आज 2 पर्व; गणेश चतुर्थी और श्रीकृष्ण की बरहौ; क्या है भगवान श्री गणेश की महिमा और हम उनसे क्या याचना करें?
Happy Ganesh Chaturthi
& Happy Shri Krishna Barhaun
आज 2 पावन पर्व हैं। प्रथम; आज श्री गणेश चतुर्थी है। आदि पूज्य देव भगवान श्री गणेश की स्तुति-वंदन का महापर्व और दूसरा; आज भगवान श्रीकृष्ण की 'बरहौं' का पर्व भी है। अर्थात जन्माष्टमी में जन्म से आज बालगोपाल 12-दिन के हो गये हैं। ब्रजधाम में समस्त ब्रजवासी अपने ब्रजचंद्र नीलमणि यशोदानन्दन कृष्ण को पालने में झूलते देखकर आनन्द में मग्न हैं और उनकी जय-जयकार करते हुए आशीष प्रदान कर रहे हैं। इन दोनों महापर्वों में हम भी आनन्दपूर्वक सम्मलित होवें।
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने अपने साहित्यों में आदि पूज्य देव श्री गणेश जी की वंदना में अनेक दोहों तथा कीर्तनों की रचना की है, जिसमें उन्होंने उनके स्वरूप तथा गुणों की निष्कामतापूर्वक स्तुति की है तथा उनसे श्रीराधाकृष्ण का दर्शन, प्रेम और सेवा की ही याचना की है। आइये हम भी उन्हीं के शब्दों में भगवान श्री गणेश की स्तुति करें :::
गाइये गणपति जगवंदन।
सिद्धि सदन शिव शंकर नंदन।
भक्त जनन के विघ्न विनाशन।
भक्ति भाव ते करु नित अर्चन ।
मन ते करु नित गणपति चिंतन।
रसना ते गाइय उन गुनगन।
जय हो जय हो गणपति त्रिभुवन वंदन।
तुम्हरो कोटि कोटि अभिनंदन।
कोउ भल गन भी ले, जग भू रज कन।
पै गणपति तव गुन नहिं सक गन।
हे गणेश गजपति लंबोदर।
कृष्ण प्रेम पाऊँ यह दो वर।
अति कृपालु तुम गौरी नंदन।
अस वर दो दे राधा दरसन।।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: ब्रज रस माधुरी (भाग - 1)
आदि पूज्य देव भगवान श्री गणेश की स्तुति में श्री कृपालु जी महाराज ने अन्यत्र कहा है;
"...सम्पूर्ण संसार में जो पृथ्वी है, इसके जो रज हैं, धूल, इसके जो कण हैं, उसको भी कोई गिन ले; असम्भव है, 4 फुट जमीन के धूल के कण को कोई नहीं गिन सकता, फिर सम्पूर्ण जग की पृथ्वी के कण को कोई गिन ले, असम्भव है। लेकिन फिर भी, भले ही कोई गिन ले, लेकिन हे गणपति! तुम्हारे गुण-गन को कोई नहीं गिन सकता। तुम्हारे इतने गुण हैं कि उनको कोई नहीं गिन सकता, भले ही सम्पूर्ण पृथ्वी के रज-कण को गिन ले..."
अनन्त गुणों की खान गौरीनंदन, शंकरसुवन, गणनायक भगवान श्री गणेश की सदा जय हो!! पुनः आप सभी पाठक जनों को 'श्री गणेश चतुर्थी' और भगवान श्रीकृष्ण की 'बरहौं' की हार्दिक शुभकामनायें!!
★★★
ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)
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