गणेश चतुर्थी पर आखिर क्यों लगाया जाता है गणपति बप्पा मोरया का नारा
गणेश चतुर्थी से पूरे देश में गणपति पंडालों में एक ही गूंज सुनाई पड़ेगी, गणपति बप्पा मोरया . आखिर यह क्यों कहा जाता है. यह प्रश्न भी उठना स्वाभाविक है. आज हम आपकी यह उलझन दूर करेंगे और इस शब्द के पीछे का अर्थ आपको समझाएंगे. हालांकि इसके लिए आपको यह लेख पूरा पढ़ना होगा.
गणपति बप्पा से जुड़े मोरया शब्द के पीछे गणपति जी का मयूरेश्वर स्वरूप माना जाता है. गणेश-पुराण के अनुसार सिंधु नामक दानव के अत्याचार से सभी लोग तंग आ चुके थे. वह महा बलशाली था और देवी देवता, मानव सभी उसके आततायी स्वरूप से त्रस्त होकर बचने का उपाय ढूंढ रहे थे. बचने के लिए देव गणों ने गणपति जी का आह्वान किया.
सिंधु का संहार करने के लिए गणेश जी ने मोर यानी मयूर को अपना वाहन चुना और छह भुजाओं वाला अवतार धारण किया. इस अवतार की पूजा भक्त लोग 'गणपति बप्पा मोरया' के जयकारे के साथ करते हैं. यही कारण है कि जब गणेश जी को विसर्जित किया जाता है तो 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' का नारा लगाया जाता है.
मुंबई के लालबाग मंदिर में उमड़ते हैं श्रद्धालु
लालबाग का राजा मुंबई का सर्वाधिक लोकप्रिय सार्वजनिक गणेश मंडल है, जिसकी स्थापना वर्ष 1934 में हुई थी. यह मुंबई के लालबाग, परेल इलाके में स्थित हैं, इसीलिए इसे लालबाग का राजा भी कहा जाता है. लालबाग के राजा यानी लालबाग के भगवान गणपति की मूर्ति के दर्शन करना ही अपने आप में भाग्यशाली हो जाना माना जाता है. मान्यता तो ये भी है कि यहां जो भी मन्नते मांगी जाती हैं, वे जरूर पूरी होती हैं.
दर्शनों के लिए कई किलोमीटर की लगती है लाइन
लालबाग के राजा की ख्याति किसी से छुपी नहीं है. लालबाग के इस प्रसिद्ध गणपति को ‘नवसाचा गणपति’ यानी इच्छाओं की पूर्ति करने वाले गणपति के रूप में भी जाना जाता है और केवल दर्शन पाने के लिए ही हर वर्ष कई किलोमीटर की लंबी कतार लगती है जबकि लालबाग के इस राजा की गणेश मूर्ति का विसर्जन स्थापना के दसवें दिन गिरगांव चौपाटी में किया जाता है.
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