जीवन में यदि किसी महापुरुष का सत्संग मिल जाय, तो कौन-सी विशेष बात हमको ध्यान में रखनी चाहिये?
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 289
(भूमिका - महापुरुष का मिलन या किसी भी प्रकार से सान्निध्य प्राप्त होना; चाहे वह प्रत्यक्ष हो, टीवी, टेप, मोबाईल आदि किसी भी रूप में हो, तब कुछ विशेष सावधानियाँ रखकर हम उस सानिध्य से बहुत विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जो लापरवाहीपूर्ण सत्संग/सान्निध्य से नहीं प्राप्त हो सकेंगे. जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत इस प्रवचन अंश में इसी तत्व की ओर इंगित किया गया है...)
..अगर आपको कभी जीवन में कोई महापुरुष मिल जाये, कोई रसिक मिल जाये एक क्षण को एक घण्टे, दो घण्टे को, यद्यपि ऐसा अवसर मिलना अनन्त जन्मों के पुण्य से भी असम्भव है। अनंत साधनाओं से भी ऐसा सौभाग्य नहीं मिलता। वो तो केवल भगवत्कृपा, गुरु-कृपा से ही मिलता है। तो भगवत्कृपा से ऐसा अवसर कभी मिले तो आप लोग इस लूट से कभी न चूकिये। वो कौन सी लूट है?
जैसे वो संकीर्तन में कुछ भी बोलते हैं, पद बोलते हैं, भगवन्नाम बोलते हैं, तो उनकी आवाज को बहुत ध्यानपूर्वक सुनिये। यदि आप न भी बोलिये तो भी आप भगवत्प्राप्ति कर सकते हैं, उनके आवाज सुनकर के समाधिस्थ हो सकते हैं। लेकिन इतना ध्यान रखिये की जब वो महापुरुष बोल रहा हो तो बहुत ध्यान से प्रत्येक क्षण समाहितचित्त (मन को एकाग्र कर) होकर के उसकी आवाज को सुनिये। उसकी आवाज में अलौकिकता होती है। जितना ध्यान से आप सुनेंगे उतना ही आप शीघ्र अन्तःकरण में प्रेम का अंकुर उत्पन्न कर सकेंगे।
इसलिये जरा भी लापरवाही न कर के उनके प्रत्येक क्षण की प्रत्येक आवाज को ध्यान से सुनकर फिर उसके बाद बोलिये। तो आप के हृदय में वो आवाज जाकर, छू जायेगी। जब आपके अन्तः करण में महापुरुष की आवाज छू जायेगी तो फिर आपके हृदय में एक विलक्षण सी गुद्गुदी और विलक्षण सा दर्द, और अजीब आनन्द जिसे आप ने कभी नहीं पाया, उसका अनुभव होगा। इसलिये इस लाभ को भी सदा मस्तिष्क में रखें।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: 'रूपध्यान' पुस्तक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
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