परिवर्तनी एकादशी ( पद्मा एकादशी )और विश्वकर्मा जयंती पर विशेष
डॉ विनीत शर्मा ज्योतिषी एवं वास्तु शास्त्री
परिवर्तनी एकादशी पदमा एकादशी जलझूलनी एकादशी डोल ग्यारस और वामन जयंती के रूप में भी मनाई जाती है।मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने पर वाजपेई यज्ञ के बराबर के परिणाम मिलते हैं यह परिवर्तनी एकादशी इसलिए कहीं जाती है। क्योंकि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु अपनी करवट को परिवर्तन करते हैं।
यह शुभ पर्व शुक्रवार श्रवण नक्षत्र अतिगंड योग विष्कुंभ और बव करण के संयोग में मनाया जाएगा।इस पदमा एकादशी या डोल ग्यारस त्यौहार परशुभ गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है चंद्रमा और गुरु एक साथ मकर राशि में विद्वान रहेंगे शुभ भद्र योग शुभ मालव्य योग शुभ संयोग भी निर्मित हो रहे हैं आज के दिन निराहार रहने का विधान है
आज के शुभ दिन विश्वकर्मा जयंती भी मनाई जाएगीभगवान श्री विश्वकर्मा तकनीक अभियांत्रिकी वास्तु इंजीनियरिंग के देवता माने गए हैं ।आप देवताओं के शिल्पी माने गए हैं आपको देव शिल्पी कहा जाता हैइस जगत में जो कुछ भी तकनीकी क्षेत्र से मशीनों व कल पुर्जो से जुड़ा हुआ है उन सभी के आदि देवता श्री विश्वकर्मा भगवान माने गए हैं आज के दिन श्री विश्वकर्मा जी की पूजा पाठ और आराधना की जाती है।विश्वशर्मा भगवान नव निर्माण वास्तु कला शिल्प कला के आदि देवता माने गए हैं। कई कल कारखानों में विश्वकर्मा जयंती के दिन मशीनों को पूर्णता विश्राम दिया जाता है यह कर्म पुरुषार्थ तकनीक के प्रेरक हैं भगवान विश्वकर्मा जी हमें नित्य कर्म करने उद्यम करने के लिए प्रेरित करते हैं।
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