एवरेस्ट पर स्थित दो हजार साल पुराना ग्लेशियर इस सदी के मध्य तक गायब हो सकता है: अध्ययन
काठमांडू। नेपाल में अनुसंधानकर्ताओं ने मंगलवार को चेतावनी दी कि माउंट एवरेस्ट पर स्थित सबसे बड़ा ग्लेशियर इस शताब्दी के मध्य तक गायब हो सकता है क्योंकि विश्व की सबसे ऊंची पर्वतीय चोटी पर स्थित दो हजार साल पुराना हिमखंड तेजी से पिघल रहा है। यहां स्थित ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट' (आईसीआईएमओडी) ने हाल में प्रकाशित एक शोधपत्र के हवाले से कहा कि एवेरेस्ट पर 1990 के दशक से लगातार बड़ी मात्रा में बर्फ पिघल रही है। आईसीआईएमओडी ने कहा कि एवरेस्ट पर किये गए सबसे व्यापक वैज्ञानिक अध्ययन ‘द एवरेस्ट एक्सपेडिशन' के तहत ग्लेशियरों पर गहन अनुसंधान किया। ‘नेचर पोर्टफोलियो' में हाल में प्रकाशित एक आलेख में कहा गया कि एवरेस्ट पर बर्फ बेहद तेजी से पिघल रही है। इस अनुसंधान में आठ देशों से वैज्ञानिकों ने भाग लिया जिसमें से 17 नेपाल के हैं। अध्ययन में शामिल तीन सह लेखक आईसीआईएमओडी से सम्बद्ध हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा अनुमान लगाया गया है कि 8,020 मीटर की ऊंचाई पर स्थित साउथ कोल ग्लेशियर लगभग दो मीटर प्रति वर्ष की दर से पिघल रहा है। अनुसंधानकर्ताओं ने ‘रेडियो कार्बन डेटिंग' के माध्यम से पता लगाया है कि ग्लेशियर दो हजार साल पुराना है। उन्होंने अंदेशा जताया है कि सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित यह ग्लेशियर इस सदी के मध्य तक पिघल जाएगा। अनुसंधान में कहा गया है कि इसका कारण जलवायु परिवर्तन हो सकता है।
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