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 क्या परमार्थ के मार्ग पर चलने वाले को अपने भविष्य की चिन्ता करनी चाहिये?

- जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान

जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज इस युग के वेदमार्गप्रतिष्ठापनाचार्य हैं। उन्होंने अपने अवतारकाल में अनेकानेक गुढ़ातिगूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों एवं शंकाओं का निराकरण किया है जिससे भगवदीय प्रेम-पथिकों के लिये साधना का मार्ग नित्य निरंतर प्रकाशवान रहा है। अनेक जिज्ञासु जीवों ने उनसे अपनी जिज्ञासायें व्यक्त की थी, जिनका उन्होंने बड़ा सरल एवं वेदादिक सम्मत समाधान प्रदान किया है। ऐसा ही एक प्रश्न एक साधक ने उनसे पूछा था। आइये उस प्रश्न तथा श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा दिये गये उत्तर पर हम सभी विचार करें :::::

एक साधक का प्रश्न ::: श्री महाराज जी! परमार्थ के पथ पर चलने वाले साधक को, क्या अपने भविष्य की चिन्ता करनी चाहिये?

श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा उत्तर ::: नहीं। क्योंकि जो कुछ प्रारब्ध में होगा वही उसे प्राप्त होगा। अगर व्यक्ति के प्रारब्ध में नहीं है, उसे अगर वह एकत्र करेगा तो कोई न कोई ऐसा बनाव बन जायेगा कि चुटकी में वह सब समाप्त हो जायेगा।

परमार्थ के पथ पर चलने वाले को चिन्ता किस बात की? अगर कोई कहे कि भविष्य की चिन्ता नहीं करेंगे तो मर जायेंगे। यह कैसे हो सकता है? जबकि वह भगवान के शरणागत है, और शरणागत का योगक्षेम भगवान वहन करते हैं।

तुम्हारी जिस वस्तु में सबसे अधिक आसक्ति (अटैचमेन्ट) हो, उसी को भगवान को अर्पण कर दो। इससे तुम्हारी आसक्ति कम हो जायेगी। आसक्ति ही भगवत क्षेत्र में बाधा डालती है। तुम्हारी आसक्ति किसमें है, यह जानने के लिये, चिन्तन द्वारा पता लगाओ, तत्पश्चात उस वस्तु का समर्पण कर दो। गुरु की शरणागति और कृपा से ही सब कुछ सम्भव है।

0 सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश, मार्च 2002 अंक
0 सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।

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