आंखों और चेहरे से जानें लोगों के दिल का राज
कई बार व्यक्ति बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ कह जाता है, बस सामने वाले को इसे भांपना आना चाहिए। नीति शास्त्र की ज्ञान भरी बातें लक्षणों के आधार पर व्यक्ति के मन का भेद बताती हैं, जिन्हें जानकर बिना जन्मकुण्डली या ग्रहदशा देखे ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि व्यक्ति का कार्य सामने वाले व्यक्ति से बनेगा या नहीं। अक्सर हम किसी से कुछ मांगते हैं या कोई आग्रह करते हैं, पर सामने वाला व्यक्ति ‘हां’ कहेगा या ‘न’, यह उसकी आंखों, मुखमुद्रा और व्यवहार से पहले ही समझा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को किसी को कुछ देने की भावना होती है, तो उसके चेहरे पर सहज सौम्यता दिखाई देती है, उसकी आंखों में स्नेह और प्रसन्नता झलकती है। ऐसा लगता है मानो मन की सहमति चेहरे से प्रकट हो रही हो। यह वही क्षण होता है जब हमें विश्वास हो जाता है कि हमारी इच्छा पूरी होने वाली है। किसी कवि ने कहा है,नयना देत बताय सब, जियको भेद अभेद। जैसे निर्मल आरसी, भली बुरी कहि देत।।
आंखें मन की बातों को प्रकट कर देती हैं, जैसे दर्पण मुख की हर विकृति को साफ़ दिखा देता है। जब व्यक्ति ‘ना’ कहना चाहता है, तब उसका व्यवहार एकदम बदल जाता है। प्राचीन ग्रंथों में “न कार षट् लक्षणम”, यानी ‘न’ के छह लक्षण बताए गए हैं, मौन हो जाना, कल परसों आना, आसमान को देखना, आंखें नीची कर लेना, चलने को उद्यत हो जाना, अन्य व्यक्ति से बात प्रारम्भ कर देना।
मौनं काल विलम्बश्च, भृकुटि भूमि-दर्शनम्। प्रयाणान्य वार्ता च, न कार षट् लक्षणम्।।
इनमें से एक भी लक्षण यदि दिख जाए, तो समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति का मन ‘ना’ कह चुका है, चाहे उसके होंठ अब तक मौन हों। वास्तव में, मनुष्य का मौन, दृष्टि और आचरण में उसके मनोभावों की सच्ची अभिव्यक्ति छिपी होती है। शब्द तो केवल औपचारिकता हैं, निर्णय तो चेहरे की झलक, आंखों की भाषा और व्यवहार के संकेत पहले ही दे देते हैं। यही मनोविज्ञान की वह सूक्ष्म कला है, जो हमें दूसरों को समझने की शक्ति प्रदान करती है।
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