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- लौकी और पेठा, दोनों का सेवन हम सब्जी और सूप आदि के रूप में तो करते हैं, लेकिन आपने बहुत से लोगों को देखा होगा कि वे इनके जूस का सेवन भी करते हैं। लौकी और पेठा दोनों ही बहुत स्वस्थ और कम कैलोरी वाले फूड हैं। साथ ही, ये पोषण से भरपूर होते हैं। इनका सेवन करने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। लौकी और पेठे का जूस भी सेहत के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। बहुत से लोग वजन घटाने के लिए भी इनका सेवन करते हैं। लेकिन अक्सर लोगों पूछते हैं कि लौकी और पेठे के जूस में से सेहत के लिए कौन सा ज्यादा लाभकारी है? किसका सेवन करने से सेहत को अधिक लाभ मिलते हैं? अगर आप इस असमंजस का सामना कर रहे हैं, तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आपके लिए दोनों में से कौन सा जूस लाभकारी है।लौकी या कद्दू पेठा, किसका जूस ज्यादा फायदेमंद होता हैपेठा स्वाद में थोड़ा खट्टा-मीठा होता है। इसे काफी शुद्ध माना जाता है और इसकी मिठाई भी बनाई जाती है। वहीं, लौका का सेवन तो हम सभी कई तरह से करते हैं। दोनों के जूस की बात करें, तो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, कद्दू पेठा एक अद्भुत फूड है, इसकी भारत में व्यापक रूप से खेती की जाती है। आयुर्वेद में इसका प्रयोग पेप्टिक अल्सर, यूरिन में इन्फेक्शन, डायबिटीज मेलेटस, मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से जुड़े रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।वहीं लौकी की बात करें, तो यह एक बेहतरीन प्रीबायोटिक है। इसमें मानव स्वास्थ्य के लिए जरूरी सभी अमीनो एसिड और जरूरी पोषक तत्व होते हैं। इसे कार्डियोटोनिक और सामान्य टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, कैंसर से लड़ने वाले और मूत्रवर्धक गुण होते हैं। इसलिए इसका जूस भी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है।दोनों में कौन सा ज्यादा फायदेमंद की बात करें, तो इसका कोई सटीक जवाब नहीं है। आपको किसका सेवन करना चाहिए या आपके लिए कौन सा लाभकारी साबित हो सकता है, यह आपकी जरूरत पर निर्भर करता है। कोई एक जूस आपको सभी लाभ प्रदान नहीं कर सकता है। आपको अपनी जरूरत के अनुसार इनका चुनाव करने की जरूरत है।एक्सपर्ट क्या सलाह देते हैं?लौकी और पेठा, दोनों का ही जूस आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। इनका लाभ देने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप दोनों का ही सेवन करें। आप अलग-अलग दिन पर किसी एक जूस का सेवन कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि अधिक मात्रा में इनका सेवन न करें। सीमित मात्रा में सेवन करने से ही आपको अधिक लाभ मिल सकते हैं।
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वेट लॉस के लिए अक्सर लोग खाना छोड़ देते हैं। लेकिन बॉडी को न्यूट्रिशन देना जरूरी है। ऐसे में अक्सर लोग कंफ्यूज रहते हैं कि कैल्शियम और विटामिन डी जैसे पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए दूध पिएं या ना पिएं। क्योंकि काफी सारे न्यूट्रिशनिस्ट बताते हैं कि दूध में फैट की मात्रा ज्यादा होती है। वहीं एनिमल प्रोटीन डाइजेस्ट होने में टाइम लेता है। अगर आप दूध पीने को लेकर कंफ्यूज रहते हैं तो बादाम का दूध बेस्ट ऑप्शन है। बादाम मिल्क में दूध जितने सारे जरूरी न्यूट्रिशन मौजूद होते हैं। साथ ही ये एनिमल प्रोटीन ना होने की वजह से आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है। तो अगर आप वेट लॉस डाइट को फॉलो कर रहे हैं तो बादाम मिल्क को डाइट में शामिल कर सकते हैं। यहीं नहीं बादाम मिल्क के और भी काफी सारे फायदे हैं। आगे जानें इनके फायदों के बारे में।
स्किन के लिए फायदेमंद
बहुत सारे लोगों को दूध की वजह से एक्ने निकलना शुरू हो जाते हैं। अगर एक्ने की दिक्कत रहती है तो नॉर्मल दूध की बजाए बादाम मिल्क को डाइट में ऐड करें। बादाम मिल्क विटामिन ई से भरपूर होता है जो कोशिकाओं को डैमेज करने वाले फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है। साथ ही इसमे एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। रिसर्च में पता चला है कि 35 साल के ऊपर की महिलाएं अगर रोजाना बादाम मिल्क का सेवन करती है तो ये कोलेजन और विटामिंस का निर्माण करता है। जिसकी वजह से स्किन में इलास्टिसिटी, हाईड्रेशन और कसाव बना रहता है। साथ ही समय से पहले बुढ़ापा स्किन पर नजर नहीं आता।
हार्ट को हेल्दी रखने में मदद
डेयरी मिल्क में फैट की अच्छी खासी मात्रा होती है जो हार्ट हेल्थ के लिए नुकसानदेह होती है। कई बार हार्ट के मरीजों को दूध पीने से मना किया जाता है। ऐसे में जरूरी पोषण के लिए उन्हें काफी सारे फूड्स पर निर्भर रहना पड़ता है। बादाम मिल्क में मौजूद मिनरल्स और विटामिंस बॉडी को हेल्दी रखने में मदद करते हैं।
वजन घटाने में मदद
बादाम मिल्क में कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है। इसके साथ ही कैल्शियम अच्छी खासी मात्रा में होता है। जो कि हड्डियों की सेहत के लिए जरूरी है। वजन घटाने वाली डाइट में बादाम मिल्क लेने से शरीर के सारे जरूरी मिनरल्स मिल जाते हैं।
डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद
बादाम मिल्क में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स के साथ ही शुगर की मात्रा ना के बराबर होती है। ऐसे में ये डायबिटीज के रोगियों के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसे रोजाना पीने से बॉडी को विटामिन डी, ई, फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं।
बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है
बादाम मिल्क में हेल्दी मोनोसेचुरेटेड फैट्स होता है जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है।
विटामिन डी और ई से भरपूर
विटामिन डी और कैल्शियम की भरपूर मात्रा हड्डियों को तंदरुस्त रखने में मदद करती है। वहीं विटामिन ई पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट होता है। जो शरीर को स्ट्रेस और सूजन से बचाने में मदद करता है।
घर में कैसे बनाएं बादाम मिल्क
वैसे तो मार्केट में बादाम मिल्क आसानी से मिल जाता है। लेकिन इसे घर में बनाना बेहद आसान है और आप इसमे न्यूट्रिशन की मात्रा को बैलेंस कर सकते हैं। इसके लिए बस जरूरत होगी बादाम और पानी की।
एक गिलास दूध बनाने के लिए करीब 50 ग्राम बादाम को पानी में मिलाकर पीस लें।
अब इस पीसे हुए पेस्ट को अच्छी तरह से छान लें। जिससे सारे कण निकल जाएं और दूध स्मूद हो जाए। बस रेडी है फ्रेश बादाम मिल्क। ये काफी हेल्दी होता है। - हिंदू धर्म में हमेशा कथा और पुराण के बाद या कोई विशेष अवसर पर पूजा पाठ के बाद प्रसाद के साथ-साथ पंचामृत बांटने का रिवाज है। ज्यादातर पंचामृत पांच प्रकार की खाने की चीजों को मिलाकर बनाया जाता है इसीलिए इसका नाम पंचामृत है। दूध, दही, घी, शहद, मिश्री को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है। पंचामृत का अर्थ है 'पांच अमृत'।पंचामृत बनाने की सरल विधि :-पंचामृत में मिलाई जाने वाली सामग्री -250 मिली गाय का दूध (ताजा), 2 टेबल चम्मच मिश्री पिसी हुई , 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच देशी घी, 2 चम्मच ताजा दही, 2-3 तुलसी के पत्ते।पंचामृत विधि :1. सबसे पहले गाय के ताजे दूध में पिसी मिश्री, शहद, दही एवं घी मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें। इसके बाद2. इसमें तुलसी 3 से 4 के पत्ते छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर मिलाएं।3. आपका शुद्ध सरल और स्वादिष्ट पंचामृत तैयार है।4. अब आप इससे लोगों में प्रसाद के रूप में बांट सकते हैं और खुद भी ग्रहण कर सकते हैं।पंचामृत पीने के फायदे1.पंचामृत का सेवन करना शरीर के लिए लाभदायक होता है। कई विशेषज्ञों के अनुसार रोज पंचामृत का सेवन करने से इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है। इसके साथ ही इसका सेवन करने से चेहरे की रंगत भी निखरती है।2. पंचामृत का अर्थ है 'पांच अमृत'। पांचों प्रकार के मिश्रण से बनने वाले पंचामृत से भगवान प्रसन्न होते है। इसीलिए इसे हमेशा किसी शुभ कार्य के बाद यह किसी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले लोगों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इसका उपयोग करने से शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है शरीर की रोगों से लडऩे की क्षमता में वृद्धि होती है।3. रोज पंचामृत का सेवन करने से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। इसमें तुलसी के पत्तों का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद ही फायदेमंद होते हैं।4. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका सेवन करने से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।5. पंचामृत को अमृत के समान माना गया है यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन पंचामृत की एक दो चम्मच प्रसाद के रूप में लेता है तो वह व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रहता है।6. पंचामृत का सेवन करने से शरीर पुष्ट और रोगमुक्त रहता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, अर्थात इम्युनिटी बढ़ती है।7. पंचामृत से जिस तरह हम भगवान को स्नान कराते हैं ऐसा ही खुद स्नान करने से शरीर की कांति बढ़ती है। शरीर में ओज तेज दिखाई देता है।8. पंचामृत का सेवन करने से इसका उचित मात्रा में नियमित सेवन करने से बाल काले और घने होते हैं।9. पंचामृत का सेवन करने से यह मानसिक विकास में सहायक है। मस्तिष्क से कार्य करने वालों के लिऐ यह लाभदायक है।10. पंचामृत का सेवन करने से यह पित्त दोष को संतुलित करता है। जिससे पेट संबंधित समस्याओं में आराम मिलता है।11. पंचामृत का सेवन करने से यह पुरुषों में वीर्य की ताकत बढ़ाता है। जिससे प्रजनन क्षमता में वृद्धि होती है।12. गर्भवती महिलाएं यदि डॉक्टर से पूछकर इसका उचित मात्रा में सेवन करें तो यह बहुत ही ज्यादा लाभदायी है।13. पंचामृत में तुलसी का एक पत्ता डालकर इसका नियमित सेवन करते रहने से आजीवन किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता।14. माना जाता है कि पंचामृत का सेवन करने से कैंसर, हार्ट अटैक, डायबिटिज, कब्ज और ब्लड प्रेशर जैसी रोगों से बचा जा सकता है।15. पंचामृत सेवन से आत्मिक शांति मिलती है और चिंताएं दूर होती हैं। पंचामृत मन को शांत करता है जिससे सभी प्रकार का तनाव दूर होता है और मन को आराम मिलता है।नोट-पंचामृत कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। 2 से 3 चम्मच। उससे ज्यादा नहीं। यदि आपको डायबिटीज या किसी भी तरह की एलर्जी है तो पंचामृत का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
- उम्र बढ़ने के साथ कई प्रकार की शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है। यही कारण कि इस उम्र के बाद अधिकतर लोगों को याददाश्त की कमी और निर्णय लेने की क्षमता में परेशानी होने लगती है। अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे रोगों का खतरा भी 60 की उम्र के बाद काफी बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इस तरह के जोखिमों से बचाव के लिए जरूरी है कि आप कम उम्र से ही इसके लिए प्रयास करते रहें। आहार और दिनचर्या को ठीक रखकर आप मस्तिष्क से संबंधित इन समस्याओं के खतरे को कम कर सकते हैं।इसी से संबंधित एक हालिया शोध में वैज्ञानिकों ने बताया कि युवावस्था से ही अगर दिनचर्या को ठीक रख लिया जाए तो यह भविष्य में अल्जाइमर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को कम करने वाली हो सकती है। इस अध्ययन में नियमित व्यायाम की आदत बनाने पर जोर दिया गया है।शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर आप रोजाना 20-30 मिनट के व्यायाम की आदत बना लेते हैं तो यह संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है।व्यायाम से अल्जाइमर रोग में मिलता है लाभपीर रिव्यूड साइंटफिक जर्नल सेल में हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि जब हम व्यायाम करते हैं तो इससे आइरिसिन नामक हार्मोन का उत्पादन होता है जिसे अल्जाइमर जैसी बीमारियों के खतरे को कम करने वाला पाया गया है।आइरिसिन हार्मोन, नेप्रिल्सिन को बढ़ाता है जो मस्तिष्क को क्षति पहुंचाने वाले असामान्य प्रोटीन अमाइलॉइड बीटा से मुकाबला करता है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि इस प्रोटीन की अधिकता अल्जाइमर के जोखिम को बढ़ाने वाली हो सकती है। मसलन अगर आप व्यायाम की आदत बनाते हैं तो यह इस प्रकार के जोखिमों को कम करने में आपके लिए सहायक है।आइरिसिन हार्मोन का मस्तिष्क पर असरअध्ययनकर्ता कहते हैं, इस शोध की रिपोर्ट से ये तो साबित नहीं होता है कि व्यायाम करने से अल्जाइमर के रोगियों की स्थिति में सुधार होता है। हालांकि यह एक तरीका जरूर है जिससे कि आप अपने जोखिमों को काफी हद तक कम कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यायाम करने से मेटाबॉलिज्म मार्करों में सुधार होता है।यह अध्ययन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पता चलता है कि आईरिसिन, किस प्रकार से इंफ्लामेशन को कम करने में मददगार हो सकता है और अमाइलॉइड बीटा को ठीक करने में मदद करता है। वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती इस रोग की स्थिति से बचाव में इन तथ्यों को समझने से मदद मिल सकती है।क्या कहते हैं शोधकर्ता?शोधकर्ताओं ने बताया आइरिसिन हार्मोन, वास्तव में अमाइलॉइड बीटा प्लाक को साफ करने में मदद करता है, जिससे ब्रेन के डिजनरेशन को कम किया जा सकता है। दिनचर्या को योग के सामान्य अभ्यास को शामिल करके भी इस लाभ को प्राप्त किया जा सकता है। आइरिसिन हार्मोन, शरीर के लिए और भी कई प्रकार से महत्वपूर्ण है, जो ग्लूकोज और लिपिड को भी नियंत्रित करता है।व्यायाम को जरूर बनाएं दिनचर्या का हिस्सास्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, दिन में लगभग 30 मिनट का व्यायाम भी उपयोगी होता है। एरोबिक व्यायाम जैसे सामान्य रूप से वॉकिंग आदि से भी आप स्वास्थ्य लाभ पा सकते हैं। इससे मेटाबॉलिज्म और रक्त प्रवाह में भी सुधार करने में लाभ मिल सकता है। अध्ययन में इस बात का जिक्र नहीं है कि किस प्रकार के व्यायाम से आपको लाभ मिला है, आप सामान्य अभ्यास की मदद से भी इसके लाभ मिल सकता है।
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मेथी भी लगभग हर भारतीय रसोई में आसानी से मिल जाएगी। मेथी में मौजूद औषधीय गुण शरीर को हेल्दी रखने और बीमारियों से बचाने में बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। वजन कम करने से लेकर पेट से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा दिलाने में मेथी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन महिलाओं के लिए किसी औषधि से कम नहीं होता है। पीरियड्स से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा पाने से लेकर डायबिटीज और प्रोस्टेट की समस्या में भी मेथी का सेवन फायदेमंद होता है। रोजाना सुबह के समय भिगोए मेथी दाने का सेवन करने से शरीर को कई जबरदस्त फायदे मिलते हैं। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं सुबह भिगोए मेथी दाने का सेवन करने से फायदे और इसका सही तरीका।
भिगोए मेथी दाने का सेवन करने के फायदे
रोजाना सुबह के समय भिगोए हुए मेथी दाने का सेवन करने से शरीर से कई बीमारियों को दूर करने में फायदा मिलता है। मेथी दाने में मौजूद पोषक तत्व और गुण शरीर से कई बीमारियों और समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इसका सेवन करने से डायबिटीज, अपच, मोटापा और प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानियों में बहुत फायदा मिलता है। मेथी दाने में एंटी-ऑक्सीडेंट, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, एंटी-इंफ्लेमेटरी, विटामिन ए, विटामिन डी और फाइबर के गुण पाए जाते हैं। इसका सेवन करने कई गंभीर परेशानियों को दूर करने में फायदा मिलता है।सुबह भिगोए हुए मेथी दाने का सेवन करने से शरीर को ये फायदे मिलते हैं-1. वजन कम करने में फायदेमंदभिगोए मेथी दाने का सेवन करने से वजन कम करने में बहुत फायदा मिलता है। इसमें फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो वजन कंट्रोल करने में बहुत मददगार होती है। खाली पेट भिगोए मेथी दाने का सेवन करने से मोटापे को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।2. कोलेस्ट्रॉल कम करने में फायदेमंदखानपान से जुड़ी गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या लोगों में तेजी से बढ़ रही है। हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए सुबह के समय भिगोए मेथी दाने का सेवन करने से बहुत फायदा मिलता है। इसमें मौजूद फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करते हैं।3. पाचन और कब्ज कम करने में फायदेमंदमेथी का सेवन पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में बहुत फायदेमंद होता है। कब्ज, ब्लोटिंग, एसिडिटी और अपच जैसी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए रोजाना सुबह भिगोए मेथी दाने का सेवन करने से फायदा मिलता है।4. डायबिटीज में फायदेमंदरोजाना खाली पेट मेथी दाने का सेवन करने से ब्लड शुगर कंट्रोल करने में फायदा मिलता है। रोजाना अंकुरित मेथी खाने से शरीर में इंसुलिन प्रोडक्शन को ठीक रखने में मदद मिलती है।5. हड्डियों को मजबूत बनाने में फायदेमंदहड्डियों को मजबूत रखने के लिए रोजाना सुबह भिगोए मेथी दाने का सेवन करना चाहिए। इसमें मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर को हेल्दी बनाने और हड्डियों को मजबूती देने में फायदेमंद होते हैं। मेथी दाने का सेवन करने से ऊपर बताई गयी समस्याओं के अलावा कई अन्य फायदे भी मिलते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी बीमारी में इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। - क्या आप जानते हैं कि चाय की मदद से आप अपने शरीर के बैड कोलेस्ट्रॉल निकाल सकते हैं? जी, हां! ऐसा है। इससे पहले कि हम आपको इन खास किस्म की चाय के बारे में बताएं, आपको बताते हैं कि बैड कोलेस्ट्रॉल क्या होता है इससे हमारे शरीर को क्या नुकसान हो सकते हैं? अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, "कोलेस्ट्रॉल एक वैक्स किस्म का सब्सटेंस होता है। इसे बुरा नहीं कहा जा सकता है। आपके शरीर को सेल्स बनाने और विटामिन और अन्य हार्मोन बनाने के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। लेकिन, जब जरूरत से ज्यादा शरीर में कोलेस्ट्राल का निर्माण होने लगे, तो यह समस्या पैदा कर सकता है।" इस समस्या से निजात पाने के लिए आप इस तरह की चाय का सेवन कर सकते हैं-ग्रीन टीहममें से ज्यादातर लोग ग्रीन टी का सेवन वजन कम करने के लिए करते हैं। जबकि, ग्रीन टी पीने के और भी कई फायदे हैं। जैसे यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी अहम भूमिका निभा सकता है। इसमें जरूरी एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जैसे कैटेचिन। इसके कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं।हल्दी वाली चायहमारे यहां हल्दी का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। चोट लगने पर हल्दी वाला दूध पीने का चलन भी बहुत पुराना है। इसमें एंटइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को रोकते हैं। इसी तरह, हल्दी एंटीऑक्सीडेंट का भी एक बेहतरीन स्रोत है। आयुर्वेद की मानें, तो यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।अदरक की चायबदलते मौसम में सबसे ज्यादा पी जाने वाली चाय अदरक की चाय ही होती है। यह सर्दी-जुकाम को ठीक करता है और गले खराब को कम करने में भी अदरक की चाय का उपयोग किया जाता है। वहीं, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने की बात करें, तो इसमें भी अदरक की चाय काफी कारगर साबित होती है। अदरक की चाय में जिंजरोल नाम का एक कंपाउंड होता है, जो पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याओं को कम करने में मदद करता है। आप चाहें, तो अदरक की चाय में शहद डालकर पी सकते हैं।मेथी के बीज की चायहमारे यहां मेथी के बीज का सेवन कई तरह से किया जाता है। यह कई तरह के स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है। मेथी के बीज की चाय पीने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को मैनेज किया जा सकता है। मेथी के बीज की चाय डायबिटीज के मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद मानी जाती है।कैमोमाइल चायकैमोमाइल टी भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। कैमोमाइल चाय में फ्लेवोन्स मौजूद होता है, जो एक तरह का एंटीऑक्सीडेंट है। हेल्थलाइन में प्रकाशित एक अध्ययन की मानें, तो जो लोग खाना खाने के साथ कैमोमाइल टी पीते हैं, उनके कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड और "बैड" एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर में काफी सुधार देखने को मिलता है।’ इस तरह देखा जाए, तो आप कैमोइल टी पीकर भी अपने शरीर से बैड कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकाल सकते हैं।
- डेंगू का मच्छर काफी तेजी से संक्रमित कर रहा है। देशभर में डेंगू के मामलों ने एक्सपट्र्स की नींद उड़ा दी हैं। यह एक हड्डी तोड़ बुखार है, जिसमें शरीर एकदम बेजान बन जाता है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स अचानक गिरने लगती हैं, जिसकी वजह से ब्लीडिंग बढ़ जाती है। डेंगू में 5 हरे पत्तों का उपयोग करके प्लेटलेट्स बढ़ाई जा सकती हैं। इनका असर रातभर में दिखने लगता है।डेंगू को भगा देंगे पपीता के पत्तेसाइंस डायरेक्ट पपीता के पत्तों को डेंगू का असरदार इलाज मानता है। आप इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पी सकते हैं। यह तेजी से प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं और बुखार को कम करते हैं। यह एक बेहद चमत्कारी आयुर्वेदिक नुस्खा है।प्लेटलेट्स बढ़ाने की दवा हैं अमरूद के पत्तेडेंगू एक वायरस के कारण होता है, जिसे अमरूद के पत्ते खत्म कर सकते हैं। इन हरे पत्तों में एंटीइंफ्लामेटरी, एंटी बैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। अमरूद के कुछ पत्तों को पानी में उबालें और उसे आधा होने तक उबलने दें। इसके उतारकर शहद डालकर दिन में दो से तीन बार पी सकते हैं।नीमइंफेक्शन खत्म करने के लिए नीम की पत्तियां काफी फायदेमंद मानी जाती हैं। इनमें इम्यून सिस्टम को बढ़ाने वाले गुण होते हैं। इनका उपयोग करने पर डेंगू का असर कम होने के साथ प्लेटलेट्स बढऩे में मदद मिल सकती है। इस दवा को बनाने के लिए नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर पीएं।कालमेघकालमेघ की पत्तियों का अर्क के गुणों को जानने के लिए कई शोध किए गए हैं। जिनमें इनके अंदर एंटीवायरल गुण देखे गए हैं जो कि डेंगू से उबरने में मदद कर सकते हैं। यह पत्ते दूसरे वायरस इंफेक्शन से लडऩे वाली इम्यूनिटी भी बढ़ाते हैं। आप इनका काढ़ा बनाकर पी सकते हैं।तेजपत्तातेज पत्ता खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए डाला जाता है। अगर आप इसे पानी में उबालकर पीएंगे तो यह प्लेटलेट्स बढ़ाने और डेंगू के इलाज में मदद कर सकता है। आप इसे डॉक्टरी सलाह पर दिन में दो से तीन बार सेवन कर सकते हैं। मगर ध्यान रहे कि किसी भी स्थिति में डॉक्टर से मिली दवा को नजरअंदाज ना करें।
- खानपान और जीवनशैली से जुड़ी गड़बड़ी के कारण कैंसर की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। कैंसर कई तरह के होते हैं और शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करते हैं। कैंसर का एक गंभीर प्रकार है ब्लड कैंसर। ब्लड कैंसर को जानलेवा कैंसर माना जाता है। यह एक घातक तरह का कैंसर होता है, जिसका सही समय पर इलाज न होने पर मरीज की मौत का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड कैंसर के शुरुआती लक्षणों को सही समय पर पहचानकर उचित इलाज लेने से मरीज गंभीर रूप से इसका शिकार होने से बच सकते हैं। ब्लड कैंसर वैसे तो शरीर की हड्डियों में मौजूद बोन मैरो में होती है, लेकिन धीरे-धीरे यह ब्लड में फैल जाता है। ब्लड कैंसर भी कई तरह के होते हैं, आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं ब्लड कैंसर के प्रकार के बारे में।ब्लड कैंसर के प्रकार-ब्लड कैंसर बोन मैरो को प्रभावित करने के बाद खून में पहुंचता है। दरअसल खून में पायी जाने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं बोन मैरो में ही बनती हैं और इस समस्या में सफेद रक्त कोशिकाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। ब्लड सेल्स पर प्रभाव पड़ने की वजह से शरीर कमजोर होने लगता है और धीरे-धीरे मरीज की हालत बिगड़ने लगती है। ब्लड कैंसर को ल्यूकेमिया भी कहा जाता है। डॉक्टर जांच के माध्यम से ही ब्लड कैंसर के टाइप का पता करते हैं। इसके आधार पर ही मरीज का इलाज शुरू किया है। हालांकि इलाज के दौरान अपनाया जाने वाला प्रोटोकॉल लगभग एक जैसा ही होता है।"ब्लड कैंसर मुख्य रूप इन तरह के होते हैं-1. ल्यूकेमिया-ल्यूकेमिया में ब्लड में सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण ज्यादा होता है और इसकी वजह से शरीर संक्रमण से लड़ने में असमर्थ हो जाता है। ल्यूकेमिया ब्लड कैंसर का ही एक प्रकार है। इसके भी चार टाइप्स होते हैं--एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया-एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया-क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया-क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया2. लिम्फोमालिम्फोमा ब्लड कैंसर में आपके शरीर में मौजूद लिम्फ्स पर ज्यादा असर होता है। इसकी वजह से नसों, लिम्फ नोड्स, स्प्लीन और थाइमस ग्लैंड में मौजूद लिम्फ्स को नुकसान पहुंचता है।3. मायलोमामायलोमा भी एक तरह का ब्लड कैंसर है। यह कैंसर शरीर में मौजूद प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है। प्लाज्मा दरअसल, सफेद रक्त कोशिकाएं होती हैं, जो शरीर में एंटी-बॉडी का निर्माण करती हैं।ब्लड कैंसर के लक्षणब्लड कैंसर होने पर शरीर में ये लक्षण दिखाई देते हैं--बुखार लगातार बना रहना-नाक, मसूड़ों और मलाशय से लगातार खून निकलना-महिलाओं में पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लड फ्लो होना-हड्डियों में दर्द और कमजोरी-पेट के लेफ्ट साइड में दर्द और सूजन का अनुभव होना-गले, कमर या फिर हाथ में किसी तरह की कोई गांठ या सूजन होना-रात में सोते समय काफी ज्यादा पसीना आना-तेजी से वजन घटना और भूख की कमीब्लड कैंसर की समस्या से बचने के लिए आपको हेल्दी डाइट और अच्छी जीवनशैली अपनानी चाहिए। डॉक्टर्स ब्लड कैंसर की जांच के लिए सबसे पहले सीबीसी टेस्ट यानी कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट करते हैं, उसके बाद अगर मरीज में कैंसर की पहचान नहीं हो पाती है तो बायोप्सी जांच भी की जाती है। सही समय पर डॉक्टर से इलाज लेने से मरीज की जान बच सकती है।
- हरतालिका तीज व्रत का त्योहार देशभर में 18 सितंबर को मनाया जाएगा। यह हिंदू त्योहार भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस त्योहार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद शुक्ल की तृतीया तीज के दिन मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो कुंवारी कन्या यह व्रत रखती है, उन्हें मनचाहा वर मिलता है और सुहागन औरतों के सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही, भगवान शिव और पार्वती माता उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान भी देते हैं। लेकिन तीज के इस व्रत को रखना आसान नहीं है। क्योंकि इसमें पूरे दिन बिना पानी पिए रहना होता है। इसके चलते कई बार महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में महिलाएं इस बात को लेकर काफी परेशान रहती हैं, कि आखिर स्वस्थ रहने के लिए और बिना किसी नुकसान के हरतालिका तीज व्रत कैसे रख सकते हैं? इस लेख में हम आपके साथ कुछ सरल टिप्स शेयर कर रहे हैं....बिना सेहत को नुकसान पहुंचाए हरतालिका तीज पर इस तरह रखें व्रत-1. व्रत से पहले खाएं कुछ स्वस्थ फूड्सध्यान रखें कि अगर आप व्रत रख रहे हैं कि निर्जला व्रत की शुरुआत से पहले अपनी तरबूज और खरबूजे जैसे पानी से भरपूर फूड्स का सेवन करें। इसके अलावा, आप पानी में भीगे चने, बादाम और अखरोट का सेवन भी कर सकते हैं। कोशिश करें कि अपनी व्रत से पहले आंवले का मुरब्बा, कीवी फल, नींबू पानी या नारियल पानी आदि का सेवन करें। व्रत से पहले इन फूड्स का सेवन करने से व्रत के दौरान भूख-प्यास को कंट्रोल रखने में भी मदद मिलेगी। एक चीज जिसका जरूर ध्यान रखें कि आपको व्रत से पहले पानी जरूर पीना है।2. नुकसान से बचने के लिए व्रत के बाद अपने खानपान का रखें ध्यानव्रत खोलने के लिए आप नारियल पानी पी सकते हैं। साथ ही, कुछ फल भी खा सकते हैं। व्रत खोलने के कम से कम एक घंटे बाद तक आपको कुछ ठोस खाने से बचना चाहिए। कोशिश करें कि बहुत ज्यादा भारी भोजन न करें। हल्का भोजन करें और ज्यादा तला हुआ खाना से बचें। इसके अलावा आपको खट्टे फल खाने से भी बचना चाहिए।3. सरगी में फूड्स का करें समझदारी से चुनावइस व्रत में महिलाएं सरगी में मौजूद फूड्स का सेवन करती हैं। लेकिन आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि सरगी में ज्यादा नमक युक्त भोजन नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा, भारी भोजन भी न करें, क्योंकि इससे पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। आप इसमें व्रत से पहले खाने पहले वाली ऊपर दी गई सामग्रियां भी सरगी में शामिल कर सकती हैं।
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प्रोटीन शरीर के लिए सबसे जरूरी न्यूट्रिशन में से एक है। जिसे डाइट में हमेशा लेने की सलाह दी जाती है। प्रोटीन की कमी कई सारी बीमारियों की वजह भी बन जाती है। खासतौर पर इम्यूनिटी कम होने के साथ ही ये बालों और स्किन को नुकसान पहुंचाता है। वहीं मसल्स कमजोर होने और कमजोरी महसूस होती है। इसीलिए जब भी वेट लॉस की बात आती है तो प्रोटीन डाइट लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन प्रोटीन केवल प्रोटीन डाइट लेना खतरनाक हो सकता है। प्रोटीन के साथ ही दूसरे जरूरी न्यूट्रिशन भी लेने चाहिए। नहीं तो प्रोटीन बॉडी को नुकसान पहुंचाने लगता है।
प्रोटीन डाइट के साथ शामिल करे दूसरे न्यूट्रिशन
हाई प्रोटीन डाइट के साथ फाइबर, मिनरल्स, विटामिंस और कार्ब्स जरूरी है। नहीं तो हाई प्रोटीन डाइट डिहाइड्रेशन की वजह बन सकता है। वहीं ज्यादा मात्रा में प्रोटीन लेने और पानी कम पीने के साथ फाइबर की मात्रा कम होने की वजह से बहुत सारे लोगों को डाइजेशन में भी दिक्कतें शुरू हो जाती है। ज्यादा मात्रा में प्रोटीन लेने से शरीर को ये सारी समस्याएं होने लगती है।
डिहाइड्रेशन
ज्यादा प्रोटीन लेने की वजह से यूरिन के रास्ते पानी ज्यादा निकल जाता है। जिसकी वजह से डिहाइड्रेशन होने का डर रहता है। इसलिए हाई प्रोटीन डाइट के साथ पानी पीने की मात्रा का ध्यान रखें।
कैल्शियम की कमी
हाई प्रोटीन डाइट लेने से यूरिन के रास्ते कैल्शियम की मात्रा शरीर के बाहर निकल जाती है। जिसकी वजह से शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है। जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर होने लगती है।
किडनी कमजोर होना
जब प्रोटीन की मात्रा डाइट में ज्यादा लेते हैं तो ये किडनी पर एक्स्ट्रा भार बढ़ा देता है। खासतौर पर जिन मरीजों को पहले से ही किडनी की समस्या है उन्हें हाई प्रोटीन डाइट पर बिल्कुल नहीं रहना चाहिए।
जरूरी न्यूट्रिशन की कमी
पतले होने के लिए अक्सर लोग केवल प्रोटीन पर ध्यान देते हैं। और डायटिंग करते हैं। जिससे शरीर में दूसरे जरूरी मिनरल्स और विटामिन की कमी हो जाती है।
वजन घटने की बजाय बढ़ने लगता है
प्रोटीन सोर्स की मदद से जरूरत से ज्यादा प्रोटीन लेने की वजह से वजन घटने की बजाय बढ़ने लगता है क्योंकि प्रोटीन के साथ ही कैलोरी भी बढ़ जाती है और उतनी तेजी से एक्सरसाइज ना करने की वजह से शरीर में मौजूद प्रोटीन का यूटिलाइज नहीं हो पाता और वजन घटने की बजाय बढ़ने लगता है।
पाचन क्रिया खराब हो जाती है
ज्यादा मात्रा में प्रोटीन खाने से डाइजेशन बिगड़ जाता है। जिसकी वजह से उल्टी, डायरिया, कब्ज जैसी शिकायत होने लगती है। -
कब्ज होने पर व्यक्ति को न सिर्फ गैस, ब्लोटिंग,अपच जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं बल्कि सिरदर्द, मुंह में छाले और स्किन रैशेज, मुंहासे आदि जैसी समस्याएं भी परेशान करने लगती हैं। अगर आपको भी लगता है कि रोज सुबह आपका पेट कब्ज की वजह से साफ नहीं हो पाता है तो अपने रूटिन में इन तीन योगासनों को शामिल करें।
पेट साफ करने के लिए योग-
त्रिकोणासन-
त्रिकोणासन करने से व्यक्ति की पीठ और रीढ़ की हड्डियों के साथ पेट की मांसपेशियों, नसों पर दबाव पड़ता है। जो मेटाबॉलिज्म बढ़ाने और पाचन को बेहतर बनाने में फायदा पहुंचाता है। इस योग का नियमित अभ्यास करने से कब्ज जैसी पेट की समस्याओं से जल्द छुटकारा मिल सकता है।
पवनमुक्तासन-
त्रिकोणासन की तरह पवनमुक्तासन भी आंतों पर दबाव डालकर ब्लड सर्कुलेशन और ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने का काम करता है। यह आसन पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के साथ मल त्याग को सुचारू बनाने में भी बेहद फायदेमंद होता है।
बालासन-
बालासन करते समय व्यक्ति की पोजीशन गर्भ में पल रहे बच्चे की तरह बन जाती है। यह तंत्रिकाओं को शांत करने के साथ पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। जिससे पाचन बेहतर बनाता है और आंतों के कामकाज में भी सुधार होता है। जिससे मल त्याग करने में आसानी होती है। -
सेहत के लिए सेब काफी फायदेमंद माना जाता है। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि जो लोग रोजाना एक सेब खाते हैं उनके शरीर से बीमारियां दूर रहती हैं। ये एक ऐसा फल है जो पोषक तत्वों के गुणों से भरपूर माना जाता है। वैसे तो इसे खाने के कई फायदे हैं, लेकिन जब आप इसे गलत समय पर खाते हैं तो इससे खूब नुकसान हो सकता है। इस आर्टिकल में हम बता रहे हैं सेब खाने का सही समय और किस समय पर सेब नहीं खाना चाहिए।
कब खाएं सेब
आयुर्वेद के अनुसार सेब खाने का सही समय खाली पेट नहीं है। माना जाता है कि जब आप खाली पेट सेब खाते हैं तो आपको कब्ज और पेट फूलने की समस्या हो सकती है। नाश्ते के एक घंटे बाद या दोपहर के खाने के एक घंटे बाद सेब खाने की सलाह दी जाती है।
इस समय भूलकर भी ना खाएं
शाम के समय जैसे ही पाचन एसिड का स्तर कम होता है, पाचन की प्रक्रिया स्लो हो जाती है। ऐसे में अगर आप शाम 6 बजे के बाद सेब खा रहे हैं तो आपको पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं इसकी वजह से नींद आने में परेशानी भी हो सकती है।
किस तरह खाएं सेब
सेब को डायट में शामिल करने के कई तरीके हैं। बस ध्यान रखें कि सेब का छिलका कभी न हटाएं क्योंकि इसमें कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा सेब के पैक जूस से बचें, इसमें शक्कर होती है, जो सेहत के लिए अच्छी नहीं मानी जाती। -
आजकल बालों के झड़ने की समस्या ज्यादातर लोगों के लिए परेशानी की बड़ी वजह बनी हुई है। आमतौर पर बालों के झड़ने के पीछे तनाव, वर्कलोड की अधिकता, प्रदूषण, खानपान की खराब आदतें और गलत लाइफस्टाइल होता है। समय रहते अगर इन चीजों को सुधार लिया जाए तो बालों के झड़ने की समस्या को काफी कम किया जा सकता है। डाइटिशियन से जानते हैं आखिर कब हेयर फॉल बनने लगता है चिंता का कारण और कैसे कर सकते हैं इसकी रोकथाम।
हेयर फॉल कब बनने लगता है चिंता का कारण-
सरल शब्दों में समझें तो एक दिन में 100 से अधिक बालों के झड़ने को हेयर फॉल माना जा सकता है।ऐसा होने पर इसके कारण का पता लगाकर समय से इसकी रोकथाम के उपाय आजमा लेने चीहिए।
हेयर फॉल के लक्षण-
-हेयरलाइन का कम होना।
-खोपड़ी पर धब्बेदार और गोलाकार धब्बे बनना।
-बालों का अचानक ढीला हो जाना
-पूरे शरीर के बाल झड़ना
-एक दिन में 100 से अधिक बालों का गिरना
हेयर फॉल के कारण-
-तनाव और अवसाद
-पोषण की कमी
-सिर की साफ सफाई न रखने पर
-सिर की त्वचा में संक्रमण या त्वचा संबंधी कोई विकार
-प्रदूषण और खराब जीवनशैली
- किसी बीमारी के इलाज के दौरान भी बाल झड़ सकते हैं।
-बालों की खराब देखभाल और अलग हेयर स्टाइल
-हार्मोनल चेंज
-रासायनिक उत्पादों का उपयोग
-अनिद्रा
-रूसी
-वंशानुगत
हेयर फॉल से बचाव-
-केमिकल की जगह घर पर मौजूद हर्बल उपाय आजमाएं।
-सिर की मालिश करने से सिर में ब्लड सर्कुलेशन को सुधारा जा सकता है। नारियल तेल, जैतून तेल, लैवेंडर तेल से सिर की मालिश कर सकते हैं।
-बालों को घना दिखाने का सबसे आसान तरीका होता है बैक कॉम्बिंग यानी अपने बालों में उल्टी कंघी करना। ऐसा करने से बाल घने दिखाई देते हैं और आपको अच्छा लुक मिलता है। इसके अलावा ऐसा करने से सिर का ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर किया सकता है।
-पानी में नीम की पत्तियों को उबलकर उस पानी से बाल धोने से सिर की त्वचा संक्रमण से बची रहती है।
-बालों का झड़ना रोकने के लिए अच्छी नींद और तनाव रहित जीवन जीना बहुत जरूरी है।
-अपनी खानपान में बदलाव करते हुए जंक फूड की जगह डाइट में हेल्दी फूड को शामिल करें। डाइट में उच्च प्रोटीन आहार लें।
-तनावपूर्ण जीवन जीना बंद करें और खुश रहने का प्रयास करें।
-सिर और बालों पर रासायनिक उत्पादों का प्रयोग बंद करें।
-हेयर ड्रायर और स्ट्रेटनर के उपयोग को नियंत्रित करें।
-अपने बालों को हर वक्त बांध कर न रखें।
-महिलाओं को रोजाना बाल न धोने की सलाह दी जाती है। - भारत में ज्यादातर लोग गेहूं की रोटी का सेवन करते हैं। गेहूं की रोटी में मौजूद गुण शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर गेहूं के आटे में कुछ चीजें मिला दी जाएं, तो इसके गुण कई गुना बढ़ जाते हैं। गेहूं के आटे में बराबर मात्रा में चने का आटा मिक्स करके बनी रोटी का सेवन करने से आपको मिलने वाले फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। नियमित रूप से चने और गेहूं के आटे से बनी रोटी का सेवन शरीर को डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है।गेहूं और चने के आटे की रोटी खाने के फायदेचना और गेहूं दोनों ही अनाज पोषक तत्वों से भरपूर होता है। चने में फाइबर, प्रोटीन और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। गेहूं के साथ इसे मिक्स करके खाने से आपकी रोटी कई गुना ज्यादा फायदेमंद हो जाती है। पाचन तंत्र को ठीक रखने के लिए भी इसका सेवन फायदेमंद माना जाता है। चने और गेहूं के आटे को मिक्स करके बनी रोटी खाने से आपको डायबिटीज में ब्लड शुगर कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। इसका सेवन करते से शरीर को प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन जैसे जरूरी पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है।"1. वजन कम करने में फायदेमंदगेहूं और चने के आटे की रोटी खाने से आपको वजन कम करने में भी फायदा मिलता है। दरअसल, चने में फाइबर की मात्रा होती है, इसका सेवन करने से आपको बार-बार भूख नहीं लगती है। यही नहीं चने और गेहूं की रोटी में कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। नियमित रूप से इसका सेवन वजन कम करने में मदद करता है।2. डायबिटीज में फायदेमंदडायबिटीज के मरीजों के लिए चने और गेहूं के आटे की मिक्स रोटी किसी औषधि से कम नहीं है। इसका सेवन करने से आपके शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसके अलावा नियमित रूप से गेहूं और चने के आटे से बनी रोटी खाने से वजन भी कंट्रोल में रहता है।3. प्रोटीन की पर्याप्त मात्रासिर्फ गेहूं के आटे से बनी रोटी खाने से आपको उतनी मात्रा में प्रोटीन नहीं मिलता है। गेहूं के आटे में बराबर मात्रा में चने का आटा मिलाने से इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। रोजाना इसका सेवन करने से आपको प्रोटीन की ठीक मात्रा मिलती है।4. कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में फायदेमंदशरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाने से कई परेशानियों का खतरा रहता है। गेहूं के आटे में चने का आटा मिक्स करके बनी रोटी खाने से शरीर में बढ़े बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।5. पाचन तंत्र के लिए उपयोगीपाचन तंत्र को हेल्दी बनाए रखने और बीमारियों से बचने के लिए चने और गेहूं के आटे से बनी रोटी का सेवन करना चाहिए। नियमित रूप से इसका सेवन करने से कब्ज और अपच जैसी परेशानी में भी फायदा मिलता है।चने और गेहूं के आटे से बनी रोटी कई अन्य समस्याओं में भी फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन अगर आप किसी बीमारी या समस्या से ग्रसित हैं, तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- डॉक्टर और एक्सपर्ट्स के अनुसार मोटापे को दूर करने और डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आप तोरई को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसके स्वाद से ज्यादा आप इसके गुणों पर ध्यान दें। इसमें पोटैशियम, आयरन, कॉपर, मैग्नीशियम व अन्य विटामिन पाए जाते हैं। यह सब्जी आपके ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रि करने में फायदेमंद होती है।डायबिटीज के लिए तोरई के फायदेफाइबर से भरपूरडाइट्री फाइबर डायबिटीज के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है, इससे ब्लड शुगर के अवशोषण में मदद मिलती है। साथ ही, यह शुगर को नियंत्रित करने में भी सहायता करता है। फाइबर से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिससे आपको मोटापा और डायबिटीज के अन्य जोखिम का खतरा कम होता है।पोषक तत्वों से भरपूरतोरई की सब्जी विटामिन ए और सी, आयरन, पोटेशियम और फोलेट जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से युक्त होती है। ये पोषक तत्व आपकी हेल्थ के लिए आवश्यक होते हैं। विशेष रूप से डायबिटीज वाले व्यक्तियों को पोषक तत्वों के सेवन पर अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता होती है।ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होनातोरई में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम पाया जाता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स मापता है कि कोई भोजन कितनी तेजी से ब्लड शुगर के लेवल को बढ़ाते हैं। कम जीआई के साथ, तोरई बल्ड शगुर को लेवल को नियंत्रित करने और शुगर स्पाइकल को बढ़ने से रोकते हैं। शर्करा के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, स्पाइक्स और क्रैश को रोकता है।मोटापे को करें कंट्रोलमोटापा आपके डायबिटीज को बढ़ाने का कार्य करता है। ऐसे में डॉक्टर वजन को कंट्रोल करने की सलाह देते हैं। तोरई को डाइट में शामिल करने से आपका फैट तेजी से बर्न होता है। तोरई में कैलोरी बेहद कम होती है, जिससे वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।डायबिटीज में तुरई को डाइट में कैसे शामिल करेंतोरई का सूप: इस सूप को बनाने के लिए आप तोरई को लहसुन और अदरक के साथ पकाए, इसके बाद इसकी प्यूरी बनाकर इसमें थोड़ा पानी डालकर उबलने दें। ऊपर से हल्की काली मिर्च और नमक डालें।मसालेदार तोरई: कटी हुई तोरई को मसालों और नमक के साथ मैरीनेट करके मसालेदार तोरई बनाएं। यह सब्जी आपको बेहद पसंद आएगी।भरवां तोरई: तोरई को खोखला करें और उनमें मसाले व दाल का मिश्रण भरें। इसके बाद अदरक, लहसुन, टमाटर व प्याज की प्यूरी के साथ इसे पकाएं। यकिन मानिए बच्चे हो या बड़े सभी को यह डिश जरूर पसंद आएगी।तोरई की सब्जी पचाने में ज्यादा मुश्किल नहीं होती है। इसे आप डाइट में शामिल कर अपनी पाचन क्रिया को भी बेहतर कर सकते हैं। साथ ही, गैस एसिडिटी और बदहजमी से भी आपको आराम मिलता है। यदि आपके ब्लड शुगर का लेवल बेहद अधिक है तो इस स्थिति में आप तुरंंत डॉक्टर की सलाह लें।
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मखाना एक सुपरफूड है, जो विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होता है। मखाना प्रोटीन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम और फाइबर का अच्छा सोर्स होता है। इसमें हेल्दी फैट्स और कैलोरीज भी होते हैं। आपको बता दें कि 100 ग्राम मखाने में 9.7 ग्राम प्रोटीन और 14.5 ग्राम फाइबर होता है, जो दैनिक जरूरत को काफी हद तक पूरा करने में मदद करते हैं। मखाना खाने से हड्डियां मजबूत बनती हैं। इसे खाने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी दूर होती हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए भी मखाने को फायदेमंद माना जाता है। ऐसे में अगर आपको डायबिटीज है, तो अपनी डाइट में मखाना जरूर शामिल करें। '
डायबिटीज रोगियों के लिए कैसे फायदेमंद होते हैं मखाने
मखानों में जीआई और कैलोरी कम होती है। साथ ही, फाइबर की मात्रा अधिक होती है। जब किसी खाद्य पदार्थ में कैलोरी और जीआई कम होता है, इन्हें डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद माना जाता है। हाई फाइबर की वजह से डायबिटीज रोगी नाश्ते में मखाने का सेवन कर सकते हैं। मखाना खाने से ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल में रहता है। जब डायबिटीज में मखाने खाए जाते हैं, तो इससे इंसुलिन का उत्पादन बढ़ता है, जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है।डायबिटीज में मखाना खाने के फायदे-डायबिटीज रोगियों का वजन तेजी से बढ़ जाता है। ऐसे में मखाना खाना फायदेमंद होता है। मखाने में फाइबर अधिक होता है, जो भूख को कम करता है। इससे डायबिटीज रोगियों का वजन कम होता है।-मखाने में कैलोरी कम होती है, जिससे वेट लॉस में मदद मिलती है।-मखाने में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करते हैं। इससे कई समस्याएं दूर होती हैं।-डायबिटीज रोगियों की इम्यूनिटी कमजोर पड़ जाती है। ऐसे में मखाना खाया जाए, तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।-अगर आप रोजाना मखाने का सेवन करेंगे, तो इससे ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल हो सकता है। दरअसल, मखाने में ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ने से रोकने में मदद करता है।डायबिटीज में मखाने का सेवन कैसे करें?वैसे तो डायबिटीज रोगी मखाने का सेवन किसी भी तरह से कर सकते हैं। लेकिन मखाने का सेवन, भूनकर करना काफी फायदेमंद होता है। आप मखाने को दूध के साथ मिलाकर भी ले सकते हैं। मखाने की खीर खाना लाभकारी हो सकता है। - डायबिटीज एक गंभीर समस्या है। परेशानी की बात ये है कि डायबिटीज को कंट्रोल करने की कोई सटीक दवा नहीं है। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि डायबिटीज के मरीज अपनी डाइट का ख्याल रखें और हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतों को अपनाएं। यही नहीं, कुछ लोग कई तरह के घरेलू उपायों की मदद से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को आजीवन डायबिटीज की दवाओं पर निर्भर रहना पड़ता है और कुछ लोगों को अपने शुगर को संतुलित करने के कारण इंसुलिन लेना पड़ता है। शुगर कंट्रोल करने के लिए कुछ खास किस्म की पत्तियों का सेवन किया जाता है, जिसका ओवर ऑल हेल्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है। आइए, जानते हैं, इन पत्तों के बारे में।इंसुलिन प्लांटइंसुलिन प्लांट असल में कॉस्टस इगनियस का पौधा होता है। सालों से शुगर को कंट्रोल करने के लिए इसकी पत्तियों का सेवन किया जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित लेख के अनुसार, "इंसुलिन प्लांट का सेवन करने से ब्लड ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है। यही कारण है कि जिन लोगों को शुगर का स्तर बढ़ा हुआ रहता है, वे इसका सेवन करते हैं। कई शोधों और अध्ययनों से भी यह स्पष्ट हो चुका है।" अब सवाल है कि इसका सेवन किस तरह किया जा सकता है? यह बहुत आसान है। इसके लिए आपको पहले कुछ पत्तों को अच्छी तरह धो लें। अब इसे ग्राइंडर की मदद से पीस लें। अब रोजाना इस पेस्ट को रोजाना एक गिलास पानी में मिक्स करके पिएं।करी पत्ताकरी पत्ते में खास किस्म का फाइबर होता है, जो कि ब्लड शुगर को संतुलित करने में अहम भूमिका निभाता है। करी पत्ते के सेवन से शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन जारी होता है, जो कि ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करता है। इस तरह, करी पत्ता शुगर के मरीजों के लिए बहुत ही लाभकारी हो जाता है। यूं तो हमारे यहां करी पत्ते का सेवन कई तरह की डिशेज, जैसे सांबर आदि में किया जाता है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए आप इसका सेवन रोजाना रात को सोने से पहले कर सकते हैं। करी पत्ते की चटनी को भी काफी पसंद किया जाता है।अमरूद का पत्ताअमरूद के पत्तों से भी ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखा जा सकता है। वेबएमडी की मानें, तो अमरूद के पत्तों में पॉलीफेनॉल्स होता है। यह कार्बोहाइड्रेट के एब्जॉबर्शन को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है, जो डायबिटी के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। अमरूद के पत्तों से चाय बनाकर आप इसका सेवन कर सकते हैं। यह ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकता है। हालांकि, अगर आप डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए कोई दवा ले रहे हैं, तो इसका सेवन करने से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर ले लें। वैसे, दवाओं के साथ अमरूद के पत्तों का सेवन करने से इसका स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।कसूरी मेथीमेथी का सेवन हमारे यहां बहुत आम है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार, यह तमाम गुणों से भरपूर है। इसका सेवन करने से ओवर ऑल हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने के लिए न सिर्फ कसूरी मेथी के पत्तों का सेवन किया जाता है, बल्कि इसकी बीजों को भी उपयोग में लाया जाता है।तुलसी पत्तेनेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के मुताबिक, "डायबिटीज के रोगियों के लिए तुलसी के पत्ते भी काफी ज्यादा असरकारक होते हैं। तुलसी के पत्तों में ऐसे तत्व होते हैं, जो ब्लड शुगर को बढ़ने से रोकते हैं। दरअसल, एक जांच के जरिए यह बात सामने आई थी कि ब्लड शुगर से ग्रस्त मरीजों को 30 दिनों के लिए 2 ग्राम/किग्रा बीडब्ल्यू की खुराक दी गई। इससे उनका ब्लड शुगर को नियत्रण करने में माफी मदद मिली।"
- डायबिटीज रोग एक तरह का मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें शरीर या तो पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है या फिर उसे इसका ठीक से उपयोग करने में दिक्कत होती है। दोनों ही स्थितियों में शरीर में इंसुलिन की कमी होने लगती है और व्यक्ति का शुगर लेवल बढ़ने लगता है। नतीजतन, इसका बुरा असर व्यक्ति की किडनी, स्किन, हृदय, आंखों पर पड़ने लगता है। यही वजह है कि डायबिटीज रोग को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। अगर आप भी डायबिटीज रोग से पीड़ित हैं तो इसे कंट्रोल में रखने के लिए दवाओं के साथ अपने रूटिन में मंडूकासन को जरूर शामिल करें।मंडूकासन को फ्रॉग आसन भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस आसन को करते समय बॉडी की शेप एक मेंढक के जैसी बन जाती है। इस आसन की खासियत यह है कि इसे करने से न सिर्फ पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, बल्कि पाचन संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिलने के साथ वजन घटाने में भी आसानी होती है। आइए जानते हैं मंडूकासन के फायदे लेने के लिए क्या है इसे करने का सही तरीका।मंडूकासन करने का तरीका-मंडूकासन करने के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठकर अपनी मुठ्ठी बंद करके अंगूठे बाहर की तरफ रखें। अब मुठ्ठी को नाभि चक्र और जांघ के पास ले जाकर इस तरह दबाव बनाएं कि मुठ्ठी खड़ी हो और अंगूठे अंदर की तरफ हों। अब अपनी सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए पेट को अंदर की तरफ खींचें। ऐसा करते हुए धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकें। आगे की ओर झुकते हुए आपकी छाती जांघ से टच करें। आगे झुकते समय यह भी ध्यान रखें कि नाभि पर ज्यादा दबाव पड़े। अपना सिर और गर्दन उठाए रखें और एक आंख खोलकर मेंढक की तरह सामने की ओर देखते रहें। जब तक आप इस मुद्रा में बने रह सकते हैं, बने रहें। ऐसा करते हुए धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे ही सांस छोड़ें। इसी अवस्था में बने रहते हुए सांस धीमी करें और वापस अपनी पोजीशन में आ जाएं। शुरूआती दौर में इसे 3 से 5 बार करें और फिर धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ा दें।मंडूकासन के फायदे--मंडूकासन करने से पेट की मांसपेशियां टोन होने के साथ बैली फैट कम करने में मदद मिलती है।-मंडूकासन करने से पाचन से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, कब्ज और अपच से छुटकारा मिलता है।-मंडूकासन करने से डायबिटीज रोगियों को फायदा मिलता है। यह पैंक्रियाज को उत्तेजित कर डायबिटीज को कंट्रोल करने में बहुत मदद करता है।-इस आसन को करने से पेट के सभी अंगों की अच्छी मालिश होती है।-मंडूकासन वेट कंट्रोल करने में भी मदद करता है।-अवसाद, चिंता और तनाव को दूर करने में मंडूकासन बेहद फायदेमंद है।
- छोटी उम्र से ही फिल्मों की दुनिया में कदम रखने वाली आलिया भट्ट बॉलीवुड में हमेशा छाई रहती हैं। आलिया को न सिर्फ इनकी एक्टिंग स्किल्स, बल्कि फिटनेस और नेचुरल ब्यूटी के लिए भी खूब पसंद किया जाता है। जहां ज्यादातर बॉलीवुड सेलेब्स हैवी मेकअप में नजर आती हैं। वहीं आलिया अपने नेचुरल मेकअप से सभी का दिल चुरा लेती हैं। आलिया अक्सर अपने सोशल मीडिया पर बिना मेकअप की पिक्चर्स शेयर करती नजर आती रहती हैं। आलिया की ब्यूटी को देखकर उनके फैंस हमेशा उनके ब्यूटी सीक्रेट्स और स्किन केयर रूटीन जानने की कोशिश में रहते हैं। आज इस लेख में हम आलिया के डेली स्किन केयर रूटीन को शेयर करने वाले हैं। इसकी जानकारी आलिया ने अपने यूट्यूब चैनल पर खुद शेयर की है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से जानें इस बारे में।ग्लोइंग स्किन पाने के लिए आलिया यह खास स्किन केयर रूटीन फॉलो करती हैं-क्लींजिंग करना सबसे जरूरीआलिया के मुताबिक स्किन केयर का सबसे पहला स्टेप क्लींजिंग होना चाहिए। इससे चेहरे पर जमी रात भर की गंदगी साफ हो जाती है, साथ ही चेहरे पर निखार भी बना रहता है। इसलिए आलिया सुबह उठकर सबसे पहले अपनी स्किन की डीप क्लींजिंग करना पसंद करती हैं।स्किन टोन और मसाजक्लींजिंग करने के बाद आलिया अपनी स्किन को टोन करके मसाज रोलर इस्तेमाल करना पसंद करती हैं। उनका मानना है कि इससे फेस की मसल्स रिलैक्स होती हैं और चेहरे पर ग्लो भी बना रहता है। आलिया अपनी स्किन पर 2-3 मिनट तक मसाज रोलर का इस्तेमाल करती हैं।तीसरा स्टेप है आई क्रीमआलिया अपनी आंखों की केयर करने के लिए आई क्रीम इस्तेमाल करती हैं। इससे आंखों की सूजन कम होती है, साथ ही डार्क सर्कलस से भी राहत मिलती है।नियासिनमाइड सीरमस्किन केयर रूटीन में नियासिनमाइड इस्तेमाल करना आलिया को सबसे ज्यादा पसंद है। इसमें विटामिन बी3 युक्त प्राकृतिक गुण होते हैं, जो स्किन से एक्स्ट्रा ऑयल निकलने की समस्या कम करते हैं। इससे डार्क स्पॉट्स, फाइन लाइंस और रिंकल्स की समस्या खत्म होती है।कैफीन सॉल्यूशन ड्रॉपआलिया आई क्रीम के बाद आंखों के नीचे कैफीन सॉल्यूशन ड्रॉप भी लगाना पसंद करती हैं। इससे उनकी आंखों में सूजन नहीं होती और वह दिनभर फ्रेश फील करती हैं।मॉइश्चराइजर लगानाबॉलीवुड ब्यूटी आलिया अपनी स्किन को मॉइश्चराइज करना कभी नहीं भूलती हैं। उनके मुताबिक हेल्दी स्किन के लिए रोज मॉइश्चराइज करना बहुत जरूरी है। इससे डार्क स्पॉट्स, डल और ड्राई स्किन की समस्या खत्म होती है और स्किन ग्लोइंग बनी रहती है।संस्क्रीन अवॉइड न करेंस्किन केयर के आखिरी स्टेप में आलिया संस्क्रीन जरूर लगाती हैं। उनके मुताबिक संस्क्रीन उन्हें धूप और ब्लू रेज के प्रभाव से बचाने में मदद करती है। इन सभी स्टेप्स के बाद ही आलिया मेकअप शुरू करती हैं।
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आजकल के बिजी लाइफस्टाइल की वजह से थकान, चिंता और तनाव जैसी समस्याएं लोगों के बीच आम हो गई हैं। जिससे राहत पाने के लिए लोग कई बार सिर पर चंपी भी करवाने जाते हैं। हेड मसाज करवाने के फायदे ज्यादातर वो सभी लोग जानते हैं, जो इसे अपने रूटिन में शामिल रखते हैं। लेकिन क्या आपने कभी पैरों के तलवों पर मालिश करवाने के फायदों के बारे में कुछ सुना या महसूस किया है। पैरों के तलवो पर मालिश करवाने से न सिर्फ पैरों के दर्द को दूर किया जा सकता है, बल्कि अनचाहे मोटापे की समस्या भी दूर हो सकती है। एक्यूप्रेशर चिकित्सा के अनुसार तलवों की मालिश करवाने से शरीर के एक्यूप्रेशर पॉइंट्स एक्टिव हो जाते है। जिससे कई बीमारियों में फायदा मिलना शुरू हो जाता है।
पैरों के तलवों की मालिश करने के फायदे-
स्ट्रेस रहेगा दूर-
लंबे समय तक तनाव में रहना डिप्रेशन का कारण बन सकता है। अगर आप स्ट्रेस और एंग्जायटी से परेशान रहते हैं तो पैर के तलवों की मालिश करवाने से आपको आराम मिल सकता है। पैरों के तलवों में मसाज कराने से ब्लड फ्लो अच्छा होता है, जिससे बॉडी में इंडोरफिन रिलीज होता है जो नेचुरल पेनकिलर की तरह काम करता है।
ब्लड प्रेशर रखें कंट्रोल-
अगर आपका ब्लड प्रेशर हाई बना रहता है तो आप नियमित रूप से फुट मसाज करवाकर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रख सकते हैं। कई शोध में यह पाया गया है कि पैरों की मसाज करने से बॉडी में हेल्दी ब्लड प्रेशर को मेंटेन किया जा सकता है।
पैर की सूजन करे कम-
कई बार पैरों की नसों में ज्यादा मात्रा में फ्लूइड जमा हो जाता है, यह समस्या प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसे में पैरों के तलवों की मालिश ब्लड फ्लो को बेहतर बनाकर पैरों की सूजन क कम करने का काम करती है।
पीरियड्स की ऐंठन में आराम-
पैरों के तलवों की मालिश करने से महिलाओं की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। सरसों के तेल से पैरों की मालिश करने से पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन, दर्द से राहत मिलने के साथ ब्लड फ्लो भी बेहतर होता है।
मोटापा करें कम-
अगर आप जरूरत से ज्यादा मोटापे से परेशान हैं तो रोजाना सोने से पहले पैरों के तलवों की मालिश करवाना न भूलें। पैरों के तलवों की मालिश करवाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाकर शरीर में मौजूद वसा को भी कम करने का काम करती है। मालिश करवाने से पसीने के जरिए शरीर में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकलते हैं। जिससे शरीर की सारी गंदगी और जर्म्स बाहर निकल जाते हैं।
तलवों की मालिश के लिए तेल -
आयुर्वेद में शरीर की मालिश करने के लिए तिल का तेल अच्छा माना जाता है। लेकिन पैरों के तलवों की मालिश करने के लिए सरसों का तेल काफी फायदेमंद होता है। सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड मौजूद होते हैं। इसके अलावा ओमेगा-3, 6 जैसे सैचुरेटेड फैट मौजूद होने से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं। आप चाहें तो घी से भी रात को सोते समय अपने तलवों की मालिश कर सकते हैं। -
नींबू ऐसा फल है जो हर तरीके से फायदेमंद होता है। सेहत के लिए नींबू के कई सारे फायदे तो हैं ही नींबू के क्लीनिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अक्सर फ्रिज में आधा कटा नींबू या पुराना नींबू काला या भूरा पड़ जाता है। जिसकी वजह से इसका रस इस्तेमाल में नहीं लिया जाता। लेकिन इन खराब नींबूओं को फेंकने की बजाय स्मार्ट तरीके से क्लीनिंग में काम लाया जा सकता है। बस इस तरह के नींबू का क्लीनिंग के लिए यूज करें।
ऐसे करें काले पड़ चुके नींबू का इस्तेमाल
नींबू के छिलके से एक लिक्विड तैयार कर लें। इस लिक्विड को बनाने के लिए इन चीजों की जरूरत पड़ेगी।
चाय की बची हुई पत्तियां
काले नींबू के टुकड़े
दो चम्मच नमक
1 चम्मच खाने वाला सोडा
किसी पैन में दो गिलास पानी लें। इसमे बची हुई चाय की पत्तियों को डालें। काले या भूरे हो चुके नींबू के टुकड़ों को इसमे डाल दें। अब इसे अच्छी तरह से उबाल लें। उबलते समय दो चम्मच नमक डाल दें। जब ये उबल जाए तो गैस बंद कर दें और इसमे 1 चम्मच बेकिंग सोडा डाल दें। बस ये लिक्विड तैयार है। इसे छानकर किसी स्प्रे बोतल में पलट दें। इस लिक्विड को इन चीजों को साफ करने के लिए इस्तेमाल करें।
काले हो चुके नींबू से करें ये चीजें साफ
तांबे के बर्तन
नॉनस्टिक पैन
गैस स्टोव
लोहे की कड़ाही
घर के पुराने और काले बर्तन और सामान को लिक्विड डालकर थोड़ी देर छोड़ दें। फिर रगड़कर अच्छे से साफ कर लें। तांबे से लेकर लोहे के सारे बर्तन बिल्कुल चमककर नए बन जाएंगे। -
त्योहार है तो मिठाईयों और टेस्टी खाने के साथ ही त्योहार का मजा आएगा। अगर आप कुछ भी खाने से केवल इसलिए परहेज कर रहे हैं कि कहीं आपका डाइजेशन ना बिगड़ जाए या फिर वजन ना बढ़ जाए। तो बॉडी के टॉक्सिंस निकालने के लिए इन ईजी डाइट प्लान को याद रखें। जो आपको आसानी से बॉडी डिटॉक्स करने में हेल्प करेंगे।
खीरा, ककड़ी जैसे फाइबर वाले फूड
रक्षाबंधन के बाद बॉडी को डिटॉक्स करना है तो डिटॉक्स ड्रिंक की जरूरत नही है। बस डाइट में फाइबर वाले फूड्स जैसे खीरा, ककड़ी, गाजर, स्प्राउट्स और पत्तेदार सब्जियों की मात्रा को बढ़ा दें। ये आसानी से पेट के टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करेंगे।
पत्तागोभी और ब्रोकली
फाइबर वाले फूड्स के साथ ही पत्तागोभी, ब्रोकली, पालक, काले जैसी सब्जियों को डाइट में खाएं। ये सूजन को कम करने के साथ ही ब्लॉटिंग और पेट फूलने की समस्या को कम करने में मदद करेंगी और डाइजेस्टिव ट्रैक को साफ करेंगी।
प्रोबायोटिक फूड्स
प्रोबायोटिक फूड्स गट हेल्थ को बनाकर रखेंगे। दही, छाछ, ढोकला जैसै फूड्स को ब्रेकफास्ट में खाएं। प्रोबायोटिक फूड्स खाने से आप आसानी से पुराने शेप में लौट सकेंगी।
एंटीऑक्सीडेंट्स
ग्रीन टी, नींबू वाली चाय या नींबू पानी को पीना शुरू कर दें। ये आपके बॉडी को डिटॉक्स करेंगे। वेट को मैनेज करने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी सही रखेंगे। साथ ही दिल की बीमारियों का खतरा कम होगा। - अगर आपके दिन की शुरुआत हेल्दी चीजों के सेवन से होती है, तो आप दिन भर एनर्जेटिक फील करेंगे। सेहत को ठीक रखने के लिए भी सुबह की पहली डाइट हेल्दी और पोषक तत्वों से भरपूर होनी चाहिए। आयुर्वेद में बासी मुंह पानी पीने और चीजों को खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि बासी मुंह कुछ चीजों का सेवन सेहत के नुकसानदायक भी होता है।बासी मुंह क्या खाना फायदेमंद होता है?पोषक तत्वों से भरपूर डाइट या फूड्स का सेवन करने से शरीर हेल्दी और फिट रहता है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के आयुर्वेदिक डॉ. एस के पांडेय कहते हैं कि, "आयुर्वेद में पुराने समय से ही बासी मुंह पानी पीने से लेकर कुछ चीजों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। अगर आप नियमित रूप से बासी मुंह कुछ चीजों का सेवन करते हैं, तो इससे बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।"बासी मुंह इन चीजों का सेवन करने से फायदा मिलता है-1. बासी मुंह लहसुन का सेवनबासी मुंह लहसुन का सेवन करने से आपको पेट और शरीर से जुड़ी कई गंभीर परेशानियों में फायदा मिलता है। लहसुन की दो डलियों का नियमित रूप से सेवन करना पेट और आंतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को भी कम करने में फायदेमंद होता है।2. गुड़ का सेवनखाली पेट गुड़ का सेवन करने से शरीर को कई अनोखे फायदे मिलते हैं। गुनगुने पानी के साथ गुड़ का सेवन करने से शरीर को एनर्जी मिलती है। इसका सेवन करने से एसिडिटी की समस्या से छुटकारा मिलता है। अगर आप बवासीर के मरीज हैं, तो गुनगुने पानी के साथ गुड़ का सेवन करें।3. खाली पेट किशमिश का सेवनसुबह बासी मुंह किशमिश का सेवन करने से शरीर को पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है। रात में किशमिश को पानी में भिगोकर रख लें। सुबह इसका सेवन करने से शरीर में खून की कमी, पेट और पाचन से जुड़ी परेशानियों में फायदा मिलता है।4. भीगे बादाम का सेवनसुबह खाली पेट भीगे बादाम का सेवन करने से आंखों और हार्ट से जुड़ी परेशानियों में फायदा मिलता है। बादाम में प्रोटीन, विटामिन ई, ओमेगा 3 फैटी एसिड और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व होते हैं। नियमित रूप से खाली पेट इसका सेवन करना शरीर के लिए फायदेमंद होता है।5. बासी मुंह पानी पीने के फायदेबासी मुंह पानी पीना भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। नियमित रूप से बासी मुंह पानी पीने वाले लोगों को पेट से जुड़ी बीमारियों का खतरा नहीं रहता है। इससे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं।सुबह उठने के बाद मुंह साफ करके इन चीजों का सेवन करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। अगर किसी बीमारी या समस्या से जूझ रहे हैं, तो बासी मुंह कुछ भी खाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- कॉफी शरीर को एनर्जी देती है और चयापचय दर को तेज करने में मदद करती है और शरीर पर जमा जिद्दी फैट को भी कम करता है। अक्सर लोग वजन घटाने के लिए कई तरह की दवाइयों के साथ पाउडर और लंबी एक्सरसाइज का सहारा लेते हैं। लेकिन कई बार इतना सब करने के बाद भी मन मुताबिक रिजल्ट नहीं मिल पाता है। ऐसे में वजन घटाने के लिए कॉफी की मदद ली जा सकती है। कॉफी में मौजूद पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स वजन को घटाने के साथ मेटाबॉलिज्म भी बढ़ता है। कॉफी पीने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। जिसे आप अतिरिक्त खाने से बच जाते हैं। वजन कम करने के लिए दूध वाली कॉफी पीने के बजाए ये 4 तरह की कॉफी बना कर पी जा सकती हैं। वजन घटाने के लिए कैसे कॉफी पिएं।दालचीनी कॉफीवजन कम करने के लिए ब्लैक कॉफी में दालचीनी को डालकर पीया जा सकता है। दालचीनी में मौजूद एंटीऑक्सडेंट्स मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं और वजन को कम करने में मदद करते हैं। यह कॉफी पीने से लंबे समय तक भूख नहीं लगती है और इम्यूनिटी भी मजबूत होती है।नींबू की कॉफीवजन कम करने के लिए नींबू की कॉफी एक बेहतरीन ऑप्शन है। यह कॉफी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के साथ शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाती हैं। इस कॉफी में मौजूद तत्व कैफीन, सिट्रिक एसिड और विटामिन सी वजन घटाने में मदद करता है। यह कॉफी मेटाबॉलिज्म को भी तेज करती है। इस कॉफी को बनाने के लिए 1 कप कॉफी में 1/2 चम्मच नींबू के रस को कप में डालें। आपकी नींबू कॉफी तैयार है।ब्लैक कॉफीवजन कम करने के लिए ब्लैक कॉफी पी जा सकती है। ब्लैक कॉफी पीने से मेटाबॉलिक रेट तेज होता है। इस कारण वजन घटने के साथ बैली फैट भी कम होता है। यह कॉफी एनर्जी को बूस्ट करने के साथ शरीर को हेल्दी रखती है। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए 1 चुटकी इसमें जायफल का पाउडर भी मिलाएं।डार्क चॉकलेट कॉफीअधिकतर लोग वजन कम करने के चक्कर में इस कॉफी को पीने से डरते है। लेकिन आपको बता दें, मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं। इस कारण वजन तेजी से घटता है। यह कॉफी पीने से लंबे समय तक भूख नहीं लगती है, जिससे आप अतिरिक्त खाने से बच जाते हैं और वजन कम करने में मदद मिलती है।वजन कम करने के लिए यह कॉफी पी जा सकती है। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो सेवन से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- पेट शरीर का मुख्य अंगों मे से एक है। रोज सुबह इसको साफ करने से शरीर की गंदगी बाहर निकलती है, आंतों की सफाई होती है और शरीर में एनर्जी भी रहती है। कई बार बहुत से कारणों से पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता है, जिससे बहुत सी बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। पेट साफ नहीं होने के ये कारण भी हो सकते हैं जैसे ज्यादा तनाव लेना, खराब लाइफस्टाइल और पोषक तत्वों की कमी। पेट को साफ करने के लिए ज्यादा तनाव लेने से भी बचना चाहिए। साथ ही हेल्दी डाइट के साथ फाइबर युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से पेट साफ होगा और कब्ज की समस्या दूर होगी। आइए जानते हैं कुछ नैचुरल तरीकों के बारे में -हाइड्रेट रहेंपेट को साफ करने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पिएं। पानी पीने से शरीर के विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर आते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। दिनभर में 2 से 3 लीटर पानी अवश्य पिएं। सही मात्रा में पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होने के साथ मल भी मुलायम बनता है। पानी के साथ डाइट में ऐसे फल को भी शामिल किया जा सकता है। जिनमें पानी की मात्रा ज्यादा हो। जैसे तरबूज, पाइनएप्पल और संतरा।फाइबर युक्त डाइटपेट को साफ करने के लिए फाइबर युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। फाइबर एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है। इसके सेवन से पेट लंबे समय तक भरा लगता है। यह मल को नरम बनाता है और पेट को हेल्दी रखता है। फाइबर युक्त आहार में साबुत अनाज, मेवे और बीज, मसूर की दाल, बादाम, चने, जई और चिया सीड्स को आहार में शामिल करें।व्यायाम करेंस्वस्थ रहने के लिए व्यायाम करना जरूरी होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं पेट को साफ रखने के लिए चलना या एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी होता है। व्यायाम नहीं करने से पेट में कब्ज की समस्या होने के साथ पेट भी साफ नहीं होता है। व्यायाम करने से शरीर फिट रहने के साथ वजन भी कंट्रोल में रहता है।गर्म पानी पिएंजी हां, पेट को साफ करने के लिए गर्म पानी का सेवन भी किया जा सकता है। हल्का गुनगुना पानी आंत की अंदरूनी परत को उत्तेजित करता है और मल को आगे धकेलने के लिए नीचे संकुचन पैदा करता है। गर्म पानी नियमित पीने से पेट साफ रहता है और कई बीमारियां भी दूर होती हैं।प्रोबायोटिक्स का सेवन करेंपेट को साफ रखने के लिए प्रोबायोटिक्स का भी सेवन किया जा सकता हैं। इनके सेवन से आंत में गुड बैक्टीरिया बढ़ते हैं और शरीर में भोजन को पचाने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स का सेवन करने के लिए डाइट में दही, इडली और ढोकले को शमिल किया जा सकता हैं।पेट को साफ रखने के लिए इन तरीकों की मदद ली जा सकती हैं। अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से पूछकर इन तरीकों को फॉलो करें।