विद्यार्थियों के लिए बहुत सौभाग्यशाली है ये रूद्राक्ष
एक अनमोल रत्न जिसे कहते हैं गणेश रूद्राक्ष। रूद्राक्ष यानि भगवान रूद्र का अक्ष यानि भगवान शिवशंकर के नेत्रों का जल बिंदु। रूद्राक्ष कई तरह के होते हैं। लेकिन मुख्य रूप से यह गौरी शंकर रूद्राक्ष, गणेश रूद्राक्ष और गौरीपाठ रूद्राक्ष माने जाते हैं। इनमें से भगवान गणेश का रूद्राक्ष निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करता है। विद्यार्थियों के लिये तो यह बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है।
गणेश रूद्राक्ष का महत्व
गणेश रूद्राक्ष विघ्नकर्ता भगवान श्री गणेश जो कि बुद्धि के देवता रिद्धि सिद्धियों के स्वामी माने जाते हैं उन्हीं श्री गणेश का स्वरूप इसे माना जाता है। मान्यता है कि गणेश रूद्राक्ष धारण करने से जातक की बुद्धि पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जिससे जातक अहम निर्णयों को लेने में किसी तरह की दुविधा में नहीं पड़ता। इतना ही नहीं बल्कि यह रूद्राक्ष धारण करने पर जातक के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं व ऐश्वर्य का जीवन भोगते हुए अंत समय मोक्ष को प्राप्त होता है।
कैसे करें गणेश रूद्राक्ष की पहचान
गणेश रूद्राक्ष की विशेष पहचान होती है रूद्राक्ष में भगवान गणेश की आकृति का होना। गणेश रूद्राक्ष में सुंड की तरह का एक उभार देखा जाता है। यह एक बहुत ही दिव्य मनका माना जाता है।
गणेश रूद्राक्ष धारण करने की विधि
-गणेश रूद्राक्ष को लाल धागे या सोने अथवा चांदी के तार में धारण किया जाता है।
-रूद्राक्ष धारण करने के लिये सोमवार का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।
-गणेश चतुर्थी के दिन भी इस रूद्राक्ष को धारण करना बहुत ही सौभाग्यशाली व शुभ फलदायी माना जाता है। रूद्राक्ष को धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिये। रूद्राक्ष या रत्न प्रभावी तभी रहते हैं जब आप उन्हें अपनी कुंडली में ग्रहों की दशा व दिशा के अनुसार धारण करते हैं।
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