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कन्नड़ लघु कथा संग्रह ‘हृदय दीप' के अनूदित संस्करण को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला

 लंदन/बेंगलुरु.  लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बानू मुश्ताक के कन्नड़ लघु कथा संग्रह ‘हृदय दीप' के अनूदित संस्करण ‘हार्ट लैंप' को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पहली कन्नड़ कृति है जिसे 50,000 पाउंड के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। मुश्ताक ने मंगलवार रात लंदन के ‘टेट मॉडर्न' में एक समारोह में अपनी इस रचना की अनुवादक दीपा भास्ती के साथ पुरस्कार प्राप्त किया। दीपा भास्ती ने इस किताब का कन्नड़़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया था। मुश्ताक ने कहा, ‘‘यह पल ऐसा लगता है जैसे हजारों जुगनू एक ही आकाश को रोशन कर रहे हों...।''

 
मुश्ताक की 12 लघु कहानियों का यह संग्रह दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समुदाय में हर दिन महिलाओं के लचीले रुख, प्रतिरोध और उनकी हाजिरजवाबी का वर्णन करता है, जिसे मौखिक कहानी कहने की समृद्ध परंपरा के माध्यम से जीवंत रूप दिया गया है। पुरस्कार हासिल करने के बाद मुश्ताक (77) ने कहा, ‘‘हम व्यक्तिगत रूप से और एक वैश्विक समुदाय के रूप में तभी फल-फूल सकते हैं जब हम विविधता को अपनाते हैं, अपने मतभेदों का जश्न मनाते हैं और एक-दूसरे को आगे बढ़ाते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘साथ मिलकर हम एक ऐसी दुनिया बनाते हैं, जहां हर आवाज सुनी जाती है, हर कहानी मायने रखती है और हर व्यक्ति का अपना स्थान होता है।'' ‘हार्ट लैंप' यह पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला लघु कथा संग्रह भी है। इसमें मुश्ताक की 1990 से लेकर 2023 तक 30 साल से अधिक समय में लिखी कहानियां हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह किताब इस विश्वास से पैदा हुई है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती और मानवीय अनुभव के ताने-बाने में बुना गया हर धागा पूरी कहानी का भार उठाता है।'' छह लघु कहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और एक कविता संग्रह की लेखिका मुश्ताक केवल कन्नड़ में लिखती हैं और उन्होंने अपने साहित्यिक कार्यों के लिए कर्नाटक साहित्य अकादमी और दाना चिंतामणि अत्तिमब्बे पुरस्कार समेत प्रमुख पुरस्कार हासिल किये हैं। किताब के रूप में ‘‘हार्ट लैंप'' मुश्ताक की कृति का अंग्रेजी में पहला अनुवाद है।
 
यह दूसरा मौका है जब किसी भारतीय भाषा की अनूदित किताब के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है। वर्ष 2022 में कथाकार गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि' के अनुवादित संस्करण ‘टॉम्ब ऑफ सैंड' को यह पुरस्कार मिला था। ‘रेत समाधि' का अंग्रेजी में अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया था। अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष मैक्स पोर्टर ने विजेता कथा संग्रह को अंग्रेजी पाठकों के लिए वास्तव में कुछ नया बताया। उन्होंने कहा, ‘‘एक क्रांतिकारी अनुवाद जो भाषा को बुनता है, अंग्रेजी की बहुलता में नयी बनावट बनाता है।'' भास्ती ने कहा कि उम्मीद है कि इस पुरस्कार से विभिन्न भाषाओं की किताबों को पढ़ने और लिखने तथा अनुवाद में अधिक रुचि पैदा होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप दुनिया की कहानी के बारे में सोचें तो यह मिटाने का इतिहास है, यह महिलाओं की जीत को मिटाने और महिलाओं तथा इस दुनिया के कई हाशिये पर रहने वाले लोगों के जीवन और प्रेम की सामूहिक स्मृति को चुपके से मिटाने की विशेषता है। यह पुरस्कार ऐसी हिंसा के खिलाफ लंबे समय से चल रही लड़ाई में एक छोटी सी जीत है।'' भास्ती के स्तंभ, निबंध और सांस्कृतिक आलोचना भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए हैं। भास्ती द्वारा मुश्ताक की कहानियों के अनुवाद को 2024 में पेन का ‘पेन ट्रांसलेट' पुरस्कार मिला था। बानू मुश्ताक के पति मुश्ताक मोइनुद्दीन और बेटे ताहिर मुश्ताक यह सम्मान मिलने पर बहुत खुश हैं।
 
उनके पति ने कहा, ‘‘हम इस खबर से बहुत खुश हैं। इसने भारत और कर्नाटक को गौरव दिलाया है। यह केवल हमारे लिए पुरस्कार नहीं है, यह व्यक्तिगत नहीं है, यह पूरे कर्नाटक के लिए बहुत खुशी की बात है।'' उनके बेटे ताहिर ने कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए बहुत ही रोमांचक, महत्वपूर्ण और खुशी की घटना है, न केवल हमारे परिवार के लिए बल्कि सभी कन्नड़ लोगों के लिए... हम बहुत खुश हैं कि एक कन्नड़ रचना ने दुनियाभर के पाठकों को प्रभावित किया और उनका दिल जीता।'' अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि विभिन्न भाषाओं के साहित्य को मान्यता दी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अद्भुत है कि दूसरी भाषा की कृति को यह पुरस्कार मिला है। मैं मुश्ताक और भास्ती को बधाई देती हूं। हम सभी को बहुत-बहुत बधाई, क्योंकि हम उस बड़े समुदाय का हिस्सा हैं। जहां तक वैश्विक प्रभाव की बात है, उनके लिए इसका मतलब है ज़्यादा से ज़्यादा किताबें दिखेंगी...दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अलग-अलग भाषाओं के साहित्य को मान्यता मिल रही है।''

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