं, बल्कि एक मजबूत, सशक्त और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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गीत
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
कोलाहल से दूर कहीं चल, आलय एक बनाएँ ।
नीले छत पर टाँग सितारे, सुंदर महल सजाएँ ।।
सरिता की हो निर्मल धारा, चिड़ियों की मीठी धुन।
क्या कह गई पवन कानों में, चुपके हम लेवें सुन।
नाजुक बेलों की दीवारें, कोमल पात बिछौने।
हरियाली की चादर ओढ़े, जाएँ हम नित सोने ।
मद्धिम स्वर में लोरी गाते,मलयानिल के झोंके,
निंदिया से बोझिल पलकों को,छू शबनम सहलाएँ।।
उषा किरण आ हमें जगाती, कर स्नेहिल आलिंगन।
मधुरिम रंगोली से सज्जित, अंबर दे आमंत्रण।
नित्य दिवाकर भरे प्राण में, उम्मीदों के मोती।
स्वर्ण-पालकी अभिलाषा की, धीरज कभी न खोती।
चहकें अँगनाई में आकर, विहग-वृंद खुशियों के,
प्रीति-पताका सुखद सदन में, हम तुम मिल फहराएँ ।।
रचें रुचिर संसार स्नेह का, सुंदर सुरुचि मनोहर ।
मनभावन रमणीय दृश्य ज्यों,नीरज खिले सरोवर।
निश्छलता लेती अँगड़ाई, शुचिता गान प्रभाती।
दृग बनकर संवदिया पढ़ लें, प्रिय के मन की पाती।
अंतर्भासित प्रांजल दीपक, दिवस-निशा का सहचर,
निकल कलह तम की छाया से, सुख उज्ज्वल हम पाएँ ।। -
-सजल
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
गीत कोई नया गुनगुनाते रहें।
जिंदगी को खुशी से सजाते रहें ।।
भूलते जा रहे मूल्य को आज सब।
मार्ग सच्चा सभी को सुझाते रहें।
सामना हम करें मुश्किलों का सदा।
हार को जीत अपनी बनाते रहें।।
कुछ नया हम करें याद दुनिया रखे ।
राह आसान सबको दिखाते रहें ।।
आपदा में नहीं साथ छोड़ें कभी।
हौसला साथियों का बढ़ाते रहें।।
कोशिशें हों सुखी सब रहें आपसे।
नित्य गिरते हुए को उठाते रहें।। -
आलेख - जीएस केशरवानी
एक समय मध्यप्रदेश का हिस्सा रहे छत्तीसगढ़ को पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने नए राज्य का दर्जा दिया तब उन्होंने एक ऐसे राज्य की कल्पना की थी जहां हर व्यक्ति तक योजनाएं पहुंचे, हर स्तर पर पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन हो। उनकी इसी कल्पना को साकार करने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने राज्य के लोगों की सेवा के लिए सुशासन की स्थापना को लक्ष्य बनाया है।लोकतंत्र का सही मायने में अर्थ है पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन, इसी लक्ष्य को लेकर सत्ता में आयी विष्णुदेव साय की सरकार ने पिछले एक साल में मोदी की गारंटी को तेजी से पूरा किया है। इसके साथ ही इस सरकार ने प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए टेक्नालाजी ड्रिवन एप्रोच को अपनाया है। सुशासन की इसी अवधारणा को जमीनी धरातल में उतारने के लिए राज्य सरकार ने सुशासन तिहार शुरू किया है। लगभग दो माह में चलने वाले इस राज्यव्यापी अभियान में लोगों की समस्याओं के निराकरण के साथ ही लोगों की जनाकांक्षाओं के अनुरूप विकास कार्यों को दिशा दी जाएगी।सुशासन तिहार के इस राज्य व्यापी अभियान के पहले चरण में आम जनता से उनकी मांगों समस्याओं के संबंध में आवेदन 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक लिए जाएंगे। इसके बाद दूसरे चरण में लगभग एक माह तक आवेदनों का निराकरण होगा। तीसरे और अंतिम चरण में 5 मई से 31 मई तक समाधान शिविरों का आयोजन होगा। सुशासन तिहार में मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री और अधिकारी राज्य के विभिन्न हिस्सों में आकस्मिक निरीक्षण कर योजनाओं के क्रियान्वयन का जायजा लेंगें और जिला स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगे। इस पूरे अभियान का उद्देश्य प्रशासन को और अधिक जवादेह और पारदर्शी बनाना है।राज्य सरकार ने सत्ता में आते ही सुशासन और अभिसरण का गठन किया। इस नए विभाग के माध्यम से सभी स्तरों में पारदर्शी और जवाबदेही व्यवस्था सुनिश्चित करने के कार्य किया जा रहा है। इसी कड़ी में मंत्रीमण्डल के सभी सदस्यों को प्रबंधन के गुर सिखाने के लिए आई.आई.एम में प्रशिक्षण दिया गया। सुदुर वनांचल में सुशासन की राह में बाधा बने माओवादियों पर अब तक की सबसे कड़ा प्रहार इस सरकार ने किया है। केन्द्र सरकार के सहयोग से इस डबल इंजन की सरकार ने पिछले 15 महीनों में ही साढे तीन सौ से अधिक नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया है। लगभग दो हजार से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। माओवाद आतंक के कलंक को दूर करने के लिए देश की सबसे अच्छी पुनर्वास नीति लागू की है। इन सबका परिणाम यह निकल रहा है कि मार्च 2026 से पहले ही माओवाद की विदाई लगभग तय है।सुशासन लाने के लिए सरकार एक और परम्परागत तरीकों के साथ ही आईटी के इस्तेमाल को भी बढ़ावा दे रही है। राज्य में अधिकांश योजनाओं में डीबीटी के माध्यम से हितग्राहियों के खाते में राशि ट्रांसफर की जा रही है। इसके अलावा आफिस के काम-काज में तेजी लाने के लिए सभी विभागों में चरण बद्ध ढंग से ई-आफिस प्रणाली लागू की जा रही है। सरकारी काम काज में टेक्नालाजी ड्रिवन एप्रोज निश्चित रूप से सुशासन के लक्ष्य की प्राप्ति में बड़ी भूमिका निभाएगा। आगे आने वाले दिनों में प्रशासन में काफी बदलाव नजर आएगा। - -लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)राम नाम जप ले रे मनवा, निशिदिन साँझ-सवेरे ।आशा का सूरज निकलेगा, मन से मिटे अँधेरे ।।काम क्रोध मद मोहक माया, मन को बहकाती है ।पाप- पंक में डूबी काया, जीवन भटकाती है ।पावन रखने मन की बगिया ,कर्म करें बहुतेरे ।राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।।सुरभित सुंदर दलपुंजों सम, सदाचार शुचि रखना ।झंकृत हो जाए हृदवीणा, बोले मधुरिम रसना ।सुरसरिता सम निश्छल निर्मल, चितवन कुंज घनेरे ।राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।।भवसागर में जीवन तरणी, डगमग - डगमग डोले ।मोह -भँवर में फँसी हुई यह, खाती है हिचकोले ।कुसुम-कंटकित पथ पर भटके, प्रेमिल पथिक चितेरे ।राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।।
- आलेख- प्रशांत शर्माहिन्दी फिल्म जगत में जब भी देशभक्तिपूर्ण फिल्मों का जिक्र होता है, तो सबसे पहले भारत कुमार यानी मनोज कुमार ही याद किए जाते हैं। उनकी फिल्मों ने अपने दौर में एक अलग ही पहचान बनाई थी। मनोज कुमार की फिल्मों की कहानी , उसका संगीत ्आज भी कालजयी कहलाते हैं।हरिशंकर गिरि गोस्वामी यानी मनोज कुमार के नाम के साथ अनेक हिट फिल्में जुड़ी हुई है। भगत सिंह के जीवन पर आधारित शहीद फिल्म के बाद देशभक्ति आधारित फिल्मों में उनका खूब नाम हुआ। एक लंबे समय तक बॉलीवुड पर राज करने वाले मनोज कुमार को उपकार, पूरब और पश्चिम, रोटी कपडा और मकान, क्रांति, नील कमल, हरियाली और रास्ता, वो कौन थी, हिमालय की गोद में, दो बदन और शोर जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत कुमार के नाम से अधिक पहचान मिली है, क्योंकि अपनी ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने अपना नाम भारत ही रखा।मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद (पाकिस्तान) में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया और फिर मुंबई। जब उन्होंने फिल्मी दुनिया में कदम रखा तो वे दिलीप कुमार साहब से बहुत प्रभावित थे। दिलीप कुमार से ही प्रेरणा लेकर उन्होंने अपनी नाम हरिशंकर गिरि गोस्वामी से मनोज कुमार रखा और इसी नाम ने उन्हें अपार सफलता, लोकप्रियता दिलाई।मनोज कुमार ने अपने बॉलीवुड करिअर की शुरुआत डायरेक्टर लेखराज भाकरी की 1957 में आई फिल्म फैशन से की थी, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि लेखराज भाकरी असल जिंदगी में मनोज के रिश्तेदार ही थे। अपनी पहली फिल्म में मनोज ने 80 साल के एक भिखारी का किरदार निभाया था। फिल्म सफल नहीं रही तो मनोज कुमार को किसी ने खास नोटिस भी नहीं किया। आखिरकार फिल्म शहीद से उन्हें सही पहचान मिली । इस फिल्म में उन्होंने भगत सिंह के रोल में जैसे जान ही डाल दी थी। यह फिल्म सुपर हिट हुई और मनोज कुमार भी निर्माता-निर्देशकों की पसंद बन गए। यहां तक शहीद भगत सिंह की मां विद्यावती भी मनोज कुमार को भगत सिंह के रूप में देखकर बोली थीं कि मेरा बेटा ऐसा ही लगता था।मनोज कुमार के जीवन से जुड़ी खास बातें- मनोज कुमार हवाई जहाज में सफर नहीं करते हैं। फिल्म पूरब और पश्चिम की शूटिंग के लिए हवाई जहाज में बैठने पर उनके मन में डर बैठ गया था, जिसके बाद से उन्होंने कभी दोबारा हवाई सफर नहीं किया ।- फिल्म उपकार की प्रेरणा मनोज कुमार को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री से मिली थी। दरअसल शास्त्री जी को मनोज कुमार की फिल्म शहीद बेहद पसंद आई थी जिसे देखने के बाद उन्होंने मनोज कुमार को जय जवान,जय किसान पर फिल्म बनाने का सुझाव दिया था। शास्त्री जी के सुझाव से मनोज इतने प्रभावित हुए कि शास्त्री जी से मुलाकात के बाद ट्रेन में दिल्ली से मुंबई लौटते वक्त ही उन्होंने फिल्म उपकार की कहानी तैयार कर ली थी। इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल हुआ।- पूरब और पश्चिम से तो मनोज कुमार भारत कुमार के रूप में और भी ज्यादा लोकप्रिय हो गए. इसका एक कारण यह भी था कि इस फिल्म के लिए इंदीवर ने एक गाना लिखा था- भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं। यह गीत उस समय इतना लोकप्रिय हुआ कि हर किसी की जुबान पर यह गीत चढ़ गया। आज भी यह गीत इतना लोकप्रिय है कि हमारे स्वतंत्रता दिवस और गणतन्त्र दिवस पर यह रेडियो टीवी सहित स्कूल, कॉलेज आदि के समारोह में खूब गाया, बजाया जाता है।- बॉलीवुड की 16 फिल्मों में साथ काम कर चुके अमिताभ बच्चन और शशि कपूर को सबसे पहले स्क्रीन पर मनोज कुमार अपनी फिल्म रोटी, कपड़ा और मकान में साथ लाए थे। इस फिल्म से पहले अमिताभ बच्चन का करिअर ढलान पर आ गया था और वो मुंबई छोडऩे का मन बना चुके थे, लेकिन मनोज कुमार ने उन्हें मुंबई छोड़ कर जाने से रोका और अपनी फिल्म रोटी, कपड़ा और मकान का ऑफर दिया। फिल्म सुपर हिट हुई।- भारत कुमार के रूप में लोकप्रियता हासिल करने के बाद मनोज कुमार को सार्वजनिक जीवन में सिगरेट पीने पर एक लडक़ी की डांट भी सुननी पड़ी थी। एक बार मनोज कुमार ने एक दिलचस्प किस्सा सुनाया था। उन्होंने बताया- एक बार मैं परिवार के साथ किसी रेस्तरा में खाना खाने गया। खाने का ऑर्डर देने के बाद मैं सिगरेट पीने बैठ गया। तभी सामने बैठी एक लडक़ी बड़े गुस्से से मेरे पास आकर बोली- आप कैसे भारत कुमार हैं । भारत कुमार होकर सिगरेट पीते हैं। उस लडक़ी की यह बात सुन मैं और मेरा परिवार दंग रह गया लेकिन मैंने तभी सिगरेट फेंक दी थी।-मनोज कुमार ने देशभक्ति पूर्ण फिल्मों के अलावा ध्वनि प्रदूषण पर एक फिल्म बनाई थी- शोर। फिल्म में दिव्यांगों की जि़ंदगी की समस्याओं को भी बहुत ही संजीदगी से दिखाया गया था। फिल्म में संतोष आनंद के लिखे मधुर गीत एक प्यार का नगमा है, का जादू आज भी बरकरार है।-मनोज कुमार के पसंदीदा हीरो दिलीप कुमार थे, तो वहीं नायिकाओं में उन्हें कामिनी कौशल पसंद थी, जिनके साथ उन्होंने फिल्म शहीद में काम किया था।- मनोज कुमार को वर्ष 1992 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था। इसके साथ ही उन्हें हिंदी सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के अवॉर्ड भी मिल चुका है।