इस दिन है देवोत्थान एकादशी, इस दिन से बजेगा बैंड-बाजा
प्रबोधिनी अथवा देवोत्थान एकादशी इस बार चार नवंबर को होगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चार महीने से चला आ रहा चातुर्मास समाप्त हो जाता है। भगवान श्री हरि जागृत होकर के विश्व का कल्याण करना आरंभ कर देते हैं। इस दिन कुछ साधक तुलसी विवाह भी करते हैं। जो व्यक्ति एकादशी का व्रत रखते हैं और उस का समापन अर्थात उद्यापन करना चाहें तो इस तिथि को किया जाता है। बीते चार माह से जो वर्षा काल चला आ रहा था, वह चार नवंबर को समाप्त हो जाएगा। शास्त्रों में चातुर्मास अर्थात वर्षा ऋतु का समय यात्रा एवं घूमने-फिरने के लिए वर्जित है।
इस दिन एकादशी व्रत करने वाले साधक तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के साथ करते हैं और ब्राह्मण विद्वानों से कथा सुनकर उनको दान-दक्षिणा देते हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार पांच पर्व विवाह के लिए अनसूझ विवाह मुहूर्त होते हैं। ये हैं देवोत्थान एकादशी, बसंत पंचमी, फुलेरा दूज, अक्षय तृतीया और भड़रिया नवमी। इन स्वयं सिद्ध मुहुर्त यानी पांच दिनों में जिन युवक-युवती का विवाह नहीं सूझ पा रहा हो वह बिना किसी विद्वान या ब्राह्मण से पूछे विवाह कर सकते हैं। देवोत्थान एकादशी चार महीने के बाद आने वाला सबसे पहला वह अनसूझ अर्थात स्वयं सिद्धि विवाह मुहूर्त है।
देवोत्थान एकादशी के पश्चात सभी पूजा-पाठ संबंधी पाबंदियां हट जाती हैं। विवाह मुहूर्त, गृह प्रवेश मुहूर्त और वैवाहिक कार्य आरंभ हो जाते हैं। इस बार नवंबर और दिसंबर में देवोत्थान एकादशी के विवाह मुहूर्त को छोड़कर मात्र सात विवाह मुहूर्त हैं। शुक्र अस्त के कारण नवंबर में विवाह मुहूर्त बहुत कम हैं। 24 नवंबर को शुक्र उदय हो जाएंगे। इसके बाद 28 नवंबर का केवल एक ही विवाह मुहूर्त नवंबर में है। दिसंबर में दो, तीन, चार, सात,आठ और नौ दिसंबर को ही विवाह मुहूर्त रहेंगे। उसके पश्चात 16 दिसंबर से 13 जनवरी तक सूर्य मीन सक्रांति में आकर मलमास का आरंभ करेंगे। इसके बाद फिर से वैवाहिक आदि शुभ कार्य बंद हो जाएंगे।
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