30 अक्तूबर को कन्या राशि में केतु का गोचर, ये राशि वाले जातक रहे सावधान.....
बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह समय-समय पर एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं। शनि के बाद राहु और केतु को सबसे धीमी गति से चलने वाला माना गया है। ं राहु और केतु लगभग डेढ़ वर्ष तक एक राशि में भ्रमण कर अपना फल लंबे समय तक प्रदान करते हैं। इस महीने 30 अक्तूबर को केतु अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं । केतु का गोचर अब कन्या राशि में होगा और अगले डेढ़ साल तक यहीं स्थित रहेगा। इस गोचर से 3 राशियां हैं। इन राशि वाले जातकों को इस दौरान सावधान रहने की जरूरत है। आइये जानते हैं ये राशियां कौन सी हैं।
वृष राशि
वृष राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर पंचम भाव में होगा। केतु के इस गोचर के कारण वृष राशि के जातकों को अपने रिश्तों के प्रति बहुत सावधान रहना होगा। इस राशि के जातकों को सलाह है कि वे अपने प्रेम संबंधों में सावधानी बरतें। प्रेमी के साथ तनाव और गलतफहमी या बढऩे की संभावना है। इस समय छात्र वर्ग को भी अच्छे परिणाम नहीं प्राप्त होंगे। उच्च शिक्षा करने वाले छात्रों को इस दौरान परेशानी हो सकती है। वृष राशि के जातकों को आर्थिक क्षेत्र में भी थोड़ा कमजोर महसूस होगा। व्यापार में उतना निवेश नहीं आ पाएगा। संतान पक्ष के साथ मतभेद हो सकते हैं और स्वास्थ्यगत परेशानियां भी हो सकती हैं।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर अब द्वादश भाव से होगा। इस भाव से व्यक्ति के खर्च का और विदेश यात्रा का बोध होता है तो इस भाव में विराजमान केतु की दृष्टि आपके अष्टम, छठे और चतुर्थ भाव पर होगी। केतु के इस गोचर के कारण तुला राशि के जातकों की आमदनी कम होगी और कुछ अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। आपके शत्रु आपके ऊपर हावी होने का पूरा प्रयास करेंगे। इस दौरान सावधानी से वाहन चलाइए क्योंकि दुर्घटना होने की आशंका है। हृदय से जुड़ी बीमारी वाले जातक खासतौर से सावधानी बरतें। यह गोचर मानसिक कष्ट में वृद्धि कर सकता है। केतु का प्रभाव आपके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन करने वाला होगा। इस दौरान आपकी विदेश जाने की इच्छा भी पूरी हो सकती है। अगर आप लेखक हैं तो आपके लेखन में निखार लाने का काम केतु के गोचर के दौरान होगा। ज्योतिष और तंत्र मंत्र से जुड़े जातकों को केतु अच्छी सफलता देने वाला होगा।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर अष्टम भाव से होगा। इस भाव से अचानक से होने वाली घटनाओं का विचार किया जाता है। इस भाव में विराजमान केतु की दृष्टि आपके द्वादश भाव, आपके वाणी भाव और आपके चतुर्थ भाव यानी मां के घर पर होगी। केतु के इस गोचर के कारण आपके वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति दिखाई दे रही है। पत्नी के साथ झगड़ा बढ़ सकता हैं। दूसरी ओर आपके कार्यक्षेत्र में भी कुछ असफलताओं को लेकर आप परेशान रहेंगे। व्यर्थ की यात्राओं से आपका मन खिन्न रहेगा। केतु के इस गोचर के कारण कोर्ट कचहरी के मामलों में आपका समय बर्बाद होगा। आपकी वाणी की कटुता पारिवारिक जीवन में तनाव पैदा करने का काम करेगी इसलिए अपनी वाणी को मधुर रखिए। इस गोचर के दौरान आप अपनी मां की सेहत को लेकर थोड़े परेशान भी हो सकते हैं। मानसिक कष्ट में वृद्धि संभव है।
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