लक्ष्मी-गणेश जी की यह मूर्ति लगा देगी व्यापार में चार चांद...!
दीपावली पर खड़े हुए लक्ष्मी-गणेश जी का चित्र अथवा मूर्ति जबकि घरों में बैठे हुई लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति शुभ होती है। भारतीय फेंगशुई के आधार पर व्यापारिक संस्थानों में उत्तर-पूर्व दिशा में मंदिर का स्थान होना चाहिए। यदि वहां संभव नहीं है तो चेयरमैन या डायरेक्टर में कमरे या केबिन में उत्तर-पूर्व की ओर भगवान जी का मंदिर रखें। मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए। लकड़ी का छोटा मन्दिर ही रखें जिसमें लक्ष्मी एवं गणेश-सरस्वती की मूर्ति आ सके। दिवाली पर लोग लक्ष्मी-गणेश जी की बैठी हुई मूर्ति घर में स्थापित करते हैं। घर के लिए तो बैठी हुई लक्ष्मी-गणेश जी की प्रतिमा बहुत अच्छी होती है, लेकिन व्यापारिक संस्थानों में लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति खड़ी हुई होनी चाहिए।
बैठे हुई लक्ष्मी जी की स्थापना से धन में स्थिरता आ जाती है जो घर के लिए तो अच्छा है, लेकिन व्यापार में स्थिरता अच्छी नहीं मानी जाती। व्यापार को निरंतर बढ़ाने के लिए मां लक्ष्मी एवं गणेश जी की मूर्ति खड़ी रखें, क्योंकि बल, बुद्धि, विवेक के स्वामी गणेश जी यदि बैठ गए तो हमारे मन में निर्णय क्षमता कम हो जाएगी। उल्टे-सीधे निर्णय लेने से हमारा व्यापार पर असर पड़ेगा जिससे परिणाम ठीक नहीं आएंगे। सोचने की शक्ति भरपूर मिलती रहे, इसके लिए गणेश जी की मूर्ति भी खड़ी हुई होनी चाहिए। जो व्यापारी लक्ष्मी और गणेश जी के साथ-साथ सरस्वती मां की मूर्ति रखते हैं तो वह भी खड़ी होनी चाहिए। सरस्वती ज्ञान का कारक है और हमारा ज्ञान एवं विवेक निरंतर बढ़ना चाहिए। यह स्थिर नहीं होना चाहिए। इसलिए लक्ष्मी-गणेश जी और मां सरस्वती की फोटो को अथवा चित्र को खड़ी अवस्था में रखने से व्यापार बढ़ता रहेगा। निर्णय क्षमता बढ़ेगी। विवेक का प्रयोग करके व्यापार बढ़ेगा और ज्ञान-बुद्धि का प्रयोग होता रहेगा।
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