जगदगुरुत्तम के श्रीमुख से पारमार्थिक परामर्श
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा नि:सृत प्रवचनों से 5 सार बातें; जो हमारे आध्यात्म-लाभ में सहायक बन सकती हैं -
(1) जब आप अपने को आत्मा मान लेंगे तो शरीर संबंधी आपका सब टेंशन समाप्त हो जायेगा।
(2) भगवान को अर्पित करके कर्म करने में, वह बंधनकारक भी नहीं होता और भगवान का स्मरण भी होता रहता है।
(3) तत्वज्ञान और भगवद्ज्ञान ढाल तलवार की भांति दोनों साथ- साथ चलने चाहिये।
(4) अगर मूर्ति में पूर्ण भगवान की भावना नहीं है और मूर्ति पूजा की, उसको भगवतपूजा न कहकर पत्थर-पूजा कहेंगे।
(5) शरीर को ठीक रखने के लिये प्रकृति की ओर आत्मा को ठीक रखने के लिये आवश्यकता है भगवान की। हम संसार का उपयोग करने के स्थान पर उसका उपभोग करते हैं, किन्तु भगवान को पाने का प्रयत्न नहीं करते।
(जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज)
(स्त्रोत- आध्यात्म संदेश पत्रिका, अक्टूबर 2001
सर्वाधिकार सुरक्षित -राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली। )
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