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दिवाली लक्ष्मी पूजन में कमल के फूल का महत्व, लक्ष्मी पूजा की सरल विधि

-पं. प्रकाश उपाध्याय
 हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों को दिवाली के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस साल दिवाली या दीपावली 12 नवंबर 2023, रविवार को है। दिवाली के दौरान लोग अपने प्रियजनों को उपहार देते हैं और अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं। दिवाली का त्योहार धनतेरस से प्रारंभ होकर भाईदूज के दिन समाप्त होता है। दिवाली के दिन शाम को शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी पूजा की जाती है। मां महालक्ष्मी, मां महाकाली और मां सरस्वती, मां लक्ष्मी के स्वरूप हैं जिनकी दिवाली के दौरान पूजा की जाती है। लक्ष्मी पूजा में कमल के फूल का बहुत महत्व है। जानें लक्ष्मी पूजा में कमल के फूल का महत्व-
लक्ष्मी पूजन में कमल के फूल का महत्व
अष्टकमल यानी आठ कमल के फूल मां लक्ष्मी को बहुत अतिप्रिय हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां लक्ष्मी का अवतार कमल के फूल से हुआ था। इसलिए लक्ष्मी पूजा के दौरान मां को आठ कमल के फूल चढ़ाए जाते हैं। अगर लक्ष्मी पूजा के दौरान कमल के फूल उपलब्ध नहीं हैं, तो भक्त मां लक्ष्मी को गुड़ भी चढ़ा सकते हैं।
लक्ष्मी पूजन मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद।
                      श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥
मां लक्ष्मी बीज मंत्र: लक्ष्मी बीज मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो जीवन से धन की कमी को दूर कर सकता है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी को 8 कमल के फूल चढ़ाने और लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करने से भक्तों को कर्ज से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि जब हम लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करते हैं तो बुद्धि तेज होती है और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि:
1. सबसे पहले ईशान कोण या उत्तर दिशा में साफ-सफाई के बाद स्वास्तिक बनाएं। एक कटोरी चावल रखें। लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी की तस्वीर में गणेश जी और कुबेर जी की भी तस्वीर रहे।
2. सभी मूर्तियों या तस्वीरों पर जल छिड़ककर पवित्र करें।
3. अब कुश के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी को वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत और अंत में दक्षिणा चढ़ाएं।
4.  माता लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं के मस्तक पर हल्दी, रोली और चावल लगाएं।
5. पूजा करने के बाद भोग या प्रसाद चढ़ाएं।
6. अंत में खड़े होकर देवी-देवताओं की आरती उतारें। आरती करने के बाद उस पर जल फेर दें।
8. पूजा के बाद घर के आंगन और मेनगेट में दीये जलाएं। एक दीपक यम के नाम का भी जलाना चाहिए।

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