मां दुर्गा सप्तशी के 10 चमत्कारिक मंत्र
शारदीय नवरात्रि आरंभ हो चुके हैं। नवरात्रि पर माता को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशी का पाठ अवश्य किया जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि पर जो भी दुर्गा सप्तशी का विधिवत पाठ करता है उसकी हर मनोकामना जरूर पूरी होती है। दुर्गा सप्तशी में देवी को प्रसन्न करने के कई सिद्धि मंत्र है जिसका जाप करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। जानिए ऐसे ही 10 चमत्कारिक मंत्र
1. स्वास्थ्य और धन के साथ ऐश्वर्य से भरपूर जीवन पाना चाहते हैं तो देवी के इस सिद्ध मंत्र का जप करें-
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पद:।
शत्रु हानि परो मोक्ष: स्तुयते सान किं जनै।।
2. मृत्यु के भय को दूर करने और मोक्ष प्राप्ति के लिए नियमित देवी के इस मंत्र का जप करें-
सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते।
वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।
3. सिद्धि प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जप करें-
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय।।
4. धन प्राप्ति के साथ संतान सुख भी पाना चाहते हैं तो नियमित इस मंत्र का जप करें-
सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
5. धन संबंधी परेशानियों से बुरी तरह परेशान हैं तो पैसों की तंगी को दूर करने के लिए नियमित माता के इस सिद्धि मंत्र का जप करें।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:।
सवस्र्ध: स्मृता मतिमतीव शुभाम् ददासि।।
6. इन दिनों आपका बुरा समय चल रहा है और बार-बार संकट में फंस जा रहे हैं तो देवी के इस मंत्र का जप करें-
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।।
7. देवी के इस सिद्ध मंत्र से व्यक्ति में आकर्षण क्षमता और व्यक्तित्व में निखार आता है।
ज्ञानिनामपि चेतांसि, देवी भगवती ह्री सा।
बलादाकृष्य मोहाय, महामाया प्रयच्छति।।
8. देवी के इस सिद्ध मंत्र से सुंदर और सुयोग्य जीवनसाथी पाने की चाहत पूरी होती है।
पत्नीं मनोरमां देहि नोवृत्तानुसारिणीम।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम॥
9. इस मंत्र का नियमित जप व्यक्ति को गुणवान और शक्तिशाली बनाता है।
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते।।
10. जीवन में प्रसन्नता और आनंद चाहते हैं तो नियमित इस सिद्ध मंत्र का जप करें-
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।
त्रैलोक्यवासिनामीडये लोकानां वरदा भव।।
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