होली पर 30 साल बाद अद्भुत संयोग, होलिका दहन पर राशिनुसार करें इन लकडिय़ों का उपयोग
-पं. प्रकाश उपाध्याय
होलिका दहन का पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को लोग रंगोत्सव के रूप में होली पर्व मनाते हैं। सात मार्च को स्नान दान की पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। उपाध्याय जी ने बताया कि इस साल होली पर दो पूर्णिमा होने से रंगोत्सव, रंग गुलाल वाली होली आठ मार्च को मनायी जाएगी। दरअसल इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का आरंभ छह मार्च को अपराह्नकाल पर होगा। इसके कारण प्रदोष व्यापिनी व्रत की पूर्णिमा का मान रहेगा और सात मार्च को सायंकाल तक काल तक रहने से उदयकालीन स्नान दान पूर्णिमा का मान होगा। उन्होंने कहा कि शास्त्र के अनुसार भद्रा मुक्त प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा पर ही होलिका दहन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस साल होली पर्व ज्यादा खास रहने वाला है। दरअसल होली पर शनि 30 साल बाद स्वराशि कुंभ और 12 साल बाद देव गुरु बृहस्पति स्वराशि मीन में विराजमान रहने वाले हैं। इसके अलावा कुंभ राशि में त्रिग्रही योग बना रहेगा। होली पर ग्रहों की ऐसी स्थिति पूरे 30 साल बाद बन रही है।
जानिए राशिनुसार कौन सी लकड़ी डालनी चाहिए=
=मेष और वृश्चिक राशि के लोग होलिका दहन के समय खैर की लकड़ी
=वृष और तुला राशि वाले होलिका दहन वाले दिन गूलर की लकड़ी
=मिथुन और कन्या राशि के लोगों के लिए अपामार्ग की लकड़ी
=धनु और मीन राशि के लोगों के लिए पीपल की लकड़ी होलिका में डालें
=परेशानियों या मुश्किलों के निवारण के लिए कुछ सटीक उपाय हैं जिन्हें कर सकते जैसे शरीर के उबटन को होलिका में जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
=सफलता प्राप्ति के लिए होलिका दहन स्थल पर नारियल, पान तथा सुपारी भेंट करें।
=गृह क्लेश से निजात पाने और सुख-शांति के लिए होलिका की अग्नि में जौ-आटा चढ़ाएं।
=भय और कर्ज से निजात पाने के लिए नरसिंह स्रोत का पाठ करना लाभदायक होता है।
=होलिका दहन के बाद जलती अग्नि में नारियल दहन करने से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।
=घर, दुकान और कार्यस्थल की नजर उतार कर उसे होलिका में दहन करने से लाभ होता है।
=होलिका दहन के दूसरे दिन राख लेकर उसे लाल रुमाल में बाँधकर पैसों के स्थान पर रखने से बेकार खर्च रुक जाते हैं।
=लगातार बीमारी से परेशान हैं, तो होलिका दहन के बाद बची राख मरीज़ के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है।
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