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- खीरा का सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पाचन तंत्र के लिए भी खीरे का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खीरे के बीज भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। खीरे के बीज का इस्तेमाल कई तरह की समस्याओं में औषधि के रूप में भी किया जाता है। इसमें मौजूद फाइबर और फाइटो न्यूट्रिएंट्स सेहत को फायदा पहुंचाते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, सेहत के लिए खीरे के बीज के फायदे और सेवन का सही तरीका।खीरे के बीज के पाउडर का सेवन करने के फायदेपाचन तंत्र को मजबूत बनाने से लेकर वजन कम करने में खीरे के बीज का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। नोएडा स्थित आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "खीरे के बीज में मौजूद प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फाइबर समेत अन्य पोषक तत्व कई समस्याओं में फायदेमंद होते हैं। इसका सेवन करने से स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग बनाने और हार्ट को हेल्दी रखने में भी मदद मिलती है।"खीरे के बीज में ये पोषक तत्व पाए जाते हैं-फाइबरप्रोटीनओमेगा-3 फैटी एसिडविटामिन ईएंटीऑक्सीडेंट्समैग्नीशियमजिंकआयरनखीरे के बीज का सेवन करने के कुछ प्रमुख फायदे इस तरह से हैं--पाचन में सुधार: खीरे के बीज के पाउडर में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह कब्ज, अपच और इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS) जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।-वजन नियंत्रण: इसमें मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखता है, जिससे भूख कम लगती है और वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।-हृदय स्वास्थ्य: खीरे के बीज में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्ट के लिए अच्छे होते हैं। ये कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और हार्ट डिजीज के जोखिम को कम करते हैं।-त्वचा के लिए लाभकारी: खीरे के बीज में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं। यह त्वचा को जवान और कोमल बनाए रखने में भी मदद करता है। इसके अलावा, सूजन और जलन को कम करने में भी इसका सेवन फायदेमंद होता है।-बालों के लिए फायदेमंद: खीरे के बीज के पाउडर में मौजूद प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व बालों को मजबूत और चमकदार बनाने में मदद करते हैं। यह बालों के झड़ने से रोकने में भी मदद करते है।ब्लड शुगर कंट्रोल: खीरे के बीज में मौजूद गुण और पोषक तत्व ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।कैसे करें खीरे के बीज के पाउडर का सेवन?आप खीरे के बीज के पाउडर का सेवन आप कई तरीके से कर सकते हैं। इसमें मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर को पोषण देने का काम करते हैं। आप डाइट में खीरे के बीज के पाउडर को इस तरह से शामिल कर सकते हैं--पाउडर के रूप में: आप खीरे के बीज के पाउडर को सीधे पानी या जूस में मिलाकर सेवन कर सकते हैं।-स्मूदी में: आप इसे अपनी पसंदीदा स्मूदी में मिला सकते हैं।-सलाद में: आप इसे सलाद के टॉपिंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।-फेस मास्क: खीरे के बीज के पाउडर का उपयोग फेस मास्क बनाने के लिए भी किया जा सकता है। इसे गुलाब जल या दही के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं।-खीरे के बीज के पाउडर का सेवन शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। खानपान और पाचन तंत्र से जुड़ी किसी समस्या, बीमारी या एलर्जी में इसका सेवन करने से बचना चाहिए। इसके अलावा -गर्भवती महिलाओं और बच्चों को खीरे के बीज के पाउडर का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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बदलते मौसम में स्किन और बालों से जुड़ी समस्याएं बढ़ जाती हैं, ऐसे में हेयर फॉल और फ्रिजी बालों से लोग सबसे ज्यादा परेशान रहते हैं। धूल-मिट्टी, प्रदूषण, खराब लाइफस्टाइल और हेयर स्टाइलिंग के लिए हीटिंग टूल्स का ज्यादा इस्तेमाल करने से हेयर फॉल बढ़ जाता है और बाल फ्रिजी नजर आने लगते हैं। इसके अलावा बालों को स्टाइल करने के लिए कई ऐसे प्रोडक्ट्स भी आते हैं, जिनमें हानिकारक केमिकल्स मौजूद होते हैं, जो बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हेयर फॉल और फ्रिजी बालों से छुटकारा पाने के लिए शैंपू में मिलाएं ये 3 चीजें
1. शैंपू के साथ मिलाएं नारियल तेलबालों को हेल्दी बनाने के लिए सबसे पहले आपको हीटिंग टूल्स का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए। इसके अलावा बाल धोते समय शैंपू के साथ नारियल का तेल मिलाकर बालों को धोएं। 2 चम्मच शैंपू में आधा चम्मच नारियल का तेल मिलाया जा सकता है। नारियल तेल को शैंपू के साथ मिलाना एक नेचुरल उपाय है जो फ्रिजी बालों को सही करने में मदद कर सकता है। नारियल तेल शैंपू में मिलाने से बालों की नमी बनी रहती है और सूर्य की किरणों से होने वाला नुकसान भी कम होता है। शैंपू के साथ नारियल तेल बालों को मुलायम और शाइनी बनाता है और हेयर फॉल भी कम होता है।2. शैंपू के साथ मिलाएं नींबू का रसहेयर फॉल की एक बड़ी वजह डैंड्रफ है, जिसके कारण बालों का झड़ना कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में शैंपू के साथ नींबू का रस मिलाकर बाल धोने से आपको फायदा मिल सकता है। नींबू के रस में मौजूद एंटीफंगल गुण डैंड्रफ को कम करने में मदद कर सकते हैं। नींबू और शैंपू का मिक्स स्कैल्प के इंफेक्शन को ठीक करके स्कैल्प को हेल्दी और डैंड्रफ-फ्री बनाता है। नींबू का रस फ्रिजी बालों को ठीक करता है और उन्हें मुलायम और शाइनी बनाता है। नींबू का रस खुजली और इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है, इससे स्कैल्प से जुड़ी समस्याएं कम हो सकती हैं।3. शैंपू के साथ मिलाएं विटामिनहेयर फॉल और फ्रिजी बालों की समस्या से बचने के लिए आप शैंपू के साथ विटामिन E का कैप्सूल मिलाकर भी बाल धो सकते हैं, इससे लाभ मिल सकता है। विटामिन E स्किन और बालों की हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है। विटामिन E बालों के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है, जो बालों के की ड्राईनेस को कम कर सकता है। शैंपू के साथ विटामिन E स्कैल्प के इंफेक्शन को कम कर सकता है, जिससे बालों के झड़ने की समस्या कम हो सकती है। - कई लोगों की सुबह की शुरुआत ही एक कप चाय या कॉफी से होती है। अगर सुबह के समय उन्हें चाय या कॉफी न मिले तो आंखें खोलना ही मुश्किल हो जाता है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनसे अगर किसी कारण सुबह की एक कप चाय या कॉफी मिस हो जाए, तो उनके सिर में सारा दिन दर्द रहता है, शरीर में सुस्ती रहने लगती है। जबकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दिन में कई बार चाय या कॉफी पीना पसंद करते हैं। ज्यादा मात्रा में चाय या कॉफी का सेवन आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है, जिससे एसिडिटी, ब्लोटिंग या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर गलत समय पर चाय पीने से पाचन से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि चाय या कॉफी का सेवन करने से कब बचना चाहिए....चाय या कॉफी कब नहीं पीना चाहिए?1. सुबह खाली पेटसुबह खाली पेट चाय या कॉफी पीने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन (जिसे तनाव हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है) का उत्पादन प्रभावित हो सकता है, जिसके कारण आप में मूड स्विंग की समस्या हो सकती हैं या फिर आप बहुत ज्यादा तनाव ले सकते हैं। इसलिए, सुबह के समय खाली पेट चाय या कॉफी पीने से बचें।2. खाना खाने के साथचाय या कॉफी एसिडिक होती है और आपके पाचन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में अगर आप खाने में प्रोटीन का सेवन करते हैं, तो चाय का एसिड प्रोटीन की मात्रा को खराब कर सकता है, जिससे इसे पचाना मुश्किल हो सकता है। खाना खाने के तुरंत बाद चाय पीने से शरीर द्वारा आयरन के अवशोषण में भी समस्या आ सकती है। इसलिए आप खाना खाने के एक घंटा पहले और एक घंटे बाद ही चाय पिएं।3. शाम को 4 बजे के बादडॉक्टर्स के अनुसार कैफीन का सेवन सोने से 10 घंटे पहले या कम से कम 6 घंटे पहले ही करना चाहिए। सोने के पहले या शाम को चाय या कॉफी का सेवन आपकी नींद को बाधित कर सकता है। इसलिए नींद को बेहतर रखने, लिवर को डिटॉक्स करने और कोर्टिसोल हार्मोन को संतुलित रखने के लिए शाम को 4 बजे या 8 बजे के बाद चाय या कॉफी पीने से बचें।चाय या कॉफी के ज्यादा सेवन से भी आपको पाचन, एसिडिटी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, कम से कम मात्रा में चाय या कॉफी पीने की कोशिश करें।
- आयुर्वेद में मिश्री और गोंद कतीरे को बेहद फायदेमंद माना गया है। मिश्री और गोंद कतीरा, दोनों की तासीर बेहद ठंडी होती है। इसलिए गर्मियों और मानसून में मिश्री और गोंद कतीरे का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। वैसे तो लोग मिश्री और गोंद कतीरे का सेवन अलग-अलग तरीकों से करते हैं, लेकिन आप चाहें तो इन दोनों को एक साथ पानी में मिलाकर भी ले सकते हैं। यानी आप मिश्री और गोंद कतीरे का पानी बनाकर पी सकते हैं। गोंद कतीरा और मिश्री का पानी सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है।मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पीने के फायदे1. एसिडिटी से छुटकारा दिलाए मिश्री और गोंद कतीरे का पानीमिश्री और गोंद कतीरे का पानी पीने से एसिडिटी से छुटकारा मिल सकता है। अगर आपको गर्मी की वजह से पेट या सीने में जलन महसूस हो, तो मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पीना फायदेमंद हो सकता है। इस पानी को पीने से एसिडिटी और शरीर की जलन से राहत मिलेगी।2. भूख बढ़ाए मिश्री और गोंद कतीरे का पानीअगर आपको भूख ज्यादा नहीं लगती है, तो अपनी डाइट में मिश्री और गोंद कतीरे का पानी जरूर शामिल करें। मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पीने से भूख बढ़ती है। भूख बढ़ाने के लिए कुछ दिनों तक रोजाना इस पानी का सेवन जरूर करें।3. खूनी बवासीर से राहत दिलाए मिश्री और गोंद कतीरे का पानीखूनी बवासीर एक दर्दनाक स्थिति हो सकती है। यह समस्या बेहद पीड़ादायक होती है। खूनी बवासीर से राहत पाने के लिए आप मिश्री और गोंद कतीरे के पानी का सेवन कर सकते हैं। अगर आप बवासीर से परेशान हैं, तो इसे अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।4. शरीर की गर्मी शांत करे मिश्री और गोंद कतीरे का पानीमानसून में शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है। ऐसे में शरीर की गर्मी को शांत रखने के लिए आप मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पी सकते हैं। यह पेट को ठंडक प्रदान करता है। इससे शरीर की गर्मी भी कम होती है। पित्त प्रकृति के लोगों को अपनी डाइट में मिश्री और गोंद कतीरे का पानी जरूर शामिल करना चाहिए।5. कमजोरी दूर करे मिश्री और गोंद कतीरे का पानीअगर आपको कमजोरी और थकान का अनुभव होता है, तो मिश्री और गोंद कतीरे का पानी जरूर पिएं। इस पानी को पीने से शरीर को ताकत मिलती है। यह कमजोरी को दूर करने में मदद करता है। आप रोज एक गिलास मिश्री और गोंद कतीरे का पानी पी सकते हैं।आप भी मिश्री और गोंद कतीरे के पानी का सेवन कर सकते हैं। इस पानी को पीने से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। यह शरीर की आम स्वास्थ्य समस्याओं को भी दूर करता है। हालांकि, अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो अधिक मात्रा में इस पानी का सेवन एक्सपर्ट की राय पर ही करें।
- मानसून के मौसम में कुछ लोगों के बाल इतने ज्यादा झड़ने लगते हैं कि लोगों को चिंता हो जाती है। अगर मानसून के दिनों में आपके ज्यादा हेयर फॉल होता है तो डॉक्टर से सलाह लें। ऐसा इसलिए, क्योंकि कई बार स्कैल्प पर फंगल इंफेक्शन के कारण बालों का झड़ना तेजी से बढ़ जाता है। लेकिन अगर आपको बालों और स्कैल्प से जुड़ी कोई मेडिकल समस्या नहीं है तो बालों का झड़ना रोकने के लिए गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल भी कारगर साबित हो सकता है।बालों का झड़ना रोकने के लिए गुड़हल के फूलों का इस्तेमाल कैसे करें?1. गुड़हल का हेयर पैक बनाएंगुड़हल के फूलों का प्रयोग बालों का झड़ना रोकने में कारगर साबित हो सकता है। इसका हेयर पैक बनाने के लिए आपको 10-12 हिबिस्कस के फूल, 2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद चाहिए होगा। सबसे पहले हिबिस्कस यानी गुड़हल के फूलों को अच्छे से धोकर पीस लें। इसमें दही और शहद मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट बना लें। तैयार गुड़हल के फूलों से बने हेयर मास्क के पेस्ट को बालों की जड़ों से लेकर सिरे तक लगाएं और 30-45 मिनट के लिए छोड़ दें आखिर में ताजे पानी से बालों को धोएं।फायदे-गुड़हल में मौजूद विटामिन C और अमीनो एसिड बालों को मजबूत बनाते हैं।-दही और शहद बालों को गहराई से पोषण देते हैं, जिससे बाल सॉफ्ट होते हैं।-यह मास्क स्कैल्प को हाइड्रेट करता है और डैंड्रफ को कम करता है।2. गुड़हल का तेल कैसे बनाएंगुड़हल के फूलों का तेल बनाने के लिए आपको 10-15 हिबिस्कस के फूल और कुछ पत्तियों के साथ 1 कप नारियल तेल की जरूरत होगी। सबसे पहले नारियल तेल को गर्म करें और इसमें गुड़हल के फूल और पत्तियां डाल दें। धीमी आंच पर फूलों को तब तक पकाएं जब तक फूल काले न हो जाएं। अब तेल को ठंडा होने दें और फिर छान लें। इस तेल को अपने बालों की जड़ों और सिरे पर मसाज करें और 2 घंटे के बाद माइल्ड शैंपू से धोएं।फायदे-गुड़हल के तेल में मौजूद पोषक तत्व बालों के विकास को बढ़ाते हैं।-गुड़हल का तेल बालों की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है और टूटने से बचाता है।-इस तेल के नियमित उपयोग से बालों की प्राकृतिक चमक बनी रहती है।3. बालों के लिए गुड़हल का पानी कैसे बनाएं?बालों के लिए गुड़हल का पानी बनाने के लिए आपको 10-15 गुड़हल के फूल और 2 कप पानी चाहिए होगा। सबसे पहले गुड़हल के फूलों को अच्छे से धो लें। अब पानी को उबालें और इसमें गुड़हल के फूल डाल दें।10-15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें और फिर पानी को ठंडा होने दें। जब पानी पूरी तरह ठंडा हो जाए तो इसे छानकर स्प्रे बोतल में भरें। इस पानी से बालों को स्प्रे करें और 2 घंटे के बाद बालों को धोएं।फायदे-गुड़हल का पानी स्कैल्प को ठंडक प्रदान करता है और जलन को कम करता है।-गुड़हल के फूलों का पानी बालों को सॉफ्ट बनता है।-यह पानी बालों के pH स्तर को संतुलित करता है, जिससे बाल हेल्दी रहते हैं।इस तरह से गुड़हल के फूलों से बने हेयर पैक, ऑयल और पानी के नियमित उपयोग से न केवल बालों का झड़ना कम होता है, बल्कि बाल हेल्दी, मजबूत और शाइनी भी बनते हैं। ये घरेलू उपाय न केवल प्राकृतिक और सस्ते हैं, बल्कि किसी भी हानिकारक केमिकल से मुक्त भी हैं।
- आयुर्वेद में अनेक जड़ी-बूटियों और मसालों का वर्णन है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं। ऐसी ही एक औषधि है अपराजिता की जड़, जिसका इस्तेमाल कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में किया जाता है। ।अपराजिता की जड़ के फायदेआयुर्वेद में अपराजिता की जड़ का उपयोग भावना द्रव्य के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। खासकर, महिलाओं की समस्याओं में इसका ज्यादा इस्तेमाल होता है। अपराजिता की जड़ की तासीर ठंडी होती है।1. झाइयों को कम करनेअपराजिता की जड़ का इस्तेमाल झाइयों को कम करने में कारगर साबित हो सकता है। इसका इस्तेमाल दूध के साथ मिलाकर किया जा सकता है। अपराजिता की जड़ को दूध के साथ मिलाकर इसका लेप तैयार करें और फिर इसे झाइयों पर लगाएं। 20-30 मिनट तक लगा रहने दें और फिर ताजे पानी से साफ करें। नियमित रूप के अपराजिता की जड़ का इस तरीके से इस्तेमाल करने से लाभ मिल सकता है।2. सफेद दाग की समस्या कम करनेअपराजिता की जड़ को पानी में घिस कर लगाने से सफेद दाग की समस्या कम हो सकती है। इसके लिए अपराजिता की जड़ को पानी के साथ घिसकर लेप तैयार करें और फिर इस लेप को सफेद दागों पर लगाएं। नियमित रूप से इसका इस्तेमाल करने से आपको फर्क नजर आ सकता है।3. मुंहासे और फुंसियों मेंअपराजिता की जड़ के पाउडर में शहद और गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बनाएं और फिर इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 15-20 मिनट बाद धो लें। अपराजिता की जड़ का पेस्ट त्वचा पर लगाने से मुंहासे और फुंसियों की समस्या कम हो सकती है।4. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएअपराजिता की जड़ का नियमित सेवन इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, यह शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है। अपराजिता की जड़ का सेवन पाचन तंत्र के लिए भी लाभदायक होता है, इसके सेवन से अपच, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। इसके लिए अपराजिता की जड़ से काढ़ा तैयार करें और फिर इसका सेवन करें। काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले 1 कप पानी में 1 चम्मच अपराजिता की जड़ का पाउडर लें और इसे कुछ समय तक उबालें। जब पानी अच्छे से उबल जाए तो इसे छानकर दिन में एक बार पिएं।अपराजिता की जड़ में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। हालांकि, किसी भी नई औषधि या उपचार को शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
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शरीर की बाहरी सफाई तो हम रोजाना कर लेते हैं, लेकिन अंदरुनी अंगों की सफाई के लिए हर किसी को समझ नहीं आता कि कौन से उपाय करने चाहिए । आयुर्वेद के अनुसार कुछ प्राकृतिक उपचार करने से शरीर के महत्वपूर्ण अंदरूनी अंगों की सफाई की जा सकती है।
1. लिवर की सफाई के लिए20 ग्राम काली किशमिश और 1 ग्लास पानी लेकर मिक्सर मे जूस बनाकर सुबह खाली पेट 15 दिनों तक सेवन करने से लिवर की सफाई होती है।2. किडनी की सफाई के लिएहरा धनिया 40 ग्राम +1 ग्लास पानी मिक्स करके मिक्सर मे पिस करके सुबह खाली पेट लीजिए। यह उपाय 10 दिनों तक करने से किडनी की सफ़ाई होती है। और हमारी किडनी स्वस्थ रहती है।3. हार्ट की सफाई के लिए60 ग्राम अलसी को मिक्सर मे पीस लीजिए फिर सुबह शाम खाली पेट 10-10 ग्राम की मात्रा मे सेवन से हमारा हार्ट (हृदय) स्वस्थ रहता है । यह उपाय एक महीने तक करनां है।4. दिमाग की सफाई के लिएबादाम 8 और अखरोट 2 नग लेकर रात को 1 ग्लास पानी मे भिगोकर सुबह खाली पेट सेवन करें। यह पूरे 2 महीनों तक करने से दिमाग को पूरी तरह से जहर मुक्त किया जा सकता है।5. फेंफडों की सफाई के लिए2 चम्मच शहद, 1 चम्मच नींबू का रस और 1 चम्मच अदरक का रस लें। सभी चीजों को मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से बीड़ी, सिगरेट, गुटखा या तंबाकू खाने से जो नुकसान हमारे फेंफडों को हुआ है , उनमें सुधार होगा और हमारे फेंफड़े पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते है। यह प्रयोग करीब 20 दिनों तक करना है।(नोट- यदि आप किसी बीमारी से पीडि़त हैं , तो ये उपाय करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें। ) -
हिंदू धर्म में सावन का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। ये महीना भगवान शिव को पूरी तरह से समर्पित होता है। इस समय पर भक्त भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद पाने के लिए उपवास रखते हैं। माना जाता है कि उपवास करते समय, संतुलित डायट खाना बहुत जरूरी होता है। हालांकि, व्रत नहीं रखने वाले लोगों को भी इस महीने में कुछ चीजों को खाना अवॉइड करना चाहिए। इस साल सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू होगा और 19 अगस्त के दिन खत्म हो जाएगा। ऐसे में हम यहां उन चीजों के बारे में बता रहे हैं जो आपको सावन के महीने में खाने से बचना चाहिए।
सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने में लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा सच्चे मन से करते हैं। ऐसे में इस महीने में मांस, मछली और अंडे सहित मांसाहारी खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। आध्यात्मिक प्रथाओं के अलावा सावन के महीने में मांसाहारी खाने से इसलिए भी बचना चाहिए क्योंरि इस दौरान लगातार बारिश होती है, जिसकी वजह से वातावरण में कई तरह के संक्रमण फैलने लगते हैं। ऐसे में जो जीव-जंतु जो घास और पत्ते खाते हैं वह इन संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में इस दौरान जब इन संक्रमित जानवरों का मांस लोग खाते हैं, तो वह उनके संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
माना जाता है कि इस पवित्र महीने में प्याज और लहसुन से परहेज किया जाना चाहिए। माना जाता है कि ये दोनों चीजें शरीर की गर्मी को बढ़ा सकती हैं और मन को विचलित कर सकते हैं।इसलिए, इससे बचने की सलाह दी जाती है।
सावन के महीने में इम्यूनिटी कम होती है। ऐसे में खाना बनाते समय तेल और मसालों का इस्तेमाल कम से कम करने की कोशिश करनी चाहिए। ज्यादा तेल से पेट से जुड़ी परेशानी और भारीपन हो सकता है, जबकि बहुत ज्यादा मसालों से एसिडिटी और अपच भी हो सकती है।
दूध को सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। हालांकि, सावन के महीने में इसे अवॉइड करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि ये शरीर में बाइल जूस के उत्पादन को बढ़ा सकता है। ऐसे में इसकी जगह आप दही, लस्सी या फिर दूध से बनी दूसरी चीजों को खा सकते हैं। -
देसी घी भारतीय रसोई की शान है। दाल में जब देसी घी का छौंका लगाया जाता है तो, किचन के साथ-साथ पूरे घर में इसकी भीनी-भीनी महक फैल जाती है। भूख ना लगी होने पर भी खाने को दिल मचल जाता है। देसी घी बेहद स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही लाभकारी होता है। हालांकि इसमें फैट अधिक पाया जाता है, जिसकी वजह से इसका अधिक इस्तेमाल करने से शरीर का फैट बढ़ने लगता है। इसी वजह से आजकल लोगों ने खाने में घी तेल का इस्तेमाल करना थोड़ा काम कर दिया है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देसी घी में फैट अधिक होने के बावजूद इसकी मदद से वजन को घटाया जा सकता है। तो चलिए इसे खाने का सही तरीका जानते हैं।
घी करता है फैट बर्निंग का काम
घी में मौजूद कॉन्जुगेटेड लिनोलिक एसिड (CLA), मुख्य रूप से फैट बर्निंग का काम करता है। कई स्टडीज में भी यह बात प्रूव हुई है। रोजाना घी खाने से शरीर के पुराने जिद्दी फैट ब्रेकडाउन होते हैं और नई फैट सेल्स का निर्माण रुकता है। इस तरह से अपनी डेली डाइट में घी को शामिल करके अपने वजन को कंट्रोल में रखा जा सकता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपके नियमित आहार में जी की एक निश्चित मात्रा ही शामिल हो। घी का अत्यधिक सेवन करना फायदे की जगह नुकसान देगा।
रोजाना उचित मात्रा में खाएं घी
घर पर बनाए गए शुद्ध देसी घी में लिनोलिक एसिड और सैचुरेटेड फैट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को तेज करके जिद्दी फैट को काटने का काम करता है। नियमित रूप से दाल रोटी के साथ घी की एक निश्चित मात्रा खाने से शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं। घी खाने से कब्ज की समस्या खत्म होती है शरीर से हानिकारक तत्व बाहर निकलते हैं और इसके साथ ही वजन भी कम होता है।
घी खाने से देर तक भरा रहेगा पेट, भूख लगेगी कम
घी में प्रचुर मात्रा में न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। खाने में घी शामिल करने से, आपका पेट अधिक देर तक भरा रहेगा और बार-बार भूख नहीं लगेगी। घी में मौजूद हेल्दी फैट शरीर को लगातार एनर्जी देता रहेगा। लगातार एनर्जी मिलने की वजह से बेवजह स्नैक खाने की क्रेविंग नहीं होगी, साथ ही देर तक भूख ना लगने से बार-बार कुछ भी खाने से बचेंगे, और इस तरह से शरीर का वजन कंट्रोल में रहेगा।
इस तरह करें इस्तेमाल
वजन घटाने के लिए अगर आप देसी घी का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं तो कई तरह से इसे अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। रोज सुबह उठकर गुनगुने पानी में एक चम्मच घी मिलाकर पीने से भी मोटापा घटाने में काफी मदद मिलती है। इसके साथ ही आप अपनी रोजाना की कुकिंग में भी घी का इस्तेमाल कर सकते हैं। चाय या कॉफी पीने के शौकीन हैं तो उसमें भी एक चम्मच घी मिलाकर पीया जा सकता है। लेकिन जैसा की हमनें आपको पहले बताया ध्यान रहे कि इसकी अति ना होने पाए। -
मटर की कचौड़ी हो या फिर मटर पनीर की सब्जी, मटर का स्वाद पसंद करने वाले लोग पूरा साल मटर खाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। हालांकि सर्दियों में मिलने वाली मटर ना सिर्फ फ्रेश होती है बल्कि इसका स्वाद भी अच्छा होता है। बावजूद इसके कुछ लोग गर्मियों में भी मटर का स्वाद लेने के लिए फ्रोजन मटर का सहारा लेते हैं। फ्रोजन मटर आपकी मटर छीलने की मेहनत बचाने के साथ मटर के लिए आपकी क्रेविंग को तो शांत कर देती है, लेकिन क्या आप जानते हैं इसके अधिक सेवन से आपकी सेहत को नुकसान भी होता है। जी हां, फ्रोजन मटर का ज्यादा सेवन आपको कई बीमारियों की चपेट में ला सकता है। आइए जानते हैं फ्रोजन मटर के सेहत से जुड़े ऐसे ही कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे में।
मोटापा-
फ्रोजन मटर में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। इसका जरूरत से ज्यादा सेवन करने पर व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ सकता है। दरअसल, मटर को फ्रिज करते समय इसमें कुछ प्रिजर्वेटिव्स मिलाए जाते हैं, जिनमें स्टार्च ज्यादा मात्रा में होता है। स्टार्च की अधिकता शरीर में फैट की मात्रा को बढ़ाकर मोटापे का कारण बन सकती है।
डायबिटीज-
फ्रोजन मटर का ज्यादा सेवन करने पर व्यक्ति के लिए डायबिटीज का खतरा भी बढ़ सकता है। दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि फ्रिज किए मटर का स्वाद बनाए रखने के लिए उसमें स्टार्च का इस्तेमाल किया जाता है। व्यक्ति जब मटर में मौजूद स्टार्च का अधिक मात्रा में सेवन करता है तो शरीर और ऊतकों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह स्टार्च चीनी में बदलकर डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है।
ब्लड प्रेशर-
फ्रोजन की हुई हरी मटर में सोडियम की मात्रा काफी ज्यादा होती है। जो हाई बीपी की शिकायत बढ़ा सकती है।
हार्ट डिजीज-
फ्रोजन मटर में फ्रेश मटर की तुलना में अधिक ट्रांस फैट मौजूद होते हैं। इसमें मौजूद प्रिजर्वेटिव्स का सेवन करने पर कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है, जिससे धमनियों में प्लाक जमने लगता है। जिसकी वजह से व्यक्ति के लिए हाई बीपी और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। - आयुर्वेद में अदरक को स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी बताया गया है, इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। । लेकिन क्या आप जानते हैं कि अदरक सर्दी-खांसी की समस्या को कम करने में भी सहायक हो सकता है। दरअसल, अदरक के एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण सर्दी-खांसी के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। खासकर, मानसून के मौसम में अदरक का सेवन जरूर करना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें मौजूद विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में सहायक होते हैं, जिससे लोग कई तरह की मौसमी बीमारियों और संक्रमणों से बच सकते हैं। आईये जानते हैं कि सर्दी-खांसी की समस्या कम करने के लिए अदरक का सेवन करने का सही तरीका क्या है?सर्दी-खांसी कम करने के लिए अदरक का सेवन करने का सही तरीका-सर्दी और खांसी की समस्या दूर करने के लिए अदरक का सेवन शहद के साथ करना सबसे ज्यादा लाभकारी होता है। आयुर्वेद में अदरक को भारी और शुष्क के साथ भेदनी, कटु और स्निग्ध बताया गया है। जिन लोगों के शरीर में गर्मी ज्यादा रहती है वे अदरक की मात्रा कम कर सकते हैं और भोजन करने से पहले या साथ में अदरक और शहद का सेवन कर सकते हैं। लेकिन अगर व्यक्ति को ज्यादा सर्दी-खांसी की समस्या है तो इसका सेवन किसी भी समय किया जा सकता है। नियमित रूप से अगर आप अदरक और शहद का सेवन करते हैं तो इससे सर्दी-खांसी की समस्या कम हो सकती है, इसके साथ ही यह बलगम को ढीला करता है और सांस लेने में आसानी करता है। अदरक दिल की सेहत के लिए भी लाभकारी है, यह कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करता है, साथ ही साथ ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल रखता है।-अदरक और शहद के अलावा अदरक की चाय और अदरक-तुलसी का काढ़ा आदि का सेवन करके आप सर्दी और खांसी से राहत पा सकते हैं।अदरक के फायदे1. अदरक में कई ऐसे यौगिक होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। खासकर, गले की सूजन और खांसी की समस्या में अदरक का सेवन सबसे ज्यादा लाभकारी होता है।2. अदरक में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं, जिससे इम्यूनिटी मजबूत होती है और संक्रमण का खतरा कम होता है।3. अदरक पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है। अदरक का सेवन गैस, अपच और पेट दर्द जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।4. अदरक में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो सर्दी और खांसी के वायरस से लड़ने में मदद करते हैं, नियमित रूप से अदरक और शहद का सेवन करने से सर्दी-खांसी की समस्या दूर हो सकती है।
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अपनी आवाज, दमदार एक्टिंग और मदमस्त अदाओं से लोगों को अपना दीवाना बनाने वाली एक्ट्रेस नेहा धूपिया आज 2 बच्चों की मां हैं। प्रेग्नेंसी के बाद से ही नेहा धूपिया अपने वजन को लेकर काफी ट्रोल हो चुकी हैं। लेकिन हर बार नेहा ने ट्रोलिंग को इग्नोर किया है और अपनी लाइफ में आगे बढ़ती रही हैं। हाल ही में नेहा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर कर वेट लॉस करने की जानकारी दी है। नेहा ने अपने पोस्ट में बताया है कि उन्होंने 5 या 10 किलो नहीं बल्कि 23 किलो वजन कम किया है। सोशल मीडिया पर पोस्ट तस्वीरों में नेहा का बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन साफ देखा जा सकता है। अपनी वेटलॉस की तस्वीरों को शेयर करते कहा, कि बेटी मेहर के जन्म के बाद उनका वजन 17 किलो बढ़ गया था। लेकिन उस वक्त लॉकडाउन का पीरियड चल रहा था और उन्होंने घर पर ही कैलोरी कम करके वजन घटा लिया था।
बेटे के जन्म के बाद बढ़ गया 23 किलो वजननेहा ने आगे पोस्ट में बताया कि लॉकडाउन के दौरान जैसे ही उन्होंने वजन घटाया, लेकिन उसके बाद वो एक बार फिर मां बन गईं। बेटे के जन्म के बाद नेहा का वजन 23 किलो बढ़ गया। लेकिन उन्होंने कभी भी वजन घटाने के बारे में कभी नहीं सोचा। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने एक साल बेटे को ब्रेस्टफीड करवाया था। जिसके कारण उन्हें ज्यादा भूख लगती थी और एक वर्किंग मॉम होने के कारण उन्हें एनर्जी भी ज्यादा चाहिए होती थी। एक्ट्रेस ने कहा कि उन्होंने पिछले साल से वजन घटाने पर जोर दिया और इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत भी की।आइए जानते हैं नेहा धूपिया के वेट लॉस सीक्रेटबैलेंस्ड डाइट और एक्सरसाइज से घटाया वजननेहा धूपिया ने बताया कि उन्होंने वजन घटाने के लिए बैलेंस्ड डाइट, अच्छी लाइफस्टाइल, योग और थोड़ी सी एक्सरसाइज का सहारा लिया। उन्होंने कहा, मैंने अपना खाना ज्यादा कम नहीं किया, लेकिन मैंने खाने में कैलोरी की मात्रा कम की। क्योंकि मैं एक वर्किंग मॉम हूं और 24/7 घर को भी मैनेज करती हूं, इसलिए मुझे ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है। नेहा का कहना है कि वो कभी इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करती हैं बल्कि उनका लाइफस्टाइल इस तरह का है कि उनकी इंटरमिटेंट फास्टिंग खुद से ही हो जाती है। नेहा ने अपने पोस्ट में बताया कि वह अपने बच्चों के साथ शाम को 7 बजे डिनर कर लेती हैं। इसके बाद वह कुछ भी नहीं खाती हैं। रात के डिनर के बाद वह पति अंगद बेदी के साथ सीधे सुबह 11 बजे नाश्ता करती हैं, जिससे उन्हें वजन घटाने में मदद मिली और वह 23 किलो का टारगेट पूरा कर पाईं।डाइट में शुगर नहीं लेती हैं नेहा धूपियानेहा धूपिया ने अपने पोस्ट में आगे बताया कि वेट लॉस जर्नी के दौरान उन्होंने अपनी डाइट से चीनी यानी की शुगर को बिल्कुल ही हटा दिया था। वह तली हुई चीजें भी बिल्कुल नहीं खाती थीं। इसके अलावा उन्होंने ग्लूटेन का सेवन बंद किया था। वजन घटाने के लिए बैलेंस्ड डाइट को फॉलो करती हैं। इसमें बहुत सारा सलाद और लो कैलोरी फूड होता है।योग ने की नेहा धूपिया की मददनेहा धूपिया का कहना है कि वजन घटाने में योग और कभी-कभी रनिंग ने उनकी काफी मदद की है। योग की मुद्राएं करने से उनका वजन कम हुआ है। नेहा के इंस्टाग्राम पर कई ऐसी तस्वीरें हैं, जिसमें उन्हें योग करते हुए देखा जा सकता है। एक्ट्रेस का कहना है कि वजन घटाने पर शारीरिक तौर पर तो फायदे मिलते ही हैं, इसके साथ ही मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है। वजन घटाने के बाद नेहा अपने बच्चों के साथ एक्टिव रह पाती हैं और उनका कॉन्फिडेंस भी बूस्ट होता है। नेहा उन सभी मांओं के लिए एक प्रेरणा है जो बच्चे के जन्म के बाद बढ़ते हुए वजन से परेशान हैं और उसे कम करने की इच्छा रखती हैं। -
कपूर और नींबू का ये उपाय करके देख लीजिए सिर के बाल से पैर की उंगली तक सारी नसें मुक्त होने का स्पष्ट अनुभव होगा। इस उपाय से पैर में फटी एडिय़ां और डैड स्किन रिमूव हो जाती है और पैर कोमल हो जाते हैं। इससे पुराना घुटनों का दर्द और कमर, गर्दन या रीड की हड्डी (मणके) में कोई नस दबी या अकड़ गई है तो वह पूरी तरह से ठीक हो जाएगी। पुराना एड़ी का दर्द भी ठीक हो जाएगा।
कैसे करें ये उपाय-
यह उपाय करने के लिए हमें घर में ही उपलब्ध कपूर और नींबू, ये दो चीजें चाहिऐं। इस उपाय को करने के लिए डेढ़ से दो लीटर गुनगुना पानी लें, जिसका तापमान पैर को सहन होने जितना गरम हो, उसमे आधे नींबू का रस निचोड़े और फिर नींबू को भी उस पानी में डाल दें।फिर दूसरी चीज कपूर है-कोई भी कपूर हो। कपूर की तीन गोलियां् बारीक पीस कर उसका पाउडर बना लें, यह भी उस पानी में मिला लें, फिर पांच से दस मिनट तक पैरों को इस पानी में डाल कर रखें। जैसे ही आप पैरों को पानी में डालेंगे, तो आपको इससे सिर से पैर तक एक तरह से करंट का अनुभव होगा। आपके सिर के बालों से पैर तक की सारी नसें मुक्त होने का स्पष्ट रूप से अनुभव होगा। इसका कारण यह है कि हमारे पैरों में 172 प्रकार के प्रेशर पॉइंट होते हैं, जो हमारे शरीर की सभी नसों के साथ जुड़े होते हैं। यह नींबू और कपूर वाला गुनगुना पानी इन 172 प्रकार के प्रेशर पॉइंट्स को मुक्त कर देता है और इससे शरीर की सारी नसें एकदम से रीएक्टिवेट हो जाती हैं और पूरी तरह से मुक्त हो जाती हैं। यह उपाय दिन में कभी भी सुबह या शाम को कर सकते हैं।
-इससे हाथ, पैर में होने वाली झनझनाहट बंद हो जाती है और कोई नस दबी या अकड़ गई हो, तो वह खुल जाएगी और सिरदर्द भी इस उपाय से बंद हो जाता है।
-जिन लोगों को माइग्रेन की तकलीफ हो वह भी, पानी में पैर रखने के साथ ही बंद हो जायेगी। अगर स्नायु अकड़ गये हों या शरीर दर्द कर रहा हो तो यह उपाय करके देखिए।
- इसका कोई साइड इफैक्ट नहीं है और यह उपाय सरल रूप से किया जा सकता है।
- यह उपाय पांच दिन करना है। यह उपाय दिखने में तो सरल लगता है मगर इस का रिज़ल्ट बहुत ही अच्छा और असरदार होता है।
(नोट-यह सिर्फ एक उपाय है। अधिक तकलीफ हो तो डॉक्टर की सलाह लें।
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खानपान में हुए बदलाव की वजह से लोगों को कमजोरी और थकान जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं। दरअसल, कुछ लोगों को खून की कमी का भी सामना करना पड़ता है। यह समस्या महिलाओं में देखने को मिलती है। लेकिन, खून की कमी (एनीमिया) महिला या पुरुष किसी को भी हो सकती है। खून की कमी होने के कई कारण हो सकते हैं। इस समस्या में रक्त में मौजूद रेड ब्लड सेल्स कम होने लगते हैं। रक्त में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं, रेड ब्लड सेल्स और व्हाइट ब्लड सेल्स। डाइट में बदलाव करके आप खून की कमी को आसानी से दूर कर सकते हैं।
खून की कमी होने पर डाइट में शामिल करें ये ड्राई फ्रूट्सकिशमिशकिशमिश खून की कमी को दूर करने के लिए बेहतरीन ड्राई फ्रूट मानी जाती है। यह आयरन, कॉपर और विटामिन बी से भरपूर होती है, जो लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इसमें मौजूद आयरन हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में मदद करती है और ब्लड में ऑक्सीजन के लेवल को बढ़ाता है। आप किशमिश को दूध में भिगोकर सेवन कर सकते हैं।खजूरखजूर में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें मौजूद आयरन, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट एनीमिया की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। हीमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए आयरन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विटामिन-सी आयरन के अवशोषण को बढ़ाता है। इसकी वजह से खजूर शरीर में आयरन के स्तर को बढ़ाने के लिए एक बेहतर सोर्स माना जाता है। खजूर को आप नाश्ते के साथ या स्मूदी के साथ ले सकते हैं।खुबानीखून की कमी होने पर आप खुबानी को भी डाइट में शामिल कर सकते हैं। रोजाना 5 से 6 खुबानी के सेवन से एनीमिया की समस्या को कम किया जा सकता है। इसमें मौजूद विटामिन ए आपकी इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करती है। साथ ही, यह पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर करते हैं।आलूबुखाराआलूबुखारा बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है। पाचन में सुधार के लिए आप इसका सेवन कर सकते हैं। आलूबुखार ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने के साथ ही रक्त को बढ़ाने में भी मदद करता है।अंजीरअंजीर में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स, आयरन, कॉपर, विटामिन बी, और अन्य मिनरल्स पाए जाते हैं। इसके सेवन से आपको खून की कमी दूर होती है। इससे हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है। इसके लिए आप पानी या दूध में रोजाना दो से चार अंजीर भिगोकर खा सकते हैं। इससे आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है।इसके अलावा भी दूसरे ड्राईफ्रूट्स को डाइट में शामिल करके आप कई तरह के रोगों से बचाव कर सकते हैं। ड्राई फ्रूट्स में मौजूद विटामिन और मिनरल्स रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करते हैं। खून की कमी को दूर करने के लिए आपको डाइट के साथ ही लाइफस्टाइल में बदलाव करने की भी सलाह दी जाती है। यदि, शरीर में खून की कमी ज्यादा है, तो ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। - बारिश की वजह से कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। इस मौसम में हवा में मौजूद नमी के कारण बैक्टीरिया ज्यादा पनपते हैं, जिसकी वजह से भी बीमारियों का खतरा रहता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो बारिश के मौसम में मच्छर जनित (मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियां) और मानसूनी बुखार का खतरा ज्यादा रहता है। मानसूनी बुखार और डेंगू के लक्षण एक जैसे ही दिखते हैं। लेकिन इसमें अंतर को पहचानना बहुत जरूरी है, ताकि मरीज को सही इलाज मिल सके। मानसूनी बुखार और डेंगू में क्या अंतर होते हैं और इसकी पहचान कैसे की जाती है, ।मानसूनी बुखार होने पर क्या लक्षण नजर आते हैं?इसकी अवधि आमतौर पर 5-7 दिनों के बीच रहती है। मानसूनी बुखार तेज बुखार, ठंड लगना, सिर दर्द और मांसपेशियों में दर्द के साथ शुरू होता है। लक्षणों में शरीर में दर्द, थकान और कभी-कभी आंत संबंधी गड़बड़ी भी हो सकती है। मानसूनी बुखार के लक्षण आमतौर पर एक या दो दिन नजर आते हैं और धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।डेंगू के लक्षण क्या हैं?-डेंगू मुख्य रूप से 7 से 10 दिनों तक बना रहता है। वहीं, कुछ मामलों में डेंगू को ठीक होने में लंबा वक्त भी लग सकता है। डेंगू होने पर अचानक तेज बुखार, तेज सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, चकत्ते और हल्के रक्तस्राव (जैसे नाक या मसूड़ों से खून आना या आसानी से चोट लगना) जैसे लक्षण नजर आते हैं। डेंगू का गंभीर चरण बीमारी के तीसरे से सातवें दिन से शुरू होता है। इस दौरान मरीज का प्लाज्मा गिर सकता है, जिसकी वजह से कई तरह की गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।मानसूनी बुखार का पता लगाने के लिए मेडिकल टेस्टबारिश के मौसम में आपको हुआ बुखार, मानसूनी बुखार है या नहीं इसका पता लगाने के लिए आप नीचे बताए गए मेडिकल टेस्ट करवा सकते हैं।-ब्लड टेस्ट : संक्रमण और प्लेटलेट के स्तर की जांच के लिए कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट।-मूत्र परीक्षण: मूत्र पथ के संक्रमण को दूर करने के लिए मूत्र का परीक्षण किया जाता है।डेंगू का पता लगाने के लिए मेडिकल टेस्ट-एनएस 1 एंटीजन परीक्षण: इस टेस्ट के जरिए बुखार के पहले कुछ दिनों के भीतर ही डेंगू वायरस का पता लगाता है।-आईजीएम और आईजीजी एंटीबॉडी टेस्ट: आईजीएम एंटीबॉडी पहले सप्ताह में दिखाई देते हैं, जबकि आईजीजी एंटीबॉडी बाद के चरण या पिछले संक्रमण का संकेत देते हैं।-पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी): डेंगू की गंभीरता और प्रगति का आकलन करने के लिए प्लेटलेट काउंट और हेमाटोक्रिट स्तरों की नियमित निगरानी की जाती है।इन दोनों में कैसे करें अंतर?मानसूनी बुखार और डेंगू इन दिनों दोनों ही रोग के मामले बढ़ रहे हैं और इनके ज्यादातर लक्षण भी एक जैसे ही होते हैं, इसलिए कुछ अंतरों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। दोनों में बुखार, दर्द और थकान होती है, पर डेंगू में आम तौर पर ये अचानक शुरू होता है और लक्षण बढ़ने के साथ गंभीर शरीर दर्द और चकत्ते होने लगते हैं। डेंगू बुखार के कारण ब्लड प्लेटलेट काउंट में कमी आने लगती है जबकि मानसूनी बुखार में ऐसे दिक्कत नहीं देखी जाती है।
- बरसात में भुट्टा खाना, अधिकतर लोगों को पसंद होता है। इस मौसम में सड़कों के किनारे, ऑफिस के नीचे या फिर मार्केट में अधिकतर लोगों को भुट्टा खाते हुए जरूर देखा जाता है। भुट्टा खाने में बेहद स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। लेकिन, अगर भुट्टे को सही तरीके से न खाया जाए, तो इससे सेहत को नुकसान भी पहुंच सकता है। इसलिए मानसून में भुट्टा खाते समय आपको कुछ सावधानियों को जरूर बरतना चाहिए।मानसून में भुट्टा खाते समय बरतें ये सावधानियां1. ताजा और गर्म भुट्टा ही खाएंमानसून में आपको हमेशा ताजा और गर्म भुट्टे का ही सेवन करना चाहिए। यानी आपको तुरंत पका हुआ भुट्टा खाना चाहिए। दरअसल, पहले से पकाकर रखे हुए भुट्टे में कीटाणु या बैक्टीरिया लग सकते हैं। अगर आप इस भुट्टे को खाएंगे, तो इससे सेहत को नुकसान पहुंच ( सकता है। वहीं, गर्म और ताजे भुट्टे में पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह सेहत के लिए फायदेमंद होता है।2. सही मसालों का इस्तेमाल करेंभुट्टे का स्वाद बढ़ाने के लिए अक्सर लोग मसालों का उपयोग करते हैं। मानसून में आपको ज्यादा गर्म मसालों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। आप भुट्टे पर नमक या नींबू का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, गर्म मसाले खाने से आपको एसिडिटी की समस्या हो सकती है। इसलिए मसालों का सीमित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए। इससे भुट्टे का स्वाद भी बना रहेगा और सेहत को भी लाभ मिलेगा।3. अच्छी तरह पका हुआ भुट्टा ही खाएंमानसून में अधपका या कच्चा भुट्टा खाने से पूरी तरह बचना चाहिए। दरअसल, अधपका या कच्चा भुट्टा खाने से संक्रमण का जोखिम बढ़ सकता है। आपको अच्छी तरह पका हुआ भुट्टा ही खाना चाहिए। आप भुट्टे को भूनकर, पकाकर या फिर ग्रिल करके खा सकते हैं। इससे भुट्टे में मौजूद हानिकारक तत्व नष्ट हो जाएंगे और सेहत को नुकसान नहीं होगा।4. सीमित मात्रा में सेवन करेंअक्सर लोग स्वाद की वजह से मानसून में भुट्टे का अधिक मात्रा में सेवन कर लेते हैं। जबकि ज्यादा भुट्टा खाने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल, भुट्टे में फाइबर अधिक होता है, जो पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए मानसून में सीमित मात्रा में ही भुट्टे का सेवन करना चाहिए।5. पकाने से पहले अच्छी तरह धो लेंभुट्टे को पकाने से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए। दरअसल, भुट्टे पर धूल-मिट्टी काफी लगी होती है। ऐसे में भुट्टे पर जमी मिट्टी निकालने के लिए पानी से अच्छी तरह धो लें। आप चाहें तो भुट्टे को थोड़ा गर्म पानी में साफ कर सकते हैं। इससे बैक्टीरिया आसानी से नष्ट हो जाएंगे।6. हाथों की भी सफाई रखेंभुट्टे को खाने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छी तरह साफ जरूर करें। दरअसल, गंदे हाथों से भुट्टा खाने से बैक्टीरिया या वायरस शरीर में जा सकते हैं। इससे आपकी तबीयत खराब हो सकती है। गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को भुट्टा खाने के दौरान खासतौर पर सावधानी बरतनी चाहिए।
- डायबिटीज के मरीज अगर अपने खानपान में सुधार नहीं करते हैं तो इससे उनके शरीर में ब्लड शुगर लेवल बिगड़ सकता है, जिससे कई और समस्याएं हो सकती हैं। डायबिटीज का अब तक कोई परमानेंट इलाज नहीं है लेकिन इस गंभीर बीमारी को लाइफस्टाइल में बदलाव करके और सही खानपान के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है। इस लेख में जानेंगे डायबिटीज के मरीजों को कौन-से आटे की रोटियां खानी चाहिए?डायबिटीज में किसकी रोटी खानी चाहिए?राजगिरा आटाराजगिरा का इस्तेमाल कई घरों में व्रत के दौरान किया जाता है। राजगिरा को रामदाना (Ramdana) और अमरंथ (Amaranth) भी कहा जाता है। राजगिरा का आटा डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले राजगिरा के आटे में कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा होती है, ऐसे में यह आटा शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। राजगिरा के आटे से रोटी, चीला आदि बनाए जा सकते हैं। इसके अलावा इससे बने दलिया और लड्डू भी हेल्दी और स्वादिष्ट होते हैं।रागी आटारागी को मंडुआ भी कहा जाता है, इसके आटे (mandua ka atta) की रोटी डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। पहाड़ों पर रागी का इस्तेमाल खाने में कई अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। रागी में कैल्शियम और आयरन के साथ फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अच्छी होती है। इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और भूख कम लगती है। रागी के आटे से रोटी के अलावा डोसा, चीला और लड्डू भी बनाए जा सकते हैं। डायबिटीज के मरीज शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए रागी के आटे को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं, इससे उन्हें अनेक फायदे मिल सकते हैं।जौ आटाडायबिटीज के रोगियों को ब्लड शुगर लेवल के साथ अपने वजन को भी कंट्रोल में रखना होता है, ऐसे में जौ का आटा उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, आयरन, मैग्नीशियम के साथ कैल्शियन और प्रोटीन से भरपूर जौ का आटा डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। जौ में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जिससे लंबे समय तक पेट भरा रहता है। वजन कंट्रोल करने के लिए भी जौ का आटा फायदा कर सकता है।
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मेथी दाने के निरन्तर उपयोग से आपको बालों को झड़ने ,टूटने और निर्जीव होने जैसी परेशानी से छुटकारा मिल सकता है । मेथी दाने में आयरन, जिंक, हेल्दी फैट और प्रोटीन पाए जाते हैं जो बालों को भरपूर पौषण प्रदान करते हैं । इसमें एंटी फंगस और एंटी इन्फ्लामेट्री तत्व होते हैं जो बालों को घना और लम्बा बनाते हैं। मेथी के दानों में फॉलिक एसिड, विटामिन ए, विटामिन के और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।जिससे बाल घने ,मुलायम और लम्बे होते हैं । आयुर्वेद में बालों की समस्यायों के लिए मेथी दाने के उपयोग की सलाह दी जाती है। हम आपको बताते हैं कि किन मेथी के दानों को किन तरीकों से आप आज़माकर अपने बालों को खूबसूरत और घने बना सकते हैं।
-मेथी के दानों को पतले बालों पर लगाने के लिए आधा कप नारियल के तेल में 2 चम्मच मेथी के दाने डालकर तब तक पकाएं जब तक मेथी दान लाल न हो जाये / इस तेल को ठण्डा होने के बाद अच्छी तरह खोपड़ी पर लगाएं ताकि तेल बालों के छिद्रों में अच्छी तरह पहुंच जाये । इससे स्कैल्प का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा जिससे बाल स्वस्थ होंगे और घने और चमकीले बनेंगे ।-मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगो दें। फिर इन दानों को ब्लेंडर में पीसकर बारीक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अपने स्कैल्प और बालों में लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें और फिर बालों को किसी माइल्ड शैंपू से धो लें । इससे बाल मजबूत ,चमकीले और कोमल बनते हैं । वे स्कैल्प को हाइड्रेशन भी प्रदान करते हैं, जिससे रूखापन और खुजली कम होती है।-दो तीन चमच्च मेथी को दूध में भिगो कर रात भर रखें । सुबह इनका पेस्ट बना कर बालों में लगा लें और एक घण्टे बाद गुनगुने पानी से धो लें । इससे आपके बाल चमकदार और आकर्षक होंगे ।-मेथी को पानी में भिगो दें और उसे रात भर के लिए रखें। इस पानी को सुबह बालों पर लगाएं और उसे एक घंटे तक रखें। फिर बालों को ठंडे पानी से धो लें। इससे बाल मजबूत होंगे और उनमें शाइन आएगी।-हेयर फॉल रोकने के लिए दो तीन चमच्च मेथी दाने को एक कप पानी में रातभर के लिए भिगा देंऔर सुबह इन्हें गैस पर उबाल लें। ठण्डा होने के बाद मेथी दाने को ब्लेंडर में पीस कर इसका पेस्ट बना लें ।मेथी दाना के बचे हुए पानी में थोड़ी सी गुड़हल की पत्तियां और फूल डालकर पेस्ट बना लें । पेस्ट और पानी को मिक्स कर तैयार हुए पेस्ट को स्कैल्प पर लगाकर एक घण्टा तक छोड़ दें और इसके बाद हल्के गर्म पानी और माइल्ड शैंपू से बालों को धो लें। इस हेयर मास्क को सप्ताह में दो बार लगाएं।-मेथी के पाउडर को हेयर मास्क के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।-मेथी के पाउडर को दही या शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया लें । पेस्ट को अपने स्कैल्प और बालों की जड़ों आहिस्ता आहिस्ता लगा कर एक घण्टे बाद ताजे पानी से धो डालें । - दांतों में दर्द होना एक आम समस्या है। अधिकतर लोगों को जीवन के किसी न किसी पड़ाव में दांतों में दर्द की समस्या होती ही है। दांतों के दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे मसूड़ों में जलन, मसूड़ों का फूलना, दांतों में कीड़े लगना, दांत कमजोर होना आदि। इस लेख में हम जानेंगे कि दांतों की समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक औषधि एकमेला ओलेरासिया- अकरकरा का उपयोग कैसे कर सकते हैं।दांत दर्द के लिए एक्मेला ओलेरासिया के फायदे -दांतों के दर्द को कम करेंएक्मेला ओलेरासिया दांतों के दर्द को कम करने में सहायक होती हैं। दरअसल, इसके उपयोग से दांतों के आसपास के हिस्से में सुन्नता आती है। जिससे कुछ समय के लिए दांतों में दर्द कम हो जाता है। जिन लोगों को दांतों में तेज दर्द है, वह इस औषधि का इस्तेमाल कर सकते हैं।सूजन रोधी गुणदांत दर्द अक्सर सूजन के साथ होता है। ऐसे में आप एक्मेला ओलेरासिया का उपयोग कर सकते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जो प्रभावित दांत और उसके पास के मसूड़ों की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। इसके इस्तेमाल से ओरल हेल्थ बेहतर होती है।एंटी-बैक्टीरियल गुणएक्मेला ओलेरासिया दांत के दर्द को सुन्न करने के साथ ही बैक्टीरिया की वजह से होने वाले इंफेक्शन को भी दूर करता है। दांतों में होने वाले बैक्टीरियल फंगल को दूर करने के लिए आप एक्मेला ओलेरासिया का उपयोग कर सकते हैं। इससे दांतों के इलाज में मदद मिलती है।दांत दर्द से राहत के लिए एक्मेला ओलेरासिया का उपयोग कैसे करेंऔषधि का अर्कदांतों के दर्द से राहत पाने के लिए आप एक्मेला ओलेरासिया के पौधे का अर्क निकाल कर उसे दांतों पर लगा सकते हैं। इससे दांतों का दर्द कम होता है और कुछ समय के लिए प्रभावित दांत सुन्न हो जाता है।पत्तियों के पानी से गरारे करेंएक्मेला ओलेरासिया के सूखे पत्तों का इस्तेमाल आप गरारे के लिए कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप दो कप गर्म पानी में एक्मेला ओलेरासिया के सूखे पत्तों को डालकर पानी को उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर कप में डालें। इसके बाद आप इस पानी से गरारे कर सकते हैं।तेल के साथ उपयोग करेंएक्मेला ओलेरासिया की पत्तियों के अर्क को आप लौंग के तेल में मिलाकर दांतों पर लगाएं इससे दांतों का दर्द कम होता है। साथ ही, दांतों के पास मसूड़ों की सूजन को भी कम करने में मदद मिलती है।दांतों के दर्द को कम करने के लिए आप एक्मेला ओलेरासिया का उपयोग कर सकते हैं। इस औषधि का उपयोग करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। कई बार दांतों में सड़न और दांत इतना खराब हो जाता है कि उसे निकलवाने का जरूरत होती है। ऐसे में आपको डॉक्टर की सलाह के बाद ही किसी भी औषधि का इस्तेमाल करना चाहिए।
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शुगर या चीनी खाना सेहत के लिए कितनी हानिकारक होती है, यह तो सभी को पता है। चीनी खाने से न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता बल्कि, इससे मेंटल हेल्थ भी गड़बड़ हो सकती है। इससे आप मोटापे का शिकार हो सकते हैं। आमतौर पर खाए जाने वाले अमूमन पदार्थों में चीनी का इस्तेमाल ज्यादा मात्रा में किया जाता है। इससे शरीर में तरह-तरह की बीमारियां होने लगती हैं। आइये जानते हैं दिमाग के लिए नुकसानदायक कुछ चीनी के बारे में।
सफेद चीनीसफेद चीनी या रिफाइंड व्हाइट शुगर का सेवन करना दिमाग के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे ब्लड शुगर लेवल के साथ-साथ मूड स्विंग की समस्या हो सकती है। इसका सेवन करना आपके कॉग्निटिव फंक्शन्स पर भी असर डाल सकता है, जिससे कई बार दिमाग की क्षमता कम हो सकती है।हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरपहाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप कई खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। इससे शरीर में सूजन और ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इसे ज्यादा मात्रा में लेने से आपके दिमाग पर प्रभाव पड़ सकता है। कई बार इसका सेवन ज्यादा करने से दिमाग की सेल्स नष्ट होने लगती हैं, जिससे दिमाग ठीक तरीके से काम नहीं करता है।आर्टीफिशियल स्वीटनरकुछ स्टडी की मानें तो आर्टीफिशियल स्वीटनर खाने से कई बार नर्व्स डैमेज भी हो सकती हैं। इससे आपके मूड पर बुरा असर पड़ता है। बेशक ये कैलोरी में लो हों, लेकिन इसे खाने से मोटापा बढ़ सकता है, जिससे कई बार ब्रेन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। यह स्वीटनर आमतौर पर कोल्ड ड्रिंक, सॉफ्ट ड्रिंक और शराब आदि में पाया जाता है।ब्राउन शुगरआमतौर पर लोगों को लगता है कि ब्राउन शुगर एक हेल्दी विकल्प है। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है। ब्राउन शुगर व्हाइट शुगर के मुकाबले कम नुकसानदायक जरूर हो सकती है। लेकिन इसे खाने से भी शरीर में सूजन बढ़ती है और ब्लड शुगर लेवल पर भी असर पड़ता है। इससे धीरे-धीरे आपके ब्रेन पर भी असर पड़ सकता है। -
स्ट्रेस और एंग्जाइटी सामान्य स्थिति है, जो नकारात्मक परिस्थितियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। हालांकि यदि आपको अक्सर ही तनाव बना रहता है तो इसपर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी हो जाता है। ज्यादा तनाव लेने से सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक असर होने लगता है।
तनाव होना जीवन के अनुभवों के प्रति एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। ये समस्या किसी को भी हो सकती है। काम और परिवार जैसी रोजमर्रा की जिम्मेदारियों से लेकर जीवन की गंभीर घटनाओं जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु तक कुछ भी तनाव को ट्रिगर कर सकता है। वैसे तो तत्काल या अल्पकालिक स्थितियों के लिए तनाव आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है हालांकि अगर अक्सर ही ये समस्या बनी रहती है तो सावधान हो जाने की जरूरत है।
लंबे समय तक बने रहने वाले मानसिक तनाव को आमतौर पर डिप्रेशन जैसी समस्याओं का कारक माना जाता है पर क्या आप जानते हैं कि ये हृदय रोग, प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या, पाचन विकारों का भी कारण बन सकती है?
तनाव की स्थिति का शरीर पर असर
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, जब आप तनाव महसूस करते हैं, तो शरीर कुछ खास हार्मोन्स रिलीज करता है। हार्मोन वे रासायनिक संकेत हैं जिनका उपयोग आपका शरीर पूरे शरीर के सिस्टम को यह बताने के लिए करता है कि किस समय क्या करना है? तनाव प्रतिक्रिया के दौरान, आपका शरीर हृदय गति, श्वास दर और रक्तचाप को बढ़ाकर समस्या से निपटने के लिए प्रयास करता रहता है।
हो सकती है पाचन की समस्या
तनाव के दौरान आपका लिवर शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का उत्पादन करने लगता है। अगर आप लगातार तनाव में हैं, तो आपका शरीर इस अतिरिक्त ग्लूकोज की वृद्धि को नियंत्रित करने में विफल हो जाता है जिससे टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है। इसी तरह स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल बढ़ने से तेजी से सांस लेने और हृदय गति का बढ़ने का भी खतरा रहता है जिससे आपके पाचन तंत्र पर असर सकता है। पेट में एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण आपको हार्टबर्न या एसिड रिफ्लक्स होने की दिक्कत अधिक हो सकती है।
श्वसन और हृदय प्रणाली पर असर
स्ट्रेस हार्मोन की अधिकता आपके श्वसन और हृदय प्रणाली को प्रभावित करने लगती है। तनाव प्रतिक्रिया के दौरान, आपका शरीर ऑक्सीजन युक्त रक्त को तेजी से वितरित करने के प्रयास में तेजी से सांस लेने का संकेत देता है। ऐसे में जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा या सांस लेने की समस्या है, उनके लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इसके अलावा तनाव के दौरान आपका दिल भी तेजी से धड़कता है। स्ट्रेस हार्मोन की अधिकता रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकती है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने और हृदय रोगों की अन्य समस्याओं का भी खतरा हो सकता है।
लंबे समय तक बने रहने वाले तनाव का असर
लगातार बनी रहने वाली तनाव की स्थिति कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि अवसाद, चिंता और व्यक्तित्व विकार।
हृदय रोग और इसके कारक जैसे उच्च रक्तचाप, असामान्य हृदय गति, दिल का दौरा और स्ट्रोक।
मोटापा और खाने के अन्य विकार।
मासिक धर्म संबंधी समस्याएं।
यौन रोग जैसे कि पुरुषों में नपुंसकता और शीघ्रपतन और महिलाओं में यौन इच्छा में कमी।
त्वचा और बालों की समस्याएं जैसे कि मुंहासे होना, एक्जिमा और स्थायी रूप से बालों का झड़ना।
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मानसून के दिनों में अक्सर लोगों के जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ जाती है। ऐसा ज्यादातर बुजुर्ग लोगों के साथ होता है या जिनकी हड्डियां कमजोर हैं, उन्हें इसकी शिकायत रहती है। हालांकि, आपको लग सकता है कि भला मानसून और जोड़ों के दर्द का आपस में क्या संबंध है? लेकिन, मानसून में ह्यूमीडिटी ज्यादा होती है। इस मौसम की वजह से ब्लड थोड़ा थिक या गाढ़ा हो जाता है, जिस वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इस तरह की सिचुएशन में हमारे शरीर को ओवर मेहनत करनी पड़ती है, जिससे बॉडी डिहाइड्ेट हो सकती है। यही कारण है कि जोड़ों के आसपास मौजूद फ्लूइड का जमाव कम हो जाता है। नतीजतन, जिन लोगों को पहले से ही ज्वाइंट पेन रहता है, उनका दर्द बढ़ जाता है। मौजूद है मानसून के कारण हो रहे जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए डाइट टिप्स।
मानसून के कारण हो रहे जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए क्या खाएं-खाएं अदरकमानसून के दिनों में लगभग हर दूसरे घर में अदरक की चाय बनती है। माना जाता है कि अदरक की चाय पीने से सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियां दूर रहती हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं, जो अर्थराइटिस के के कारण हो जोड़ों में आई स्टिफनेस को दूर करने और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यहां तक कि जोड़ों के दर्द के कारण आई सूजन से भी राहत मिलती है।लहसुन का सेवन करेंअक्सर आपने सुना होगा कि हाथ-पांव में दर्द हो, तो लहसुन को सर्सों के तेल में हल्का गुनगुना करके इससे मालिश करनी चाहिए। इससे हाथ-पैरों में हो रहा दर्द छूमंतर हो जाता है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? असल में लहसुन में कई ऐसे तत्व होते हैं, जो कार्टिलेज को डैमेज होने से रोकता है और जोड़ों में आई सूजन को कम करने में भी अहम भूमिका निभाता है। मानसून के दिनों में इसे अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।ग्रीन-टी पिएंग्रीन-टी कई तरह के गुणों से भरपूर है। ग्रीन-टी का सेवन करने से वजन संतुलित रहता है, त्वचा में निखार आता है और इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है। मानसून के दिनों में ग्रीन-टी को अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। इसमें पोलिफेनल और एंटी-ऑक्सीडेंट्स जैसे तत्व होते हैं, जो सूजन को कम करते हैं और बढ़ती उम्र के कारण हो रही कार्टिलेज की क्षति की गति को धीमा करने में मदद करता है।एवोकाडो खाएंएवोकाडो बेहतरीन फलों में से एक है। इसमें हेल्दी फैट होता है। इसका सेवन करने से वजन नहीं बढ़ता है। इसके उलट, इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं, जो अर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द को सीमित करने में मदद करते हैं। असल में, एवोकाडो में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं। इसकी वजह से शरीर की सूजन कम होती है, जो जोड़ों पर पड़ रहे दबाव को कम करने में मदद करती है। इससे मानसून के कारण हो रहे जोड़ों के दर्द से राहत भी मिलती है।हल्दी का सेवन करेंहमारे यहां लगभग हर घर में हल्दी का सेवन किया जाता है। हल्दी कई तरह के तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। आपने अक्सर देखा होगा कि मौसम बदलते ही कई घरों में हल्दी दूध का सेवन किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है। इसमें खासकर, कर्क्युमिन पाया जाता है। यह ज्वाइंट पेन को कम करता है और जोड़ों में आई सूजन से भी राहत दिलाता है। अर्थराइटिस के मरीजों को हल्दी का सेवन जरूर करना चाहिए। - आपने अपने बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि रोज बादाम खाया करो, याददाश्त तेज हो जाएगी। बादाम खाने से त्वचा भी स्वस्थ रहती है। बादाम एक ऐसा ड्राई फ्रूट है जिसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन , मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के बेहतर कामकाज के लिए जरूरी हैं। रोजाना बादाम खाने से दिमाग और दिमाग तंदरुस्त रहते हैं।कच्चा या भिगाकर, बादाम का कई तरीकों से सेवन किया जाता है। बादाम का इस्तेमाल कई तरीके व्यंजनों में भी किया जाता है। अक्सर लोग बादाम को कच्चा या किसी खाने में डालकर खाते हैं। बादाम गर्मियों में भी फायदा पहुंचाता है लेकिन ज्यादातर लोग इसका गलत तरीके से सेवन करते हैं। बादाम से ज्यादा ताकत और पोषण पाने के लिए आपको इसके सही उपयोग और सेवन का सही तरीका पता होना चाहिए।बादाम खाने के फायदे-बादाम विटामिन, मिनरल्स हेल्दी फैट से भरपूर होते हैं। इनमें विटामिन E, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइबर, और मोनोअनसैचुरेटेड फैट (जैसे कि ओमेगा-3) प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।-बादाम में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैट और फाइबर कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।-बादाम ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं, जो डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।-बादाम फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होते हैं जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराते हैं और वजन कम करने में मदद कर सकते हैं।-बादाम विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत हैं जो दिमाग को तेज करने और याददाश्त और एकाग्रता में सुधार करने में मदद करते हैं।-बादाम में मैग्नीशियम और कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाने और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करता है।-बादाम विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत हैं जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार रखने और बालों को मजबूत और घना बनाने में मदद करते हैं।-बादाम में फाइबर होता है जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और कब्ज को रोकने में मदद करता है।भीगे बादाम खाएंएक्सपर्ट के अनुसार, अधिकतर लोग कच्चे बादाम खाते हैं और भर भरकर खाते हैं। बादाम से ज्यादा पोषक तत्व लेने के लिए आपको इन्हें भिगोकर खाना चाहिए। बादाम को भिगोने से पोषक तत्व और गुण बढ़ जाते हैं और सबसे बड़ी बात इनकी विषाक्ता भी कम हो जाती है।योगर्ट पारफेट बनाएंबादाम और योगर्ट मिलाकर आप एक परफेक्ट पारफेट बना सकते हैं। यह न केवल एक टेस्टी स्नैक है बल्कि प्रोटीन, प्रोबायोटिक्स और एंटीऑक्सीडेंट का बेहतरीन सोर्स भी है।कैंडी बार बनाकर खाएंबादाम एनर्जी का बेहतरीन सोर्स है। यह न केवल आपको एक्टिव रखता है, बल्कि शरीर में ऊर्जा की कमी को भी पूरी करता है। इसलिए आप बादाम का सेवन कैंडी बार के रूप में कर सकते हैं। बादाम को पीसकर, उसमें नारियल, खजूर और शहद मिलाकर कैंडी बार बनाएं।फ्राइड सब्जी में करें उपयोगआप अपने भोजन में भी बादाम को शामिल कर सकते हैं। तली भुनी सब्जियों में बादाम को फ्राई करके डालें। इससे खाने में कुरकुरा बना रहेगा और सब्जी भी स्वादिष्ट बनेगी।बादाम के मक्खन का विकल्प चुनेंअगर आप कच्चे बादाम नहीं खा सकते, तो आल्मंड बटर का ऑप्शन चुनें। सुबह होल ग्रेन टोस्ट पर इसे लगाकर खा सकते हैं। बादाम के मक्खन में प्रोटीन और हेल्दी फैट का कॉम्बिनेशन आपको भरा हुआ और संतुष्ट महसूस करता है।डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- आज दुनियाभर के लोगों कई किस्म की कॉफी पीना पसंद करते हैं। यही वजह है कि कुछ लोग कॉफी के बिना अपने दिन की शुरुआत नहीं करते हैं। कॉफी पीने के अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद इसे पीने वालों की संख्या में किसी भी तरह की गिरावट नहीं देखने को मिलती है। हालांकि, कॉफी पीना सेहत के लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक यह लंबे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। कई विशेषज्ञ बताते हैं कि कॉफी में मौजूद कैफीन ब्लड वैसल्स (नसों) को सिकोड़ने का काम कर सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर की संभावना बढ़ सकती है।क्या ब्लैक कॉफी हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद होती है?कॉफी या ब्लैक कॉफी में बायोएक्टिव कंपाउंड, जिनमें कैफीन, क्लोरोजेनिक एसिड (chlorogenic acids) और डाइटरपेन्स (diterpenes) शामिल होते हैं। स्टडी के अनुसार कैफीन (vasoconstrictor) वाहिका संकुचन (नसों को सिकोड़ना) की तरह कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह नसों के आकार को कम करता है और ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है। इसके अलावा, कैफीन ब्रेन में विभिन्न रिसेप्टर्स पर अपना प्रभाव डालता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कॉफी में मौजूद अन्य कम्पाउंड, जैसे कि एंटीऑक्सीडेंट नसों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। ऐसे में ब्लैक कॉफी हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद हो सकती है या नहीं, यह रिसर्च का विषय है।लंबे समय तक कॉफी पीने के क्या प्रभाव हो सकते हैं?कॉफी के प्रभावों को जानने के लिए बीते वर्षों में एक रिव्यू किया गया। इसमें शोधकर्ता ने पाया कि रोजाना करीब 7 कप कॉफी पीने के वालों में हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम 9 प्रतिशत तक कम हो सकता है, जबकि जो लोग रोजाना एक कप कॉफी पीते हैं, उनको ब्लड प्रेशर का जोखिम करीब एक फीसदी तक कम होता है। इस वजह से कहा जा सकता है कि कॉफी पीने के अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट कहते हैं कि जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या है, उनको ब्लैक कॉफी पीते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यह ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का काम कर सकती है।हाई ब्लड प्रेशर में ब्लैक कॉफी पीते समय क्या सावधानी बरतें?ब्लड प्रेशर की जांच करें: यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर है और आप ब्लैक कॉफी पीते हैं, तो ऐसे में आप नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर की जांच करें, ताकि कॉफी से आपकी सेहत पर पड़ने वाले प्रभावों का पता चल सकेगा।समय का ध्यान रखें: कॉफी पीते समय का ध्यान जरूर दें। रात के समय कॉफी पीने से बचें, यह आपकी नींद में खलल डाल सकती है। इससे आपको ब्लड प्रेशर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।डिकैफिनेटेड कॉफी खरीदें: बाजार में कई तरह की कॉफी उपलब्ध है। यदि, आपको कॉफी पीना पसंद है, तो ऐसे में आप डिकैफिनेटेड कॉफी खरीदें। इससे कैफीन से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।ब्लैक कॉफी में मौजूद कैफीन ब्लड प्रेशर में वृद्धि का कारण बन सकता है। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही ब्लैक कॉफी या अन्य कॉफी का सेवन करना चाहिए। जिनका ब्लड प्रेशर लो है, उनके लिए ब्लैक कॉफी फायदेमंद हो सकती है।
- कई लोग दो से तीन मसालों को पानी में भिगोकर सेवन करते हैं। लेकिन क्या दो से तीन मसालों का पानी एक साथ लेना सेफ होता है? क्या इससे शरीर में साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं? एक्सपर्ट कहते हैं कि दो मसालों वाला पानी एक साथ पीना सेफ है। जीरा और धनिया, अदरक और हल्दी, या सौंफ और इलायची जैसे मसालों को अगर आप पानी में एक साथ लेते हैं, तो इससे शरीर को कई फायदे होते हैं। ये कॉम्बिनेशन पाचन स्वस्थ रखने और बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। अगर शरीर में पित्त-दोष असंतुलित हैं, तो ऐसे में भी यह कॉम्बिनेशन फायदेमंद है।हर किसी के लिए इसका असर अलग-अलग हो सकता है। अगर आपको किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है, तो किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही कोई भी कॉम्बिनेशन ट्राई करें। क्योंकि लंबे समय में यह शरीर की प्रकृति को नुकसान कर सकता है।आयुर्वेद के अनुसार, कौन से मसालों का कॉम्बिनेशन ज्यादा फायदेमंद है?आयुर्वेद में सुंथी, मिरी और पिपली के कॉम्बिनेशन को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। ये तीन मसाले दोषों को संतुलित करने में मदद करते हैं। पाचन क्रिया को तेज करते हैं और पेट को स्वस्थ रखते हैं। पाचन में सुधार करने के अलावा लिवर को हेल्दी रखने में भी ये मसाले फायदेमंद होते हैं। इससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम कर पाता है। इसके अलावा, ये कॉम्बिनेशन पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। ये बॉडी को डिटॉक्स भी करता है, जिससे अन्य बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।आयुर्वेद के अनुसार कौन-से मसाले एक साथ इस्तेमाल नहीं करने चाहिए?आयुर्वेद के अनुसार विपरीत गुणों और तासीर वाले मसालों को एक साथ नहीं मिलाना चाहिए। उदाहरण के लिए, सौंफ जैसे ठंडे मसालेद को मीठी चीनी जैसे भारी मिठास के साथ नहीं मिलाना चाहिए। क्योंकि इससे पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, लहसुन और प्याज जैसे गर्म मसालों को धनिया या सौंफ जैसे ठंडे मसालों के साथ नहीं मिलाना चाहिए। क्योंकि अलग-अलग तासीर वाले मसाले हार्मोन्स को असंतुलित कर सकते हैं। वहीं दूध को इमली या मेथी जैसे खट्टे या नमकीन मसालों के साथ नहीं मिलाना चाहिए।क्या सौंफ और दालचीनी मिला पानी पीना ठीक है?जी हां, दालचीनी और सौंफ वाला पानी सेहत के लिए फायदेमंद है। दोनों मसालों में गर्मी होती है। यह शरीर में एक साथ बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं। जब रात के खाने या दोपहर के भोजन के बाद इसका सेवन किया जाता है, तो यह शरीर में अतिरिक्त कफ कम करने में मदद मिलती है। इससे पाचन क्रिया भी बेहतर होती है और पाचन संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। दालचीनी ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करती है। जबकि सौंफ पाचन तंत्र को शांत रखती है और सूजन कम करती है। इन दोनों मसालों को साथ में लेने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है।