ब्रेकिंग न्यूज़

 भक्त के बाहरी स्वरूप व क्रिया को देखना कभी कभी धोखा क्यों बन जाता है? आत्मा और शरीर के विषय क्या हैं और क्यों हैं?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 386

भक्तियोगरसावतार जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज अक्सर मृदंग बजाकर 'हरे राम' संकीर्तन कराते थे। जैसे ही मृदंग उनके हाथ में आता, संकीर्तन में प्राण आ जाते। उनकी लम्बी लम्बी अंगुलियों का थिरकना, उनकी थाप सभी कुछ अलौकिक था। सभी भक्त भक्तिरस में डूब जाते और अश्रुपूरित नेत्रों से उनकी उस मधुरातिमधुर मनोहारी छवि का दर्शन करते। ऐसा लगता, जड़-चेतन सभी प्रेमरस सिन्धु में डूबते चले जा रहे हैं। कभी कभी 'हरे राम' संकीर्तन के मध्य वे भावस्थ अवस्था में ही 'हरि-हरि बोल' संकीर्तन करते हुये दोनों भुजायें ऊपर उठाकर खड़े हो जाते थे। सामूहिक कीर्तन 'हरे राम' की जगह 'हरि बोल' में परिवर्तित हो जाता था। फिर आगे जो दिव्य दृश्य प्रगट होता था, उसका वर्णन लेखनी से सर्वथा असम्भव है। भक्तिरस का जन-जन में महान दान करने वाले रसिकवर श्री कृपालु महाप्रभु जी की दिव्य वाणी के अमृत कणों का आइये पान करें...

★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)

भक्त के भीतर देखो गोविन्द राधे।
बाहर का देखना है धोखा बता दे।।

भावार्थ ::: भक्तों की बाहरी क्रियाओं पर कभी ध्यान नहीं देना चाहिये। बाहर का व्यवहार, चेष्टा, क्रिया देखकर भ्रम हो सकता है। स्वयं को छिपाने के लिये अथवा साधक की मन, बुद्धि की शरणागति की परीक्षा लेने के लिये महापुरुष विपरीत क्रिया एवं चेष्टा भी करते हैं। अतः महापुरुष की आन्तरिक स्थिति पर ही ध्यान देना चाहिये।

• संदर्भ ग्रन्थ ::: गुरु गोविन्द, पृष्ठ संख्या 91 एवं 92
----------------
★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)

...हमने अपने आपको शरीर समझ लिया और उस शरीर के उपभोग के चक्कर में पड़ गये और संसार के समस्त पदार्थों को इस शरीर रूपी कुण्ड में डाल डालकर के अनन्त जन्म बिता दिये कि आत्मा को आनंद मिल जायेगा। आत्मा का सब्जेक्ट ही नहीं है क्योंकि आत्मा स्प्रिचुअल है। आध्यात्मिक है, तो आध्यात्मिक मैटर का सब्जेक्ट होता है ये आँख, कान, नासिका, रसना, त्वचा - ये पंचमहाभूत के अंश हैं इसलिये पंचमहाभूत के पदार्थ इनके सब्जेक्ट हैं। आत्मा ईश्वर का अंश है इसलिए ईश्वर आत्मा का सब्जेक्ट है सीधा सीधा...

• संदर्भ पुस्तक ::: प्राणधन जीवन कुंज बिहारी, पृष्ठ संख्या 184

★★★
ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english