श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी आज; श्री कृपालु महाप्रभु विरचित पद द्वारा आइये ब्रजधाम में जन्मोत्सव के आनन्द की झाँकी देखने चलें!!
Happy Shri Krishna Janmashtami
(भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्सव 'जन्माष्टमी' तथा ब्रजधाम में इस आनंदोत्सव पर मनाये जा रहे 'नन्दोत्सव' महापर्व की हार्दिक शुभकामनायें!!..)
आज श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी है। आप सभी श्रद्धालु पाठक समुदाय को भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य-उत्सव की अनंत-अनंत शुभकामनायें. आइये जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित इस पद के भाव के माध्यम से हम सभी ब्रजधाम के गोकुल ग्राम में नंद-यशोदा के महल चलें और बधाई और उल्लास का आनंद देखें और स्वयं भी भाव-मन से इस नंद-महामहोत्सव में सम्मिलित होकर आनंद-रस में भींग जायँ....
नंद-महर-घर बजत बधाई।
जायो पूत आजु नँदरानी, नाचत गावत लोग लुगाई।
दूध दही माखन की काँदौ, सब मिलि भादौं मास मचाई।
बाजत झाँझ मृदंग उपंगहिं, वीना वेनु शंख, शहनाई।
छिरकत चोवा चंदन थिरकत, करि जयकार कुसुम बरसाई।
शिव समाधि बिसराइ भजे ब्रज, देखन के मिस कुँवर कन्हाई।
याचक भये अयाचक सिगरे, हम 'कृपालु' धनि ब्रजरज पाई।।
भावार्थ : गोकुल में नन्दराय बाबा के घर में श्रीकृष्ण के अवतार लेने के उपलक्ष्य में बधाई बज रही है। यद्यपि श्रीकृष्ण का अवतार मथुरा में लीला-रुप से देवकी के गर्भ से हुआ था एवं अर्धरात्रि के ही समय वसुदेव श्रीकृष्ण को उनकी योगमाया के सहारे यशोदा के पास सुला आये, एवं उसी समय यशोदा के गर्भ से उत्पन्न योगमाया को अपने साथ ले आये थे, किन्तु प्रकट रुप से यह रहस्य यशोदा भी नहीं जानती थी. केवल वसुदेव, देवकी ही जानते थे. अतएव समस्त गोकुल ग्रामवासियों को यही ज्ञान रहा कि आज रात को यशोदा के ही गर्भ से श्रीकृष्ण जन्म हुआ है. समस्त गोकुल के नर-नारी नाचते-गाते हुये आनंद विभोर होकर कह रहे हैं कि आज नन्दरानी के लाल हुआ. भादों के महीने में कृष्ण-पक्ष की नवमी तिथि पर समस्त नर-नारियों ने दूध, दही, मक्खन आदि को छिड़कते हुये सारे गोकुल में कीचड़-ही-कीचड़ कर दी. झाँझ, मृदंग, उपंग, वीणा, मुरली, शंख, शहनाई आदि विविध प्रकार के बाजे बजने लगे. चोवा, चंदन आदि सुगंधित द्रव्यों को एक दूसरे पर छिड़कते हुये नाच-नाचकर पुष्प-वर्षा करते हुये कन्हैया की जयकार करने लगे. शंकर जी भी अपनी निर्विकल्प समाधि भुलाते हुये अपने इष्टदेव, प्रेमावतार यशोदा के लाल कुँवर कन्हैया के दर्शन के लिये शिवलोक से भागे-भागे गोकुल चले आये. जिसने जो कुछ भी माँगा उस याचक को वही दिया गया। 'श्री कृपालु जी' कहते हैं कि जिनको बड़ी-बड़ी चीजें मिली वह अपनी जानें, हम तो ब्रज की धूल ही पाकर कृतार्थ हो गये.
०० पद स्त्रोत ::: प्रेम रस मदिरा ग्रंथ, श्रीकृष्ण बाल लीला माधुरी, पद संख्या
०० रचयिता ::: भक्तियोगरसावतार जगदगुरुत्तम स्वामी श्री कृपालु जी महाराज
★★★
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(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
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