अम्बेडकर अस्पताल में स्यूडो सिस्ट इन पैंक्रियाज का सफल ऑपरेशन कर युवक की बचाई जान
-किशोरावस्था से शराब की लत ने युवक को अग्न्याशय की गंभीर बीमारी का मरीज बना दिया
-विभागाध्यक्ष जनरल सर्जरी डॉ. मंजू सिंह के अनुसार, इतनी कम उम्र में शराब का सेवन है बेहद खतरनाक
रायपुर। पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के जनरल सर्जरी विभाग में बेहद ही कम उम्र में शराब के सेवन से 18 वर्षीय युवक के अग्न्याशय यानी पैंक्रियाज में बन चुकी 30 सेंटीमीटर से बड़ी पानी की थैली (स्यूडो सिस्ट इन पैंक्रियाज) का सफल ऑपरेशन कर युवा मरीज की जान बचाई। जनरल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.(प्रो.) मंजू सिंह के नेतृत्व में हुए इस सफल ऑपरेशन में आमाशय द्वारा अग्न्याशय में बनी थैली के पानी को निकालकर जोड़ा गया। डॉ. मंजू सिंह के साथ सह प्राध्यापक एस. एन. गोले, सह प्राध्यापक डॉ. अमित अग्रवाल एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. मनीष साहू के द्वारा सिस्टोगैस्ट्रोस्टोमी सर्जरी तकनीक से यह ऑपरेशन किया गया जिसमें अग्न्याशयी स्यूडो सिस्ट और पेट के बीच एक छेद बनाया जाता है। सिस्ट की वॉल को आमाशय की वॉल से एनास्टोमोसिस (कनेक्ट) कर दी जाती है या जोड़ दी जाती है।
डॉ. मंजू सिंह के अनुसार अग्न्याशय के पानी की थैली के ऑपरेशन जनरल सर्जरी विभाग में प्रायः किया जाता है लेकिन इतनी कम उम्र (18 वर्ष) में शराब के सेवन के कारण अग्न्याशय में स्यूडो सिस्ट (pseudocyst) बन जाने का केस बहुत कम होता है।आमतौर पर इतनी कम उम्र में यह बीमारी वंशानुगत कारणों से होती है। इस केस में युवक किशोरावस्था से शराब का सेवन कर रहा था। विगत 4 वर्षों से शराब का सेवन करने से मरीज के पेट में यह बीमारी उत्पन्न हो गई जो कि पिछले दो माह से बढ़ रही थी जिसके कारण मरीज को पेट में सूजन एवं दर्द की शिकायत थी।
सह प्राध्यापक जनरल सर्जरी डॉ. अमित अग्रवाल के मुताबिक यह बीमारी ज्यादातर उम्रदराज या फिर 30 से 50 वर्ष के लोग जो लंबे समय से शराब का सेवन करते हैं, उनमें पायी जाती है किन्तु आजकल युवाओं में बढ़ते शराब के सेवन के कारण यह बीमारी देखने को मिल रही है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है और युवाओं के सेहत के लिए ठीक नहीं है। इस बीमारी का मुख्य कारण शराब की लत है,कई बार यह बीमारी जानलेवा होती है एवं समाधान केवल सर्जरी है इसलिए युवाओं को शराब से दूर रहने में ही भलाई है।
इस सफल ऑपरेशन में जनरल सर्जरी विभाग के सीनियर डॉक्टरों के साथ-साथ पीजी थर्ड ईयर के डॉ. अंकित, डॉ. सुरभि, डॉ. रेनू, सेकंड ईयर के डॉ. राजीव, डॉ. रवि, डॉ. प्रदीप, फर्स्ट ईयर के डॉ. राजन, डॉ. तपनीश, डॉ. कमलेश्वर एवं डॉ. रेशम का सहयोग रहा।
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