श्रीकृष्ण श्रीराधा की आराधना क्यों करते हैं? हम कहीं भी रहें, हमें निरंतर किस बात का स्मरण रहना चाहिये?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 388
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ऐसे जगदगुरु हुये जिन्होंने श्रीराधारानी गुणगान को विश्वव्यापी बनाया। वस्तुतः दिव्य प्रेम रस स्वरूप श्री कृपालु महाप्रभु के रूप में भगवान की कृपाशक्ति का ही अवतरण हुआ अतः उनके अलौकिक चरित्र का उनकी कृपा द्वारा वर्णन हो सकता है। जीवन पर्यन्त उन्होंने श्रीराधारानी को ही अपनी स्वामिनी मानते हुये श्रीराधा गुणगान का ही दिव्य सन्देश दिया है। जो राधा तत्व पुस्तकों तक सीमित था, उसे अत्यधिक सरल भाषा में उन्होंने समझाया है। आइये उनके साहित्य तथा प्रवचनों में समाहित 'श्रीराधा-तत्व' सम्बन्धी कुछ चिन्तन प्राप्त करें...
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
जहाँ जब रहो सोचो सदा उर धामा।
मन की करतूत सारी लिखें नित श्यामा।।
भावार्थ ::: जीव जिस किसी भी स्थान पर रहे, उसे सदा यह चिन्तन करना चाहिये कि मेरे हृदय में विराजमान श्रीराधा मेरे मन के शुभ अशुभ समस्त संकल्पों को जानकर उनके अनुसार मुझे मेरे कर्मों का फल प्रदान करेगी।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: श्यामा श्याम गीत, दोहा संख्या - 71
----------------
★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'
(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...सब आत्माओं की आत्मा श्रीकृष्ण हैं। तो जैसे आत्मा के सर्वेन्ट हैं ये शरीरेन्द्रीय मन बुद्धि, ऐसे आत्मा सर्वेन्ट है, दास है श्रीकृष्ण का। नहीं मानते इसलिये रो रहे हैं, 84 लाख में घूम रहे हैं। माया को मान लिया स्वामिनी। तो श्रीकृष्ण हमारे स्वामी और आत्मा उनकी दास। ऐसे ही श्रीकृष्ण की आत्मा हैं राधा और श्रीकृष्ण उनके दास हैं। आत्मा राधा उनके शरीर के समान श्रीकृष्ण और श्रीकृष्ण आत्मा इस आत्मा के और ये आत्मा इस शरीर की आत्मा। यानी ये शरीर की आत्मा की आत्मा श्रीकृष्ण की आत्मा राधा!! इसलिये श्रीकृष्ण राधा की आराधना करते हैं...
• संदर्भ पुस्तक ::: साधन साध्य पत्रिका, जुलाई 2017 अंक
★★★
ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)
Leave A Comment