- सती: भगवान शंकर की पहली पत्नी। अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने वाली इन देवी का माहात्म्य इतना है कि उसके बाद पति परायण सभी स्त्रियों को सती की ही उपमा दी जाने लगी।
- साध्वी: ऐसी स्त्री जो आशावादी हो।
- भवप्रीता: जिनकी भगवान शिव पर अगाध प्रीति हो।
- भवानी: समस्त ब्रह्माण्ड ही जिनका भवन हो।
- भवमोचनी: संसार बंधनों से मुक्त करने वाली।
- आर्या: देवी, पुरुषश्रेष्ठ की पत्नी।
- दुर्गा: दुर्गमासुर का वध करने वाली, अपराजेय।
- जया: जो सदैव विजयी हो।
- आद्या: सभी का आरम्भ।
- त्रिनेत्रा: तीन नेत्रों वाली।
- शूलधारिणी:शूल को धारण करने वाली।
- पिनाकधारिणी: जो भगवान शिव का धनुष धारण कर सकती हो।
- चित्रा: अद्वितीय सुंदरी।
- चण्डघण्टा: प्रचण्ड स्वर में नाद करने वाली।
- महातपा:अत्यंत कठिन तपस्या करने वाली।
- मन: मानस शक्ति।
- बुद्धि: सर्वज्ञता।
- अहंकारा: अभिमान करने वाली।
- चित्तरूपा: वो जो मनन की अवस्था में है।
- चिता: मृत्युशैय्या के समान।
- चिति: सब को चेतना प्रदान करने वाली।
- सर्वमन्त्रमयी: सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली।
- सत्ता: जो सबसे परे है।
- सत्यानन्दस्वरूपिणी: जो अनन्त आनंद का रूप हो।
- अनन्ता: जिनका कोई अंत नहीं।
- भाविनी: सभी की जननी।
- भाव्या: ध्यान करने योग्य।
- भव्या: भव्य स्वरूपा।
- अभव्या: जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं।
- सदागति: मोक्ष प्रदान करने वाली।
- शाम्भवी: शम्भू (भगवान शंकर का एक नाम) की पत्नी।
- देवमाता: देवताओं की माता।
- चिन्ता: चिंतन करने वाली।
- रत्नप्रिया: जिन्हे आभूषणों से प्रेम हो।
- सर्वविद्या: ज्ञान का भंडार।
- दक्षकन्या: प्रजापति दक्ष की पुत्री।
- दक्षयज्ञविनाशिनी: दक्ष के यज्ञ का विनाश करने वाली।
- अपर्णा: तपस्या के समय पूर्ण निराहार रहने वाली।
- अनेकवर्णा: अनेक रंगों वाली।
- पाटला: रक्तिम (लाल) रंग वाली।
- पाटलावती: लाल पुष्प एवं वस्त्र धारण करने वाली।
- पट्टाम्बरपरीधाना: रेशमी वस्त्र धारण करने वाली।
- कलामंजीरारंजिनी: पायल को प्रसन्नतापूर्वक धारण करने वाली।
- अमेय: जो सीमा से परे हो।
- विक्रमा: अनंत पराक्रमी।
- क्रूरा: दुष्टों के प्रति क्रूर।
- सुन्दरी: अनिंद्य सुंदरी।
- सुरसुन्दरी: जिनके सौंदर्य की कोई तुलना ना हो।
- वनदुर्गा: वन की देवी।
- मातंगी: मतंगा की देवी।
- मातंगमुनिपूजिता: गुरु मतंगा द्वारा पूजनीय।
- ब्राह्मी: भगवान ब्रह्मा की शक्ति का स्रोत।
- माहेश्वरी: महेश की शक्ति।
- इंद्री: देवराज इंद्र की शक्ति।
- कौमारी: किशोरी।
- वैष्णवी: भगवान विष्णु की शक्ति।
- चामुण्डा: चंड और मुंड का नाश करने वाली।
- वाराही: वराह पर सवार होने वाली।
- लक्ष्मी: सौभाग्य की देवी।
- पुरुषाकृति: जो पुरुष का रूप भी धारण कर सके।
- विमिलौत्त्कार्शिनी: आनंद प्रदान करने वाली।
- ज्ञाना: ज्ञानी।
- क्रिया: हर कार्य का कारण।
- नित्या: नित्य समरणीय।
- बुद्धिदा: बुद्धि प्रदान करने वाली।
- बहुला: जो विभिन्न रूप धारण कर सके।
- बहुलप्रेमा: सर्वप्रिय।
- सर्ववाहनवाहना: सभी वाहनों पर सवार होने वाली।
- निशुम्भशुम्भहननी: शुम्भ एवं निशुम्भ का वध करने वाली।
- महिषासुरमर्दिनि: महिषासुर का वध करने वाली।
- मधुकैटभहंत्री: मधु एवं कैटभ का नाश करने वाली।
- चण्डमुण्ड विनाशिनि: चंड और मुंड का नाश करने वाली।
- सर्वासुरविनाशा: सभी राक्षसों का नाश करने वाली।
- सर्वदानवघातिनी: सबके संहार में समर्थ।
- सर्वशास्त्रमयी: सभी शास्त्रों में निपुण।
- सत्या: सदैव सत्य बोलने वाली।
- सर्वास्त्रधारिणी: सभी शस्त्रों को धारण करने वाली।
- अनेकशस्त्रहस्ता: हाथों में अनेक हथियार धारण करने वाली।
- अनेकास्त्रधारिणी: अनेक हथियारों को धारण करने वाली।
- कुमारी: कौमार्य धारण करने वाली।
- एककन्या: सर्वोत्तम कन्या।
- कैशोरी: किशोर कन्या।
- युवती: सुन्दर नारी।
- यति: तपस्विनी।
- अप्रौढा: जो कभी वृद्ध ना हो।
- प्रौढा: प्राचीन।
- वृद्धमाता: जगतमाता, शिथिल।
- बलप्रदा: बल प्रदान करने वाली।
- महोदरी: ब्रह्माण्ड को धारण करने वाली।
- मुक्तकेशी: खुले केशों वाली।
- घोररूपा: भयानक (दुष्टों के लिए) रूप वाली।
- महाबला: अपार शक्ति की स्वामिनी।
- अग्निज्वाला: अग्नि के समान तेजस्विनी।
- रौद्रमुखी: भगवान रूद्र के समान रूप वाली।
- कालरात्रि: रात्रि के समान काले रंग वाली।
- तपस्विनी: तपस्या में रत।
- नारायणी: भगवान नारायण की शक्ति।
- भद्रकाली: काली का रौद्र रूप।
- विष्णुमाया: भगवान विष्णु की माया।
- जलोदरी: ब्रह्माण्ड निवासिनी।
- शिवदूती: भगवान शिव की दूत।
- करली: हिंसक।
- अनन्ता: जिसके स्वरुप का कोई छोर ना हो।
- परमेश्वरी: प्रथम पूज्य देवी।
- कात्यायनी: ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय।
- सावित्री: सूर्यनारायण की पुत्री।
- प्रत्यक्षा: वास्तविकता।
- ब्रह्मवादिनी: हर स्थान पर वास करने वाली।
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- -पंडित प्रकाश उपाध्यायजीवन में हर व्यक्ति सुख-सुविधाओं भरा जीवन बिताना चाहता है। लोग दिन-रात मेहनत करते हैं ताकि उनके धन में दिन-रात वृद्धि हो सके। लेकिन कई बार कुछ लोगों के साथ कड़ी मेहनत व प्रयास करने के बावजूद उन्हें न तो करियर में ग्रोथ मिलती है और न ही आर्थिक सफलता। वास्तु शास्त्र में कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें अपनाने से सामान्य जीवन अच्छा चलता है और आर्थिक लाभ होता है।जानें वास्तु शास्त्र के आसान उपाय वास्तु एक्सपर्ट मुकुल रस्तोगी स-1. सप्ताह या महीने में एक बार खीर बनाकर उसको ईशान कोण या ब्रह्मस्थान में रखकर वास्तु देव को भोग लगाकर रखें, फिर उसे खा लें।2. दक्षिण पश्चिम दिशा में कुछ साबुत जायफल रखें।3. नित्यप्रति कच्चे दूध में काले तिल डालकर शिवलिंग पर चढ़ाएं।4. रोज मंदिर न भी जा पाएं तो मंदिर के ऊपर लगे झंडे का दर्शन करें।5. बुधवार को दोपहर 12 से 1.30 बजे तक कबाड़ निकालना बहुत सारी रुकावटों को दूर करता है।6. किसी के इलाज या दवाइयों का दान या उनके लिए पैसे का दान करना।7. घर या दुकान में विस्तार हमेशा पूर्व या उत्तर की ही दिशा में करना शुभ होता है। दक्षिण दिशा में विस्तार करने से बचें। इस दिशा में विस्तार से हानि की आशंका बढ़ जाती है।8. घर की रसोईको पूर्व उत्तर पूर्व दिशा में नहीं बनाना चाहिए यह झगड़ों का एक बड़ा कारण बनता है।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायवास्तु शास्त्र में जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए वास्तु के नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण माना गया है। मान्यता है कि वास्तु की कुछ गलतियों से जातक को तरक्की के मार्ग पर बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति को ऊर्जा और आत्मविश्वास की कमी महसूस होने लगती है। किसी काम में मन नहीं लगता है। रोजाना जाने-अनजाने में होने वाली गलतियों से लाइफ में चुनौतियां दूर नहीं होती हैं। वास्तु दोष के कारण सफलता मिलते-मिलते नौकरी-प्रमोशन में अवरोध उत्पन्न हो जाते हैं, लेकिन वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखकर तरक्की की राह में आने वाली बाधाओं से बचा जा सकता है।बाधाओं को दूर करने के लिए वास्तु टिप्स :-घर में जूते-चप्पलों को फैलाकर नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि इससे विरोधी आपको परेशान कर सकते हैं।-यदि नहाने के बाद पानी ऐसे ही छोड़ देते हैं, तो यह व्यक्ति के मानसिक तनाव का कारण बन सकती है।-यदि आप पैर घसीटते हुए चलते हैं, तो यह गलती भी सफलता के मार्ग पर बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।-वास्तु के अनुसार, रसोईघर साफ न रखने से व्यक्ति को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।-अगर आपको देर रात तक जागने की आदत हैं, तो इससे चंद्रमा प्रभावित हो सकता है। जिससे जीवन में तनाव और अवसाद उत्पन्न हो जाता है।-कहा जाता है कि अगर आप खाने के बाद जूठी थाली या बर्तन वहीं छोड़ देते हैं, तो यह गलती कार्यों में बाधाएं ला सकती हैं।
- इस साल 12 नवंबर 2024 को देवउठनी एकादशी मनाई जा रही है। इसके साथ ही एक बार फिर से शादियों को सीजन शुरू हो रहा है। साल 2024 के आखिरे दो महीने नवंबर और दिसंबर में शादियों के कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीहरि विष्णुजी आषाढ़ माह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान शादी-विवाह समेत मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। वहीं, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को विष्णुजी योग निद्रा से उठते हैं और इस ही दिन से फिर से शादियों का दौर शुरू हो जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन विष्णुजी की भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप से विवाह करवाया जाता है। साथ ही यह दिन विष्णुजी,मां लक्ष्मी और तुलसी माता की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। नवंबर माह में विवाह के कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।नवंबर में विवाह के शुभ मुहूर्तहिंदू धर्म में शादी-विवाह, सगाई ,गृह-प्रवेश, मुंडन संस्कार समेत सभी मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त देखकर ही किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह के लिए चंद्रमा, सूर्य और गुरु ग्रह की शुभ स्थिति देखकर ही विवाह की तिथि निर्धारित की जाती है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में विवाह करने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। नवंबर माह में 17,18, 23 और 25 तारीख को विवाह के शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। इसके अलावा साल के आखिरी महीने दिसंबर में 2,3,4,6,7,10 , 11 और 14 तारीख को भी विवाह के शुभ मुहूर्त हैं।
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हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का बहुत खास महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु चार महीने का शयन काल पूरा कर के जागते हैं। इसके साथ ही चार महीने से बंद हो चुके शुभ कार्यों का शुभ मुहूर्त फिर से शुरू हो जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को, देवउठनी, देव प्रबोधिनी या देव उत्थान एकादशी का शुभ पर्व होता है। इस वर्ष 12 नवंबर को यह पर्व मनाया जाएगा। इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें तरह-तरह के भोग अर्पित करने का भी नियम है। चलिए जानते हैं देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को भोग में कौन-कौन सी चीजें चढ़ाई जा सकती हैं।
पंचामृत के भोग से प्रसन्न होंगे भगवान विष्णु
भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके बिना भोग अधूरा होता है इसलिए देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग जरूर लगाएं। दूध, दही, शक्कर, घी, शहद और कटे हुए मेवे को मिक्स करके पंचामृत तैयार करें और फिर इसे भगवान विष्णु को भोग में अर्पित करें।
घर की बनी सेंवई चढ़ाए भोग में
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को भोग में आप घर की बनी सेंवई भी अर्पित कर सकती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि प्रसाद में हमेशा मीठी सेंवई ही चढ़ाई जाती है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले कढ़ाई में एक चम्मच घी गर्म कर के, इसमें सेवई को हल्का ब्राउन होने तक भूनें। इसके बाद भगोने में दूध गर्म होने के लिए रखें। अब इसमें भुनी हुई सेंवई, शक्कर और कटे हुए ड्राई फ्रूट्स डालकर पकाएं। इस तरह से भोग के लिए स्वादिष्ट सेंवई बनकर तैयार हो जाएगी।
भगवान विष्णु को लगाएं खीर का भोग
पूजा-पाठ या किसी भी शुभ काम में खीर का प्रसाद बनाना बहुत शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को भोग लगाने के लिए भी आप खीर का प्रसाद बना सकती हैं। खीर बनाने के लिए पहले चावलों को देसी घी में रोस्ट कर लें। इससे काफी अच्छा फ्लेवर आता है। फिर इन्हें उबलते हुए दूध में पकने के लिए रख दें। जब ये हल्का सा पक जाएं तो ऊपर से ड्राई फ्रूट्स, केसर और शक्कर डाल दें और पूरी तरह से पकने के लिए छोड़ दें। इस तरह से भोग के लिए टेस्टी खीर बनकर तैयार हो जाएगी।
भोग में चढ़ा सकते हैं सूजी का हलवा
देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को सूजी के हलवे का भी भोग लगाया जा सकता है। किसी भी पूजा-पाठ में प्रसाद के लिए सूजी का हलवा बनाना भी बहुत शुभ होता है। ये खाने में भी स्वादिष्ट होता है और इसे बनाना भी आसान होता है। सूजी का हलवा बनाने के लिए सबसे पहले सूजी को देसी घी में हल्का ब्राउन होने तक भूनें। इसके बाद इसमें इसमें पानी डालकर चम्मच से चलाते हुए पकाएं। जब इसका आधा पानी सूख जाए, तो इसमें स्वादानुसार चीनी और ड्राई फ्रूट्स डालकर, तब तक पकाएं जब तक पानी पूरी तरह से सूख ना जाए। इस तरह से भोग के लिए सूजी का टेस्टी हलवा बनकर तैयार हो जाएगा।
भोग में जरूर चढ़ाएं फल
किसी भी पूजा-पाठ में भगवान को फल जरूर चढ़ाए जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को अर्पित करने के लिए भोग में फलों को भी जरूर शामिल करें। भगवान विष्णु की पूजा में केले के फल को शामिल करना बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप मौसमी फल जैसे - सेब, अनार, अंगूर, गन्ने और सिंघाड़ा भी भोग में शामिल कर सकती हैं। -
-पं. प्रकाश शर्मा
तुलसी विवाह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है. दिवाली के बाद कार्तिक माह में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है. तुलसी के पौधे की विशेष पूजा की जाती है और विवाह कराया जाता है. तुलसी विवाह विशेष रूप से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन किया जाता है. तुलसी को बहुत पवित्र माना जाता है. घर में तुलसी का पौधा उगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है. शालिग्राम शिला भगवान विष्णु का प्रतीक है. तो इस खास दिन पर इन दोनों की शादी कराने से भक्तों को धार्मिक पुण्य मिलता है. तुलसी विवाह के दिन क्या करें.. आइए जानते हैं इस दिन कौन से कार्य नहीं करने चाहिए.
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की द्वादशी तिथि 12 नवंबर, मंगलवार को शाम 4 बजकर 02 मिनट पर शुरू हो रही है. यह तिथि बुधवार, 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार, 13 नवंबर को तुलसी विवाह मनाया जाता है.
तुलसी विवाह के दिन पालन करने योग्य नियम
तुलसी का पौधा-
तुलसी के पौधे को अच्छी तरह से साफ करें और उसकी पूजा करें.
तुलसी के पौधे को गंगाजल से स्नान कराएं.
तुलसी के पौधे को फूलों और रोली से सजाएं.
शालिग्राम शिला-
शालिग्राम शिला को भी अच्छी तरह से साफ करें और उसकी पूजा करें.
शालिग्राम शिला को भी गंगाजल से स्नान कराएं.
शालिग्राम शिला को फूलों और रोली से सजाएं.
विवाह मंडप-
तुलसी और शालिग्राम के विवाह के लिए एक छोटा सा मंडप सजाएं.
मंडप को फूलों और रंगोली से सजाएं.
पूजा विधि-
विधि-विधान से तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न करें.
विवाह के दौरान मंत्रों का जाप करें.
विवाह के बाद तुलसी और शालिग्राम को प्रसाद चढ़ाएं.
व्रत-
तुलसी विवाह के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है.
व्रत रखने से मन शुद्ध होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
दान-
तुलसी विवाह के दिन दान करना बहुत पुण्यदायी होता है.
आप अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी भी चीज का दान कर सकते हैं.
कथा सुनें-
तुलसी विवाह की कथा सुनने से मन शांत होता है और आत्मिक शक्ति मिलती है.
विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के उपाय
तुलसी का पत्ता: तुलसी के पत्ते को गंगाजल में मिलाकर पीने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं.
तुलसी का तेल: तुलसी के तेल की एक बूंद माथे पर लगाने से भी लाभ होता है.
तुलसी का माला: तुलसी की माला को धारण करने से भी लाभ होता है.
तुलसी विवाह के दिन क्या करें?
तुलसी विवाह के दिन पूजा से पहले तुलसी के पौधे को अच्छे से धोना चाहिए. तुलसी के पत्तों को निकालकर साफ पानी से धो लें.
फिर तुलसी को हल्दी, केसर और चंदन से सजाएं.
शालिग्राम पत्थर को गंगा जल से धोकर साफ करें और तुलसी के पत्तों से सजाएं.
तुलसी विवाह के लिए एक छोटा मंडप तैयार करें और सजाएं. मंडप को फूलों से सजाएं और तुलसी के पौधे के पास सुंदर मग से सजाएं.
पूजा के लिए जरूरी सभी चीजें जैसे दीपक, अगरबत्ती, धूपबत्ती, चावल, फूल, फल आदि इकट्ठा कर लें.
विवाह के दौरान मंत्रों का जाप करें. पूजा की विधि और कथा पढ़ने के लिए पंडितों को बुलाया जा सकता है.
विवाह के बाद तुलसी का दान शुभ माना जाता है. गरीबों को भोजन या कपड़े का दान करना शुभ होता है.
तुलसी विवाह के दिन क्या न करें?
तुलसी विवाह के दिन तुलसी दल नहीं ले जाना चाहिए.
तुलसी के पौधे के विवाह के दिन मांस, मछली, अंडा और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए.
इस दिन शुद्ध सात्विक भोजन करना चाहिए.
किसी से झगड़ा न करें. किसी से भी बहस करने से बचें.
शादी के दिन नकारात्मक विचारों से बचें. पूरी श्रद्धा से पूजा करें.
तुलसी विवाह का महत्व-
तुलसी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. वह धन, समृद्धि, सुख और शांति की देवी हैं. घर में तुलसी का पौधा लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है. शालिग्राम शिला को विष्णु का अवतार माना जाता है. विष्णु सभी देवताओं के मुखिया हैं. तुलसी विवाह के दिन इन दोनों की पूजा करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. मान्यता के अनुसार तुलसी के पौधे का विवाह करने से घर में धन की वृद्धि होती है. - -पं. प्रकाश उपाध्यायसनातन धर्म में तुलसी का पौधा बहुत पूजनीय माना गया है। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां का माहौल बेहद सकारात्मक होता है। घर की नेगेटिविटी दूर होती है और जीवन में धन,सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। इसके साथ ही कार्तिक माह तुलसी में घर में तुलसी का पौधा लगाना और उसकी पूजा करना अति शुभफलदायी माना गया है, लेकिन तुलसी का पौधा लगाते समय वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। आइए जानते हैं तुलसी से जुड़े वास्तु टिप्स...वास्तु के अनुसार, तुलसी का पौधा उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना अति शुभ माना गया है।वहीं, दक्षिण दिशा में तुलसी का पौधा लगाने से बचना चाहिए। यह जीवन में नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।तुलसी के पौधे के पास डस्टबिन, शूज और झाड़ू रखना नहीं चाहिए।तुलसी के पौधे को फूलों के पौधों के पास रख सकते हैं, लेकिन इसे कैक्टस के पास न रखें। यह घर की नेगेटिविटी को बढ़ा सकता है।घर में विषम संख्या में 1,3 या पांच तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। वहीं, विषम संख्या 2,4 या 6 तुलसी का पौधा लगाने से बचना चाहिए।तुलसी के पौधे को किसी ऊंचे स्थान पर रखना चाहिए।तुलसी के सुखे पौधे को घर में न रखें। इससे जल्द ही हटा दें और एक नया पौधा लगा दें। वहीं, सूखे हुए तुलसी के पौधे को पवित्र नदी या साफ पानी में प्रवाहित कर दें।
- सदाबहार फूल हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसका विशेष महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक कारणों से होता है. इसे 'सदाबहार' कहा जाता है क्योंकि इसके फूल पूरे साल फूलने की क्षमता रखते हैं, जिसका अर्थ है कि इसका उपयोग धार्मिक कार्यों में बार-बार किया जा सकता है. सदाबहार फूल को हिंदू धर्म में मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, और मां सरस्वती को समर्पित किया जाता है. इसे धार्मिक उत्सवों और पूजा-अर्चना में उपयोग किया जाता है. सदाबहार फूल की माला बनाकर उसे पूजन में उपयोग किया जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है. इसके फूलों का चढ़ावा भगवान गणेश, माँ दुर्गा, और भगवान विष्णु को भी अर्पित किया जाता है. सदाबहार फूल को संग्रह करके उसे धार्मिक स्थलों में विशेष पूजा के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे भक्तों का मन शांति और आनंद से भर जाता है. इसके धार्मिक महत्व के कारण हिंदू समाज में इसे बड़े सम्मान से देखा जाता है और इसे धार्मिक अनुष्ठानों में प्राचीन समय से ही महत्वपूर्ण माना गया है.यहां कुछ ज्योतिष उपाय हैं जिन्हें सदाबहार के फूल के साथ अपनाकर स्वास्थ्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति में मदद मिल सकती है:ग्रहण की यात्रा: सदाबहार के फूल को लेकर ग्रहण की यात्रा करने से जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है.पूजा और ध्यान: रोजाना सदाबहार के फूल की पूजा और ध्यान से रोगों से मुक्ति मिलती है और मन की शांति बनी रहती है.मंत्र जाप: सदाबहार के फूल के साथ मंत्र जाप करने से धन की प्राप्ति होती है और रोगों से रक्षा मिलती है.धन और समृद्धि के लिए प्रार्थना: सदाबहार के फूल के साथ धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने से व्यक्ति को अधिक आर्थिक सहायता मिलती है.धन प्राप्ति के उपाय: रोजाना सदाबहार के फूल को लेकर कुछ मंत्र पढ़कर धन प्राप्ति के लिए उपाय किया जा सकता है.नए काम की शुरुआत: नए काम की शुरुआत के पहले दिन सदाबहार के फूल का प्रयोग करने से सफलता मिलती है.धन का उपहार: सदाबहार के फूल को धन के उपहार के रूप में देकर धन संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है.स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना: सदाबहार के फूल के साथ स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करने से रोगों से मुक्ति मिलती है.धन प्राप्ति के लिए हवन: सदाबहार के फूल के साथ हवन करने से धन प्राप्ति होती है और वित्तीय समृद्धि मिलती है.धन लाभ के लिए अर्चना: सदाबहार के फूल को धन के लाभ के लिए अर्चना करके धन का आधिकारिक स्वागत किया जा सकता है.
- -पं. प्रकाश उपाध्यायहस्तरेखा शास्त्र में हथेली की लकीरों, चिन्हों और अंगूठे की बनावट से व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई रहस्यों के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। कहा जाता है कि कुछ लोगों के अंगूठे का एक विशेष आकार होता है। अंगूठे की बनावट से व्यक्ति के टैलेंट, सक्सेस, खूबियों और खामियां के बारे में पता लगाया जा सकता है। आइए पुस्तक पॉमिस्ट्री की मदद से जानते हैं कि व्यक्ति के अंगूठे की विशेष बनावट क्या इशारा देती है।अंगूठे की बनावट :हस्तरेखा शास्त्र में अंगूठे का लंबा होना अच्छा माना गया है। मान्यता है कि व्यक्ति के हाथ का अंगूठा जितना लंबा होता है,उसके सफल होने की संभावनाएं भी उतना ही ज्यादा होती है।मान्यता है कि जिन लोगों के हाथ के अंगूठे लंबे और पतले होते हैं, ऐसे लोग बहुत साहसी होता हैं। चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं।हस्तरेखा ज्योतिष में छोटा और मोटा अंगूठे की आकृति को अच्छा नहीं माना गया है। मान्यता है कि ऐसे लोग काफी इमोशनल होते हैं। इनमें आत्मविश्वास की कमी होती है।कहा जाता है कि जिन लोगों का अंगूठा लचीला होता है, ऐसे लोग काफी क्रिएटिव होते हैं। यह काफी खुशमिजाज और सरल स्वभाव के होते हैं। इनकी विशेषता यह है कि ऐसे लोग जिद्दी स्वभाव के नहीं होते हैं। खुद को परिस्थिति के अनुकूल ढालने में सक्षम माने जाते हैं।ज्यादातर लोगों के अंगूठे के 2 या 3 भागों में बंटे होते हैं। यदि अंगूठे दो भाग में बंटे हों और दोनों भाग बराबर हो, तो ऐसे जातक में लॉजिक और इच्छा शक्ति बराबर होता है। ऐसे लोगों के पास अच्छे आइडियाज बहुत होते हैं। काफी ऊर्जावान होते हैं।अगर अंगूठे का पहला भाग दूसरे भाग से ज्यादा लंबा हो, तो ऐसे लोगों की लॉजिक के तुलना आत्मबल अधिक होता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कई गलतियां कर सकता है, लेकिन अपने लक्ष्यों को भी हासिल कर लेता है। ऐसे लोग बहुत मेहनती होते हैं।
- वैदिक ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की चाल का विशेष महत्व होता है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल का सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ता है। ग्रहों की चाल से कुछ राशि वालों को शुभ फल मिलते हैं तो कुछ राशि वालों को अशुभ फल की प्राप्ति होती है। ग्रहों की चाल से ही मासिक राशिफल का आकंलन किया जाता है। ग्रहों की चाल से नवंबर माह कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है तो कुछ राशि वालों को सावधान रहने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं नवंबर का महीना सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहेगा। पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल...मेष राशि- नौकरी में अपनी जिम्मेदारियों से ज्यादा लेने की आपमें अद्भुत क्षमता है। इस माह उन सभी छोटी-छोटी बातों से अभिभूत हो जाना आसान है जिन पर आपका ध्यान देने की आवश्यकता है। अगर आप लीडर बनना चाहते हैं, तो आपको यह सीखना होगा कि अपनी टीम को कार्य कैसे सौंपें। आप उन छोटे कार्यों के बारे में अपने विचारों से छुटकारा पा सकते हैं जो आपको ज्यादा महत्वपूर्ण मामलों पर ध्यान केंद्रित करने से रोकते हैं।वृषभ राशि- ऐसी दुनिया में जहां अनिश्चितता सामान्य बात है, दिन के अटूट आश्वासन को तब तक पकड़ें जब तक आप कर सकते हैं। भविष्य के लिए इस माह ही तैयारी कर लें, क्योंकि आप हर उस चीज में सफल होने की क्षमता रखते हैं, जिसके बारे में आप सोचते हैं। नौकरी पर मिलने वाले किसी व्यक्ति से बहस करने से पहले रुकें और उसके बारे में सोचें। यह आपको अपने लक्ष्यों से विचलित कर सकता है और आपको पीछे खींच सकता है। उपेक्षा करें और अपने लक्ष्यों के साथ बने रहें।मिथुन राशि- :अपने कार्यक्षेत्र के बारे में ऐसा कोई अनुमान न लगाएं जो सिद्ध न हो सके। यह स्थिति पर कंट्रोल पाने और काम पर लगने का समय है। आपकी सबसे बड़ी दुश्मन आपकी अपनी कल्पना है, जिसे आप अक्सर खुली छूट देते हैं और जो अक्सर आपको उन चीजों पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करती है जो वास्तव में नहीं हैं। यदि आप अपने आप को गंभीरता से लेते हैं और परिणामों का लक्ष्य रखते हैं तो सब कुछ काम करेगा।कर्क राशि- : ध्यान रखें कि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता। आप बहुत सारे प्रयास करके वहां पहुंच गए हैं जहां आप अभी हैं और यह उस प्रोत्साहन के लिए एक श्रद्धांजलि है जो आपको अपने निकटतम लोगों से मिला है। लेकिन करियर के इस महत्वपूर्ण समय में लापरवाही को अपने ऊपर हावी न होने दें। अपनी कठोर कार्यनीति को बनाए रखें और जब भी आप खुद को थका महसूस करें तो अपनी आंतरिक शक्ति और संकल्प लें।सिंह राशि- :काम पर लग जाएं और कुछ समय के लिए अपने भविष्य के प्रतिफल के बारे में सपना देखना बंद करें। बड़ी टीम में आपके द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका की सराहना करके अपने मूल्य का एहसास करें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कभी भी किसी खास उपलब्धि के लिए अकेले नहीं हैं,आप क्या करतेहैं यह महत्वपूर्ण है। गहराई से महसूस करें कि आपके प्रयास जरूरी हैं और यह शो आपके बिना नहीं चल सकता। आखिरकार स्पॉटलाइट आप पर होगी।कन्या राशि- :मुमकिन है कि दूसरे लोग आपकी जागरूकता की कमी को अपने खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हों ताकि आप खुद को बढ़ा सकें। आप उन्हें इससे दूर नहीं जाने दे सकते। सभी समूहों में सहकारी कार्यों को बढ़ावा देना; आप एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बजाए संसाधनों को एकत्रित करके बहुत कुछ प्राप्त करेंगे। स्वयं अनुमान न लगाएं और अपने निष्कर्ष के समर्थन में साक्ष्य का उपयोग करें।तुला राशि- :अगर आप बड़ी उपलब्धि हासिल करना चाहते हैं, तो पीछे न हटें। अपनी आकांक्षाओं को बढ़ावा दें और उन्हें बढ़ावा देने के लिए अपनी रुचि के क्षेत्रों के बारे में जितना हो सके सीखें। कभी भी अपने ड्राइव को एक व्यक्तिगत रूप में सफल न होने दें। यह बोधगम्य है कि अधिक दबाव वाली चिंताएं आपके इरादों को अस्पष्ट कर देंगी, लेकिन उन्हें पूरी तरह से त्यागने का कोई कारण नहीं है। अपनी आशाओं को मरने न दें, भले ही आपको उन्हें अभी के लिए रोकना पड़े।वृश्चिक राशि- :काम के दौरान निजी चिंताओं को ताक पर रखें। काम के दौरान जब आप किसी निजी मामले से निपटने की कोशिश करते हैं तो आपके मैनेजर के सहानुभूतिपूर्ण होने की संभावना कम होती है। आपको इन दोनों भागों को चलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। काम पर आने से अपनी पेशेवर प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के जोखिम से बेहतर है कि घर पर रहें और निजी चिंताओं पर ध्यान दें।धनु राशि- इस माह आपके व्यक्तित्व के एक नए पक्ष को उजागर करने का है। यदि आप अपने कार्य के लिए अन्य दृष्टिकोण खोजना चाहते हैं, तो आपको आविष्कारशील होने की आवश्यकता होगी। जिस आसानी से आप चुनौतियों का सामना कर सकते हैं, वह यह निर्धारित करेगा कि आप अपने चुने हुए पेशे में कितनी दूर तक जाते हैं। ज्ञान और खुले दिमाग से किसी समस्या पर विचार करें। एक नया दृष्टिकोण हासिल करनेके लिए अपने सहयोगियों और पूरे समूह की सलाह सुनें।मकर राशि- बहुत कुछ करने के लिए प्राथमिकताएं तय करना जरूरी है। मल्टीटास्क करने की कोशिश करने के बजाय, इस बारे में सोचें कि आप अपना समय सबसे प्रभावी ढंग से कैसे बिता सकते हैं। अपने कर्मचारियों को कुछ जिम्मेदारी दें। अपने काम की डेडलाइन को आगे बढ़ानेकी कोशिश करें ताकि आपके पास उन्हें पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय हो। आपको किसी गलत मानकों का पालन करनेके दबाव को अपनेकाम की क्वालिटी से समझौता नहीं करने देना चाहिए।कुंभ राशि-आप जो कर सकते हैं उस पर भरोसा रखें और खुद को जोश से भर दें। अपने सामान्य आत्म-आश्वासन के बावजूद इस माह आप पाएंगे कि आपके विरोधियों के कठिन प्रयासों ने आज आपके संकल्प को कमजोर कर दिया है। उनकी नकारात्मकता को अपनी सोच पर हावी न होने दें,एक कदम वापस ले। अपने प्रतिस्पर्धियों द्वारा आपके बारे में क्या कहा जाता है, इस पर कभी भी अपनी योग्यता का आधार न बनाएं, बल्कि इस पर आधारित करें कि आप क्या जानते हैं कि यह सच है।मीन राशि- नौकरी के बीच में आपको कई बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। सफल होने के लिए आपको अपने ज्ञान का उपयोग अपने रास्ते में आनेवाली समस्याओं को मिटाने के लिए करना चाहिए। थोड़े से काम से आप इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित कर सकते हैं। निराशावादी दृष्टिकोण न रखें। इस माह दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
- आज हम आपको एक ऐसे ही पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे घर में लगाने से आपके जीवन में कई सकारात्मक बदलाव होते हैं। हम बार कर रहे हैं कनेर की, जिसे सुख शांति का प्रतीक माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कनेर के पौधे को घर में लगाने से धन लाभ और सुख-समृद्धि का वास होता है। कनेर के फूल बेहद आकर्षक और अलग-अलग रंगों के होते हैं, जो देखने में भी काफी खूबसूरत नजर आते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार सफेद और पीले रंग के कनेर फूल घर में लगाना बहुत शुभ होता है। इसके अलावा आयुर्वेद में भी कनेर के पौधे का बड़ा महत्व है।कनेर के पौधे का संबंध माता लक्ष्मी से माना गया है। ऐसे में कनेर के पौधे को घर में लगाना शुभ माना जाता है। इस पौधे से घर में धन की देवी का वास होता है और घर में मौजूद नकारात्मक शक्तियों भी दूर हो जाती है। माना जाता हैकि कनेर के पौधे को घर में लगाने से अटका हुआ काम भी जल्द ही पूरा हो जाता है। इससे घर का वास्तु दोष भी दूर हो जाता है।वास्तु शास्त्र के अनुसार सफेद और पीले रंग के कनेर का फूल घर में लगाना अत्यधिक शुभ होता है, इसलिए इसे घर में जरूर लगाना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। यदि घर में लाल रंग के कनेर फूल वाले पौधे को लगा लिया जाए, तो इसे अशुभ माना जाता है। वहीं सफेद और पीले रंग के पौधे को घर में लगाते समय ध्यान रखें कि इसे पश्चिम या पूर्व दिशा में ही लगाना चाहिए।कनेर के फायदेमाना जाता है कि सफेद कनेर की जड़ को गोमूत्र में घिसकर लगाने से दाद की समस्या से छुटकारा मिल जाता है। यदि इस सफेद कनेर की जड़ को घिसकर डंक पर इसका लेप लगाने या इसके पत्तों का रस पिलाने से सांप या बिच्छू का जहर भी उतर जाता है। कनेर के पत्तों में खुजली कम जैसी परेशानी भी दूर हो जाती है। इसके लिए कनेर के पत्तों को लौंग या पुदीना के तेल में पकाकर इसका इस्तेमाल करने से तुरंत आराम मिल जाता है।
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हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, वैभव, यश,कीर्ति और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। धार्मिक मान्यता है मां लक्ष्मी जिस घर में विराजती हैं, वहां भक्तों के सभी दुख-कष्ट दूर करती हैं और धन-संपन्नता का आशीर्वाद देती हैं। इसलिए दिवाली के दिन मां लक्ष्मी को स्वागत करने के लिए सुंदर और आकर्षक रंगोली बनाई जाती हैं। मुख्यद्वार पर आम या अशोक के पत्ते और गेंदे के फूल से तोरण लगाया जाता है। इसके साथ ही घर को लाइट्स और रंगे-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है। मंदिर को बड़ी खूबसूरती से सजाते हैं। इसके अलावा दिवाली में स्वस्तिक, शुभ-लाभ और लक्ष्मी चरण लगाना भी सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है, लेकिन मां लक्ष्मी के पदचिन्ह, स्वस्तिक और शुभ-लाभ लगाते समय वास्तु की कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं....
कहां लगाएं लक्ष्मी चरण?दिवाली पर मां लक्ष्मी के चावल के आटे या आलता से बनाना बेहद शुभ माना जाता है। मां लक्ष्मी के अंदर आते हुए चरण ही लगाने या बनाने चाहिए। गलती से बाहर जाते हुए चरण नहीं लगाना चाहिए। मान्यता है कि इससे मां लक्ष्मी बाहर की तरफ चली जाती हैं। मां लक्ष्मी के कदम को मुख्यद्वार पर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि जो भी घर में प्रवेश करता है, वह जाने-अनजाने में मां के चरणों पर पैर रखकर प्रवेश करता है। इसलिए घर के मंदिर की ओर जाते हुए मां लक्ष्मी के कदम लगाने चाहिए। लक्ष्मी कदम का चिन्ह एक सामान्य हथेली के बराबर होनी चाहिए। लाल,हरा,पीला और गुलाबी रंग के लक्ष्मी कदम शुभ माने जाते हैं। इसके साथ ही रंग-बिरंगे लक्ष्मी कदम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।शुभ-लाभ कहां और कैसे लगाएं?घर के सजावट में कई बार लोग शुभ और लाभ ऊपर-नीचे की ओर लगाते हैं। हालांकि, इससे लाभ की जगह हानि हो सकता है। इसलिए शुभ-लाभ को हमेशा एक बराबर में स्थापित करें। घर के मुख्यद्वार,पूजास्थल, बही-खाता,गल्ले और लॉकर में शुभ-लाभ का प्रतीक बनाया जा सकता है। रोली,कुमकुम, दही और अक्षत घोलकर अनामिका उंगली से शुभ-लाभ बनाएं। शुभ-लाभ लाल रंग का होना चाहिए। इसके अलावा शुभ-लाभ ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए। इसका आकार इतना बड़ा हो, जितना से आसानी से पढ़ा जा सके। -
दिवाली का त्यौहार कई मायनों में बेहद खास होता है। इस दिन से सिर्फ मौज-मस्ती और ढेर सारी मिठाइयां ही नहीं जुड़ी होती बल्कि जुड़ी होती हैं ढेर सारी परंपराएं। शाम को श्री गणेश और माता लक्ष्मी का पूजन हो, मोहल्ले में खील-बताशे और मिठाइयों का प्रसाद बांटना हो या घी के दीए जलाने हों। हर घर की अपनी-अपनी कुछ खास परंपराएं हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आज भी उसी तरह निभाई जा रही हैं। इन्हीं में से एक है रात के समय आंखों में काजल लगाने की परंपरा। ये काजल दिवाली की रात दीए से बनाया जाता है और घर के सभी लोग इसे अपनी आंखों में लगाते हैं। आज हम इसके पीछे की वजह और काजल बनाने के कुछ हेल्दी तरीकों के बारे में बात करेंगे।
इस वजह से लगाया जाता है काजल
काजल को बुरी नजर से बचाने वाला कहा जाता है। बस यही कारण कुछ दिवाली की इस परंपरा के पीछे भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली की रात दीपक से बने काजल को लगाने से घर-परिवार को किसी की बुरी नजर नहीं लगती और घर में दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की होती है। धार्मिक कारणों के अलावा अगर दूसरे कारणों की बात की जाए तो कहते हैं कि दिवाली की रात पटाखों से काफी ज्यादा प्रदूषण हो जाता है। इसी प्रदूषण से आंखों को प्रोटेक्ट करने के लिए ये काजल लगाया जाता है। इससे आंखों की गंदगी बाहर निकल आती है और आंखे सुरक्षित रहती हैं।दिवाली के दीए से ऐसे तैयार करें काजलदिवाली की शाम लक्ष्मी पूजन के दौरान भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के आगे तेल का दीया जलाया जाता है। पूजन के बाद इसी दीए से काजल बनकर तैयार किया जाता है, जिसे घर में सभी सदस्यों की आंखों में लगाया जाता है। इस काजल को बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए मिट्टी के दीए में सरसों का तेल डालकर इसमें कॉटन की बाती को डुबोकर जलाएं। अब दीए की लौ को कवर करते हुए कोई कटोरी या मिट्टी का बर्तन पलट कर इस प्रकार रखें कि इसमें धुएं का कालापन जमा होने लगे। थोड़ी देर बाद जब ढेर सारा धुआं बर्तन में जमा हो जाए तो इसे एक जगह पर इकट्ठा कर के, इसमें एक दो बूंद देसी घी डालकर अच्छे से मिक्स कर दें। इस तरह से होममेड काजल बनकर तैयार हो जाएगा। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
रत्न ज्योतिष में फिरोजा को गुरु ग्रह का रत्न माना गया है। मान्यता है कि फिरोजा रत्न पहनने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। फिरोजा को गुडलक का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि फिरोजा पहनने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और धन लाभ के नए मौके मिलते हैं। नेगेटिविटी को दूर करने के लिए फिरोजा रत्न पहनना लाभकारी माना जाता है। वैवाहिक जीवन में खुशहाली और करियर में सफलता के लिए यह भी रत्न पहना जा सकता है।आइए जानते हैं इस रत्न को धारण करने के नियम और फायदे...फिरोजा रत्न कब धारण करें :फिरोजा रत्न पहनने के लिए सबसे उत्तम दिन गुरुवार और शुक्रवार माना जाता है। सुबह के समय इस रत्न को धारण करना शुभ रहेगा।अनामिका उंगली में फिरोजा पहना चाहिए।फिरोजा रत्न पहनने वालों को साबुन से स्नान करते समय इस रत्न को उतारकर रख देना चाहिए। साबुन से रत्न का रंग फीका पड़ जाता है।इस रत्न को पहनने से पहले दूध और गंगाजल में डूबोकर इसे अभिमंत्रित कर लें।इस रत्न को अंगूठी के अलावा ब्रेसलेट या लॉकेट की तरह भी पहना जा सकता है।फिरोजा पहनने के लाभ :मान्यता है कि फिरोजा रत्न पहनने से कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है.कॉन्फिडेंस की कमी को दूर करने के लिए भी फिरोजा रत्न लाभकारी माना जाता है।वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए फिरोजा रत्न धारण कर सकते हैं।रत्न ज्योतिष में नौकरी-कारोबार में सफलता प्राप्ति के लिए भी फिरोजा रत्न पहनना शुभ फलदायी माना गया है।क्रिएटिविटी से जुड़े लोगों के लिए यह रत्न धारण करना बेहद शुभ रहेगा। - हिंदू पंचाग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को मनाई जा रही है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह महत्वपूर्ण तिथि है। पूरे साल में से सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन आसमान से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजने की परंपरा चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से सर्दियों की शुरुआत हो जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है। चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है। इन दूधिया रोशनी के बीच पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।पौराणिक मान्यताओं अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। अपने भक्तों पर धन की देवी कृपा बरसाती हैं। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी से पूरी धरती सराबोर रहती है और अमृत की बरसात होती है। इन्हीं मान्यताओं के आधार पर ऐसी परंपरा बनाई गई है कि रात को चंद्रमा की चांदनी में खीर रखने से उसमें अमृत समा जाता है।शरद पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो घर में पानी में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और इस स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें। इस चौकी पर अब मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं। इसके साथ ही धूप, दीप, नैवेद्य और सुपारी आदि अर्पित करें। मां लक्ष्मी की पूजा करते हुए ध्यान करते हुए लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी पौधा के पास घी का दीपक जलाएं।इसके साथ ही, चंद्रमा को अर्घ्य दें। चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। कुछ घंटों के लिए खीर रखने के बाद उसका भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में पूरे परिवार को खिलाएं। पं. पुरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि नारद पुराण के अनुसार ऐसा माना गया है कि इस दिन लक्ष्मी मां अपने हाथों में वर और अभय लिए घूमती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी अपने जागते हुए भक्तों को धन और वैभव का आशीष देती हैं। शाम होने पर सोने, चांदी या मिट्टी के दीपक से आरती की जाती है। रातभर महालक्ष्मी का ध्यान और पूजा-अर्चना करने वाले भक्त को लक्ष्मी जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- अक्सर देखा गया है कि बच्चों का अचानक से पढ़ाई लिखाई से मन नहीं लगता और पढ़ाई से संबंधित चीजों को याद रख पाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते कंपटीशन की वजह से बच्चे अक्सर तनाव में भी देखे गए हैं। बच्चों की इन समस्या का एक कारण कहीं ना कहीं वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु दोष की वजह से बच्चे अक्सर बीमार रहते हैं या पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता या आलस्य हावी रहता है। आज हम आपको वास्तु के कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिससे बच्चों की स्मरण शक्ति और बुद्धि में वृद्धि होती है और मन में उल्लास बना रहता है। आइए जानते हैं बच्चों की दुविधाओं को दूर करने के वास्तु उपाय...इस रंग की ना हों दीवारेंवास्तु शास्त्र के अनुसार, बच्चे जहां पढ़ाई करते हों वहां की दीवारे हमेशा बादामी, आसमानी, सफेद या हल्का फिरोजी रंग की होनी चाहिए। साथ बच्चों की स्टडी टेबल भी इसी रंग की हों तो और भी बेहतर रहेगा। बच्चों के पढ़ाई के कमरे कभी भी नीले, काले या लाल पेंट के नहीं होने चाहिए, ऐसा होने से बच्चों की पढ़ाई को नुकसान होता है।
- ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र में मोर के पंखों का अति महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मोरपंख को घर में रखना शुभ माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने मुकुट पर स्थान दे कर मोरपंख को सम्मान दिया। मोर को देवताओं का पक्षी होने का भी गौरव प्राप्त है, मोर सरस्वती देवी का भी वाहन है, इसलिए विद्यार्थी मोरपंख को अपनी पाठ्य-पुस्तकों के मध्य भी रखते आ रहे हैं।घर के दक्षिण-पूर्व कोण में मोरपंख लगाने से बरकत बढ़ती है व अचानक कष्ट नहीं आता है।यदि मोरपंख किसी मंदिर में श्री राधा-कृष्ण की मूर्ति के मुकुट में 40 दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन माखन-मिश्री का भोग सायंकाल में लगाएँ, 41वें दिन उसी मोरपंख को मंदिर से दान, दक्षिणा, भोग प्रसाद चढ़ाकर घर लाकर अपने खजाने या लॉकर में स्थापित करें तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगें कि धन, सुख-शान्ति की वृद्धि हो रही है। सभी रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग के कारण बनते जा रहे हैं।ज्योतिष आचार्यों के अनुसार मोरपंख में कालसर्पदोष के दुष्प्रभाव को दूर करने की अद्भुत क्षमता है, कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को अपने तकिए के कवर के अंदर 9 मोरपंख पूर्णिमा के दिन अथवा किसी भी शुभ मुहूर्त में रखना चाहिए, इससे किसी भी प्रकार का दुःस्वप्न नहीं आता है। अन्य उपायों के साथ मोरपंख के प्रयोग से कालसर्प दोष को प्रभावहीन किया जा सकता है।मोरपंख के पंखे के बारे में आपने सुना होगा, मोरपंख की हवा से किसी भी व्यक्ति के उपर भूत-प्रेत के साए अथवा नकारात्मक उर्जाओं को समाप्त किया जा सकता है।मोर की सर्प से शत्रुता होती है, तथा सर्प को ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु की संज्ञा दी गई है, यदि मोरपंख को घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखें तो राहु-केतु अथवा इनसे बनने वाला कालसर्प योग व्यक्ति को कम से कम प्रभावित करता है।बालक के सिर की दाहिनी तरफ दिन-रात एक मोरपंख चांदी के ताबीज में डालकर रखने से बालक डरता नहीं है तथा नजरदोष और अला-बला से बचा रहता है।मोरपंख का प्रयोग वास्तु दोष के शमन हेतु भी किया जाता है।मोरपंख का प्रयोग एवं उसे घर में रखने से आर्थिक तंगी दूर होती है तथा घर में सुख-शांति का वास होता है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार,किसी व्यक्ति की हथेली पर मौजूद रेखा,पर्वत और चिन्ह समेत कई निशान व्यक्ति के जीवन के बारे में कई शुभ-अशुभ संकेत देती है। हथेली पर कुछ रेखाओं या चिन्हों का बेहद शुभ माना गया है। वहीं, कुछ संकेत व्यक्ति के जीवन में मिलने वाले कष्टों की ओर इशारा करते हैं। हथेली पर कई बार क्रॉस,जाल,त्रिभुज,द्वीप समेत कई निशान नजर आते हैं। आइए रेखाओं के जरिए बने इन निशानों का मतलब जानते हैं...ग्रिल का निशान : हथेली पर जब आड़ी व तिरछी रेखाएं एक स्थान पर अधिक मात्रा में दिखती हैं, तो ये जाल जैसा निशान बनाती हैं। हस्तरेखा शास्त्र में हथेली पर ग्रिल का निशान बनना एक नकारात्मक संकेत माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा व्यक्ति दुनिया से अलगाव महसूस करता है। काफी मेहनत के बाद ही व्यक्ति को निराशा का सामना करना पड़ता है। जीवन काफी संघर्ष से भरा रहता है।क्रॉस का निशान : हथेली पर क्रॉस का निशान जीवन में बदलाव की ओर इशारा करता है। शनि पर्वत पर क्रॉस का निशान कष्टकारी माना जाता है। वहीं, गुरु पर्वत पर उभार के साथ क्रॉस का निशान बनना एक अच्छा संकेत माना जाता है। मान्यता है कि ऐसे व्यक्ति को समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।त्रिभुज का निशान : हथेली पर चंद्र रेखा, शुक्र पर्वत और आयु रेखा पर त्रिभुजा का निशान बनना एक अच्छा संकेतम माना जाता है। मान्यता है कि भाग्यशाली लोगों के मस्तिष्क रेखा पर त्रिभुज का निशान होता है। इन्हें समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।द्वीप का निशान : हथेली पर द्विप का निशान भी शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि यह जीवन में अनिश्चितता,तनाव और कठिनाईयों का संकेत देता है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति मान-सम्मान में कमी आती है। मानसिक अशांति रहती है।- - वास्तु शास्त्र में कुछ पेड़ पौधों को बेहद शुभ माना गया है। इन पौधों को घर में लगाने से कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। यह पेड़ पौधे ना केवल घर की ऊर्जा को सकारात्मक बनाते हैं बल्कि यह घर में धन, ऐश्वर्य और सम्मान को भी आकर्षित करते हैं। इसलिए इन पौधों को चमत्कारी भी माना जाता है। जो लोग अपने घर में ये पेड़ पौधे लगाते हैं उनके यहां बरकत होती है और जीवन में शुभता आती है। वास्तु शास्त्र में बताया गया है, कि ये पेड़ पौधे धन, सुख और समृद्धि को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसे में आइए आज हम आपको पांच ऐसे पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो घर के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं।तुलसीहिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय माना गया है। वहीं वास्तु शास्त्र में भी तुलसी के पौधे को बड़ा महत्व दिया गया है। वास्तु के अनुसार, इस पौधे को घर के उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। तुलसी का पौधा हमारे जीवन में सुख-शांति लाता है और कई तरह की परेशानियों को दूर करता है। तुलसी का संबंध भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी से माना गया है, इसलिए इसकी रोजाना पूजा की जाती है।शमी का पेड़वास्तु शास्त्र में शमी के पेड़ को बेहद शुभ माना जाता है। इसे घर की दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए। इससे घर में शनि के अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। घर में शमी का पेड़ लगाने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और नौकरी व व्यवसाय में भी काफी तरक्की होती है। इस पेड़ के होने से घर के सदस्यों में आपसी प्रेम बना रहता है।मनी प्लांटघर में मनी प्लांट का होना बहुत ही अच्छा माना जाता है। इस पौधे का काम धन संबंधित समस्याओं को खत्म करना है। मान्यता है कि जैसे-जैसे यह पौधा बढ़ता है, वैसे वैसे ही आपकी धन और सम्मान भी बढ़ने लगती है। वास्तु शास्त्र में इस पौधे का संबंध भौतिक सुख-सुविधाओं के स्वामी शुक्र ग्रह से बताया गया है, इसलिए मनी प्लांट सौभाग्य को बढ़ाता है।अपराजिता का पौधाअपराजिता का पौधा बहुत पवित्र माना जाता है। इस पौधे को घर की पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इस बेल का संबंध माता लक्ष्मी से होता है। इस पौधे को घर में लगाने से मां लक्ष्मी स्वयं घर में विराजमान होती है। साथ ही इससे नौकरी व व्यापार में भी काफी तरक्की होती है। यह पौधा भगवान विष्णु और महादेव को बेहद प्रिय है। इससे घर में धन धान्य की कमी नहीं होती।आंवला का पौधावास्तु शास्त्र में आंवले के पौधे को भी बेहद शुभ माना जाता है। इसे लगाते समय ध्यान रखें कि इसे घर की उत्तर या पूर्व दिशा में ही लगाएं। आंवला का पौधा और आंवला दोनों ही भगवान विष्णु के प्रिय हैं। ऐसे में इसे घर में लगाने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
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माता पार्वती ही संसार की समस्त शक्तियों का स्रोत हैं। उन्ही का एक रूप माँ दुर्गा को भी माना जाता है। उनपर आधारित ग्रन्थ "दुर्गा सप्तसती" में माँ के 108 नामों का उल्लेख है। प्रातःकाल इन नामों का स्मरण करने से मनुष्य के सभी दुःख दूर होते हैं। आइये उन नामों और उनके अर्थों को जानें:
- -पं. प्रकाश उपाध्यायज्योतिषशास्त्र के अनुसार कई तरह के दोष होते हैं जिनकी वजह से जीवन में परेशानियां आने लगती है। उन्हीं दोषों में से एक है पितृ दोष। पितृ दोष की वजह से कई तरह की परेशानियां होने लगती है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति बनने पर पितृ दोष लग जाता है। सूर्य के तुला राशि में रहने पर या राहु या शनि के साथ युति होने पर पितृ दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही लग्नेश का छठे, आठवें, बारहवें भाव में होने और लग्न में राहु के होने पर भी पितृ दोष लगता है। पितृ दोष की वजह से व्यक्ति का जीवन परेशानियों से भर जाता है।पितृ दोष दूर करने का उपायइस दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। शास्त्रों में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या का महत्व पितर संबधित कार्यों के लिए विशेष माना गया है। पितरों का इस अमावस्या में श्राद्ध किये जाने पर इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। पितरों की तिथि याद न होने पर सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है। यह मोक्षदायिनी अमावस्या 2 अक्टूबर, 2024 को है। मान्यता है कि अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या को पितृ अपने धाम लौट जाते हैं। पितृ परिवार की खुशहाली देखकर प्रसन्न होते हैं। पितृ पक्ष में खुश रहकर दान-पुण्य करना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या के दिन गाय को भोजन भी अवश्य कराएं। इस बात का ध्यान रखें कि आपको गाय को सात्विक भोजन ही करवाना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय को भोजन कराने से पितृ दोष दूर हो जाता है।
- पं. प्रकाश उपाध्यायग्रहों के राजकुमार बुध 23 सितंबर की सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर सिंह राशि की यात्रा समाप्त करके अपनी स्वयं की राशि कन्या में प्रवेश करेंगे। जहां ये 10 अक्तूबर की सुबह 11 बजकर 19 मिनट तक गोचर करेंगे, उसके बाद तुला राशि में चले जाएंगे। आइये जाने इनके राशि परिवर्तन का अन्य राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा ?मेष राशि-राशि से छठे शत्रु भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता विशेष करके स्वास्थ्य संबंधी चिंता परेशान कर सकती है। चर्म रोग, एलर्जी तथा दावाओं के रिएक्शन से बचें। विवादित मामले कोर्ट कचहरी से बाहर ही सुलझाएं। इस अवधि के मध्य किसी को भी अधिक धन उधार के रूप में न दें अन्यथा आर्थिक हानि का सामना करना ही पड़ेगा। यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा। दूसरे देश के लिए वीजा आदि का आवेदन भी कर सकते हैं।वृषभ राशि-राशि से पंचम विद्या भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव बेहतरीन सफलता कारक रहेगा, विशेष करके विद्यार्थियों और प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों के लिए तो यह समय किसी वरदान से कम नहीं है, जैसी सफलता चाहें हासिल कर सकते हैं। प्रेम संबंधी मामलों में प्रगाढ़ता आएगी। नए प्रेम प्रसंग की शुरुआत के भी योग बन रहे हैं। प्रेम विवाह भी करना चाहें तो अवसर अनुकूल रहेगा। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग हैं।मिथुन राशि-राशि से चतुर्थ सुख भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव हर तरह से लाभदायक रहेगा। सोची समझी सभी रणनीतियां कारगर सिद्ध होंगी। मित्रों और संबंधियों से भी सुखद समाचार प्राप्ति के योग है। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास भी सफल रहेगा। किसी सरकारी टेंडर के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से भी ग्रह-गोचर अनुकूल रहेगा। मकान वाहन का भी क्रय कर सकते हैं।कर्क राशि-राशि से तृतीय पराक्रम भाव में गोचर करते हुए बुध आपके स्वभाव में सौम्यता तो लाएंगे ही अत्यधिक ऊर्जावान भी बनाएंगे। परिवार के सदस्यों और मित्रों से सहयोग मिलेगा। धर्म और आध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आएंगे। विद्यार्थी वर्ग विदेश में पढ़ाई करने के लिए जाने का प्रयास कर रहे हों तो उस दृष्टि से भी ग्रह-गोचर अनुकूल रहेगा। परिवार में मांगलिक कार्यों का सुअवसर आएगा माहौल भी खुशनुमा रहेगा।सिंह राशि-राशि से द्वितीय धन भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आर्थिक पक्ष तो मजबूत करेगा ही आकस्मिक धन प्राप्ति का योग भी बनेगा। काफी दिनों का दिया गया धन भी वापस मिलने की उम्मीद है। अपनी वाणी कुशलता के बल पर कठिन हालात को भी आसानी से नियंत्रित कर लेंगे। जो लोग नीचा दिखाने की कोशिश में लगे थे वही मदद के लिए आगे आएंगे। चर्म रोग से सावधान रहना पड़ेगा। कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का शिकार होने से बचें। विवादित मामलों से दूर ही रहें।कन्या राशि-अपनी स्वयं की राशि कन्या में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। काफी दिनों के रुके हुए कार्य बनेंगे। आर्थिक तंगी दूर होगी। नए लोगों से मेलजोल बढ़ेगा। सरकारी विभागों के प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे। किसी नए टेंडर के लिए आवेदन करना हो तो उस दृष्टि से भी समय अनुकूल रहेगा। सामाजिक पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी। वैवाहिक वार्ता सफल रहेगी। ससुराल पक्ष से भी सहयोग के योग। इन सब के बावजूद साझा व्यापार करने से परहेज करें।तुला राशि-राशि से बारहवें व्यय भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव सामान्य फल कारक ही रहेगा यद्यपि यात्राओं की अधिकता रहेगी। विद्यार्थी वर्ग दूसरे देश में पढ़ाई करने के लिए जाने का प्रयास कर रहे हों तो उनके लिए समय और अनुकूल रहेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा दूसरे देश के लिए वीजा आदि का आवेदन करना चाह रहे हों तो भी समय अनुकूल रहेगा। विदेशी नागरिकता के लिए भी प्रयास कर सकते हैं। गुप्त शत्रुओं से बचें। आर्थिक मामलों में लेनदेन के प्रति सावधानी बरतें।वृश्चिक राशि-राशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव हर तरह से आय के स्रोतों की वृद्धि करेगा। प्रतीक्षित कार्यों का निपटारा होगा। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों तथा बड़े भाइयों से भी सहयोग मिलेगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में भी सर्विस आदि के लिए आवेदन करना हो तो उस दृष्टि से यह समय सफलता दायक रहेगा। संतान संबंधी चिंता में कमी आएगी। नए प्रेम प्रसंग की शुरुआत के योग। प्रेम विवाह भी कर सकते हैं।धनु राशि-राशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव हर तरह से लाभदायक ही रहेगा। विशेष करके कार्य व्यापार में तो उन्नति होगी ही किसी भी बड़े से बड़े अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो तो उस दृष्टि से भी समय अनुकूल रहेगा। शासन सत्ता का पूर्ण सहयोग मिलेगा। जमीन-जायदाद संबंधी मामलों का निपटारा होगा। मकान अथवा वाहन का भी क्रय कर सकते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें। रणनीतियां कारगर सिद्ध होगी। योजनाएं गोपनीय रखें आगे बढ़ें।मकर राशि-राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव कार्य व्यापार में तो उन्नति देगा ही धर्म और आध्यात्म के प्रति रुझान भी बढ़ाएगा। तीर्थ यात्रा करेंगे। जरूरतमंद लोगों की मदद करने में आगे रहेंगे। इस अवधि में जो भी कार्य आरंभ करेंगे उसी में सफलता मिलेगी। वैवाहिक वार्ता सफल रहेगी। नए लोगों से मेलजोल बढ़ेगा। जिसका परिणाम दूरगामी रहेगा। विदेशी नागरिकता के लिए प्रयास कर रहे हों तो उस दृष्टि से भी समय सर्वदा अनुकूल रहेगा।कुंभ राशिराशि से अष्टम आयु भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव अप्रत्याशित परिणाम दिलाएगा। उतार-चढ़ाव की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्य पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। विद्यार्थियों और प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और प्रयास करने होंगे। संतान संबंधी चिंता परेशान कर सकती है। प्रेम संबंधी मामले में उदासीनता रहेगी, इसलिए कार्य के प्रति चिंतनशील रहें। आपके अपने ही लोग षड्यंत्र कर सकते हैं। हर कार्य और निर्णय बहुत सोच विचार कर ही लें।मीन राशिराशि से सप्तम दांपत्य भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव हर तरह से लाभदायक ही रहेगा। योजनाएं तो फलीभूत होंगी ही सरकारी विभागों के प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे। किसी बड़े अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो तो उस दृष्टि से भी समय अनुकूल रहेगा। वैवाहिक वार्ता सफल रहेगी। इस अवधि के मध्य भावनाओं में बहकर लिया गया निर्णय नुकसानदेय सिद्ध हो सकता है। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। विलासिता पूर्ण वस्तुओं पर खर्च होगा। वाहन का भी क्रय कर सकते हैं।
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पं. प्रकाश उपाध्याय
पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 17 सितंबर 2024 को स्नानदान पूर्णिमा लगते ही पितृपक्ष शुरू हो जाएगा। पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक रहेगा। ब्रह्म पुराण के मुताबिक मनुष्य को पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए और उनका तर्पण करना चाहिए। पितरों का ऋण श्राद्ध के जरिए चुकाया जा सकता है।
तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मिलती है शांति
श्राद्ध के दौरान सबसे पहले प्रातःकाल स्नानादि करने के बाद हाथ में जल, कुश, अक्षत, तिल आदि लेकर पितरों को जल अर्पित करने को तर्पण कहते हैं। इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करते हुए जल ग्रहण करने की प्रार्थना की जाती है। मान्यता है कि तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही व्यक्ति को उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। ईश्वर का भजन करना चाहिए। इसके बाद अपने पूर्वजों का स्मरण करके उन्हें प्रणाम करना चाहिए और उनके गुणों को याद करना चाहिए।
पिंडदान से दिया जाता है पितरों को भोजन
पिंडदान का अर्थ होता है अपने पितरों को भोजन का दान देना। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज के गाय, कुत्ता, कुआं, चींटी या देवताओं के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भोजन के पांच अंश निकालने का विधान है। पिंडदान के दौरान मृतक के निमित्त जौ या चावल के आटे को गूंथ कर गोल आकृति वाले पिंड बनाए जाते हैं। इसलिए इसे पिंडदान कहा जाता है। -
हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ को देवों के रूप में माना जाता है। वहीं, इस पेड़ की पूजा भी की जाती है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में पूर्वजों का निवास होता है। इतना ही नहीं, आयुर्वेद में पीपल के पेड़ को औषधीय गुणों से भरपूर भी माना जाता है। हालांकि, हमारे समाज में पीपल के पेड़ से जुड़े कुछ अंधविश्वास या मिथ फैले हुए हैं। इसमें सबसे आम है- रात के समय पीपल के पेड़ पर आत्माओं का वास होता है। इसलिए रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए। आपने अपने बड़े-बुजुर्गों से भी अक्सर सुना होगा कि रात में पीपल के पेड़ के नीचे बिलकुल न सोएं। रात में इस पेड़ को छूना अशुभ होता है और नेगेटिव एनर्जी मिलती है। लेकिन, क्या वाकई ये सच है?
पीपल के पेड़ के नीचे सोने से जुड़े अंधविश्वासपीपल के पेड़ के नीचे सोने से अक्सर मना किया जाता है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ पर भूत-प्रेत या आत्माएं रहती हैं। रात के समय, आत्माएं ज्यादा शक्तिशाली हो जाती है। ऐसे में इनसे बचने के लिए रात में पीपल के पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए।पीपल के पेड़ के नीचे कब नहीं जाना चाहिए?पीपल के पेड़ के नीचे रात के समय नहीं सोना चाहिए। दरअसल, रात में पीपल के पेड़ के नीचे सोने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो सकता है। इससे आपको बेचैनी या घुटन महसूस हो सकती है।रात में पीपल के पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए?रात के समय पेड़ हवा में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। अधिक समय तक मानव शरीर के लिए कार्बन डाइऑक्साइड वाले वातावरण में रहना सही नहीं होता है। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक कार्बन डाइऑक्साइड लेता है, तो इससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है। इसलिए ही साइंस या विज्ञान में रात को पीपल के पेड़ के नीचे सोने से मना किया जाता है।”अगर पीपल के पेड़ की बात करें, तो यह काफी घना होता है। इसमें काफी पत्तियां होती हैं, इसलिए दिन के समय इस पेड़ से ऑक्सीजन सही मात्रा में मिलता है। वहां, अगर रात की बात करें, तो यह कार्बन डाइऑक्साइड भी अधिक मात्रा में छोड़ता है। घने पेड़ों के नीचे सोने से शरीर को अधिक कार्बन डाइटऑक्साइड मिल जाता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और व्यक्ति को सफोकेशन फील हो सकते हैं। यही वजह है कि पीपल के पेड़ के नीचे सोने से या फिर बैठने से भी मना किया जाता है।रात में कौन-से पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए?रात में सिर्फ पीपल के पेड़ के नीचे ही नहीं, बल्कि किसी भी घने पेड़ के नीचे सोने से बचना चाहिए। क्योंकि घने पेड़ के नीचे सोने से आपको दिक्कत हो सकती है।” क्या वाकई रात में पीपल के पेड़ के नीचे नहीं सोना अशुभ होता है? - -पं. प्रकाश उपाध्यायकई बार हम जाने अनजाने में किचन में कुछ ऐसी वस्तुएं रख देते हैं, जिनसे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार काफी बढ़ जाता है। वास्तु शास्त्र में किचन से जुड़े कई नियम बताए गए हैं। किचन की नकारात्मक ऊर्जा से परिवर के सदस्यों की सेहत भी प्रभावित हो सकती है। वहीं, किचन में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे तो घर की सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, आइए जानते हैं किचन में किन चीजों को नहीं रखना चाहिए-कांटेदार पौधे- किचन में मुरझाए पौधे रखना शुभ नहीं माना जाता है। वहीं, किचन के किसी भी कोने में सूखे हुए कांटेदार पौधे नहीं रखना चाहिए। इससे घर में नेगेटिव एनर्जी प्रवेश करती है।टूटे बर्तन- किचन में टूटे या चिटके हुए बर्तन नहीं रखने चाहिए। टूटे-फूटे डिब्बे भी रसोई में न रखें, इन बर्तनों से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।फटी-टूटी तस्वीरें- ज्यादातर लोग अपने किचन को एस्थेटिक लुक देने के लिए तस्वीरें लगाते हैं। वहीं, किचन में टूटी-फूटी या फटी हुई तस्वीर बिल्कुल भी नहीं लगानी चाहिए। इससे घर-परिवार में लड़ाई झगड़े का माहौल बनता है।टूटा कांच- किचन के किसी भी कोने में टूटा हुआ कांच या शीशा नहीं रखना या लगाना चाहिए। टूटा हुआ कांच नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बनता है। किचन में शीशा लगाना भी शुभ नहीं माना जाता है।गंदा पुराना पोंछा- कई बार लोग जल्दबाजी के चक्कर में या फिर आलस के चक्कर में किचन में गंदे, कटे-फटे कपड़े पोंछे के रूप में रख देते हैं। आपकी ये गलती वास्तु दोष के साथ-साथ नेगेटिव एनर्जी का कारण भी बन सकती है। इसलिए किचन में पुराना या गंदा कपड़ा न रखें।दवाई- किचन में दवाइयां रखने से नेगेटिव एनर्जी बढ़ जाती है। ऐसे में परिवार की सेहत पर भी असर पद सकता है। इसलिए कभी भी किचन में दवाइयां न रखें।
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पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफल
मेषआज के दिन आपको अपनी पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं पर विचार करने की जरूरत है। आज के दिन आपकी शारीरिक ऊर्जा में उतार-चढ़ाव रह सकता है।वृषभआज के दिन आपका स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है। इसके लिए आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के साथ ही भरपूर नींद भी लेनी चाहिए।मिथुनअगर के दिन आपको दिमाग पर ज्यादा प्रेशर लेने की जरूरत नहीं है। आज आपको अपने स्वास्थ्य को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे मेंटल हेल्थ को भी फायदा पहुंच सकता है।कर्कआज के दिन आपका स्वास्थ्य पूरा दिन ऊर्जावान रह सकता है। इसके लिए आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि आप जिन शारीरिक गतिविधियों में शामिल हैं क्या वे वास्तव में लाभकारी हैं।सिंहआज के दिन आपको अपनी दिनचर्या में संतुलित आहार को जरूर शामिल करना चाहिए। अगर आप जंक फूड्स खाते हैं तो इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैंकन्याआज आपको अपने स्वास्थ्य संबंधी दिनचर्या पर ध्यान देने के लिए एक अच्छा दिन है। आज के दिन आपको कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी एक्टिविटीज करनी चाहिए।तुलाआज आपके स्वास्थ्य के लिए संतुलन बनाए रखना बहुत अहम है। आज के दिन आपको ज्यादा देर तक लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन के सामने अधिक समय नहीं बिताना चाहिए।वृश्चिकआज के दिन आपको सुबह जल्दी उठकर योग और प्राणायाम करने की आवश्यकता है। इससे आपको पुरानी बीमारियों में आराम देखने को मिल सकता है।धनुआज के दिन आपको अपनी शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए आपको खुद पर भरोसा रखना चाहिए साथ ही आहार विचार पर भी काबू रखना चाहिए।मकरआज के दिन मकर राशि के लोगों को एक स्थिर दिनचर्या बनाए रखना चाहिए। आज आपको माइंडफुलनेस का भी अभ्यास करना चाहिए।कुंभआज के दिन प्रोसेस्ड और जंक फूड्स खाने से परहेज करें साथ ही साथ खुद को किसी न किसी काम में व्यस्त रखें ताकि मन में बहुत अधिक विचार न आएं।मीनआज आपको अपनी ऊर्जा को बचाकर रखना चाहिए और उसका उपयोग सही दिशा में करना चाहिए। अगर आपको पहले से ही कोई शारीरिक समस्या है तो चिकित्सक की सलाह जरूर लें।