अनंत चतुर्दशी को यह व्रत कथा पढऩे से आती है समृद्धि, जानें पूजा मुहूर्त और विधि
हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी व्रत का खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का विधान है। यह हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 9 सितंबर 2022 को रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का अंतिम दिन होता है। भादों शुक्ल चतुर्दशी के दिन गणेश महोत्सव का समापन होता है और घर में विराजे गणपति को धूमधाम से विदाई देकर उनका विसर्जन कर दिया जाता है।
लोग अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के चरणों में रक्षा सूत्र, जिसे अनंता कहते हैं, अर्पित करते हैं। पूजा करने के बाद इस अनंता को व्रती अपने हाथों में बांध लेते हैं. पूजा के दौरान भक्त व्रत कथा का पठन या श्रवण करते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त अनंत चतुर्दशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। उन्हें कभी धन दौलत की कमी नहीं होती है। उनके सुख समृद्धि और वैभव में वृद्धि होती है।
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त---
9 सितंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक
पूजा अवधि---12 घंटे 6 मिनट
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
एक पौराणिक कथा के मुताबिक सुमंत नामक ब्राह्मण और महर्षि भृगु की पुत्री दीक्षा से एक कन्या का जन्म हुआ, जिसका नाम सुशीला था। सुशीला की मां दीक्षा का असमय निधन हो गया। तब ब्राह्मण सुमंत ने कर्कशा नामक एक लड़की से विवाह किया जबकि ब्राह्मण सुमंत की पुत्री सुशीला का विवाह कौण्डिन्य मुनि से हुआ। कर्कशा के क्रोध के चलते और उसके कृत्यों से सुशीला अत्यंत गरीब हो गई। एक बार सुशीला अपने पति के साथ जा रही थी तो जाते समय उसने रास्ते में देखा कि एक नदी पर कुछ महिलायें व्रत कर रहीं हैं। सुशीला के द्वारा पूंछने से पता चला कि वहां पर महिलाएं अनंत चतुर्दशी का व्रत कर रही हैं। वे महिलाएं अनंत सूत्र की महिमा का गुणगान कर रही थी।
महिलाओं द्वारा व्रत करने और अनंत सूत्र बांधने को देखकर सुशीला ने भी ऐसा ही किया. उसके बाद उन्हें अनंत सुख मिला, किंतु कौण्डिन्य मुनि ने एक दिन गुस्से में आकर अनंत सूत्र तोड़ दिया। इसके बाद वे फिर से उन्हीं कष्टों से घिर गए। तब सुशीला ने अनुनय और विनय के साथ क्षमा-प्रार्थना की. तब अनंत देव की उन पर फिर से कृपा हुई।
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