धनतेरस पर प्रदोषकाल में करें दीपदान...मन रहेगा स्थिर और दूर होगा क्लेश
आज धनतेरस है। स्कंद पुराण में वर्णित है कि कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे, यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति... यानी कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन शाम को घर के बाहर यमदेव के लिए दीप रखने से अकाल मृत्यु का निवारण होता है। साथ में, आज ही के दिन धन्वंतरि जयंती और कामेश्वरी जयंती भी मनाई जाती है। पूरे वर्ष में एकमात्र यही वह दिन है जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा सिर्फ दीपदान करके होती है।
ज्योतिषाचार्य आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार, 22 अक्तूबर को धन त्रयोदशी के दिन यम को दीपदान प्रदोष काल में करना चाहिए। इस समय मीन लग्न में दीपदान करने से मन स्थिर रहता है और क्लेश दूर होगा। ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार यम को दीपदान के लिए आटे का एक बड़ा दीपक तैयार करें। इसके बाद साफ रुई लेकर दो लंबी बत्तियां बना लें। उन्हें दीपक में एक दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुंह दिखाई दें। अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें। प्रदोष काल में दीपक का रोली, अक्षत एवं पुष्प से पूजन करें। घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी सी खील अथवा गेहूं से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है। दीपक जलाकर रख लें और दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए चार मुंह के दीपक को खील आदि की ढेरी के ऊपर रख दें। इसके उपरांत यमदेवाय: नम: कहते हुए दक्षिण दिशा में नमस्कार करें।
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