- Home
- सेहत
- पाइल्स पाचन तंत्र की खराबी से होने वाली एक गंभीर बीमारी है। आम बोलचाल की भाषा में इसे बवासीर कहा जाता है। इस समस्या में एनस के अंदर और बाहर के हिस्से में सूजन आ जाती है। बवासीर की समस्या में एनस में मस्से बनने लगते हैं। इस कारण मलत्याग करते वक्त दर्द और खून आने की समस्या हो जाती है। यह समस्या कब्ज या पेट खराब रहने पर होती है। असंतुलित खानपान और मसालेदार खाने के कारण यह समस्या हो सकती है। वहीं, सही खानपान से इसे ठीक किया जा सकता है। आयुर्वेद के मुताबिक बवासीर में कुछ चीजों को खाने से बचना चाहिए। जबकि चीजों से सेवन से समस्या में मदद मिल सकती है।बवासीर में क्या खाना फायदेमंद होगा?आयुर्वेद में पाइल्स को अर्श रोग कहा जाता है। इसमें खानपान पर विशेष ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि इससे समस्या को नियंत्रित रखा जा सकता है-अनाज में क्या खाएंअनाज में जौ, ज्वार, पुराना चावल, गेंहू, लाल चावल, रागी, मूंग खा सकते हैं।सब्जी और फलों में क्या खाएंलौकी की सब्जी, करेला, पटोल, ककड़ी, परवल, पेठा, सफेद कद्दू, सिंघाड़ा, कमलगट्टा, अनार, आंवला, गन्ने खाएं। कम मात्रा में सेब और आम का सेवन कर सकते हैं। जामुन, अमरूद और तरबूज खाना भी फायदेमंद होगा।कौन से मसाले इस्तेमाल करेंबवासीर में ज्यादा मसालेदार चीजें खाने से बचना चाहिए। ऐसे में आप जीरा, धनिया, इलायची, कम मात्रा में हींग, तेज पत्ता, दालचीनी, सौंफ, मिश्री का इस्तेमाल कर सकते हैं।अन्य चीजेंभीगे हुए अखरोट और बादाम, अंजीर, मुनक्का खाएं। गाय का दूध, बकरी का दूध, छाछ, घी, मक्खन, धनिया, मटके का शीतल जल, गुलकंद, गुलाब जल, कच्चे आम का शरबत पीना भी बहुत फायदेमंद होगा।क्या फॉलो करें-उबटन लगाना, चंदन का लेप, चंदन वाले पानी से नहाना, विरेचन, पंचकर्म, ठंडी जगह ज्यादा रहना जैसी चीजें अपना सकते हैं।आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक ऐसे में कुछ चीजें अवॉइड भी करनी चाहिए--बवासीर में गर्म चीजें खाने या संपर्क में आने से बचना चाहिए। इस दौरान नए धान, अनाज और नये चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।-ऐसे में हार्ट वर्कआउट अवॉइड करना चाहिए। साथ ही, तनाव से भी दूरी रखनी चाहिए।-बवासीर में बाजरे का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में मसूर, कुल्थी, अरहर और मकई का सेवन कम से कम करना चाहिए।-टमाटर, चौली, बैंगन, सुहन्जना का सेवन नहीं करना चाहिए।-मसालों में काली मिर्च, लाल और हरी मिर्च, तिल, सरसों, लहसुन, काजू, पिस्ता, अदरक आदि का सेवन कम करना चाहिए।-अगर नॉन-वेज खाते हैं तो मछली और चिकन भी अवॉइड करें। क्योंकि ये चीजें गर्मी बढ़ा सकती हैं।-ऐसे में गर्म तासीर वाली चीजें खाने से बचना चाहिए। क्योकि इनके सेवन से बॉडी हीट बढ़ सकती है।-ज्यादा धूप में निकालना, चुल्हे के पास जाना या गर्मी में ज्यादा रहने से भी परेशानी बढ़ सकती हैl-मल-मूल त्याग को ज्यादा देर तक रोककर रखने से परेशानी बढ़ सकती है।
- क्या कभी आपको रात में सोते समय अचानक से पैर में दर्द महसूस हुआ है? वैसे तो इस दर्द के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। लेकिन, पैर में नस चढ़ जाना, रात में सोते समय पैरों में अचानक से होने वाले दर्द का एक मुख्य कारण होता है। जी हां, जब पैर में नस के ऊपर नस चढ़ जाती है, तो इसकी वजह से तेज दर्द हो सकता है। पैरों में सही ब्लड फ्लो न होने की वजह से पैरों में नस चढ़ सकती है। सोते समय पैरों में नस चढ़ने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। आइए, जानते हैं कि सोते समय पैरों में नस क्यों चढ़ती है?सोते समय पैरों में नस चढ़ने के कारण-1. ब्लड फ्लो कम होनाब्लड फ्लो कम होने की वजह से सोते समय पैरों में नस चढ़ने की समस्या हो सकती है। इतना ही नहीं, शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने की वजह से भी पैरों में नस चढ़ सकती है। खराब ब्लड फ्लो या ब्लड सर्कुलेशन सोते समय पैरों में नस चढ़ने का कारण हो सकता है।2. मांसपेशियों में तनावमांसपेशियों में तनाव की वजह से सोते समय पैरों में नस चढ़ सकती है। अगर आपको स्ट्रेस रहता है, तो इससे मसल्स भी प्रभावित हो सकती हैं। ज्यादा स्ट्रेस लेवल पैरों की मांसपेशियों पर असर डाल सकती है। इसकी वजह से रात में सोते समय पैरों में नस चढ़ने की समस्या हो सकती है।3. हाई इंटेंसिटी वर्कआउटहाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने से भी पैरों में नस चढ़ने की समस्या हो सकती है। अगर आप रोज सुबह हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करते हैं, तो इससे रात को सोते समय पैरों में चढ़ सकती है। इसलिए अगर आपको अक्सर ही पैरों में नस चढ़ने की समस्या होती है, तो हाई इंटेंसिटी वर्कआउट करने से बचें।4. लंबे समय तक बैठे रहनाअगर आप वर्किंग हैं या लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहते हैं, तो इसकी वजह से आपको पैरों में नस चढ़ सकती है। लंबे समय तक बैठे रहने के कारण पैरों में नस चढ़ने की समस्या हो सकती है।5. शरीर में पानी की कमीशरीर में पानी की कमी भी इसका एक कारण हो सकता है। अगर आपके शरीर में पानी की कमी है, तो इसकी वजह से रात के समय पैरों में नस चढ़ सकती है। इससे बचने के लिए आपको पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पीना चाहिए।
- अनार सिर्फ एक स्वादिष्ट फल ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। लेकिन कई बार लोग रोज-रोज अनार खाने से बोर हो जाते हैं या फिर उन्हें इसे खाने का सही तरीका समझ नहीं आता। ऐसे में अगर आप अनार को एक नए और स्वादिष्ट तरीके से खाना चाहते हैं, तो उसकी चटनी एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। अनार की चटनी न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने, इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने और दिल की सेहत को बेहतर बनाए रखने में भी मदद करती है।अनार की चटनी के फायदे1. पाचन तंत्र को मजबूत बनाएअनार में प्राकृतिक रूप से मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। अनार की चटनी खाने से गैस, अपच और कब्ज जैसी समस्याएं दूर होती हैं।2. इम्यून सिस्टम को मजबूत करेअनार में विटामिन C भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। नियमित रूप से अनार की चटनी (anar ki chutney) का सेवन करने से शरीर को संक्रमण से लड़ने की ताकत मिलती है।3. हार्ट को हेल्दी रखेअनार में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हार्ट को प्रोटेक्ट करते हैं और कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल रखने में मदद करते हैं। अनार की चटनी ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में भी सहायक होती है।4. त्वचा के लिए फायदेमंदअनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन त्वचा को चमकदार और हेल्दी बनाए रखते हैं। अनार की चटनी खाने से शरीर के अंदर से डिटॉक्सिफिकेशन होता है, जिससे त्वचा की रंगत में निखार आता है।5. एनीमिया को दूर करेअनार में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है। जिन लोगों को खून की कमी की समस्या होती है, उनके लिए अनार की चटनी फायदेमंद साबित हो सकती है। अगर आप अपना वजन कंट्रोल रखना चाहते हैं, तो अनार की चटनी को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसमें कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर होता है, जो लंबे समय तक पेट भरा रखता है और बार-बार खाने की आदत को कम करता है।अनार की चटनी बनाने की रेसिपी -चटनी बनाने के लिए 1 कप ताजे अनार के दाने, आधा कप हरा धनिया (बारीक कटा हुआ), 1 हरी मिर्च (स्वादानुसार), आधा चम्मच जीरा पाउडर, आधा चम्मच काला नमक, आधा चम्मच साधारण नमक, आधा चम्मच नींबू का रस,1 छोटा टुकड़ा अदरक (कद्दूकस किया हुआ), और थोड़ा सा पानी चाहिए होगा।-सबसे पहले अनार के दानों को अच्छे से धोकर मिक्सर ग्राइंडर में डालें।-इसमें हरा धनिया, हरी मिर्च, अदरक और थोड़ा सा पानी डालकर पीस लें।-अब इसमें जीरा पाउडर, काला नमक, साधारण नमक और नींबू का रस डालें और पीस लें।-आपकी टेस्टी और हेल्दी अनार की चटनी तैयार है। इसे रोटी, स्नैक्स या चाट के साथ परोसें।अनार की चटनी स्वाद और सेहत दोनों का बेहतरीन मेल है। यह न केवल आपके खाने का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि शरीर को कई जरूरी पोषक तत्व भी प्रदान करती है। पाचन सुधारने, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और हार्ट को हेल्दी रखने में यह बेहद फायदेमंद है। अगर आप अपनी डाइट में कुछ हेल्दी और स्वादिष्ट जोड़ना चाहते हैं, तो अनार की चटनी जरूर ट्राई करें। इसे घर पर बनाना बेहद आसान है और यह किसी भी खाने के साथ परोसी जा सकती है।
-
अगर आप भी पतले बालों की समस्या से जूझ रहे हैं और प्राकृतिक तरीके से घने और मजबूत बाल पाना चाहते हैं, तो घरेलू हेयर पैक्स का इस्तेमाल सबसे अच्छा विकल्प है। ये हेयर पैक्स बालों को जड़ों से पोषण देकर उनकी ग्रोथ को बढ़ाते हैं और बिना किसी साइड इफेक्ट्स के बालों को मजबूत बनाते हैं। हफ्ते में कम से कम एक बार इन हेयर पैक्स को लगाने से आपके बाल मजबूत, घने और शाइनी बन सकते हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसे 5 असरदार हेयर पैक्स के बारे में, जो आपके बालों को प्राकृतिक रूप से घना बनाने में मदद करेंगे और पतले बालों की समस्या को दूर करेंगे।
1. मेथी और दही हेयर पैकमेथी में प्रोटीन और निकोटिनिक एसिड या विटामिन-बी3 होता है, जो बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और पतले बालों को घना बनाने में मदद करता है।कैसे बनाएं और लगाएं?:2 बड़े चम्मच मेथी के दाने रातभर पानी में भिगोकर सुबह पीस लें।इसमें 3 बड़े चम्मच दही मिलाएं और 20 मिनट के लिए छोड़ दें।इस पेस्ट को स्कैल्प और बालों पर लगाएं और 40 मिनट बाद धो लें।2. अंडा और एलोवेरा हेयर पैकअंडे से बने हेयर पैक में मौजूद प्रोटीन और बायोटिन पतले बालों को मजबूत और घना बनाने में मदद करता है। एलोवेरा बालों को मॉइश्चराइज करता है और स्कैल्प हेल्दी रखता है।कैसे बनाएं और लगाएं?:1 अंडे का सफेद भाग लें और उसमें 2 बड़े चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं।इसे अच्छे से मिक्स करें और स्कैल्प पर लगाएं।30-40 मिनट बाद हल्के शैंपू से धो लें।3. आंवला, रीठा और शिकाकाई हेयर पैक- Amla, Reetha and Shikakai Hair Packये तीनों जड़ी-बूटियां बालों की जड़ों को मजबूत बनाकर पतले बालों की समस्या को दूर करती हैं।कैसे बनाएं और लगाएं?:1-1 चम्मच आंवला, रीठा और शिकाकाई पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें।इस मिश्रण को स्कैल्प और बालों पर लगाएं और 45 मिनट के बाद धो लें।4. केले और नारियल तेल का हेयर पैक- Banana and Coconot Hair Packकेला बालों को हाइड्रेट करता है, जबकि नारियल तेल स्कैल्प को पोषण देता है और बालों को घना बनाता है।कैसे बनाएं और लगाएं?:1 पका हुआ केला लें और उसे अच्छे से मैश करें।इसमें 2 बड़े चम्मच नारियल तेल मिलाकर पेस्ट बना लें।इसे बालों पर लगाएं और 30 मिनट बाद धो लें।5. प्याज और शहद का हेयर पैक लगाएंप्याज का रस बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है और नए बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है। शहद बालों को नरम और चमकदार बनाता है।कैसे बनाएं और लगाएं?:2 बड़े चम्मच प्याज का रस निकालें और उसमें 1 बड़ा चम्मच शहद मिलाएं।इस मिश्रण को स्कैल्प पर लगाएं और 30 मिनट बाद धो लें।अगर आप पतले और कमजोर बालों से परेशान हैं, तो हफ्ते में एक बार इन नेचुरल हेयर पैक्स का इस्तेमाल जरूर करें। ये बिना किसी केमिकल के आपके बालों को पोषण देंगे, उनकी मजबूती बढ़ाएंगे और नए बाल उगाने में मदद करेंगे। - लौकी और आंवला सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होता है। इनमें ऐसे कई पोषक तत्व होते हैं, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने से लेकर वजन घटाने तक में लाभकारी माना जाता है। आंवला और लौकी को खाने के साथ-साथ इसका जूस बनाकर भी पिया जा सकता है। लौकी और आंवला का जूस पीने पीकर आप न केवल बॉडी को डिटॉक्स कर सकते हैं, बल्कि त्वचा को भी हेल्दी बनाए रखने में कारगर हो सकता है। देखा जाए तो इसे पीना कई स्वास्थ्य समस्या का रामबाण इलाज माना जाता है। नियमित तौर पर इसे पीने से मोटापा भी कंट्रोल रहता है। अगर आप अक्सर पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते हैं तो ऐसे में लौकी और आंवला के जूस को डाइट में शामिल कर सकते हैं।लौकी और आंवला का जूस पीने के फायदे1. किडनी के लिए फायदेमंदआंवला और लौकी का जूस पीना किडनी से जुड़ी समस्याओं को कम करने में भी मददगार माना जाता है। इस जूस को पीने से किडनी फंक्शन्स एक्टिव होते हैं साथ ही किडनी डैमेज होने से भी बचाव होता है। इसमें मिलने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स किडनी को सपोर्ट करने में मदद करते हैं। इसे पीने से किडनी में जमा टॉक्सिन्स और कैमिकल का सफाया होता है।2. पेट के लिए फायदेमंदआंवला और लौकी का जूस पाचन तंत्र के लिए हेल्दी साबित होता है। इसे पीने से कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से आराम मिलता है। इस जूस को पीने से खाना जल्दी और आसानी से पचता है। अगर आप पेट फूलने और गैस बनने जैसी समस्या से पीड़ित हैं तो ऐसे मं आंवला और लौकी के जूस (Amla Lauki Juice Benefits) को अपनी रेगुलर डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। हाई कोलेस्ट्रॉल से जुड़े शरीर के दर्द को पहचानें और समय रहते सावधान हों! ????3. इम्यूनिटी बढ़ाएइम्यून सिस्टम को मजबूत करने और इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए आप आंवला और लौकी के जूस को पी सकते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स के साथ-साथ विटामिन-सी पाया जाता है, जो इम्यून सिस्टम की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।4. वजन घटाने में फायदेमंदअगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं तो ऐसे में लौकी और आंवला के जूस को पी सकते हैं। इसमें फाइबर के साथ-साथ विटामिन-सी की भी मात्रा पाई जाती है, जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज करके शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी कम होती है। इसे पीने से पेट भरा-भरा सा लगता है, जिससे आप ओवरईटिंग करने से भी बचे रहते हैं।5. हार्ट के लिए फायदेमंदआंवला और लौकी का जूस पीना सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होता है। इसे पीने से शरीर में एलडीएल यानि बैड कोलेस्ट्रॉल घटता है और एलडीएल यानि गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है। इसे पीने से हार्ट पर अच्छा असर पड़ता है। इसमें पोटैशियम की मात्रा होती है, जिससे हार्ट पर अच्छा असर पड़ता है। इसे पीने से आपका कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम बेहतर होता है।
-
अगर आप भी केला खाने के बाद उसका छिलका कूड़े में बेकार समझकर फेंक देते हैं तो अगली बार ऐसा करने की गलती ना करें। केले का छिलका आपकी खूबसूरती में चार चांद लगा सकता है। जी हां, केले के छिलकों में कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट्स, शुगर, फाइबर, प्रोटीन, पोटेशियम, विटामिन A, कैल्शियम और आयरन समेत कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो त्वचा को ग्लोइंग और बेदाग बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं केले के छिलकों को चेहरे पर लगाने से त्वचा को मिलते हैं क्या गजब के फायदे।
त्वचा पर केले के छिलके लगाने के फायदेस्किन हीलिंग गुणकेले के छिलके में स्किन हीलिंग गुण और एंटी-ऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। जो त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से स्किन का बचाव करते हैं। इन छिलकों को त्वचा पर लगाने से सन डैमेज से भी बचाव होता है।मुंहासों से राहतकेले का छिलका चेहरे के दाग-धब्बों को हल्का करने, पिगमेंटेशन को कम करने में मदद करता है। केले के छिलके हल्के हाथ से पिंपल पर रगड़ने से फोड़े-फुंसी की रेडनेस तो खत्म होती ही है, साथ ही खुजली से भी राहत मिलती है। केले के छिलके में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मुंहासों को कम करने में मदद करते हैं।झुर्रियों से राहतबढ़ती उम्र में झुर्रियों की समस्या से राहत पाने के लिए केले के छिलके का उपाय बेहद असरदार हो सकता है। केले के छिलके एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन रिच होने के साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एजिंग गुणों से भी भरपूर होते हैं, जो त्वचा की लोच बनाए रखने के साथ फाइन लाइन्स की समस्या को भी कम करने में मदद करते हैं। इस उपाय को करने के लिए चेहरे की फाइन लाइन्स पर कुछ देर केले के छिलके की हल्की मसाज करें। इसके बाद चेहरे को पानी से धो लें।जलन और खुजली से राहतखुजली, जलन और एलर्जी से राहत पाने के लिए केले के छिलके का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर त्वचा पर खुजली, जलन या किसी तरह की एलर्जी महसूस हो रही है, तो केले के छिलके को प्रभावित जगह पर रगड़ने से आपको तुरंत आराम मिल सकता है।डार्क सर्कल्सकेले के छिलके डार्क सर्कल की समस्या को भी कम करने में मदद कर सकते हैं। केलों के छिलके में पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो डार्क सर्कल से छुटकारा दिलाता है। -
भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते ज्यादातर परिवारों में सुबह नाश्ते में जल्दी बनने वाले हेल्दी ऑप्शन को शामिल किया जाता है। जिसमें सूप से लेकर ग्रीन टी और फ्रूट जूस जैसे विकल्प ज्यादातर लोगों की ब्रेकफास्ट के लिए पहली पसंद होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं अधिकतर परिवारों के किचन में कब्जा जमाने वाली नाश्ते में शामिल ये 3 चीजें, सेहत को फायदे की जगह बेहद नुकसान पहुंचाती हैं। चिंता की बात यह है कि लोग इन चीजों को हेल्दी ऑप्शन समझकर जमकर इसका सेवन कर रहे हैं। आइए जानते हैं किचन में रखी वो कौन सी 3 चीजें हैं, जिन्हें तुरंत घर से बाहर कर देना चाहिए।
टी बैग्सअकसर खाना खाने के बाद लोग वेट लॉस से लेकर अपनी गट हेल्थ को अच्छा बनाए रखने के लिए ग्रीन टी का सेवन करते हैं। लेकिन ग्रीन टी बनाने के लिए यूज किए जाने वाले टी बैग्स में मौजूद केमिकल सेहत को फायदे की जगह नुकसान पहुंचाकर बीमार बना सकते हैं। बता दें, ग्रीन टी बैग्स नायलॉन, रेयॉन, और थर्मोप्लास्टिक जैसे केमिकल कंपाउंड से बने होते हैं। जो ज्यादा ग्रीन टी बैग्स पीने से शरीर में टॉक्सिन बढ़ाकर लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप ग्रीन टी पीना ही बंद कर दें। आप ग्रीन टी बनाने के लिए टी बैग्स की जगह लूज पत्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं।फ्रूट जूससुबह लाइट ब्रेकफास्ट पसंद करने वाले ज्यादातर लोग नाश्ते में फ्रूट जूस पीना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं हेल्दी समझकर पिए जाने वाले फ्रूट जूस असलियत में सेहत को फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकते हैं। फ्रूट जूस में फाइबर की कमी और चीनी की अधिक मात्रा मौजूद होती है। इसके अधिक सेवन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।चीजअगर आप डाइटिंग कर रहे हैं, बीपी या दिल के रोगी हैं,तो चीज का सेवन सोच-समझकर करें। चीज में मौजूद संतृप्त वसा, सोडियम और फैट की मात्रा मोटापे का कारण बनकर हाई ब्लड प्रेशर,पाचन संबंधी समस्याएं और हृदय से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ाती है। - सर्दियों में कुछ लोगों को जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या बढ़ जाती है। अर्थराइटिस रोगियों को तो इस मौसम में खास देखभाल की जरूरत पड़ती है। दरअसल, ठंड के मौसम में तापमान कम होने की वजह से मांसपेशियों में खिंचाव आने लगता है। जिसकी वजह से जोड़ों के आसपास की नसों में सूजन और मांसपेशियों में अकड़न महसूस होने लगती है। जो जोड़ों के दर्द की समस्या का कारण बनती है। अगर आप भी हर साल ठंड के मौसम में जोड़ों के दर्द से बेहाल रहते हैं तो ये 3 आयुर्वेदिक ऑयल मसाज आपकी मुश्किल को दूर कर सकती हैं। आइए जानते है आखिर किन 3 तेलों की मालिश जोड़ों के दर्द से राहत दिला सकती है।लहसुन के तेल की मालिशसर्दियों में जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत पाने के लिए आप लहसुन के तेल से मालिश कर सकते हैं। इस तेल से मालिश करने पर जोड़ों के दर्द और सूजन में काफी हद तक आराम मिल सकता है। लहसुन का तेल तैयार करने के लिए आपको सबसे पहले 2 चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की कुछ कलियां डालकर पका लेनी हैं। इसके बाद इस तेल को हल्का ठंडा करके जोड़ों की मालिश करें।बादाम के तेल की मालिशजोड़ों के दर्द की समस्या को कम करने के लिए बादाम के तेल से मालिश की जा सकती है। बादाम के तेल में मौजूद विटामिन ई हड्डियों को मजबूत बनाकर जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। बादाम के तेल से जोड़ों की मालिश करने के लिए आप बादाम के तेल को हल्का गुनगुना करके उससे जोड़ों की मालिश करें। ऐसा करने से जोड़ों के दर्द में काफी राहत मिलती है।तिल के तेल की मालिशजोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए आप तिल के तेल से भी मालिश कर सकते हैं। तिल के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड, जिंक, प्रोटीन, कैल्शियम जैसे पोषण तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। जो जोड़ों की मालिश करने पर हड्डियों को भरपूर पोषण देकर जोड़ों के दर्द की समस्या को कम कर सकते हैं।
- शरीर में होने वाले दर्द का कनेक्शन केवल फिजिकल नहीं होता बल्कि ये आपके इमोशन से भी जुड़ा होता है। वैसे तो योग के जरिए शरीर में होने वाली तकलीफों को कम किया जा सकता है। लेकिन शरीर में होने वाले दर्द का कारण जानकर अगर इन योगासन को किया जाए तो आराम मिलता है। जानें शरीर के किस हिस्से में दर्द के लिए कौन सा योगासन फायदेमंद है।कमर दर्दकमर के निचले हिस्से में होने वाले दर्द के लिए अधिकतर मन का डर और असुरक्षा की भावना जिम्मेदार होती है। इस दर्द को कम करने के लिए रोजाना कंधों को मोड़कर सीने तक टच कराएं।हिप पेनहिप पेन की समस्या काफी सारी महिलाओं को परेशान करती है। इसकी वजह कई पार कोई पुराना दर्द या याद होती है। जिससे वो जल्दी छुटकारा नहीं दिला पाता है। हिप पेन के लिए रोजाना पश्चिमोत्तासन करने से फायदा होता है।पेट में दर्दपेट में डिसकंफर्ट और दर्द की वजह कई बार एंजायटी और स्ट्रेस होता है। इससे निपटने के लिए कैट काऊ पोज करना फायदेमंद होता है।कंधे में दर्द और जकड़नकंधे में दर्द और जकड़न महसूस करते हैं तो इसकी वजह गुस्सा और फ्रस्टेशन हो सकता है। कंधे के दर्द से राहत पाने के लिए रोजाना गरुड़ासन करने से आराम मिलता है।चेस्ट टाइटनेस फील करनाअगर सीने में जकड़न महसूस होती है तो इसका कारण अक्सर दुख या तकलीफ होती है। जिससे इंसान को सीने में भारीपन सा महसूस होता है। इस तरह के दर्द से राहत पाने के लिए भुजंगासन करें।
- शकरकंद न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसमें विटामिन-ए, सी, पोटैशियम, फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं। यह सूप न केवल इम्यूनिटी बूस्ट करता है, बल्कि पाचन तंत्र को भी सुधारता है और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है। शकरकंद सूप विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो वजन घटाने की प्रक्रिया में हैं या ठंड के मौसम में स्वस्थ विकल्प तलाश रहे हैं। इसमें कैलोरीज कम होती है, लेकिन पोषण का स्तर काफी ज्यादा होता है, जो इसे सर्दियों में एक हेल्दी आहार बनाता है।सेहत के लिए शकरकंद सूप के फायदे1. इम्यूनिटी बूस्ट करता हैशकरकंद में मौजूद विटामिन-सी और बीटा-कैरोटीन शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह इंफेक्शन और सर्दी-खांसी से बचाव करता है।2. डाइजेशन को सुधारता हैशकरकंद में ज्यादा मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है।3. त्वचा के लिए फायदेमंद हैएंटी-ऑक्सीडेंट्स और विटामिन-ए त्वचा को निखारने में मदद करते हैं। शकरकंद सूप पीने से त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनी रहती है।4. हड्डियों को मजबूत करता हैइसमें मौजूद कैल्शियम और पोटैशियम हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं।5. वजन कंट्रोल होता हैशकरकंद सूप कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर वाला होता है, जिससे भूख देर तक शांत रहती है और वजन बढ़ने का खतरा भी कम होता है।शकरकंद सूप की रेसिपी-सामग्री:2 शकरकंद1 कप दूध1 छोटा प्याज, कटा हुआ1 चम्मच अदरक का पेस्ट1 चम्मच ऑलिव ऑयललाल मिर्च पाउडरहल्दीनमककाली मिर्चहरा धनियाविधि:- शकरकंद को उबालकर छील लें और छोटे टुकड़ों में काट लें।-एक पैन में ऑलिव ऑयल गर्म करें और प्याज व अदरक का पेस्ट डालकर हल्का भूनें।-शकरकंद के टुकड़े डालकर 5-7 मिनट पकाएं।-मिश्रण को ठंडा करके ब्लेंडर में पीस लें।-इसे वापस पैन में डालें, दूध मिलाएं और धीमी आंच पर 5 मिनट पकाएं।-नमक, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी और काली मिर्च डालें।-सूप को धनिया से गार्निश करके गर्मागर्म परोसें।-न्यूट्रिशनल वैल्यू और कैलोरीज-कैलोरीज: 120-150-फाइबर: 4 ग्राम-विटामिन ए-पोटैशियम: 400-450 मिलीग्रामप्रोटीन: 3 ग्रामसर्दियों में शकरकंद सूप न केवल आपको गर्माहट देगा, बल्कि आपकी सेहत को भी कई फायदे पहुंचाएगा। इसका स्वाद और पोषण इसे सर्दियों के लिए सहतमंद बनाता है। इस आसान रेसिपी को जरूर आजमाएं।
- स्किन के खराब या डल होने के पीछे प्रदूषण को भी जिम्मेदार माना जाता है। त्वचा का ग्लो कम होने के पीछे कई बार आप द्वारा लगाए जाने वाले गलत और कैमिकल युक्त स्किन केयर प्रोडक्ट्स भी जिम्मेदार माने जाते हैं। ग्लोइंग स्किन पाने के लिए लोग तरह-तरह की क्रीम और फेशियल कराते हैं, लेकिन इसके बजाय आपको त्वचा का ग्लो बढ़ाने के लिए नैचुरल तरीका अपनाना चाहिए।इसके लिए आप त्वचा पर बेसन और गुलाब के फेस पैक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस फेस पैक को लगाने से त्वचा पर जमा धूल-मिट्टी और गंदगी साफ होती है साथ ही त्वचा पर प्राकृतिक रूप से निखार भी आता है। इस लेख में हम बेसन और गुलाब की पत्तियों के फेस पैक के फायदे और इसे लगाने के तरीके के बारे में जानेंगे।बेसन और गुलाब के फेस पैक के फायदे1. एजिंग की प्रक्रिया को धीमा करेबेसन और गुलाब की पत्तियों को एकसाथ इसका फेस पैक बनाकर लगाना एजिंग के लिए भी फायदेमंद होता है। इसे लगाने से चेहरे की झुर्रियां और फाइन लाइंस कम होती हैं साथ ही त्वचा पर कसाव भी आता है। इसे लगाने से एजिंग के लक्षण कम होते हैं, जिससे आप ज्यादा उम्र के होकर भी कम के लगते हैं।2. त्वचा पर लाए निखारत्वचा पर निखार लाने के लिए आप बेसन और गुलाब की पत्तियों से बना फेस पैक इस्तेमाल कर सकते हैं। इस फेस पैक में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और विटामिन-सी गुण त्वचा के दाग-धब्बे कम करने के साथ ही डेड स्किन सेल्स को भी कम करने का काम करते हैं। इसे लगाने से त्वचा अंदरूनी तौर पर साफ होती है और त्वचा पर निखार आता है।3. ऑयली स्किन से दिलाए राहतअगर आपकी स्किन ऑयली है तो इस फेस पैक को ट्राई करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। गुलाब और बेसन का पैक त्वचा पर जमा एक्स्ट्रा ऑयल (Besan and Rose for Oily Skin) सोखने में मदद करता है। यह त्वचा के पीएच लेवल को मैनेज करके त्वचा पर जमे अतिरिक्त ऑयल को निकालने का काम करता है।गुलाब और बेसन का फेस पैक इस्तेमाल करने का तरीका-त्वचा पर गुलाब और बेसन का फेस पैक लगाने के लिए आपको गुलाब की पत्तियों को अच्छे से ग्राइंड करके पाउडर बना लेना है। (How to Apply Besan and Rose Water Face Pack)-अब जरूरत के हिसाब से बेसन और गुलाब का पाउडर लें। दोनों को अच्छे से मिक्स कर दें और गुलाब का जल मिलाएं।-अब आपको इसका एक पेस्ट बनाकर हल्के हाथों से त्वचा पर लगाना है।-इसके लिए आपको फेस पैक को 15 से 20 मिनट तक त्वचा पर लगाए रखना है।-सूखने के बाद त्वचा को ठंडे पानी से धो लें।-इस फेस पैक को आप हफ्ते में एक से दो बार तक लगा सकते हैं।
- मॉडर्न लाइफस्टाइल और अनियमित खानपान के कारण शरीर में विषाक्त पदार्थ यानी टॉक्सिन्स जमा हो जाते हैं, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। आयुर्वेद में शरीर को डिटॉक्स करने के लिए दो प्रमुख पद्धतियां बताई गई हैं, शोधन और शमन। शोधन गहन डिटॉक्स प्रक्रिया है, जबकि शमन एक धीरे-धीरे प्रभाव डालने वाला तरीका है। शरीर के अंग जैसे लिवर, किडनी और आंत प्राकृतिक रूप से डिटॉक्सिफिकेशन का काम करते हैं, लेकिन जब टॉक्सिन्स की मात्रा अधिक हो जाती है, तो ये अंग ठीक से काम नहीं कर पाते। इसके कारण थकान, त्वचा की समस्याएं, पाचन में गड़बड़ी, वजन बढ़ना और इम्यूनिटी में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करने के तरीके1. दीपन (पाचन अग्नि को बढ़ाना)डिटॉक्स प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए सबसे जरूरी है पाचन अग्नि (डाइजेस्टिव फायर) को मजबूत करना। कमजोर पाचन शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमाव का मुख्य कारण बनता है।कैसे करें दीपन?हल्दी, अदरक और दालचीनी जैसे मसाले पाचन अग्नि को बढ़ाते हैं। खाना खाने से पहले अदरक के छोटे टुकड़े में नींबू और सेंधा नमक डालकर खाने से पाचन बेहतर होता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और पेट की समस्याओं को दूर करता है।2. पाचन (टॉक्सिन्स का पाचन करना)पाचन प्रक्रिया को सही तरीके से काम करने देना डिटॉक्स का दूसरा चरण है। यह प्रक्रिया शरीर में मौजूद अम्लीय तत्वों और विषाक्त पदार्थों को तोड़ने का काम करती है।कैसे करें पाचन?त्रिफला, हर्बल चाय और गर्म पानी का सेवन पाचन को बेहतर बनाता है। यह प्रक्रिया शरीर को हल्का महसूस कराती है और अपच जैसी समस्याओं को ठीक करती है।3. लंघन (उपवास करना)आयुर्वेद में उपवास को शरीर को शुद्ध करने का सबसे प्रभावी तरीका माना गया है। यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से राहत देने में मदद करता है।कैसे करें लंघन?सप्ताह में एक बार फल और जूस के साथ उपवास रखें और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। यह शरीर को आराम देता है, पाचन तंत्र को सुधारता है और वजन को कंट्रोल करता है।4. तृट (पानी का सही मात्रा में सेवन करना)आयुर्वेद में पानी को सही तरीके से पीने पर जोर दिया गया है। ज्यादा या बहुत कम पानी पीना दोनों ही हानिकारक हो सकते हैं।कैसे करें तृट?सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पिएं और दिनभर में सिप-सिप कर पानी पिएं। यह किडनी को साफ करता है और शरीर को हाइड्रेटेड रखता है।5. आतप (सूर्य के संपर्क में आना)आयुर्वेद में सूर्य के प्रकाश को स्वास्थ्य के लिए अमृत माना गया है। सुबह की धूप में बैठने से शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ता है।कैसे करें आतप?सुबह 7-9 बजे के बीच 15-20 मिनट धूप में बैठें। यह हड्डियों को मजबूत करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।6. व्यायाम (फिजिकल एक्टिविटी)डिटॉक्स प्रक्रिया में शारीरिक गतिविधि यानी फिजिकल एक्टिविटी का विशेष महत्व है। यह शरीर को सक्रिय रखने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।कैसे करें व्यायाम?रोजाना 30 मिनट हल्की एक्सरसाइज करें, जैसे योग, तेज चलना या दौड़ना। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।7. अनिल (ताजा हवा लें)ताजा हवा शरीर के ऑक्सीजन स्तर को सुधारती है और मस्तिष्क को शांति प्रदान करती है।कैसे करें अनिल?सुबह और शाम को खुले स्थान पर गहरी सांस लें। यह तनाव को कम करता है, दिमाग को शांत करता है और फेफड़ों को मजबूत बनाता है।निष्कर्षआयुर्वेद के ये 7 उपाय न केवल शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं। यदि आप अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इन उपायों को नियमित रूप से अपनाएं।
- पिस्ता लड्डू न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होते हैं, बल्कि इनमें मौजूद पोषक तत्व सर्दी से बचाव और शरीर की ताकत को बढ़ाने में मदद करते हैं। पिस्ता में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं और शरीर को ठंड से लड़ने के लिए जरूरी शक्ति देते हैं। इसके अलावा, इन लड्डुओं में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड्स, प्रोटीन, फाइबर और एंटी-ऑक्सिडेंट्स होते हैं जो हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं और हड्डियों की मजबूती को बढ़ाते हैं। इस लेख में हम पिस्ता लड्डू के फायदे, इसकी रेसिपी, कैलोरीज और सही मात्रा के बारे में जानेंगे, ताकि आप इस स्वादिष्ट और पौष्टिक लड्डू का सही तरीके से सेवन कर सकें ।पिस्ता लड्डू खाने के फायदेपिस्ता लड्डू में मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड्स, जैसे कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6, होते हैं जो हार्ट के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। ये बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं। पिस्ता लड्डू में कैल्शियम और मैग्नीशियम की अच्छी खुराक होती है, जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करती है और हड्डियों की कमजोरी को दूर करती है। यह विशेष रूप से वृद्ध लोगों और बच्चों के लिए फायदेमंद है। पिस्ता लड्डू में मौजूद फाइबर, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह पेट की समस्याओं जैसे पेट में कब्ज और गैस को दूर करता है। पिस्ता लड्डू में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो शरीर को ताजगी और एनर्जी देते हैं। सर्दियों में यह लड्डू शरीर को गर्माहट देते हैं। पिस्ता लड्डू में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को जलन और सूजन से बचाते हैं। इसके अलावा, यह बालों को भी मजबूत और चमकदार बनाता है।पिस्ता लड्डू बनाने की आसान रेसिपी-सामग्री:1 कप पिस्ता, गुड़, घी, इलायची पाउडर, पानीविधि-सबसे पहले पिस्तों को हल्का सा सेंक लें ताकि उसका छिलका आसानी से उतर सके।-अब इन पिस्तों को मिक्सी में पीसकर पाउडर बना लें।-एक कढ़ाई में घी गर्म करें और उसमें गुड़ डालकर पकाएं।-जब गुड़ हलका सा मेल्ट हो जाए, तब उसमें पानी और इलायची पाउडर डालकर मिला लें।-अब पिस्ते का पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिक्स करें और तब तक पकाएं जब तक यह मिश्रण गाढ़ा न हो जाए।-अब इस मिश्रण को थोड़ा ठंडा होने दें और फिर छोटे-छोटे लड्डू बना लें।पिस्ता लड्डू की कैलोरीजपिस्ता लड्डू में 1 लड्डू (लगभग 25 ग्राम) में लगभग 100-120 कैलोरी होती है, जो इसके आकार और सामग्री पर निर्भर करता है। यह कैलोरीज शरीर को एनर्जी देती है, लेकिन इसे एक संतुलित मात्रा में ही खाना चाहिए, ताकि वजन न बढ़े।पिस्ता लड्डू खाने की सही मात्रापिस्ता लड्डू का सेवन सीमित मात्रा में ही करें। दिन में 1-2 लड्डू ही खाएं। ज्यादा सेवन से शरीर में कैलोरीज बढ़ सकती हैं, जिससे वजन बढ़ सकता है। हालांकि, यह लड्डू पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, लेकिन सही मात्रा में ही इसका सेवन फायदेमंद होता है। सर्दियों में पिस्ता लड्डू न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि शरीर को गर्मी, एनर्जी और जरूरी पोषण भी देते हैं। यह सर्दियों में एक हेल्दी स्नैक बन सकता है, लेकिन इसे संतुलन मात्रा में खाएं।
- खाना खाने के बाद वॉक करने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। इससे पाचन संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है। जिन लोगों को खाना खाते ही एसिडिटी या ब्लोटिंग होती है, उनके लिए खाने के बाद वॉक करना बहुत फायदेमंद है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक खाने के बाद वॉक करने से ब्लड शुगर भी मेंटेन रहती है। जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें वॉक करने से ब्लड शुगर कंट्रोल रखने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, जिन लोगों को वेट लॉस करना है उन्हें वॉक करने से कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है। कई लोग मानते हैं कि खाना खाने के बाद अगर आप धीरे वॉक करते हैं तो आपके लिए ज्यादा फायदेमंद है। लेकिन वहीं, कई लोग तेज-तेज चलना ज्यादा असरदार मानते हैं। इनमें से कौन-सा तरीका सेफ है?खाना खाने के बाद तेज वॉक करना चाहिए या धीरे-धीरे?एक्सपर्ट के मुताबिक खाना खाने के बाद धीरे-धीरे वॉक करना चाहिए। क्योंकि इससे ब्लड फ्लो मेंटेन रहता है और खाना पचने में भी आसानी होती है। लेकिन अगर आप तेज वॉक करते हैं, तो इससे सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। अगर यह आदत बन जाती है, तो आपको कई परेशानियां झेलनी पड़ सकती है। इसके अलावा, खाना खाते ही तुरंत वॉक करना भी सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए खाना खाने के कम से कम 20 से 30 मिनट बाद वॉक करना चाहिए।खाना खाते ही तेज वॉक करने से क्या परेशानियां हो सकती हैं?खाना पचने में मुश्किल होनाखाना खाने के बाद अगर आप तुरंत वॉक के लिए जाते हैं, तो इससे पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है। दरअसल, खाना खाने के बाद शरीर ब्लड को डाइजेस्टिव सिस्टम की ओर भेजता है। इसलिए इस दौरान ब्लड फ्लो डाइजेस्टिव सिस्टम की ओर ज्यादा होता है। अगर आप तेज वॉक करते हैं, तो इससे आपका ब्लड फ्लो मांसपेशियों की ओर मुड़ सकता है, जिससे पाचन प्रक्रिया प्रभावित होती है। इसके कारण ब्लोटिंग, कब्ज और पेट दर्द होने जैसी समस्याएं भी हो सकती है।असहजता हो सकती हैखाना खाने के तुरंत बाद वॉक करने से आपको पेट में भारीपन, ऐंठन, या एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके कारण आपको दिनभर ब्लोटिंग हो सकती है और पेट में दर्द भी हो सकता है।इन बातों का रखें ध्यानखाना खाने के तुरंत बाद वॉक न करें। कम से कम 30-45 मिनट रुकें ताकि खाना पच सके और इसके बाद ही तेज वॉक करें।अगर आप खाना खाने के बाद एक्टि रहना चाहते हैं, तो धीरे-धीरे ही वॉक करें। इससे पाचन में मदद मिलती है और खाने के बाद असुविधा नहीं होती है।अगर आप तेज वॉक करना पसंद करते हैं, तो खाना खाने के एक या दो घंटे बाद का समय सही रहेगा। इससे आपकी पाचन प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी और आपकी बॉडी भी एक्टिव रहेगी।
-
हमारे लिए बहुत जरूरी पोषक तत्व है। विटामिन सी इम्यूनिटी को बढ़ाने, त्वचा को बेदाग बनाने और बालों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। लेकिन जब बात विटामिन सी युक्त चीजों को डाइट में शामिल करने की आती है, तो लोग अक्सर कंफ्यून वाली स्थिति में रहते हैं। कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि आंवला में ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। वहीं, कुछ लोग विटामिन सी की पूर्ति के लिए अमरूद को सही विकल्प मानते हैं।आमतौर पर अमरूद और आंवला, दोनों ही विटामिन-C के अच्छे सोर्स माने जाते हैं, लेकिन सवाल यह है कि इनमें से कौन ज्यादा फायदेमंद है?
अमरूद में विटामिन-सी की मात्रा
अमरूद को सर्दियों का सुपर फ्रूट कहा जाता है। अमरूद में विटामिन सी के साथ-साथ फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। बाजार में मिलने वाले 100 ग्राम अमरूद में लगभग 250- 300 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है। यह हमारे शरीर की रोजाना की जरूरत का दोगुना है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, सर्दियों में आने वाले इस फल का रोजाना सिर्फ 1 टुकड़ा खाने से की विटामिन सी की जरूरत को पूरा किया जा सकता है।
आंवला में विटामिन- C की मात्राआयुर्वेद में आंवला को धात्री फल कहा जाता है। आंवला में विटामिन सी के साथ विटामिन ए, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर पाया जाता है। रोजाना आंवला का सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियों को दूर रखा जाता है। आंवला में विटामिन सी की बात की जाए, तो इसके लगभग 100 ग्राम में 600 से 700 मिलीग्राम विटामिन सी पाया जाता है।अमरूद vs आंवला, किसमें पाया जाता है ज्यादा विटामिन- सीअमरूद और आंवला के 100-100 ग्राम की तुलना की जाए, तो आंवला में अमरूद से 3 गुणा ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। अगर आप सिर्फ विटामिन सी के फायदों के लिए कोई फल या सब्जी खाना चाहते हैं, तो आंवला बेस्ट ऑप्शन है। लेकिन विटामिन सी के साथ डाइट में फाइबर को भी जोड़ना चाहते हैं, तो अमरूद खा सकते हैं। दोनों ही फलों को अपनी डाइट में शामिल करना फायदेमंद होता है।कैसे करें इन दोनों चीजों का सेवन1. अमरूद : अमरूद एक फल है। इसका सेवन आप कच्चा कर सकते हैं। अमरूद को खासतौर पर ताजा काटकर ही खाना चाहिए। ताकि इसके सभी पोषक तत्व शरीर को मिल सके।2. आंवला :आंवला स्वाद में खट्टा होता है। इसलिए आंवले को कच्चा खाना थोड़ा मुश्किल होता है। आप आंवले का जूस, आंवले का मुरब्बा या चटनी बनाकर खा सकते हैं।निष्कर्षअमरूद और आंवला, दोनों ही विटामिन-सी के अच्छे सोर्स हैं। यह दोनों ही कई बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करते हैं। आप अपने शरीर की जरूरत के हिसाब से अमरूद और आंवला का सेवन कर सकते हैं। - आज के जमाने में लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन पर बिताने के कारण लोगों को आंखों से जुड़ी परेशानियां हो रही हैं। स्क्रीन टाइम ज्यादा होने की वजह से आंखों में खुजली, जलन और रैशेज दानों की समस्या होती है। आंखों की परेशानियों से राहत पाने के लिए ज्यादातर लोग दवाएं और आई ड्रॉप का ऑप्शन अपनाते हैं। लेकिन आज भी आयुर्वेद में आंखों की समस्याओं को दूर करने के लिए प्राकृतिक औषधि का इस्तेमाल किया जाता है। आंखों की परेशानियों के लिए आयुर्वेद में त्रिफला के पानी को प्रभावी माना गया है। त्रिफला आयुर्वेद की एक औषधि है, जो तीन प्रमुख फल आंवला, हरड़ और बहेड़ा को मिलाकर बनती है। त्रिफला के पानी नियमित रूप से आंखों की सफाई के लिए उपयोग किया जाए, तो यह आंखों को स्वस्थ और ताजगी भरा बनाए रखता है। आइए जानते हैं त्रिफला के पानी से आंख धोने के फायदों के बारे में।1. दृष्टि को सुधारने में मददगारत्रिफला में मौजूद पोषक तत्व आंखों की कार्यक्षमता में सुधार करते हैं। रोजाना त्रिफला के पानी से आंखें धोने से धुंधलापन और आंखों की कमजोरी की तमाम परेशानियों से राहत मिलती है। जिन लोगों को अक्सर आंखों में दर्द रहता है, उनके लिए भी त्रिफला का पानी बहुत फायदेमंद होता है।2. संक्रमण से करें बचावत्रिफला में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो लंबे समय तक स्क्रीन देखने और प्रदूषण के कारण होने वाले आंखों के संक्रमण से बचाव करते हैं। रोजाना त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से खुजली और लालिमा को कम किया जा सकता है।3. आंखों के तनाव को करें कमआजकल मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन का इस्तेमाल करने से आंखों पर तनाव पड़ना एक आम बात है। त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से तनाव कम होता है। त्रिफला के पानी के पोषक तत्व आंखों को आराम महसूस करवाते हैं, जिससे कई परेशानियों से राहत मिलती है।4. आंखों की चमक बढ़ाएंत्रिफला के पानी से नियमित तौर पर सफाई करने से, यह आंखों को प्राकृतिक रूप से साफ और सुंदर बनाने में मदद करता है। साथ ही, आंखों की खुजली को भी दूर करता है।5. आंखों की सूजन को करता है कमरात में नींद पूरी न होने या तनाव के कारण आंखों के नीचे सूजन की समस्या होना एक आम बात है। आंखों की सूजन को कम करने में भी त्रिफला का पानी बहुत फायदेमंद होता है।त्रिफला का पानी कैसे तैयार करें?1 चम्मच त्रिफला पाउडर लें। इसे 1 गिलास पानी में रातभर भिगोकर रखें। सुबह इस पानी को छान लें और आंखों को धोने के लिए इस्तेमाल करें।निष्कर्षत्रिफला का पानी आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। रोजाना त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या नहीं होती है। लेकिन ध्यान रहे जिन लोगों को आंखों से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी है या वो देखने के लिए किसी चश्मे या लेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो त्रिफला के पानी का इस्तेमाल करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- सर्दियों में मौसम में ठंडी हवाओं के कारण बाल ड्राई और डैमेज हो जाते हैं। इतना ही नहीं, ठंड में सर्द हवाएं बालों को काफी कमजोर बना देती हैं, जिसकी वजह से वह टूटने और गिरने लगते हैं। बालों का गिरना, ड्राई और डैमेज नजर आना हमारी पर्सनैलिटी पर गहरा प्रभाव डालता है। इस बार सर्दियों में मौसम में अगर आप इन परेशानियों से जूझ रहे हैं तो आप घर पर ही कुछ आसान और नैचुरल होममेड जेल बनाकर बालों की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं। आइए जानते हैं इन होममेड जेल की रेसिपी और लगाने के तरीकों के बारे में।1. अलसी के बीजों का जेल-अलसी के बीजों के पोषण देकर फ्रीकिनेस को दूर करने में मदद करता है। जिन लोगों के बाल घुंघराले हैं, उनके लिए अलसी के बीजों का जेल सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। यह जेल सर्दियों में होने वाले डैंड्रफ और खुजली की समस्या को भी दूर करता है।- अलसी के बीजों का जेल बनाने के लिए सबसे पहले एक कप पानी में 2 बड़े चम्मच अलसी के बीज डालें।- पानी और अलसी के बीजों के मिश्रण को धीमी आंच पर 5-7 मिनट तक उबालें।- जब यह गाढ़ा जेल जैसा बन जाए, तो इसे छानकर एक छोटे बाउल में निकाल लें।- अलसी के जेल को ठंडा होने के बाद इसे बालों पर लगाएं और 20-30 मिनट के बाद धो लें।2. खीरे और एलोवेरा का जेलसर्दियों में बालों की खुजली, रूसी और ड्राइनेस को दूर करने में खीरे और एलोवेरा का जेल बहुत फायदेमंद होता है। खीरे और एलोवेरा जेल स्कैल्प को पोषण देता है, जिससे बाल मुलायम और शाइनी बनते हैं।- खीरे और एलोवेरा का जेल बनाने के लिए आधा खीरा छीलकर उसका पेस्ट बना लें।- ध्यान रहे कि खीरे का जूस नहीं निकलना है, उसका पेस्ट तैयार करना है।- खीरे के जेल में 2 बड़े चम्मच एलोवेरा जेल मिलाकर पेस्ट को तैयार कर लें।- खीरे और एलोवेरा जेल को स्कैल्प से लेकर बालों के सिर पर लगाएं और 30 मिनट तक छोड़ें दें।- जब जेल अच्छे से सूख जाए, तो बालों को नॉर्मल पानी और शैंपू से धोकर साफ कर लें।3. एलोवेरा जेलसर्दियों में अगर आप विभिन्न प्रकार के झंझट और दो चीजों को आपस में मिक्स करने से बचना चाहते हैं, तो बालों में एलोवेरा जेल लगा सकते हैं। एलोवेरा जेल में मौजूद विटामिन ए, बी, सी, ई, फॉलिक एसिड, कोलीन, बी1, बी2, बी3, और बी6 पाया जाता है, जो न केवल स्कैल्प को हाइड्रेट करता है, बल्कि बालों को मुलायम बनाता है।- इस जेल को बनाने के लिए सबसे पहले एलोवेरा की पत्ती लें और इसे काटकर अंदर से जेल निकाल लें।- इस जेल को मिक्सर में ब्लेंड करें ताकि अच्छा सा एक पेस्ट तैयार हो जाए।- एलोवेरा के जेल को स्कैल्प और बालों में आधा घंटा लगाकर रखें। बाद में इस जेल को नॉर्मल शैंपू से धो लें।- सप्ताह में 1 से 2 बार बालों में एलोवेरा जेल लगाने से बालों का झड़ना कम होता है और उनकी लंबाई भी बढ़ती है।इस बार सर्दियों के मौसम में घर पर बनाए जाने वाले इन जेल का इस्तेमाल करने से न सिर्फ आपके बालों की खूबसूरती बढ़ेगी बल्कि आपको केमिकल्स वाले प्रोडक्ट्स से भी छुटकारा मिलेगा।
- हाई शुगर लेवल डायबिटीज के मरीजों के लिए चिंता का कारण होते हैं क्योंकि ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के कारण डायबिटीज पेशेंट्स की कॉम्प्लिकेशन्स बढ़ सकती हैं। शुगर लेवल लगातार हाई रहने से किडनी, नर्वस सिस्टम और आंखों को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा किडनी फेलियर, पैरों की नसों के डैमेज होने और आंखों की रोशनी कम होने जैसे बड़े जोखिम भी डायबिटीज की बीमारी के साथ जुड़े हुए हैं। डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है लेकिन, ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने से आप डायबिटीज मैनेज कर सकते हैं। शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने के लिए आप अलग-अलग तरह की सब्जियों, फलों और पत्तियों से बने जूस भी आप पी सकते हैं।आंवले का जूसविटामिन सी से भरपूर आंवले के फल क्रोमियम नामक तत्व का भी स्रोत हैं। यह तत्व कार्ब्स को पचाने और शरीर में शुगर के लेवल को संतुलित करने का काम करता है। रोजाना आंवला जूस पीने से डायबिटीज मरीजों को ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद होती है।पालक का रससर्दियों में मिलने वाली पालक की पत्तियों का जूस पीने से भी शुगर लेवल कम होता है। आप पालक के पत्तों को थोड़े-से पानी के साथ पीसकर जूस बना लें और पीएं।मोरिंगा का जूसमोरिंगा की पत्तियां या सहजन की हरी पत्तियों (moringa leaves) का जूस पीना ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिहाज से एक अच्छा ड्रिंक है। मोरिंगा की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं जो इंफेक्शन का रिस्क कम करते हैं। साथ ही मोरिंगा का जूस पीने से इंसुलिन लेवल को संतुलित करने और शुगर लेवल कम करने में मदद करते हैं।एलोवेरा जूसडायबिटीज कंट्रोल में रखने के लिए आप एलोवेरा का जूस भी पी सकते हैं। इसमें विटामिन सी पाया जाता है जो एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट है। यह शुगर लेवल को कम रखता है और आपका डाइजेशन और इम्यून पॉवर भी बढ़ाता है।लौकी का जूसलौकी की सब्जी का जूस पीना भी ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है। दरअसल, सब्जी एक जूसी और लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली सब्जी है। लौकी का सेवन करे से आपका ब्लड शुगर लेवल तेजी से कम होता है।
-
आजकल खराब और अनियमित जीवनशैली के चलते लोगों में वजन तेजी से बढऩे लगा है। वजन घटाने के लिए लोग तरह-तरह के नुस्खे अपनाते हैं, लेकिन कई बार तमाम कोशिशों के बाद भी वजन कम नहीं होता है। कई बार ऐसे में कुछ लोग वेट लॉस दवाओं के साथ-साथ सर्जरी तक का विकल्प चुनते हैं। लेकिन, कई बार वजन घटाने में घरेलु नुस्खे भी कारगर साबित हो जाते हैं। अगर आप अपने बढ़े हुए वजन से परेशान हैं तो ऐसे में उबले हुए चावल का पानी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। चावल के पानी का सेवन करना आपके वजन को कम कर सकता है। हममें से ज्यादातर लोग चावल को उबालने या पकाने के पानी को फेंक देते हैं। लेकिन, यह त्वचा के लिए हेल्दी होने के साथ-साथ वजन को कंट्रोल करने में भी फायदेमंद होते हैं।
वजन घटाने के लिए चावल का पानी कैसे इस्तेमाल किया जाता है--वजन घटाने के लिए आप उबले हुए चावल के पानी को पी सकते हैं। यह वजन घटाने का सबसे असरदार और प्रभावी नुस्खा है।--चावल के पानी में कैलोरी की मात्रा बिलकुल कम होती है। इसे पीने से आपकी शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी आसानी से कम होती है।-इसके लिए आपको चावल के पानी को कुछ समय तक धीमी आंच पर उबालना चाहिए।-इसके बाद आपको चावल के पानी को ठंडा करके पी लेना चाहिए।-आप चाहें तो चावल के पानी में नमक और काली मिर्च भी मिला सकते हैं।चावल के पानी के अन्य इस्तेमाल-चावल के पानी को आप कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं।-चावल के पानी को आप चेहरे पर लगा सकते हैं। इससे त्वचा का ग्लो बढ़ता है साथ ही झुर्रियों की समस्या भी कम होती है।-चावल के पानी को आप बालों से संबंधित समस्याओं में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे बालों पर लगाने से बाल झडऩे और टूटने से आराम मिल सकता है।-चावल का पानी पीने से पाचन संबंधी समस्याओं में आराम मिलता है.-इस पानी को पीने से कई बार डिहाइड्रेशन में भी फायदा मिल सकता है।-चावल के पानी में मौजूद पोषक तत्व शरीर को पर्याप्त एनर्जी देने का काम करते हैं।ज्यादा चावल का पानी पीने के नुकसान-चावल का पानी ज्यादा मात्रा में पीना नुकसानदेह भी हो सकता है।-इस पानी को ज्यादा पीने से गैस और अपच जैसी समस्या हो सकती है।-इससे कुछ मामलों में आप हाइपरटेंशन के भी शिकार हो सकते हैं।-इससे कई बार डायबिटीज और एलर्जी जैसी समस्या भी हो सकती है।-जरूरत से ज्यादा चावल का पानी पीने से कई बार आपको मोटापा भी हो सकता है। - आयुर्वेद में मेथी के दानों और छुहारे दोनों का अलग-अलग सेवन करने से शरीर को होने वाले फायदों के बारे में बताया गया है। ये दोनों चीजें अलग खाने से आप खुद को कई समस्याओं से बचा सकते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर मेथी दाने और छुहारे का सेवन साथ में किया जाए, तो क्या होगा? अगर नहीं, तो आइए आज के इस आर्टिकल में हम मेथी दाने और छुहारे का पानी पीने से होने वाले फायदों के बारे में बताएंगे।मेथी और छुहारे का पानी कैसे बनाएं?मेथी दाने और छुहारे के पानी को बनाने के लिए आपको कोई राकेट साइंस नहीं लगानी है। इसके लिए आपको मेथी दाने और छुहारों को रात भर पानी में भिगोकर रखना है। अब सुबह उठकर इस पानी को अच्छी तरह उबाल लें। अब मेथी के दाने और छुहारों को छानकर अलग से रख लें। आपका पानी तैयार है, आप इस पानी में भुना हुआ जीरा और सेंधा नमक मिलाकर पी सकते हैं। इसके बाद भीगे हुए मेथी दानों और छुहारों को चबाकर-चबाकर खा लें। इससे कुछ भी चीज बर्बाद नहीं होगी और शरीर को कई फायदे हो सकते हैं।मेथी दाने और छुहारे का पानी पीने के फायदेजोड़ों के दर्द से राहतमेथी दानों और छुहारे के पानी का सेवन करने से जोड़ों में दर्द की समस्या से बचा जा सकता है। अगर आप जोड़ों के दर्द और सूजन की समस्या से बचना चाहते हैं, तो इस नुस्खे को जरूर ट्राई करें। आपको बहुत जल्दी परिणाम दिखने लगेंगे।वजन कम हो सकता हैअगर आप वजन घटना चाहते हैं, तो इस पानी का सेवन कर सकते हैं। इस पानी में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है। इससे आप ओवरईटिंग से बच जाते हैं और वजन घटाने में मदद मिलती है।पाचन-तंत्र में होगा सुधारजैसा हमने आपको बताया की इस पानी में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इससे पाचन-तंत्र को फायदा होता है। यह पानी पेट की गैस, अपच और कब्ज जैसी समस्याओं से बचाव करता है। इससे मल सॉफ्ट हो जाता है और आसानी से बाहर आ जाता है।
- ऑलिव ऑयल, जिसे जैतून का तेल भी कहते हैं, एक ऐसा प्राकृतिक उपाय है जो झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करने में मदद कर सकता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन-ई और फैटी एसिड त्वचा को गहराई से पोषण देते हैं। ऑलिव ऑयल त्वचा में नमी बनाए रखता है, फ्री रेडिकल्स से बचाता है और कोलेजन प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है। यह न केवल त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाता है, बल्कि झुर्रियों की समस्या को भी प्रभावी ढंग से कम करता है। आइए जानते हैं, झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल का सही तरीका।झुर्रियों के लिए क्यों बेस्ट है ऑलिव ऑयल?--ऑलिव ऑयल में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन-ई और फैटी एसिड जैसे गुण होते हैं, जो त्वचा को अंदर से पोषण देकर उसे स्वस्थ और जवां बनाए रखते हैं। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा में नमी बनी रहती है, जिससे झुर्रियों और फाइन लाइन्स की समस्या धीरे-धीरे कम होती है।-ऑलिव ऑयल में मौजूद पॉलीफेनोल्स और विटामिन-ई त्वचा की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं, जो झुर्रियों और एजिंग का मुख्य कारण है।-यह ऑयल, त्वचा की गहराई तक जाकर उसे मॉइश्चराइज करता है, जिससे ड्राई स्किन की समस्या दूर होती है।-ऑलिव ऑयल त्वचा में कोलेजन के उत्पादन को बढ़ाता है, जो त्वचा को लचीला और जवां बनाए रखता है।-ऑलिव ऑयल के नियमित इस्तेमाल से त्वचा के काले धब्बों और पिग्मेंटेशन को भी हल्का करता है।झुर्रियों के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल कैसे करें?झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करने के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना बेहद आसान है। इसे कई तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है-1. रात में मसाज करें:सोने से पहले चेहरे को अच्छे से साफ करें। 2-3 बूंद ऑलिव ऑयल लें और इसे अपने चेहरे और गर्दन पर हल्के हाथों से मसाज करते हुए लगाएं।पूरी रात इसे लगे रहने दें और सुबह गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।2. फेस मास्क में मिलाएं:1 चम्मच ऑलिव ऑयल में शहद और दही मिलाकर एक फेस मास्क बनाएं।इसे चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट तक रखें और फिर ठंडे पानी से धो लें।यह मास्क त्वचा को गहराई से पोषण देता है।3. स्क्रब के रूप में:ऑलिव ऑयल में चीनी और नींबू का रस मिलाकर एक स्क्रब तैयार करें।इसे चेहरे पर सर्कुलर मोशन में लगाएं और 5 मिनट तक मसाज करें। स्क्रब करने के बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें। यह त्वचा को एक्सफोलिएट करने के साथ झुर्रियों को कम करता है।4. आंखों के आसपास लगाएं:आंखों के आसपास की त्वचा बहुत नाजुक होती है।यहां ऑलिव ऑयल की 1-2 बूंदों को हल्के हाथों से लगाएं।यह डार्क सर्कल्स और फाइन लाइन्स को कम करने में मदद करता है।पैच टेस्ट जरूर करेंकिसी भी नई चीज का इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें, ताकि एलर्जी की समस्या न हो। इसलिए ऑलिव ऑयल को भी इस्तेमाल करना जरूरी है।अगर आपकी त्वचा ऑयली है, तो ऑलिव ऑयल का कम मात्रा में इस्तेमाल करें।हमेशा शुद्ध और एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल का ही इस्तेमाल करें।ऑलिव ऑयल एक प्राकृतिक और सुरक्षित तरीका है, जिससे झुर्रियों और फाइन लाइन्स की समस्या को कम किया जा सकता है। इसके नियमित इस्तेमाल से आपकी त्वचा न केवल स्वस्थ और ग्लोइंग बनेगी, बल्कि उम्र के प्रभाव भी कम दिखेंगे। आज ही अपनी स्किनकेयर रूटीन में ऑलिव ऑयल को शामिल करें और फर्क महसूस करें।
-
भुना चना खाने के ढेर सारे फायदे बताए जाते हैं। काफी सारे लोग इसे रोज खाना पसंद करते हैं। भुने चने में कैलोरी की मात्रा ना के बराबर होती है और प्रोटीन, फाइबर के साथ आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस होता है। जो ना केवल हड्डियों को मजबूत बनाता है बल्कि वेट लॉस में भी मदद करता है। अगर आप कभी घर में चने को भूनकर खाना चाहें तो इस ट्रिक से फटाफट मार्केट जैसे भुने चने बना सकते हैं। बस जान लें चने को मार्केट स्टाइल भुनने का तरीका।
चना ही नहीं इन अनाज को भूनकर खाएं
वैसे तो मार्केट में बहुत आसानी से भुना चना मिल जाता है। लेकिन कई बार जब घर में काले चने रखे हों तो इन्हें भी मार्केट जैसा भूनकर खाया जा सकता है। केवल चना ही नहीं इस तरीके से दूसरे अनाजों को भी भूनकर स्नैक्स में खाना हेल्दी ऑप्शन है।
मार्केट जैसा चना भूनने की ट्रिक
-सबसे पहले किसी कटोरी में पानी एक कप लेंगे। फिर इसमे हल्दी एक चम्मच और एक चम्मच नमक डालकर मिक्स कर लें।
-किसी बड़े बर्तन में चने को लेकर उसमे ये हल्दी वाला पानी डालकर चने को भिगोकर छोड़ दें। आधा घंटा चने को इस हल्दी वाले पानी में भीगा रहने दें।
-अब कड़ाही में एक कप नमक डालें। नमक की मात्रा चने से ज्यादा हो। अब इस नमक को गर्म हो जाने दें। फिर इसमे भीगे चने का पानी छानकर डालें।
-तेज फ्लेम पर करछूल या लकड़ी की मदद से चलाते जाएं।
-नमक के साथ मिलाकर चने को भूनें। नमक की गर्माहट से चने फटाफट मिनटों में ही पॉपअप होकर भुन जाएंगे और बिल्कुल मार्केट जैसे ही क्रिस्पी बनेंगे। -
भागती-दौड़ती जिंदगी में आज हर कोई अपने क्षेत्र में नंबर वन बने रहने का सपना पूरा करना चाहता है। लेकिन इस दौड़ में हिस्सा लेने वाले लोग कुछ समय बाद अकसर गर्दन और पीठ के दर्द से बेहाल हो जाते हैं। जी हां, कॉम्पिटिशन के इस दौर में घंटों लैपटॉप पर झुककर काम करने वाले लोग पीठ और गर्दन के दर्द की शिकायत करते हैं। इसके अलावा यह दर्द कई बार गलत पोस्चर में बैठकर काम करने से भी परेशान करने लगता है। ज्यादा दिन तक इस दर्द को नजरअंदाज करने पर व्यक्ति की समस्या बढ़ सकती है। अगर आप भी इस तरह के दर्द को फिलहाल झेल रहे हैं तो ये 3 योगासन आपकी समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
भुजंगासन
भुजंगासन को कोबरा मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन को करने से कमर की अकड़न दूर होती है और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है। भुजंगासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पेट के बल सीधा लेटकर अपनी हथेलियों को कंधों के नीचे रखें। अब अपनी उंगलियों को फैलाते हुए छाती को ऊपर की ओर खींचें। इसी अवस्था में बने रहते हुए सांस लें। थोड़ी देर बाद वापस पहले वाली अवस्था में आ जाएं।
मंडूकासन
मंडूकासन को हाफ फ्रॉग पोज या मेंढक मुद्रा भी कहा जाता है। यह छाती और कंधों को खोलने वाला आसन है, जो कूल्हों, जांघों, और पीठ में लचीलापन बढ़ाता है। मंडूकासन करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठकर अपनी मुठ्ठी बंद करें और अंगूठे को बाहर की तरफ रखें। अब मुठ्ठी को नाभि चक्र और जांघ के पास ले जाएं। ऐसा करते हुए अपनी सांस बाहर छोड़ते हुए पेट को अंदर की तरफ खींचें। धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकें और छाती को जांघ से छूने की कोशिश करें। जब तक इस मुद्रा में रह सकते हैं, बने रहें फिर धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें। वापस अपनी पहली स्थिति में आ जाएं। धीरे-धीरे इस आसन की संख्या बढ़ाएं।
ताड़ासन
ताड़ासन या पर्वत मुद्रा योग का एक आसन है, जो शारीरिक और मानसिक संतुलन विकसित करके शरीर के पोस्चर में सुधार लाता है, जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत करता है। ताड़ासन करने के लिए आपको सीधे खड़े होकर अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाते हुए एक दूसरे से जोड़ना है। इसके बाद अपनी एड़ियों के सहारे ऊपर की तरफ बॉडी को स्ट्रेच करें। इसी अवस्था में अपना संतुलन बनाने की कोशिश करें। इसी प्रक्रिया को चार से पांच बार दोहराएं। इससे आपकी पूरी बॉडी को काफी राहत फील होगी। - सर्दियों में अधिकतर लोगों के घरों में ड्राई फ्रूट्स और गोंद के लड्डू बनाएं जाते हैं। दरअसल, इस मौसम में ठंड से बचने और शरीर को गर्म रखने के लिए घर में इस तरह के पौष्टिक लड्डू बनाए जाते हैं। लेकिन, कुछ लोगों को मालूम नहीं होगा कि इन लड्डूओं काले और लाल रंग का गोंद भी मिलाया जाता है। इस गोंद को गोंद चुनिया और पलाश गोंद के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में पलाश के फूल, पेड़ और गोंद से कई तरह के रोगों को दूर करने में मदद मिलती है। कमरकस में एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा पाई जाती है। कमरकस पाउडर का इस्तेमाल रेसिपी में स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। इसे अनिद्रा, पेट दर्द और पीठ कमर दर्द जैसी विभिन्न समस्याओं को ठीक करने इस्तेमाल किया जाता है।सर्दियों में महिलाओं के लिए कमरकस के फायदेडिलीवरी के बाद महिला की ताकत बढ़ाएंकमरकस का सेवन प्रसव के बाद शरीर को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है। यह मांसपेशियों को मजबूती देता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है। इससे डिलीवरी के बाद महिलाओं को रिकवर करने में मदद मिलती है।पीरियड के दर्द को कम करेंकमरकस या पलाश गोंद में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, यह एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाले ऐंठन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही, इसके सेवन से पेट के हिस्से की मांसपेशियों को आराम मिलता है।शरीर को गर्म रखेंसर्दियों में कमरकस का सेवन शरीर को अंदर से गर्म रखने में मदद करता है। यह ठंड से बचाव करता है और जोड़ों के दर्द में भी राहत देता है। महिलाओं को सर्दियों में होने वाले दर्द से बचाव करने के लिए भी कमरकस का सेवन किया जाता है।हड्डियों को मजबूती प्रदान करेंकमरकस कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है। यह खासतौर पर उन महिलाओं के लिए उपयोगी है जिन्हें हड्डियों की कमजोरी की शिकायत होती है।त्वचा और बालों के लिए फायदेमंदकमरकस में एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व होते हैं, जो त्वचा को नमी प्रदान करते हैं और सर्दियों में बालों को रूखेपन से बचाते हैं। साथ ही, इसके सेवन से बालों में नई चमक आती है और बाल पहले की अपेक्षा स्वस्थ बनते हैं।कमरकस का सेवन कैसे करेंकमरकस लड्डूइसे बनाने के लिए आप कमरकस, गेंहू का आटा, गुड़, और घी ले लें। सबसे पहले आप घी में कमरकस को भून लें। इसके बाद इसमें गेहूं के आटे को हल्का सुनहरा होने तक भूनें। इसके बाद इसमें गुड़ और सूखे मेवों को मिलाकर लड्डू तैयार करें।कमरकस का दूधगर्म दूध में कमरकस डालकर अच्छी तरह मिलाएं। इसको स्वादिष्ट बनाने के लिए ऊपर से शहद या गुड़ डालकर सेवन करें। इसे आप रात को सोने से पहले पिएं। इससे नींद अच्छी आती है और तनाव कम होता है।कमरकस सर्दियों में महिलाओं के लिए एक वरदान है। यह न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि सर्दियों की ठंड से भी बचाव करता है। इसे अपनी डाइट में शामिल करें और सर्दियों का आनंद स्वस्थ और ऊर्जावान तरीके से लें।
- सर्दियों के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए भारतीय घरों में पंजीरी बनाई जाती है। पंजीरी खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहत के लिए लाजवाब होती है। इसे खाने से शरीर को कई छोटी-बड़ी समस्याओं से बचाया जा सकता है। आजतक अपने आटे से बनी पंजीरी, तो कई बार खाई होगी। आज हम आपको हल्दी से बनी पंजीरी खाने से होने वाले फायदों के बारे में बातएंगे। हल्दी सर्दियों में सुपरफूड की तरह काम करती है। इसमें ढेरों पोषक-तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि हल्दी से पंजीरी किस तरह बनाई जा सकती है और इससे शरीर को क्या फायदे होते हैं।हल्दी पंजीरी कैसे बनाएं?हल्दी पंजीरी बनाने के लिए आपको सबसे पहले एक पैन में घी डालना है। अब इस घी में कच्ची हल्दी को अच्छी तरह से भून लें। घी गुड़ फैट होता है, जिसमें हल्दी को भुनने से इसकी बायोअवेलेबिलिटी बढ़ जाती है। इसके बाद गेहूं के आटे को ब्राउन होने तक भून लें। अब हल्दी और भुने हुए आटे को मिला लें। इसके बाद अपने पसंदीदा ड्राई फ्रूट्स को मिलाएं। आखिर में आप मिठास के लिए गुड़ डालें। इससे आपकी पंजीरी कई गुना हेल्दी बन जाएगी। आपकी कच्ची हल्दी से बनी पंजीरी तैयार है।हल्दी पंजीरी खाने के फायदे- हल्दी पंजीरी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह पंजीरी सर्दियों में होने वाली सूजन की समस्या से इंसान को बचाने का काम करती है। इससे शरीर में होने वाली सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है।- हल्दी पंजीरी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-सेप्टिक गुण होते हैं। इससे शरीर को कई तरह के संक्रमण और चोटों से बचाया जा सकता है।- जैसा हम सभी जानते हैं कि हल्दी की तासीर गर्म होती है। ऐसे में हल्दी से बनी पंजीरी खाने से शरीर में गर्माहट आती है। इससे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत किया जा सकता है।- हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है, जो लिवर की समस्याओं से बचाता है। इससे लिवर को आसानी से डिटॉक्स किया जा सकता है।- हल्दी पंजीरी में प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इससे शरीर को बहुत फायदे हो सकते हैं। इससे शरीर में ताकत आती है।- हल्दी पंजीरी में मौजूद घी गुणों की खान होता है। इसमें विटामिन-बी और ई की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इससे पेट की समस्याओं से राहत मिलती है। इससे कब्ज जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है।- इसके अलावा, हल्दी पंजीरी में मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखता है। साथ ही, इसमें कार्बोहाइड्रेट और गुड फैट पाए जाते हैं, जो हार्ट को हेल्दी रखने में मदद करते हैं।- हल्दी पंजीरी को बनाने में ड्राई फ्रूट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे भूख जल्दी नहीं लगती है और आप ओवरईटिंग से बच जाते हैं। इससे वजन कम करने में मदद मिलती है।