ब्रेकिंग न्यूज़

भगवान श्रीकृष्ण की कितनी पटरानियां थीं
 हिन्दू धर्म के अनुसार सृष्टि के पालनहार कहलाने वाले भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण की सोलह हज़ार एक सौ आठ पत्नियां थीं। 
दरअसल इसके पीछे पुराणों में एक कथा मौजूद है। जिसके अनुसार एक बार नरकासुर ने हज़ारों राजकुमारियों को अपनी कैद में जबर्दस्ती बंदी बना लिया था। इन राजकुमारियों ने ईश्वर से अपने मुक्त होने के लिए विनती की और जब श्रीकृष्णु ने इन्हें मुक्त कराया तो सभी ने  उन्हें अपना पति मान लिया। यही कारण है कि परिस्थिति के आधार पर श्रीकृष्ण  को इन सभी राजकुमारियों को अपनी पत्नी स्वीकारना पड़ा। लेकिन इन पत्नियों के अलावा उनकी खास नौ पत्नियां थीं, जिन्हें पटरानी का दर्जा दिया गया था। पुराणों में इन सभी नौ पटरानियों से संबंधित कथाएं भी मौजूद हैं। श्रीकृष्ण इनसे कैसे मिले, कैसे इनका विवाह हुआ, विवाह का कारण क्या था, आदि सभी आशय पुराणों में उल्लिखित हैं। लेकिन कारण जो भी हो, यह नौ पटरानियां श्रीकृष्ण को सबसे अधिक प्रिय थीं। वैसे तो तमाम प्रेम कहानियों में से सबसे पहले श्रीकृष्ण एवं राधाजी का नाम लिया जाता है, लेकिन श्रीकृष्ण की प्रमुख पटरानी के रूप में सबसे पहले रुक्मिणी का नाम लिया जाता है। रुक्मिणी को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है और श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी के कहने पर ही उनका अपहरण किया और फिर उनसे विवाह किया था।  भगवान श्रीकृष्णा की दूसरी पटरानी देवी कालिंएदी मानी जाती हैं, जो कि सूर्य देव की पुत्री हैं। पौराणिक तथ्यों के अनुसार देवी कालिंदी ने श्रीकृष्ण को एक वरदान हेतु अपने पति के रूप में पाया था। कहते हैं कि उन्होंने कठोर तपस्या की थी जिसके पश्चात उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण  ने सूर्य से कालिंदी का हाथ मांगा था। भगवान श्रीकृष्ण  की तीसरी पटरानी मिूत्रवृंदा हैं जो कि उज्जैन की राजकुमारी थीं। कहते हैं कि वे अत्यंत खूबसूरत थीं जिन्हें श्रीकृष्ण  ने स्वयंवर में भाग लेकर अपनी पत्नी  बनाया था। 
 भगवान श्री कृष्ण की चौथी पटरानी का नाम सत्या है, इन्हें भी श्रीकृष्ण ने स्वयंवर में जीतकर अपनी पत्नी बनाया था। एक पौराणिक कथा के अनुसार सत्या काशी के राजा नग्नजिपत् की पुत्री थीं,ऋक्षराज जाम्बवंत का नाम पुराणों में श्रीकृष्ण के संदर्भ से काफी बार सुना गया है, पटरानी जामवती उन्हीं की पुत्री थीं। 
पटरानी रोहिणी को श्रीकृष्ण  ने स्वयंवर में ही जीता था और अपनी पत्नी बनाने के बाद उन्हें छठी पटरानी का दजऱ्ा प्रदान किया। पौराणिक कथा के अनुसार देवी रोहिणी गय देश के राजा ऋतुसुकृत की पुत्री थीं। रोहिणी के अलावा कुछ पौराणिक दस्तावेजों में इनका नाम कैकेयी और भद्रा भी पाया गया है। सत्यभामा राजा सत्राजित की पुत्री एवं श्रीकृष्ण की सातवीं पटरानी कहलाती हैं। पौराणिक तथ्यों के अनुसार जब श्रीकृष्ण  ने सत्रजिकत द्वारा लगाए गए प्रसेन की हत्या और स्यमंतक मणि को चुराने का आरोप गलत साबित कर दिया और स्यमंतक मणिप लौटा दी तब सत्राजित ने सत्यभामा का विवाह श्रीकृष्ण से कर दिया। श्रीकृष्ण की आठवीं पटरानी हैं लक्ष्मणा, जिन्होंने स्वयं अपने स्वयंवर के दौरान भगवान श्रीकृष्णि के गले में वरमाला पहनाकर उन्हें अपना पति, चुना था।भगवान श्रीकृष्णा की आखिरी और नौवीं पटरानी का नाम शैव्या है, जो कि राजा शैव्य की पुत्री थीं। इन्हें भी श्रीकृष्ण ने स्वयंबर के जरिए ही अपनी पत्नी बनाया था और विवाह के बाद इन्हें नौवीं पटरानी होने का दर्जा प्राप्त हुआ। कुछ उल्लेखों में इनका अन्य नाम गांधारी भी पाया गया है।
------

Related Post

Leave A Comment

Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).

Chhattisgarh Aaj

Chhattisgarh Aaj News

Today News

Today News Hindi

Latest News India

Today Breaking News Headlines News
the news in hindi
Latest News, Breaking News Today
breaking news in india today live, latest news today, india news, breaking news in india today in english