घर में खुशियां लाएंगे गणपति, इन बातों का रखें ध्यान......
भगवान श्रीगणेश विघ्न विनाशक हैं। हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से दस दिवसीय गणेश उत्सव मनाया जाता है। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय है। विघ्नों को हरने वाले हैं। भगवान गणेश भारत के अति प्राचीन देवता हैं। ऋग्वेद में गणपति शब्द आया है। यजुर्वेद में भी ये उल्लेख है। अनेक पुराणों में गणेश की विरुदावली वर्णित है। पौराणिक हिन्दू धर्म में शिव परिवार के देवता के रूप में गणेश का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्येक शुभ कार्य से पहले गणेशजी की पूजा होती है। गणेश को यह स्थान कब से प्राप्त हुआ, इस संबंध में अनेक मत प्रचलित है। मान्यता है कि भगवान गणेश की आराधना से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
- भगवान ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की। वास्तु दोष दूर करने के लिए भगवान श्रीगणेश का पूजा शुभ मानी जाती है। भगवान श्रीगणेश की मूर्ति घर के मुख्य द्वार पर लगाने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं। घर में भगवान श्रीगणेश की मूर्ति रखना बहुत शुभ माना जाता है।
-भगवान श्रीगणेश की मूर्ति के आसपास आम के पत्ते रखने से आय के साधन में वृद्धि होती है। भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को सही दिशा में रखना बहुत जरूरी है।
-वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में सफेद रंग की भगवान श्रीगणेश की मूर्ति लाने से वास्तु दोष दूर होते हैं। सिंदूरी रंग के गणपति की पूजा करने से वास्तु दोष दूर होते हैं। जिस मूर्ति में भगवान श्रीगणेश के प्रिय भोग मोदक या लड्डू और चूहा हो उस मूर्ति को घर में लाना चाहिए।
- घर में बैठे हुए गणेश जी और कार्यक्षेत्र में खड़े हुए श्रीगणेश जी का चित्र लगाना शुभ होता है। विघ्नहर्ता की मूर्ति लगाते वक्त उनके बाएं हाथ की ओर सूंड घूमी हुई हो इसका ध्यान रखें।
-जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैं उन्हें अपने घर में बाल गणेश की मूर्ति लानी चाहिए।
-घर में आनंद उत्साह के लिए नृत्य की मुद्रा वाली श्रीगणेश जी की मूर्ति लानी चाहिए। श्रीगणेश जी आसान पर विराजमान हों या लेटे हुए मुद्रा में हों ऐसी मूर्ति को घर में लाना शुभ होता है।
-सिंदूरी रंग वाले श्रीगणेश को समृद्धिदायक माना गया है, इसलिए इनकी पूजा गृहस्थों एवं व्यवसायियों के लिए शुभ मानी गई है। पीले रंग की श्रीगणेश जी की मूर्ति घर में स्थापित करने से उन्नति के मार्ग बनते हैं।
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