आहार-विहार, व्यवहार और नींद के संबंध में जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा महत्वपूर्ण मार्गदर्शन!!
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 290
(भूमिका - जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रदत्त निम्न तीन मार्गदर्शन न केवल साधक-समुदाय के लिये, अपितु जनसाधारण के लिये भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। शरीर और आत्मा - दो अलग-अलग चीजें हैं, परन्तु वे एक-दूसरे पर आश्रीत हैं। भक्ति-साधना के लिये भी शारीरिक स्वास्थ्य परमावश्यक है और भौतिक जगत के लिये तो है ही है। अतः आइये शरीर सहित व्यवहार आदि सम्बन्धी इन मार्गदर्शन पर विचार करें....)
(1) आहार-विहार के सम्बन्ध में :::
गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है;
युक्ताहार विहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।
युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा॥
(गीता 6-17)
आहार विहार सब नियमित होना चाहिये। शरीर को जिन जिन तत्त्वों की आवश्यकता है वे सब आपके खाने में होने चाहिये, विटामिन ए , बी, सी, डी सब होने चाहिये। जबान के लिये मत खाओ। खाने के लिये ज़िन्दा न रहो, जिन्दा रहने के लिए खाओ। यह पहला आदेश है, जिस व्यक्ति की खाने पीने की कामना कम हो जाती है उसकी अन्य वासनायें या विषय भी निर्बल हो जाते हैं।
(2) संसार में व्यवहार के सम्बन्ध में :::
दूसरा आदेश है व्यवहार का। अपने व्यवहार को संसार के अनुकूल बनाओ। इसमें बहुत लोग भूल किया करते हैं। कहते हैं अजी हमसे किसी की खुशामद नहीं होती, किसी की गुलामी नहीं होती। यह गुलामी और खुशामद दो प्रकार की होती है - एक एक्टिंग में और एक फैक्ट में। हम फैक्ट में नहीं कह रहे हैं किसी के आगे झुक जाओ। फैक्ट में तो केवल हरि हरिजन के आगे झुकना है। संसार में तो केवल व्यवहार करना है। कम बोलो, मीठा बोलो। अपने व्यवहार को मधुर बनाओ।
(3) नींद के सम्बन्ध में :::
नींद जो है वो तमोगुण है। जाग्रत अवस्था में भी हम सत्वगुण में जा सकते हैं, रजोगुण में भी जा सकते हैं, तमोगुण में भी जा सकते हैं। लेकिन नींद जो है वो प्योर तमोगुण है। बहुत ही हानिकारक है। अगर लिमिट से अधिक सोओ तो भी शारीरिक हानि होती है। आपके शरीर के जो पार्टस हैं उनको खराब करेगा वो अधिक सोना भी। रेस्ट की भी लिमिट है। रेस्ट के बाद व्यायाम आवश्यक है। देखिये शरीर ऐसा बनाया गया है कि इसमें दोनों आवश्यक हैं। तुम्हें संसार में कोई जरूरी काम आ जाये या कोई बात हो जाये, या कोई तुम्हारा प्रिय मिले तब नींद नहीं आती। इसलिये कोई फिज़िकल रीज़न नहीं, कारण केवल मानसिक वीकनेस है। लापरवाही, काम न होना नींद आने का कारण है। हर क्षण यही सोचो कि अगला क्षण मिले न मिले अतएव भगवद् विषय में उधार न करो।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, 2012 अंक
०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
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