साधक अपनी ही कमियों को दूर करता हुआ भगवान के रूपध्यान पर विशेष ध्यान दे, श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा साधना-नियम!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 271
(भूमिका - साधना-मार्ग सावधानी का मार्ग है, जैसे मार्ग में चलते हुये असावधानी हो तो दुर्घटना घट जाती है, ऐसे ही साधना की महत्वपूर्ण सावधानियों से अवगत होना आवश्यक है. जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज इसी विषय पर मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं...)
..कोई अपना नुकसान करे तो उसकी होड़ नहीं करना है। जो अच्छा कर रहा है, अरे! देखो ये आँसू बहा रहा है, और मैं पत्थर सरीखा बैठा हूँ, केवल भगवन्नाम ले रहा हूँ। इतना अहंकार है मुझको। क्या है मेरे पास? क्या मैं रूप में कामदेव हूँ, क्या मैं धन में कुबेर हूँ, क्या मैं ऐश्वर्य में इंद्र हूँ, क्या मैं बुद्धि में बृहस्पति हूँ, क्या हूँ मैं, किस बात का अहंकार है मुझको जो भगवान के सामने भी हमारे हृदय में दैन्य भाव नहीं आता, आँसू नहीं आते, ये फील करना है। बार-बार, बार-बार फील करने से फिर आँसू आने लगेंगे। लेकिन ऐसा करने पर भी अगर आँसू नहीं आते तो परेशान न हों। रूपध्यान करते रहो, लगे रहो पीछे, एक दिन आयेगा। आज नहीं कल। रूपध्यान सबसे प्रमुख है, उसका अभ्यास, लगातार करना चाहिये। वो पक्का हो जाय। वो जड़ है, जड़। जैसे मकान की नींव पक्की हो जाय फिर चाहे जितनी ऊँची बिल्डिंग बना लो कोई डर नहीं, कोई खतरा नहीं। तो इस प्रकार आप लोग सावधान होकर साधना करें तो वास्तविक फल प्राप्त करेंगे और हमको भी बड़ी खुशी होगी।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'साधना-नियम' पुस्तक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
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