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- ब्लैक कॉफी पीना स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होती है। चाहे वजन घटाना हो या शारीरिक कमजोरी को दूर भगाना क्यों न हो। ब्लैक कॉफी पीना इन सभी समस्याओ में फायदेमंद मानी जाती है। ब्लैक कॉफी को वैसे तो कई तरीकों से पिया जा सकता है, लेकिन ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से भी सेहत को कई फायदे होते हैं। ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते हैं, जिससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है।यही नहीं ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से कॉफी की कड़वाहट भी कम हो जाती है और कॉफी स्वादिष्ट बन जाती है। ब्लैक कॉफी में हल्का नमक मिलाकर पीने से इसके स्वास्थ्य फायदे दोगुने हो जाते हैं। नमक मिलाने के बाद कॉफी में थोड़ा खट्टा-मीठा फ्लेवर आने लगता है, जो पीने में काफी अच्छा लगता है।ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने के फायदे1. इलेक्ट्रोलाइट्स को करे बैलेंसब्लैक कॉफी पीना शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को बैलेंस करने में काफी लाभकारी होता है। शरीर में अगर इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस बिगड़ जाए तो इससे डिहाइड्रेशन के साथ ही अन्य भी कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अगर आप ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीते हैं तो इससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस रहते हैं। हालांकि, अगर आप ब्लैक कॉफी और नमक को ज्यादा मात्रा में लेते हैं तो इसका कई बार नकारात्मक असर भी देखने को मिल सकता है।2. शरीर के बनाए एनर्जेटिकशरीर को एनर्जेटिक बनाए रखने के लिए ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीना काफी लाभकारी हो सकता है। अगर आप जिम जाते हैं या वर्कआउट करते हैं तो ऐसे में वर्कआउट करने से कम से कम 30 मिनट पहले कॉफी में नमक मिलाकर पिएं। ऐसा करना आपकी शारीरिक शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ आपको फुर्तीला भी बनाता है। इसे पीने से आपका स्टैमिना लंबे समय तक बरकरार रहता है।3. पेट की जलन को कम करने में फायदेमंदअगर आपको अक्सर पेट में जलन या गैस की समस्या रहती है तो ऐसे में कॉफी में नमक मिलाकर पीना फायदेमंद हो सकता है। कई बार कुछ खाने के के बाद भी पेट में जलन हो सकती है। अगर आपको भी इस तरह की कोई समस्या है तो कॉफी में नमक मिलाकर पीने से पेट की जलन और एसिडिटी शांत होती है। दरअसल, ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से पेट का एसिड बैलेंस रहता है।4. वजन घटाने में लाभकारीवजन घटाने के लिए ब्लैक कॉफी पीना किसी रामबाण से कम नहीं है। लेकिन, ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीने से वजन घटाने के लिए इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं। अगर आप तेजी से वजन घटाना चाहते हैं तो ऐसे में कॉफी में नमक मिलाकर पीना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। इसे पीने से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी आसानी से कम होती है। इसे पीने से आपका बैली फैट भी कम होता है।5. मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मददगारब्लैक कॉफी पीना मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में भी काफी लाभकारी साबित होता है। अगर आपका मेटाबॉलिज्म कमजोर है या आप मोटापा का शिकार हैं तो ऐसे में ब्लैक कॉफी में नमक मिलाकर पीना फायदेमंद हो सकता है। ब्लैक कॉफी पीने से मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया तेज होती है, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है और आप ज्यादा एक्टिव रहते हैं। इसे पीने से आपकी सुस्ती, थकान और कमजोरी जैसी समस्याओं से भी राहत मिलती है। लेकिन, इस बात का ध्यान रखें कि ब्लैक कॉफी में ज्यादा मात्रा में नमक न मिलाएं।
- अक्सर हम फ्रिज को सिर्फ एक ऐसी मशीन मान लेते हैं जो खाना ठंडा रखने का काम करती है, लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि अगर इसकी अंदरूनी सफाई समय पर न की जाए, तो यह बीमारियों का घर बन सकता है। मॉनसून के दौरान वातावरण में मौजूद नमी सिर्फ दीवारों या कपड़ों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि फ्रिज के अंदर भी जमा होकर बैक्टीरिया और फंगस के लिए अनुकूल वातावरण बना देती है। इसका नतीजा यह होता है कि खाने-पीने की चीजें जल्दी खराब होती हैं और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। इसी गंभीरता को समझते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने हाल ही में चेतावनी जारी की है कि मानसून के दौरान हर 15 दिन में फ्रिज की अंदर से अच्छे से सफाई करना बेहद जरूरी है। यह आदत न केवल आपके परिवार को इंफेक्शन से बचाएगी, बल्कि खाने की गुणवत्ता, स्वाद और पोषण को भी बरकरार रखेगी।मॉनसून में इंफेक्शन का खतरा क्यों बढ़ जाता है?मॉनसून के दौरान हवा में मौजूद ज्यादा नमी घर के हर कोने में फंगस और बैक्टीरिया के पनपने का वातावरण तैयार करती है। फ्रिज के अंदर भी यही नमी जमा हो जाती है, जिससे खाने की चीजें जल्दी खराब हो जाती हैं। गंदे फ्रिज में रखा खाना, इंफेक्शन का घर बन सकता है, जिससे पेट दर्द, उल्टी, दस्त और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए ये इंफेक्शन ज्यादा खतरनाक साबित हो सकते हैं।फ्रिज की सफाई जरूरी क्यों है?-फ्रिज खाने को लंबे समय तक सुरक्षित रखने में मदद करता है, लेकिन अगर उसकी सफाई न की जाए, तो वही फ्रिज बीमारियों का कारण बन सकता है। खाने से गिरा हुआ तरल, पुराने फलों या सब्जियों के कण और जमे हुए बर्फ के टुकड़े अंदर बैक्टीरिया को जन्म देते हैं। नमी और गंदगी मिलकर फ्रिज को इंफेक्शन का केंद्र बना देते हैं। इसीलिए नियमित सफाई जरूरी है, ताकि फ्रिज में रखा हर भोजन सुरक्षित और ताजा रहे।कब और कितनी बार करनी चाहिए फ्रिज की सफाई?एफएसएसएआई (FSSAI) ने अपनी गाइडलाइंस में स्पष्ट किया है कि हर 15 दिन में एक बार फ्रिज की अच्छी तरह सफाई और डिफ्रॉस्टिंग करनी चाहिए। 2 हफ्ते के अंतराल पर की गई सफाई से अंदर जमा नमी, बर्फ और बैक्टीरिया के स्रोत खत्म हो जाते हैं। नियमित सफाई न केवल बीमारियों से बचाव करती है बल्कि फ्रिज की कूलिंग क्षमता भी बेहतर बनाती है।गंदे फ्रिज से फैल सकती हैं ये बीमारियां1. फूड पॉइजनिंग-बासी या संक्रमित खाने से पेट में मरोड़, उल्टी और दस्त हो सकते हैं।2. साल्मोनेला इंफेक्शन-साल्मोनेला, दूषित अंडे, मांस या डेयरी उत्पाद से होने वाला इंफेक्शन है, जिससे बुखार, पेट दर्द और दस्त की समस्या हो सकती है।3. लिस्टीरियोसिसयह बैक्टीरिया ठंडे वातावरण में भी जिंदा रह सकता है और गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकता है।4. ई. कोलाई इंफेक्शन- कच्ची सब्जियों या गंदे फ्रिज में रखे अधपके भोजन से फैलने वाला ई. कोलाई इंफेक्शन, जिससे गंभीर पेट दर्द और डायरिया हो सकता है।5. मोल्ड एलर्जी और सांस की समस्याएंफ्रिज में फंगस और मोल्ड जमने से एलर्जी, छींक, खांसी और अस्थमा जैसी समस्याएं हो सकती हैं।6. हाइपोटेंशन और कमजोरीबार-बार दूषित खाना खाने से शरीर में कमजोरी, चक्कर और ब्लड प्रेशर कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।7. त्वचा पर रैशेज और इंफेक्शनदूषित खाने से शरीर पर रैशेज या एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं।मॉनसून में थोड़ी सी लापरवाही भी सेहत के लिए भारी पड़ सकती है। इसलिए FSSAI की सलाह को गंभीरता से लें और अपने फ्रिज को साफ-सुथरा रखें।
- बैंगन एक ऐसी सब्जी है, जो पूरे साल बाजार में आसानी से मिल जाती है। बैंगन का भर्ता, बैंगन की सब्जी और बैंग के पकौड़े लोग खूब चाव से खाते हैं। बैंगन की सब्जी खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए फायदेमंद भी होती है। इसके सेवन से शरीर की कई समस्याओं से छुटकारा हैं। लेकिन इतने फायदों के बावजूद कुछ लोगों को बैंगन का सेवन करने से बचना चाहिए। जी हां, कुछ लोगों के लिए बैंगन का सेवन नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। कुछ बीमारियों में इसका सेवन करने से रोगी की मौजूदा स्थिति बिगड़ भी सकती है।किडनी से जुड़ी समस्याएंअगर आपको किडनी से जुड़ी कोई बीमारी है, तो आपको बैंगन का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। खासतौर पर, किडनी स्टोन की समस्या में इसका सेवन काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें ऑक्सलेट काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण पथरी की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में, अगर आपको पथरी या किडनी से जुड़ी समस्या है, तो अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें।पाचन से जुड़ी समस्याएंजिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट खराब हो सकता है। इसके कारण आपको पेट में दर्द, अपच, कब्ज और पेट फूलने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कमजोर पाचन वाले लोगों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।एनीमिया की समस्याअगर आपको एनीमिया की समस्या है, तो आपको बैंगन का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। दरअसल, बैंगन का सेवन करने से शरीर में आयरन की कमी होती सकती है। इस वजह से खून की कमी के रोगियों को बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। खून की कमी होने पर बैंगन का सेवन करने से आपकी समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है।बवासीर की समस्या में न खाएं बैंगनबवासीर की समस्या से परेशान लोगों को भूलकर भी बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। खासतौर पर, खूनी बवासीर से ग्रसित लोगों के लिए बैंगन का सेवन नुकसानदायक साबित हो सकता है। अगर आप बवासीर की समस्या में बैंगन का सेवन करते हैं, तो इससे आपकी समस्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है।एलर्जी की समस्याकुछ लोगों को बैंगन का सेवन करने से एलर्जी की समस्या हो सकती है। इसके कारण उन्हें त्वचा पर खुजली, रैशेज, और सूजन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, जिन लोगों को बैंगन से एलर्जी है, उन्हें इसका सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
- जिस तरह से लंबे जीवन के लिए अच्छा स्वास्थ्य होना जरूरी है, ठीक उसी तरह से खूबसूरत और ग्लोइंग त्वचा के लिए हेल्दी स्किन होना बेहद आवश्यक है। ऐसे में लोग ग्लोइंग त्वचा पाने के लिए तमाम स्किन केयर प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं और तरह-तरह के स्किन केयर ट्रीटमेंट लेते हैं।अपनी त्वचा का खास ध्यान लड़कियां तो खूब अच्छे से रख लेती हैं, लेकिन लड़के इस मामले में थोड़ा आलसी माने जाते हैं। इसी के चलते ज्यादातर लड़के न तो स्किन केयर करते हैं, बल्कि वो तो त्वचा संबंधी दिक्कतों को इग्नोर भी कर देते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी ही दिक्कतों के बारे में बताने जा रहे हैंं, जिन्हें ज्यादातर लड़के पूरी तरह से इग्नोर कर देते हैं।मुंहासेगंदगी की वजह से अक्सर चेहरे पर मुंहासे निकल जाते हैं, जिनस सही समय पर इलाज करना बेहद जरूरी है। अगर इनका सही से इलाज न किया जाए तो ये फैलन जाते हैं और चेहरे पर दाग छोड़ जाते हैं। ऐसे में अगर आपके चेहरे पर एक भी मुंहासा दिख रहा है तो तत्काल प्रभाव से उसका इलाज करें, ताकि आकी दिक्कत ज्यादा न बढ़ जाए।ड्राई स्किनजब मौसम बदलता है तो स्किन में कुछ बदलाव अवश्य आता है। खासतौर पर ज्यादातर लोगों की स्किन बदलते मौसम में रूखी हो जाती है। जब त्वचा फटने लगती है तो इसपर खुजली होती है। नेचुरल ऑयल की कमी से स्किन जल्दी बूढ़ी दिखने लगती है। इसलिए मौसम बदलने की शुरुआत होते ही स्किन पर अच्छा म़ॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना शुरू करें। इससे आपकी स्किन की नमी बरकरार रहेगी।टैनिंगलड़कियां तो बार-बार सनस्क्रीन का इस्तेमाल कर लेती हैं, लेकिन लड़कों को इसमें बड़ा आलस आता है। दरअसल, धूप में निकलने से स्किन जल जाती है या काली पड़ जाती है। अगर इस दिक्कत से बचना चाहते हैं तो कम से कम 50 एसपीएफ की सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, ताकि आपकी त्वचा का रूखापन आपको परेशान न करें।डार्क सर्कल्सअक्सर लोगों को लगता है कि डार्क सर्कल्स सिर्फ थकान की वजह से होते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। ये कई कारणों से होते हैं। ऐसे में शुरुआती दिनों में ही इसका ध्यान रखें। आजकल बाजार में तमाम तरह की अंडर आई क्रीम आती हैं जो त्वचा के लिए काफी लाभयादक रहती हैं।डैंड्रफसिर की त्वचा पर जब रूखापन बढ़ जाता है तो डैंड्रफ की समस्या सामने आती है। ऐसे में या तो रूसी हटाने वाले शैंपू का इस्तेमाल करें। अगर ये नहीं है तो घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि दही रूसी हटाने में काऱी कारगर माना जाता है।
- आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और तनावपूर्ण माहौल में, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) का कमजोर होना एक आम समस्या बनती जा रही है। अगर आप अक्सर ही बीमार रहते हैं, जरा सा मौसम बदलने पर सर्दी-खांसी पकड़ लेती है, या हर समय थकान और कमजोरी महसूस होती है? ये सभी संकेत हैं कि आपका इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है। जब हमारी इम्यूनिटी कमजोर होती है, तो शरीर बीमारियों और संक्रमणों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।ऐसे में अक्सर लोग दवाओं का सहारा लेते हैं। शरीर में अधिक दवा खाने से इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, इससे बचने के लिए आपको अपनी इम्यूनिटी मजबूत करना सबसे अच्छा विकल्प है। अगर आप सही डाइट लेते हैं तो, आप खुद को कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं। अपनी डाइट में कुछ खास चीजों को शामिल करके आप अपने इम्यून सिस्टम को इतना मजबूत बना सकते हैं। आइए इस लेख में चार ऐसे ही खाद्य पदार्थ के बारे में जानते हैं, जो आपकी इम्यूनिटी सिस्टम को बूस्ट करने में मदद कर सकते हैं।विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थविटामिन सी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाता है। आंवला, संतरा, नींबू और कीवी विटामिन सी के बेहतरीन स्रोत हैं। रोजाना सुबह एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से न केवल इम्यूनिटी बढ़ती है, बल्कि पाचन तंत्र भी बेहतर होता है। आंवला, चाहे कच्चा हो या जूस के रूप में, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में कारगर है। डाइट में इन फलों को शामिल करने से शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स का उत्पादन बढ़ता है, जो इंफेक्शन से लड़ने में मदद करती हैं।अदरक और हल्दीअदरक और हल्दी भारतीय रसोई का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में भी कारगर हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो गले की खराश और सर्दी से राहत दिलाते हैं। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो शरीर में सूजन को कम करता है और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करता है। रोजाना एक गिलास गर्म दूध में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीना या अदरक की चाय का सेवन इम्यूनिटी को मजबूत करने का आसान तरीका है।दही और प्रोबायोटिक्सआंतों का स्वास्थ्य इम्यूनिटी से सीधे जुड़ा है। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं और इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करते हैं। रोजाना एक कटोरी ताजा दही खाने से न सिर्फ इम्यूनिटी मजबूत होती है, बल्कि इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है। घर का बना दही या प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ जैसे छाछ या फर्मेंटेड फूड प्रोडक्ट को डाइट में शामिल करें।बादाम और मेवेबादाम, अखरोट और अन्य मेवे विटामिन ई, जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बादाम में मौजूद विटामिन ई एक एंटीऑक्सिडेंट है, जो कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है। रोजाना मुट्ठी भर ड्राई फ्रूट्स या मिक्स्ड नट्स खाने से शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है, जिससे हमारे देश के करोड़ों लोग प्रभावित हैं। इस स्थिति में ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना सबसे जरूरी होता है, और इसमें आहार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटीज मरीजों को कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ को डाइट में शामिल करना चाहिए।ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) एक माप है जो बताता है कि कोई भोजन कितनी तेजी से आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा सकता है। उच्च जीआई वाले खाद्य पदार्थ शुगर लेवल को तेजी से बढ़ाते हैं, जबकि लो जीआई वाले खाद्य पदार्थ इसे धीरे-धीरे और स्थिर रूप से बढ़ाते हैं। यही वजह है कि एक्सपर्ट्स डायबिटीज के मरीजों को कम जीआई वाले खाद्य पदार्थ को डाइट में शामिल करने का सलाह देते हैं।अब आपको डाइट में शामिल करने के लिए कम जीआई वाले कई खाद्य पदार्थ के बारे में मालूम होगा। लेकिन क्या आपको कम जीआई वाले आटे के बारे में मालूम है? जी हां, अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आप कुछ खास तरह के आटे को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। ये आटे आपके शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। आइए, इस लेख में हम ऐसे तीन आटे के बारे में जानेंगे जो डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद हैं, और समझेंगे कि उन्हें अपनी डाइट में कैसे शामिल किया जाए।रागी का आटारागी, जिसे फिंगर मिलेट भी कहते हैं, कैल्शियम, फाइबर और आयरन का समृद्ध स्रोत है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसके कारण यह ब्लड शुगर को धीरे-धीरे बढ़ाता है और लंबे समय तक स्थिर रखता है। रागी में मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है और भूख को नियंत्रित करता है, जो वजन प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है। डायबिटीज के मरीज रागी के आटे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसे गेहूं के आटे के साथ मिलाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।बाजरा का आटाबाजरा (पर्ल मिलेट) एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। बाजरा के आटे में फाइबर, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाते हैं। बाजरा का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा, यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। बाजरे के आटे की रोटी, खिचड़ी या भाकरी बनाई जा सकती है।ज्वार का आटाज्वार (सोरघम) एक और पौष्टिक अनाज है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। ज्वार का आटा ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। बता दें कि ज्वार भी एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है। ज्वार की रोटी, डोसा या उपमा डायबिटीज के मरीजों के लिए स्वादिष्ट और सेहतमंद विकल्प है। इन आटों को गेहूं के आटे के साथ 1:1 के अनुपात में मिलाकर रोटी बना सकते हैं, ताकि स्वाद और पोषण का संतुलन बना रहे।
- मानसून का मौसम जितना सुहाना होता है, ये उतनी ही स्वास्थ्य चुनौतियां को लेकर आता है। मानसून में कभी भी बारिश हो जाती है, ऐसे में कई बार लोगों को बारिश में भीगकर अपना काम करना पड़ता है। बारिश में भीगना कुछ लोगों को रोमांचक भी लगता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि बारिश भीगने से सर्दी-जुकाम, फ्लू और अन्य मौसमी बीमारियों के खतरा बढ़ा जाता है।गीले कपड़े की वजह से ठंड लगती है, जिससे हम आसानी से संक्रमणों का शिकार बन सकते हैं। ऐसे में, अगर आप कभी बारिश में अनजाने में भीग जाते हैं, तो आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है। आइए इस लेख में उन सावधानियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।तुरंत कपड़े बदलेंबारिश में भीगने के बाद सबसे पहले गीले कपड़ों को उतारकर सूखे और गर्म कपड़े पहनें। गीले कपड़े शरीर का तापमान कम करते हैं, जिससे सर्दी-जुखाम का खतरा बढ़ता है। कपड़े बदलने के बाद शरीर को अच्छी तरह पोंछ लें और अगर संभव हो तो गुनगुने पानी से नहाएं। यह न केवल शरीर को गर्म रखता है, बल्कि त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया को भी हटाता है।गुनगुना पानी पिएंभीगने के बाद शरीर को गर्म रखने के लिए गर्म पेय जैसे हर्बल चाय, अदरक की चाय, या गुनगुना पानी पिएं। अदरक और तुलसी की चाय इम्यूनिटी को बूस्ट करती है और सर्दी-जुकाम से बचाव करती है। इसमें शहद मिलाने से गले की खराश में भी राहत मिलती है। ठंडे पेय या कोल्ड ड्रिंक्स से परहेज करें, क्योंकि ये शरीर को और ठंडा कर सकते हैं।इम्यूनिटी बढ़ाने वाला आहार लेंबारिश में भीगने के बाद इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे संतरा, नींबू, या आंवला खाएं। गर्म सूप, जैसे टमाटर या वेजिटेबल सूप, न केवल शरीर को गर्म रखता है, बल्कि पोषण भी प्रदान करता है। हल्दी वाला दूध पीना भी इम्यूनिटी बढ़ाने और सूजन कम करने में मदद करता है।पैरों को गर्म रखेंपैरों का ठंडा रहना सर्दी-जुकाम का एक प्रमुख कारण हो सकता है। भीगने के बाद पैरों को अच्छी तरह सुखाएं और मोजे पहनें। गुनगुने पानी में नमक डालकर पैरों को 10-15 मिनट तक डुबोने से रक्त संचार बेहतर होता है और ठंड का प्रभाव कम होता है। यह तरीका थकान को कम करने में भी सहायक होता है।
- सलाद में खाया जाने वाला प्याज आपके लिए कितना फाय़देमंद साबित हो सकता है. आमतौर पर लोग कच्चे प्याज के फायदों को अनदेखा कर देते हैं. लेकिन हम आपको कच्चे प्याज को खाने से मिलने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं आइए जानते हैंआयुर्वेद में प्याज का महत्वप्याज को वात संबंधी रोगों में फायदेमंद माना गया है. यह शरीर की एनर्जी और ताकत बढ़ाता है/ स्ट्रेस और जोड़ों के दर्द को कम करता है. आयुर्वेद के अनुसार, इसके नियमित सेवन से भूख, पाचन शक्ति बेहतर होती है और पुरुषों में स्पर्म काउंट में भी सुधार होता है. कान दर्द में ताजा प्याज का रस फायदेमंद है, खांसी, अस्थमा और सर्दी में घी में भुना प्याज फायदेमंद है, और नाक से ब्लीडिंग रोकने के लिए भी ताजा प्याज का रस मददगार होता है. प्याज को इम्यूनिटी बढ़ाने वाला भी माना गया हैमॉर्डन साइंस के अनुसार प्याज के फायदेप्याज में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स, जैसे क्वेरसेटिन और सल्फर कंपाउंड, शरीर के लिए फायदेमंद हैं. दिल की बीमारियों को दूर करने के लिए प्याज बहुत फायदेमंद होता है. ये ब्लड प्रेशर कम करता है, इंफ्लेमेशन को घटाता है, और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करता है, जिससे हार्ट हेल्दी बनता है. प्याज आपके दिल को हेल्दी रखने में मदद करता है. कैंसर के खतरे को कम करने में भी प्याज मददगार है. इसमें मौजूद फ्लेवोनोइड्स कैंसर सेल्स के विकास को रोकते हैं. खासतौर पर कोलन और ब्रेस्ट कैंसर के लिए इसे फायदेमंद माना जाता हैप्याज के लाल रंग में पाए जाने वाले एंथोसाइनिन कंपाउंड कैंसर से लड़ने में मददगार होते हैं. डायबिटीज के लिए भी प्याज लाभकारी है क्योंकि ये इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है और लिवर में शुगर मेटाबॉलिज्म सुधारता है. पेट की हेल्थ के लिए प्याज एक अच्छा प्रीबायोटिक स्रोस माना जाता है. इसमें पाए जाने वाले फाइबर गुड बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जो पेट की दीवारों को मजबूत बनाते हैं, इंफ्लेमेशन को कम करते हैं और इम्यूनिटी बढ़ाते हैं. प्याज हड्डियों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. इसमें पाए जाने वाले कंपाउंड ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करते हैं. इसके अलावा प्याज में प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण होते हैं. इसमें पाया जाने वाला सल्फर कंपाउंड बैक्टीरिया को मारने में मदद करते हैं
- लोगों के साथ ऐसा देखने को मिलता है कि उन्हें देर रात आपका पेट गुरुड़-गुरुड़ आवाज करने लगता है, जिसका मतलब आपको भूख लगने लगती है. ऐसे में लोग बिना कुछ सोचे-समझे घर में रखा कोई भी स्नैक्स खा लेते हैं. ये आपकी भूख को मिटा सकता है, लेकिन आपकी हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ये आपकी ब्लड शुगर लेवल को भी बढ़ा देते हैं. बहुत ज्यादा या गलत चीजें खाना आपका ब्लड शुगर बढ़ सकता है, जो आपकी नींद और आपकी हेल्थ के साथ खिलवाड़ कर सकता है.इस समस्या से निजात पाने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन ये है कि आप रात में सोने से पहले कुछ हल्का, सैटिस्फाइंग खा लें, जो आपके ब्लड शुगर के लिए भी अच्छा हो. ऐसे बहुत सारे स्वादिष्ट, कम ग्लाइसेमिक वाले स्नैक्स हैं, जो आपके सिस्टम में गड़बड़ी पैदा किए बिना आपकी भूख को शांत कर सकते हैं. चलिए जानते हैं उनके बारे में.1. चिया पुडिंग: चिया सीड्स को बिना चीनी वाले दूध और थोड़ी सी दालचीनी या वेनिला के साथ मिलाएं. इसे रात भर फ्रिज में रखें. ये फाइबर और गुड फैट्स से भरपूर होते हैं जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है और सोते समय आपका बेट भरा हुआ रखती है.2. पनीर क्यूब्स: सोने से पहले पनीर के कुछ क्यूब्स खाना भी आपके लिए अच्छा ऑप्शन होते हैं. इसमें प्रोटीन ज्यादा मात्रा में होता है और कार्ब्स कम होते हैं, इसलिए यह आपका पेट भरा रखते हैं और शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं.3. बादाम: थोड़े से बादाम रात को सोते समय खाना हेल्थ के लिए अच्छा हो सकता है. बादाम में हेल्दी फैट्स, फाइबर और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपकी नींद को बेहतर बनाते हैं और शुगर लेवल को कंट्रोल करते हैं.4. प्लेन ग्रीक योगर्ट: ये हाई प्रोटीन वाला नाश्ता है, जो आपके पेट को भरा रखता है और आपके शुगर लेवल को जल्दी नहीं बढ़ाता है.5. उबला हुआ अंडा: उबला हुआ अंडा एक सिंपल और हेल्दी ऑप्शन है. इसमें प्रोटीन और ट्रिप्टोफैन होता है, जो मेलाटोनिन (नींद का हार्मोन) बनाकर आपके शरीर को बेहतर नींद दिलाने में मदद करता है.6. मूंग दाल का सूप: गर्म मूंग दाल का सूप बहुत हल्का और पचाने में आसान होता है. यह स्लो एनर्जी देता है और आपके शुगर लेवल को बैलेंस रखता है.-
- पोर स्ट्रिप्स से ब्लैकहेड्स हटाना जितना आसान है, उतना ही ये त्वचा के लिए नुकसानदायक है। यहां हम आपको पोर स्ट्रिप्स से होने वाले नुकसानों और इसे इस्तेमाल करते वक्त जिन सावधानियों को बरतना चाहिए, उस बारे में बताने जा रहे हैं।कैसे होता है इस्तेमाल ?इसके नुकसान जानने से पहले ये जान लें कि आखिर इन पोर स्ट्रिप्स को इस्तेमाल कैसे किया जाता है। ये पोर स्ट्रिप्स देखने में प्लास्टिक या फिर सूती कपड़े के जैसी ही होती हैं, जिसके एक तरफ काफी चिपचिपा पदार्थ लगा होता है। इस स्ट्रिप को ब्लैकहेड की साइड चिपकाकर थोड़ा सा प्रेस करें। जब ये पूरी तरह से चिपक जाए तो झटके से इसे स्किन से छुटा लें। इसे वैक्स स्ट्रिप की तरह ही हटाया जाता है। जिसकी वजह से ब्लैकहेड्स स्किन से उखड़कर इन स्ट्रिप्स पर चिपक जाते हैं।अब इसके नुकसान जान लेते हैं -रोम छिद्र हो जाते हैं बड़े: पोर स्ट्रिप्स के इस्तेमाल से त्वचा के रोम छिद्र काफी ज्यादा खुल जाते हैं, जिस कारण आपकी त्वचा अजीब दिख सकती है। पोर्स के ज्यादा खुला रहने की वजह से त्वचा की सतह पर गंदगी जमने लगती है जो आगे जाकर मुंहासों का कारण बन सकती है।त्वचा हो सकती है डिहाइड्रेटेड : यदि आप ज्यादा पोर स्ट्रिप्स का इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपके चेहरे की नमी कम होने लगेगी। कई बार तो इस कारण से ही त्वचा डिहाइड्रेटेड होने लगती है। ऐसे में गर्मी के मौसम में आपको इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए।
- आज के समय में लाइफस्टाइल इतनी बिगड़ी हुई है, कि उसकी वजह से लोगों की त्वचा और बालों पर काफी प्रभाव पड़ने लगा है। चेहरे का ध्यान तो लोग रख लेते हैं, लेकिन अक्सर वो बालों पर ध्यान रखना भूल जाते हैं। अगर आप भी बालों का ध्यान नहीं रखते तो हेयर फॉल की समस्या से आप परेशान जरूर होंगे। इस हेयर फॉल को रोकने के लिए लोग महंगे-महंगे प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ता। ऐसे में हम आपको आज घर पर ही बिना केमिकल वाला शैंपू इस्तेमाल करने का आसान तरीका बताएंगे। इस शैंपू के इस्तेमाल से आपकी कई समस्याएं दूर होंगी। आइए आपको यहां हम घर पर ही शैंपू बनाना बताते हैं, ताकि आप भी इसका इस्तेमाल करके बालों का झड़ना रोक सकें।बिना केमिकल के शैंपू तैयार करने का सामानबिना केमिकल वाले शैंपू को बनाने के लिए सबसे पहले रीठा, शिकाकाई, आंवला, मेथी दाना, नीम पत्तियां, ब्राह्मी और भृंगराज जैसी जड़ी-बूटियों को रातभर पानी में भिगो दें। इसे आप एक साथ भी उबाल सकते हैं, ताकि इसका पानी एक दूसरे में अच्छी तरह से मिक्स हो जाए। रातभर सभी चीजों को भीगने के बाद अगले दिन सुबह के समय इसे धीमी आंच पर उबालें। इसे सही से उबलने में तकरीबन 20 मिनट का समय लगेगा। जब ये सही से उबल जाए इसे ठंडा होने के लिए साइड में रख दें। ठंडा होने पर इस मिश्रण को छान लें और एक बोतल में भरकर रख लें। इसका इस्तेमाल आप हफ्ते में दो से तीन बार आसानी से कर सकते हैं। इस शैंपू के इस्तेमाल से पहले एक बार पैच टेस्ट अवश्य करें, ताकि ये आपको लाभ पहुंचाए।अब आपको इस शैंपू के फायदों के बारे में बताते हैं। इसके इस्तेमाल से आपके बालों की जड़ें मजबूत हो सकती हैं। बाजार में मिलने वाले शैंपू में भारी मात्रा में केमिकल होता है, तो घर पर बना शैंपू केमिकल्स से होने वाले नुकसानों से आपके बालों को बचाता है। इसके इस्तेमाल से स्कैल्प भी अच्छी तरह से साफ हो जाती है। तो बस केमिकल वाला शैंपू छोड़िए और इस्तेमाल करके देखिए घर पर बना बिना केमिकल वाला ये शैंपू।
- जिम जाकर खुद को फिट और बॉडी को बेहतरीन शेप देने की कोशिश कर रहे पुरुष मसल्स्स ग्रोथ बढ़ाने में हां कहेंगे। लेकिन कितने पुरुषों को इसका सही तरीका पता है? हो सकता है सबको सही तरीका पता हो, लेकिन इसके साथ किन गलतियों को करने से बचना है, वो न पता हो। जी हां अक्सर पुरुष मसल्स ग्रोथ करने की कोशिश में कुछ गलतियां कर बैठते हैं। ये वो गलतियां हैं जो आपकी घंटों की मेहनत को बेकार कर देती हैं। ये आपके मसल्स ग्रोथ को बेहतर होने ही नहीं देती हैं। हो सकता है आप भी जिम में पसीना बहाते हुए ऐसी ही गलतियां कर रहे हों। इन गलतियों को पहचान लीजिए और मसल्स ग्रोथ को बढ़ा लीजिए।लिफ्ट हों धीमे-धीमेअक्सर कई पुरुष सोचते हैं कि बड़े मसल्स के लिए आपको भारी वजन जल्दी-जल्दी उठाना जरूरी होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। आप भारी वजन उठाइए लेकिन धीरे-धीरे।दरअसल धीरे-धीरे किए गए रैप्स के साथ किसी खास मसल्स पर फोकस करना आसान हो जाता है। धीमे रैप्स के साथ मसल्स को उनके मोशन के फुल रेंज तक ले जाया जा सकता है। इसके साथ ग्रोथ और बेहतर और एक सी होती हैभारी वजन के ज्यादा रैप्सयाद रखिए, आप अगर आपको मसल्स ग्रोथ बढ़ानी है तो भरी वजन उठाने के साथ इसके रैप्स भी ज्यादा करने की कोशिश करनी होगी। सुनिश्चित करें कि आप सही फॉर्म में वजन उठाएं। अगर आपको लग रहा है कि आप एक्सरसाइज का मोशन पूरा नहीं कर पाएंगे तो हल्का वजन ही उठाएं लेकिन एक्सरसाइज पूरी करें। लेकिन ये बात भी सही है कि ज्यादा वजन उठाने पर रैप्स ज्यादा नहीं हो पाते हैं। हालांकि आप भारी वजन के साथ 8 से 10 रैप्स ले सकते हैं। इसलिए इतना करने की तो कोशिश करें हीं।रिकवरी है जरूरीयाद रखिए, मसल्स ग्रोथ तब नहीं होती है जब आप जिम में मेहनत कर रहे होते हैं बल्कि ये तब होती है, जब मसल्स आराम कर रही होती हैं। किसी खास मसल्स ग्रुप की एक्सरसाइज करने के बाद इसे कम से कम 48 घंटे का आराम मिलना चाहिए। तब ये आसानी से रिकवर और ग्रो कर पाती हैं।इसके लिए टाइम टेबल बनाएं, जिसमें किसी खास मसल्स ग्रुप के लिए अलग-अलग दिन निश्चित किए गए हों। जैसे आपने सोमवार को लेग डे सुनिश्चित किया है तो अगली बार ये एक्सरसाइज गुरुवार को ही करें।एक ही मोशन की आदत है गलतआपकी मसल्स को अगर एक ही तरह की एक्सरसाइज कराई जाती रहेगी तो इसको इसकी आदत पड़ जाएगी। इस आदत के चलते मसल्स ग्रोथ कम होने लगेगी। इसलिए जरूरी है कि आप मशीनों में हर कुछ दिन में बदलाव करते रहें। या फिर रैप्स की स्पीड और संख्या में भी बदलाव किए जा सकते हैं। कार्डियो एक्सरसाइज जरूरी तो हैं लेकिन इनको सीमा से ज्यादा कर लेना भी सही नहीं है। ऐसा करने पर मसल्स ग्रोथ काफी धीमी हो जाती है।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, पाचन को ठीक रखना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है कि आप खान-पान में सुधार कर लें। इसके अलावा आज से ही 3एफ फॉमूर्ले का पालन शुरू कर दें। आइए इसके बारे में जानते हैं। अगर आपका पाचन स्वास्थ्य ठीक है तो इसका मतलब है कि आप कई बीमारियों से बचे रह सकते हैं। हालांकि जिस तरह से लोगों की लाइफस्टाइल और खान-पान में गड़बड़ी बढ़ती जा रही है इसने पाचन को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है। यही कारण है कि कब्ज-अपच से लेकर इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पाचन को ठीक रखना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है कि आप खान-पान में सुधार कर लें। ज्यादा तली-भुनी या एसिडिक चीजें आपके लिए कई प्रकार की दिक्कतों को बढ़ाने वाली हो सकती हैं।अध्ययनों से पता चलता है कि शरीर के 90 फीसदी हैप्पी हार्मोन्स भी पाचन तंत्र से ही बनते हैं, इसलिए अगर आपका पाचन ठीक नहीं है तो ये आपकी खुशियों को भी बाधित करने वाला हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, अगर आपको अपना पाचन स्वास्थ्य ठीक रखना है तो आज से ही 3F फॉमूर्ले का पालन शुरू कर दें। आइए इसके बारे में जानते हैं।आहार में फाइबर वाली चीजों की मात्रा बढ़ा लें। यह पाचन के लिए बेहद फायदेमंद है। फाइबर युक्त डाइट गट बैक्टीरिया के लिए पोषण का काम करती है। साबुत अनाज, दालें, हरी सब्जियां और ताजे फल खाने से पाचन बेहतर होता है। आहार में फर्मेंटेड फूड्स जैसे दही, कांजी, घर का बना अचार को जरूर शामिल करें। ये भी आंतों में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं। इससे पाचन को सुधारने के साथ-साथ तनाव कम करने में मदद मिलती है। अच्छे पाचन स्वास्थ्य के लिए फास्टिंग भी जरूरी है। लगातार खाते रहने से पाचन तंत्र थक जाता है, अगर हम 12-14 घंटे बिना भोजन रहें (जैसे रात में जल्दी खाकर भोजन सुबह देर से करें) तो डाइजेशन अपने आप रिपेयर होता है। इसके अलावा हफ्ते में एक दिन व्रत करना भी पाचन को बूस्ट करने में मददगार हो सकता है।पाचन तंत्र ठीक तो पूरा शरीर स्वस्थहमारा पाचन तंत्र मूड से लेकर त्वचा पर भी असर डालता है। खान-पान को ठीक रखकर पाचन में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए भोजन से पहले खूब सलाद खाने की आदत बनाएं।फाइबर युक्त सलाद खाने से ब्लड शुगर स्पाइक्स कम होता है और इससे आपके पाचन को भी मदद मिलती है। खूब सलाद खाने से आपका पेट भर जाता है और शरीर के लिए जरूर पोषक तत्व भी मिलते हैं। पेट भरने से आप भोजन में वो चीजें कम खाते हैं जिनमें कार्ब्स की अधिकता होती है।व्यायाम की बनाइए आदतपाचन को ठीक रखने के लिए आहार में सुधार के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम को भी दिनचर्या का हिस्सा बनाना भी बहुत जरूरी है। दैनिक व्यायाम आंत की गतिशीलता को बढ़ावा देकर, आंतों में स्वस्थ माइक्रोबायोम को बढ़ावा देते हैं। व्यायाम से पाचन तंत्र की मांसपेशियां भी उत्तेजित होती है, जिससे पाचन बेहतर होता है। यह कब्ज को दूर करने, सूजन कम करने में भी आपके लिए लाभकारी है।
- चना एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसको कई तरीकों से अपनी डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है, जैसे चने की दाल, स्प्राउट्स, भुने हुए चने आदि के रूप में खाया जा सकता है। कमोवेश इन सभी रूप में चना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। हमारी भारतीय रसोई में चना एक सरल, सस्ता और बहुमुखी खाद्य पदार्थ है। चना एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसको कई तरीकों से अपनी डाइट का हिस्सा बनाया जा सकता है, जैसे चने की दाल, स्प्राउट्स, भुने हुए चने, चने का सत्तू, चने की सब्जी आदि के रूप में खाया जा सकता है। कमोवेश इन सभी रूप में चना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। चना प्रोटीन, फाइबर, जरूरी विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है, जो हमारे शरीर को भीतर से मजबूती प्रदान करता है।आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमें संपूर्ण स्वास्थ्य का ध्यान रखने की जरूरत है, ऐसे में रोजाना एक मुट्ठी भुना हुआ या भिगोया हुआ चना खाना एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह न केवल आपको इंस्टेंट एनर्जी देता है, बल्कि कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को भी दूर करने में मदद करता है। आइए इस लेख में हम चना खाने के चार प्रमुख फायदों और इसे अपनी दैनिक डाइट में शामिल करने के आसान और प्रभावी तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।वजन नियंत्रण में सहायकचना फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो लंबे समय तक पेट भरा रखता है और भूख को नियंत्रित करता है। यह जंक फूड की क्रेविंग को कम करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। एक मुट्ठी भुना चना या उबला चना नाश्ते में खाने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है। कम कैलोरी और उच्च पोषण होने के कारण यह वेट मैनेजमेंट के लिए अच्छा विकल्प है।पाचन तंत्र को बेहतर बनाएचने में मौजूद घुलनशील और अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। यह कब्ज, गैस, और अपच जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। फाइबर आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है और पाचन को सुचारू बनाता है। सुबह खाली पेट भिगोया हुआ चना या चने का सत्तू पीने से पाचन संबंधी समस्याएं कम होती हैं। नियमित सेवन से आंतों की सेहत बेहतर होती है।हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदचने में पोटैशियम, मैग्नीशियम, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं। यह हृदय रोगों और स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है। चने में कम सैचुरेटेड फैट होने से धमनियां स्वस्थ रहती हैं। रोजाना एक मुट्ठी भुना चना या चने की सब्जी खाने से हृदय स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसे स्नैक्स के रूप में या भोजन में शामिल किया जा सकता है।मधुमेह नियंत्रण में मददचने का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को स्थिर रखने में मदद करता है, जो मधुमेह रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। फाइबर और प्रोटीन खून में ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करते हैं। भिगोए हुए चने को सुबह नाश्ते में खाना एक अच्छा विकल्प है।सावधानियांअधिक तला हुआ चना खाने से बचें, क्योंकि यह पाचन को प्रभावित कर सकता है। मधुमेह या पाचन समस्याओं वाले लोग डॉक्टर से सलाह लें।
- हमारा भोजन सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं, बल्कि यह हमारे शरीर को ऊर्जा और पोषण देने वाला सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भोजन के तुरंत बाद हमारी कुछ अनजानी आदतें हमारे पाचन और समग्र स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं? अक्सर लोग जाने-अनजाने में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।यह समस्या खासकर मानसून जैसे मौसम में और भी बढ़ जाती है। ऐसे में, खाने के तुरंत बाद की गलत आदतों से बचना बेहद जरूरी हो जाता है। इन आदतों को नजरअंदाज करने से न केवल अपच, गैस या पेट फूलने जैसी समस्याए हो सकती हैं, बल्कि लंबे समय में ये गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण भी बन सकती हैं। आइए, इस लेख में हम भोजन के तुरंत बाद की तीन सबसे आम गलतियों और उनसे होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से जानते हैं, साथ ही ये भी जानेंगे कि भोजन के बाद क्या करना चाहिए।भोजन के तुरंत बाद चाय या कॉफी न पिएंभोजन के तुरंत बाद चाय या कॉफी पीना एक आम आदत है, लेकिन यह सेहत पर नाकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। चाय और कॉफी में मौजूद टैनिन और कैफीन आयरन के अवशोषण को रोकते हैं, जिससे खून की कमी हो सकती है। यह पेट में एसिडिटी और गैस की समस्या भी बढ़ाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि भोजन के कम से कम 2 घंटे बाद ही चाय या कॉफी पिएं। आप चाहें तो भोजन के बाद गुनगुना पानी ले सकते हैं।भोजन के तुरंत बाद नहाने से बचेंभोजन के बाद तुरंत नहाना पाचन प्रक्रिया को प्रभावित करता है। जब हम भोजन करते हैं, तो हमारे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन पाचन क्रिया में मदद करने के लिए पेट और आंतों की ओर बढ़ता है। इस दौरान पाचन सक्रिय होता है, जो भोजन को तोड़ने और पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए महत्वपूर्ण है।लेकिन, भोजन के तुरंत बाद नहाने से शरीर का तापमान बदलता है और रक्त प्रवाह शरीर के बाहरी हिस्सों, जैसे त्वचा और मांसपेशियों की ओर मुड़ जाता है। इससे अपच, गैस और पेट दर्द की समस्या हो सकती है। भोजन के बाद कम से कम 2-3 घंटे का अंतराल होना चाहिए।भोजन के तुरंत बाद आराम न करेंभोजन के बाद तुरंत लेटना या सोना पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। यह एसिडिटी का कारण बन सकता है, क्योंकि भोजन पेट से वापस भोजन नली में आ सकता है। इससे हार्टबर्न और पेट में भारीपन होता है।भोजन के तुरंत बाद क्या करें?भोजन के तुरंत बाद कुछ सही आदतें अपनाकर पाचन और स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है। भोजन के बाद 10-15 मिनट हल्की सैर करें, जो पाचन को बढ़ावा देती है और रक्त संचार को बेहतर बनाती है। यह गैस की समस्या को कम करता है। गुनगुना पानी पीना पाचन एंजाइमों को सक्रिय करता है और पेट को हल्का रखता है।
- शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे बारिश के मौसम पंसद न हो। खासतौर लोगों को बारिश में भीगना काफी पसंद आता है। पर, इस मौसम में त्वचा संबंधी दिक्कतें बढ़ने लगती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस मौसम में नमी का स्तर काफी बढ़ जाता है, जिस कारण त्वचा पर खुजली की समस्या उत्पन्न होती है। इसके साथ-साथ खुजली, दाने और रैशेज जैसे लक्षण आम हो जाते हैं।इस समस्या से बचने के वैसे तो कई उपाय हैं, लेकिन हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताएंगे, जिनको ट्राई करने के बाद आपको तुरंत राहत मिलेगी। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में बताते हैं, ताकि आप तत्काल ही इसका इस्तेमाल कर सकें।नीम के पत्तेहर घर के आस-पास आपको नीम के पत्ते काफी आसानी से मिल जाएंगे। नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो खुजली और फंगल इन्फेक्शन से राहत दिलाते हैं। ऐसे में आप इसके इस्तेमाल से शरीर की खुजली को दूर कर सकते है। इसका इस्तेमाल करना काफी आसान है। इस्तेमाल के लिए सबसे पहले नीम के पत्तों को पानी में उबाल लें, और इस पानी को ठंडा करके नहाने के लिए इस्तेमाल करें। आप कुछ दिन इसके इस्तेमाल के बाद ही खुजली से राहत पा सकते हैं।नारियल तेल और कपूरये दोनों चीजें हर समय-हर घर में उप्लब्ध होती हैं। ऐसे में आप चाहें तो ये नुस्खा आजमाकर भी शरीर की खुजली को दूर कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले नारियल तेल में थोड़ा सा कपूर मिक्स करें। ध्यान रखें कि ये कपूर पिसा हुआ हो, ताकि इसे अप्लाई करने में आसानी हो। दोनों को चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करने के बाद प्रभावित जगह पर लगाएं। इस पेस्ट के इस्तेमाल करने के बाद त्वचा की खुजली कम होती है और स्किन को ठंडक मिलती है। इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो पहले पैच टेस्ट अवश्य करें, क्योंकि कपूर हर किसी को सूट नहीं करता है।
- बैठे-बैठे पैर हिलाते हैं तो फौरन घर में मौजूद दादी-नानी या उम्र में कोई बड़ा मना करने लगता है। तब समझ नहीं आता कि आखिर ऐसा क्यों हैं? आखिर क्यों बैठे-बैठे पैर हिलाने के लिए मना किया जाता है। वैसे तो बड़े-बुजुर्ग पैर हिलाने को अच्छा नहीं मानते लेकिन इसका सीथा कनेक्शन आपके दिमाग से जुड़ा होता है। अगर आप अभी तक नहीं जानते कि बैठे-बैठे पैर क्यों नहीं हिलाना चाहिए तो जान लें इस आदत से जुड़ा साइंटिफिक रीजन।बैठे-बैठे क्या आप भी हिलाते हैं पैर?बैठे रहने पर लगातार पैर हिलाते रहने की आदत काफी सारे लोगों को होती है। कुछ जोर-जोर से हिलाते हैं तो कुछ मंद गति से पैरों को लगातार हिलाते रहते हैं। आमतौर पर ये आदत बिल्कुल सबकॉन्शियस माइंड से होती है और लोगों को इसका एहसास भी नहीं होता कि उनके पैर लगातार हिल रहे हैं। साधारण तरीके से देखा जाए तो इसमे कोई दिक्कत नही हैं। लेकिन मेडिकल साइंस की नजर से देखा जाए तो ऐसे इंसान जो लगातार पैर हिलाते रहते हैं, उनके माइंड या हेल्थ से जुड़े कुछ इश्यू जरूर होते हैं। लेकिन हर पैर हिलाने वाले इंसान में अलग समस्या हो सकती है।हो सकती हैं ये हेल्थ समस्याएंलेग मूवमेंट की समस्या का एक कारण रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होता है। जो कि एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। जिसमे इंसान बिना पैर हिलाए नहीं रह पाता है।हो सकती है एंजायटी की समस्यालगातार और बहुत ज्यादा पैर हिलाना एंजायटी या स्ट्रेस रिलेटेड बीमारी का संकेत देती है। जब दिमाग में काफी सारे बातें परेशान करती रहती हैं तो व्यक्ति लगातार पैर हिलाता है।हो सकती है अटेंशन डिफिक्ट हाइपर एक्टीविटी डिसऑर्डर की समस्याअगर इंसान बहुत ज्यादा पैर हिलाता रहता है तो ये अटेंशन डिफिक्ट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर की ओर भी इशारा करता है। जिसमे इंसान को एक जगह ध्यान लगाने में दिक्कत महसूस होती है। अगर लगातार पैर हिलाते रहते हैं और ऐसी कोई समस्या हो रही तो फौरन डॉक्टर से संपंर्क जरूर करना चाहिए।लगातार पैर हिलाना हो सकती है साइकोलॉजिकल समस्या-कुछ लोग बैठते ही पैर हिलाने लगते हैं ये उनकी आदत में होता है। ऐसे लोगों में एनर्जी की मात्रा काफी ज्यादा होती है या फिर वो बहुत ज्यादा नर्वस महसूस करते हैं। ऐसे में वो बिना एक्टिव तरीके से सबकॉन्शियस माइंड से इसे शो करते हैं।-कई बार पैर हिलाने की समस्या बोर होने का भी संकेत होती है। एक जगह लगातार बैठे रहने या दिमाग खाली होने पर भी इंसान पैर हिलाने लगता है। वहीं कई बार स्ट्रेस से बाहर निकलने के लिए भी लोग पैर हिलाते हैं।-पैर हिलाने की समस्या अगर स्ट्रेस, इमोशन या टेंशन से जुड़ी हुई है तो योगा, ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से राहत मिलेगी।
- बहुत से लोग ऐसे हैं जो दिनभर थकने के बाद जब रात में सोते हैं तो उन्हें नींद ही नहीं आती। रात भर करवटें बदलते-बदलते पता ही नहीं चलता की सुबह कब हो गई। आपके ग्रुप में भी ऐसा कोई व्यक्ति तो होगा ही जो नींद की समस्या से जूझ रहा होगा। ऐसे में आप उनसे गहरी सांस लेने के लिए कहें, खासकर सोने से पहले। रात में सोने से पहले अगर आप सिर्फ 5 मिनट के लिए ही गहरी सांस ले लेते हैं तो आपको खूब फायदे मिल सकते हैं। आइए, जानते हैं सोने से पहले गहरी सांस लेने के कुछ गजब के फायदे।मिलेगी अच्छी नींदसोने से पहले गहरी सांस लेने का सबसे अहम फायदा यही है कि ये अच्छी नींद लेने में मदद करता है। अगर आपको सोने में परेशानी होती है या आधी रात में जागना पड़ता है, तो रोजाना गहरी सांस लेने की प्रेक्टिस करें। सोने से पहले ऐसा करने से पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करके आराम देने और आपकी नींद को जल्दी आने में मदद मिलती है। जो लोग स्लीप एपनिया से परेशान हैं वह रोजाना सोने से पहले गहरी सांस लें।नसें होती हैं शांतगहरी सांस लेने से आपके दिमाग को आराम करने का संकेत मिलता है। जिससे दिमाग की नसें शांत और रिलैक्स हो जाती है। जिससे आपको बेहतर नींद लेने में मदद मिलती है। गहरी सांस लेने पर तेज हृदय गति भी धीमी हो सकती है और सांस स्थिर हो सकती है।स्ट्रेस से निपटने में मददगहरी सांस लेने से आप ज्यादा आराम महसूस कर सकते हैं। अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस महसूस कर रहे हैं और इसकी वजह से आपको नींद नहीं आर रही है तो आप 5 मिनट के लिए गहरी सांस लेकर देखें। ऐसा करके आपको तनाव से राहत मिल सकती है।मेंटल हेल्थ में होता है सुधारबहुत से लोग इन दिनों मेंटल हेल्थ की समस्या से परेशान हैं। ऐसे में उनके लिए गहरी सांस लेना अच्छा है। इससे एकाग्रता और फोकस को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
- खूबसूरत ग्लोइंग और बेदाग स्किन पाना हर किसी की ख्वाहिश होती है। इसके लिए लोग क्या कुछ नहीं करते। ढेरों पैसे दे कर मार्केट से तरह-तरह के स्किनकेयर प्रोडक्ट्स खरीद कर लाते हैं, जिन्हें इस्तेमाल करने के बाद बस एक ही बात दिमाग में आती है कि नाम बड़े और दर्शन छोटे। ये महंगे प्रोडक्ट्स आम आदमी की पहुंच से बाहर तो होते ही हैं साथ में उतने इफेक्टिव भी नहीं होते। ऐसे में सबसे सेफ, किफायती और इफेक्टिव तरीका है घरेलू चीजों का इस्तेमाल करना। क्या हो अगर आपके आंगन में खड़ा तुलसी का पौधा ही आपका बेदाग ग्लोइंग स्किन का सपना पूरा कर दे। जी हां ये छोटा सा तुलसी का पत्ता आपकी खूबसूरती निखारने में बदद ही मददगार साबित हो सकता है। तो चलिए आज इसके फायदे और इस्तेमाल करने के तरीकों पर जरा नजर डालते हैं।स्किन के लिए तुलसी के हैं ढेरों फायदेतुलसी का पत्ता आपको खूबसूरत ग्लोइंग स्किन दिलाने में काफी मदद कर सकता है। इसके फायदों की बात करें तो तुलसी में पाए जाने वाले एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण एक्ने से कम करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तुलसी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो स्किन और ग्लोइंग और ब्राइट बनाकर चेहरे की रंगत को निखारने का काम करते हैं। इसके अलावा तुलसी में एंटीएजनिंग प्रॉपर्टीज भी पाई जाती हैं जो फाइन लाइंस, रिंकल्स जैसे समय से पहले बूढ़ा दिखाने वाले लक्षणों को कम करती हैं। आइए अब जानते हैं इसे कैसे इस्तेमाल करने पर भरपूर फायदा मिलेगा।तुलसी से बनाएं ब्राइटनिंग फेस पैकतुलसी के पत्तों से आप अपने लिए एक ब्राइटनिंग फेस पैक भी बनाकर तैयार कर सकती हैं। इसके लिए आप तुलसी के पत्तों का पाउडर बनाकर तैयार कर सकती हैं। एक चम्मच तुलसी पाउडर में चुटकी भर हल्दी मिलाएं, अब इसमें दही, गुलाबजल और शहद मिलाकर एक पेस्ट तैयार करें। इसे हफ्ते में दो बार लगाने से आपकी स्किन पहले से ब्राइट होने लगेगी। साथ ही पिगमेंटेशन और झाइयों जैसी प्रॉब्लम में भी कुछ फायदा देखने को मिलेगा।तुलसी से बनाएं टोनरस्किन को हेल्दी और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए फेस वॉश करने के बाद टोनर लगाना भी काफी जरूरी होता है। आप बाजार से टोनर लाने के बजाए तुलसी से एक बहुत ही शानदार टोनर बनाकर तैयार कर सकती हैं। इसे बनाने के लिए एक गिलास पानी में 10 से 12 तुलसी के फ्रेश पत्ते डालकर उबाल लें। जब ये पानी आधा हो जाए तो इसे किसी स्प्रे बॉटल में भर कर स्टोर कर लें। अब आप चेहरा धोने के बाद इसे अपने फेस पर अच्छे से स्प्रे कर सकते हैं। ग्लोइंग स्किन के लिए ये बहुत ही इफेक्टिव रेमेडी है।पिंपल और एक्ने के लिए बनाएं स्पॉट रिडक्शन पैचअगर आपके चेहरे पर कहीं पिंपल या एक्ने हो गया है और आपको जल्द से जल्द इसे खत्म करना है तो आप तुलसी की मदद ले सकती हैं। इसके लिए बस इसी की कुछ ताजी पत्तियों को पीसकर पेस्ट बना लें। अब इसमें चुटकी भर हल्दी एड करें और जहां भी आपके पिंपल या एक्ने है वहां अप्लाई कर लें। आपको बहुत जल्दी ही फायदा देखने को मिलेगा।तुलसी से बनाएं एंटी एक्ने जेलतुलसी के पत्तों से आप अपने लिए एक एंटी एक्ने जेल भी बनाकर तैयार कर सकती हैं। इसके लिए बस एक चम्मच एलोवेरा जेल में तुलसी के पत्तों का फ्रेश पेस्ट बनाकर मिक्स कर लें। अब आप इसे रात में अपने फेस को वॉश करने के बाद इस्तेमाल कर सकती हैं, इससे आपको बेदाग निखरी त्वचा मिलने में काफी मदद मिलेगी।तुलसी के पत्तों से ट्राई करें ये क्विक ब्यूटी हैकअगर आप ज्यादा झंझट नहीं करना चाहती हैं तो रोज सुबह अपने चेहरे पर तुलसी के पत्तों को घिस सकती हैं। ये सबसे आसान और बहुत ही इफेक्टिव तरीका है। ऐसा रोजाना करने से आपको साफ और निखरी हुई स्किन मिलेगी। इसके साथ आप रोजाना सुबह टहलते हुए तुलसी के कुछ पत्ते चबा भी सकती हैं। इससे आपकी सेहत और स्किन दोनों को फायदा होगा।
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क्या आपके बालों की ग्रोथ कम हो गई है या फिर झड़-झड़ के सिर गंजा दिखने लगा है? अगर हां तो ये देसी नुस्खे नेचुरली बाल बढ़ाने में फायदेमंद हो सकते हैं। आमतौर पर बारिश में बाल झडऩे की समस्या देखने को मिलती है। ऐसे में एक बार घरेलू उपाय अपनाना चाहिए। ज्यादा समस्या होने पर चिकित्सक की सलाह लेने से परहेज ना करें।
आंवला तेल से करें स्कैल्प मसाजसिर पर फिर से बाल उगाने का सबसे अच्छा तरीका है स्कैल्प की मसाज करना और अगर आप ये काम आंवले के तेल के साथ करते हैं तो फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। आंवला में विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, फैटी एसिड, और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हेयर फॉलिकल्स को हेल्दी रखने और हेयर ग्रोथ को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। Also Read - बालों को तेजी से बढ़ाते हैं ये 7 देसी तेलनारियल के तेल से मसाजहमारे बाल इसलिए बढ़ना कम कर देते हैं क्योंकि उन्हें पूरी तरह से पोषण नहीं मिल पाता है। लेकिन अगर आप नारिलय तेल को हल्का गर्म करके अपने सिर पर लगाएं। इसे रात को सोने से पहले लगाएं और फिर देखें कैसे आपके सिर पर नए बाल आना शुरू हो जाते हैं।बालों पर लगाएं मेथी का पेस्टमेथी के बीजों में प्रोटीन पाया जाता है जो बालों की जड़ों को मजबूत कर उन्हें झड़ने से रोकता है और हेयर ग्रोथ को प्रमोट करता है। आप मेथी के पेस्ट का इस्तेमाल हेयर मास्क की तरह कर सकते हैं और हेयर ग्रोथ को प्रमोट कर सकते हैं।प्याज का रसप्याज के रस में सल्फर, विटामिन सी, विटामिन बी6, फोलेट, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हेयर फॉलिकल्स जो हेल्दी बनाने का काम करते हैं और बालों की ग्रोथ को तेज करने में मदद करते हैं। साथ ही प्याज का रस बालों पर लगाने से हेयर फॉल भी कम होता है।बाल बढ़ाने में फायदेमंद हैं ये 6 देसी नुस्खेऊपर बताए 3 तरीकों के अलावा ग्रीन टी हेयर वॉश, बादाम के तेल की मसाज, हिना और भृंगराज पाउडर का पैक, एलोवेरा जेल, रीठा-शिकाकाई पाउडर हेयर मास्क और दही-शहद का हेयर मास्क बाल बढ़ाने के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। - बारिश होने के बाद गर्मी से काफी राहत मिलती है। लेकिन, फिर भी कुछ लोग AC और कूलर का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। जबकि, ठंडे मौसम में आपकी AC का इस्तेमाल थोड़ा कम कर देना चाहिए। बरसात के मौसम में एसी चलाना आमतौर पर सुरक्षित माना जाता है। लेकिन, ठंडे मौसम में कई बार एसी का ज्यादा इस्तेमाल करना आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है।क्या बरसात के मौसम में AC चलाना चाहिए?बारिश के मौसम में एसी चलाना सुरक्षित होता है। बारिश में एसी चलाना सेहत के लिहाज से तो सुरक्षित होता है, लेकिन बारिश में ह्यूमिडटी और पावर कट का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। दरअसल, बारिश के दिनों में बार-बार बिजली जा सकती है। ऐसे में एसी चलाकर रखने से कई बार करंट आने की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, बारिश सीधेतौर पर एसी पर कोई प्रभाव नहीं डालती है। लेकिन, इस दौरान आपको एसी के तापमान का ध्यान भी रखना चाहिए ताकि स्वास्थ्य के लिहाज से किसी प्रकार की समस्या न हो।तापमान का रखना चाहिए ध्यानअगर आप बरसात के मौसम में एसी चला रहे हैं तो इस दौरान आपको एसी के तापमान का भी ध्यान रखना चाहिए। ऐसी स्थिति में आपको एसी को हमेशा ड्राई मोड पर चलाना चाहिए साथ ही साथ आपको एसी के तापमान को 26 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच में ही रखना चाहिए। इससे सेहत को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता है। दरअसल, कई बार बारिश होने के बाद हवा में नमी हो जाती है, जिसका असर आपके कमरे में पड़ सकता है। ऐसे में कमरे में चिपचिपाहट हो सकती है तो ऐसे में बेहतर होगा कि एसी का तापमान कम करके ही चलाएं।ज्यादा देर तक एसी में रहने के नुकसानअगर आप लंबे समय तक एसी में रहना पसंद करते हैं तो ऐसे में आपको कुछ नुकसान हो सकते हैं।-अगर आप ज्यादा देर तक एसी की हवा में रहते हैं तो इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिसके चलते सिरदर्द भी हो सकता है।-एसी में ज्यादा देर तक रहने से आपको थकान और सुस्ती का एहसास हो सकता है।-एसी की हवा में ज्यादा देर तक रहने से कुछ मामलों में आपको सांस लेने से जुड़ी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।-ऐसे में कई बार जोड़ों और हड्डियों में दर्द और जकड़न जैसी समस्या भी हो सकती है।-ज्यादा देर तक एसी में रहना का असर आपको सर्दी-जुकाम और खांसी जैसी समस्या के रूप में देखने को मिल सकता है।सेहत के लिहाज से कितनी देर एसी में रहना चाहिए?सेहत के लिहाज से आपको ज्यादा से ज्यादा 6 से 8 घंटे तक ही एसी में रहना चाहिए। हालांकि, ज्यादा गर्मी लगने पर आप एसी को धीमी गति पर चलाकर लंबे समय के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन, आमतौर पर एसी का तापमान 24 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच रहे तो यह ज्यादा बेहतर रहेगा। ज्यादा तापमान पर एसी चलाने के कई नुकसान भी हो सकते हैं।बारिश में कौन सा एसी मोड इस्तेमाल करना चाहिए?बारिश के मौसम में आमतौर पर ड्राई मोड पर चलाया जाए तो यह बेहतर रहता है। बारिश में ड्राई मोड पर एसी चलाने से हवा से नमी निकल जाती है और कमरा ठंडा रहता है।क्या बारिश में एसी चलाना चाहिए?बारिश के मौसम में एसी चलाना सुरक्षित होता है, लेकिन अगर आप ज्यादा एसी चलाते हैं तो इसका असर आपकी सेहत पर देखने को मिल सकता है।एसी में रहने से कौन सी बीमारी होती है?जरूरत से ज्यादा एसी में रहना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप ज्यादा एसी चलाते हैं तो इससे एलर्जी, सिरदर्द और ड्राई स्किन की भी समस्या हो सकती है।
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आज के समय में लोग खुद को हेल्दी और फिट रखने के लिए अपनी डाइट का खासा ख्याल रखने लगे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर कई तरह की रील और वीडियोज वायरल होते हैं जिसमें कुछ चीजों का सेवन करने का फायदे बताए जाते हैं. आजकल मोरिंगा ( मुनगा) पाउडर का सेवन करने के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया जा रहा है. मोरिंगा पाउडर, जिसे 'ड्रमस्टिक पाउडर' भी कहा जाता है, स्वास्थ्य के लिए कई लाभ प्रदान करता है. यह पोषक तत्वों से भरपूर है और इसमें एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. लेकिन हर चीज जो फायदेमंद हो वो हर किसी के लिए लाभदायी हो ऐसा जरूरी नही है. आज हम आपको बताएंगे कि किन लोगों को मोरिंगा पाउडर का सेवन करने से बचना चाहिए या इसे लेते समय सावधानी बरतनी चाहिए.
1. गर्भवती महिलाएंमोरिंगा के पत्ते और फूल प्रेगनेंसी में फायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन इसकी जड़ और छाल का सेवन प्रेगनेंट महिलाओं के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है. इस पाउडर में कुछ ऐसे तत्व भी पाए जाते हैं जो गर्भाशय में संकुचन पैदा कर सकते हैं. ऐसे में प्रेगनेंसी में इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें.2. ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाएंहालांकि मोरिंगा ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं में दूध बनने को बढ़ाने के लिए जाना जाता है, लेकिन इसका सेवन करते समय इसकी मात्रा पर ध्यान देना जरूरी होता है. इसका ज्यादा सेवन बच्चे और मां दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है.3. लो ब्लड प्रेशर के मरीजमोरिंगा पाउडर में पाए जाने वाले तत्व ब्लड प्रेशर को लो करने में मदद करते हैं. ऐसे में जिनको पहले से ही लो बीपी की समस्या है उनको इसका ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए. या फिर डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए.4. डायबिटीज के मरीजमोरिंगा ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करती है, लेकिन अगर आप पहले से ही डायबिटीज कंट्रोल करने वाली दवाएं ले रहे हैं तो इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें.5. गैस्ट्रिक या पाचन समस्याजिन लोगों को गैस्ट्रिक या पाचन संबंधी समस्या होती है उनको मोरिंगा पाउडर का ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए. ये पाचन तंत्र पर असर डाल सकता है और गैस्ट्रिक समस्या या डायरिया जैसी परेशानियां पैदा कर सकता है. - उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव महसूस होते हैं। सामान्यतः अधिकतर बढ़ती उम्र में मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। यही वजह है कि बढ़ती उम्र के कारण लोगों में हड्डियों से जुड़ी समस्याएं जैसे ऑस्टियोपोरोसिस, कैल्शियम की कमी और हड्डियों में दर्द बहुत आम हो जाते हैं। हालांकि, इन समस्याओं को दूर करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैंं। लेकिन, यदि आप सही समय पर डाइट में पौष्टिक ड्राई फूट्स को शामिल करते हैं तो इससे आपको हड्डियों से जुड़ी कई समस्या में आराम मिलता है। आहार विशेषज्ञ बताते हैं कि 40 के बाद यदि डाइट में काली किशमिश को शामिल किया जाए तो इससे हड्डियों से जुड़ी समस्यओं से बचाव हो सकता है।बुजुर्गों की हड्डियों के लिए काले किशमिश खाने के फायदेकाली किशमिश में हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम, बोरोन, मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियन, और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। आगे जानते हैं इसके फायदों के बारे में। काले किशमिश में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और मैग्नीशियम होता है, जो बोन डेंसिटी (Bone Density) को बनाए रखने में मदद करता है। काली किशमिश के नियमित सेवन से बुजुर्गों की हड्डियां टूटने या फ्रैक्चर होने के खतरे से बचती हैं।ऑस्टियोपोरोसिस से बचावजिन लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होती है, उनके लिए काले किशमिश एक बेहतरीन घरेलू उपाय मानी जा सकती है। इसमें मौजूद बोरोन हड्डियों में कैल्शियम के अवशोषण को बेहतर बनाता है और हड्डियों के खोखलेपन को रोकता है।हड्डियों में दर्द से राहतबुजुर्गों को अक्सर जोड़ों और हड्डियों में दर्द या सूजन की शिकायत रहती है। काले किशमिश में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हड्डियों की सूजन को कम करते हैं और दर्द से राहत दिलाते हैं।आयरन की कमी को करता है दूरउम्र बढ़ने के साथ खून की कमी एक आम समस्या है। काले किशमिश में भरपूर आयरन होता है, जो खून की गुणवत्ता बढ़ाकर हड्डियों तक ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति को बेहतर करता है।मांसपेशियों को भी मजबूत बनाएंहड्डियों और मांसपेशियों का संतुलन बनाकर चलना बेहद आवश्यक होता है। काले किशमिश में मौजूद पोटेशियम और मैग्नीशियम मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं, जिससे बुजुर्गों को गिरने या लड़खड़ाने की आशंका कम होती है।काले किशमिश का सेवन कैसे करें?-रात में 6-8 काले किशमिश को गर्म पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं। इससे इसके पोषक तत्व जल्दी अवशोषित होते हैं।-काले किशमिश को गर्म दूध में डालकर रात को सोने से पहले पिएं। यह नींद को भी बेहतर करता है और हड्डियों के लिए भी लाभकारी है।-काले किशमिश को किसी भी हेल्दी डिश जैसे दलिया, ओट्स या ड्राई फ्रूट खिचड़ी में मिलाकर खाया जा सकता है।-मधुमेह (डायबिटीज) वाले बुजुर्गों को काले किशमिश का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए ,क्योंकि इनमें प्राकृतिक शुगर अधिक होती है।- बुजुर्गों की हड्डियों की सेहत बनाए रखने के लिए काले किशमिश एक सरल, सस्ता और प्रभावशाली उपाय है। इसमें मौजूद कैल्शियम, मैग्नीशियम, बोरोन और आयरन जैसे पोषक तत्व हड्डियों की मजबूती, लचीलापन और लंबी उम्र के लिए आवश्यक हैं। अगर इसे सही मात्रा में और नियमित रूप से सेवन किया जाए, तो हड्डियों की बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है।हड्डियों में ताकत लाने के लिए क्या खाना चाहिए?सफेद तिल, हरी पत्तेदार सब्जियां, अखरोट और पनीर, दूध का सेवन करने से हड्डियांं मजबूत होती है। इसके अलावा, हल्की एक्सरसाइज से भी बोन हेल्थ बेहतर होती है।
- घरेलू उपाय त्वचा की देखभाल के लिए बहुत लाभकारी होते हैं, क्योंकि ये प्राकृतिक होते हैं और किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट्स से मुक्त रहते हैं। बस जरूरी है कि आप सही और ताजगी से भरी सामग्री का चयन करें। ऐसे में यदि आप महंगी क्रीम और पार्लर ट्रीटमेंट पर बार-बार पैसे खर्च कर थक चुके हैं और फिर भी त्वचा में निखार नहीं आ रहा, तो अब समय है प्राकृतिक घरेलू उपाय अपनाने का। कॉफी और एलोवेरा जेल का संयोजन आपकी त्वचा के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह न सिर्फ चेहरे की गहराई से सफाई करता है, बल्कि उसे निखार और नई जान भी देता है।त्वचा को मिलते हैं, कई लाभ- डेड स्किन हटाए: कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा से डेड स्किन सेल्स को हटाने में मदद करते हैं, जिससे त्वचा साफ, ताजगी भरी और चमकदार नजर आती है। यह स्किन को एक्सफोलिएट कर प्राकृतिक निखार लाने में सहायक होता है।-टैनिंग दूर करे: कॉफी त्वचा की टैनिंग को कम करती है और रंगत को निखारती है। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा में एक समान रंग और प्राकृतिक चमक आती है।- एलोवेरा जेल ठंडक देता है: एलोवेरा में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की जलन, मुंहासों और लालिमा को कम करते हैं, जिससे त्वचा शांत, मुलायम और स्वस्थ बनी रहती है।- त्वचा को करें टाइट: यह कॉफी और एलोवेरा का मिश्रण त्वचा को टाइट करने में मदद करता है, जिससे चेहरे की लचीलापन बढ़ता है और झुर्रियों की दिखावट कम होती है। इससे त्वचा जवान और ताजा नजर आती है।लगाने का सही समयकॉफी और एलोवेरा जेल का फेस पैक रात को सोने से पहले लगाना सबसे फायदेमंद होता है। रात के समय त्वचा विश्राम की अवस्था में होती है, जिससे पैक में मौजूद पोषक तत्व गहराई से त्वचा में समा जाते हैं और सुबह त्वचा ज्यादा चमकदार और तरोताजा नजर आती है।लगाने का तरीकाकॉफी और एलोवेरा जेल का यह फेस पैक तैयार करना बेहद आसान है और इसका असर भी जल्दी नजर आता है। इसके लिए सबसे पहले एक चम्मच कॉफी पाउडर लें और उसमें दो चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं। दोनों को अच्छी तरह मिक्स करके एक स्मूथ पेस्ट बना लें। इस मिश्रण को चेहरे और गर्दन पर समान रूप से लगाएं और 15 से 20 मिनट तक सूखने दें। जब पैक सूख जाए, तो गुनगुने पानी से हल्के हाथों से मसाज करते हुए धो लें। यह पैक त्वचा की गहराई से सफाई करता है और चमक बढ़ाता है। हफ्ते में 2-3 बार इसका इस्तेमाल जरूर करें, फर्क महसूस होगा। (आप जरूर करें इस्तेमालकॉफी और एलोवेरा का ये घरेलू उपाय आपकी त्वचा को नेचुरल ग्लो देगा, जो महंगी क्रीम भी नहीं दे पाती। लेकिन इससे पहले जान ले कि किस तरह की त्वचा वालों को किन बातों का ख्याल रखना होता है।- तैलीय (ऑयली) त्वचा: यह पैक अतिरिक्त तेल हटाकर चेहरे को फ्रेश लुक देता है।- ड्राई स्किन: एलोवेरा नमी प्रदान करता है, इसलिए रूखी त्वचा वालों के लिए भी यह फायदेमंद है।- संवेदनशील त्वचा: पहले पैच टेस्ट करें। अगर जलन न हो, तो निश्चिंत होकर इस्तेमाल करें।कॉफी से स्किन को क्या फायदे मिलेंगे?कॉफी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो स्किन को काफी फायदे पहुंचाते हैं और कई तरह की बीमारियों का खतरा दूर करते हैं।एलोवेरा से स्किन को क्या फायदे मिलेंगे?एलोवेरा में कई खास तरह के प्राकृतिक तत्व पाए जाते हैं, जो स्किन की रंगत को सुधारते हैं और स्किन से जुड़ी अन्य बीमारियों को दूर करते हैं।नेचुरल ग्लो कैसे पाएं?स्किन केयर के साथ-साथ सही डाइट, नियमित एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल की अन्य आदतों का ध्यान रखना भी जरूरी है।
- शरीर में जरूरी न्यूट्रिशन की कमी होने पर कुछ संकेत बाहरी स्किन पर दिखने लगते हैं। विटामिन डी शरीर के लिए बाकी न्यूट्रिशन के जितना ही जरूरी है। यहां तक कि ये शरीर के कई सारे फंक्शन को आसान बनाता है। तभी तो रोजाना धूप से विटामिन डी लेने की सलाह दी जाती है। जिससे कि ये हड्डियों को मजबूत बनाने से लेकर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएं। विटामिन डी की इतनी जरूरत होने के बाद भी लगभग एक बिलियन लोग इसकी कमी से जूझ रहे हैं। कई सारी जगह तो लगभग 50 प्रतिशत लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। विटामिन डी की कमी आमतौर पर स्किन और पैरों पर दिखती है। अगर शरीर में ये समस्याएं दिख रही हैं तो समझ जाएं कि विटामिन डी की कमी हो गई है।घावों का देर से भरनाविटामिन डी कमी जिस भी इंसान को होगी उसके घाव देर से भरेंगे। जरा सी चोट भी ठीक होने में समय लेगी। इसका कारण है कि विटामिन डी स्किन सेल के रिजनरेशन और घाव के रिपेयर करने में खास रोल निभाती है। विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा होने पर ये नए स्किन टिश्यू को बनाने के लिए जरूरी कंपाउंड का प्रोडक्शन करती है। विटामिन डी की कमी होने पर कटने, छिलने, आसानी से इन्फेक्टेड होने का डर सबसे ज्यादा रहता है।स्किन में खुजलाहटस्किन में लगातार खुजली होना भी विटामिन डी की कमी के लक्षण हैं। जिसे आप रिएक्शन समझकर क्रीम और लोशन लगाते हैं। दरअसल, वो विटामिन डी की कमी होती है। विटामिन डी होने पर सबसे आम और दिखने वाला लक्षण ड्राई और खुजली वाली स्किन है। क्योंकि विटामिन डी स्किन बैरियर बनाने में मदद करता है। जो स्किन का मॉइश्चर बरकरार रखता है और स्किन को इरिटेट होने से रोकता है। विटामिन डी कम होते ही स्किन रूखी, बेजान और पतले छिलके की परत की तरह निकलने लगती है।डल स्किनविटामिन डी की कमी की वजह से स्किन बिल्कुल पीली और फीकी सी दिखने लगती है। विटामिन डी स्किन के हेल्दी कॉम्प्लेक्शन के लिए जरूरी होता है। इस न्यूट्रिएंट का असर मेलानिन के प्रोडक्शन पर पड़ता है जो स्किन टोन को रेगुलेट करता है।पैरों में दर्दअगर सीढ़ी चढ़ने या कुर्सी से उठने पर पैरों में दर्द होता है। तो विटामिन डी जरूर चेक करवाएं। विटामिन डी की कमी की वजह से पैरों की हड्डियों में दर्द, मसल्स में वीकनेस होती है। वहीं बच्चों में तो रिकेट्स भी पैरों में होता है। जिससे पैर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं।बहुत ज्यादा पसीनाविटामिन डी के लक्षणों में से एक है बहुत ज्यादा पसीना होना। ज्यादातर लोगों को लगता है कि थकान और गर्मी की वजह से पसीना हो रहा है। लेकिन ज्यादा पसीना खासतौर पर सिर और चेहरे पर अगर हो रहा है तो ये विटामिन डी की कमी का लक्षण है। विटामिन डी पसीने की ग्रंथियों को रेगुलेट करता है। और जब ये कम हो जाता है तो पसीना निकलने का बैलेंस गड़बड़ हो जाता है।