गीत कोई नया गुनगुनाते रहें...
-सजल
-लेखिका- डॉ. दीक्षा चौबे
- दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
गीत कोई नया गुनगुनाते रहें।
जिंदगी को खुशी से सजाते रहें ।।
भूलते जा रहे मूल्य को आज सब।
मार्ग सच्चा सभी को सुझाते रहें।
सामना हम करें मुश्किलों का सदा।
हार को जीत अपनी बनाते रहें।।
कुछ नया हम करें याद दुनिया रखे ।
राह आसान सबको दिखाते रहें ।।
आपदा में नहीं साथ छोड़ें कभी।
हौसला साथियों का बढ़ाते रहें।।
कोशिशें हों सुखी सब रहें आपसे।
नित्य गिरते हुए को उठाते रहें।।
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