मदर्स-डे पर 6 घण्टों का श्रीराधारानी के नाम-गुणों का अखण्ड संकीर्तन; जगदगुरु कृपालु परिषत द्वारा यूट्यूब पर सीधा प्रसारण!!
'6-घण्टों का विशेष ऑनलाइन संकीर्तन'
(मदर्स-डे के अवसर पर श्रीराधारानी के नाम-गुणों का अखण्ड संकीर्तन)
'भगवन्नाम से बड़ी कोई औषधि नहीं!'
9 मई 2021, रविवार का दिन समस्त विश्व में 'मदर्स-डे' के रूप में मनाया जायेगा। स्वरूपतः यह दिन माँ को समर्पित है, उनके प्रति आभार प्रकट करने का दिन है और संसार में सामान्यतः शरीर की माँ के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हुये यह दिन मनाया जाता है। आप सभी को मदर्स-डे की हार्दिक शुभकामनायें!
वस्तुतः हमारा वास्तविक स्वरूप शरीर नहीं, आत्मा का है, जीव का है। और जीवात्मा की वास्तविक माता श्रीराधारानी हैं। वही हमारी सनातन और शाश्वत माता हैं। शरीर की माता प्रत्येक जन्म में बदल जाती है, किन्तु श्रीराधारानी सदा से हमारी माँ हैं और सदा ही रहेंगी। और वे प्रतिक्षण अपनी संतानों की देखभाल तथा उन पर अपनी करुणा, दया और कृपा की वर्षा करती रहतीं हैं। फिर जो उनके शरणागत हो जाते हैं, उन जीवों पर तो अति विशेष कृपा करती हैं; उनकी अपनी आँखों की पुतलियों के समान सँभार करती हैं। अतः अपनी वास्तविक माता, रखवार श्रीराधारानी की कृपाओं का स्मरण करते हुये उनके श्रीचरणों के प्रति समर्पण-भाव ही वास्तविक 'मदर्स-डे' है।
विश्व के पंचम मूल जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने इसी सिद्धान्त को स्थापित करते हुये 'मदर्स-डे' को श्रीराधारानी के स्मरण तथा उनके गुण-गान व कृपा-याचना से जोड़ा है। वे ऐसे प्रथम जगदगुरु हुये हैं, जिन्होंने परम मधुर 'श्रीराधा' नाम को विश्वव्यापी बनाया। उन्होंने अपने 'श्यामा श्याम गीत' ग्रन्थ में वर्णन किया है;
आपु को इकलो न मानो कह बामा।
सदा सर्वत्र तेरे साथ रहें श्यामा।।42।।
प्रति जन्म नयी नयी मातु बनी बामा।
बदली न कभु साँची मातु श्यामा।।43।।
आज जब विश्व में चारों ओर 'कोरोना' ने त्राहि-त्राहि मचाई है, सभी व्यक्ति भयाक्रान्त हैं। उनका सम्बल, उनका धैर्य डाँवाडोल हो रहा है। ऐसे समय में भगवान के प्रति अगाध, अटूट विश्वास की परमावश्यकता है। क्योंकि उनका स्मरण और उनके प्रति विश्वास ही हमारी आत्मा का वास्तविक बल है। भगवत्स्मरण ही धैर्य है, जीवन है, साहस है, विजय है। यही सच्ची और सबसे बड़ी औषधि है। पुनः, कलियुग में 'भगवन्नाम-संकीर्तन' अथवा 'हरिनाम-संकीर्तन' ही कल्याण का सर्वप्रमुख और सुगम साधन है, यथा;
कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिरि सुमिरि नर उतरहिं पारा।।
तथा,
हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नाम केवलम्।
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा।।
इसी विचार से इस 'मदर्स-डे' पर जगदगुरु कृपालु परिषत द्वारा '6-घण्टे का श्रीराधारानी के नाम-गुणों का अखण्ड संकीर्तन' आयोजित किया जा रहा है। इस महासंकीर्तन में सभी मिलकर अपनी माँ तथा रखवार श्रीराधारानी का करुण-क्रंदन युक्त संकीर्तन करते हुये उनसे याचना करेंगे कि इस विकट परिस्थिति का सामना करने की शक्ति प्रदान करें; हमारे हृदय में भक्ति तथा भगवत्प्रेम का अंकुर जाग्रत करें। यही भगवत्स्मरण ही इस भयाक्रान्त परिस्थिति में सम्बल प्राप्त करने का अमोघास्त्र है।
इस कार्यक्रम की रूपरेखा/जानकारी इस प्रकार है :::
9 मई 2021, दिन रविवार को
सुबह 4 बजे से 10 बजे तक (6 घण्टे) अखण्ड संकीर्तन का
जगदगुरु कृपालु परिषत के आधिकारिक यूट्यूब चैनल
www.JagadguruKripaluParishat.com तथा
जगदगुरु कृपालु परिषत के आधिकारिक एप्लिकेशन
Sanatan Vedic Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat
पर सीधा प्रसारण किया जायेगा, जिसका आप सभी घर बैठे लाभ ले सकेंगे। साथ ही एक अन्य महत्वपूर्ण सूचना 'जगदगुरु कृपालु साहित्य' से जुड़ी है।
★★ स्पेशल ऑफर - 'जगदगुरु कृपालु साहित्य'
'मदर्स-डे' के अवसर पर जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा विरचित साहित्यों में से 'ब्रज रस माधुरी' जिनके कुल 3-भाग हैं, और जिनमें 500 से भी अधिक मधुर, सरस तथा निष्काम-भावयुक्त भगवन्नाम संकीर्तन उपलब्ध हैं, इनके ई-बुक (ई-पुस्तक) आप जगदगुरु कृपालु परिषत के साहित्य-एप्लिकेशन
'JKBT - Jagadguru Kripalu Bhaktiyog Tattvadarshan'
अथवा www.jkpliterature.org.in पर जाकर स्पेशल ऑफर में प्राप्त कर सकते हैं ::
(1) केवल एक भाग ₹ 200 के स्पेशल मूल्य पर,
(2) तीनों भाग ₹ 500 के स्पेशल मूल्य पर।
-- नोट ::: यह ऑफर केवल 9 मई 2021 के लिये वैध रहेगा।
आइये इस 'मदर्स-डे' को हम श्रीराधारानी के स्मरण में बितावें। साथ मिलकर 'श्रीराधा' नाम गावें, उन्हें पुकारें। करुण-क्रन्दन युक्त पुकार वे तत्काल आकर जीवों को हृदय से लगा लेती हैं। संत-रसिक जनों ने जिस 'श्रीराधा' नाम को अपना जीवन बनाया, आओ उसी 'श्रीराधा' नाम का हम भी गुणगान करें।
आप सभी को मदर्स-डे की हार्दिक शुभकामनायें!!
Leave A Comment