नवरात्र में कब और कैसे करें घट स्थापना, जानिए पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी से ....
- किस दिन किस देवी की करें आराधना
भारतवर्ष में हिंदूओं द्वारा मनाया जाने प्रमुख पर्व है। इस दौरान मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्र आते हैं लेकिन चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पडऩे वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं।
बसंत ऋतु में होने के कारण चैत्र नवरात्र को वासंती नवरात्र तो शरद ऋतु में आने वाले आश्विन मास के नवरात्र को शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। चैत्र और आश्विन नवरात्र में आश्विन नवरात्र को महानवरात्र कहा जाता है। इसका एक कारण यह भी है कि ये नवरात्र दशहरे से ठीक पहले पड़ते हैं। दशहरे के दिन ही नवरात्र को खोला जाता है। नवरात्र के नौ दिनों में मां के अलग-अलग रुपों की पूजा को शक्ति की पूजा के रुप में भी देखा जाता है।
कब और कैसे करें घटस्थापना? पढ़ें मुहूर्त और पूजा विधि -
निर्णय सिन्धु के अनुसार- संपूर्णप्रतिपद्येव चित्रायुक्तायदा भवेत। वैधृत्यावापियुक्तास्यात्तदामध्यदिनेरावौ।। अभिजीत मुहुत्र्त यत्तत्र स्थापनमिष्यते। अर्थात अभिजीत मुहूर्त में ही कलश स्थापना कर लेना चाहिए।
घट स्थापना मुहूर्त का समय शनिवार, अक्टूबर 17, 2020 को प्रात:काल 06:27 से 10:13 तक है। घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा। नवरात्रि के प्रथम दिन ही घटस्थापना की जाती है। इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है।
मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां के नौ अलग-अलग रुप हैं। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद लगातार नौ दिनों तक मां की पूजा व उपवास किया जाता है। दसवें दिन कन्या पूजन के पश्चात उपवास खोला जाता है।
आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पडऩे वाले नवरात्र गुप्त नवरात्र कहलाते हैं। हालांकि गुप्त नवरात्र को आमतौर पर नहीं मनाया जाता लेकिन तंत्र साधना करने वालों के लिये गुप्त नवरात्र बहुत ज्यादा मायने रखते हैं। तांत्रिकों द्वारा इस दौरान देवी मां की साधना की जाती है।
इस बार नवरात्र व पितृ पक्ष के बीच एक महीने का अंतर आया है। आश्विन मास में मलमास लगने व एक महीने के अंतर पर नवरात्रारंभ का संयोग 165 साल पहले बना था। हर साल पितृ पक्ष याने श्राद्घ समाप्ति के अगले ही दिन से नवरात्रि उत्सव शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार यह पर्व पितृ पक्ष समाप्ति के एक माह बाद शुरू होगा। इस बार श्राद्घ पक्ष समाप्त होते ही अधिकमास लग गया है। यानी नवरात्र व पितृ पक्ष के बीच एक महीने का अंतर आया है। आश्विन मास में मलमास लगने व एक महीने के अंतर पर नवरात्रारंभ का संयोग 165 साल पहले बना था।
नवरात्रि में किस दिन किस देवी की पूजा होगी-
नवरात्रि दिन 1- प्रतिपदा मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना 17 अक्टूबर 2020(शनिवार)
नवरात्रि दिन 2- द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी पूजा 18 अक्टूबर 2020 (रविवार)
-नवरात्रि दिन 3:-तृतीय मां चंद्रघंटा पूजा 19 अक्टूबर 2020 (सोमवार)
-नवरात्रि दिन 4- चतुर्थी मां कुष्मांडा पूजा 20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार)
-नवरात्रि दिन 5- पंचमी मां स्कंदमाता पूजा 21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)
नवरात्रि दिन 6- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा 22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)
-नवरात्रि दिन 7- सप्तमी मां कालरात्रि पूजा 23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)
-नवरात्रि दिन 8- अष्टमी मां महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा 24 अक्टूबर 2020 (शनिवार)
-नवरात्रि दिन 9- नवमी मां सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजय दशमी 25 अक्टूबर 2020 (रविवार)
-नवरात्रि दिन 10- दशमी दुर्गा विसर्जन 26 अक्टूबर 2020 (सोमवार)
इस बार चातुर्मास जो हमेशा चार महीने का होता है, इस बार पांच महीने का होगा। 160 साल बाद लीप वर्ष व अधिकमास दोनों ही एक साल में आए हैं। चातुर्मास लगने से विवाह, मुंडन, कर्ण छेदन जैसे मांगलिक कार्य नहीं होंगे। इस काल में पूजन पाठ, व्रत उपवास और साधना का विशेष महत्व रहेगा।
इस बार 17 सितंबर को पितृ पक्ष खत्म हुआ । इसके अगले दिन 18 सितंबर से अधिकमास शुरू हो गया , जो 16 अक्टूबर तक चलेगा। 17 अक्टूबर से नवरात्रि पर्व शुरू होगा। 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी होगी। जिसके साथ ही चातुर्मास समाप्त होंगे। इसके बाद ही विवाह, मुंडन आदि मंगल कार्य शुरू होंगे।
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