इस दिशा में बनाएं घर का पूजा स्थल, देवी-देवताओं का मिलेगा विशेष आशीर्वाद
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र के अनुसार हर दिशा का एक खास महत्व और अपनी एक निश्चित ऊर्जा होती है। प्रत्येक दिशा और उसकी ऊर्जा को ध्यान में रखकर उसकी साज- सज्जा करने से घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर का सही दिशा में न होना कई परेशानियों की वजह बन सकता है। उचित दिशा में मंदिर का होना घर में सुख-शांति लाता है।
● वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर का निर्माण करना चाहिए। इसे ईशान कोण भी कहते हैं। ऐसा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। ईशान कोण को देवताओं का कोना भी कहा जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में ईश्वरीय शक्ति का प्रवेश उत्तर पूर्व दिशा से होता है। जो दक्षिण- पश्चिम से होकर बाहर निकलती है इसीलिए पूजा करते हुए व्यक्ति का मुंह हमेशा पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
● पूजा घर के आसपास शौचालय नहीं होना चाहिए। यदि बॉथरूम पहले से मौजूद है तो उसके दरवाजे हमेशा बंद करके रखें।
● पूजा घर में दीपक या अगरबत्ती जलाकर रखें ऐसा करने से वास्तु दोष दूर होता है।
● अपनी सुविधा को ध्यान में रखकर ज्यादातर घरों में मंदिर को जमीन से बहुत कम ऊंचाई पर स्थापित कर दिया जाता है। ताकि बैठकर आसानी से पूजा की जा सके। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बने मंदिर की ऊंचाई कम से कम 10 इंच होनी चाहिए।
● भूलकर भी घर की दक्षिण दिशा में पूजा घर न बनाएं।
- पंडित प्रकाश उपाध्याय
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