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  भगवन्नाम के संबंध में कुछ बातें
- पंचम् मौलिक जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविंद से नि:सृत प्रवचन 
 पंचम् मौलिक जगद्गुरुत्तम् श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविंद से नि:सृत प्रवचन से, आइये समझते हैं कि भगवान के नाम संबंधी कुछ रहस्य क्या-क्या हैं? क्या उनका माहात्म्य है और कौन-सी बात भगवान का नाम लेते समय महत्वपूर्ण है? नाम महिमा के संबंध में ये बातें अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं -
 (1) भगवान् का नाम कौन सा नहीं है? ये भी समझ लीजिये आप लोग। अ, इ, उ, क, ख -ये सब भगवान् के नाम हैं। लेकिन भगवत्प्राप्ति हुई किसी को इससे भगवान् का कोई नाम-वाम नहीं होता। जो कुछ तुम नाम रख दो वो नाम हो जाये भगवान् का।  अनन्त नाम रूपाय । भगवान् के अनंत नाम हैं, अनंत रूप हैं। उनका न कोई रूप होता है, न कोई नाम होता है। तुम जैसा मान लो वैसे ही तुमको मिल जायेंगे।  क  बोलो,  ख  बोलो -

हरि के हैं सब नाम गोविन्द राधे,
अ, इ, उ, क, ख आदि वेद बता दे..
(राधा गोविन्द गीत)
 
(2) देखो ! ब्रजवासियों ने कभी श्रीकृष्ण नहीं कहा।  लाला , अपनी भाषा में। बेटा बोल दो, बस बेटा-बेटा।  हरे बेटा हरे बेटा बेटा बेटा हरे हरे, इससे कोई मतलब नहीं। नाम का महत्व नहीं है, नामी का महत्व है। यानी नाम में नामी भरा है, ये बुद्धि में भरो तब लाभ मिलेगा। ऐसे तो तुम वेदमंत्र भी याद कर लो, बोला करो। मन जहां रहेगा, मन का अटैचमेंट जहां रहेगा, वही फल मिलेगा।
 
(3) सीधी-सी बात है। इस पॉइन्ट पर ध्यान दीजिये। मन का अटैचमेंट जहाँ होगा उसी की उपासना मानी जायेगी। तुमने कहा  राधे राधे । लक्ष्य क्या है तुम्हारा? राधे बोलने में? हमारी नौकरानी का नाम है, हमारी मम्मी का नाम है, बीवी का नाम है, हमारी बहिन का नाम है,  राधे । तो  राधे राधे  दिन रात बोलो, आंसू बहाओ, बेहोश हो जाओ, वहीं राधे मां मिलेगी, वही राधे बीवी मिलेगी, वही राधे बहिन मिलेगी, वही राधे नौकरानी मिलेगी। वो राधा तत्व पर्सनैलिटी स्वप्न में भी नहीं मिल सकती। जहां मन का अटैचमेंट होगा, उसी पर्सनैलिटी का लाभ मिलेगा।
 
(4) भगवान् का नाम ले रहे हो, कीर्तन कर रहे हो - ये बात तब साबित होगी जब तुम्हारा यह विश्वास सेंट परसेंट दृढ़ हो कि इस नाम में भगवान् का निवास है, बस सीधी सी परिभाषा ये है -
 
ध्यान युक्त हरि नाम गोविन्द राधे,
कीर्तन  ते  हरि  कृपा  हो  बता  दे.. 
(राधा गोविन्द गीत)
 
फिर कोई नाम लो। राम कहो, कृष्ण कहो, हरि कहो, गधा कहो, मन में आये जो कहो। कोई शर्त नहीं भगवान् की।

(प्रवचनकर्ता- जगद्गुरुत्तम् स्वामी श्री कृपालु जी महाराज)
 स्त्रोत नाम-महिमा  पुस्तक, श्री कृपालु जी द्वारा नाम माहात्म्य के संबंध में दिये गये प्रवचनों का संकलन
सर्वाधिकार सुरक्षित- राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली

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