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भुवनेश्वर में हैं ये 7 सबसे फेमस मंदिर, दर्शन के लिए हर दिन पहुंचते हैं हजारों लोग

ओडिशा के भुवनेश्वर को मंदिरों का शहर कहा जाता है। यहां न केवल देश से बल्कि दुनिया भर से बहुत सारे पर्यटकों को आकर्षित करता है। शहर में और उसके आसपास कई पुराने मंदिर हैं, जो बेहद प्राचीन हैं जहां दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। यहां भुवनेश्वर के कुछ फेमस मंदिरों के बारे में बता रहे हैं। जहां आप परिवार के साथ दर्शन के लिए जा सकते हैं।   
भुवनेश्वर के फेमस मंदिर---
1) लिंगराज मंदिर
लिंगराज मंदिर शहर का सबसे बड़ा और पुराना मंदिर है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिसे राजा जाजति केशरी ने बनवाया था। मंदिर को चार भाग में बांटा गया है, गर्भ गृह, यज्ञ शाला, भोग मंडप और नाट्यशाला। केवल मीनार ही नहीं, बल्कि भोग मंडप की दीवारों में भी मूर्तियां हैं।
2) राजरानी मंदिर
लिंगराज मंदिर के समान राजरानी मंदिर 11वीं शताब्दी की कलिंग वास्तुकला पर बना है। यहां की मूर्तियां भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह को दर्शाती हैं। इस मंदिर का एक और महत्व यह है कि इसका निर्माण उसी समय किया गया था जब पुरी में जगन्नाथ मंदिर था।
3) परशुरामेश्वर मंदिर
परशुरामेश्वर मंदिर 7वीं और 8वीं शताब्दी के बीच शैलोद्भव काल में बनाया गया है। इस मंदिर का रखरखाव और प्रशासन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है।
4) राम मंदिर
राम मंदिर भगवान राम, उनकी पत्नी, देवी सीता और उनके भाई भगवान लक्ष्मण को समर्पित है। गेरुए रंग से रंगे मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। रामनवमी, शिवरात्रि, जन्माष्टमी और दशहरा जैसे शुभ अवसरों के दौरान यहां का माहौल देखने लायक होता है। इसे भुवनेश्वर में सबसे फेमस मंदिरों में से एक माना जाता है।
5) ब्रह्मा मंदिर
ये मंदिर भगवान ब्रह्मा की ऐतिहासिक यात्रा का प्रतीक है। मंदिर में भगवान ब्रह्मा के शाश्वत ब्लैक क्लोराइट अवतार हैं, जो इस ऐतिहासिक मंदिर का सबसे अच्छा आकर्षण है। शाम के समय इस मंदिर में जाएं, क्योंकि इस दौरान यहां पंडित भगवान ब्रह्मा की पूरी महिमा के साथ पूजा करते हैं।
6) परशुरामेश्वर मंदिर
यह भुवनेश्वर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है, जिसका निर्माण 7वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ था। भगवान शिव को समर्पित, यह मंदिर अविश्वसनीय सार का दावा करता है जो आपके मन और आत्मा को शांत करेगा।
7) मुक्तेश्वर मंदिर
मुक्तेश्वर मंदिर भुवनेश्वर में स्थित दसवीं शताब्दी में बनाया गया था। मंदिर के शीर्ष पर मौजूद देवताओं की मूर्तियां भी बौद्ध प्रभाव की याद दिलाती हैं। इस मंदिर की प्रमुख विशेषता तोरण या मेहराब है जिसे विस्तृत रूप से महिलाओं के गहनें और अन्य जटिल डिजाइनों से सजाया गया है।

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