श्रीवृषभानुनंदिनी राधारानी के गुणों का चिंतन; 14 सितम्बर को राधाष्टमी; जानें कौन हैं श्रीराधारानी, वे हमें कैसे मिलेंगी?
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Note : जगदगुरु कृपालु परिषत के रँगीली महल, बरसाना आश्रम में स्थित श्री कीर्ति मन्दिर में श्रीराधारानी के प्राकट्योत्सव श्री राधाष्टमी उत्सव के Youtube (JKPIndia) पर लाइव प्रसारण के संबंध में जानकारी इस फोटो से प्राप्त करें! आप सभी इस महा आनंद महोत्सव में सादर आमंत्रित हैं!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 393
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ऐसे प्रथम जगदगुरुत्तम हैं जिन्होंने देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी श्रीराधा नाम का अंधाधुंध प्रचार किया। आचार्य श्री ने श्रीराधारानी को ही अपनी स्वामिनी माना है। उन्होंने अपनी कृतियों में इसी पक्ष को उद्भासित किया है कि श्रीराधा के सेवक स्वयं श्रीकृष्ण हैं। आइये आज हम उनके द्वारा ही प्रदत्त उन उपदेशों का पठन करें जो उन्होंने अपने साहित्यों में हम सभी जीवों के आत्मिक कल्याण के निमित्त दिये हैं ::::
•• महारानी श्रीराधारानी चिंतन : यहाँ से पढ़ें..
(1) श्रीवृषभानुनन्दिनी राधिका जी ही एकमात्र सर्वश्रेष्ठ तत्त्व हैं। उन्हीं का अपर अभिन्न स्वरुप स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण हैं, जिनका अवतार द्वापर युग के अंत मे हुआ था।
(2) कभी एक क्षण के लिए भी स्वयं को अकेला न मानो। सदा सब स्थानों पर श्रीराधा तुम्हारे साथ हैं। जीव के कर्मानुसार शरीर का जन्म मरण होता रहता है। इस कारण हर जन्म में नयी नयी मातायें भी बनीं। आत्मा की माँ श्रीराधा तो सदा से एक ही थीं, एक ही रहेंगी।
(3) जीव जिस किसी भी स्थान पर रहे, उसे सदा यह चिंतन करना चाहिए कि मेरे हृदय में विराजमान श्रीराधा मेरे मन के शुभ अशुभ समस्त संकल्पों को जानकर उनके अनुसार मुझे मेरे कर्मों का फल प्रदान करेंगी। हे मन ! निरंतर अपनी इष्टदेवी श्रीराधा का स्मरण कर। उनसे भी यही प्रार्थना कर कि तुझे वे एक क्षण को भी न भूलें।
(4) शास्त्रों के श्रवण-पठन के द्वारा केवल जान लेने मात्र से काम नहीं बनेगा। पहले जानना है, जानने के बाद मानना एवं मानने के बाद श्री राधिका की मन से शरणागति करनी होगी। हे जीवों ! निष्काम भाव से श्रीराधा नाम, रूप, गुण, लीला, जन एवं धाम में ही अपने मन को लगाओ। इसी में मानव-जीवन की सार्थकता है।
(5) हे जीव ! अनादिकाल से अनन्तानन्त पाप करने के कारण तेरा मन अत्यंत मलिन हो चुका है अतएव (साधना द्वारा अंतःकरण शुद्धि की मात्रानुसार) श्री राधा धीरे-धीरे ही मन को अच्छी लगेंगी, एकाएक नहीं। भूलकर भी अपने मन में निराशा को न आने दो। विश्वास रखो एक दिन किशोरी जी तुम्हें अवश्य अपनाएंगी।
•• स्त्रोत : 'भक्ति शतक' एवं 'श्यामा श्याम गीत' ग्रन्थ से
•• सर्वाधिकार सुरक्षित : राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
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ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)
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(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
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