तुलसी पूजा : शुरू हो जाएंगे सभी शुभ कार्य, जानिए पूजा के विधि-विधान
-बालोद से प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह होता है, इस एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के अवतार शालिग्राम की पूजा की जाती हैं और तुलसी माता से उनका विवाह करवाया जाता है। तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उनके वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
तुलसी विवाह का महत्व
माना जाता है की आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीनों के लिए सोते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इसी पूजा के बाद शादी का शुभ महूर्त शुरू होता है। इस खास मौके पर विष्णु के अवतार भगवान शालिग्राम का तुलसी माता से विवाह करवाया जाता है। यह भी मान्यता है की इस दिन व्रत करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है।
तुलसी विवाह पूजा विधि
-इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नहा लें और नए कपड़े पहनें।
-जहां आप पूजा करने वाले हैं उस जगह को अच्छी तरह साफ कर लें और सजा लें।
-इस दिन तुलसी माता को दुल्हन की तरह सोलह श्रृंगार से सजाएं जिसके बाद गन्ना और चुनरी भी चढ़ानी चाहिए।
-तुलसी विवाह करने के लिए सबसे पहले चौकी बिछाएं उस पर तुलसी का पौधा और शालिग्राम को स्थापित करें।
-तुलसी माता के पौधे के पास ही शालिग्राम भगवान को रखकर दोनों की साथ में पूजा करनी चाहिए.
-उसके बाद गंगाजल छिड़कर घी का दीया जलाएं.
-भगवान शालीग्राम और माता तुलसी दोनों को रोली और चन्दन का टीका लगाएं।
-उसके बाद आप भगवान शालिग्राम को हाथों में लेकर तुलसी के चारों ओर परिक्रमा करें।
-फिर तुलसी को भगवान शालिग्राम की बाईं ओर रखकर उन दोनों की आरती उतारे। इसके बाद उनका विवाह संपन्न हो जाएगा।
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