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विशेष लेख -जी.एस. केशरवानी, उप संचालक
छत्तीसगढ़ में पिछले पांच सालों में फैले कुशासन और अव्यवस्था से मुक्ति मिल गई है। आम जनता को नई सरकार बनने से राहत मिली है। नई सरकार के गठन के मात्र तीन माह में ही लोगों ने महसूस किया है कि आम जनता की हर बात सुनी जाएगी। राज्य के गरीब, किसान महिलाओं और युवाओं को तरक्की की राह पर लाने के लिए नई-नई योजनाएं शुरू की गई है। यह राज्य सरकार के सुशासन की संकल्पना की सफलता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य की बागडोर सम्हालते ही राज्य में फिर से विकास के लिए नया वातावरण बना है। श्री साय का मानना है कि लोकतंत्र का मूल मंत्र सुशासन हैं। सुशासन के बिना सच्चे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती।सौम्य सरल व्यक्तित्व के धनी मुख्यमंत्री श्री साय ने राज्य की कमान सम्हालते ही उन्होंने राज्य की जनता को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दी गई गारंटी पर काम करना शुरू किया और मात्र तीन माह में ही अधिकांश गारंटियों को पूरा कर दिखाया। इतने कम समय में जनता को दी गई गारंटी को पूरा करने के लिए यह उनकी प्रशासनिक कुशलता और सफल नेतृत्व का ज्ञोतक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वंय श्री साय के नेत्त्व में छत्तीसगढ़ में हो रहे काम काज की तारीफ की थी।मुख्यमंत्री श्री साय का मानना है कि विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ का विकसित होना जरूरी है। इसको ध्येय में रखकर छत्तीसगढ़ की सरकार वर्ष 2047 तक विकसित छत्तीसगढ़ बनाने के लिए रोड मैप बनाने का काम शुरू कर दिया है। राज्य की अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने नई संभावनाओं वाले सेक्टरों पर विशेष फोकस किया जाएगा। वनांचल क्षेत्रों विशेषकर बस्तर और सरगुजा के विकास को प्राथमिकता में रखा गया है। यहां सड़क, रेल, वायू और संचार कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नवा रायपुर में आई.टी. हब के रूप में विकसित करने की योजना है। इसके अलावा पुराने रायपुर और भिलाई में आई.टी. आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना शामिल है।नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और तकनीकी शिक्षा के विस्तार से राज्य में कुशल मानव संसाधन तैयार करने पर भी फोकस रखा गया है, जिससे युवाओं को आसानी से रोजगार मिल सके। इसके लिए शिक्षा अधोसंरचना हो मजबूत किया जा रहा है। राज्य में संचालित आई.टी.आई का उन्नयन किया जा रहा है। तकनीकी शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए आईआई टी की तर्ज पर जशपुर, बस्तर, कबीरधाम , रायपुर और रायगढ़ में इसी सत्र से प्रौद्योगिकी संस्थानों का निर्माण किया जाएगा। राज्य में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा मिशन योजना लागू करने की तैयारी है।राज्य में भ्रष्टाचार के लिए जीरो टालरेंस की नीति अपनायी जा रही है। आईटी आाधरित टूल के माध्यम से कर वंचन को रोकने के इंतजाम किए जा रहे हैं। योजना आयोग अब राज्य नीति आयोग कहलाएगा। देश के अन्य राज्यों में बेस्ट प्रेक्टिसेस का अध्ययन कर राज्य में इसका क्रियान्वयन के लिए काम किया जा रहा है।राज्य की अर्थव्यस्था की धुरी यहां के किसान और खेती-किसानी है। इसको ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने देश की सबसे बड़ी आदान सहायता योजना शुरू की है। किसानों को यहां धान की सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है। मोदी की गारंटी को पूरा करते हुए श्री साय ने यहां के किसानों को धान का 31 सौ रूपए प्रति क्विंटल धान की कीमत दी है। समर्थन मूल्य और राज्य द्वारा घोषित उपार्जन मूल्य के अंतर की राशि कृषक उन्नति योजना में किसानों को दी जा रही है। किसानों को प्रति एकड़ 19257 रूपए की अदान सहायता दी जा रही है।कृषक उन्नति योजना में किसानों पर हो रही धन वर्षा ने राज्य में खुशहाली का नया वातावरण निर्मित हुआ है। इस योजना में 24.72 लाख से अधिक किसानों को 13,320 करोड़ से अधिक की राशि उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से राशि अंतरित की जा रही है। इससे राज्य में खेती किसानी के साथ-साथ व्यापार और उद्योग जगत में भी उत्साह का संचार हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य बनाया उनके जन्मजयंती सुशासन दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य कें किसानों को धान खरीदी में दो साल के बकाया बोनस की 3617 करोड की राशि देकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विगत 10 मार्च को राजधानी रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की माताओं-बहनों को नमन करते हुए कहा की आज उनकी एक और गारंटी पूरी हो रही है। उन्होंने कार्यक्रम में 70 लाख से अधिक विवाहित महिलाओं को उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से के एक-एक हजार रूपए की राशि के मान से 655 करोड़ रूपए अंतरित की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ की माताओं के स्वावलंबन में यह योजना बहुत कारगर सिद्ध होगी।राज्य के वनांचल क्षेत्रों में भी सुशासन की नई अलख जगाने में श्री साय सफल हुए हैं। उन्होंने बस्तर और सरगुजा जैसे पिछडें़ क्षेत्रों के विकास को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। यहां सडक, संचार इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ ही अति पिछड़े जनजाति समूह के लोगों को प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत आवास, पेयजल, सड़क बिजली जैसी सुविधाओं पर तेजी से काम हो रहा है। इससे वनवासियों में नई आशा का संचार हुआ है।राज्य के गरीब परिवारों को पांच साल तक मुफ्त चांवल, 18 लाख परिवारों को प्रधान मंत्री आवास की स्वीकृति, महिला समूहों को फिर से रेडीटू ईट बनाने दायित्व, युवाओं को रोजगार के लिए छत्तीसगढ़ उद्यम क्रांति योजना, नवा रायपुर में को आई हब बनाने की दिशा में पहल जैसे अनेक कार्य हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में घरों तक नल के माध्यम से जल पहुचाने के लिए भी तेजी से काम हो रहा है। कृषि मजदूरों के लिए दीन दयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना में प्रति वर्ष दस हजार रूपए की आर्थिक सहायता देने के लिए 500 करोड रूपए का बजट रखा गया है।राज्य में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए इनवेस्ट छत्तीसगढ़ का योजन भी करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्गों के निकट औद्योगिक गतिविधयों को बढ़ावा देने के लिए कोरबा-बिलासपुर इंडस्ट्रियल कारिडोर के निर्माण की योजना है। राज्य में नई उद्योगनीति भी सभी हितधारको के चर्चा कर तैयार करने का निर्णय लिया गया है। राज्य में रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कटघोरा-डोंगरगढ़ रेल लाइन का भी निर्माण किया जाएगा। राज्य में युवाओं के लिए राजधानी के नालंदा परिसर की तर्ज पर अन्य शहरों में हाईटेक लाइब्रेरी प्रारंभ करने और नवा रायपुर में लाईवलीहुड सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना भी की जाएगी। -
विशेष लेख-ललित चतुर्वेदी, उप संचालक
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने सुशासन और विकास का संकल्प लेकर काम करना प्रारंभ कर दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटियों को पूरा करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के खुशहाली के सपने को साकार कर रही है। मुख्यमंत्री श्री साय का कहना है कि शिक्षा विकास का मूलमंत्र है। इसके लिए नई शिक्षा नीति के अनुरूप छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर बच्चों को आने वाले जीवन के लिए तैयार करेंगे। प्रधानमंत्री ने सबका साथ, सबका विकास के ध्येय वाक्य के साथ विकसित भारत बनाने का लक्ष्य दिया है। इसे प्राप्त करने के लिए हम शिक्षित और विकसित छत्तीसगढ़ बनाएंगे।‘प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राईजिंग इंडिया’ प्रधानमंत्री श्री मोदी के विकसित भारत की परिकल्पना के आधार पर छत्तीसगढ़ के 211 स्कूलों में पीएम श्री योजना में शामिल किया गया है, जिसके तहत 2-2 करोड़ प्रति स्कूल राशि खर्च कर स्कूलों को बड़े शहरों और विश्व स्तर के आदर्श स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। पीएम श्री योजना में छत्तीसगढ़ के चयनित 211 स्कूलों में एलीमेन्ट्री स्तर पर 193 और सेकेंडरी स्तर पर 18 स्कूल शामिल हैं। विद्यार्थियों को इन स्कूलों में आईसीटी, डिजिटल क्लास रूम के माध्यम से प्रदान की जाएगी। इन स्कूलों के विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा एवं स्थानीय उद्योगों के साथ इंटर्नशिप, उद्यमिता के अवसरों से जोड़ा जाएगा। पीएम श्री योजना के द्वितीय चरण में छत्तीसगढ़ की अपेक्षाओं के अनुरूप अधिक से अधिक स्कूलों को शामिल किया जाएगा।नई शिक्षा नीति 2020 में कक्षा 8वीं तक बच्चों को मातृभाषा और स्थानीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए केन्द्र सरकार सरकारी चैनल शुरू करेगी, जिसमें छत्तीसगढ़ी सहित हल्बी, गोंडी, भतरी, सरगुजिया जैसी भाषाएं भी शामिल होंगी। नई शिक्षा नीति में कौशल विकास और टेक्नालॉजी पर विशेष जोर दिया गया है। कक्षा 6वीं से 12वीं तक सभी विद्यार्थियों को भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, आर्ट, स्पोर्टस, पेंटिंग, संगीत-नृत्य जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे। स्कूली बच्चों को 10 दिनों का शैक्षणिक भ्रमण कराया जाएगा।प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए 33 हजार शिक्षकों की भर्ती अगले सत्र में की जाएगी। समग्र शिक्षा के अंतर्गत 1086 नये पदों का सृजन किया जाएगा। स्कूलों के रखरखाव और अधोसंरचना विकास के लिए बजट में 265 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र सूरजपुर एवं गरियाबंद में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के साथ ही जिला कोण्डागांव, सुकमा एवं बलरामपुर के विकासखण्ड कुसमी के बाइट को उन्नत करते हुए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बनाया जाएगा।प्रदेश के 25 हजार स्कूलों में पहली से लेकर 12वीं तक एक सेक्शन इंग्लिश मीडियम स्थापित किया जाएगा। प्रदेश के स्कूलों में स्मार्ट क्लास के तहत इंटरनेट प्रोजेक्टर की सहायता से शिक्षा प्रदान की जाएगी। स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, शिक्षकों द्वारा अध्ययन, अध्यापन, शैक्षणिक मूल्यांकन की नियमित एवं त्वरित मॉनिटरिंग के लिए केन्द्रीयकृत विद्या समीक्षा केन्द्र स्थापित किया जाएगा। सरस्वती सायकल योजना के तहत अब 9 वीं कक्षा के सभी छात्राओं को निःशुल्क सायकल मिलेगी। राज्य सरकार ने छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति वर्ग को मिलने वाली छात्रवृत्ति संत शिरोमणि गुरू घासीदास, अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्रवृत्ति को वीर गुण्डाधुर के नाम पर किए जाने का निर्णय लिया है।प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना की तर्ज पर स्कूल अवधि में बच्चों को गर्म पका भोजन उपलब्ध कराने ’न्यौता भोजन’ शुरू किया गया है। यह सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय 21 फरवरी को अपना जन्मदिन अपने पैतृक गांव बगिया के बालक आश्रम शाला के बच्चों के बीच पहुंचे और बच्चों के साथ ’न्योता भोज’ किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक परंपरा की शुरुआत की है जिसमें प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना को सामुदायिक सहयोग से और अधिक पोषक बनाने की पहल की गई है।छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के हित में एक बड़ा निर्णय लिया गया है। राज्य शासन के निर्णय अनुसार एक शैक्षणिक सत्र में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित की जाएगी। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल रायपुर द्वारा प्रथम मुख्य परीक्षा मार्च माह में आयोजित हो रही है एवं द्वितीय मुख्य परीक्षा जून-जुलाई में आयोजित की जायेगी। स्वामी आत्मानंद स्कूलों का संचालन अब शिक्षा विभाग द्वारा किया जाएगा।छत्तीसगढ़ राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने ’राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ को लागू करने का निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के तहत प्रदेश के विद्यार्थियों को कॉलेज आने-जाने के लिए मासिक ट्रैवल्स अलाउंस दिया जाएगा। प्रदेश के तीन लाख विद्यार्थियों को 6000 रूपए प्रतिवर्ष डीबीटी से सीधे उनके खाते में भुगतान की जाएगी। प्रदेश के विद्यार्थियों को नियमित अध्ययन के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं एवं राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा जैसे- यूपीएससी, पीएससी, सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा की कोचिंग की व्यवस्था भी सरकार करने जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय दूधाधारी श्री राजेश्री महंत वैष्णव दास स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय रायपुर को विश्वविद्यालय में अपग्रेड करने का संकल्प लिया है।प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 4200 से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी। राज्य के 15 शासकीय महाविद्यालयों में नवीन स्नातक विषय संकाय एवं 23 शासकीय महाविद्यालयों में नवीन स्नातकोत्तर संकाय प्रारंभ किए जाएंगे। प्रदेश के 12 महाविद्यालयों के भवन का निर्माण और 9 महाविद्यालयों में अतिरिक्त कक्ष निर्माण किया जाएगा। शासकीय महाविद्यालय दुर्गकोंदल जिला-कांकेर एवं भोपालपट्नम् जिला बीजापुर में छात्रावास भवन के निर्माण के साथ ही 50 शासकीय महाविद्यालयों में शौचालय निर्माण किया जाएगा। प्रदेश के विश्वविद्यालयों के वार्षिक अनुदान राशि में वृद्धि की गई है। -
विशेष लेख-नूतन सिदार, सहायक संचालक
छत्तीसगढ़ में नई सरकार की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही वनांचलों में विकास की रोशनी, पहुंचाने, प्रशासन ने पारदर्शिता और सुशासन लाने के लिए पहल शुरू की। इस पहल का ही परिणाम है की राज्य की जनता को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दी गई गारंटी का तेजी से क्रियान्वयन हो रहा है। बीते तीन माह में छत्तीसगढ़ में जिस तेजी से सरकार ने फैसले और निर्णय लिए हैं। वो देश के किसी भी अन्य राज्यों के लिए उदाहरण है। राज्य की जनता को वादे के अनुरूप सभी निर्णय लिए जा रहे हैं। इससे राज्य की युवाओं, महिलाओं और किसानों में नया उत्साह जगा है। विष्णु देव साय की सरकार ने देश में सबसे बड़ी किसानों को अदान सहायता देने की शुरूआत की है। कृषक उन्नति योजना में 12 मार्च को बालोद में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के 24.72 लाख किसानों को 13,320 करोड़ रूपए की अदान सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में दी गई है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले बख्से नहीं जाएंगे। मुख्यमंत्री ने मोदी की इस गारंटी पर त्वरित अमल करते हुए पिछले सरकार के कार्यकाल में पीएससी में हुई गड़बड़ी और अनिमियतता की जांच का काम सीबीआई को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री द्वारा युवाओं से किए गए वादे के अनुरूप संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के तर्ज में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं जा रहे हैं। राज्य के युवा इस निर्णय प्रसन्न है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य की कमान संभालने के 15 दिनों के भीतर किसानों के धान का बकाया बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए किसानों के खाते में सीधे देकर बड़ा तोहफा दिया।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सरकार ने एक और गारंटी को पूरा करने के लिए महतारी वंदन योजना शुरूआत की। इस योजना में राज्य की महिलाओं की पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें और उन्हें सशक्त बनाने के लिए विवाहित महिलाओं को हर महिने एक हजार रूपए की राशि के मान से साल में 12 हजार रूपए की राशि दी जा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विगत 10 मार्च को इस योजना तहत 655 करोड़ रूपए की राशि अंतरित की। इस योजना से राज्य में 70 लाख से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं।विष्णु सरकार ने मोदी की गारंटी के अनुरूप श्रीराम लला दर्शन योजना शुरूआत की है। देश में अपने आप में यह एक अनूठी और अनुकरणीय योजना है। इस योजना में श्रद्धालुओं को सरकारी खर्च में अयोध्या धाम का दर्शन कराया जा रहा है। छत्तीसगढ़ गांव-गांव में प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए अपार उत्साह दिख रहा है। इस योजना का शुभारंभ राजधानी रायपुर में 5 मार्च को मुख्यमंत्री श्री साय ने 12 कोच वाली विशेष ट्रेन के जरिए 850 श्रद्धालुओं के दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।मुख्यमंत्री श्री साय ने शपथ लेने के बाद कुछ ही घंटो के भीतर 18 लाख परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पक्के आवास दिए जाने का लिया गया है 11 मार्च 2024 को 65,615 आवास पूर्ण किए गए हैं एवं 457 करोड़ की राशि जारी की गई है। निर्माणाधीन आवासों को पूर्ण किये जाने के लिए 711 करोड़ रूपए की राशि शासन द्वारा जारी की गई है। इसके लिए बजट में 12,168 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।विष्णु देव सरकार के कार्यकाल में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का नया रिकार्ड बना है। राज्य में 24 लाख 72 हजार से अधिक किसानों से 145 लाख मीट्रिक टन कीे धान खरीदी कीे गई है। धान खरीदी के एवज में इसके एवज में किसानों को 31 हजार 914 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के अंत्योदय एवं प्राथमिकता राशनकार्डधारी परिवारों को आगामी 5 वर्ष तक निःशुल्क खाद्यन्न वितरण शुरू हो गया है। राज्य के 67 लाख 92 हजार 153 राशनकार्डधारी परिवार लाभान्वित हो रहे है। प्रदेश की महिलाओं को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत 36.76 लाख गैस कनेक्शन का लाभ मिला है।मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासियों को निर्धारित आयु सीमा मे ं5 वर्ष की छूट की अवधि को 5 साल के बढ़ा दिया गया है। अभ्यर्थियों को आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट का लाभ 31 दिसम्बर 2028 तक मिलेगा। इससे प्रदेश के युवाओं में भारी उत्साह है और युवाओं में शासकीय नौकरी प्रति एक आस जग गई है। जिनकी उम्र पार हो चुकी थी उन युवाओं को 5 वर्ष तक का लाभ सीधा मिलेगा।विष्णु देव सरकार ने आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2024-25 में कोई भी नई मदिरा दुकान नहीं खुलेगी का निर्णय लिया गया। वनांचल में तेन्दूपत्ता संग्रहकों को उनकी परिश्रम का प्रतिफल देने के लिए 4000 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 रूपए प्रति मानक बोरा किया गया है। लोकतंत्री सेनानियों (मीसाबंदियों) की सम्मान निधि को फिर से प्रारंभ करने और बकाया राशि प्रदान करने का निर्णय लिया गया। यह राशि 01 नवम्बर 2024 को प्रदान की जाएगी। -
विशेष लेख- नसीम अहमद खान, उप संचालक
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में गठित छत्तीसगढ़ द्वारा मात्र तीन माह की अल्पावधि में राज्य के किसानों के हित में लिए गए फैसले से राज्य भर के किसान बेहद खुश है। उनके चेहरे खिल गए हैं और मन में एक नई उम्मीद जागी है। प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी तथा दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए का भुगतान होने से किसान खुश हैं।किसानों संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने यह सोचा नहीं था कि धान खरीदी और बकाया बोनस को लेकर विष्णु देव सरकार इतनी तेजी से फैसला लेकर उसे लागू भी कर देगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी में शामिल किसानों के हित से जुड़े मामलों को जिस तेजी से छत्तीसगढ़ सरकार ने अमल में लाया है, यह स्वागत योग्य है।छत्तीसगढ़ की जनता ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी पर भरोसा जताया है। इस भरोसे को राज्य सरकार ने सर्वाेच्च प्राथमिकता दी है। राज्य सरकार ने राज्य के 18 लाख से अधिक पात्र परिवारों को प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति दी है। किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी की गई है।किसानों का मानना है कि राज्य सरकार के अब तक के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार किसानों की हितैषी है। राज्य के किसान भाईयों को 2183 रूपए प्रति क्विंटल के मान से समर्थन मूल्य का भुगतान 48 घण्टे के भीतर उनके बैंक खातों में किया गया है। किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार ने कृषक उन्नति योजना के माध्यम से 24.72 लाख किसानों को धान के मूल्य के अंतर की राशि 13320 करोड़ रूपए का भुगतान का प्रदेशव्यापी शुभारंभ भी हो चुका है।भारत कृषि प्रधान देश है। देश की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है और यह राज्य धान का कटोरा कहलाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय कहते है कि एक दौर ऐसा था जब किसानों के पास उन्नत और बेहतर खेती के लिए पूंजी नहीं होती थी। किसानों को साहूकारों से ऊंची ब्याज दर पर रकम लेकर खेती-किसानी करनी पड़ती थी। किसान हमेशा कर्ज में फंसे रहते थे। इस स्थिति को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किसानों के हित में सबसे बड़ा कदम उठाया और किसान क्रेडिट कार्ड की योजना लागू की। इससे किसानों को कम दर पर सोसायटियों एवं बैंकों से कर्ज मिलने लगा।छत्तीसगढ़ में वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में पहली बार भाजपा की सरकार बनी, उस समय सहकारी बैंकों से किसानों को रियायती ब्याज दर पर खेती के लिए कर्ज मिलता था, जिसे धीरे-धीरे घटाकर शून्य प्रतिशत कर दिया गया। किसानों को बिना ब्याज के खेती-किसानी के लिए ऋण देने का काम छत्तीसगढ़ की रमन सरकार के दौर में शुरू हुआ था। आज भी किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिए लोन मिल रहा है। फसल बीमा जिसका लाभ पूरे देश के किसानों को सहजता से मिल रहा है। इसका श्रेय भी तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है। उनके कार्यकाल में ही फसल बीमा योजना का सरलीकरण किया गया।छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना लागू की गई है। सौर सुजला योेजना के माध्यम से सरकार ने दूरस्थ वनांचल में, जहां बिजली की सुविधा नहीं है, वहां किसानों के खेतों में भी इस योजना के माध्यम से सौर सुजला सिंचाई पंप स्थापित कर सिंचाई की व्यवस्था की गई है। राज्य में सिंचाई रकबे में विस्तार के लिए नवीन सिंचाई योजना के लिए 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं के लिए 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिंचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए एवं एनीकट तथा स्टाप डेम निर्माण के लिए 262 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है। छत्तीसगढ़ में किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार, कृषि एवं सहायक गतिविधियां के लिए समन्वित प्रयास पर राज्य सरकार का फोकस है। कृषि विभाग के बजट में बीते वर्ष की तुलना में वर्ष 2024-25 में 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 13 हजार 435 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8500 करोड़ रूपए की साख सीमा छत्तीसगढ़़ सरकार ने तय की है।मुख्यमंत्री ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास‘ का उल्लेख करते हैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए प्रयासरत् है। उन्होंने दूरस्थ वनांचल में रहने वाले आदिवासी भाईयों विशेषकर पिछड़ी जनजाति के लोगों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री जनमन योजना शुरू की है। छत्तीसगढ़ में निवासरत् विशेष पिछड़ी जनजातियों की बसाहटों में पक्का मकान, रोड, नाली, बिजली-पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था के साथ ही सरकार की 11 योजनाओं का लाभ दिलाने का काम तेजी से किया जा रहा है। यह योजना छत्तीसगढ़ में 9 सरकारी विभागों के समन्वय से क्रियान्वित की जा रही है। -
- गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
महादेव मैं याचक बनकर ,
तेरे दर पर आया हूँ ।
भक्ति-भाव के पुष्प-मनोहर,
अन्तस् में भर लाया हूँ ।।
देव-दनुज जो भी तप करते,
दर्शन देने आ जाते ।
शुचिता पूर्वक करें साधना ,
मनवांछित फल सब पाते ।
कल्याण सभी का करते हो,
माँगे बिना बहुत पाया हूँ ।।
भक्ति भाव....
सुन लेना प्रभु यही प्रार्थना ,
मुझे शरण अपनी रखना ।
धीरज संयम देना विष यदि,
पड़े उपेक्षा का चखना ।
नीलकंठ हे आशुतोष शिव,
आगे शीश झुकाया हूँ ।।
भक्ति भाव....
निर्विवाद छवि रही सदा ही,
निर्विकार संतोषी तुम ।
द्वेष-दंभ सब हुए तिरोहित,
जलवाष्प धूप में ज्यों गुम ।
आत्मलीन हो जानूँ खुद को,
अहंकार बिसराया हूँ ।।
भक्ति भाव....
शिव ही सत्य जगत सब मिथ्या,
शक्ति भक्ति के शुचि साधक ।
कुपित हुए जब तांडव करते,
भस्म हुए हैं सब बाधक ।
विश्वनाथ की वह अनुपम छवि,
मन में सदा बसाया हूँ ।।
भक्ति भाव.... -
आलेख-रीनू मिश्रा, सहायक जनसंपर्क अधिकारी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ की महिलाओं को दी गई गारंटी को पूरा कर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में नई सरकार ने महिला सशक्तिकरण का एक नया रास्ता तैयार किया है। इससे महिलाओं में भारी उत्साह है। महतारी वंदन योजना के तहत प्रदेश की पात्र विवाहित महिलाओं को 12 हजार रूपए वार्षिक भुगतान किये जाएंगे। इससे महिलाओं के खाते में हर माह डीबीडी के माध्यम से एक हजार रूपए आएंगे। इसका उपयोग वह अपनी जरूरत और इच्छा के अनुसार कर सकेंगी। इससे महिलाओं की छोटी-छोटी खुशियों को अब गारंटी मिल गई है।महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई महतारी वंदन योजना के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट में 3,000 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। इससे महिलाओं की न सिर्फ रोजमर्रा की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी होंगी बल्कि उन्हें आर्थिक संबल भी मिलेगा। महतारी वंदन योजना को लेकर महिलाओं के उत्साह का प्रमाण है कि 05 फरवरी को आवेदन करने के पहले ही दिन 1 लाख 81 हजार से अधिक महिलाओं ने आवेदन किया। दिन-प्रतिदिन योजना की लोकप्रियता के साथ फार्म भरने का सिलसिला भी बढ़ता रहा। योजना के तहत 20 फरवरी को अंतिम तिथि तक लगभग 70 लाख महिलाओं ने आवेदन जमा कर दिया। आवेदनों की स्क्रूटनी के बाद हितग्राहियों को दावा आपत्ति के लिए समय दिया गया। दावा आपत्ति के निराकरण के बाद अंतिम सूची जारी कर दी गई है। अंतिम सूची के आधार पर पात्र महिला के खाते में मार्च माह में प्रथम बार राशि का अंतरण किया जाएगा। इससे छत्तीसगढ़ की लगभग 70 लाख पात्र महिलाओं को लाभ होगा।राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महतारी वंदन योजना का सुचारू क्रियान्वयन हो और बड़ी संख्या में आवेदन करने वाली महिलों को असुविधा न हो इसका ध्यान रखते हुए पुख्ता व्यवस्था की गई। राज्य स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग को योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल विभाग बनाया गया। जिला स्तर पर कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी और शहरी क्षेत्रों में आयुक्त नगर निगम और मुख्य नगरपालिका अधिकारी सहायक नोडल अधिकारी बनाए गए। आवेदन के लिए ऑनलाईन पोर्टल https://www.mahtarivandan.cgstate.gov.in तथा मोबाईल एप बनाया गया।पोर्टल में हितग्राहियों को आवेदन की स्थिति की जानकारी की सुविधा भी दी गई। साथ ही राज्य स्तर पर योजना से संबंधित समाधान के लिए टोल फ्री हेल्प लाइन नंबर 1800233448 भी जारी किया गया। जिला प्रशासन द्वारा पात्रता संबंधी नियमों को बताने के लिए कर्मचारी नियुक्त किये गए। आंगनबाड़ी और ग्राम पंचायत स्तर पर विशेष शिविरों का भी आयोजन किया गया। घर-घर सर्वे कर फार्म भरवाए गए। इसके साथ ही प्रतिदिन राज्य स्तर पर योजना की समीक्षा और निगरानी की जा रही है।महिलाएं विशेषकर विवाहित महिलाएं घर-परिवार की देखभाल, प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिलाएं अपनी छोटी-मोटी बचत का उपयोग ज्यादातर परिवार और बच्चों के पोषण में खर्च करती हैं। लेकिन आर्थिक मामलों में उनकी सहभागिता अभी भी बहुत कम है। इसे देखते हुए राज्य सरकार महिलाओं की आर्थिक सहभागिता बढ़ाने के लिए काम कर रही है। महिलाओं के स्वास्थ्य की बात की जाए तो 2020-21 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार 23.1 प्रतिशत महिलाएं मानक बॉडी मास इंडेक्स से कम स्तर पर हैं। 15 से 49 वर्ष के आयु की महिलाओं में एनीमिया का स्तर 60.8 प्रतिशत और गर्भवती महिलाओं में यह 51.8 प्रतिशत है। ऐसे में महतारी वंदन योजना उनके लिए बड़ी राहत बनकर आई हैं।महिलाओं ने प्रतिमाह एक हजार रूपए मिलने से अपनी पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने की तैयारी भी कर ली है। धमतरी में रुद्री निवासी लोमेश्वरी ओझा कहती हैं कि मेरी छोटी-छोटी खुशियां इस राशि से पूरी होगी। मैं अपने बच्चों के लिए भी राशि खर्च कर सकूंगी। रायपुर की सविता साहू का कहना है कि कि तीज-त्यौहार में उन्हें, मायके से जो भेंट मिलती है, उसको वह मनचाहा खर्च करती हैं। ऐसे में मुझे मुख्यमंत्री श्री साय भी भाई की तरह लग रहे हैं, जो हर महीने तीज की राशि हजार रुपए देंगे। यह राशि महिलाओें के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के साथ परिवार के निर्णयों में उनकी भूमिका के सुदृढ़ीकरण में भी सहायक साबित होगी।महतारी वंदन योजना से मिली राशि से महिलाओं को परिवार के साथ खुद के स्वास्थ्य, पोषण और जीवन स्तर को उठाने का एक मजबूत आधार मिलेगा। महिलाओं की आर्थिक मजबूती से समाज में उनके प्रति भेदभाव में कमी और जागरूकता आएगी। निश्चित रूप से आने वाले दिनों में महतारी वंदन योजना छत्तीसगढ़ की आधी आबादी की आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। - -छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण के लिए बड़ा कदम-अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के एक दिन पहले महिलाओं के खाते में आएगी राशि
विशेष लेख- डॉ. दानेश्वरी संभाकर, सहायक संचालक
महिला सशक्तिकरण से महिलाओं में उस शक्ति का प्रवाह होता है, जिससे वो अपने को सकारात्मक भूमिका देने में अहम योगदान कर सकती है। जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की वजह से आज भारत देश विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में है। विकसित भारत बनाने के साथ विकसित छत्तीसगढ़ बनाने के लिए यहां की माताओं और बहनों का बड़ा योगदान रहने वाला है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार राज्य की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए राज्य में महतारी वंदन योजना की शुरुआत की गई है। छत्तीसगढ़ में तीज-त्यौहारों और खुशी में महिलाओं को तोहफे, पैसे और नेग देने का रिवाज है। महतारी वंदन योजना के माध्यम से उसी परंपरा छत्तीसगढ़ शासन निभा रही है।महतारी वंदन योजना के तहत राज्य में विवाहित महिलाओं को 1,000 रुपए प्रतिमाह (कुल 12,000 रुपए सालाना) वित्तीय सहायता दी जाएगी, जो प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में जमा की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य राज्य में महिलाओं के बीच लैंगिक भेदभाव, असमानता और जागरूकता के स्तर का बढ़ावा, महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन तथा उनके स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार करना है। इसका लाभ उन विवाहित महिलाओं को मिलेगा जो 1 जनवरी, 2024 तक 21 वर्ष या उससे अधिक आयु के साथ छत्तीसगढ़ की मूल निवासी हैं। विधवा, तलाकशुदा और परित्यक्त महिलाएँ भी योजना के लिये पात्र हैं। महिलाएं खुश है कि वो महतारी वंदन योजना से मिली राशि से अपने बच्चों और परिवार की छोटी-छोटी जरूरतें पूरी कर पाएगी।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि 2024-25 बजट में उनकी सरकार का फोकस GYAN यानि गरीब, युवा, अन्नदाता किसान और नारी सशक्तिकरण पर केन्द्रित है। बजट में सभी वर्गों की चिन्ता की गई है। यह बजट सरकार का विजन डॉक्यूमेंट भी है, जो छत्तीसगढ़ के चौमुखी विकास की परिकल्पना को दर्शाता है। उन्होंने कहा है कि उनका प्रयास आने वाले पांच वर्षों में राज्य की जीडीपी को दोगुना करने का होगा। इसी लिए राज्य की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बजट में महतारी वंदन योजना के लिए 3,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।महतारी वंदन योजना के तहत आवेदन भरने के प्रथम चरण में लगभग 70 लाख महिला हितग्राहियों की अनंतिम सूची जारी की जा चुकी है एवं इनका प्रकाशन आंगनबाड़ी केंद्रों एवं ग्राम पंचायत स्तर पर किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के एक दिन पहले यानी 7 मार्च को इन महिलाओं के खाते में एक-एक हज़ार रुपए अंतरित की जाएगी। -
*प्रदेश की महिलाएं बढ़ रही हर दिशा में आगे*
*नूतन सिदार,*
*सहायक संचालक*रायपुर/ महिलाओं की आत्मनिर्भरता वास्तव में देश और समाज दोनों की विकास से जुड़ी हुई है। जब एक महिला आर्थिक रूप से सशक्त होती है तो एक परिवार और समाज भी सशक्त होता है। इसका सकारात्मक परिणाम बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के साथ परिवार की आर्थिक उन्नति के रूप में होता है। राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार राज्य में मोदी जी की गारंटी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। छत्तीसगढ़ की महिलाएं हर दिशा में आगे बढ़ रही है। इसी का परिणाम है कि महतारी वंदन योजना के तहत अंतिम दिनों तक फॉर्म भरने के लिए महिलाओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। केन्द्र में फॉर्म भरने वाली महिलाओं ने बताया कि हर महीने योजना के तहत एक हजार रूपए उनके खाते में दिए जाएंगे, एक वर्ष में उन्हें 12 हजार रूपए मिलेगा। इस योजना के माध्यम से महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त और मजबूत बनने वाली है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा महतारी वंदन योजना के तहत् 72 लाख 74 हजार से अधिक महिलाओं ने आवेदन भरा है।
नारायणपुर जिले के ग्राम पुसवाल निवासी 28 वर्षीय श्रीमती रामदई कचलाम, 40 वर्षीय श्रीमती बतीबाई कचलाम, 35 वर्षीय श्रीमती सुलबती नाग और 55 वर्षीय श्रीमती मानकी बाई कचलाम ने बताया कि वे महतारी वंदन योजना का फार्म भरकर बहुत उत्साहित हैं। उन्हांेने बताया कि प्रदेश के हमारे जैसे लाखों गरीब महिलाओं के लिए यह योजना वरदान साबित होगा। उन्होंने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की यह योजना महिलाओं के विकास में मददगार साबित होकर जीवन को खुशहाली देने में सहयोग मिलेगा। मानकी बाई कचलाम ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्णय अनुसार प्रदेश के सभी पात्र विवाहित महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार रूपये देने के निर्णय से हम लोग बेहद खुश हैं। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को महतारी वंदन योजना प्रारंभ करने के लिए धन्यवाद देते हुए आभार जताया है।
श्रीमती सुलबती नाग ने कहा कि महतारी वंदन योजना प्रारंभ होने से हम लोग बहुत खुश है उन्होंने प्राप्त राशि का उपयोग घरेलू जरूरतों एवं बच्चों की पढ़ाई में करने की बात कही।
ग्राम बागोडार निवासी श्रीमती चित्ररेखा नेताम ने भी महतारी वंदन योजना का आवेदन भरते हुए बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की महिलाओं के लिए यह योजना बहुत ही राहत देने वाली है।
शास्त्री बाजार में रहने वाली श्रीमती अनुराधा समुंद्रे ने बताया कि हर महीने एक हजार रुपए देने वाली राज्य सरकार की यह योजना सराहनीय है। उनकी एक छोटी सी दुकान है और महतारी वंदन योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग अपनी दुकान में ज्यादा से ज्यादा समान भरने के लिए कर सकेंगी, जिससे कि उनके व्यवसाय को बढ़त मिलेगी। इस राशि से महिलाएं अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकेंगी।
राजीव आवास में रहने वाली कु. त्रिशला बघेल ने बताया कि उन्होंने अपनी बड़ी मां श्रीमती रश्मि सेंद्रे के लिए महतारी वंदन योजना का फॉर्म भरी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की महतारी वंदन योजना उनके लिए मददगार साबित होगी क्योंकि वह इस राशि से सिलाई मशीन खरीदेंगी और अपनी आमदनी बढ़ाएंगी।
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*घनश्याम केशरवानी, उपसंचालक*
छत्तीसगढ़ में दानवीर लोगों की कमी नहीं है। वैसी भी दान देने की परम्परा हमारे समाज में प्राचीन काल से चली आ रही है। यहां नई फसल की खुशी में छेरछेरा पर्व में दान देने की परंपरा है। यह हमारे समाज की दानशीलता का उदाहरण है। हमारे शास्त्रों में भी अन्नदान को महादान की संज्ञा दी गई है।
छत्तीसगढ़ सरकार बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए समाज की इसी परम्परा का सहारा ले रही है। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना में समुदाय की भागीदारी जोड़ते हुए न्योता भोजन की अनूठी पहल की गई है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अपने गृह ग्राम बगिया में आश्रम शाला के बच्चों को अपने जन्मदिवस पर न्योता भोजन कराते हुए इस योजना की शुरूआत की है।
छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों को अब नियमित रूप से मिल रहे भोजन के अलावा समाज के अग्रणी और सक्षम लोगों के जरिए न्योता भोजन में पौष्टिक और रूचिकर खाद्य सामग्री मिलेगी। ‘न्योता भोजन’ तीन प्रकार के हो सकते हैं - पूर्ण भोजन (शाला की सभी कक्षाओं हेतु), आंशिक पूर्ण भोजन (शाला के किसी कक्षा विशेष हेतु), अतिरिक्त पूरक पोषण सामग्री।
दान-दाताओं द्वारा प्रदान किया जाने वाला खाद्य पदार्थ अथवा सामग्री उस क्षेत्र के खान-पान की आदत (फुड हैबिट) के अनुसार होनी चाहिए। पूर्ण भोजन की स्थिति में नियमित रूप से दिये जाने वाले भोजन के समान बच्चों को दाल, सब्जी और चावल सभी दिया जाना है। फल, दूध, मिठाई, बिस्किट्स, हलवा, चिक्की, अंकुरित खाद्य पदार्थ जैसे सामग्री, जो बच्चों को पसंद हो का चुनाव अतिरिक्त पूरक पोषण सामग्री के रूप में किया जा सकता है। पौष्टिक एवं स्वादिष्ट मौसमी फलों का चयन भी पूरक पोषण सामग्री के रूप में किया जा सकता है।न्योता भोजन का उद्देश्य समुदाय के बीच अपनेपन की भावना का विकास, भोजन के पोषक मूल्य में वृद्धि तथा सभी समुदाय वर्ग के बच्चों में समानता की भावना विकसित करना है। इस योजना में समाज के अग्रणी और सक्षम लोगों के अलावा कोई भी सामाजिक संगठन, स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को पूर्ण भोजन का योगदान कर सकते हैं अथवा अतिरिक्त पूरक पोषण के रूप में खाद्य सामग्री का योगदान कर सकते हैं। यह स्कूल में दिए जाने वाले भोजन का विकल्प नहीं होगा, बल्कि यह विद्यार्थियों को दिए जा रहे भोजन का पूरक होगा।
न्योता भोजन समुदाय के सक्षम लोग भी विवाह के वर्षगांठ, जन्मदिन, राष्ट्रीय पर्व आदि विशेष अवसरों पर भी स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोज्य पदार्थ उपलब्ध करा सकेंगे। यह पूर्ण रूप से ऐच्छिक होगा। दानदाता स्कूली बच्चों को मौसमी फल, दूध, मिठाई, बिस्किट, हलवा, अंकुरित खाद्य पदार्थ आदि वितरित कर सकते हैं। न्यौता भोजन के लिए बच्चों की रूचि के अनुरूप दानदाता खाद्य पदार्थ का चयन कर सकते हैं।
‘न्योता भोजन’ में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना से लाभांवित हो रहे बच्चों को अतिरिक्त खाद्य पदार्थ या पूर्ण भोजन के रूप में पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन प्रदाय किया जा सकेगा। इस योजना के संचालन के लिए शाला विकास समिति को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह समिति समुदाय में ऐसे दान दाताओं की पहचान करेगी, जो रोटेशन में माह में कम से कम एक दिन शाला में ‘न्योता भोजन’ करा सके। दान दाताओं को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें शाला की प्रार्थना सभा अथवा वार्षिक दिवस में सम्मानित भी किया जाएगा। -
विशेष लेख -आनंद प्रकाश सोलंकी, सहायक संचालक
छत्तीसगढ़ की नयी सरकार ने सुशासन का संकल्प लिया है। सुशासन यानि लोगों की बेहतरी के लिए प्रशासन में पारदर्शिता, कार्यों का समय सीमा में गुणवत्ता के साथ पूरा होना, अच्छा प्रबंधन, जनभागीदारी, जवाबदेही, कुशलता और कानून का पालन जैसी बातें शामिल हैं। यह किसी भी जनकल्याणकारी राज्य की प्रथम आवश्यकता होती है। नयी सरकार सुशासन की स्थापना के लिए आई.टी. को प्रमुख टूल के रूप में अपनाएगी। इसकी बानगी वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में देखी जा सकती है।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशा है कि छत्तीसगढ़ ई-गवर्नेंस की दृष्टि से माडल राज्य बने। उनकी मंशा के अनूरूप योजनाओं की ई-मानीटरिंग के साथ-साथ पारदर्शी प्रशासन और आईटी आधारित कर प्रणाली विकसित की जाएगी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छत्तीसगढ़ सेंटर फॉर स्मार्ट गवर्नेन्स की स्थापना का उल्लेख बजट में किया गया है। बजट में सभी विभागों में आई.टी. के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक उपकरण एवं आधुनिक सॉफ्टवेयर इत्यादि की व्यवस्था के लिए 266 करोड़ का प्रावधान किया गया है।प्रदेश के 168 नगरीय निकायों में ई.गवर्नेन्स के तहत बजट एण्ड अकाउंटिंग मॉड्यूल स्थापित किया जायेगा। 47 नगरीय निकायों में प्रॉपर्टी सर्वे किये जाने हेतु GIS आधारित सॉफ्टवेयर निर्माण किया जायेगा। इससे प्रॉपर्टी टैक्स की प्राप्तियों में पारदर्शिता आयेगी। इन कार्यों के लिए 30 करोड़ का प्रावधान किया गया है। विभागवार महत्वपूर्ण अभिलेखों को डिजिटल रूप में तैयार करके छत्तीसगढ़ वेब अभिलेखागार में जन.सामान्य को सुविधा के लिए उपलब्ध कराया जायेगा, इसके लिए बजट में 03 करोड़ का प्रावधान किया गया है।राज्य शासन द्वारा संचालित सभी प्रमुख जनकल्याणकारी योजनाओं की एकजाई मॉनिटरिंग अटल डैशबोर्ड के माध्यम से की जायेगी। इसके लिए 05 करोड़ का प्रावधान किया गया है। शासकीय धन के आय.व्यय की दैनिक निगरानी के लिए एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली (IFMIS- 2.0) प्रारंभ की जायेगी। एकीकृत ई.प्रोक्योरमेंट परियोजना के नवीन संस्करण हेतु 15 करोड़ का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति.2020 को तत्परता से लागू किया जायेगा। डिजिटल एवं ए.आई. आधारित इको सिस्टम के माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था की जायेगी।भारत नेट परियोजना के तहत राज्य की 9,804 ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाईबर केबल से जोड़ा जा चुका है। इसके रख.रखाव एवं संचालन के लिए 66 करोड़ की पूल निधि के गठन का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में वाई.फाई के माध्यम से हॉट-स्पॉट स्थापित कर प्रदेश भर में इंटरनेट की पहुंच बढ़ायी जायेगी। इस हेतु प्रथम चरण में 1,000 ग्राम पंचायतों में वाई.फाई की सुविधा के लिए पी.एम.वाणी परियोजना अंतर्गत 37 करोड़ का प्रावधान किया गया है। शासन के विभिन्न विभागों द्वारा उपयोग किये जा रहे ई.परिसंपत्ति, मोबाईल एप, एवं वेबसाईट की सायबर सुरक्षा हेतु आवश्यक जांच एवं सर्टिफिकेशन की व्यवस्था की जायेगी।कर प्रशासन में मजबूती एवं पारदर्शिता लाने के लिए सभी विभागों में आई.टी. टूल्स की सहायता ली जायेगी। कर प्राप्तियों में सुधार हेतु निगरानी तंत्र को भी मजबूत किया जायेगा। वस्तु एवं सेवाकर के संकलन में सुधार एवं पारदर्शिता के लिए राज्य मुख्यालय में बिजनेस इंटेलिजेंस यूनिट की स्थापना की जायेगी। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए डाटा ड्रिवन फ्रॉड एनालिसिस सहित राजस्व संवर्धन के अन्य उपाय सुनिश्चित किये जायेंगे। इस हेतु 09 करोड़ 50 लाख का प्रावधान किया गया है। वस्तु एवं सेवा कर संबंधी अपीलीय मामलों के त्वरित निराकरण हेतु अधिकरण की स्थापना के लिए 05 करोड़ का प्रावधान किया गया है।भूमि एवं भवनों का हस्तांतरण तथा अन्य विविध पंजीकृत संव्यवहार हेतु राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (NGDRS) सॉफ्टवेयर का उपयोग सभी जिलों में लागू किया जायेगा, इससे धोखाधड़ी एवं बेनामी लेन.देन की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा। विचाराधीन संपत्तियों का ऑटोवेल्यूवेशन मॉड्यूल के तहत बाजार मूल्य की ऑनलाईन गणना का विकल्प होने से राजस्व प्राप्तियों में वृद्धि होगी, इसके लिए 10 करोड़ का प्रावधान किया गया है।छत्तीसगढ़ सरकार के वर्ष 2024-25 के बजट में रायपुर-भिलाई सहित आसपास के क्षेत्रों को स्टेट कैपिटल रीजन के रूप में विकसित कर यहां विश्वस्तरीय आई.टी. सेक्टर विकसित किया जायेगा। नवा रायपुर, अटल नगर में “लाईवलीहुड सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस” एवं दुर्ग जिले में “सेंटर ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप” स्थापित किया जायेगा। स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करने के लिए इन्यूबेशन सेंटर की स्थापना तथा बी.पी.ओ. एवं के.पी.ओ. को आकर्षित करने के लिए आई.टी. पार्क की स्थापना की जायेगी। नवा रायपुर में आई.टी. आधारित रोजगार सृजन हेतु ‘प्लग एण्ड प्ले’ मॉडल का विकास किया जायेगा, इससे आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन के नये अवसर विकसित होंगे।जल संसाधन के बेहतर प्रबंधन हेतु डिजिटल सूचना प्रणाली विकसित की जायेगी। इसके लिए राज्य जल सूचना केन्द्र की स्थापना हेतु 01 करोड़ 56 लाख का प्रावधान किया गया है। जल जीवन मिशन की मॉनिटरिंग के लिए डैशबोर्ड एवं राज्य पोर्टल के साथ-साथ शिकायत निवारण एवं नये कनेक्शन हेतु ऑनलाईन आवेदन की व्यवस्था शुरू की जायेगी। जल की गुणवत्ता की ऑनलाईन मॉनिटरिंग की जायेगी।भू.नक्शों का जियो.रिफ्रेन्सिंग कराया जायेगा तथा प्रत्येक भू.खंड में यू.एल.पिन नंबर देते हुए भू.आधार कार्ड जारी किया जायेगा। नगरीय क्षेत्रों में 1: 500 के स्केल पर भूमि का नवीन सर्वेक्षण प्रारंभ किया जायेगा। इससे शहरी क्षेत्रों में छोटे भू.खण्डों को भू.नक्शे पर दर्ज किया जाना संभव हो सकेगा। भू.अभिलेखों को सिविल न्यायालयों से लिंक किया जायेगा। इससे सिविल न्यायालय द्वारा भूमि संबंधी प्रकरणों में पारित आदेशों के परिपालन में भू.अभिलेख का सुधार कार्य ऑनलाईन प्रक्रिया से संभव हो सकेगा। भूमि व्यपवर्तन की प्रक्रिया को ऑनलाईन एवं सरल किया जायेगा।सायबर क्राईम के प्रकरणों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए कबीरधाम़, कोरबा, राजनांदगांव एवं रायगढ़ जिले में 04 नवीन सायबर पुलिस थानों की स्थापना के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। ई.कोर्ट मिशन प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन हेतु हार्डवेयर इंजीनियर एवं डाटा एण्ट्री ऑपरेटर के 596 पदों के सृजन का प्रावधान किया गया है l -
विशेष लेख- उप संचालक घनश्याम केशरवानी
रायपुर / छत्तीसगढ़ सरकार के वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में छत्तीसगढ़ को विकसित और समृ़द्ध राज्य बनाने के लिए रोड मैप की स्पष्ट रूप रेखा भी दिखती है। छत्तीसगढ़ सरकार के बजट में सेवाक्षेत्र को बढ़ावा देने की रणनीति शामिल की गई है। आईटी सेक्टर, हेल्थ डेस्टिनेशन, ईको-टूरिज्म सर्किट, वेडिंग डेस्टिनेशन, बिजनेस टूरिज्म, कान्फ्रेंस डेस्टिनेशन जैसे नये उभरते हुए संभावनाओं वाले क्षेत्रों का लाभ प्रदेश के युवाओं और उद्यमियों को मिलेगा।बजट में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए खुले मन से राज्य में निवेशकों का स्वागत करने की बात कही गई है, इसके लिए राज्य में रेड टेपिज्म के स्थान पर रेड कारपेट की नीति होगी। उद्योगों की स्थापना के लिए ‘मिनिमम गर्वमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ की नीति पर काम होगा। इज ऑफ डूइंग बिजनेस, सिंगल विण्डो प्रणाली, ऑनलाईन परमिशन, मिनिमम परमिशन जैसी नीति लागू होंगी। पब्लिक-प्राइवेट-पॉर्टनरशिप के लिए नीति आयोग और भारतीय प्रबंध संस्थानों के विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाएगा।छत्तीसगढ़ की भौगोलिक विशेषताओं के अनुरूप आर्थिक विकास के लिए विकेन्द्रीकृत नीति पर काम होगा, इसके लिए विकेन्द्रीकृत विकास पॉकेट की स्थापना की जाएगी। रायपुर, भिलाई सहित आसपास के क्षेत्रों को स्टेट कैपिटल के रूप में विकसित करने की योजना भी तैयार की जाएगी। इन क्षेत्रों में विश्व स्तरीय आईटी सेक्टर, वेडिंग डेस्टिनेशन, हेल्थ डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। नवा रायपुर, अटल नगर में ‘लाईवलीहुड सेंटर ऑल एक्सीलेंस’ एवं दुर्ग जिले में ‘सेंटर ऑॅफ एंटरप्रेन्योरशिप’ स्थापित किया जाएगा। स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिए इन्यूबेशन सेंटर की स्थापना तथा बी.पी.ओ. एवं के.पी.ओ. को आकर्षित करने के लिए आई.टी. पार्क की स्थापना की जाएगी।छत्तीसगढ़ राज्य के बजट में रायपुर, नवा रायपुर अटल नगर, बिलासपुर, दुर्ग, भिलाई, अंबिकापुर, जगदलपुर, कोरबा एवं रायगढ़ जैसे प्रमुख नगरों को ग्रोथ इंजन के रूप में विकसित करने की बात कही गई है। कोरबा, जांजगीर, रायगढ़, उरला, सिलतरा जैसे क्षेत्रों में वहां की आवश्यकता के अनुरूप औद्योगिकरण की नीति बनायी जाएगी। मैदानी कृषि प्रधान जिलों में कृषि आधारित विकास को बढ़ावा दिया जाएगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए विशेष फोकस किया जाएगा।बस्तर-सरगुजा क्षेत्र में आर्थिक विकास की दृष्टि सें एयर कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए सार्थक पहल की जाएगी। इन क्षेत्रों को इको-टूरिज्म एवं नैचरोपैथी डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य के पांच शक्तिपीठों को धार्मिक, पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। बस्तर क्षेत्र में लघु वनोपज प्रसंस्करण हेतु उद्योगों की स्थापना की जाएगी। सरगुजा क्षेत्र में उद्यानिकी एवं मछली पालन की संभावनाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस प्रकार समन्वित प्रयास करते हुए इन क्षेत्रों की आर्थिक संभावनाओं को मूर्त रूप दिया जाएगा।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अनेक अवसरों पर कहा है कि हमने अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का संकल्प लिया है। हमारा लक्ष्य विकसित छत्तीसगढ़ बनाना है। हम विकसित छत्तीसगढ़ के संकल्प को पूरा करने के लिए बजट में तैयार किए गए रोडमैप के अनुरूप कार्य करेंगे। राज्य की अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित करने और उच्च विकास दर हासिल करने के लिए बजट में अनेक प्रावधान किये गये हैं, इस वर्ष राज्य के बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि की गयी है। - आज सितारों से मेरी प्रिय माँग सजा कर,जनम-जनम के बंधन वाली रीति निभा दो ।
संग सदा सुख-दुख में रहना साथी बनकर,जगमग दीपशिखा बनती द्वै बाती जलकर ।मलय-गंध सम घुल जाएँ एक-दूजे संग,निर्झरिणी ज्यों सरल-तरल,रहें न तनकर।मोहन के अधरों पर सजी बाँसुरी जैसी,बना संगिनी निर्मल पावन प्रीति निभा दो।।
धूप-दीप लोभान-महकता घर का ऑंगन,खुशहाली के विहग-वृंद चहकें मन-उपवन।प्रिय प्रेम-पुहुप बिखरा देना यूँ जीवन में,ज्यों प्यासी क्षिति को सरसाने आए सावन।अमर प्रेम चिर शिवा-शिवानी जैसे कर लें,प्रेम-पुरातन ग्रंथों वाली नीति निभा दो।।
-डॉ. दीक्षा चौबे -
- कविता
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
हाथ से फिसले नहीं पल, वक्त रहते काम कर लें ।
हार कर रुकना नहीं है,जीत अपने नाम कर लें ।।
कोशिशें करते रहे तो,लक्ष्य को पाकर रहेंगे।
बीज को श्रम का लगाकर,फल सुखद परिणाम कर लें ।।
बैठ कर सागर किनारे, तैरना सीखें कहाँ से।
कूद कर गहराइयों में, मृत्यु का भय वाम कर लें।।
कूप के मेंढक बनो मत, देख लो बाहर निकल कर।
सोच को विस्तार देकर, मन वृहद आयाम कर लें।।
प्रेम से मिलजुल रहें सब, युद्ध की बातें न करना।
शांति का संदेश देकर, विश्व पावन धाम कर लें।।-9424132359
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विशेष लेख
अपने माटी के लाल को फूल और गुलदस्ता देकर किया अभिनन्दन, दी शुभकामनाएंजशपुर के बगिया को भला अब कौन नहीं जानता..? प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का गाँव है यह...और इस गाँव को ही बगिया कहते हैं...। आज इस गाँव बगिया में खिले हुए फूलों का एक साथ मुस्कुराना हुआ। यह अवसर था मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के जन्म दिन उत्सव का। मुख्यमंत्री को बधाई और शुभकामनाएं देने बगिया ही नहीं जशपुर जिले के गांव-गांव से लोग बगिया पहुंचे थे। मुख्यमंत्री बड़े ही अपनत्व भाव से मुस्कुराते हुए लोगों से मुलाकात कर बधाई स्वीकार करते वक्त बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते और छोटो को दुलार करते नजर आए। इस मौके पर बगिया का माहौल बेहद खुशनुमा और प्रफुल्लित दिखाई दे रहा था।अपने जन्मदिन पर अपनी माटी को याद करते हुए गाँव पहुँचे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने शायद इसीलिए भी अपने गाँव बगिया के आश्रम विद्यालय को चुना होगा कि वे गाँव के फूल समान बच्चों के बीच जाएं, उनके साथ रहकर केक काटे,खाना खाएं और यहाँ से जाने से पहले उन्हें शिक्षा का महत्व बताते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें...। उन्होंने ऐसा ही किया। बगिया में आश्रम शाला में आकर बच्चों के साथ जन्मदिन को यादगार बनाते हुए सभी से अपील भी की है कि अपना जन्मदिन आश्रम, छात्रावास में जाकर बच्चों के बीच मनाएं और उन्हें प्रोत्साहित करें।अपने साठवें जन्मदिन पर मुख्यमंत्री श्री साय यहाँ पहुँचे तो उनके आने का सबको बेसब्री से इंतजार था। मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार अपना जन्मदिन मनाने बगिया आए श्री साय को अपने बीच पाकर बच्चों के मन में कई प्रेरणाएं भी जागी। बच्चों ने बातें भी की और दोबारा आने का न्योता भी दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बगिया उनका भी गाँव है और आना जाना लगा रहेगा। कुछ बच्चों ने मार्मिक कविताओं से मुख्यमंत्री का अभिनन्दन किया। इस बीच बगिया के नन्हें फूलों को एक साथ मुस्कुराता देख सभी के मन में सुकून और खुशियां भी थी।मुख्यमंत्री श्री साय के जन्मदिन की खुशियां आज उनके गृहग्राम बगिया में एक अलग ही रूप में नजर आई। छोटे से गाँव से निकलकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने श्री विष्णु देव साय अपनी सादगी और संजीदगी से जाने पहचाने जाते हैं। अपनी 60वें जन्मदिन पर किसी तरह के तामझाम से दूर गांव के आश्रम शाला में नन्हें-मुन्ने बच्चों के साथ मनाया। उन्हें मिठाई खिलाई और उनके साथ बैठकर भोजन भी किया। इसके पश्चात वे घर में आकर माता श्रीमती जसमनी साय से आशीर्वाद लिया। धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए। पत्नी श्रीमती कौशल्या देवी साय ने उनकी आरती उतारी और दीर्घायु की कामना की।सहज और सरल स्वभाव के मुख्यमंत्री श्री साय ने अपने निवास स्थान में दूरदराज से आए ग्रामीणों से बड़ी आत्मीयता के साथ मुलाकात की और स्वागत, अभिनन्दन के लिए लाए फूलों को सहर्ष स्वीकार करते हुए साथ में फ़ोटो भी खिंचवाई। हाथ मिलाया और गले लगाते हुए बधाई और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद भी दिया। ग्राम बारो से आए खेमा सिंह,तुरंगा खार के गुलेश्वर सिंह,लोटापानी की सुकांति बाई, रजोटी की प्रमिला और विमला बाई सहित अन्य लोगों ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी हुई कि मुख्यमंत्री बनने के बाद श्री विष्णु देव साय हर बार की तरह अपना जन्मदिन मनाने आए हैं। वे घर पर ही सादगी के साथ अपना जन्म दिन मनाते हैं... आज भी वे आए हैं और हम लोग भी उनकी खुशी में शामिल होते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देने आए थे। -
संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज को विनम्र श्रद्धांजलि
आलेख- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
जीवन में हम बहुत कम ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिनके निकट जाते ही मन-मस्तिष्क एक सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। ऐसे व्यक्तियों का स्नेह, उनका आशीर्वाद, हमारी बहुत बड़ी पूंजी होती है। संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज मेरे लिए ऐसे ही थे। उनके समीप अलौकिक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता था। आचार्य विद्यासागर जी जैसे संतों को देखकर ये अनुभव होता था कैसे भारत में आध्यात्म किसी अमर और अजस्र जलधारा के समान अविरल प्रवाहित होकर समाज का मंगल करता रहता है।
आज मुझे, उनसे हुई मुलाकातें, उनसे हुआ संवाद, सब बार-बार याद आ रहा है। पिछले साल नवंबर में छत्तीसगढ़ में डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनके दर्शन करने जाना मेरे लिए परम सौभाग्य की बात थी। तब मुझे जरा भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि आचार्य जी से मेरी यह आखिरी मुलाकात होगी। वह पल मेरे लिए अविस्मरणीय बन गया है। इस दौरान उन्होंने काफी देर तक मुझसे बातें कीं। उन्होंने पितातुल्य भाव से मेरा ख्याल रखा और देश सेवा में किए जा रहे प्रयासों के लिए मुझे आशीर्वाद भी दिया। देश के विकास और विश्व मंच पर भारत को मिल रहे सम्मान पर उन्होंने प्रसन्नता भी व्यक्त की थी। अपने कार्यों की चर्चा करते हुए वह काफी उत्साहित थे। इस दौरान उनकी सौम्य दृष्टि और दिव्य मुस्कान प्रेरित करने वाली थी। उनका आशीर्वाद आनंद से भर देने वाला था, जो हमारे अंतर्मन के साथ-साथ पूरे वातावरण में उनकी दिव्य उपस्थिति का अहसास करा रहा था। उनका जाना उस अद्भुत मार्गदर्शक को खोने के समान है, जिन्होंने मेरा और अनगिनत लोगों का मार्ग निरंतर प्रशस्त किया है।भारतवर्ष की ये विशेषता रही है कि यहां की पावन धरती ने निरंतर ऐसी महान विभूतियों को जन्म दिया है, जिन्होंने लोगों को दिशा दिखाने के साथ-साथ समाज को भी बेहतर बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संतों और समाज सुधार की इसी महान परंपरा में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज जी का प्रमुख स्थान है। उन्होंने वर्तमान के साथ ही भविष्य के लिए भी एक नई राह दिखाई है। उनका संपूर्ण जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा से भरा रहा। उनके जीवन का हर अध्याय, अद्भुत ज्ञान, असीम करुणा और मानवता के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता से सुशोभित है।संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज जी सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र की त्रिवेणी थे। उनके व्यक्तित्व की सबसे विशेष बात ये थी कि उनका सम्यक दर्शन जितना आत्मबोध के लिए था, उतना ही सशक्त उनका लोक बोध भी था। उनका सम्यक ज्ञान जितना धर्म को लेकर था, उतना ही उनका चिंतन लोक विज्ञान के लिए भी रहता था।करुणा, सेवा और तपस्या से परिपूर्ण आचार्य जी का जीवन भगवान महावीर के आदर्शों का प्रतीक रहा, उनका जीवन, जैन धर्म की मूल भावना का सबसे बड़ा उदाहरण रहा। उन्होंने जीवन भर अपने काम और अपनी दीक्षा से इन सिद्धांतों का संरक्षण किया। हर व्यक्ति के लिए उनका प्रेम, ये बताता है कि जैन धर्म में ‘जीवन’ का महत्व क्या है। उन्होंने सत्यनिष्ठा के साथ अपनी पूरी आयु तक ये सीख दी कि विचारों, शब्दों और कर्मों की पवित्रता कितनी बड़ी होती है। उन्होंने हमेशा जीवन के सरल होने पर जोर दिया। आचार्य जी जैसे व्यक्तित्वों के कारण ही, आज पूरी दुनिया को जैन धर्म और भगवान महावीर के जीवन से जुड़ने की प्रेरणा मिलती है।वो जैन समुदाय के साथ ही अन्य विभिन्न समुदायों के भी बड़े प्रेरणास्रोत रहे। विभिन्न पंथों, परंपराओं और क्षेत्रों के लोगों को उनका सानिध्य मिला, विशेष रूप से युवाओं में आध्यात्मिक जागृति के लिए उन्होंने अथक प्रयास किया।शिक्षा का क्षेत्र उनके हृदय के बहुत करीब रहा है। बचपन में सामान्य विद्याधर से लेकर आचार्य विद्यासागर जी बनने तक की उनकी यात्रा ज्ञान प्राप्ति और उस ज्ञान से पूरे समाज को प्रकाशित करने की उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दिखाती है। उनका दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा ही एक न्यायपूर्ण और प्रबुद्ध समाज का आधार है। उन्होंने लोगों को सशक्त बनाने और जीवन के लक्ष्यों को पाने के लिए ज्ञान को सर्वोपरि बताया। सच्चे ज्ञान के मार्ग के रूप में स्वाध्याय और आत्म-जागरूकता के महत्त्व पर उनका विशेष जोर था। इसके साथ ही उन्होंने अपने अनुयायियों से निरंतर सीखने और आध्यात्मिक विकास के लिए निरंतर प्रयास करने का भी आग्रह किया था।संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज की इच्छा थी कि हमारे युवाओं को ऐसी शिक्षा मिले, जो हमारे सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित हो। वह अक्सर कहा करते थे कि चूंकि हम अपने अतीत के ज्ञान से दूर हो गए हैं, इसलिए वर्तमान में हम अनेक बड़ी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। अतीत के ज्ञान में वो आज की अनेक चुनौतियों का समाधान देखते थे। जैसे जल संकट को लेकर वो भारत के प्राचीन ज्ञान से अनेक समाधान सुझाते थे। उनका यह भी विश्वास था कि शिक्षा वही है, जो स्किल डवलपमेंट और इनोवेशन पर अपना ध्यान केंद्रित करे।आचार्य जी ने कैदियों की भलाई के लिए भी विभिन्न जेलों में काफी कार्य किया था। कितने ही कैदियों ने आचार्य जी के सहयोग से हथकरघा का प्रशिक्षण लिया। कैदियों में उनका इतना सम्मान था कि कई कैदी रिहाई के बाद अपने परिवार से भी पहले आचार्य विद्यासागर जी से मिलने जाते थे।संत शिरोमणि आचार्य जी को भारत देश की भाषायी विविधता पर बहुत गर्व था। इसलिए वह हमेशा युवाओं को स्थानीय भाषाएं सीखने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उन्होंने स्वयं भी संस्कृत, प्राकृत और हिंदी में कई सारी रचनाएं की हैं। एक संत के रूप में वे शिखर तक पहुंचने के बाद भी जिस प्रकार जमीन से जुड़े रहे, ये उनकी महान रचना ‘मूक माटी’ में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है। इतना ही नहीं, वे अपने कार्यों से वंचितों की आवाज भी बने।संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी महाराज जी के योगदान से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी बड़े परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने उन क्षेत्रों में विशेष प्रयास किया, जहां उन्हें ज्यादा कमी दिखाई पड़ी। स्वास्थ्य को लेकर उनका दृष्टिकोण बहुत व्यापक था। उन्होंने शारीरिक स्वास्थ्य को आध्यात्मिक चेतना के साथ जोड़ने पर बल दिया, ताकि लोग शारीरिक और मानसिक रूप, दोनों से स्वस्थ रह सकें।मैं विशेष रूप से आने वाली पीढ़ियों से यह आग्रह करूंगा कि वे राष्ट्र निर्माण के प्रति संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रतिबद्धता के बारे में व्यापक अध्ययन करें। वे हमेशा लोगों से किसी भी पक्षपातपूर्ण विचार से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया करते थे। वे मतदान के प्रबल समर्थकों में से एक थे और मानते थे कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति है। उन्होंने हमेशा स्वस्थ और स्वच्छ राजनीति की पैरवी की। उनका कहना था- ‘लोकनीति लोभसंग्रह नहीं, बल्कि लोकसंग्रह है।’, इसलिए नीतियों का निर्माण निजी स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि लोगों के कल्याण के लिए होना चाहिए।आचार्य जी का गहरा विश्वास था कि एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण उसके नागरिकों के कर्तव्य भाव के साथ ही अपने परिवार, अपने समाज और देश के प्रति गहरी प्रतिबद्धता की नींव पर होता है। उन्होंने लोगों को सदैव ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और आत्मनिर्भरता जैसे गुणों को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये गुण एक न्यायपूर्ण, करुणामयी और समृद्ध समाज के लिए आवश्यक हैं। आज जब हम विकसित भारत के निर्माण की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं कर्तव्यों की भावना और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।ऐसे कालखंड में जब दुनियाभर में पर्यावरण पर कई तरह के संकट मंडरा रहे हैं, तब संत शिरोमणि आचार्य जी का मार्गदर्शन हमारे बहुत काम आने वाला है। उन्होंने एक ऐसी जीवनशैली अपनाने का आह्वान किया, जो प्रकृति को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायक हो। यही तो ‘मिशन लाइफ’ है जिसका आह्वान आज भारत ने वैश्विक मंच पर किया है। इसी तरह उन्होंने हमारी अर्थव्यवस्था में कृषि को सर्वोच्च महत्त्व दिया। उन्होंने कृषि में आधुनिक टेक्नोलॉजी अपनाने पर भी बल दिया। मुझे विश्वास है कि वो नमो ड्रोन दीदी अभियान की सफलता से बहुत खुश होते।संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी, देशवासियों के हृदय और मन-मस्तिष्क में सदैव जीवंत रहेंगे। आचार्य जी के संदेश उन्हें सदैव प्रेरित और आलोकित करते रहेंगे। उनकी अविस्मरणीय स्मृति का सम्मान करते हुए हम उनके मूल्यों को मूर्त रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह ना सिर्फ उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि होगी, बल्कि उनके बताए रास्ते पर चलकर राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा।(जैन धर्म में दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने 17 फरवरी को छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चन्द्रगिरि तीर्थ में समाधि ली। ) - 21 फरवरी मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के जन्म दिवस पर विशेषछगनलाल लोन्हारे,उप संचालकरायपुर /01 नवम्बर 2000 को भारतीय गणराज्य के 26वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य का उदय हुआ। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने 13 दिसम्बर 2023 को प्रदेश की बागडोर संभाली। उनके बागडोर संभालते ही प्रदेश में सुशासन का सूर्याेदय होने लगा है। प्रदेश सरकार सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास ध्येय वाक्य को लेकर आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 02 माह की अल्पावधि में कई जनहितकारी फैसलों से समाज के हर वर्ग की तरक्की और खुशहाली के लिए अनेक कदम उठाए गए। सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण स्वच्छ प्रशासन और सरकारी काम-काज में पारदर्शिता लाना है। प्रदेश का हर नागरिक चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण प्रदेश सरकार की कल्याणकारी सोच से वाकिफ है। लोगों का सरकार के प्रति विश्वास बढ़ रहा है। अल्प अवधि में राज्य सरकार ने जनता से किए गए वादे पूर्ण करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं, जिसके कारण प्रदेश में न्याय, राहत और विकास का नया दौर शुरू हुआ है। सेवा, सुशासन, सुरक्षा एवं विकास के संकल्प को लेकर प्रदेश सरकार जनता की सेवा में दिन-रात लगी हुई है।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सरकार ने शपथ ग्रहण करते ही पहली कैबिनेट में 18 लाख हितग्राहियों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत पक्के आवास बनाने का निर्णय लिया गया। प्रदेश में कृषक उन्नति योजना के तहत सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी का वादा भी निभाएगा और धान खरीदी की पारदर्शी और सुगम व्यवस्था भी की गई। इस वर्ष छत्तीसगढ़ में अब तक का सर्वाधिक धान खरीदी का कीर्तिमान स्थापित हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा धान उपार्जन के समय-सीमा 31 जनवरी से बढ़ाकर 04 फरवरी तक करने का एक बड़ा निर्णय लिया। सरकार के इस फैसले से प्रदेश के लाखों किसानों को इसका फायदा मिला। समर्थन मूल्य पर 144.92 लाख मीट्रिक टन धान की रिकॉर्ड खरीदी हुई है। राज्य सरकार ने युवाओं के हित में बड़ा फैसला लेते हुए पीएससी भर्ती परीक्षा वर्ष 2022 प्रकरण की सीबीआई जांच कराने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासियों को शासकीय सेवाओं में भर्ती हेतु अधिकतम आयु सीमा की छूट अवधि पांच वर्षों के लिए बढ़ा दी गई है। सरकार के इस फैसले से अनेक युवाओं को इसका लाभ मिलेगा और वे नए सिरे से हर क्षेत्र में प्रतियोगिताओं के लिए तैयार होंगे।भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस सुशासन दिवस 25 दिसम्बर को 12 लाख से अधिक किसानों के बैंक खाते में 2 साल के धान के बकाया बोनस 3 हजार 716 करोड़ रूपए की अंतर राशि अंतरित कर दी गई है।प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) के द्वारा पीवीटीजी अर्थात् विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति समूहों (बैगा, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर एवं अबुझमाड़िया) को मूलभूत सुविधाओं जैसे पक्के आवास गृह, संपर्क सड़के, छात्रावास का निर्माण, शुद्ध पेयजल, विद्युतीकरण, बहुद्देशीय केन्द्रों, आंगनबाड़ी केन्द्रों तथा वनधन केन्द्रों का निर्माण, मोबाइल टॉवर की स्थापना, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल से परिपूर्ण करने की दिशा में प्रदेश सरकार कृत संकल्पित है। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 5500 रूपए प्रति मानक बोरा प्रदाय किए जाने राज्य सरकार ने निर्णय लिया है। तेन्दूपत्ता, महुआ, इमली सहित सभी लघुवनोपजों से आजीविका के साधनों को मजबूत बनाने के लिए प्रदेश सरकार सर्वाेच्च प्राथमिकता देगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रदेश के 50 लाख ग्रामीण परिवारों को निःशुल्क शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के लिए नल कनेक्शन हेतु 4,500 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है। दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूरों को 10 हजार रूपए वार्षिक सहायता राशि प्रदान करने का बजट में प्रावधान किया गया है।मातृ शक्ति का सम्मान करते हुए माताओं और बहनों के सम्मान, स्वाभिमान, स्वावलंबन और सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। उनकी सेहत शिक्षा और पोषण के लिए राज्य सरकार ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महतारी वंदन योजना लागू की है। इसके अंतर्गत 12 हजार रूपए वार्षिक आर्थिक सहायता प्रदान करने का वादा निभाने की दिशा में पहल प्रारंभ कर दिया गया है। अयोध्या धाम में प्रभु राम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के प्रति लोगों की जिज्ञासा और अगाध श्रद्धा भाव का सम्मान करते हुए प्रदेश सरकार ने रामलला दर्शन योजना प्रारंभ करने का निर्णय लिया है, इसके तहत प्रतिवर्ष हजारों लोगों को अयोध्या धाम तथा काशी विश्वनाथ धाम, प्रयाग राज की तीर्थयात्रा कराई जाएगी। सामान्य परिवारों के लिए प्रतिमाह 400 यूनिट तक आधे दाम पर बिजली प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना के अंतर्गत दिसम्बर 2028 तक निःशुल्क चावल प्रदाय करने का निर्णय लिया है। छत्तीसगढ़ में इस योजना से 67 लाख 94 हजार अंत्योदय, प्राथमिकता, एकल निराश्रित एवं निःशक्तजन राशन कार्डधारियों को मासिक पात्रता का चावल दिया जाएगा। महिलाओं का जीवन आसान बनाने में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की बड़ी भूमिका रही है। इसके अंतर्गत प्रदेश में अब तक 36 लाख से अधिक नवीन गैस कनेक्शन जारी किए गए हैं। छत्तीसगढ़ के प्रमुख 5 शक्तिपीठों कुदरगढ़, चन्द्रपुर, रतनपुर, दंतेवाड़ा तथा डोंगरगढ़ को चारधाम की तर्ज पर विकसित करने की कार्ययोजना बनाई जा रही है। तीन नदियों की संगम राजिम मेले की राष्ट्रीय स्तर पर पुनः पहचान दिलाने के लिए राजिम कुंभ (कल्प) का आयोजन किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के समन्वित विकास के लिए कटघोरा से डोगढ़गढ़ तक रेललाईन निर्माण के लिए 300 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है।छत्तीसगढ़ के तीन करोड़ लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024-25 के लिए 01 लाख 47 हजार 446 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। यह बजट सभी वर्गों के समावेशी विकास को सुनिश्चित करने वाले और विकसित छत्तीसगढ़ के सपने को साकार करने वाला बजट है। अमृत काल का छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लक्ष्य को हासिल करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
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कहानी
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
आज दीदी के फोन ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया
था ..ऐसी कौन सी बात हो गई कि दीदी मुझे फोन पर
बताना नहीं चाह रही हैं बल्कि घर आने को कह रही हैं ।
वह परेशान तो लग रही थीं ...हम दोनों बहनों में कोई दो वर्षों का ही अंतर होगा पर हम सहेली की तरह ही रहते थे । साथ सोना , उठना , पढ़ना , कहीं जाना हो तो
साथ - साथ । नहीं जाना है तो दोनों ही नहीं जाते , कई
बार किसी विवाह आयोजन में भेजने के लिए माँ हमें
बहुत मनातीं ।जिम्मेदारियों के बोझ तले लड़कपन कहाँ छुप जाता है पता ही नहीं चलता । शादी के बाद दीदी का व्यक्तित्व पूरा ही बदल गया , पहले की चंचल , हंसोड़ दीदी का स्थान धीर , गम्भीर ,समझदार रमा ने
ले लिया था । इसकी जिम्मेदार वह नहीं , जीवन के वे
उतार - चढ़ाव हैं जिन्होंने उन्हें बदल दिया ।
उनका कोई भी कार्य सरलतापूर्वक पूर्ण नहीं हुआ। बचपन में बार - बार बीमार पड़ती रही ...जीवन
से काफी संघर्ष किया । पीएच. डी. करते - करते अपने
निर्देशक से कुछ कहासुनी हो गई और उन्होंने दीदी की
रिसर्च पूरी होने में न जाने कितनी बाधाएं खड़ी कर दी..
पर ये दीदी की जीवटता ही थी कि उन्होंने काम पूरा
करके ही दम लिया ,उनकी जगह कोई और होता तो वह
काम पूरा ही नहीं कर पाता । बाधा - दौड़ के खिलाड़ी
के लिए बाधाओं से भरी हुई राह भी आसान हो जाती
है वैसी ही दीदी के लिये कठिनाइयों का सामना करना
आसान हो गया था ।कॉलेज में व्याख्याता हो जाने के बाद उनके विवाह में उतनी अड़चन नहीं आई क्योंकि
उनके ही कॉलेज के सहायक प्राध्यापक अनिरुद्ध त्रिपाठी ने उनके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था जिसे दीदी के साथ माँ - पिताजी ने भी सहर्ष स्वीकार
कर लिया था । अपनी बेटी नजर के सामने रहे , माता -
पिता को और क्या चाहिये । दीदी भी बहुत खुश थीं
क्योंकि लड़कियों के विवाह के बाद सबसे बड़ी समस्या
नौकरी बरकरार रखने की आती है ...पति कहीं बाहर हो तो नौकरी छोड़ो या नौकरी करनी हो तो पति से दूर
रहो । खुशियाँ उनके आँगन की रौनक बन गई थी पर
हमारे आँगन में सूनापन छा गया था । हम दोनों बहनें
माता - पिता के जीवन का आधार थीं , दीदी जब भी घर
आतीं तो ऐसा लगता मानो मरुस्थल में फूल खिल गये हों ...मैं तो पल भर के लिए भी उन्हें नही छोड़ती थी ।
दो वर्षों के बाद दीदी एक प्यारे से बेटे की माँ
बन गई थी ....पर कुछ समस्या होने के कारण उन्हें महीनों बेड रेस्ट करना पड़ा ...मातृत्व के दायित्व ने
दीदी को बहुत गम्भीर बना दिया था । बेटे के बड़े होने
के बाद एक दिन दीदी और जीजाजी रोज की तरह कॉलेज जा रहे थे कि उनकी मोटरसाइकिल एक बैलगाड़ी से टकरा गई.... मेरी गाड़ी मेरे इशारों पर चलती है कह कर अपनी ड्राइविंग पर नाज करने वाले
जीजाजी उसी के कारण इस दुनिया से चले गये ।दुर्घटना में उन्हें बहुत चोटें आई थी... लगभग दस दिन
आई. सी. यू. में जीवन से संघर्ष करते हुए आखिर उन्होंने हार मान ली । दीदी को इस सदमे ने आहत कर
दिया ....अभी उनका बेटा नीरज एक वर्ष का भी नहीं
हुआ था , जीजाजी कितनी बड़ी जिम्मेदारी के साथ उन्हें अकेला छोड़ गये थे । दुःखो के महासागर में डूब
गई थी दीदी.... हमें समझ नहीं आ रहा था कि किस तरह उन्हें दिलासा दिया जाये ....उनके दर्द को बाँटना
किसी के लिए सम्भव न था ...घर के हर कोने में जीजाजी की यादें समायी हुई थी... उन दोनों के देखे
हुए सपने फूलों की खुशबू की तरह कमरों में बिखरे पड़े
थे ...माँ - पिताजी को लगा कि यदि दीदी हमारे साथ रहने लगे तो शायद बीते दिनों की बातों को वह भुला
सकें लेकिन वह तो उन्हें भुलाना ही नहीं चाहती थीं बल्कि उन्हें ही अपनी पूंजी मानकर उन्हीं के सहारे जीना चाहती थीं ।कम से कम नीरज तो था उनके पास
जिसकी परवरिश की जिम्मेदारी में वह व्यस्त हो सकीं।
वक्त गुजरने के साथ दीदी और गम्भीर और खामोश
होती गईं... माँ - पिताजी वृद्ध हो चले थे , उन्हें दीदी के
एकाकी जीवन की चिंता थी किन्तु उनकी गहरी खामोशी देखकर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उनसे
पुनर्विवाह की बात करते । एक बार चाची जी ने उनके सामने विवाह की बात छेड़कर अपनी आफत ही
बुला ली...दीदी बहुत क्रोधित हुईं ...खूब चिल्लाई उन पर...फिर फूट - फूट कर रो पड़ी ...फिर किसी ने यह
राग नहीं छेड़ा । उन्होंने नीरज के पालन - पोषण को
ही अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य बना लिया । इसी
बीच मेरी भी शादी हो गई और मै अपनी घर - गृहस्थी
में रम गई ।
कालचक्र चलता रहा.. वह कहाँ रुकता है किसी
के लिए चाहे कोई उससे सन्तुष्ट हो या न हो । पर यह अपना कर्म करते रहने के लिए व्यक्ति को प्रेरित करता रहता है... परिस्थिति अपने अनुकूल हो या प्रतिकूल उसे तो चलते ही रहना है । यह तो अच्छा है कि जिम्मेदारियां मनुष्य को व्यस्त रखती हैं वरना हम अपने दुखों के बारे में सोचते ही रहते और जी नहीं पाते।
कुछ वर्षों बाद माँ बीमारी के कारण हमें छोड़कर चली
गई ...उनके जाने के बाद पिताजी अकेलेपन का दंश
झेलते रहे , पर दीदी के साथ बने रहे । दीदी ने बहुत ही
धैर्य के साथ नीरज को पाला ...कितना संघर्ष कर रही
थी वे अपने - आप से..किन तकलीफों से गुजर रही थीं,
उनसे मैं अनजान नहीं थी । पिताजी के भी चले जाने के
बाद वह बिल्कुल अकेली रह गई , पर मैं क्या करती जैसे विभिन्न ग्रहों की एक निश्चित धुरी , परिधि और
भ्रमण का पथ होता है उसी तरह पत्नी और माँ बनने
के बाद प्रत्येक स्त्री को एक निश्चित केंद्रबिंदु , पथ और
परिधि ( सीमायें ) मिल जाती हैं जिसमें उसे बंध जाना
होता है । सम्बन्धों का यह आकर्षण गुरुत्वाकर्षण बल
से क्या कम होगा ? मैं भी इस बन्धन में बंधकर उनके
लिए समय नहीं निकाल पाई ।
अब तो नीरज इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा है..... दीदी की परेशानी का क्या कारण होगा ...तभी
अचानक दरवाजे की घण्टी बजी और मैं अतीत की
यादों से बाहर आई । मेरे पति ही थे...उनसे दीदी के
फोन के बारे में बात कर मैं जाने की तैयारी करने लगी।
सफर के दौरान भी अनेक विचार मन को उद्वेलित करते रहे....कहीं नीरज को तो कुछ नहीं हो
गया...क्या दीदी की तबीयत खराब हो गई इत्यादि
अनेक सम्भावनाओ से जूझती मैं दीदी के घर पहुँची।
वह घर पर अकेली थी....नीरज कहीं बाहर था । बालों
की सफेदी और चेहरे पर अवसाद की लकीरें उन्हें उम्र
से अधिक कमजोर दिखा रही थी...दुःखों और संघर्षों
ने वैसे भी उनकी सहजता और सरलता को समय से
पहले ही गम्भीरता और परिपक्वता की चादर से ढक
दिया था ।
मेरी कुशलक्षेम पूछने के बाद दीदी ने कहा - " प्रिया , तुम सफर के कारण थक गई होगी... थोड़ा
आराम कर लो , फिर बातें करेंगे ।" किन्तु मेरे मन में तो
अनेक आशंकाएं बादलों की तरह उमड़ - घुमड़ रही थीं
इसलिये उनकी बात अनसुनी कर उन्हें सवालिया निगाहों से एकटक देखने लगी । मुझे अपनी ओर देखती
पाकर पहले तो उनकी आंखे नम हो आईं और अंततः
बरस पड़ीं ...शायद उनके सब्र का बाँध टूट गया था जिसे उन्होंने बहुत प्रयास करके रोक रखा था । मैंने
उन्हें रोने दिया.... बहुत दिनों से उन्होंने सारे दुःख , व्यथा अपने एकाकी मन के प्राँगण में जमा कर रखा
था , आज वे आँसुओ से धुल जाएं तो शायद वे हल्कापन महसूस कर सकें ।
कुछ संयत होने के बाद उन्होंने अपने मन की
सारी बातें मुझसे कह दी ...बात नीरज की ही थी ...
पितृहीन होने के कारण मिले अधिक लाड़ - प्यार और
कुछ संगति के असर ने उसे उद्दण्ड बना दिया था । देर
रात तक बाहर घूमना , समय - बेसमय पैसों की माँग
और माँ से बहस करना उसके लिए आम बात हो गई
थी । दीदी बोलते - बोलते रोने लगी थी....प्रिया... मैंने
जीवन में बहुत कुछ सहा , जमाने भर की बातें , ताने
सुनती रही लेकिन कभी हार नहीं मानी ...बस अपने
रास्ते चलती रही लेकिन अब मुझमें हिम्मत नहीं रही...
इतनी भी नहीं कि अपनों की बातें सुन सकूँ । मैंने
हमेशा यही चाहा कि वह पढ़ - लिखकर अपने पैरों पर
खड़ा हो जाये ,उसका भविष्य सुरक्षित हो...अपनी तरफ से पूरी कोशिश की....उसे कोई अभाव महसूस न
हो...लेकिन पता नहीं कहाँ कमी रह गई...आज वह
मुझसे पूछता है कि मैंने उसके लिए क्या किया ....न जाने किन लोगों की सोहबत में पड़कर मुझे, अपनी
पढ़ाई , अपने जीवन का उद्देश्य भूल गया है... डरती हूँ कहीं गलत रास्ते में चला गया तो उसे हमेशा के लिए खो न बैठूँ । ऐसा क्या करूँ कि वह सुधर जाये .. अपने भविष्य को गम्भीरता से ले ...।
दीदी की बातें सुनकर मेरी आँखे भर आईं और मन दुःखी हो गया लेकिन उससे भी अधिक गुस्सा आया उस नीरज पर ...जिसे पाकर दीदी अपने सारे दुःख - दर्द भूल गई थी....जिसके लिये उन्होंने अपने जीवन के दूसरे विकल्पों के बारे में सोचा तक नहीं उसने माँ के प्रति अपना दायित्व तो समझा नहीं उल्टे उसके दर्द का बोझ बढ़ा दिया ।
मैंने नीरज से बात करने का फैसला कर लिया था
इसलिए देर रात तक उसके लौटने का इंतजार करती रही । वह काफी देर से घर आया और आते ही अपने
कमरे में जाने लगा । मैंने ही उसे आवाज लगाई - सुनो नीरज ! " अरे मौसी , आप ....आप कब आई । वह मुझे देखकर चौक गया..
आज दोपहर में आई , " नीरज मैं दीदी को अपने साथ ले जाने आई हूँ ..बिना कोई भूमिका बाँधे मैंने अपनी बात कह दी थी । "
क्यो ? अचानक उसके मुँह से फूट पड़ा था...ओ दो - चार दि...नों के लिए घूमने जाना चाहती हैं... इट्स ओके. उसने कंधे उचकाते हुए कहा था ।
दो - चार दिन के लिए नहीं बेटे....अब मैं उन्हें हमेशा के लिए अपने साथ ले जाना चाहती हूँ...तुम तो
अब बड़े और काफी समझदार हो गए हो...अपने पैरों पर खड़े होने वाले हो ...अब तुम्हें उनकी क्या जरूरत है ? " यह आप क्या कह रही हैं मौसी ? "
मैं ठीक कह रही हूँ नीरज...जिस माँ ने तुम्हें जन्म
दिया ...अपनी ममता और प्यार से सींचकर तुम्हें बड़ा किया ...तुम्हारे अलावा कुछ भी नहीं सोचा... तुम्हें उन्होंने अपने जीने का मकसद बना लिया....उनसे तुम
पूछते हो कि तुमने मेरे लिए क्या किया । उन्होंने अपने जीवन में बहुत तकलीफ पाई है नीरज....मैं सोचती थी कि तुम इस बात को महसूस करोगे और उन्हें हमेशा खुश रखने का प्रयास करोगे....क्योंकि दुनिया के बाकी
लोग उनका दर्द महसूस नहीं कर सकते लेकिन तुम उनके हर दर्द में साझेदार रहे हो... पेड़ में लिपटी लता की तरह तुमने उनके मन के हर पहलू को देखा है,
जाना है...जीजाजी के जाने के बाद आने वाले सुख - दुख के सिर्फ तुम दोनों साझेदार रहे हो ...पर कब से तुमने उन्हें अपना दुश्मन मान लिया नीरज...तुम तो उनका साया हो...तुमने अपने आपको उनसे अलग कैसे मान लिया ।
तुम जिन दोस्तों से अपनी तुलना करते हो वे ममता का मोल क्या जानेंगे जिन्होंने अपनी माँ के हाथों एक निवाला भी नहीं खाया । उनके माँ - बाप ने सिर्फ सुविधाएं देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ ली...उनके साथ रहकर तुम यह भूल गए कि तुम्हें दीदी ने माँ और पिता दोनों बनकर पाला है ....न जाने कितने
जतन करती रही कि तुम्हे किसी बात की कमी न रहे , कितनी मुश्किलें आई पर कभी खुद से तुम्हें जुदा नहीं किया । सिर्फ तुम्हारी खुशी के लिये जीती आई है वो...
अब समय आया है कि तुम्हारी तरक्की और खुशहाली देखकर वह भी खुश होती....माली को अपने लगाये हुए पौधे की छाया मिले न मिले पर वह उसके फलने - फूलने की ही कामना करता है...उसी प्रकार तुम्हारी माँ
सिर्फ तुम्हारी खुशी देखकर ही जी लेगी , बस तुम सही राह पर चलो और खुश रहो , उसे और कुछ नहीं चाहिये । मैं इससे आगे कुछ न कह पाई और अपने कमरे में चली गई ।
दूसरे दिन सोकर उठी तो सूरज की किरणें पूरे घर में
उजाला फैला चुकी थीं.. नीरज दीदी की गोद में लेट कर हमेशा की तरह अपनी माँ से लाड़ जता रहा था...शायद
माँ - बेटे के बीच के गिले - शिकवे दूर हो गए थे । पश्चाताप के आंसुओं ने दिलों में जमी गर्द धो डाली थी... नीरज को कर्तव्यबोध हो गया था.. रिश्तों की मजबूती के लिए यह जरूरी था... मैंने आगे बढ़कर नीरज को गले लगा लिया था और दीदी की ओर देखकर राहत की सांस ली...अब इस पेड़ को कोई तूफान नहीं गिरा सकता क्योंकि उसने मिट्टी में जड़ें जमा ली हैं... दीदी के चेहरे पर मुस्कुराहट और पलकों में खुशियों की बूंदें झिलमिला उठी थीं । -
कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर लेख -
-प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी
हमारे जीवन पर कई लोगों के व्यक्तित्व का प्रभाव रहता है। जिन लोगों से हम मिलते हैं, हम जिनके संपर्क में रहते हैं, उनकी बातों का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। लेकिन कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जिनके बारे में सुनकर ही आप उनसे प्रभावित हो जाते हैं। मेरे लिए ऐसे ही रहे हैं जननायक कर्पूरी ठाकुर।आज कर्पूरी बाबू की 100वीं जन्म-जयंती है। मुझे कर्पूरी जी से कभी मिलने का अवसर तो नहीं मिला, लेकिन उनके साथ बेहद करीब से काम करने वाले कैलाशपति मिश्र जी से मैंने उनके बारे में बहुत कुछ सुना है। सामाजिक न्याय के लिए कर्पूरी बाबू ने जो प्रयास किए, उससे करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव आया। उनका संबंध नाई समाज, यानि समाज के अति पिछड़े वर्ग से था। अनेक चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने कई उपलब्धियों को हासिल किया और जीवनभर समाज के उत्थान के लिए काम करते रहे।जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का पूरा जीवन सादगी और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित रहा। वे अपनी अंतिम सांस तक सरल जीवनशैली और विनम्र स्वभाव के चलते आम लोगों से गहराई से जुड़े रहे। उनसे जुड़े ऐसे कई किस्से हैं, जो उनकी सादगी की मिसाल हैं।उनके साथ काम करने वाले लोग याद करते हैं कि कैसे वे इस बात पर जोर देते थे कि उनके किसी भी व्यक्तिगत कार्य में सरकार का एक पैसा भी इस्तेमाल ना हो। ऐसा ही एक वाकया बिहार में उनके सीएम रहने के दौरान हुआ। तब राज्य के नेताओं के लिए एक कॉलोनी बनाने का निर्णय हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने लिए कोई जमीन नहीं ली। जब भी उनसे पूछा जाता कि आप जमीन क्यों नहीं ले रहे हैं, तो वे बस विनम्रता से हाथ जोड़ लेते। 1988 में जब उनका निधन हुआ तो कई नेता श्रद्धांजलि देने उनके गांव गए। कर्पूरी जी के घर की हालत देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए कि इतने ऊंचे पद पर रहे व्यक्ति का घर इतना साधारण कैसे हो सकता है!कर्पूरी बाबू की सादगी का एक और लोकप्रिय किस्सा 1977 का है, जब वे बिहार के सीएम बने थे। तब केंद्र और बिहार में जनता सरकार सत्ता में थी। उस समय जनता पार्टी के नेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण यानि जेपी के जन्मदिन के लिए कई नेता पटना में इकट्ठा हुए। उसमें शामिल मुख्यमंत्री कर्पूरी बाबू का कुर्ता फटा हुआ था। ऐसे में चंद्रशेखर जी ने अपने अनूठे अंदाज में लोगों से कुछ पैसे दान करने की अपील की, ताकि कर्पूरी जी नया कुर्ता खरीद सकें। लेकिन कर्पूरी जी तो कर्पूरी जी थे। उन्होंने इसमें भी एक मिसाल कायम कर दी। उन्होंने पैसा तो स्वीकार कर लिया, लेकिन उसे मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर दिया।सामाजिक न्याय तो जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के मन में रचा-बसा था। उनके राजनीतिक जीवन को एक ऐसे समाज के निर्माण के प्रयासों के लिए जाना जाता है, जहां सभी लोगों तक संसाधनों का समान रूप से वितरण हो और सामाजिक हैसियत की परवाह किए बिना उन्हें अवसरों का लाभ मिले। उनके प्रयासों का उद्देश्य भारतीय समाज में पैठ बना चुकी कई असमानताओं को दूर करना भी था।अपने आदर्शों के लिए कर्पूरी ठाकुर जी की प्रतिबद्धता ऐसी थी कि उस कालखंड में भी जब सब ओर कांग्रेस का राज था, उन्होंने कांग्रेस विरोधी लाइन पर चलने का फैसला किया। क्योंकि उन्हें काफी पहले ही इस बात का अंदाजा हो गया था कि कांग्रेस अपने बुनियादी सिद्धांतों से भटक गई है।कर्पूरी ठाकुर जी की चुनावी यात्रा 1950 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में शुरू हुई और यहीं से वे राज्य के सदन में एक ताकतवर नेता के रूप में उभरे। वे श्रमिक वर्ग, मजदूर, छोटे किसानों और युवाओं के संघर्ष की सशक्त आवाज बने। शिक्षा एक ऐसा विषय था, जो कर्पूरी जी के हृदय के सबसे करीब था। उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में गरीबों को शिक्षा मुहैया कराने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। वे स्थानीय भाषाओं में शिक्षा देने के बहुत बड़े पैरोकार थे, ताकि गांवों और छोटे शहरों के लोग भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करें और सफलता की सीढ़ियां चढ़ें। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने बुजुर्ग नागरिकों के कल्याण के लिए भी कई अहम कदम उठाए।Democracy, Debate और Discussion तो कर्पूरी जी के व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा था। लोकतंत्र के लिए उनका समर्पण भाव, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही दिख गया था, जिसमें उन्होंने अपने-आप को झोंक दिया। उन्होंने देश पर जबरन थोपे गए आपातकाल का भी पुरजोर विरोध किया था। जेपी, डॉ. लोहिया और चरण सिंह जी जैसी विभूतियां भी उनसे काफी प्रभावित हुई थीं।समाज के पिछड़े और वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिए जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने एक ठोस कार्ययोजना बनाई थी। यह सही तरीके से आगे बढ़े, इसके लिए पूरा एक तंत्र तैयार किया था। यह उनके सबसे प्रमुख योगदानों में से एक है। उन्हें उम्मीद थी कि एक ना एक दिन इन वर्गों को भी वो प्रतिनिधित्व और अवसर जरूर दिए जाएंगे, जिनके वे हकदार थे। हालांकि उनके इस कदम का काफी विरोध हुआ, लेकिन वे किसी भी दबाव के आगे झुके नहीं। उनके नेतृत्व में ऐसी नीतियों को लागू किया गया, जिनसे एक ऐसे समावेशी समाज की मजबूत नींव पड़ी, जहां किसी के जन्म से उसके भाग्य का निर्धारण नहीं होता हो। वे समाज के सबसे पिछड़े वर्ग से थे, लेकिन काम उन्होंने सभी वर्गों के लिए किया। उनमें किसी के प्रति रत्तीभर भी कड़वाहट नहीं थी और यही तो उन्हें महानता की श्रेणी में ले आता है।हमारी सरकार निरंतर जननायक कर्पूरी ठाकुर जी से प्रेरणा लेते हुए काम कर रही है। यह हमारी नीतियों और योजनाओं में भी दिखाई देता है, जिससे देशभर में सकारात्मक बदलाव आया है। भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी त्रासदी यह रही थी कि कर्पूरी जी जैसे कुछ नेताओं को छोड़कर सामाजिक न्याय की बात बस एक राजनीतिक नारा बनकर रह गई थी। कर्पूरी जी के विजन से प्रेरित होकर हमने इसे एक प्रभावी गवर्नेंस मॉडल के रूप में लागू किया। मैं विश्वास और गर्व के साथ कह सकता हूं कि भारत के 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने की उपलब्धि पर आज जननायक कर्पूरी जी जरूर गौरवान्वित होते। गरीबी से बाहर निकलने वालों में समाज के सबसे पिछड़े तबके के लोग सबसे ज्यादा हैं, जो आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित थे।हम आज सैचुरेशन के लिए प्रयास कर रहे हैं, ताकि प्रत्येक योजना का लाभ, शत प्रतिशत लाभार्थियों को मिले। इस दिशा में हमारे प्रयास सामाजिक न्याय के प्रति सरकार के संकल्प को दिखाते हैं। आज जब मुद्रा लोन से OBC, SC और ST समुदाय के लोग उद्यमी बन रहे हैं, तो यह कर्पूरी ठाकुर जी के आर्थिक स्वतंत्रता के सपनों को पूरा कर रहा है। इसी तरह यह हमारी सरकार है, जिसने SC, ST और OBC Reservation का दायरा बढ़ाया है। हमें ओबीसी आयोग (दुख की बात है कि कांग्रेस ने इसका विरोध किया था) की स्थापना करने का भी अवसर प्राप्त हुआ, जो कि कर्पूरी जी के दिखाए रास्ते पर काम कर रहा है। कुछ समय पहले शुरू की गई पीएम-विश्वकर्मा योजना भी देश में ओबीसी समुदाय के करोड़ों लोगों के लिए समृद्धि के नए रास्ते बनाएगी।पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले एक व्यक्ति के रूप में मुझे जननायक कर्पूरी ठाकुर जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने को मिला है। मेरे जैसे अनेकों लोगों के जीवन में कर्पूरी बाबू का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष योगदान रहा है। इसके लिए मैं उनका सदैव आभारी रहूंगा। दुर्भाग्यवश, हमने कर्पूरी ठाकुर जी को 64 वर्ष की आयु में ही खो दिया। हमने उन्हें तब खोया, जब देश को उनकी सबसे अधिक जरूरत थी। आज भले ही वे हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जन-कल्याण के अपने कार्यों की वजह से करोड़ों देशवासियों के दिल और दिमाग में जीवित हैं। वे एक सच्चे जननायक थे। - अभिवादन में ज्यादा आत्मीय है राम-राम कहनाहमारी भारतीय संस्कृति में सदियों से अभिवादन और प्रतियुत्तर का यही तरीका विद्यमान रहा है-राम-राम दाऊ....राम-राम....राम-राम ताऊ...राम-राम भाई...
जय श्रीराम...जय-जय श्रीराम...कितना सहज और अलौकिक आनंद है इस अभिवादन में जो हमारी सांस्कृतिक विरासत का महान प्रतीक रहा है। क्या इस आत्मीय आनंद की अनुभूति ‘गुड मॉर्निंग’, ‘गुड इवनिंग’ या ‘हाय’ जैसे शब्दों के साथ अभिवादन में मिल सकती है? स्वभाविक तौर पर जवाब होगा-कदापि नहीं। राम सदियों से हमारी लोक-संस्कृति में रचे-बसे हैं। राम हमारी एकता, अखण्डता, आस्था और अस्मिता के सर्वश्रेष्ठ प्रतीक हैं। जय-जय श्रीराम के अलावा अभिवादन के समय राम-राम कहा जाता रहा है और प्रत्युत्तर में भी दो बार राम-राम या कोटि-कोटि राम-राम कहा जाता है। दो व्यक्ति जब मिलने के बाद इस तरह अभिवादन करते हैं तो उनके बीच अधिक स्थायी और आत्मीय संबंध बनते हैं।राम शब्द सनातन धर्म की पहचान है और जब हम दो बार राम-राम कहते हैं तो 108 बार राम नाम का जाप हो जाता है। यह अलौकिक रहस्य है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अंकशास्त्र के दृष्टिकोण से देखें तो हिंदी वर्णमाला में र = 27वां अक्षर है और 27 का योग 2 + 7 = 9 होता है। अंग्रेजी वर्णमाला में राम (RAM) शब्द का पहला अक्षर R 18वें स्थान पर रहता है और उसका योग भी 1 + 8 = 9 होता है। र में 'आ' की मात्रा दूसरा अक्षर और 'म' 25वां अक्षर, सब मिलाकर जो योग बनता है वो है 27 + 2 + 25 = 54, वस्तुतः राम का योग 54 हुआ और दो बार राम राम कहने से 108 हो जाता है जो पूर्ण ब्रह्म का प्रतीक है। कितना वैज्ञानिक और सुखद है राम-राम का अभिवादन और प्रतित्युत्तर में राम–राम कहना।महान संत कबीर दास जी का बीज मंत्र है राम। कबीर का प्रसिद्ध दोहा है- सहस्र इक्कीस छह सै धागा, निहचल नाकै पोवै। बड़ा गहरा अर्थ और भाव छिपा है इस पंक्ति में जिसका अर्थ है कि मनुष्य 21600 धागे नाक के सूक्ष्म द्वार में पिरोता रहता है और प्रत्येक श्वास- प्रश्वास में वह राम का स्मरण करता रहता है। आशय यह है कि हम पूरे दिन के 24 घंटे में 21 हजार 600 बार सांस लेते हैं और हर सांस में राम (अजपा) हैं। अब 21600 का योग भी 9 हो होता है।जाहिर है कि सदियों से यह कहा जाता रहा है कि राम का नाम प्रत्येक प्राणी में रमा हुआ है तो इसका भी वैज्ञानिक आधार है। राम विराट ब्रह्म है, राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। महादेव के हृदय में राम सदैव विराजित रहते हैं। वास्तव में राम भारतीय लोक जीवन के कण-कण में समाहित हैं और जो कण-कण में है वह पूरे ब्रह्माण्ड में भी हैं। कहा भी गया है- रमंति इति रामः अर्थात जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में रमण करता है। राम रक्षा स्त्रोत का मंत्र है-राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने।।भगवान शिव माँ पार्वती से कहते हैं कि हे पार्वती मैं भी इन्हीं मनोरम राम में रमता हूँ। यह राम नाम विष्णु के सहस्रनाम के तुल्य है। इसे राम तारक मंत्र भी कहा गया है।यदि भारतीय मानस के दैनिक जीवन की बात करें तो यहां के लोक-जीवन के कितने ही क्रियाकलापों को भगवान राम की मर्जी पर छोड़कर निश्चिंतता व्यक्त की जाती रही है। जैसी राम की मर्जी... इतना कहने के बाद संकट अथवा दुख के समय का सारा तनाव ही खत्म हो जाता है। तुलसीदासकृत रामचरित मानस के बालकाण्ड के प्रसिद्ध छंद की पंक्ति भी है- होइहि सोइ जो राम रचि राखा। लोक जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक को भगवान राम की मर्जी पर छोड़ने की परंपरा सदियों प्राचीन है।22 जनवरी, 2024- राम जन्मभूमि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का यह दिन देश की सांस्कृतिक-राष्ट्रीय एकता ही नही, वैश्विक-एकता की स्थापना का भी दिन है। पूरे विश्व में पौने दो सौ से भी ज्यादा देश भगवान राम को मानते हैं। प्राण प्रतिष्ठा के लिए अफगानिस्तान, नेपाल, श्रीलंका सहित विश्व के तमाम देशों से उपहार आना, ब्रिटेन के संसद में श्रीराम का जयकारा, अमेरिका की सड़कों पर भगवान राम के बिलबोर्ड....अऩेक प्रमाण हैं भगवान राम के रूप में वैश्विक-एकता के प्रतीक के।विविधताओं से परिपूर्ण भारतीय इतिहास में 500 साल के लम्बे संघर्ष और आहूतियों-बलिदानों के बीच कितनी ही पीढ़ियां बीत गईं, राम आज भी सबके रोम-रोम में बसे हैं। भविष्य में भी सदियों तक राम मंदिर राष्ट्रीय एकता और सनातन आस्था का प्रतीक बनकर भावी पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा। राजनीतिक चश्मे को उतारकर देखें तो हर भारतीय के लिए यह गौरव का अद्भुत प्रतीक है। भारत सहित विश्व के अऩेक देशों में प्रज्जवलित रामज्योति की जगमगाहट ने पारंपरिक दीपोत्सव से भी ब़ड़े दीपोत्सव के आगाज की नई लोक संस्कृति की स्थापना कर दी है। अब रामज्योति के रूप में भी दीपोत्सव मनाया जाएगा जो हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक होगा। प्रभु श्री राम सदैव हम सभी के जीवन को प्रगति के पथ पर अग्रसर करें और वसुधैव कुटुम्बकम के भारतीय बीज मंत्र को साकार कर पूरे विश्व को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करें, यही कामना है।जय श्री राम...रामलला के प्राण प्रतिष्ठा और रामज्योति महोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...लेखक -डॉ. कमलेश गोगिया , वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद् -
गीत -डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
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मंदिर में आ गए राम तुम , अंतस में कब आओगे ।जीवन में तम-तोम बढ़ रहा , उजियारा कब लाओगे ।
शुचिता को ही निगल रहे हैं, जग के व्यभिचारी दानव ।कलुषित भावों में पगे हुए ,कलयुग के दंभी मानव ।अंधकारमय पथ में जग के , जीवन-ज्योति जलाओगे ।।मंदिर में….
मन का दर्पण टूट रहा है , धोखे के पाषाणों से ।आहत बहुत हुआ अंतर्मन , तीक्ष्ण प्रवंचित बाणों से ।पीड़ित वंचित सुग्रीव कई , कब मित्रता निभाओगे ।।मंदिर में…..
सब लेने को ही आतुर हैं , त्याग नहीं करता कोई ।मार रहे हैं निज परिजन को ,जनहित कब मरता कोई ।मर्यादित आचरण शिष्टता , कब सभ्यता सिखाओगे ।।मंदिर में…..
- आलेख-कमलज्योति-राममय हुए माहौल में सद्भावना और मानवता का संदेश दे रहा रामनामी मेला-अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर इन्हें भी हैं खुशी-रामनामी समाज चाहते हैं कि आपस में भाईचारा बढ़े, समाज में भेदभाव दूर होरायपुर, / सुबह का सूरज आज बादलो में कही गुम था...रात बारिश हुई थी और भीगी-भीगी मौसम के बीच हजारों लोगों का हुजूम जिस ओर आकर्षित हो रही थीं... वह शायद उनकी श्रद्धा और विश्वास ही था...जो इस धरती के ऐसे राम को देखने आए जा रहे थे... जो किसी मंदिर में नहीं... अपितु इनके जीवन में सदैव समाहित है। बेशक यह रामनामी है और न सिर्फ इनका चोला..शरीर का हर हिस्सा राम...राम...राम...के अक्षरों से नस-नस में विद्यमान है।शरीर पर श्वेत परिधानों के साथ मोह, माया, लोभ, काम, क्रोध और व्यसनों को त्याग कर सबको भाई-चारे के साथ बिना किसी भेदभाव के शांतिपूर्ण तरीके से जीवनयापन का संदेश भी देते हैं। छत्तीसगढ़ के नवगठित जिले सक्ती के जैजैपुर विकासखंड में रामनामी समुदाय का तीन दिवसीय बड़े भजन का मेला नई पीढ़ी और पहली बार देखने वालों के लिए जहाँ कौतूहल का केंद्र बना है, वहीं इसके विषय में पहले से जानने और समझने वालों के लिए यह सम्मान और गौरव से कम नहीं...। अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से राममय हुए माहौल के बीच रामनामी समुदाय का बड़े भजन का यह मेला भी सद्भावना और मानवता का संदेश दे रहा है।अपने राम के प्रति अगाध,अथाह प्रेम और अटूट आस्था की यह गाथा हकीकत में कही विराजमान है तो वह छत्तीसगढ़ के रामनामी समुदाय ही हैं। भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में रामनामी समुदाय का पादुर्भाव कई उपेक्षाओं, तिरस्कारो और संघर्षों की दास्तान है, जो 160 वर्ष से अधिक समय पहले अपनी आस्था पर पहुँची चोट के साथ इस रूप में जन्मी कि आने वाले काल में इन्हें अपनाने और मानने वालों की संख्या बढ़ती चली गई। वह दौर भी आया जब रामनामी समुदाय अपनी तपस्या और सादगी को अपनी उपासना के बलबूते साबित करने में सफल हुए।इनका मानना है कि उनका राम तो हर जगह मौजूद है, वे अपने राम को कही ढूंढते भी नहीं.. न ही अपने शरीर पर राम... राम लिखवाने से परहेज करते हैं। रामनामी समाज के गुलाराम रामनामी बताते हैं कि उनका यह आयोजन सन 1910 से होता आ रहा है। जैजैपुर का आयोजन 115वां वर्ष है। साल में एक बार यह आयोजन बड़े भजन मेला के रूप में निरंतर किया जाता है। उन्होंने बताया कि रामनामी को कोई भी समाज और धर्म के लोग अपना सकते हैं,लेकिन उन्हें सदाचारी, शाकाहारी और नशे आदि से दूर रहते हुए मानवता के प्रति प्रेम को अपनाना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि रामनामी अपने शरीर पर राम...राम लिखवाने के साथ ही कभी सिर पर केश नहीं रखते, महिला हाथों में चूड़ी या गले में माला भी नहीं पहनती। शरीर पर राम ही राम धारण होता है और यह प्राण त्यागने के पश्चात भी मिट्टी में दफन होते तक आत्मसात रहता है।82 साल के रामनामी तिहारु राम ने बताया कि उनकी पत्नी फिरतीन बाई और उन्होंने चार दशक पहले ही राम को अपने जीवन और शरीर में आत्मसात किया है। एक साल पहले वे अयोध्या भी गए थे, इस बार रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रण आया था। यहाँ से रामनामी गए हैं और खुशी व्यक्त करते हुए कहते हैं कि सभी की कामना है कि जाति-पाति, ऊंच-नीच खत्म हो तथा समाज में भाईचारे के साथ सद्भावना का विकास हो। रामनामी समाज में महिला और पुरूष में कोई भेदभाव नहीं होने की बात कहते हुए तिहारु राम बताते हैं कि वे लोग मूर्तिपूजा नहीं करते, रामायण का पाठ करते हैं और अपने राम का जाप करते हुए मानवता का संदेश देते हैं। लगभग 80 साल के रामभगत, 75 साल की सेतबाई ने भी शरीर पर राम..राम गुदवाया है। वे कहते हैं कि यहीं राम उनकी आस्था है और प्रेरणा भी...। यह अमिट लिखावट उन्हें कभी भी किसी के प्रति दुराचार या गलत आचरण की ओर नहीं ले जाती।कलश यात्रा के साथ श्वेत ध्वज चढ़ाकर मेले का किया गया शुभारंभऐतिहासिक और गौरवान्वित करने वाला रामनामी मेला,बड़े भजन का मेला किसी पहचान का मोहताज नहीं है। आज 115वां मेला का शुभारंभ सक्ती जिले के जैजैपुर ब्लॉक मुख्यालय में हुआ। इस दौरान आसपास सहित दूरदराज गांवों से बड़ी संख्या में रामनामी समाज के लोग और ग्रामीण पहुँचे। गाँव के मदन खांडे के निवास से पूजा अर्चना के पश्चात धान से राम..राम लिखकर कलश यात्रा निकाली गई, जो कि गाँव के प्रमुख गलियों से होकर मेला स्थल बरछा में छतदार जैतखाम तक पहुँची। यहाँ ध्वज चढ़ाने के साथ ही भजन-आरती की गई। सिर पर मोरपंख के साथ मुकुट धारण किए रामनामी को अपने आराधना और आराध्य देव राम के भक्ति भावना में लीन होकर चलते हुए देखकर लोगों के मन में राम के प्रति श्रद्धा और विश्वास और भी कायम होता नजर आया।खींचे चले आते हैं मेले में और फिर आना चाहते हैं ग्रामीणरामनामी मेला हर साल किसी न किसी गाँव में होता आ रहा है। इस मेले में एक बार आने वाले समय मिलते ही दोबारा जरूर आते हैं। अब तक आठ बार रामनामी मेले में आ चुकी वृद्धा कचरा बाई कहती है कि मुझे यहां आकर बहुत ही खुशी की अनुभूति महसूस होती है। कौशल्या चौहान बताती है कि वह तीसरी बार इस मेले में आई है। दिल्ली से आये सरजू राम ने बताया कि वह कई मेले में शामिल हो चुका है। यह मेला सभी समाज को जोड़ने और मानवता को बढ़ावा देने के संदेश को विकसित करता है। मेला समिति के अध्यक्ष केदारनाथ खांडे ने बताया कि दूरदराज से आए ग्रामीण मेला में पूरे तीन दिन तक ठहरते भी हैं, यहाँ लगातार भंडारा भी चलता रहता है। इस दौरान राम...राम..राम की आस्था उन्हें दोबारा आने के लिए उत्सुक भी करती है।गाँव के ही दंपति द्वारा दान भूमि में बनाया गया है छतदार जैतखामभगवान राम के लिए अपनी जीवन समर्पित करने वाले रामनामी समुदाय का यह मेला वास्तव में समाज को जोड़ने और मानवता को विकसित करने वाला होता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि गाँव के अनेक लोग जो अन्य समाज के है उन्होंने अपनी कीमती भूमि छतदार जैतखाम के निर्माण के लिए दान की। गांव के पंचराम चंद्रा और श्रीमती लकेश्वरी चंद्रा ने मेला स्थल पर भूमि दान की है वहीं अन्य ग्रामीण भी है,जिन्होंने निःस्वार्थ अपनी कीमती जमीन दान की है।1910 में ग्राम पिरदा में आयोजित किया गया था पहली बार मेलारामनामी बड़े भजन का मेला,संत समागम का आयोजन वर्ष 1910 से लगातार आयोजित किया जा रहा है। पौष शुक्ल पक्ष एकादशी से त्रयोदशी तक 3 दिवस चलने वाले इस मेले में भजन और 24 घण्टे राम नाम जाप किया जाता है। पैरो में घुँघरू के साथ राम..राम लय में गाते हुए नृत्य करते है और मेले की शोभा को बढ़ाते हुए रामनाम के संदेश को सभी के मन में समाहित करने कामयाब भी होते हैं।
- गीत
स्वरचित- डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)-----------------------------------------------------------राम नाम जप ले रे मनवा , निशिदिन साँझ-सवेरे ।आशा का सूरज निकलेगा , मन से मिटे अँधेरे ।।
काम क्रोध मद मोहक माया ,मन को बहकाती है ।पाप- पंक में डूबी काया , जीवन भटकाती है ।पावन रखने मन की बगिया ,कर्म करें बहुतेरे ।राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।।
सुरभित सुंदर दलपुंजों सम , सदाचार शुचि रखना ।झंकृत हो जाए हृदवीणा , बोले मधुरिम रसना ।सुरसरिता सम निश्छल निर्मल, चितवन कुंज घनेरे ।राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।।
भवसागर में जीवन तरणी , डगमग - डगमग डोले ।मोह -भँवर में फँसी हुई यह , खाती है हिचकोले ।कुसुम-कंटकित पथ पर भटके , प्रेमिल पथिक चितेरे ।राम नाम जप ले रे मनवा निशिदिन साँझ सवेरे ।। - -आ रहा बड़ा बदलाव: पक्के आवास मिलने से घूमंतु प्रवृत्ति की विशेष पिछड़ी जनजाति कमार अब गांवों में करने लगी है स्थायी रूप से निवास-कांकेर जिले के नरहरपुर ब्लॉक के 13 ग्रामों में निवासरत हैं कमार जनजाति के 72 परिवार-शासन की योजनाओं की पहुंच अब सबसे निचले स्तर तक हुई आसानविशेष लेख-ताराशंकर सिन्हारायपुर / शासन की योजनाओं की वास्तविक सफलता तभी मानी जाती है जब उनकी पहुंच और क्रियान्वयन समाज के सबसे निचले तबके तक सुनिश्चित हो। प्रदेश में निवासरत पांच विशेष पिछड़ी जनजातियों में से एक कमार जनजाति भी है, जिसमें अभी भी शिक्षा और जागरूकता का अभाव है। अपनी लोक संस्कृति और पारम्परिक विरासत एवं मूल्यों के साथ जीवन-यापन करने वाली यह जनजाति कई मायनों में आज भी पिछड़ी हुई है। कांकेर जिले के नरहरपुर ब्लॉक के 13 ग्रामों में इस जनजाति के 72 परिवार निवासरत हैं, जिनकी जनसंख्या 283 है। इन्हीं में से एक ग्राम मावलीपारा में कमार जनजाति की बहुलता है, लेकिन शासन की योजनाओं का लाभ लेने के मामले में इनकी बात औरों से जुदा है। प्रधानमंत्री जनमन योजना से इनके जीवन में बड़ा बदलाव आ रहा है।प्रधानमंत्री आवास योजना से जीवन में आया स्थायित्वपेशे से बांस की टोकरी और दैनंदिनी के अन्य पारम्परिक सामान बनाकर बेचने वाली यह जनजाति भी अब शासन की योजनाओं का लाभ लेने में पीछे नहीं है। प्रायः कमार जनजाति के लोग घुमंतू और खानाबदोश प्रवृत्ति के होते हैं लेकिन यहां के कमारजन जो प्रायः घासफूस, खदर और मिट्टी से निर्मित अस्थायी घरों में रहते थे, उनको एक तरह से स्थायित्व मिल गया है, क्योंकि स्थायी ठौर के तौर पर अब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के आवास मिल चुके हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति के कमार लोगों को इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ। पक्के मकान मिलने से उन लोगों में स्थायी तौर पर निवास करने की रुचि पैदा हुई है। परिणामस्वरूप, ये अब घर छोड़कर कहीं जाने के मूड में नहीं हैं। एक तरह से उनकी घुमंतू व खानाबदोशी जीवन शैली पर विराम लग गया है।प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास देने के साथ ही उन्हें यह भी समझाइश दी गई कि स्थायी रूप से रहने पर उन्हें राशन कार्ड, आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड जैसी अनेक योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा। यह बात उनकी समझ में आ गई। इस पर अमल करते हुए ग्राम मावलीपारा में निवासरत कमार जनजाति के सभी 16 परिवार यहां के स्थायी निवासी बन गए और जरूरी दस्तावेज बनवाकर अब वे विभिन्न योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। चाहे स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण हो, आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य कार्ड हो या प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजनांतर्गत रसोई गैस कनेक्शन हो अथवा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत् महिला स्वसहायता समूह का निर्माण हो।विकास की मुख्यधारा से हो रहा जुड़ावग्राम पंचायत मावलीपारा के कमारों के मुखिया श्री हीराराम नेताम ने बताया कि आज से लगभग 10-15 साल पहले उनकी जनजाति के ज्यादातर लोग गांवों के बाहर अस्थायी निवास बनाकर रहते थे। यानी घासफूस और लकड़ी के घर बनाकर कुछ दिनों तक रहते, फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही रोजगार की तलाश में वे अक्सर अपना निवास बदल देते थे। श्री नेताम ने बताया कि उनका मुख्य व्यवसाय बांस की टोकरी व सूपा, बिजना जैसी घरेलू उपयोग की चीजें बनाने का रहा है। जब से कम कीमत पर प्लास्टिक और कृत्रिम उत्पाद बाजार में आए, तब से उनका यह धंधा भी मंदा हो चला है। आत्मविश्वास से लबरेज श्री नेताम ने बताया कि अब ऐसा नहीं है। यहां निवासरत ज्यादातर परिवारों के पास राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड सहित प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर, स्वच्छ भारत मिशन से बने शौचालय हैं, जिसका वे नियमित उपयोग करते हैं।श्री नेताम ने बताया कि उनकी जनजाति के लोग स्थायी रूप से निवास करना फायदेमंद और बेहतर है। इसी तरह ग्रामीण श्री पनकूराम कमार (नेताम) ने बताया कि पहले आजीविका के तौर पर मछली का शिकार करके, शहद इकट्ठा करके बेचने सहित अन्य लघु वनोत्पादों को शहर जाकर बेचने का काम किया जाता था। उसी से परिवार का जीवनयापन होता था। अब पीडीएस से मुफ्त राशन के अलावा बीपीएल कार्ड व आधार आदि बनाए जा चुके हैं। घर पहुंच सेवाएं मुहैया कराने के लिए उन्होंने शासन को धन्यवाद दिया।इसी तरह कमार जनजाति की महिलाएं श्रीमती शांति बाई, अमिता नेताम व बृजबती मरकाम ने बताया कि उनके परिवारों को भी शासन की अधिकांश योजनाओं का लाभ मिल रहा है। छूटे हुए लोगों को दायरे में लाने के लिए गांव में कैम्प भी लगाया जा रहा है। इस प्रकार कमार जनजाति का जुड़ाव शनैः शनैः विकास की मुख्यधारा से हो रहा है। नरहरपुर ब्लॉक के 13 ग्राम मावलीपारा, बिहावापारा, बतबनी, भीमाडीह, सांईमुड़ा, मुसुरपुट्टा, दुधावा, बासनवाही, गंवरसिल्ली, भैंसमुण्डी, दलदली, बादल और ग्राम डोमपदर में कमार जनजाति के लोग वर्तमान में निवासरत हैं।पिछड़ी जनजाति के परिवारों को किया जा रहा है लाभान्वितस्वभाव से लजीले, शर्मीले और दुनियावी भागमभाग से दूर अपने आप में मस्त व मशगूल रहने वाले लोगों तक शासन की योजनाओं की पहुंच, उनके गांव और घर तक सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास को दृष्टिगत करते हुए हाल ही में पीएम जनमन योजना प्रारंभ की। इसके तहत समाज की विशेष पिछड़ी जनजातियों को मुख्यधारा में शामिल कर आमजनों की तरह उन्हें शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ दिलाना है।इसी क्रम में जिला प्रशासन की पहल पर जिले के 13 ग्रामों में निवासरत 72 परिवारों के 283 कमार जनजाति के लोगों तक योजना की पहुंच सुनिश्चित करने स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों के द्वारा गांवों में कैम्प लगाकर तथा उनके घर जाकर आवश्यक दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा आधार अपडेशन जैसे कार्य भी गांव में कैम्प लगाकर युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं। कांकेर कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह ने जल्द से जल्द विशेष पिछड़ी जनजाति के शत-प्रतिशत परिवारों को शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के निर्देश जिला अधिकारियों को दिए हैं।आधारभूत सुविधाओं का लाभ लेने में अब पीछे नहींशासन की योजनाओं से विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों की न सिर्फ जीवनचर्या में सकारात्मक बदलाव आ रहा है, अपितु वे अपने पारम्परिक मूल्यों को संरक्षित रखने के साथ शासन की योजनाओं का लाभ लेकर समाज की मुख्यधारा से भी जुड़ रहे हैं। मनुष्य की मौलिक आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा और मकान जैसी सुविधाएं अब उनसे दूर नहीं हैं। अपने बच्चों को बचपन से ही तीर-कमान से शिकार करना, मधुमक्खी के बर्रे से शहद निकालना और स्कूल के बजाय वनोत्पादों का संग्रहण करना सिखाने वाले कमार अब उन्हें रोजाना स्कूल भेज रहे हैं। यहां तक कि गांव के दो शिक्षित कमार युवक शासकीय नौकरी में सेवारत हैं। पक्के मकान से निवास का स्थायी जरिया मिलने के साथ-साथ राशन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी अन्य आधारभूत सेवाओं का लाभ लेने में भी अब वे किसी से कमतर नहीं हैं। वास्तव में यह शासन के प्रयासों से सकारात्मक परिवर्तन की बयार है, जिसके आने वाले दिनों में और भी सुखद परिणाम आएंगे।
- लेखक- श्री. पीयूष गोयल, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग,उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्रीविनिर्माण क्षेत्र में 'जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट' के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के अनुरूप उच्चतम वैश्विक मानकों को पूरा करने वाले उच्च गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध कराने में भारत दुनियाभर में अग्रणी बनने की दिशा में अग्रसर है।प्रतिस्पर्धी दरों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की आपूर्ति 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के प्रधानमंत्री के मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठा रही है कि 'मेड इन इंडिया' ब्रांड गुणवत्ता की गारंटी हो, जो भारतीय और विदेशी उपभोक्ताओं के लिए आनंद का परिचायक बने।प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि एक लाभदायक बाजार तभी कायम रह सकता है जब उत्पादकों और उपभोक्ताओं के हितों में संतुलन हो। इस रणनीति का एक प्रमुख घटक गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) पर जोर देना है। इसके जरिये क्यूसीओ यह सुनिश्चित करता है कि सभी उत्पाद भारतीय मानक ब्यूरो के निर्धारित मानदंडों के अनुरूप हों।यह उन उपभोक्ताओं के लिए एक वरदान है, जिससे उपभोक्ताओं को उत्पादों तथा व्यवसायों के संबंध में विश्वसनीय, सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता का भरोसा प्राप्त होता है। इसके जरिये घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती मांग व उपभोक्ताओं की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिलती है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की डिजिटल इंडिया पहल ने 140 करोड़ भारतीयों के परिवार को दुनिया से जुड़ने और सर्वोत्तम उत्पादों व व्यवहारों के बारे में जानने में मदद की है। वे किसी उत्पाद को खरीदने से पहले नियमित रूप से प्रदर्शन, स्थायित्व और निर्भरता के लिए ग्राहक समीक्षाओं की जांच करते हैं। यदि वे उत्पाद से असंतुष्ट हैं, तो वे सार्वजनिक रूप से कमियों को उजागर करते हैं। इसलिए, उत्पाद की गुणवत्ता, कीमत और नवीनता के बीच संतुलन बनाना समय की मांग है।मोदी सरकार सुरक्षित, विश्वसनीय व बेहतर गुणवत्ता वाले सामान उपलब्ध कराने और भारतीय उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत गुणवत्ता इको-सिस्टम विकसित करने पर केंद्रित है। मई 2014 से पहले, 106 उत्पादों को कवर करने वाले केवल 14 क्यूसीओ जारी किए गए थे। सूची को अब 653 उत्पादों को कवर करते हुए 148 क्यूसीओ तक बढ़ा दिया गया है। इनमें एयर कंडीशनर, खिलौने और जूते जैसे घरेलू उत्पाद शामिल हैं।निर्यात पर गुणवत्ता नियंत्रणक्यूसीओ ने 'मेक इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड' के मिशन को गति दी है। क्यूसीओ के तहत कई उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है। कच्चा लोहा उत्पाद, सौर डीसी केबल, दरवाजे की फिटिंग, छत के पंखे, हेलमेट, स्मार्ट मीटर, हिंजेस, एयर कूलर और एयर फिल्टर गुणवत्ता-नियंत्रित उत्पाद हैं, जो आयात किए जाने की तुलना में कहीं अधिक निर्यात किए जाते हैं। क्यूसीओ द्वारा कवर किए गए कास्ट आयरन उत्पादों का पिछले साल 535 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ था, जबकि आयात मुश्किल से 68 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। लगभग 25 क्यूसीओ में ऐसे उत्पाद शामिल हैं, जहां आयात से अधिक निर्यात होता है।यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि क्यूसीओ भारत में मजबूत गुणवत्ता चेतना के निर्माण पर केंद्रित हैं। इससे देश में खराब गुणवत्ता वाले सामानों की डंपिंग को कम करने में भी मदद मिलती है। उल्लेखनीय है कि सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली वस्तुओं तक पहुंच हमारे अमृत काल में प्रत्येक भारतीय नागरिक का अधिकार है।क्यूसीओ लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। सस्ते इलेक्ट्रॉनिक्स के कारण आग लगने, खिलौनों में जहरीले रसायनों के कारण बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने और बिजली के शॉर्ट-सर्किट जैसे जोखिमों के कारण घटिया उत्पाद घरों के लिए बेहद खतरनाक हो सकते हैं।शानदार उदाहरणगुणवत्ता-नियंत्रण कैसे उपभोक्ताओं और निर्माताओं की मदद के लिए विनिर्माण को आमूल रूप से उन्नत कर सकता है, इसका एक शानदार उदाहरण खिलौना उद्योग है। इस क्यूसीओ के कार्यान्वयन से पहले, भारतीय खिलौना बाजार सस्ते, घटिया उत्पादों से भरा पड़ा था।वर्ष 2019 में भारतीय गुणवत्ता परिषद के एक सर्वेक्षण से पता चला कि मुश्किल से एक-तिहाई खिलौने प्रासंगिक बीआईएस मानकों का पालन करते हैं, और उनमें से अधिकांश बच्चों के लिए खतरनाक थे। यह मोदी सरकार के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य था, जिसने एक जनवरी, 2021 से इस क्षेत्र के लिए क्यूसीओ के साथ तेजी से हस्तक्षेप किया था।इससे भारत में खिलौनों की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ। एक हालिया सर्वेक्षण से पता चला है कि भारतीय बाजार में 84 प्रतिशत खिलौने बीआईएस मानकों का पालन करते हैं। क्यूसीओ ने न केवल भारतीय बच्चों को सुरक्षित, उच्च गुणवत्ता वाले खिलौने उपलब्ध कराए हैं, बल्कि 2018-19 की तुलना में 2022-23 में उनके निर्यात में 60 प्रतिशत की वृद्धि भी हुई है।उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं और घरों में उपयोग होने वाले अन्य उत्पादों पर कई गुणवत्ता मानदंड लागू किए गए हैं। इनमें स्मार्ट मीटर, बोल्ट, नट और फास्टनर, छत के पंखे, अग्निशामक यंत्र, कुकवेयर, बर्तन, पानी की बोतलें, पाइप्ड नेचुरल गैस के उपयोग के लिए घरेलू गैस स्टोव, लकड़ी आधारित बोर्ड, इंसुलेटेड फ्लास्क और इंसुलेटेड कंटेनर आदि शामिल हैं।सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए उद्योग प्रतिनिधियों सहित सभी हितधारकों से परामर्श करती है कि क्यूसीओ को लागू करने से पहले उनकी प्रतिक्रिया, तकनीकी इनपुट और व्यावहारिक सुझावों पर विचार किया जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाता है कि सूक्ष्म एवं लघु इकाइयों को लंबी अंतरण अवधि देकर उनके हितों की रक्षा की जाए। सरकार उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करने औरउन निर्माताओं का समर्थन करने के लिए हमेशा तैयार है, जो गुणवत्ता में सुधार करना चाहते हैं।गुणवत्ता अभिशासन, गुणवत्तापूर्ण उत्पादउत्पादों को वैश्विक मानकों के अनुरूप उन्नत करने का अभियान 140 करोड़ भारतीयों के अपने परिवार के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रधानमंत्री के व्यापक दृष्टिकोण से जुड़ा है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा और बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ-साथ रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी ज़रूरतें प्रदान करने के लिए कई निर्णायक कदम उठाकर उनकी आकांक्षाओं को पूरा किया है। उनके भावनात्मक, भ्रष्टाचार-मुक्त शासन ने विकास को गति दी है, मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया है और भारत को विश्व स्तर पर उज्ज्वल बनाया है। उल्लेखनीय है कि पांच साल में करीब 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।लोगों ने हाल के विधानसभा चुनावों में अपने मतदान से प्रधानमंत्री के उच्च गुणवत्ता वाले प्रशासन के प्रति विश्वास व्यक्त किया है। यह भारतीय निर्माताओं के लिए एक मजबूत संदेश है। जब लोग चयन करते हैं - अपने मत से या अपने बटुए से - तो वे सर्वोत्तम गुणवत्ता चुनते हैं। याद रहे कि 'क्वालिटी इज फ्री' के लेखक फिलिप क्रॉस्बी ने एक बार कहा था: "यदि आप गुणवत्ता से बाहर हैं, तो आप व्यवसाय से बाहर हैं।"
- प्रेरणा गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)भटक नहीं जाना राहों में , सच्चाई का भान रहे ।लक्ष्य सदा रखना नजरों में , और कहीं मत ध्यान रहे ।।
कंटकीर्ण मुश्किल राहों में , कदम सँभाले चलना है ।छँट जाएँगे स्याह अँधेरे, दीप ज्योति-सम जलना है ।राह सही चुन पाओगे यदि ,भले-बुरे का ज्ञान रहे ।।लक्ष्य सदा रखना नजरों में ,और कहीं मत ध्यान रहे ।।
एकलव्य-सम करो साधना ,सूक्ष्म दृष्टि अर्जुन जैसी ।अपनी कमियों को अपनाकर ,कर लें दूर झिझक कैसी ।पंख हौसलों के लग जाएँ , ऊँची सदा उड़ान रहे ।।लक्ष्य सदा रखना नजरों में , और कहीं मत ध्यान रहे ।।
खुली आँख से देखो सपने , निज जीवन में रंग भरो ।मन में नई उमंगें भरकर , स्वप्न सभी साकार करो ।आत्म-परीक्षण करते रहना , क्षमता का संज्ञान रहे ।।लक्ष्य सदा रखना नजरों में , और कहीं मत ध्यान रहे ।।