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 श्रीराधारानी की छठी की बधाई
- जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज  द्वारा श्रीराधारानी के छठी उत्सव से संबंधित कुछ दोहों  का वर्णन
आज महारानी श्रीराधारानी जी की छठी-उत्सव है। भाद्रपद की अष्टमी पर श्रीब्रजधाम में उनका अवतरण हुआ था। जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने अपने ब्रज-साहित्यों में श्रीराधा-तत्व पर विशद निरुपण किया है, यथा उनके नाम, रुप, लीला, गुण, धाम तथा उनके जनों से संबंधित अनगिनत प्रवचन, पद, कीर्तन तथा दोहों आदि की रचना उन्होंने की है जो कि प्रेम की सर्वोच्च कक्षा, सर्वोच्च भाव से ओतप्रोत हैं। सर्वोच्च भाव अर्थात उनके प्रति परम निष्काम भक्ति का ही उपदेश श्री कृपालु महाप्रभु जी के साहित्यों में समाया हुआ है। आइये, आज उनके द्वारा ही रचित एक अनुपमेय ग्रन्थ श्यामा-श्याम गीत में वर्णित श्रीराधारानी के छठी उत्सव से संबंधित कुछ दोहों तथा उनके भावार्थ के माध्यम से हम सब भी गोपी-भाव से श्रीबरसाना धाम में श्रीकीर्ति मैया तथा वृषभानु बाबा के आँगन में चलें ::::::
 
(श्रीराधारानी की छठी की बधाई - यहाँ से पढ़ें...)
 
लाली की छठी है आज बरसाने धामा।
चलो री बधाई गाने सब ब्रज बामा।।
भावार्थ : अरे! आज बरसाना धाम में श्रीराधा का छठी-उत्सव मनाया जा रहा है। चलो! सभी ब्रजगोपिकायें एकत्रित होकर बधाई गान के लिये वहाँ पहुँचे।
 
चलो बरसाने बधाई गाने बामा।
सुनि के बधाई मुसका देंगी श्यामा।।
भावार्थ : बधाई गान हेतु बरसाना धाम चलो। बधाई गान सुनकर श्रीराधा मुस्कुरा उठेंगी।
 
आओ आओ आओ बधाई गाओ बामा।
रोज रोज आवे न छठी प्यारी श्यामा।।
भावार्थ : आओ सभी मिलकर श्रीवृषभानुनन्दिनी के हेतु बधाई-गान करो, श्रीराधा की छठी रोज नहीं आयेगी। उत्सव को उत्साहपूर्वक मनाओ।
 
मायिक शिशु की बधाई गावैं गामा।
तेरा तो तन मन चिदानन्द श्यामा।।
भावार्थ : संसार में प्राकृत बालकों के जन्म दिन आदि पर भी बधाई गान किया जाता है। श्रीराधा का तो तन, मन सभी कुछ दिव्य है। उनकी छठी के उत्सव को तो अत्यन्त ही धूमधाम से मनाया जाना चाहिये।

श्यामा जू को दिव्य तनु आनंदधामा।
दिव्य दृष्टि मिले तब देखे कोउ श्यामा।।
भावार्थ : श्रीराधा का चिन्मय वपु, आनंद से परिपूर्ण है। किंतु जब तक दिव्य-दृष्टि न मिल जाय, कोई भी उसका अवलोकन नहीं कर सकता।
 
भानु को बधाई दें या दें कीर्ति बामा।
या दें बधाई श्यामा को ब्रजधामा।।
भावार्थ : श्रीराधा के प्राकट्य उत्सव पर वृषभानु बाबा को बधाई दी जाये या कीर्ति मैया को अथवा ब्रजमण्डल में अवतरित श्रीराधा को?
 
प्रथम बधाई की हैं पात्र ब्रज बामा।
जिन्हें ब्रज रस देने आये श्याम श्यामा।।
भावार्थ : सर्वप्रथम बधाई प्राप्त करने की वास्तविक अधिकारिणी ब्रज गोपियाँ ही हैं जिन्हें ब्रज-रस प्रदान करने के लिये श्यामा श्याम को गोलोक धाम से अवतार लेकर ब्रजमंडल में आना पड़ा। (ये साधन सिद्धा गोपियाँ हैं, जिनमें दण्डक वन के ऋषि भी सम्मिलित हैं।)
 
काम, क्रोध, लोभ आदि, शत्रु छे श्यामा।
छठी को छहों को बना दे निष्कामा।।
भावार्थ : हे श्रीराधे! मेरे मन में काम, क्रोध आदि छै शत्रुओं का निवास है। अपनी छठी के दिन इन छहों को नष्ट कर मुझे निष्काम बना दो।
 
(स्त्रोत - जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा रचित श्यामा श्याम गीत के दोहे संख्या 362, 363, 366, 367, 368, 369, 371)
(सर्वाधिकार सुरक्षित : राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन)

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